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Sleeping
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{ | |
"title": "१. नळवग्गो", | |
"book_name": "११. सक्कसंयुत्तं", | |
"chapter": "१. ओघतरणसुत्तं", | |
"gathas": [ | |
"‘‘चिरस्सं वत पस्सामि, ब्राह्मणं परिनिब्बुतं।", | |
"अप्पतिट्ठं अनायूहं, तिण्णं लोके विसत्तिक’’न्ति॥ –", | |
"‘‘उपनीयति जीवितमप्पमायु,", | |
"जरूपनीतस्स न सन्ति ताणा।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"पुञ्ञानि कयिराथ सुखावहानी’’ति॥", | |
"‘‘उपनीयति जीवितमप्पमायु,", | |
"जरूपनीतस्स न सन्ति ताणा।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"लोकामिसं पजहे सन्तिपेक्खो’’ति॥", | |
"‘‘अच्चेन्ति काला तरयन्ति रत्तियो,", | |
"वयोगुणा अनुपुब्बं जहन्ति।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"पुञ्ञानि कयिराथ सुखावहानी’’ति॥", | |
"‘‘अच्चेन्ति काला तरयन्ति रत्तियो,", | |
"वयोगुणा अनुपुब्बं जहन्ति।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"लोकामिसं पजहे सन्तिपेक्खो’’ति॥", | |
"‘‘कति छिन्दे कति जहे, कति चुत्तरि भावये।", | |
"कति सङ्गातिगो भिक्खु, ओघतिण्णोति वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘पञ्च छिन्दे पञ्च जहे, पञ्च चुत्तरि भावये।", | |
"पञ्च सङ्गातिगो भिक्खु, ओघतिण्णोति वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘कति जागरतं सुत्ता, कति सुत्तेसु जागरा।", | |
"कतिभि", | |
"‘‘पञ्च जागरतं सुत्ता, पञ्च सुत्तेसु जागरा।", | |
"पञ्चभि", | |
"‘‘येसं धम्मा अप्पटिविदिता, परवादेसु नीयरे", | |
"सुत्ता ते नप्पबुज्झन्ति, कालो तेसं पबुज्झितु’’न्ति॥", | |
"‘‘येसं धम्मा सुप्पटिविदिता, परवादेसु न नीयरे।", | |
"ते सम्बुद्धा सम्मदञ्ञा, चरन्ति विसमे सम’’न्ति॥", | |
"‘‘येसं", | |
"सुत्ता ते नप्पबुज्झन्ति, कालो तेसं पबुज्झितु’’न्ति॥", | |
"‘‘येसं", | |
"ते सम्बुद्धा सम्मदञ्ञा, चरन्ति विसमे सम’’न्ति॥", | |
"‘‘न मानकामस्स दमो इधत्थि,", | |
"न मोनमत्थि असमाहितस्स।", | |
"एको अरञ्ञे विहरं पमत्तो,", | |
"न मच्चुधेय्यस्स तरेय्य पार’’न्ति॥", | |
"‘‘मानं पहाय सुसमाहितत्तो,", | |
"सुचेतसो सब्बधि विप्पमुत्तो।", | |
"एको अरञ्ञे विहरं अप्पमत्तो,", | |
"स मच्चुधेय्यस्स तरेय्य पार’’न्ति॥", | |
"‘‘अरञ्ञे", | |
"एकभत्तं भुञ्जमानानं, केन वण्णो पसीदती’’ति॥", | |
"‘‘अतीतं नानुसोचन्ति, नप्पजप्पन्ति नागतं।", | |
"पच्चुप्पन्नेन यापेन्ति, तेन वण्णो पसीदति’’॥", | |
"‘‘अनागतप्पजप्पाय, अतीतस्सानुसोचना।", | |
"एतेन बाला सुस्सन्ति, नळोव हरितो लुतो’’ति॥", | |
"ओघं निमोक्खं उपनेय्यं, अच्चेन्ति कतिछिन्दि च।", | |
"जागरं अप्पटिविदिता, सुसम्मुट्ठा मानकामिना।", | |
"अरञ्ञे दसमो वुत्तो, वग्गो तेन पवुच्चति॥", | |
"‘‘न", | |
"आवासं नरदेवानं, तिदसानं यसस्सिन’’न्ति॥", | |
"‘‘न त्वं बाले पजानासि, यथा अरहतं वचो।", | |
"अनिच्चा सब्बसङ्खारा", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो’’ति॥", | |
"‘‘नन्दति पुत्तेहि पुत्तिमा,", | |
"गोमा", | |
"उपधीहि", | |
"न हि सो नन्दति यो निरूपधी’’ति॥", | |
"‘‘सोचति पुत्तेहि पुत्तिमा,", | |
"गोमा गोहि तथेव सोचति।", | |
"उपधीहि नरस्स सोचना,", | |
"न हि सो सोचति यो निरूपधी’’ति॥", | |
"‘‘नत्थि पुत्तसमं पेमं, नत्थि गोसमितं धनं।", | |
"नत्थि सूरियसमा", | |
"‘‘नत्थि अत्तसमं पेमं, नत्थि धञ्ञसमं धनं।", | |
"नत्थि पञ्ञासमा आभा, वुट्ठि वे परमा सरा’’ति॥", | |
"कोमारी सेट्ठा भरियानं, यो च पुत्तान पुब्बजो’’ति॥", | |
"‘‘सम्बुद्धो द्विपदं सेट्ठो, आजानीयो चतुप्पदं।", | |
"सुस्सूसा सेट्ठा भरियानं, यो च पुत्तानमस्सवो’’ति॥", | |
"सणतेव ब्रहारञ्ञं", | |
"‘‘ठिते मज्झन्हिके काले, सन्निसीवेसु पक्खिसु।", | |
"सणतेव ब्रहारञ्ञं, सा रति पटिभाति म’’न्ति॥", | |
"एतेन नप्पकासति, अरियमग्गो इध पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘निद्दं तन्दिं विजम्भितं, अरतिं भत्तसम्मदं।", | |
"वीरियेन", | |
"बहूहि तत्थ सम्बाधा, यत्थ बालो विसीदती’’ति॥", | |
"‘‘कतिहं चरेय्य सामञ्ञं, चित्तं चे न निवारये।", | |
"पदे पदे विसीदेय्य, सङ्कप्पानं वसानुगो’’ति॥", | |
"‘‘कुम्मोव अङ्गानि सके कपाले,", | |
"समोदहं भिक्खु मनोवितक्के।", | |
"अनिस्सितो अञ्ञमहेठयानो,", | |
"परिनिब्बुतो नूपवदेय्य कञ्ची’’ति॥", | |
"यो निन्दं अपबोधति", | |
"‘‘हिरीनिसेधा तनुया, ये चरन्ति सदा सता।", | |
"अन्तं दुक्खस्स पप्पुय्य, चरन्ति विसमे सम’’न्ति॥", | |
"‘‘कच्चि", | |
"कच्चि सन्तानका नत्थि, कच्चि मुत्तोसि बन्धना’’ति॥", | |
"‘‘तग्घ मे कुटिका नत्थि, तग्घ नत्थि कुलावका।", | |
"तग्घ सन्तानका नत्थि, तग्घ मुत्तोम्हि बन्धना’’ति॥", | |
"‘‘किन्ताहं", | |
"किं ते सन्तानकं ब्रूमि, किन्ताहं ब्रूमि बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘मातरं कुटिकं ब्रूसि, भरियं ब्रूसि कुलावकं।", | |
"पुत्ते सन्तानके ब्रूसि, तण्हं मे ब्रूसि बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘साहु ते कुटिका नत्थि, साहु नत्थि कुलावका।", | |
"साहु सन्तानका नत्थि, साहु मुत्तोसि बन्धना’’ति॥", | |
"‘‘अभुत्वा", | |
"भुत्वान भिक्खु भिक्खस्सु, मा तं कालो उपच्चगा’’ति॥", | |
"‘‘कालं", | |
"तस्मा अभुत्वा भिक्खामि, मा मं कालो उपच्चगा’’ति॥", | |
"‘‘अभुत्वा भिक्खसि भिक्खु, न हि भुत्वान भिक्खसि।", | |
"भुत्वान भिक्खु भिक्खस्सु, मा तं कालो उपच्चगा’’ति॥", | |
"‘‘कालं वोहं न जानामि, छन्नो कालो न दिस्सति।", | |
"तस्मा अभुत्वा भिक्खामि, मा मं कालो उपच्चगा’’ति॥", | |
"‘‘अक्खेय्यसञ्ञिनो सत्ता, अक्खेय्यस्मिं पतिट्ठिता।", | |
"अक्खेय्यं अपरिञ्ञाय, योगमायन्ति मच्चुनो॥", | |
"‘‘अक्खेय्यञ्च परिञ्ञाय, अक्खातारं न मञ्ञति।", | |
"तञ्हि तस्स न होतीति, येन नं वज्जा न तस्स अत्थि।", | |
"सचे विजानासि वदेहि यक्खा’’ति", | |
"‘‘समो", | |
"यो मञ्ञती सो विवदेथ", | |
"तीसु", | |
"समो विसेसीति न तस्स होति।", | |
"सचे विजानासि वदेहि यक्खा’’ति॥", | |
"‘‘पहासि सङ्खं न विमानमज्झगा, अच्छेच्छि", | |
"तं छिन्नगन्थं अनिघं निरासं, परियेसमाना नाज्झगमुं।", | |
"देवा मनुस्सा इध वा हुरं वा, सग्गेसु वा सब्बनिवेसनेसु।", | |
"सचे विजानासि वदेहि यक्खा’’ति॥", | |
"‘‘पापं न कयिरा वचसा मनसा,", | |
"कायेन वा किञ्चन सब्बलोके।", | |
"कामे पहाय सतिमा सम्पजानो,", | |
"दुक्खं न सेवेथ अनत्थसंहित’’न्ति॥", | |
"नन्दना", | |
"खत्तियो सणमानो च, निद्दातन्दी च दुक्करं।", | |
"हिरी कुटिका नवमो, दसमो वुत्तो समिद्धिनाति॥", | |
"‘‘सत्तिया विय ओमट्ठो, डय्हमानोव", | |
"कामरागप्पहानाय, सतो भिक्खु परिब्बजे’’ति॥", | |
"‘‘सत्तिया विय ओमट्ठो, डय्हमानोव मत्थके।", | |
"सक्कायदिट्ठिप्पहानाय, सतो भिक्खु परिब्बजे’’ति॥", | |
"‘‘नाफुसन्तं फुसति च, फुसन्तञ्च ततो फुसे।", | |
"तस्मा फुसन्तं फुसति, अप्पदुट्ठपदोसिन’’न्ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"सुद्धस्स पोसस्स अनङ्गणस्स।", | |
"तमेव बालं पच्चेति पापं,", | |
"सुखुमो रजो पटिवातंव खित्तो’’ति॥", | |
"‘‘अन्तो", | |
"तं तं गोतम पुच्छामि, को इमं विजटये जट’’न्ति॥", | |
"‘‘सीले", | |
"आतापी निपको भिक्खु, सो इमं विजटये जटं॥", | |
"‘‘येसं रागो च दोसो च, अविज्जा च विराजिता।", | |
"खीणासवा अरहन्तो, तेसं विजटिता जटा॥", | |
"‘‘यत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झति।", | |
"पटिघं रूपसञ्ञा च, एत्थेसा छिज्जते", | |
"न दुक्खमेति नं ततो ततो।", | |
"स सब्बतो मनो निवारये,", | |
"स सब्बतो दुक्खा पमुच्चति’’॥", | |
"‘‘न सब्बतो मनो निवारये,", | |
"न मनो संयतत्तमागतं।", | |
"यतो यतो च पापकं,", | |
"ततो ततो मनो निवारये’’ति॥", | |
"‘‘यो होति भिक्खु अरहं कतावी,", | |
"खीणासवो अन्तिमदेहधारी।", | |
"अहं", | |
"ममं वदन्तीतिपि सो वदेय्या’’ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"खीणासवो अन्तिमदेहधारी।", | |
"अहं वदामीतिपि सो वदेय्य,", | |
"ममं वदन्तीतिपि सो वदेय्य।", | |
"लोके समञ्ञं कुसलो विदित्वा,", | |
"वोहारमत्तेन सो", | |
"‘‘यो होति भिक्खु अरहं कतावी,", | |
"खीणासवो अन्तिमदेहधारी।", | |
"मानं नु खो सो उपगम्म भिक्खु,", | |
"अहं वदामीतिपि सो वदेय्य।", | |
"ममं वदन्तीतिपि सो वदेय्या’’ति॥", | |
"‘‘पहीनमानस्स न सन्ति गन्था,", | |
"विधूपिता मानगन्थस्स सब्बे।", | |
"स वीतिवत्तो मञ्ञतं", | |
"अहं", | |
"‘‘ममं वदन्तीतिपि सो वदेय्य।", | |
"लोके समञ्ञं कुसलो विदित्वा।", | |
"वोहारमत्तेन सो वोहरेय्या’’ति॥", | |
"‘‘कति", | |
"भगवन्तं", | |
"‘‘चत्तारो", | |
"दिवा तपति आदिच्चो, रत्तिमाभाति चन्दिमा॥", | |
"‘‘अथ अग्गि दिवारत्तिं, तत्थ तत्थ पकासति।", | |
"सम्बुद्धो तपतं सेट्ठो, एसा आभा अनुत्तरा’’ति॥", | |
"‘‘कुतो", | |
"कत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘यत्थ आपो च पथवी, तेजो वायो न गाधति।", | |
"अतो सरा निवत्तन्ति, एत्थ वट्टं न वत्तति।", | |
"एत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘महद्धना महाभोगा, रट्ठवन्तोपि खत्तिया।", | |
"अञ्ञमञ्ञाभिगिज्झन्ति, कामेसु अनलङ्कता॥", | |
"‘‘तेसु उस्सुक्कजातेसु, भवसोतानुसारिसु।", | |
"केध तण्हं", | |
"‘‘हित्वा", | |
"हित्वा रागञ्च दोसञ्च, अविज्जञ्च विराजिय।", | |
"खीणासवा अरहन्तो, ते लोकस्मिं अनुस्सुका’’ति॥", | |
"‘‘चतुचक्कं", | |
"पङ्कजातं महावीर, कथं यात्रा भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘छेत्वा नद्धिं वरत्तञ्च, इच्छा लोभञ्च पापकं।", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, एवं यात्रा भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘एणिजङ्घं किसं वीरं, अप्पाहारं अलोलुपं।", | |
"सीहं वेकचरं नागं, कामेसु अनपेक्खिनं।", | |
"उपसङ्कम्म पुच्छाम, कथं दुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘पञ्च", | |
"एत्थ छन्दं विराजेत्वा, एवं दुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"सत्तिया फुसति चेव, जटा मनोनिवारणा।", | |
"अरहन्तेन पज्जोतो, सरा महद्धनेन च।", | |
"चतुचक्केन नवमं, एणिजङ्घेन ते दसाति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सेय्यो होति न पापियो’’ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, पञ्ञा लब्भति", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सोकमज्झे न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, ञातिमज्झे विरोचती’’ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सत्ता गच्छन्ति सुग्गति’’न्ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सत्ता तिट्ठन्ति सातत’’न्ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सब्बदुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘मच्छेरा", | |
"पुञ्ञं आकङ्खमानेन, देय्यं होति विजानता’’ति॥", | |
"‘‘यस्सेव भीतो न ददाति मच्छरी, तदेवाददतो भयं।", | |
"जिघच्छा च पिपासा च, यस्स भायति मच्छरी।", | |
"तमेव बालं फुसति, अस्मिं लोके परम्हि च॥", | |
"‘‘तस्मा विनेय्य मच्छेरं, दज्जा दानं मलाभिभू।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘ते मतेसु न मीयन्ति, पन्थानंव सहब्बजं।", | |
"अप्पस्मिं ये पवेच्छन्ति, एस धम्मो सनन्तनो॥", | |
"‘‘अप्पस्मेके पवेच्छन्ति, बहुनेके न दिच्छरे।", | |
"अप्पस्मा दक्खिणा दिन्ना, सहस्सेन समं मिता’’ति॥", | |
"‘‘दुद्ददं ददमानानं, दुक्करं कम्म कुब्बतं।", | |
"असन्तो नानुकुब्बन्ति, सतं धम्मो दुरन्वयो", | |
"‘‘तस्मा", | |
"असन्तो निरयं यन्ति, सन्तो सग्गपरायना’’ति॥", | |
"‘‘धम्मं चरे योपि समुञ्जकं चरे,", | |
"दारञ्च पोसं ददमप्पकस्मिं।", | |
"सतं सहस्सानं सहस्सयागिनं,", | |
"कलम्पि नाग्घन्ति तथाविधस्स ते’’ति॥", | |
"‘‘केनेस यञ्ञो विपुलो महग्गतो,", | |
"समेन दिन्नस्स न अग्घमेति।", | |
"कथं", | |
"कलम्पि नाग्घन्ति तथाविधस्स ते’’ति॥", | |
"‘‘ददन्ति हेके विसमे निविट्ठा,", | |
"छेत्वा वधित्वा अथ सोचयित्वा।", | |
"सा", | |
"समेन दिन्नस्स न अग्घमेति॥", | |
