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"title": "१३. तेविज्जसुत्तं", | |
"book_name": "१३. तेविज्जसुत्तं", | |
"chapter": "१२. लोहिच्चसुत्तं", | |
"gathas": [ | |
"‘खत्तियो सेट्ठो जनेतस्मिं,", | |
"ये गोत्तपटिसारिनो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो,", | |
"सो सेट्ठो देवमानुसे’ति॥", | |
"‘खत्तियो", | |
"ये गोत्तपटिसारिनो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो,", | |
"सो सेट्ठो देवमानुसे’ति॥", | |
"‘कत्थ आपो च पथवी, तेजो वायो न गाधति।", | |
"कत्थ दीघञ्च रस्सञ्च, अणुं थूलं सुभासुभं।", | |
"कत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झती’ति॥", | |
"‘विञ्ञाणं अनिदस्सनं, अनन्तं सब्बतोपभं।", | |
"एत्थ आपो च पथवी, तेजो वायो न गाधति॥", | |
"एत्थ दीघञ्च रस्सञ्च, अणुं थूलं सुभासुभं।", | |
"एत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झति।", | |
"विञ्ञाणस्स निरोधेन, एत्थेतं उपरुज्झती’ति॥", | |
"ब्रह्मासामञ्ञअम्बट्ठ", | |
"सोणकूटमहालिजालिनी।", | |
"सीहपोट्ठपादसुभो केवट्टो,", | |
"लोहिच्चतेविज्जा तेरसाति॥" | |
] | |
} |