"‘‘एवं सतं सहस्सानं सहस्सयागिनं।", | |
"कलम्पि नाग्घन्ति तथाविधस्स ते’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो, मारिस, दानं।", | |
"मच्छेरा च पमादा च, एवं दानं न दीयति।", | |
"पुञ्ञं आकङ्खमानेन, देय्यं होति विजानता’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो, मारिस, दानं।", | |
"अपि च अप्पकस्मिम्पि साहु दानं’’॥", | |
"‘‘अप्पस्मेके पवेच्छन्ति, बहुनेके न दिच्छरे।", | |
"अप्पस्मा दक्खिणा दिन्ना, सहस्सेन समं मिता’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो, मारिस, दानं; अप्पकस्मिम्पि साहु दानं।", | |
"अपि च सद्धायपि साहु दानं’’॥", | |
"‘‘दानञ्च युद्धञ्च समानमाहु,", | |
"अप्पापि सन्ता बहुके जिनन्ति।", | |
"अप्पम्पि चे सद्दहानो ददाति,", | |
"तेनेव सो होति सुखी परत्था’’ति॥", | |
"‘‘साधु", | |
"सद्धायपि", | |
"‘‘यो धम्मलद्धस्स ददाति दानं,", | |
"उट्ठानवीरियाधिगतस्स जन्तु।", | |
"अतिक्कम्म सो वेतरणिं यमस्स,", | |
"दिब्बानि ठानानि उपेति मच्चो’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो, मारिस, दानं; अप्पकस्मिम्पि साहु दानं।", | |
"सद्धायपि साहु दानं; धम्मलद्धस्सापि साहु दानं।", | |
"अपि", | |
"‘‘विचेय्य दानं सुगतप्पसत्थं,", | |
"ये दक्खिणेय्या इध जीवलोके।", | |
"एतेसु दिन्नानि महप्फलानि,", | |
"बीजानि वुत्तानि यथा सुखेत्ते’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो, मारिस, दानं; अप्पकस्मिम्पि साहु दानं।", | |
"सद्धायपि साहु दानं; धम्मलद्धस्सापि साहु दानं।", | |
"विचेय्य दानम्पि साहु दानं; अपि च पाणेसुपि साधु संयमो’’॥", | |
"‘‘यो", | |
"परूपवादा न करोन्ति पापं।", | |
"भीरुं", | |
"भया हि सन्तो न करोन्ति पाप’’न्ति॥", | |
"‘‘सद्धा हि दानं बहुधा पसत्थं,", | |
"दाना च खो धम्मपदंव सेय्यो।", | |
"पुब्बे", | |
"निब्बानमेवज्झगमुं सपञ्ञा’’ति॥", | |
"‘‘न सन्ति कामा मनुजेसु निच्चा,", | |
"सन्तीध कमनीयानि येसु", | |
"येसु पमत्तो अपुनागमनं,", | |
"अनागन्ता पुरिसो मच्चुधेय्या’’ति॥", | |
"‘‘छन्दजं अघं छन्दजं दुक्खं।", | |
"छन्दविनया अघविनयो।", | |
"अघविनया दुक्खविनयो’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"सङ्कप्परागो", | |
"तिट्ठन्ति चित्रानि तथेव लोके,", | |
"अथेत्थ धीरा विनयन्ति छन्दं॥", | |
"‘‘कोधं", | |
"संयोजनं सब्बमतिक्कमेय्य।", | |
"तं नामरूपस्मिमसज्जमानं,", | |
"अकिञ्चनं नानुपतन्ति दुक्खा॥", | |
"‘‘पहासि सङ्खं न विमानमज्झगा", | |
"अच्छेच्छि तण्हं इध नामरूपे।", | |
"तं छिन्नगन्थं अनिघं निरासं,", | |
"परियेसमाना नाज्झगमुं।", | |
"देवा मनुस्सा इध वा हुरं वा,", | |
"सग्गेसु वा सब्बनिवेसनेसू’’ति॥", | |
"‘‘तं चे हि नाद्दक्खुं तथाविमुत्तं (इच्चायस्मा मोघराजा),", | |
"देवा मनुस्सा इध वा हुरं वा।", | |
"नरुत्तमं अत्थचरं नरानं,", | |
"ये तं नमस्सन्ति पसंसिया ते’’ति॥", | |
"‘‘पसंसिया तेपि भवन्ति भिक्खू (मोघराजाति भगवा),", | |
"ये तं नमस्सन्ति तथाविमुत्तं।", | |
"अञ्ञाय", | |
"सङ्गातिगा तेपि भवन्ति भिक्खू’’ति॥", | |
"‘‘अञ्ञथा सन्तमत्तानं, अञ्ञथा यो पवेदये।", | |
"निकच्च कितवस्सेव, भुत्तं थेय्येन तस्स तं॥", | |
"‘‘यञ्हि कयिरा तञ्हि वदे, यं न कयिरा न तं वदे।", | |
"अकरोन्तं भासमानानं, परिजानन्ति पण्डिता’’ति॥", | |
"‘‘न यिदं भासितमत्तेन, एकन्तसवनेन वा।", | |
"अनुक्कमितवे सक्का, यायं पटिपदा दळ्हा।", | |
"याय धीरा पमुच्चन्ति, झायिनो मारबन्धना॥", | |
"‘‘न", | |
"अञ्ञाय निब्बुता धीरा, तिण्णा लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘अच्चयं", | |
"कोपन्तरो दोसगरु, स वेरं पटिमुञ्चती’’ति॥", | |
"‘‘अच्चयो चे न विज्जेथ, नोचिधापगतं", | |
"वेरानि न च सम्मेय्युं, केनीध", | |
"‘‘कस्सच्चया न विज्जन्ति, कस्स नत्थि अपागतं।", | |
"को न सम्मोहमापादि, को च धीरो", | |
"‘‘तथागतस्स", | |
"तस्सच्चया न विज्जन्ति, तस्स नत्थि अपागतं।", | |
"सो न सम्मोहमापादि, सोव", | |
"‘‘अच्चयं देसयन्तीनं, यो चे न पटिगण्हति।", | |
"कोपन्तरो", | |
"तं वेरं नाभिनन्दामि, पटिग्गण्हामि वोच्चय’’न्ति॥", | |
"‘‘सद्धा दुतिया पुरिसस्स होति,", | |
"नो चे अस्सद्धियं अवतिट्ठति।", | |
"यसो", | |
"सग्गञ्च सो गच्छति सरीरं विहाया’’ति॥", | |
"‘‘कोधं जहे विप्पजहेय्य मानं,", | |
"संयोजनं सब्बमतिक्कमेय्य।", | |
"तं नामरूपस्मिमसज्जमानं,", | |
"अकिञ्चनं नानुपतन्ति सङ्गा’’ति॥", | |
"‘‘पमादमनुयुञ्जन्ति", | |
"अप्पमादञ्च मेधावी, धनं सेट्ठंव रक्खति॥", | |
"‘‘मा पमादमनुयुञ्जेथ, मा कामरति सन्थवं।", | |
"अप्पमत्तो हि झायन्तो, पप्पोति परमं सुख’’न्ति॥", | |
"‘‘महासमयो पवनस्मिं, देवकाया समागता।", | |
"आगतम्ह इमं धम्मसमयं, दक्खिताये अपराजितसङ्घ’’न्ति॥", | |
"‘‘तत्र भिक्खवो समादहंसु, चित्तमत्तनो उजुकं अकंसु", | |
"सारथीव नेत्तानि गहेत्वा, इन्द्रियानि रक्खन्ति पण्डिता’’ति॥", | |
"‘‘छेत्वा खीलं छेत्वा पलिघं, इन्दखीलं ऊहच्च मनेजा।", | |
"ते चरन्ति सुद्धा विमला, चक्खुमता सुदन्ता सुसुनागा’’ति॥", | |
"‘‘ये केचि बुद्धं सरणं गतासे, न ते गमिस्सन्ति अपायभूमिं।", | |
"पहाय मानुसं देहं, देवकायं परिपूरेस्सन्ती’’ति॥", | |
"‘‘पञ्चवेदा सतं समं, तपस्सी ब्राह्मणा चरं।", | |
"चित्तञ्च नेसं न सम्मा विमुत्तं, हीनत्थरूपा न पारङ्गमा ते॥", | |
"‘‘तण्हाधिपन्ना वतसीलबद्धा, लूखं तपं वस्ससतं चरन्ता।", | |
"चित्तञ्च नेसं न सम्मा विमुत्तं, हीनत्थरूपा न पारङ्गमा ते॥", | |
"‘‘न मानकामस्स दमो इधत्थि, न मोनमत्थि असमाहितस्स।", | |
"एको अरञ्ञे विहरं पमत्तो, न मच्चुधेय्यस्स तरेय्य पार’’न्ति॥", | |
"‘‘मानं पहाय सुसमाहितत्तो, सुचेतसो सब्बधि विप्पमुत्तो।", | |
"एको अरञ्ञे विहरमप्पमत्तो, स मच्चुधेय्यस्स तरेय्य पार’’न्ति॥", | |
"‘‘वेसालियं", | |
"कोकनदाहमस्मि", | |
"‘‘सुतमेव पुरे आसि, धम्मो चक्खुमतानुबुद्धो।", | |
"साहं दानि सक्खि जानामि, मुनिनो देसयतो सुगतस्स॥", | |
"‘‘ये केचि अरियं धम्मं, विगरहन्ता चरन्ति दुम्मेधा।", | |
"उपेन्ति रोरुवं घोरं, चिररत्तं दुक्खं अनुभवन्ति॥", | |
"‘‘ये च खो अरिये धम्मे, खन्तिया उपसमेन उपेता।", | |
"पहाय मानुसं देहं, देवकाय परिपूरेस्सन्ती’’ति॥", | |
"‘‘इधागमा विज्जुपभासवण्णा, कोकनदा पज्जुन्नस्स धीता।", | |
"बुद्धञ्च धम्मञ्च नमस्समाना, गाथाचिमा अत्थवती अभासि॥", | |
"‘‘बहुनापि", | |
"संखित्तमत्थं", | |
"‘‘पापं न कयिरा वचसा मनसा,", | |
"कायेन वा किञ्चन सब्बलोके।", | |
"कामे", | |
"दुक्खं न सेवेथ अनत्थसंहित’’न्ति॥", | |
"सब्भिमच्छरिना साधु, न सन्तुज्झानसञ्ञिनो।", | |
"सद्धा समयो सकलिकं, उभो पज्जुन्नधीतरोति॥", | |
"‘‘आदित्तस्मिं अगारस्मिं, यं नीहरति भाजनं।", | |
"तं तस्स होति अत्थाय, नो च यं तत्थ डय्हति॥", | |
"‘‘एवं आदित्तको लोको, जराय मरणेन च।", | |
"नीहरेथेव दानेन, दिन्नं होति सुनीहतं॥", | |
"‘‘दिन्नं", | |
"चोरा हरन्ति राजानो, अग्गि डहति नस्सति॥", | |
"‘‘अथ", | |
"एतदञ्ञाय मेधावी, भुञ्जेथ च ददेथ च।", | |
"दत्वा च भुत्वा च यथानुभावं।", | |
"अनिन्दितो सग्गमुपेति ठान’’न्ति॥", | |
"‘‘किंददो बलदो होति, किंददो होति वण्णदो।", | |
"किंददो सुखदो होति, किंददो होति चक्खुदो।", | |
"को च सब्बददो होति, तं मे अक्खाहि पुच्छितो’’ति॥", | |
"‘‘अन्नदो बलदो होति, वत्थदो होति वण्णदो।", | |
"यानदो सुखदो होति, दीपदो होति चक्खुदो॥", | |
"‘‘सो च सब्बददो होति, यो ददाति उपस्सयं।", | |
"अमतं ददो च सो होति, यो धम्ममनुसासती’’ति॥", | |
"‘‘अन्नमेवाभिनन्दन्ति, उभये देवमानुसा।", | |
"अथ को नाम सो यक्खो, यं अन्नं नाभिनन्दती’’ति॥", | |
"‘‘ये", | |
"तमेव अन्नं भजति, अस्मिं लोके परम्हि च॥", | |
"‘‘तस्मा", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘एकमूलं द्विरावट्टं, तिमलं पञ्चपत्थरं।", | |
"समुद्दं द्वादसावट्टं, पातालं अतरी इसी’’ति॥", | |
"‘‘अनोमनामं", | |
"तं पस्सथ सब्बविदुं सुमेधं, अरिये पथे कममानं महेसि’’न्ति॥", | |
"‘‘अच्छरागणसङ्घुट्ठं, पिसाचगणसेवितं।", | |
"वनन्तं मोहनं नाम, कथं यात्रा भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘उजुको नाम सो मग्गो, अभया नाम सा दिसा।", | |
"रथो अकूजनो नाम, धम्मचक्केहि संयुतो॥", | |
"‘‘हिरी तस्स अपालम्बो, सत्यस्स परिवारणं।", | |
"धम्माहं सारथिं ब्रूमि, सम्मादिट्ठिपुरेजवं॥", | |
"‘‘यस्स एतादिसं यानं, इत्थिया पुरिसस्स वा।", | |
"स वे एतेन यानेन, निब्बानस्सेव सन्तिके’’ति॥", | |
"‘‘केसं", | |
"धम्मट्ठा सीलसम्पन्ना, के जना सग्गगामिनो’’ति॥", | |
"‘‘आरामरोपा वनरोपा, ये जना सेतुकारका।", | |
"पपञ्च उदपानञ्च, ये ददन्ति उपस्सयं॥", | |
"‘‘तेसं", | |
"धम्मट्ठा सीलसम्पन्ना, ते जना सग्गगामिनो’’ति॥", | |
"‘‘इदञ्हि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं।", | |
"आवुत्थं", | |
"‘‘कम्मं", | |
"एतेन मच्चा सुज्झन्ति, न गोत्तेन धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा हि पण्डितो पोसो, सम्पस्सं अत्थमत्तनो।", | |
"योनिसो विचिने धम्मं, एवं तत्थ विसुज्झति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तोव पञ्ञाय, सीलेन उपसमेन च।", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"‘‘येध", | |
"अञ्ञेसं ददमानानं, अन्तरायकरा नरा॥", | |
"‘‘कीदिसो", | |
"भगवन्तं पुट्ठुमागम्म, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘येध मच्छरिनो लोके, कदरिया परिभासका।", | |
"अञ्ञेसं ददमानानं, अन्तरायकरा नरा॥", | |
"‘‘निरयं तिरच्छानयोनिं, यमलोकं उपपज्जरे।", | |
"सचे एन्ति मनुस्सत्तं, दलिद्दे जायरे कुले॥", | |
"‘‘चोळं पिण्डो रती खिड्डा, यत्थ किच्छेन लब्भति।", | |
"परतो आसीसरे", | |
"दिट्ठे धम्मेस विपाको, सम्पराये", | |
"‘‘इतिहेतं विजानाम, अञ्ञं पुच्छाम गोतम।", | |
"येध लद्धा मनुस्सत्तं, वदञ्ञू वीतमच्छरा॥", | |
"‘‘बुद्धे", | |
"कीदिसो तेसं विपाको, सम्परायो च कीदिसो।", | |
"भगवन्तं पुट्ठुमागम्म, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘येध लद्धा मनुस्सत्तं, वदञ्ञू वीतमच्छरा।", | |
"बुद्धे पसन्ना धम्मे च, सङ्घे च तिब्बगारवा।", | |
"एते सग्गा", | |
"‘‘सचे", | |
"चोळं पिण्डो रती खिड्डा, यत्थाकिच्छेन लब्भति॥", | |
"‘‘परसम्भतेसु", | |
"दिट्ठे धम्मेस विपाको, सम्पराये च सुग्गती’’ति॥", | |
"‘‘अविहं उपपन्नासे, विमुत्ता सत्त भिक्खवो।", | |
"रागदोसपरिक्खीणा, तिण्णा लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘के च ते अतरुं पङ्कं", | |
"के हित्वा मानुसं देहं, दिब्बयोगं उपच्चगु’’न्ति॥", | |
"‘‘उपको पलगण्डो च, पुक्कुसाति च ते तयो।", | |
"भद्दियो खण्डदेवो च, बाहुरग्गि च सिङ्गियो", | |
"ते हित्वा मानुसं देहं, दिब्बयोगं उपच्चगु’’न्ति॥", | |
"‘‘कुसली भाससी तेसं, मारपासप्पहायिनं।", | |
"कस्स ते धम्ममञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘न अञ्ञत्र भगवता, नाञ्ञत्र तव सासना।", | |
"यस्स ते धम्ममञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धनं॥", | |
"‘‘यत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झति।", | |
"तं ते धम्मं इधञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘गम्भीरं", | |
"कस्स त्वं", | |
"‘‘कुम्भकारो", | |
"मातापेत्तिभरो आसिं, कस्सपस्स उपासको॥", | |
"‘‘विरतो", | |
"अहुवा ते सगामेय्यो, अहुवा ते पुरे सखा॥", | |
"‘‘सोहमेते पजानामि, विमुत्ते सत्त भिक्खवो।", | |
"रागदोसपरिक्खीणे, तिण्णे लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘एवमेतं तदा आसि, यथा भाससि भग्गव।", | |
"कुम्भकारो पुरे आसि, वेकळिङ्गे घटीकरो।", | |
"मातापेत्तिभरो आसि, कस्सपस्स उपासको॥", | |
"‘‘विरतो मेथुना धम्मा, ब्रह्मचारी निरामिसो।", | |
"अहुवा मे सगामेय्यो, अहुवा मे पुरे सखा’’ति॥", | |
"‘‘एवमेतं पुराणानं, सहायानं अहु सङ्गमो।", | |
"उभिन्नं भावितत्तानं, सरीरन्तिमधारिन’’न्ति॥", | |
"आदित्तं किंददं अन्नं, एकमूलअनोमियं।", | |
"अच्छरावनरोपजेतं, मच्छरेन घटीकरोति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु नरानं रतनं, किंसु चोरेहि दूहर’’न्ति॥", | |
"‘‘सीलं याव जरा साधु, सद्धा साधु पतिट्ठिता।", | |
"पञ्ञा नरानं रतनं, पुञ्ञं चोरेहि दूहर’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु नरानं रतनं, किंसु चोरेह्यहारिय’’न्ति॥", | |
"‘‘सीलं", | |
"पञ्ञा नरानं रतनं, पुञ्ञं चोरेह्यहारिय’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु पवसतो", | |
"किं मित्तं अत्थजातस्स, किं मित्तं सम्परायिक’’न्ति॥", | |
"‘‘सत्थो पवसतो मित्तं, माता मित्तं सके घरे।", | |
"सहायो", | |
"सयंकतानि पुञ्ञानि, तं मित्तं सम्परायिक’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु भूता उपजीवन्ति, ये पाणा पथविस्सिता’’ति", | |
"‘‘पुत्ता वत्थु मनुस्सानं, भरिया च", | |
"वुट्ठिं भूता उपजीवन्ति, ये पाणा पथविस्सिता’’ति॥", | |
"‘‘किंसु जनेति पुरिसं, किंसु तस्स विधावति।", | |
"किंसु संसारमापादि, किंसु तस्स महब्भय’’न्ति॥", | |
"‘‘तण्हा जनेति पुरिसं, चित्तमस्स विधावति।", | |
"सत्तो संसारमापादि, दुक्खमस्स महब्भय’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु संसारमापादि, किस्मा न परिमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘तण्हा जनेति पुरिसं, चित्तमस्स विधावति।", | |
"सत्तो संसारमापादि, दुक्खा न परिमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु संसारमापादि, किंसु तस्स परायन’’न्ति॥", | |
"‘‘तण्हा", | |
"सत्तो संसारमापादि, कम्मं तस्स परायन’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु उप्पथो अक्खातो, किंसु रत्तिन्दिवक्खयो।", | |
"किं मलं ब्रह्मचरियस्स, किं सिनानमनोदक’’न्ति॥", | |
"‘‘रागो उप्पथो अक्खातो, वयो रत्तिन्दिवक्खयो।", | |
"इत्थी मलं ब्रह्मचरियस्स, एत्थायं सज्जते पजा।", | |
"तपो च ब्रह्मचरियञ्च, तं सिनानमनोदक’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु दुतिया", | |
"किस्स चाभिरतो मच्चो, सब्बदुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘सद्धा दुतिया पुरिसस्स होति, पञ्ञा चेनं पसासति।", | |
"निब्बानाभिरतो मच्चो, सब्बदुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘किंसु निदानं गाथानं, किंसु तासं वियञ्जनं।", | |
"किंसु सन्निस्सिता गाथा, किंसु गाथानमासयो’’ति॥", | |
"‘‘छन्दो", | |
"नामसन्निस्सिता गाथा, कवि गाथानमासयो’’ति॥", | |
"जरा", | |
"उप्पथो च दुतियो च, कविना पूरितो वग्गोति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति", | |
"‘‘नामं सब्बं अद्धभवि, नामा भिय्यो न विज्जति।", | |
"नामस्स एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति॥", | |
"‘‘केनस्सु नीयति लोको, केनस्सु परिकस्सति।", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति॥", | |
"‘‘चित्तेन नीयति लोको, चित्तेन परिकस्सति।", | |
"चित्तस्स एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति॥", | |
"‘‘केनस्सु नीयति लोको, केनस्सु परिकस्सति।", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति॥", | |
"‘‘तण्हाय", | |
"तण्हाय एकधम्मस्स, सब्बेव वसमन्वगू’’ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किस्सस्सु विप्पहानेन, निब्बानं इति वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘नन्दीसंयोजनो", | |
"तण्हाय विप्पहानेन, निब्बानं इति वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘किंसु सम्बन्धनो लोको, किंसु तस्स विचारणं।", | |
"किस्सस्सु विप्पहानेन, सब्बं छिन्दति बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘नन्दीसम्बन्धनो", | |
"तण्हाय विप्पहानेन, सब्बं छिन्दति बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘केनस्सुब्भाहतो लोको, केनस्सु परिवारितो।", | |
"केन सल्लेन ओतिण्णो, किस्स धूपायितो सदा’’ति॥", | |
"‘‘मच्चुनाब्भाहतो लोको, जराय परिवारितो।", | |
"तण्हासल्लेन ओतिण्णो, इच्छाधूपायितो सदा’’ति॥", | |
"‘‘केनस्सु", | |
"केनस्सु पिहितो लोको, किस्मिं लोको पतिट्ठितो’’ति॥", | |
"‘‘तण्हाय उड्डितो लोको, जराय परिवारितो।", | |
"मच्चुना पिहितो लोको, दुक्खे लोको पतिट्ठितो’’ति॥", | |
"‘‘केनस्सु", | |
"केनस्सु उड्डितो लोको, केनस्सु परिवारितो’’ति॥", | |
"‘‘मच्चुना", | |
"तण्हाय उड्डितो लोको, जराय परिवारितो’’ति॥", | |
"‘‘केनस्सु बज्झती लोको, किस्स विनयाय मुच्चति।", | |
"किस्सस्सु विप्पहानेन, सब्बं छिन्दति बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘इच्छाय बज्झती लोको, इच्छाविनयाय मुच्चति।", | |
"इच्छाय विप्पहानेन, सब्बं छिन्दति बन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘किस्मिं", | |
"किस्स लोको उपादाय, किस्मिं लोको विहञ्ञती’’ति॥", | |
"‘‘छसु", | |
"छन्नमेव उपादाय, छसु लोको विहञ्ञती’’ति॥", | |
"नामं चित्तञ्च तण्हा च, संयोजनञ्च बन्धना।", | |
"अब्भाहतुड्डितो पिहितो, इच्छा लोकेन ते दसाति॥", | |
"‘‘किंसु छेत्वा", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, वधं रोचेसि गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘कोधं", | |
"कोधस्स विसमूलस्स, मधुरग्गस्स देवते।", | |
"वधं अरिया पसंसन्ति, तञ्हि छेत्वा न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘किंसु रथस्स पञ्ञाणं, किंसु पञ्ञाणमग्गिनो।", | |
"किंसु रट्ठस्स पञ्ञाणं, किंसु पञ्ञाणमित्थिया’’ति॥", | |
"‘‘धजो", | |
"राजा रट्ठस्स पञ्ञाणं, भत्ता पञ्ञाणमित्थिया’’ति॥", | |
"‘‘किंसूध वित्तं पुरिसस्स सेट्ठं, किंसु सुचिण्णो सुखमावहति।", | |
"किंसु", | |
"‘‘सद्धीध वित्तं पुरिसस्स सेट्ठं, धम्मो सुचिण्णो सुखमावहति।", | |
"सच्चं हवे सादुतरं रसानं, पञ्ञाजीविं जीवितमाहु सेट्ठ’’न्ति॥", | |
"‘‘किंसु उप्पततं सेट्ठं, किंसु निपततं वरं।", | |
"किंसु पवजमानानं, किंसु पवदतं वर’’न्ति॥", | |
"‘‘बीजं उप्पततं सेट्ठं, वुट्ठि निपततं वरा।", | |
"गावो पवजमानानं, पुत्तो पवदतं वरोति॥", | |
"‘‘विज्जा उप्पततं सेट्ठा, अविज्जा निपततं वरा।", | |
"सङ्घो पवजमानानं, बुद्धो पवदतं वरो’’ति॥", | |
"‘‘किंसूध भीता जनता अनेका,", | |
"मग्गो चनेकायतनप्पवुत्तो।", | |
"पुच्छामि तं गोतम भूरिपञ्ञ,", | |
"किस्मिं ठितो परलोकं न भाये’’ति॥", | |
"‘‘वाचं", | |
"कायेन", | |
"बव्हन्नपानं घरमावसन्तो,", | |
"सद्धो", | |
"एतेसु धम्मेसु ठितो चतूसु,", | |
"धम्मे ठितो परलोकं न भाये’’ति॥", | |
"‘‘किं जीरति किं न जीरति, किंसु उप्पथोति वुच्चति।", | |
"किंसु धम्मानं परिपन्थो, किंसु रत्तिन्दिवक्खयो।", | |
"किं मलं ब्रह्मचरियस्स, किं सिनानमनोदकं॥", | |
"‘‘कति लोकस्मिं छिद्दानि, यत्थ वित्तं", | |
"भगवन्तं पुट्ठुमागम्म, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘रूपं जीरति मच्चानं, नामगोत्तं न जीरति।", | |
"रागो उप्पथोति वुच्चति॥", | |
"‘‘लोभो धम्मानं परिपन्थो, वयो रत्तिन्दिवक्खयो।", | |
"इत्थी मलं ब्रह्मचरियस्स, एत्थायं सज्जते पजा।", | |
"तपो च ब्रह्मचरियञ्च, तं सिनानमनोदकं॥", | |
"‘‘छ लोकस्मिं छिद्दानि, यत्थ वित्तं न तिट्ठति।", | |
"आलस्यञ्च", | |
"निद्दा तन्दी", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु सत्थमलं लोके, किंसु लोकस्मिमब्बुदं॥", | |
"‘‘किंसु हरन्तं वारेन्ति, हरन्तो पन को पियो।", | |
"किंसु पुनप्पुनायन्तं, अभिनन्दन्ति पण्डिता’’ति॥", | |
"‘‘वसो", | |
"कोधो सत्थमलं लोके, चोरा लोकस्मिमब्बुदा॥", | |
"‘‘चोरं हरन्तं वारेन्ति, हरन्तो समणो पियो।", | |
"समणं पुनप्पुनायन्तं, अभिनन्दन्ति पण्डिता’’ति॥", | |
"‘‘किमत्थकामो", | |
"किंसु मुञ्चेय्य कल्याणं, पापिकं न च मोचये’’ति॥", | |
"‘‘अत्तानं न ददे पोसो, अत्तानं न परिच्चजे।", | |
"वाचं मुञ्चेय्य कल्याणं, पापिकञ्च न मोचये’’ति॥", | |
"‘‘किंसु बन्धति पाथेय्यं, किंसु भोगानमासयो।", | |
"किंसु नरं परिकस्सति, किंसु लोकस्मि दुज्जहं।", | |
"किस्मिं बद्धा पुथू सत्ता, पासेन सकुणी यथा’’ति॥", | |
"‘‘सद्धा", | |
"इच्छा नरं परिकस्सति, इच्छा लोकस्मि दुज्जहा।", | |
"इच्छाबद्धा पुथू सत्ता, पासेन सकुणी यथा’’ति॥", | |
"‘‘किंसु लोकस्मि पज्जोतो, किंसु लोकस्मि जागरो।", | |
"किंसु कम्मे सजीवानं, किमस्स इरियापथो॥", | |
"‘‘किंसु अलसं अनलसञ्च", | |
"किं भूता उपजीवन्ति, ये पाणा पथविस्सिता’’ति॥", | |
"‘‘पञ्ञा लोकस्मि पज्जोतो, सति लोकस्मि जागरो।", | |
"गावो कम्मे सजीवानं, सीतस्स इरियापथो॥", | |
"‘‘वुट्ठि अलसं अनलसञ्च, माता पुत्तंव पोसति।", | |
"वुट्ठिं भूता उपजीवन्ति, ये पाणा पथविस्सिता’’ति॥", | |
"‘‘केसूध", | |
"केध इच्छं परिजानन्ति, केसं भोजिस्सियं सदा॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किंसु इध जातिहीनं, अभिवादेन्ति खत्तिया’’ति॥", | |
"‘‘समणीध अरणा लोके, समणानं वुसितं न नस्सति।", | |
"समणा इच्छं परिजानन्ति, समणानं भोजिस्सियं सदा॥", | |
"‘‘समणं", | |
"समणीध जातिहीनं, अभिवादेन्ति खत्तिया’’ति॥", | |
"छेत्वा रथञ्च चित्तञ्च, वुट्ठि भीता नजीरति।", | |
"इस्सरं कामं पाथेय्यं, पज्जोतो अरणेन चाति॥", | |
"‘‘सुभासितस्स सिक्खेथ, समणूपासनस्स च।", | |
"एकासनस्स च रहो, चित्तवूपसमस्स चा’’ति॥", | |
"‘‘भिक्खु", | |
"आकङ्खे चे हदयस्सानुपत्तिं।", | |
"लोकस्स ञत्वा उदयब्बयञ्च,", | |
"सुचेतसो अनिस्सितो तदानिसंसो’’ति॥", | |
"‘‘किंसु छेत्वा सुखं सेति, किंसु छेत्वा न सोचति।", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, वधं रोचेसि गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘कोधं छेत्वा सुखं सेति, कोधं छेत्वा न सोचति।", | |
"कोधस्स विसमूलस्स, मधुरग्गस्स वत्रभू।", | |
"वधं अरिया पसंसन्ति, तञ्हि छेत्वा न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘कति", | |
"भवन्तं पुट्ठुमागम्म, कथं जानेमु तं मय’’न्ति॥", | |
"‘‘चत्तारो", | |
"दिवा तपति आदिच्चो, रत्तिमाभाति चन्दिमा॥", | |
"‘‘अथ अग्गि दिवारत्तिं, तत्थ तत्थ पकासति।", | |
"सम्बुद्धो तपतं सेट्ठो, एसा आभा अनुत्तरा’’ति॥", | |
"‘‘करणीयमेतं ब्राह्मणेन, पधानं अकिलासुना।", | |
"कामानं विप्पहानेन, न तेनासीसते भव’’न्ति॥", | |
"‘‘नत्थि किच्चं ब्राह्मणस्स (दामलीति भगवा),", | |
"कतकिच्चो हि ब्राह्मणो॥", | |
"‘‘याव", | |
"आयूहति", | |
"गाधञ्च लद्धान थले ठितो यो,", | |
"नायूहती", | |
"‘‘एसूपमा दामलि ब्राह्मणस्स,", | |
"खीणासवस्स निपकस्स झायिनो।", | |
"पप्पुय्य जातिमरणस्स अन्तं,", | |
"नायूहती पारगतो हि सो’’ति", | |
"‘‘दुक्करं वापि करोन्ति (कामदाति भगवा),", | |
"सेखा सीलसमाहिता।", | |
"ठितत्ता अनगारियुपेतस्स,", | |
"तुट्ठि होति सुखावहा’’ति॥", | |
"‘‘दुल्लभं वापि लभन्ति (कामदाति भगवा),", | |
"चित्तवूपसमे रता।", | |
"येसं दिवा च रत्तो च,", | |
"भावनाय रतो मनो’’ति॥", | |
"‘‘दुस्समादहं वापि समादहन्ति (कामदाति भगवा),", | |
"इन्द्रियूपसमे रता।", | |
"ते छेत्वा मच्चुनो जालं,", | |
"अरिया गच्छन्ति कामदा’’ति॥", | |
"‘‘दुग्गमे विसमे वापि, अरिया गच्छन्ति कामद।", | |
"अनरिया विसमे मग्गे, पपतन्ति अवंसिरा।", | |
"अरियानं समो मग्गो, अरिया हि विसमे समा’’ति॥", | |
"‘‘सम्बाधे वत ओकासं, अविन्दि भूरिमेधसो।", | |
"यो झानमबुज्झि", | |
"‘‘सम्बाधे वापि विन्दन्ति (पञ्चालचण्डाति भगवा),", | |
"धम्मं निब्बानपत्तिया।", | |
"ये सतिं पच्चलत्थंसु,", | |
"सम्मा ते सुसमाहिता’’ति॥", | |
"‘‘छिन्द सोतं परक्कम्म, कामे पनुद ब्राह्मण।", | |
"नप्पहाय मुनी कामे, नेकत्तमुपपज्जति॥", | |
"‘‘कयिरा चे कयिराथेनं, दळ्हमेनं परक्कमे।", | |
"सिथिलो हि परिब्बाजो, भिय्यो आकिरते रजं॥", | |
"‘‘अकतं", | |
"कतञ्च सुकतं सेय्यो, यं कत्वा नानुतप्पति॥", | |
"‘‘कुसो", | |
"सामञ्ञं दुप्परामट्ठं, निरयायूपकड्ढति॥", | |
"‘‘यं किञ्चि सिथिलं कम्मं, संकिलिट्ठञ्च यं वतं।", | |
"सङ्कस्सरं ब्रह्मचरियं, न तं होति महप्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘छिन्द सोतं परक्कम्म, कामे पनुद ब्राह्मण।", | |
"नप्पहाय मुनी कामे, नेकत्तमुपपज्जति॥", | |
"‘‘कयिरा चे कयिराथेनं, दळ्हमेनं परक्कमे।", | |
"सिथिलो", | |
"‘‘अकतं दुक्कटं सेय्यो, पच्छा तपति दुक्कटं।", | |
"कतञ्च सुकतं सेय्यो, यं कत्वा नानुतप्पति॥", | |
"‘‘कुसो", | |
"सामञ्ञं दुप्परामट्ठं, निरयायूपकड्ढति॥", | |
"‘‘यं", | |
"सङ्कस्सरं ब्रह्मचरियं, न तं होति महप्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘नमो ते बुद्ध वीरत्थु, विप्पमुत्तोसि सब्बधि।", | |
"सम्बाधपटिपन्नोस्मि, तस्स मे सरणं भवा’’ति॥", | |
"‘‘तथागतं अरहन्तं, चन्दिमा सरणं गतो।", | |
"राहु चन्दं पमुञ्चस्सु, बुद्धा लोकानुकम्पका’’ति॥", | |
"‘‘किं नु सन्तरमानोव, राहु चन्दं पमुञ्चसि।", | |
"संविग्गरूपो आगम्म, किं नु भीतोव तिट्ठसी’’ति॥", | |
"‘‘सत्तधा", | |
"बुद्धगाथाभिगीतोम्हि, नो चे मुञ्चेय्य चन्दिम’’न्ति॥", | |
"‘‘नमो ते बुद्ध वीरत्थु, विप्पमुत्तोसि सब्बधि।", | |
"सम्बाधपटिपन्नोस्मि, तस्स मे सरणं भवा’’ति॥", | |
"‘‘तथागतं", | |
"राहु सूरियं", | |
"‘‘यो अन्धकारे तमसि पभङ्करो,", | |
"वेरोचनो मण्डली उग्गतेजो।", | |
"मा", | |
"पजं ममं राहु पमुञ्च सूरिय’’न्ति॥", | |
"‘‘किं नु सन्तरमानोव, राहु सूरियं पमुञ्चसि।", | |
"संविग्गरूपो आगम्म, किं नु भीतोव तिट्ठसी’’ति॥", | |
"‘‘सत्तधा", | |
"बुद्धगाथाभिगीतोम्हि, नो चे मुञ्चेय्य सूरिय’’न्ति॥", | |
"द्वे कस्सपा च माघो च, मागधो दामलि कामदो।", | |
"पञ्चालचण्डो तायनो, चन्दिमसूरियेन ते दसाति॥", | |
"‘‘ते हि सोत्थिं गमिस्सन्ति, कच्छे वामकसे मगा।", | |
"झानानि उपसम्पज्ज, एकोदि निपका सता’’ति॥", | |
"‘‘ते हि पारं गमिस्सन्ति, छेत्वा जालंव अम्बुजो।", | |
"झानानि उपसम्पज्ज, अप्पमत्ता रणञ्जहा’’ति॥", | |
"‘‘सुखिताव ते", | |
"युञ्जं", | |
"‘‘ये", | |
"अनुसिक्खन्ति झायिनो।", | |
"काले ते अप्पमज्जन्ता,", | |
"न मच्चुवसगा सियु’’न्ति॥", | |
"‘‘भिक्खु सिया झायी विमुत्तचित्तो,", | |
"आकङ्खे चे हदयस्सानुपत्तिं।", | |
"लोकस्स ञत्वा उदयब्बयञ्च,", | |
"सुचेतसो अनिस्सितो तदानिसंसो’’ति॥", | |
"‘‘पुच्छामि तं गोतम भूरिपञ्ञ,", | |
"अनावटं भगवतो ञाणदस्सनं।", | |
"कथंविधं", | |
"कथंविधं पञ्ञवन्तं वदन्ति।", | |
"कथंविधो दुक्खमतिच्च इरियति,", | |
"कथंविधं देवता पूजयन्ती’’ति॥", | |
"‘‘यो सीलवा पञ्ञवा भावितत्तो,", | |
"समाहितो झानरतो सतीमा।", | |
"सब्बस्स सोका विगता पहीना,", | |
"खीणासवो अन्तिमदेहधारी॥", | |
"‘‘तथाविधं सीलवन्तं वदन्ति,", | |
"तथाविधं पञ्ञवन्तं वदन्ति।", | |
"तथाविधो दुक्खमतिच्च इरियति,", | |
"तथाविधं देवता पूजयन्ती’’ति॥", | |
"‘‘कथंसु", | |
"अप्पतिट्ठे अनालम्बे, को गम्भीरे न सीदती’’ति॥", | |
"‘‘सब्बदा सीलसम्पन्नो, पञ्ञवा सुसमाहितो।", | |
"आरद्धवीरियो पहितत्तो, ओघं तरति दुत्तरं॥", | |
"‘‘विरतो", | |
"नन्दीरागपरिक्खीणो, सो गम्भीरे न सीदती’’ति॥", | |
"‘‘सत्तिया विय ओमट्ठो, डय्हमानोव", | |
"कामरागप्पहानाय, सतो भिक्खु परिब्बजे’’ति॥", | |
"‘‘सत्तिया विय ओमट्ठो, डय्हमानोव मत्थके।", | |
"सक्कायदिट्ठिप्पहानाय, सतो भिक्खु परिब्बजे’’ति॥", | |
"‘‘निच्चं उत्रस्तमिदं चित्तं, निच्चं उब्बिग्गमिदं", | |
"अनुप्पन्नेसु", | |
"सचे अत्थि अनुत्रस्तं, तं मे अक्खाहि पुच्छितो’’ति॥", | |
"‘‘नाञ्ञत्र बोज्झा तपसा", | |
"नाञ्ञत्र सब्बनिस्सग्गा, सोत्थिं पस्सामि पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘कच्चि", | |
"कच्चि तं एकमासीनं, अरती नाभिकीरती’’ति॥", | |
"‘‘अनघो वे अहं यक्ख, अथो नन्दी न विज्जति।", | |
"अथो मं एकमासीनं, अरती नाभिकीरती’’ति॥", | |
"‘‘कथं त्वं अनघो भिक्खु, कथं नन्दी न विज्जति।", | |
"कथं तं एकमासीनं, अरती नाभिकीरती’’ति॥", | |
"‘‘अघजातस्स वे नन्दी, नन्दीजातस्स वे अघं।", | |
"अनन्दी अनघो भिक्खु, एवं जानाहि आवुसो’’ति॥", | |
"‘‘चिरस्सं वत पस्सामि, ब्राह्मणं परिनिब्बुतं।", | |
"अनन्दिं अनघं भिक्खुं, तिण्णं लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘उपनीयति", | |
"जरूपनीतस्स न सन्ति ताणा।", | |
"एतं", | |
"पुञ्ञानि कयिराथ सुखावहानी’’ति॥", | |
"‘‘उपनीयति जीवितमप्पमायु,", | |
"जरूपनीतस्स न सन्ति ताणा।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"लोकामिसं पजहे सन्तिपेक्खो’’ति॥", | |
"‘‘इदञ्हि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं।", | |
"आवुत्थं धम्मराजेन, पीतिसञ्जननं मम॥", | |
"‘‘कम्मं", | |
"एतेन मच्चा सुज्झन्ति, न गोत्तेन धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा हि पण्डितो पोसो, सम्पस्सं अत्थमत्तनो।", | |
"योनिसो", | |
"‘‘सारिपुत्तोव पञ्ञाय, सीलेन उपसमेन च।", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"‘‘इदञ्हि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं।", | |
"आवुत्थं धम्मराजेन, पीतिसञ्जननं मम॥", | |
"‘‘कम्मं विज्जा च धम्मो च, सीलं जीवितमुत्तमं।", | |
"एतेन मच्चा सुज्झन्ति, न गोत्तेन धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा हि पण्डितो पोसो, सम्पस्सं अत्थमत्तनो।", | |
"योनिसो विचिने धम्मं, एवं तत्थ विसुज्झति॥", | |
"‘‘सारिपुत्तोव पञ्ञाय, सीलेन उपसमेन च।", | |
"योपि पारङ्गतो भिक्खु, एतावपरमो सिया’’ति॥", | |
"चन्दिमसो", | |
"चन्दनो वासुदत्तो च, सुब्रह्मा ककुधेन च।", | |
"उत्तरो नवमो वुत्तो, दसमो अनाथपिण्डिकोति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सेय्यो होति न पापियो॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, पञ्ञा लब्भति नाञ्ञतो॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सोकमज्झे न सोचति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं", | |
"‘‘सब्भिरेव", | |
"सतं", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सत्ता तिट्ठन्ति सातत’’न्ति॥", | |
"‘‘सब्भिरेव समासेथ, सब्भि कुब्बेथ सन्थवं।", | |
"सतं सद्धम्ममञ्ञाय, सब्बदुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘चरन्ति बाला दुम्मेधा, अमित्तेनेव अत्तना।", | |
"करोन्ता पापकं कम्मं, यं होति कटुकप्फलं॥", | |
"‘‘न तं कम्मं कतं साधु, यं कत्वा अनुतप्पति।", | |
"यस्स अस्सुमुखो रोदं, विपाकं पटिसेवति॥", | |
"‘‘तञ्च कम्मं कतं साधु, यं कत्वा नानुतप्पति।", | |
"यस्स पतीतो सुमनो, विपाकं पटिसेवति॥", | |
"‘‘पटिकच्चेव", | |
"न साकटिकचिन्ताय, मन्ता धीरो परक्कमे॥", | |
"‘‘यथा साकटिको मट्ठं", | |
"विसमं मग्गमारुय्ह, अक्खच्छिन्नोव झायति॥", | |
"‘‘एवं", | |
"मन्दो मच्चुमुखं पत्तो, अक्खच्छिन्नोव झायती’’ति॥", | |
"‘‘अन्नमेवाभिनन्दन्ति", | |
"अथ को नाम सो यक्खो, यं अन्नं नाभिनन्दती’’ति॥", | |
"‘‘ये नं ददन्ति सद्धाय, विप्पसन्नेन चेतसा।", | |
"तमेव अन्नं भजति, अस्मिं लोके परम्हि च॥", | |
"‘‘तस्मा विनेय्य मच्छेरं, दज्जा दानं मलाभिभू।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘ये नं ददन्ति सद्धाय, विप्पसन्नेन चेतसा।", | |
"तमेव अन्नं भजति, अस्मिं लोके परम्हि च॥", | |
"‘‘तस्मा विनेय्य मच्छेरं, दज्जा दानं मलाभिभू।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘ये", | |
"तमेव अन्नं भजति, अस्मिं लोके परम्हि च॥", | |
"‘‘तस्मा विनेय्य मच्छेरं, दज्जा दानं मलाभिभू।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘अविहं उपपन्नासे, विमुत्ता सत्त भिक्खवो।", | |
"रागदोसपरिक्खीणा, तिण्णा लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘के च ते अतरुं पङ्कं, मच्चुधेय्यं सुदुत्तरं।", | |
"के हित्वा मानुसं देहं, दिब्बयोगं उपच्चगु’’न्ति॥", | |
"‘‘उपको पलगण्डो", | |
"भद्दियो खण्डदेवो च, बाहुरग्गि च सङ्गियो", | |
"ते हित्वा मानुसं देहं, दिब्बयोगं उपच्चगु’’न्ति॥", | |
"‘‘कुसली भाससी तेसं, मारपासप्पहायिनं।", | |
"कस्स ते धम्ममञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘न", | |
"यस्स ते धम्ममञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धनं॥", | |
"‘‘यत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झति।", | |
"तं ते धम्मं इधञ्ञाय, अच्छिदुं भवबन्धन’’न्ति॥", | |
"‘‘गम्भीरं", | |
"कस्स त्वं धम्ममञ्ञाय, वाचं भाससि ईदिस’’न्ति॥", | |
"‘‘कुम्भकारो पुरे आसिं, वेकळिङ्गे घटीकरो।", | |
"मातापेत्तिभरो आसिं, कस्सपस्स उपासको॥", | |
"‘‘विरतो मेथुना धम्मा, ब्रह्मचारी निरामिसो।", | |
"अहुवा ते सगामेय्यो, अहुवा ते पुरे सखा॥", | |
"‘‘सोहमेते पजानामि, विमुत्ते सत्त भिक्खवो।", | |
"रागदोसपरिक्खीणे, तिण्णे लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘एवमेतं तदा आसि, यथा भाससि भग्गव।", | |
"कुम्भकारो पुरे आसि, वेकळिङ्गे घटीकरो॥", | |
"‘‘मातापेत्तिभरो", | |
"विरतो मेथुना धम्मा, ब्रह्मचारी निरामिसो।", | |
"अहुवा मे सगामेय्यो, अहुवा मे पुरे सखा’’ति॥", | |
"‘‘एवमेतं पुराणानं, सहायानं अहु सङ्गमो।", | |
"उभिन्नं भावितत्तानं, सरीरन्तिमधारिन’’न्ति॥", | |
"‘‘सुखजीविनो पुरे आसुं, भिक्खू गोतमसावका।", | |
"अनिच्छा पिण्डमेसना", | |
"लोके अनिच्चतं ञत्वा, दुक्खस्सन्तं अकंसु ते॥", | |
"‘‘दुप्पोसं कत्वा अत्तानं, गामे गामणिका विय।", | |
"भुत्वा भुत्वा निपज्जन्ति, परागारेसु मुच्छिता॥", | |
"‘‘सङ्घस्स अञ्जलिं कत्वा, इधेकच्चे वदामहं", | |
"अपविद्धा अनाथा ते, यथा पेता तथेव ते", | |
"‘‘ये खो पमत्ता विहरन्ति, ते मे सन्धाय भासितं।", | |
"ये अप्पमत्ता विहरन्ति, नमो तेसं करोमह’’न्ति॥", | |
"‘‘गमनेन न पत्तब्बो, लोकस्सन्तो कुदाचनं।", | |
"न च अप्पत्वा लोकन्तं, दुक्खा अत्थि पमोचनं॥", | |
"‘‘तस्मा", | |
"लोकन्तगू वुसितब्रह्मचरियो।", | |
"लोकस्स अन्तं समितावि ञत्वा,", | |
"नासीसति लोकमिमं परञ्चा’’ति॥", | |
"‘‘अच्चेन्ति काला तरयन्ति रत्तियो,", | |
"वयोगुणा अनुपुब्बं जहन्ति।", | |
"एतं", | |
"पुञ्ञानि कयिराथ सुखावहानी’’ति॥", | |
"‘‘अच्चेन्ति काला तरयन्ति रत्तियो,", | |
"वयोगुणा अनुपुब्बं जहन्ति।", | |
"एतं भयं मरणे पेक्खमानो,", | |
"लोकामिसं पजहे सन्तिपेक्खो’’ति॥", | |
"‘‘चतुचक्कं नवद्वारं, पुण्णं लोभेन संयुतं।", | |
"पङ्कजातं महावीर, कथं यात्रा भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘छेत्वा नद्धिं वरत्तञ्च, इच्छालोभञ्च पापकं।", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, एवं यात्रा भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘पण्डितोति समञ्ञातो, सारिपुत्तो अकोधनो।", | |
"अप्पिच्छो सोरतो दन्तो, सत्थुवण्णाभतो इसी’’ति॥", | |
"‘‘पण्डितोति समञ्ञातो, सारिपुत्तो अकोधनो।", | |
"अप्पिच्छो सोरतो दन्तो, कालं कङ्खति सुदन्तो’’", | |
"‘‘इध छिन्दितमारिते, हतजानीसु कस्सपो।", | |
"न पापं समनुपस्सति, पुञ्ञं वा पन अत्तनो।", | |
"स वे विस्सासमाचिक्खि, सत्था अरहति मानन’’न्ति॥", | |
"‘‘तपोजिगुच्छाय सुसंवुतत्तो,", | |
"वाचं पहाय कलहं जनेन।", | |
"समोसवज्जा विरतो सच्चवादी,", | |
"न हि नून तादिसं करोति", | |
"‘‘जेगुच्छी", | |
"दिट्ठं सुतञ्च आचिक्खं, न हि नून किब्बिसी सिया’’ति॥", | |
"‘‘पकुधको कातियानो निगण्ठो,", | |
"ये चापिमे मक्खलिपूरणासे।", | |
"गणस्स", | |
"न हि नून ते सप्पुरिसेहि दूरे’’ति॥", | |
"‘‘सहाचरितेन", | |
"न कोत्थुको सीहसमो कदाचि।", | |
"नग्गो मुसावादी गणस्स सत्था,", | |
"सङ्कस्सराचारो न सतं सरिक्खो’’ति॥", | |
"‘‘तपोजिगुच्छाय आयुत्ता, पालयं पविवेकियं।", | |
"रूपे च ये निविट्ठासे, देवलोकाभिनन्दिनो।", | |
"ते वे सम्मानुसासन्ति, परलोकाय मातिया’’ति॥", | |
"‘‘ये केचि रूपा इध वा हुरं वा,", | |
"ये चन्तलिक्खस्मिं पभासवण्णा।", | |
"सब्बेव ते ते नमुचिप्पसत्था,", | |
"आमिसंव मच्छानं वधाय खित्ता’’ति॥", | |
"‘‘विपुलो", | |
"सेतो हिमवतं सेट्ठो, आदिच्चो अघगामिनं॥", | |
"‘‘समुद्दो उदधिनं सेट्ठो, नक्खत्तानञ्च चन्दिमा", | |
"सदेवकस्स लोकस्स, बुद्धो अग्गो पवुच्चती’’ति॥", | |
"सिवो खेमो च सेरी च, घटी जन्तु च रोहितो।", | |
"नन्दो नन्दिविसालो च, सुसिमो नानातित्थियेन ते दसाति॥", | |
"‘‘खत्तियं जातिसम्पन्नं, अभिजातं यसस्सिनं।", | |
"दहरोति नावजानेय्य, न नं परिभवे नरो॥", | |
"‘‘ठानञ्हि सो मनुजिन्दो, रज्जं लद्धान खत्तियो।", | |
"सो कुद्धो राजदण्डेन, तस्मिं पक्कमते भुसं।", | |
"तस्मा तं परिवज्जेय्य, रक्खं जीवितमत्तनो॥", | |
"‘‘गामे वा यदि वा रञ्ञे, यत्थ पस्से भुजङ्गमं।", | |
"दहरोति नावजानेय्य, न नं परिभवे नरो॥", | |
"‘‘उच्चावचेहि", | |
"सो आसज्ज डंसे बालं, नरं नारिञ्च एकदा।", | |
"तस्मा तं परिवज्जेय्य, रक्खं जीवितमत्तनो॥", | |
"‘‘पहूतभक्खं जालिनं, पावकं कण्हवत्तनिं।", | |
"दहरोति नावजानेय्य, न नं परिभवे नरो॥", | |
"‘‘लद्धा हि सो उपादानं, महा हुत्वान पावको।", | |
"सो आसज्ज डहे", | |
"तस्मा तं परिवज्जेय्य, रक्खं जीवितमत्तनो॥", | |
"‘‘वनं यदग्गि डहति", | |
"जायन्ति तत्थ पारोहा, अहोरत्तानमच्चये॥", | |
"‘‘यञ्च", | |
"न तस्स पुत्ता पसवो, दायादा विन्दरे धनं।", | |
"अनपच्चा अदायादा, तालावत्थू भवन्ति ते॥", | |
"‘‘तस्मा", | |
"भुजङ्गमं पावकञ्च, खत्तियञ्च यसस्सिनं।", | |
"भिक्खुञ्च सीलसम्पन्नं, सम्मदेव समाचरे’’ति॥", | |
"‘‘लोभो", | |
"हिंसन्ति अत्तसम्भूता, तचसारंव सम्फल’’न्ति", | |
"‘‘जीरन्ति वे राजरथा सुचित्ता,", | |
"अथो सरीरम्पि जरं उपेति।", | |
"सतञ्च धम्मो न जरं उपेति,", | |
"सन्तो हवे सब्भि पवेदयन्ती’’ति॥", | |
"‘‘अत्तानञ्चे पियं जञ्ञा, न नं पापेन संयुजे।", | |
"न हि तं सुलभं होति, सुखं दुक्कटकारिना॥", | |
"‘‘अन्तकेनाधिपन्नस्स, जहतो मानुसं भवं।", | |
"किञ्हि तस्स सकं होति, किञ्च आदाय गच्छति।", | |
"किञ्चस्स अनुगं होति, छायाव अनपायिनी", | |
"‘‘उभो", | |
"तञ्हि तस्स सकं होति, तञ्च", | |
"तञ्चस्स", | |
"‘‘तस्मा करेय्य कल्याणं, निचयं सम्परायिकं।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘कायेन संवरो साधु, साधु वाचाय संवरो।", | |
"मनसा संवरो साधु, साधु सब्बत्थ संवरो।", | |
"सब्बत्थ संवुतो लज्जी, रक्खितोति पवुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘सारत्ता कामभोगेसु, गिद्धा कामेसु मुच्छिता।", | |
"अतिसारं न बुज्झन्ति, मिगा कूटंव ओड्डितं।", | |
"पच्छासं कटुकं होति, विपाको हिस्स पापको’’ति॥", | |
"‘‘सारत्ता कामभोगेसु, गिद्धा कामेसु मुच्छिता।", | |
"अतिसारं न बुज्झन्ति, मच्छा खिप्पंव ओड्डितं।", | |
"पच्छासं कटुकं होति, विपाको हिस्स पापको’’ति॥", | |
"‘‘सब्बा दिसा अनुपरिगम्म चेतसा,", | |
"नेवज्झगा पियतरमत्तना क्वचि।", | |
"एवं पियो पुथु अत्ता परेसं,", | |
"तस्मा न हिंसे परमत्तकामो’’ति॥", | |
"‘‘अस्समेधं पुरिसमेधं, सम्मापासं वाजपेय्यं निरग्गळ्हं।", | |
"महायञ्ञा महारम्भा", | |
"‘‘अजेळका च गावो च, विविधा यत्थ हञ्ञरे।", | |
"न तं सम्मग्गता यञ्ञं, उपयन्ति महेसिनो॥", | |
"‘‘ये च यञ्ञा निरारम्भा, यजन्ति अनुकुलं सदा।", | |
"अजेळका च गावो च, विविधा नेत्थ हञ्ञरे।", | |
"एतं", | |
"‘‘एतं यजेथ मेधावी, एसो यञ्ञो महप्फलो।", | |
"एतञ्हि यजमानस्स, सेय्यो होति न पापियो।", | |
"यञ्ञो च विपुलो होति, पसीदन्ति च देवता’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"यदायसं दारुजं पब्बजञ्च।", | |
"सारत्तरत्ता मणिकुण्डलेसु,", | |
"पुत्तेसु दारेसु च या अपेक्खा॥", | |
"‘‘एतं दळ्हं बन्धनमाहु धीरा,", | |
"ओहारिनं सिथिलं दुप्पमुञ्चं।", | |
"एतम्पि छेत्वान परिब्बजन्ति,", | |
"अनपेक्खिनो कामसुखं पहाया’’ति॥", | |
"दहरो पुरिसो जरा, पियं अत्तानरक्खितो।", | |
"अप्पका अड्डकरणं, मल्लिका यञ्ञबन्धनन्ति॥", | |
"‘‘न वण्णरूपेन नरो सुजानो,", | |
"न विस्ससे इत्तरदस्सनेन।", | |
"सुसञ्ञतानञ्हि वियञ्जनेन,", | |
"असञ्ञता लोकमिमं चरन्ति॥", | |
"‘‘पतिरूपको मत्तिकाकुण्डलोव,", | |
"लोहड्ढमासोव सुवण्णछन्नो।", | |
"चरन्ति", | |
"अन्तो असुद्धा बहि सोभमाना’’ति॥", | |
"‘‘पदुमं", | |
"पातो सिया फुल्लमवीतगन्धं।", | |
"अङ्गीरसं पस्स विरोचमानं,", | |
"तपन्तमादिच्चमिवन्तलिक्खे’’ति॥", | |
"‘‘मनुजस्स सदा सतीमतो,", | |
"मत्तं जानतो लद्धभोजने।", | |
"तनुकस्स", | |
"सणिकं जीरति आयुपालय’’न्ति॥", | |
"‘‘मनुजस्स", | |
"मत्तं जानतो लद्धभोजने।", | |
"तनुकस्स", | |
"सणिकं जीरति आयुपालय’’न्ति॥", | |
"‘‘जयं वेरं पसवति, दुक्खं सेति पराजितो।", | |
"उपसन्तो सुखं सेति, हित्वा जयपराजय’’न्ति॥", | |
"‘‘विलुम्पतेव पुरिसो, यावस्स उपकप्पति।", | |
"यदा चञ्ञे विलुम्पन्ति, सो विलुत्तो विलुप्पति", | |
"‘‘ठानञ्हि मञ्ञति बालो, याव पापं न पच्चति।", | |
"यदा च पच्चति पापं, अथ दुक्खं निगच्छति॥", | |
"‘‘हन्ता लभति", | |
"अक्कोसको च अक्कोसं, रोसेतारञ्च रोसको।", | |
"अथ कम्मविवट्टेन, सो विलुत्तो विलुप्पती’’ति॥", | |
"‘‘इत्थीपि हि एकच्चिया, सेय्या पोस जनाधिप।", | |
"मेधाविनी सीलवती, सस्सुदेवा पतिब्बता॥", | |
"‘‘तस्सा", | |
"तादिसा सुभगिया", | |
"‘‘आयुं अरोगियं वण्णं, सग्गं उच्चाकुलीनतं।", | |
"रतियो पत्थयन्तेन, उळारा अपरापरा॥", | |
"‘‘अप्पमादं पसंसन्ति, पुञ्ञकिरियासु पण्डिता।", | |
"अप्पमत्तो उभो अत्थे, अधिग्गण्हाति पण्डितो॥", | |
"‘‘दिट्ठे", | |
"अत्थाभिसमया धीरो, पण्डितोति पवुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘भोगे", | |
"अप्पमादं पसंसन्ति, पुञ्ञकिरियासु पण्डिता॥", | |
"‘‘अप्पमत्तो उभो अत्थे, अधिग्गण्हाति पण्डितो।", | |
"दिट्ठे", | |
"अत्थाभिसमया धीरो, पण्डितोति पवुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘अमनुस्सट्ठाने", | |
"तदपेय्यमानं परिसोसमेति।", | |
"एवं धनं कापुरिसो लभित्वा,", | |
"नेवत्तना भुञ्जति नो ददाति॥", | |
"धीरो च विञ्ञू अधिगम्म भोगे,", | |
"सो भुञ्जति किच्चकरो च होति।", | |
"सो ञातिसङ्घं निसभो भरित्वा,", | |
"अनिन्दितो सग्गमुपेति ठान’’न्ति॥", | |
"‘‘धञ्ञं धनं रजतं जातरूपं, परिग्गहं वापि यदत्थि किञ्चि।", | |
"दासा कम्मकरा पेस्सा, ये चस्स अनुजीविनो॥", | |
"‘‘सब्बं", | |
"यञ्च करोति कायेन, वाचाय उद चेतसा॥", | |
"‘‘तञ्हि तस्स सकं होति, तञ्च आदाय गच्छति।", | |
"तञ्चस्स अनुगं होति, छायाव अनपायिनी॥", | |
"‘‘तस्मा करेय्य कल्याणं, निचयं सम्परायिकं।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"जटिला पञ्च राजानो, दोणपाककुरेन च।", | |
"सङ्गामेन द्वे वुत्तानि, मल्लिका", | |
"अपुत्तकेन द्वे वुत्ता, वग्गो तेन पवुच्चतीति॥", | |
"‘‘दलिद्दो पुरिसो राज, अस्सद्धो होति मच्छरी।", | |
"कदरियो पापसङ्कप्पो, मिच्छादिट्ठि अनादरो॥", | |
"‘‘समणे ब्राह्मणे वापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके।", | |
"अक्कोसति परिभासति, नत्थिको होति रोसको॥", | |
"‘‘ददमानं निवारेति, याचमानान भोजनं।", | |
"तादिसो पुरिसो राज, मीयमानो जनाधिप।", | |
"उपेति निरयं घोरं, तमोतमपरायनो॥", | |
"‘‘दलिद्दो पुरिसो राज, सद्धो होति अमच्छरी।", | |
"ददाति", | |
"‘‘समणे ब्राह्मणे वापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके।", | |
"उट्ठाय अभिवादेति, समचरियाय सिक्खति॥", | |
"‘‘ददमानं", | |
"तादिसो पुरिसो राज, मीयमानो जनाधिप।", | |
"उपेति तिदिवं ठानं, तमोजोतिपरायनो॥", | |
"‘‘अड्ढो", | |
"कदरियो पापसङ्कप्पो, मिच्छादिट्ठि अनादरो॥", | |
"‘‘समणे ब्राह्मणे वापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके।", | |
"अक्कोसति परिभासति, नत्थिको होति रोसको॥", | |
"‘‘ददमानं निवारेति, याचमानान भोजनं।", | |
"तादिसो पुरिसो राज, मीयमानो जनाधिप।", | |
"उपेति निरयं घोरं, जोतितमपरायनो॥", | |
"‘‘अड्ढो चे पुरिसो राज, सद्धो होति अमच्छरी।", | |
"ददाति सेट्ठसङ्कप्पो, अब्यग्गमनसो नरो॥", | |
"‘‘समणे ब्राह्मणे वापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके।", | |
"उट्ठाय अभिवादेति, समचरियाय सिक्खति॥", | |
"‘‘ददमानं न वारेति, याचमानान भोजनं।", | |
"तादिसो पुरिसो राज, मीयमानो जनाधिप।", | |
"उपेति तिदिवं ठानं, जोतिजोतिपरायनो’’ति॥", | |
"‘‘सब्बे सत्ता मरिस्सन्ति, मरणन्तञ्हि जीवितं।", | |
"यथाकम्मं गमिस्सन्ति, पुञ्ञपापफलूपगा।", | |
"निरयं पापकम्मन्ता, पुञ्ञकम्मा च सुग्गतिं॥", | |
"‘‘तस्मा करेय्य कल्याणं, निचयं सम्परायिकं।", | |
"पुञ्ञानि परलोकस्मिं, पतिट्ठा होन्ति पाणिन’’न्ति॥", | |
"‘‘लोभो", | |
"हिंसन्ति अत्तसम्भूता, तचसारंव सम्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘इस्सत्तं", | |
"तं युद्धत्थो भरे राजा, नासूरं जातिपच्चया॥", | |
"‘‘तथेव खन्तिसोरच्चं, धम्मा यस्मिं पतिट्ठिता।", | |
"अरियवुत्तिं मेधाविं, हीनजच्चम्पि पूजये॥", | |
"‘‘कारये अस्समे रम्मे, वासयेत्थ बहुस्सुते।", | |
"पपञ्च विवने कयिरा, दुग्गे सङ्कमनानि च॥", | |
"‘‘अन्नं", | |
"ददेय्य उजुभूतेसु, विप्पसन्नेन चेतसा॥", | |
"‘‘यथा हि मेघो थनयं, विज्जुमाली सतक्ककु।", | |
"थलं निन्नञ्च पूरेति, अभिवस्सं वसुन्धरं॥", | |
"‘‘तथेव सद्धो सुतवा, अभिसङ्खच्च भोजनं।", | |
"वनिब्बके तप्पयति, अन्नपानेन पण्डितो॥", | |
"‘‘आमोदमानो पकिरेति, देथ देथाति भासति।", | |
"तं", | |
"सा पुञ्ञधारा विपुला, दातारं अभिवस्सती’’ति॥", | |
"‘‘यथापि", | |
"समन्तानुपरियायेय्युं, निप्पोथेन्तो चतुद्दिसा॥", | |
"‘‘एवं जरा च मच्चु च, अधिवत्तन्ति पाणिने", | |
"खत्तिये ब्राह्मणे वेस्से, सुद्दे चण्डालपुक्कुसे।", | |
"न", | |
"‘‘न तत्थ हत्थीनं भूमि, न रथानं न पत्तिया।", | |
"न चापि मन्तयुद्धेन, सक्का जेतुं धनेन वा॥", | |
"‘‘तस्मा हि पण्डितो पोसो, सम्पस्सं अत्थमत्तनो।", | |
"बुद्धे धम्मे च सङ्घे च, धीरो सद्धं निवेसये॥", | |
"‘‘यो", | |
"इधेव नं पसंसन्ति, पेच्च सग्गे पमोदती’’ति॥", | |
"पुग्गलो अय्यिका लोको, इस्सत्तं", | |
"देसितं बुद्धसेट्ठेन, इमं कोसलपञ्चकन्ति॥", | |
"‘‘तपोकम्मा अपक्कम्म, येन न सुज्झन्ति माणवा।", | |
"असुद्धो मञ्ञसि सुद्धो, सुद्धिमग्गा अपरद्धो’’", | |
"‘‘अनत्थसंहितं", | |
"सब्बं नत्थावहं होति, फियारित्तंव धम्मनि", | |
"‘‘सीलं समाधि पञ्ञञ्च, मग्गं बोधाय भावयं।", | |
"पत्तोस्मि परमं सुद्धिं, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘संसरं दीघमद्धानं, वण्णं कत्वा सुभासुभं।", | |
"अलं ते तेन पापिम, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘संसरं", | |
"अलं ते तेन पापिम, निहतो त्वमसि अन्तक॥", | |
"‘‘ये", | |
"न ते मारवसानुगा, न ते मारस्स बद्धगू’’", | |
"‘‘बद्धोसि मारपासेन, ये दिब्बा ये च मानुसा।", | |
"मारबन्धनबद्धोसि, न मे समण मोक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘मुत्ताहं", | |
"मारबन्धनमुत्तोम्हि, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘बद्धोसि सब्बपासेहि, ये दिब्बा ये च मानुसा।", | |
"महाबन्धनबद्धोसि, न मे समण मोक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘मुत्ताहं सब्बपासेहि, ये दिब्बा ये च मानुसा।", | |
"महाबन्धनमुत्तोम्हि, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘यो सुञ्ञगेहानि सेवति,", | |
"सेय्यो सो मुनि अत्तसञ्ञतो।", | |
"वोस्सज्ज चरेय्य तत्थ सो,", | |
"पतिरूपञ्हि तथाविधस्स तं॥", | |
"‘‘चरका", | |
"अथो डंससरीसपा", | |
"लोमम्पि", | |
"सुञ्ञागारगतो महामुनि॥", | |
"‘‘नभं", | |
"सब्बेपि पाणा उद सन्तसेय्युं।", | |
"सल्लम्पि चे उरसि पकप्पयेय्युं,", | |
"उपधीसु ताणं न करोन्ति बुद्धा’’ति॥", | |
"‘‘किं सोप्पसि किं नु सोप्पसि,", | |
"किमिदं सोप्पसि दुब्भगो", | |
"सुञ्ञमगारन्ति सोप्पसि,", | |
"किमिदं सोप्पसि सूरिये उग्गते’’ति॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"तण्हा नत्थि कुहिञ्चि नेतवे।", | |
"सब्बूपधिपरिक्खया बुद्धो,", | |
"सोप्पति किं तवेत्थ मारा’’ति॥", | |
"‘‘नन्दति पुत्तेहि पुत्तिमा, गोमा गोभि तथेव नन्दति।", | |
"उपधीहि", | |
"‘‘सोचति", | |
"उपधीहि नरस्स सोचना, न हि सो सोचति यो निरूपधी’’ति॥", | |
"‘‘दीघमायु मनुस्सानं, न नं हीळे सुपोरिसो।", | |
"चरेय्य खीरमत्तोव, नत्थि मच्चुस्स आगमो’’ति॥", | |
"‘‘अप्पमायु मनुस्सानं, हीळेय्य नं सुपोरिसो।", | |
"चरेय्यादित्तसीसोव, नत्थि मच्चुस्स नागमो’’ति॥", | |
"‘‘नाच्चयन्ति", | |
"आयु अनुपरियायति, मच्चानं नेमीव रथकुब्बर’’न्ति॥", | |
"‘‘अच्चयन्ति अहोरत्ता, जीवितं उपरुज्झति।", | |
"आयु खीयति मच्चानं, कुन्नदीनंव ओदक’’न्ति॥", | |
"तपोकम्मञ्च नागो च, सुभं पासेन ते दुवे।", | |
"सप्पो सुपति नन्दनं, आयुना अपरे दुवेति॥", | |
"‘‘सचेपि केवलं सब्बं, गिज्झकूटं चलेस्ससि", | |
"नेव सम्माविमुत्तानं, बुद्धानं अत्थि इञ्जित’’न्ति॥", | |
"‘‘किन्नु", | |
"पटिमल्लो हि ते अत्थि, विजितावी नु मञ्ञसी’’ति॥", | |
"‘‘नदन्ति वे महावीरा, परिसासु विसारदा।", | |
"तथागता बलप्पत्ता, तिण्णा लोके विसत्तिक’’न्ति॥", | |
"‘‘मन्दिया नु खो सेसि उदाहु कावेय्यमत्तो,", | |
"अत्था नु ते सम्पचुरा न सन्ति।", | |
"एको विवित्ते सयनासनम्हि,", | |
"निद्दामुखो किमिदं सोप्पसे वा’’ति॥", | |
"‘‘न मन्दिया सयामि नापि कावेय्यमत्तो,", | |
"अत्थं समेच्चाहमपेतसोको।", | |
"एको विवित्ते सयनासनम्हि,", | |
"सयामहं सब्बभूतानुकम्पी॥", | |
"‘‘येसम्पि सल्लं उरसि पविट्ठं,", | |
"मुहुं मुहुं हदयं वेधमानं।", | |
"तेपीध", | |
"तस्मा", | |
"‘‘जग्गं न सङ्के नपि भेमि सोत्तुं,", | |
"रत्तिन्दिवा नानुतपन्ति मामं।", | |
"हानिं न पस्सामि कुहिञ्चि लोके,", | |
"तस्मा सुपे सब्बभूतानुकम्पी’’ति॥", | |
"‘‘नेतं तव पतिरूपं, यदञ्ञमनुसाससि।", | |
"अनुरोधविरोधेसु, मा सज्जित्थो तदाचर’’न्ति॥", | |
"‘‘हितानुकम्पी सम्बुद्धो, यदञ्ञमनुसासति।", | |
"अनुरोधविरोधेहि, विप्पमुत्तो तथागतो’’ति॥", | |
"‘‘अन्तलिक्खचरो पासो, य्वायं चरति मानसो।", | |
"तेन तं बाधयिस्सामि, न मे समण मोक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘रूपा सद्दा रसा गन्धा, फोट्ठब्बा च मनोरमा।", | |
"एत्थ मे विगतो छन्दो, निहतो त्वमसि अन्तका’’ति॥", | |
"‘‘रूपं वेदयितं सञ्ञा, विञ्ञाणं यञ्च सङ्खतं।", | |
"नेसोहमस्मि नेतं मे, एवं तत्थ विरज्जति॥", | |
"‘‘एवं विरत्तं खेमत्तं, सब्बसंयोजनातिगं।", | |
"अन्वेसं सब्बट्ठानेसु, मारसेनापि नाज्झगा’’ति॥", | |
"‘‘रूपा सद्दा रसा गन्धा, फस्सा धम्मा च केवला।", | |
"एतं लोकामिसं घोरं, एत्थ लोको विमुच्छितो॥", | |
"‘‘एतञ्च समतिक्कम्म, सतो बुद्धस्स सावको।", | |
"मारधेय्यं अतिक्कम्म, आदिच्चोव विरोचती’’ति॥", | |
"‘‘अपुञ्ञं पसवि मारो, आसज्ज नं तथागतं।", | |
"किं नु मञ्ञसि पापिम, न मे पापं विपच्चति॥", | |
"‘‘सुसुखं वत जीवाम, येसं नो नत्थि किञ्चनं।", | |
"पीतिभक्खा भविस्साम, देवा आभस्सरा यथा’’ति॥", | |
"‘‘यं वदन्ति मम यिदन्ति, ये वदन्ति ममन्ति च।", | |
"एत्थ चे ते मनो अत्थि, न मे समण मोक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘यं वदन्ति न तं मय्हं, ये वदन्ति न ते अहं।", | |
"एवं पापिम जानाहि, न मे मग्गम्पि दक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘पब्बतस्स", | |
"द्वित्ताव नालमेकस्स, इति विद्वा समञ्चरे॥", | |
"‘‘यो दुक्खमद्दक्खि यतोनिदानं,", | |
"कामेसु सो जन्तु कथं नमेय्य।", | |
"उपधिं विदित्वा सङ्गोति लोके,", | |
"तस्सेव जन्तु विनयाय सिक्खे’’ति॥", | |
"पासाणो सीहो सकलिकं", | |
"पत्तं आयतनं पिण्डं, कस्सकं रज्जेन ते दसाति॥", | |
"‘‘यो", | |
"कामेसु सो जन्तु कथं नमेय्य।", | |
"उपधिं विदित्वा सङ्गोति लोके,", | |
"तस्सेव जन्तु विनयाय सिक्खे’’ति॥", | |
"‘‘सद्धायाहं पब्बजितो, अगारस्मा अनगारियं।", | |
"सति पञ्ञा च मे बुद्धा, चित्तञ्च सुसमाहितं।", | |
"कामं करस्सु रूपानि, नेव मं ब्याधयिस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘महावीर महापञ्ञ, इद्धिया यससा जल।", | |
"सब्बवेरभयातीत, पादे वन्दामि चक्खुम॥", | |
"‘‘सावको ते महावीर, मरणं मरणाभिभू।", | |
"आकङ्खति चेतयति, तं निसेध जुतिन्धर॥", | |
"‘‘कथञ्हि भगवा तुय्हं, सावको सासने रतो।", | |
"अप्पत्तमानसो सेक्खो, कालं कयिरा जनेसुता’’ति॥", | |
"‘‘एवञ्हि", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, गोधिको परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘उद्धं अधो च तिरियं, दिसा अनुदिसा स्वहं।", | |
"अन्वेसं नाधिगच्छामि, गोधिको सो कुहिं गतो’’ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"अहोरत्तं अनुयुञ्जं, जीवितं अनिकामयं॥", | |
"‘‘जेत्वान", | |
"समूलं तण्हमब्बुय्ह, गोधिको परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘तस्स सोकपरेतस्स, वीणा कच्छा अभस्सथ।", | |
"ततो सो दुम्मनो यक्खो, तत्थेवन्तरधायथा’’ति", | |
"‘‘सोकावतिण्णो", | |
"वित्तं नु जीनो उद पत्थयानो।", | |
"आगुं नु गामस्मिमकासि किञ्चि,", | |
"कस्मा", | |
"सक्खी न सम्पज्जति केनचि ते’’ति॥", | |
"‘‘सोकस्स", | |
"अनागु झायामि असोचमानो।", | |
"छेत्वान सब्बं भवलोभजप्पं,", | |
"अनासवो झायामि पमत्तबन्धू’’ति॥", | |
"‘‘यं वदन्ति मम यिदन्ति, ये वदन्ति ममन्ति च।", | |
"एत्थ चे ते मनो अत्थि, न मे समण मोक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘यं", | |
"एवं पापिम जानाहि, न मे मग्गम्पि दक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘सचे मग्गं अनुबुद्धं, खेमं अमतगामिनं।", | |
"अपेहि गच्छ त्वमेवेको, किमञ्ञमनुसाससी’’ति॥", | |
"‘‘अमच्चुधेय्यं पुच्छन्ति, ये जना पारगामिनो।", | |
"तेसाहं पुट्ठो अक्खामि, यं सच्चं तं निरूपधि’’न्ति॥", | |
"‘‘मेदवण्णञ्च पासाणं, वायसो अनुपरियगा।", | |
"अपेत्थ मुदुं विन्देम, अपि अस्सादना सिया॥", | |
"‘‘अलद्धा", | |
"काकोव सेलमासज्ज, निब्बिज्जापेम गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘केनासि दुम्मनो तात, पुरिसं कं नु सोचसि।", | |
"मयं तं रागपासेन, आरञ्ञमिव कुञ्जरं।", | |
"बन्धित्वा आनयिस्साम, वसगो ते भविस्सती’’ति॥", | |
"‘‘अरहं सुगतो लोके, न रागेन सुवानयो।", | |
"मारधेय्यं अतिक्कन्तो, तस्मा सोचामहं भुस’’न्ति॥", | |
"‘‘अरहं सुगतो लोके, न रागेन सुवानयो।", | |
"मारधेय्यं अतिक्कन्तो, तस्मा सोचामहं भुस’’न्ति॥", | |
"‘‘सोकावतिण्णो नु वनम्हि झायसि,", | |
"वित्तं नु जीनो उद पत्थयानो।", | |
"आगुं नु गामस्मिमकासि किञ्चि,", | |
"कस्मा जनेन न करोसि सक्खिं।", | |
"सक्खी न सम्पज्जति केनचि ते’’ति॥", | |
"‘‘अत्थस्स", | |
"जेत्वान सेनं पियसातरूपं।", | |
"एकोहं", | |
"तस्मा जनेन न करोमि सक्खिं।", | |
"सक्खी न सम्पज्जति केनचि मे’’ति॥", | |
"‘‘कथं विहारीबहुलोध भिक्खु,", | |
"पञ्चोघतिण्णो अतरीध छट्ठं।", | |
"कथं झायिं", | |
"परिबाहिरा होन्ति अलद्ध यो त’’न्ति॥", | |
"‘‘पस्सद्धकायो सुविमुत्तचित्तो,", | |
"असङ्खरानो सतिमा अनोको।", | |
"अञ्ञाय", | |
"न कुप्पति न सरति न थिनो", | |
"‘‘एवंविहारीबहुलोध भिक्खु,", | |
"पञ्चोघतिण्णो अतरीध छट्ठं।", | |
"एवं झायिं बहुलं कामसञ्ञा,", | |
"परिबाहिरा होन्ति अलद्ध यो त’’न्ति॥", | |
"‘‘अच्छेज्ज", | |
"अद्धा चरिस्सन्ति", | |
"बहुं वतायं जनतं अनोको,", | |
"अच्छेज्ज नेस्सति मच्चुराजस्स पार’’न्ति॥", | |
"‘‘नयन्ति वे महावीरा, सद्धम्मेन तथागता।", | |
"धम्मेन नयमानानं, का उसूया विजानत’’न्ति॥", | |
"‘‘बाला कुमुदनाळेहि, पब्बतं अभिमत्थथ", | |
"गिरिं नखेन खनथ, अयो दन्तेहि खादथ॥", | |
"‘‘सेलंव सिरसूहच्च", | |
"खाणुंव उरसासज्ज, निब्बिज्जापेथ गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘दद्दल्लमाना", | |
"ता तत्थ पनुदी सत्था, तूलं भट्ठंव मालुतो’’ति॥", | |
"सम्बहुला", | |
"धीतरं देसितं बुद्ध, सेट्ठेन इमं मारपञ्चकन्ति॥", | |
"‘‘नत्थि निस्सरणं लोके, किं विवेकेन काहसि।", | |
"भुञ्जस्सु कामरतियो, माहु पच्छानुतापिनी’’ति॥", | |
"‘‘अत्थि निस्सरणं लोके, पञ्ञाय मे सुफुस्सितं", | |
"पमत्तबन्धु पापिम, न त्वं जानासि तं पदं॥", | |
"‘‘सत्तिसूलूपमा", | |
"यं त्वं कामरतिं ब्रूसि, अरति मय्ह सा अहू’’ति॥", | |
"‘‘यं तं इसीहि पत्तब्बं, ठानं दुरभिसम्भवं।", | |
"न तं द्वङ्गुलपञ्ञाय, सक्का पप्पोतुमित्थिया’’ति॥", | |
"‘‘इत्थिभावो किं कयिरा, चित्तम्हि सुसमाहिते।", | |
"ञाणम्हि वत्तमानम्हि, सम्मा धम्मं विपस्सतो॥", | |
"‘‘यस्स", | |
"किञ्चि वा पन अञ्ञस्मि", | |
"‘‘किं", | |
"वनमज्झगता एका, पुरिसं नु गवेससी’’ति॥", | |
"‘‘अच्चन्तं", | |
"न सोचामि न रोदामि, न तं भायामि आवुसो॥", | |
"‘‘सब्बत्थ विहता नन्दी, तमोक्खन्धो पदालितो।", | |
"जेत्वान मच्चुनो", | |
"‘‘दहरा", | |
"पञ्चङ्गिकेन तुरियेन, एहय्येभिरमामसे’’ति", | |
"‘‘रूपा सद्दा रसा गन्धा, फोट्ठब्बा च मनोरमा।", | |
"निय्यातयामि तुय्हेव, मार नाहं तेनत्थिका॥", | |
"‘‘इमिना", | |
"अट्टीयामि हरायामि, कामतण्हा समूहता॥", | |
"‘‘ये च रूपूपगा सत्ता, ये च अरूपट्ठायिनो", | |
"या च सन्ता समापत्ति, सब्बत्थ विहतो तमो’’ति॥", | |
"‘‘सुपुप्फितग्गं उपगम्म भिक्खुनि,", | |
"एका तुवं तिट्ठसि सालमूले।", | |
"न चत्थि ते दुतिया वण्णधातु,", | |
"बाले न त्वं भायसि धुत्तकान’’न्ति॥", | |
"‘‘सतं", | |
"इधागता तादिसका भवेय्युं।", | |
"लोमं न इञ्जामि न सन्तसामि,", | |
"न मार भायामि तमेकिकापि॥", | |
"‘‘एसा अन्तरधायामि, कुच्छिं वा पविसामि ते।", | |
"पखुमन्तरिकायम्पि, तिट्ठन्तिं मं न दक्खसि॥", | |
"‘‘चित्तस्मिं", | |
"सब्बबन्धनमुत्ताम्हि, न तं भायामि आवुसो’’ति॥", | |
"‘‘किं नु जातिं न रोचेसि, जातो कामानि भुञ्जति।", | |
"को नु तं इदमादपयि, जातिं मा रोच", | |
"‘‘जातस्स मरणं होति, जातो दुक्खानि फुस्सति", | |
"बन्धं वधं परिक्लेसं, तस्मा जातिं न रोचये॥", | |
"‘‘बुद्धो", | |
"सब्बदुक्खप्पहानाय, सो मं सच्चे निवेसयि॥", | |
"‘‘ये", | |
"निरोधं अप्पजानन्ता, आगन्तारो पुनब्भव’’न्ति॥", | |
"‘‘तावतिंसा च यामा च, तुसिता चापि देवता।", | |
"निम्मानरतिनो देवा, ये देवा वसवत्तिनो।", | |
"तत्थ चित्तं पणिधेहि, रतिं पच्चनुभोस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘तावतिंसा च यामा च, तुसिता चापि देवता।", | |
"निम्मानरतिनो देवा, ये देवा वसवत्तिनो।", | |
"कामबन्धनबद्धा ते, एन्ति मारवसं पुन॥", | |
"‘‘सब्बो आदीपितो", | |
"सब्बो पज्जलितो", | |
"‘‘अकम्पितं अपज्जलितं", | |
"अगति यत्थ मारस्स, तत्थ मे निरतो मनो’’ति॥", | |
"‘‘कं नु उद्दिस्स मुण्डासि, समणी विय दिस्ससि।", | |
"न च रोचेसि पासण्डं, किमिव चरसि मोमूहा’’ति॥", | |
"‘‘इतो बहिद्धा पासण्डा, दिट्ठीसु पसीदन्ति ते।", | |
"न तेसं धम्मं रोचेमि, ते धम्मस्स अकोविदा॥", | |
"‘‘अत्थि", | |
"सब्बाभिभू मारनुदो, सब्बत्थमपराजितो॥", | |
"‘‘सब्बत्थ मुत्तो असितो, सब्बं पस्सति चक्खुमा।", | |
"सब्बकम्मक्खयं पत्तो, विमुत्तो उपधिसङ्खये।", | |
"सो मय्हं भगवा सत्था, तस्स रोचेमि सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘केनिदं पकतं बिम्बं, क्वनु", | |
"क्वनु बिम्बं समुप्पन्नं, क्वनु बिम्बं निरुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘नयिदं अत्तकतं", | |
"हेतुं पटिच्च सम्भूतं, हेतुभङ्गा निरुज्झति॥", | |
"‘‘यथा अञ्ञतरं बीजं, खेत्ते वुत्तं विरूहति।", | |
"पथवीरसञ्चागम्म, सिनेहञ्च तदूभयं॥", | |
"‘‘एवं खन्धा च धातुयो, छ च आयतना इमे।", | |
"हेतुं पटिच्च सम्भूता, हेतुभङ्गा निरुज्झरे’’ति॥", | |
"‘‘केनायं पकतो सत्तो, कुवं सत्तस्स कारको।", | |
"कुवं सत्तो समुप्पन्नो, कुवं सत्तो निरुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘किं नु सत्तोति पच्चेसि, मार दिट्ठिगतं नु ते।", | |
"सुद्धसङ्खारपुञ्जोयं, नयिध सत्तुपलब्भति॥", | |
"‘‘यथा हि अङ्गसम्भारा, होति सद्दो रथो इति।", | |
"एवं खन्धेसु सन्तेसु, होति सत्तोति सम्मुति", | |
"‘‘दुक्खमेव", | |
"नाञ्ञत्र दुक्खा सम्भोति, नाञ्ञं दुक्खा निरुज्झती’’ति॥", | |
"आळविका च सोमा च, गोतमी विजया सह।", | |
"उप्पलवण्णा च चाला, उपचाला सीसुपचाला च।", | |
"सेला वजिराय ते दसाति॥", | |
"‘‘किच्छेन मे अधिगतं, हलं दानि पकासितुं।", | |
"रागदोसपरेतेहि, नायं धम्मो सुसम्बुधो॥", | |
"‘‘पटिसोतगामिं", | |
"रागरत्ता न दक्खन्ति, तमोखन्धेन आवुटा’’ति", | |
"‘‘पातुरहोसि मगधेसु पुब्बे,", | |
"धम्मो असुद्धो समलेहि चिन्तितो।", | |
"अपापुरेतं", | |
"सुणन्तु", | |
"‘‘सेले यथा पब्बतमुद्धनिट्ठितो,", | |
"यथापि पस्से जनतं समन्ततो।", | |
"तथूपमं धम्ममयं सुमेध,", | |
"पासादमारुय्ह समन्तचक्खु।", | |
"सोकावतिण्णं", | |
"अवेक्खस्सु जातिजराभिभूतं॥", | |
"‘‘उट्ठेहि वीर विजितसङ्गाम,", | |
"सत्थवाह अनण", | |
"देसस्सु", | |
"अञ्ञातारो भविस्सन्ती’’ति॥", | |
"‘‘अपारुता तेसं अमतस्स द्वारा,", | |
"ये सोतवन्तो पमुञ्चन्तु सद्धं।", | |
"विहिंससञ्ञी पगुणं न भासिं,", | |
"धम्मं पणीतं मनुजेसु ब्रह्मे’’ति॥", | |
"‘‘ये", | |
"यो चेतरहि सम्बुद्धो, बहूनं", | |
"‘‘सब्बे सद्धम्मगरुनो, विहंसु", | |
"तथापि विहरिस्सन्ति, एसा बुद्धान धम्मता॥", | |
"‘‘तस्मा हि अत्तकामेन", | |
"सद्धम्मो गरुकातब्बो, सरं बुद्धान सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘दूरे इतो ब्राह्मणि ब्रह्मलोको,", | |
"यस्साहुतिं पग्गण्हासि निच्चं।", | |
"नेतादिसो ब्राह्मणि ब्रह्मभक्खो,", | |
"किं जप्पसि ब्रह्मपथं अजानं", | |
"‘‘एसो हि ते ब्राह्मणि ब्रह्मदेवो,", | |
"निरूपधिको अतिदेवपत्तो।", | |
"अकिञ्चनो भिक्खु अनञ्ञपोसी,", | |
"यो ते सो", | |
"‘‘आहुनेय्यो वेदगु भावितत्तो,", | |
"नरानं देवानञ्च दक्खिणेय्यो।", | |
"बाहित्वा पापानि अनूपलित्तो,", | |
"घासेसनं", | |
"‘‘न", | |
"सन्तो विधूमो अनिघो निरासो।", | |
"निक्खित्तदण्डो तसथावरेसु,", | |
"सो त्याहुतिं भुञ्जतु अग्गपिण्डं॥", | |
"‘‘विसेनिभूतो उपसन्तचित्तो,", | |
"नागोव दन्तो चरति अनेजो।", | |
"भिक्खु सुसीलो सुविमुत्तचित्तो,", | |
"सो त्याहुतिं भुञ्जतु अग्गपिण्डं॥", | |
"‘‘तस्मिं", | |
"पतिट्ठपेहि", | |
"करोहि पुञ्ञं सुखमायतिकं,", | |
"दिस्वा मुनिं ब्राह्मणि ओघतिण्ण’’न्ति॥", | |
"‘‘तस्मिं पसन्ना अविकम्पमाना,", | |
"पतिट्ठपेसि दक्खिणं दक्खिणेय्ये।", | |
"अकासि पुञ्ञं सुखमायतिकं,", | |
"दिस्वा मुनिं ब्राह्मणी ओघतिण्ण’’न्ति॥", | |
"‘‘द्वासत्तति गोतम पुञ्ञकम्मा,", | |
"वसवत्तिनो जातिजरं अतीता।", | |
"अयमन्तिमा वेदगू ब्रह्मुपपत्ति,", | |
"अस्माभिजप्पन्ति जना अनेका’’ति॥", | |
"‘‘अप्पञ्हि एतं न हि दीघमायु,", | |
"यं त्वं बक मञ्ञसि दीघमायुं।", | |
"सतं सहस्सानं", | |
"आयुं पजानामि तवाहं ब्रह्मे’’ति॥", | |
"‘‘अनन्तदस्सी भगवाहमस्मि,", | |
"जातिजरं सोकमुपातिवत्तो।", | |
"किं", | |
"आचिक्ख मे तं यमहं विजञ्ञा’’ति॥", | |
"‘‘यं त्वं अपायेसि बहू मनुस्से,", | |
"पिपासिते घम्मनि सम्परेते।", | |
"तं ते पुराणं वतसीलवत्तं,", | |
"सुत्तप्पबुद्धोव अनुस्सरामि॥", | |
"‘‘यं एणिकूलस्मिं जनं गहीतं,", | |
"अमोचयी गय्हकं नीयमानं।", | |
"तं", | |
"सुत्तप्पबुद्धोव अनुस्सरामि॥", | |
"‘‘गङ्गाय", | |
"लुद्देन नागेन मनुस्सकम्या।", | |
"पमोचयित्थ बलसा पसय्ह,", | |
"तं ते पुराणं वतसीलवत्तं,", | |
"सुत्तप्पबुद्धोव अनुस्सरामि॥", | |
"‘‘कप्पो", | |
"सम्बुद्धिमन्तं", | |
"तं ते पुराणं वतसीलवत्तं,", | |
"सुत्तप्पबुद्धोव अनुस्सरामी’’ति॥", | |
"‘‘अद्धा पजानासि ममेतमायुं,", | |
"अञ्ञेपि", | |
"तथा हि त्यायं जलितानुभावो,", | |
"ओभासयं तिट्ठति ब्रह्मलोक’’न्ति॥", | |
"‘‘अज्जापि ते आवुसो सा दिट्ठि, या ते दिट्ठि पुरे अहु।", | |
"पस्ससि वीतिवत्तन्तं, ब्रह्मलोके पभस्सर’’न्ति॥", | |
"‘‘न मे मारिस सा दिट्ठि, या मे दिट्ठि पुरे अहु।", | |
"पस्सामि वीतिवत्तन्तं, ब्रह्मलोके पभस्सरं।", | |
"स्वाहं अज्ज कथं वज्जं, अहं निच्चोम्हि सस्सतो’’ति॥", | |
"‘‘तेविज्जा", | |
"खीणासवा अरहन्तो, बहू बुद्धस्स सावका’’ति॥", | |
"‘‘तेविज्जा इद्धिपत्ता च, चेतोपरियायकोविदा।", | |
"खीणासवा अरहन्तो, बहू बुद्धस्स सावका’’ति॥", | |
"‘‘तयो", | |
"ब्यग्घीनिसा पञ्चसता च झायिनो।", | |
"तयिदं विमानं जलते च", | |
"ओभासयं उत्तरस्सं दिसाय’’न्ति॥", | |
"‘‘किञ्चापि ते तं जलते विमानं,", | |
"ओभासयं उत्तरस्सं दिसायं।", | |
"रूपे रणं दिस्वा सदा पवेधितं,", | |
"तस्मा न रूपे रमती सुमेधो’’ति॥", | |
"‘‘अप्पमेय्यं पमिनन्तो, कोध विद्वा विकप्पये।", | |
"अप्पमेय्यं पमायिनं, निवुतं तं मञ्ञे पुथुज्जन’’न्ति॥", | |
"‘‘अप्पमेय्यं", | |
"अप्पमेय्यं पमायिनं, निवुतं तं मञ्ञे अकिस्सव’’न्ति॥", | |
"‘‘पुरिसस्स हि जातस्स, कुठारी", | |
"याय छिन्दति अत्तानं, बालो दुब्भासितं भणं॥", | |
"‘‘यो निन्दियं पसंसति,", | |
"तं वा निन्दति यो पसंसियो।", | |
"विचिनाति मुखेन सो कलिं,", | |
"कलिना तेन सुखं न विन्दति॥", | |
"‘‘अप्पमत्तको अयं कलि,", | |
"यो अक्खेसु धनपराजयो।", | |
"सब्बस्सापि सहापि अत्तना,", | |
"अयमेव महन्ततरो कलि।", | |
"यो सुगतेसु मनं पदोसये॥", | |
"‘‘सतं सहस्सानं निरब्बुदानं,", | |
"छत्तिंसति पञ्च च अब्बुदानि।", | |
"यमरियगरही", | |
"वाचं मनञ्च पणिधाय पापक’’न्ति॥", | |
"‘‘पुरिसस्स", | |
"कुठारी जायते मुखे।", | |
"याय छिन्दति अत्तानं,", | |
"बालो दुब्भासितं भणं॥", | |
"‘‘यो निन्दियं पसंसति,", | |
"तं वा निन्दति यो पसंसियो।", | |
"विचिनाति मुखेन सो कलिं,", | |
"कलिना तेन सुखं न विन्दति॥", | |
"‘‘अप्पमत्तको अयं कलि,", | |
"यो अक्खेसु धनपराजयो।", | |
"सब्बस्सापि सहापि अत्तना,", | |
"अयमेव महन्तरो कलि।", | |
"यो सुगतेसु मनं पदोसये॥", | |
"‘‘सतं सहस्सानं निरब्बुदानं,", | |
"छत्तिंसति पञ्च च अब्बुदानि।", | |
"यमरियगरही", | |
"वाचं मनञ्च पणिधाय पापक’’न्ति॥", | |
"आयाचनं", | |
"बको च ब्रह्मा अपरा च दिट्ठि।", | |
"पमादकोकालिकतिस्सको च,", | |
"तुरू च ब्रह्मा अपरो च कोकालिकोति॥", | |
"‘‘खत्तियो सेट्ठो जनेतस्मिं, ये गोत्तपटिसारिनो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सो सेट्ठो देवमानुसे’’ति॥", | |
"‘‘फलं", | |
"सक्कारो कापुरिसं हन्ति, गब्भो अस्सतरिं यथा’’ति॥", | |
"‘‘सेवेथ पन्तानि सेनासनानि,", | |
"चरेय्य संयोजनविप्पमोक्खा।", | |
"सचे रतिं नाधिगच्छेय्य तत्थ,", | |
"सङ्घे वसे रक्खितत्तो सतीमा॥", | |
"‘‘कुलाकुलं पिण्डिकाय चरन्तो,", | |
"इन्द्रियगुत्तो", | |
"सेवेथ पन्तानि सेनासनानि,", | |
"भया पमुत्तो अभये विमुत्तो॥", | |
"‘‘यत्थ भेरवा सरीसपा", | |
"विज्जु सञ्चरति थनयति देवो।", | |
"अन्धकारतिमिसाय रत्तिया,", | |
"निसीदि तत्थ भिक्खु विगतलोमहंसो॥", | |
"‘‘इदञ्हि जातु मे दिट्ठं, नयिदं इतिहीतिहं।", | |
"एकस्मिं ब्रह्मचरियस्मिं, सहस्सं मच्चुहायिनं॥", | |
"‘‘भिय्यो", | |
"सब्बे सोतसमापन्ना, अतिरच्छानगामिनो॥", | |
"‘‘अथायं", | |
"सङ्खातुं नोपि सक्कोमि, मुसावादस्स ओत्तप’’न्ति", | |
"‘‘आरम्भथ", | |
"धुनाथ मच्चुनो सेनं, नळागारंव कुञ्जरो॥", | |
"‘‘यो", | |
"पहाय जातिसंसारं, दुक्खस्सन्तं करिस्सती’’ति॥", | |
"‘‘आरम्भथ निक्कमथ, युञ्जथ बुद्धसासने।", | |
"धुनाथ मच्चुनो सेनं, नळागारंव कुञ्जरो॥", | |
"‘‘यो", | |
"पहाय जातिसंसारं, दुक्खस्सन्तं करिस्सती’’ति॥", | |
"‘‘सब्बेव निक्खिपिस्सन्ति, भूता लोके समुस्सयं।", | |
"यत्थ एतादिसो सत्था, लोके अप्पटिपुग्गलो।", | |
"तथागतो बलप्पत्तो, सम्बुद्धो परिनिब्बुतो’’ति॥", | |
"‘‘अनिच्चा वत सङ्खारा, उप्पादवयधम्मिनो।", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो’’ति॥", | |
"‘‘तदासि यं भिंसनकं, तदासि लोमहंसनं।", | |
"सब्बाकारवरूपेते, सम्बुद्धे परिनिब्बुते’’ति॥", | |
"‘‘नाहु अस्सासपस्सासो, ठितचित्तस्स तादिनो।", | |
"अनेजो सन्तिमारब्भ, चक्खुमा परिनिब्बुतो", | |
"‘‘असल्लीनेन चित्तेन, वेदनं अज्झवासयि।", | |
"पज्जोतस्सेव निब्बानं, विमोक्खो चेतसो अहू’’ति॥", | |
"ब्रह्मासनं देवदत्तो, अन्धकविन्दो अरुणवती।", | |
"परिनिब्बानेन च देसितं, इदं ब्रह्मपञ्चकन्ति॥", | |
"‘‘नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।", | |
"नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।", | |
"नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्सा’’ति॥", | |
"‘‘किंसु", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, वधं रोचेसि गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘कोधं", | |
"कोधस्स विसमूलस्स, मधुरग्गस्स ब्राह्मण।", | |
"वधं अरिया पसंसन्ति, तञ्हि छेत्वा न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘अक्कोधस्स कुतो कोधो, दन्तस्स समजीविनो।", | |
"सम्मदञ्ञा विमुत्तस्स, उपसन्तस्स तादिनो॥", | |
"‘‘तस्सेव तेन पापियो, यो कुद्धं पटिकुज्झति।", | |
"कुद्धं अप्पटिकुज्झन्तो, सङ्गामं जेति दुज्जयं॥", | |
"‘‘उभिन्नमत्थं चरति, अत्तनो च परस्स च।", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मति॥", | |
"‘‘उभिन्नं तिकिच्छन्तानं, अत्तनो च परस्स च।", | |
"जना मञ्ञन्ति बालोति, ये धम्मस्स अकोविदा’’ति॥", | |
"‘‘जयं", | |
"जयञ्चेवस्स तं होति, या तितिक्खा विजानतो॥", | |
"‘‘तस्सेव तेन पापियो, यो कुद्धं पटिकुज्झति।", | |
"कुद्धं अप्पटिकुज्झन्तो, सङ्गामं जेति दुज्जयं॥", | |
"‘‘उभिन्नमत्थं चरति, अत्तनो च परस्स च।", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मति॥", | |
"‘‘उभिन्नं", | |
"जना मञ्ञन्ति बालोति, ये धम्मस्स अकोविदा’’ति॥", | |
"‘‘यो अप्पदुट्ठस्स नरस्स दुस्सति,", | |
"सुद्धस्स पोसस्स अनङ्गणस्स।", | |
"तमेव बालं पच्चेति पापं,", | |
"सुखुमो रजो पटिवातंव खित्तो’’ति॥", | |
"‘‘यथा", | |
"यो च कायेन वाचाय, मनसा च न हिंसति।", | |
"स वे अहिंसको होति, यो परं न विहिंसती’’ति॥", | |
"‘‘अन्तोजटा बहिजटा, जटाय जटिता पजा।", | |
"तं तं गोतम पुच्छामि, को इमं विजटये जट’’न्ति॥", | |
"‘‘सीले पतिट्ठाय नरो सपञ्ञो, चित्तं पञ्ञञ्च भावयं।", | |
"आतापी निपको भिक्खु, सो इमं विजटये जटं॥", | |
"‘‘येसं रागो च दोसो च, अविज्जा च विराजिता।", | |
"खीणासवा अरहन्तो, तेसं विजटिता जटा॥", | |
"‘‘यत्थ नामञ्च रूपञ्च, असेसं उपरुज्झति।", | |
"पटिघं रूपसञ्ञा च, एत्थेसा छिज्जते जटा’’ति॥", | |
"‘‘न ब्राह्मणो", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सो सुज्झति न अञ्ञा इतरा पजा’’ति॥", | |
"‘‘बहुम्पि पलपं जप्पं, न जच्चा होति ब्राह्मणो।", | |
"अन्तोकसम्बु सङ्किलिट्ठो, कुहनं उपनिस्सितो॥", | |
"‘‘खत्तियो", | |
"आरद्धवीरियो पहितत्तो, निच्चं दळ्हपरक्कमो।", | |
"पप्पोति परमं सुद्धिं, एवं जानाहि ब्राह्मणा’’ति॥", | |
"‘‘तीहि विज्जाहि सम्पन्नो, जातिमा सुतवा बहू।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सोमं भुञ्जेय्य पायस’’न्ति॥", | |
"‘‘बहुम्पि पलपं जप्पं, न जच्चा होति ब्राह्मणो।", | |
"अन्तोकसम्बु संकिलिट्ठो, कुहनापरिवारितो॥", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं", | |
"अथो जातिक्खयं पत्तो, अभिञ्ञावोसितो मुनि॥", | |
"‘‘एताहि तीहि विज्जाहि, तेविज्जो होति ब्राह्मणो।", | |
"विज्जाचरणसम्पन्नो, सोमं भुञ्जेय्य पायस’’न्ति॥", | |
"‘‘गाथाभिगीतं", | |
"सम्पस्सतं ब्राह्मण नेस धम्मो।", | |
"गाथाभिगीतं पनुदन्ति बुद्धा,", | |
"धम्मे सति ब्राह्मण वुत्तिरेसा॥", | |
"‘‘अञ्ञेन च केवलिनं महेसिं,", | |
"खीणासवं कुक्कुच्चवूपसन्तं।", | |
"अन्नेन पानेन उपट्ठहस्सु,", | |
"खेत्तञ्हि तं पुञ्ञपेक्खस्स होती’’ति॥", | |
"‘‘मा", | |
"कट्ठा हवे जायति जातवेदो।", | |
"नीचाकुलीनोपि मुनि धितिमा,", | |
"आजानीयो होति हिरीनिसेधो॥", | |
"‘‘सच्चेन दन्तो दमसा उपेतो,", | |
"वेदन्तगू वुसितब्रह्मचरियो।", | |
"यञ्ञोपनीतो", | |
"कालेन सो जुहति दक्खिणेय्ये’’ति॥", | |
"‘‘अद्धा सुयिट्ठं सुहुतं मम यिदं,", | |
"यं तादिसं वेदगुमद्दसामि।", | |
"तुम्हादिसानञ्हि", | |
"अञ्ञो जनो भुञ्जति हब्यसेस’’न्ति॥", | |
"‘‘गाथाभिगीतं मे अभोजनेय्यं,", | |
"सम्पस्सतं ब्राह्मण नेस धम्मो।", | |
"गाथाभिगीतं पनुदन्ति बुद्धा,", | |
"धम्मे सति ब्राह्मण वुत्तिरेसा॥", | |
"‘‘अञ्ञेन च केवलिनं महेसिं,", | |
"खीणासवं कुक्कुच्चवूपसन्तं।", | |
"अन्नेन पानेन उपट्ठहस्सु,", | |
"खेत्तञ्हि तं पुञ्ञपेक्खस्स होती’’ति॥", | |
"‘‘मा ब्राह्मण दारु समादहानो,", | |
"सुद्धिं अमञ्ञि बहिद्धा हि एतं।", | |
"न हि तेन सुद्धिं कुसला वदन्ति,", | |
"यो बाहिरेन परिसुद्धिमिच्छे॥", | |
"‘‘हित्वा अहं ब्राह्मण दारुदाहं", | |
"अज्झत्तमेवुज्जलयामि", | |
"निच्चग्गिनी निच्चसमाहितत्तो,", | |
"अरहं अहं ब्रह्मचरियं चरामि॥", | |
"‘‘मानो हि ते ब्राह्मण खारिभारो,", | |
"कोधो धुमो भस्मनि मोसवज्जं।", | |
"जिव्हा सुजा हदयं जोतिठानं,", | |
"अत्ता सुदन्तो पुरिसस्स जोति॥", | |
"‘‘धम्मो", | |
"अनाविलो सब्भि सतं पसत्थो।", | |
"यत्थ हवे वेदगुनो सिनाता,", | |
"अनल्लगत्ताव", | |
"‘‘सच्चं धम्मो संयमो ब्रह्मचरियं,", | |
"मज्झे सिता ब्राह्मण ब्रह्मपत्ति।", | |
"स", | |
"तमहं नरं धम्मसारीति ब्रूमी’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"अज्जसट्ठिं न दिस्सन्ति, तेनायं समणो सुखी॥", | |
"‘‘न हि नूनिमस्स समणस्स, तिलाखेत्तस्मि पापका।", | |
"एकपण्णा दुपण्णा", | |
"‘‘न हि नूनिमस्स समणस्स, तुच्छकोट्ठस्मि मूसिका।", | |
"उस्सोळ्हिकाय नच्चन्ति, तेनायं समणो सुखी॥", | |
"‘‘न हि नूनिमस्स समणस्स, सन्थारो सत्तमासिको।", | |
"उप्पाटकेहि सञ्छन्नो, तेनायं समणो सुखी॥", | |
"‘‘न", | |
"एकपुत्ता दुपुत्ता", | |
"‘‘न हि नूनिमस्स समणस्स, पिङ्गला तिलकाहता।", | |
"सोत्तं पादेन बोधेति, तेनायं समणो सुखी॥", | |
"‘‘न हि नूनिमस्स समणस्स, पच्चूसम्हि इणायिका।", | |
"देथ देथाति चोदेन्ति, तेनायं समणो सुखी’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"अज्जसट्ठिं न दिस्सन्ति, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न", | |
"एकपण्णा दुपण्णा च, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न हि मय्हं ब्राह्मण, तुच्छकोट्ठस्मि मूसिका।", | |
"उस्सोळ्हिकाय नच्चन्ति, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न", | |
"उप्पाटकेहि सञ्छन्नो, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न हि मय्हं ब्राह्मण, विधवा सत्त धीतरो।", | |
"एकपुत्ता दुपुत्ता च, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न हि मय्हं ब्राह्मण, पिङ्गला तिलकाहता।", | |
"सोत्तं पादेन बोधेति, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी॥", | |
"‘‘न", | |
"देथ देथाति चोदेन्ति, तेनाहं ब्राह्मणा सुखी’’ति॥", | |
"धनञ्जानी च अक्कोसं, असुरिन्दं बिलङ्गिकं।", | |
"अहिंसकं जटा चेव, सुद्धिकञ्चेव अग्गिका।", | |
"सुन्दरिकं बहुधीतरेन च ते दसाति॥", | |
"‘‘कस्सको पटिजानासि, न च पस्सामि ते कसिं।", | |
"कस्सको पुच्छितो ब्रूहि, कथं जानेमु तं कसि’’न्ति॥", | |
"‘‘सद्धा बीजं तपो वुट्ठि, पञ्ञा मे युगनङ्गलं।", | |
"हिरी ईसा मनो योत्तं, सति मे फालपाचनं॥", | |
"‘‘कायगुत्तो", | |
"सच्चं करोमि निद्दानं, सोरच्चं मे पमोचनं॥", | |
"‘‘वीरियं", | |
"गच्छति अनिवत्तन्तं, यत्थ गन्त्वा न सोचति॥", | |
"‘‘एवमेसा कसी कट्ठा, सा होति अमतप्फला।", | |
"एतं कसिं कसित्वान, सब्बदुक्खा पमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘गाथाभिगीतं मे अभोजनेय्यं,", | |
"सम्पस्सतं ब्राह्मण नेस धम्मो।", | |
"गाथाभिगीतं पनुदन्ति बुद्धा,", | |
"धम्मे सति ब्राह्मण वुत्तिरेसा॥", | |
"‘‘अञ्ञेन", | |
"खीणासवं कुक्कुच्चवूपसन्तं।", | |
"अन्नेन पानेन उपट्ठहस्सु,", | |
"खेत्तञ्हि तं पुञ्ञपेक्खस्स होती’’ति॥", | |
"‘‘पुनप्पुनञ्चेव", | |
"पुनप्पुनं खेत्तं कसन्ति कस्सका, पुनप्पुनं धञ्ञमुपेति रट्ठं॥", | |
"‘‘पुनप्पुनं याचका याचयन्ति, पुनप्पुनं दानपती ददन्ति।", | |
"पुनप्पुनं दानपती ददित्वा, पुनप्पुनं सग्गमुपेन्ति ठानं॥", | |
"‘‘पुनप्पुनं खीरनिका दुहन्ति, पुनप्पुनं वच्छो उपेति मातरं।", | |
"पुनप्पुनं किलमति फन्दति च, पुनप्पुनं गब्भमुपेति मन्दो॥", | |
"‘‘पुनप्पुनं जायति मीयति च, पुनप्पुनं सिवथिकं", | |
"मग्गञ्च लद्धा अपुनब्भवाय, न पुनप्पुनं जायति भूरिपञ्ञो’’ति", | |
"‘‘तुण्हीभूतो", | |
"किं पत्थयानो किं एसं, किं नु याचितुमागतो’’ति॥", | |
"‘‘अरहं सुगतो लोके, वातेहाबाधिको मुनि।", | |
"सचे उण्होदकं अत्थि, मुनिनो देहि ब्राह्मण॥", | |
"‘‘पूजितो पूजनेय्यानं, सक्करेय्यान सक्कतो।", | |
"अपचितो अपचेय्यानं", | |
"‘‘कत्थ दज्जा देय्यधम्मं, कत्थ दिन्नं महप्फलं।", | |
"कथञ्हि यजमानस्स, कथं इज्झति दक्खिणा’’ति॥", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं यो वेदी, सग्गापायञ्च पस्सति।", | |
"अथो जातिक्खयं पत्तो, अभिञ्ञावोसितो मुनि॥", | |
"‘‘एत्थ", | |
"एवञ्हि यजमानस्स, एवं इज्झति दक्खिणा’’ति॥", | |
"‘‘येहि जातेहि नन्दिस्सं, येसञ्च भवमिच्छिसं।", | |
"ते मं दारेहि संपुच्छ, साव वारेन्ति सूकरं॥", | |
"‘‘असन्ता किर मं जम्मा, तात ताताति भासरे।", | |
"रक्खसा पुत्तरूपेन, ते जहन्ति वयोगतं॥", | |
"‘‘अस्सोव जिण्णो निब्भोगो, खादना अपनीयति।", | |
"बालकानं पिता थेरो, परागारेसु भिक्खति॥", | |
"‘‘दण्डोव किर मे सेय्यो, यञ्चे पुत्ता अनस्सवा।", | |
"चण्डम्पि गोणं वारेति, अथो चण्डम्पि कुक्कुरं॥", | |
"‘‘अन्धकारे", | |
"दण्डस्स आनुभावेन, खलित्वा पतितिट्ठती’’ति॥", | |
"‘‘येहि जातेहि नन्दिस्सं, येसञ्च भवमिच्छिसं।", | |
"ते", | |
"‘‘असन्ता किर मं जम्मा, तात ताताति भासरे।", | |
"रक्खसा पुत्तरूपेन, ते जहन्ति वयोगतं॥", | |
"‘‘अस्सोव", | |
"बालकानं पिता थेरो, परागारेसु भिक्खति॥", | |
"‘‘दण्डोव किर मे सेय्यो, यञ्चे पुत्ता अनस्सवा।", | |
"चण्डम्पि गोणं वारेति, अथो चण्डम्पि कुक्कुरं॥", | |
"‘‘अन्धकारे पुरे होति, गम्भीरे गाधमेधति।", | |
"दण्डस्स आनुभावेन, खलित्वा पतितिट्ठती’’ति॥", | |
"‘‘न मानं ब्राह्मण साधु, अत्थिकस्सीध ब्राह्मण।", | |
"येन अत्थेन आगच्छि, तमेवमनुब्रूहये’’ति॥", | |
"‘‘केसु न मानं कयिराथ, केसु चस्स सगारवो।", | |
"क्यस्स अपचिता अस्सु, क्यस्सु साधु सुपूजिता’’ति॥", | |
"‘‘मातरि पितरि चापि, अथो जेट्ठम्हि भातरि।", | |
"आचरिये चतुत्थम्हि,", | |
"तेसु न मानं कयिराथ।", | |
"तेसु अस्स सगारवो,", | |
"त्यस्स अपचिता अस्सु।", | |
"त्यस्सु साधु सुपूजिता॥", | |
"‘‘अरहन्ते सीतीभूते, कतकिच्चे अनासवे।", | |
"निहच्च मानं अथद्धो, ते नमस्से अनुत्तरे’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"उपक्किलिट्ठचित्तेन, सारम्भबहुलेन च॥", | |
"‘‘यो च विनेय्य सारम्भं, अप्पसादञ्च चेतसो।", | |
"आघातं पटिनिस्सज्ज, स वे", | |
"‘‘के नु कम्मन्ता करीयन्ति, भिक्खु सालवने तव।", | |
"यदेकको अरञ्ञस्मिं, रतिं विन्दति गोतमो’’ति॥", | |
"‘‘न मे वनस्मिं करणीयमत्थि,", | |
"उच्छिन्नमूलं मे वनं विसूकं।", | |
"स्वाहं वने निब्बनथो विसल्लो,", | |
"एको रमे अरतिं विप्पहाया’’ति॥", | |
"‘‘गम्भीररूपे बहुभेरवे वने,", | |
"सुञ्ञं अरञ्ञं विजनं विगाहिय।", | |
"अनिञ्जमानेन", | |
"सुचारुरूपं वत भिक्खु झायसि॥", | |
"‘‘न", | |
"एको अरञ्ञे वनवस्सितो मुनि।", | |
"अच्छेररूपं पटिभाति मं इदं,", | |
"यदेकको पीतिमनो वने वसे॥", | |
"‘‘मञ्ञामहं", | |
"आकङ्खमानो तिदिवं अनुत्तरं।", | |
"कस्मा", | |
"तपो इध कुब्बसि ब्रह्मपत्तिया’’ति॥", | |
"‘‘या काचि कङ्खा अभिनन्दना वा,", | |
"अनेकधातूसु पुथू सदासिता।", | |
"अञ्ञाणमूलप्पभवा पजप्पिता,", | |
"सब्बा मया ब्यन्तिकता समूलिका॥", | |
"‘‘स्वाहं अकङ्खो असितो अनूपयो,", | |
"सब्बेसु धम्मेसु विसुद्धदस्सनो।", | |
"पप्पुय्य सम्बोधिमनुत्तरं सिवं,", | |
"झायामहं ब्रह्म रहो विसारदो’’ति॥", | |
"‘‘यो", | |
"ताय नं पारिचरियाय, मातापितूसु पण्डिता।", | |
"इधेव नं पसंसन्ति, पेच्च सग्गे पमोदती’’ति॥", | |
"‘‘न तेन भिक्खको होति, यावता भिक्खते परे।", | |
"विस्सं धम्मं समादाय, भिक्खु होति न तावता॥", | |
"‘‘योध", | |
"सङ्खाय लोके चरति, स वे भिक्खूति वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘धम्मो रहदो ब्राह्मण सीलतित्थो,", | |
"अनाविलो सब्भि सतं पसत्थो।", | |
"यत्थ हवे वेदगुनो सिनाता,", | |
"अनल्लगत्ताव", | |
"‘‘नेसा सभा यत्थ न सन्ति सन्तो,", | |
"सन्तो न ते ये न वदन्ति धम्मं।", | |
"रागञ्च दोसञ्च पहाय मोहं,", | |
"धम्मं वदन्ता च भवन्ति सन्तो’’ति॥", | |
"कसि उदयो देवहितो, अञ्ञतरमहासालं।", | |
"मानथद्धं पच्चनीकं, नवकम्मिककट्ठहारं।", | |
"मातुपोसकं भिक्खको, सङ्गारवो च खोमदुस्सेन द्वादसाति॥", | |
"‘‘निक्खन्तं वत मं सन्तं, अगारस्मानगारियं।", | |
"वितक्का उपधावन्ति, पगब्भा कण्हतो इमे॥", | |
"‘‘उग्गपुत्ता", | |
"समन्ता परिकिरेय्युं, सहस्सं अपलायिनं॥", | |
"‘‘सचेपि एततो", | |
"नेव मं ब्याधयिस्सन्ति", | |
"‘‘सक्खी", | |
"निब्बानगमनं मग्गं, तत्थ मे निरतो मनो॥", | |
"‘‘एवञ्चे मं विहरन्तं, पापिम उपगच्छसि।", | |
"तथा मच्चु करिस्सामि, न मे मग्गम्पि दक्खसी’’ति॥", | |
"‘‘अरतिञ्च रतिञ्च पहाय, सब्बसो गेहसितञ्च वितक्कं।", | |
"वनथं न करेय्य कुहिञ्चि, निब्बनथो अरतो स हि भिक्खु", | |
"‘‘यमिध पथविञ्च वेहासं, रूपगतञ्च जगतोगधं।", | |
"किञ्चि परिजीयति सब्बमनिच्चं, एवं समेच्च चरन्ति मुतत्ता॥", | |
"‘‘उपधीसु जना गधितासे", | |
"एत्थ विनोदय छन्दमनेजो, यो एत्थ न लिम्पति तं मुनिमाहु॥", | |
"‘‘अथ", | |
"न च वग्गगतस्स कुहिञ्चि, नो पन दुट्ठुल्लभाणी स भिक्खु॥", | |
"‘‘दब्बो चिररत्तसमाहितो, अकुहको निपको अपिहालु।", | |
"सन्तं", | |
"‘‘मानं पजहस्सु गोतम, मानपथञ्च पजहस्सु।", | |
"असेसं मानपथस्मिं, समुच्छितो विप्पटिसारीहुवा चिररत्तं॥", | |
"‘‘मक्खेन मक्खिता पजा, मानहता निरयं पपतन्ति।", | |
"सोचन्ति जना चिररत्तं, मानहता निरयं उपपन्ना॥", | |
"‘‘न", | |
"कित्तिञ्च सुखञ्च अनुभोति, धम्मदसोति तमाहु पहितत्तं॥", | |
"‘‘तस्मा", | |
"मानञ्च पहाय असेसं, विज्जायन्तकरो समितावी’’ति॥", | |
"‘‘कामरागेन डय्हामि, चित्तं मे परिडय्हति।", | |
"साधु निब्बापनं ब्रूहि, अनुकम्पाय गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘सञ्ञाय", | |
"निमित्तं परिवज्जेहि, सुभं रागूपसंहितं॥", | |
"‘‘सङ्खारे परतो पस्स, दुक्खतो मा च अत्ततो।", | |
"निब्बापेहि महारागं, मा डय्हित्थो पुनप्पुनं॥", | |
"‘‘असुभाय", | |
"सति कायगता त्यत्थु, निब्बिदाबहुलो भव॥", | |
"‘‘अनिमित्तञ्च भावेहि, मानानुसयमुज्जह।", | |
"ततो मानाभिसमया, उपसन्तो चरिस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘सुभासितं", | |
"धम्मं भणे नाधम्मं तं दुतियं।", | |
"पियं भणे नाप्पियं तं ततियं,", | |
"सच्चं भणे नालिकं तं चतुत्थ’’न्ति॥", | |
"‘‘तमेव वाचं भासेय्य, यायत्तानं न तापये।", | |
"परे च न विहिंसेय्य, सा वे वाचा सुभासिता॥", | |
"‘‘पियवाचंव भासेय्य, या वाचा पटिनन्दिता।", | |
"यं अनादाय पापानि, परेसं भासते पियं॥", | |
"‘‘सच्चं", | |
"सच्चे अत्थे च धम्मे च, आहु सन्तो पतिट्ठिता॥", | |
"‘‘यं बुद्धो भासते वाचं, खेमं निब्बानपत्तिया।", | |
"दुक्खस्सन्तकिरियाय, सा वे वाचानमुत्तमा’’ति॥", | |
"‘‘गम्भीरपञ्ञो मेधावी, मग्गामग्गस्स कोविदो।", | |
"सारिपुत्तो महापञ्ञो, धम्मं देसेति भिक्खुनं॥", | |
"‘‘संखित्तेनपि देसेति, वित्थारेनपि भासति।", | |
"साळिकायिव निग्घोसो, पटिभानं उदीरयि", | |
"‘‘तस्स", | |
"सरेन", | |
"उदग्गचित्ता मुदिता, सोतं ओधेन्ति भिक्खवो’’ति॥", | |
"‘‘अज्ज पन्नरसे विसुद्धिया, भिक्खू पञ्चसता समागता।", | |
"संयोजनबन्धनच्छिदा", | |
"‘‘चक्कवत्ती", | |
"समन्ता अनुपरियेति, सागरन्तं महिं इमं॥", | |
"‘‘एवं विजितसङ्गामं, सत्थवाहं अनुत्तरं।", | |
"सावका पयिरुपासन्ति, तेविज्जा मच्चुहायिनो॥", | |
"‘‘सब्बे भगवतो पुत्ता, पलापेत्थ न विज्जति।", | |
"तण्हासल्लस्स हन्तारं, वन्दे आदिच्चबन्धुन’’न्ति॥", | |
"‘‘परोसहस्सं भिक्खूनं, सुगतं पयिरुपासति।", | |
"देसेन्तं विरजं धम्मं, निब्बानं अकुतोभयं॥", | |
"‘‘सुणन्ति धम्मं विमलं, सम्मासम्बुद्धदेसितं।", | |
"सोभति वत सम्बुद्धो, भिक्खुसङ्घपुरक्खतो॥", | |
"‘‘नागनामोसि भगवा, इसीनं इसिसत्तमो।", | |
"महामेघोव हुत्वान, सावके अभिवस्सति॥", | |
"‘‘दिवाविहारा", | |
"सावको ते महावीर, पादे वन्दति वङ्गीसो’’ति॥", | |
"‘‘उम्मग्गपथं", | |
"तं पस्सथ बन्धपमुञ्चकरं, असितं भागसो पविभजं॥", | |
"‘‘ओघस्स नित्थरणत्थं, अनेकविहितं मग्गं अक्खासि।", | |
"तस्मिञ्चे अमते अक्खाते, धम्मद्दसा ठिता असंहीरा॥", | |
"‘‘पज्जोतकरो", | |
"ञत्वा च सच्छिकत्वा च, अग्गं सो देसयि दसद्धानं॥", | |
"‘‘एवं", | |
"को पमादो विजानतं धम्मं", | |
"तस्मा हि तस्स भगवतो सासने।", | |
"अप्पमत्तो सदा नमस्समनुसिक्खे’’ति॥", | |
"‘‘बुद्धानुबुद्धो सो थेरो, कोण्डञ्ञो तिब्बनिक्कमो।", | |
"लाभी सुखविहारानं, विवेकानं अभिण्हसो॥", | |
"‘‘यं", | |
"सब्बस्स तं अनुप्पत्तं, अप्पमत्तस्स सिक्खतो॥", | |
"‘‘महानुभावो", | |
"कोण्डञ्ञो बुद्धदायादो", | |
"‘‘नगस्स पस्से आसीनं, मुनिं दुक्खस्स पारगुं।", | |
"सावका पयिरुपासन्ति, तेविज्जा मच्चुहायिनो॥", | |
"‘‘ते", | |
"चित्तं नेसं समन्नेसं", | |
"‘‘एवं", | |
"अनेकाकारसम्पन्नं, पयिरुपासन्ति गोतम’’न्ति॥", | |
"‘‘चन्दो", | |
"विरोचति विगतमलोव भाणुमा।", | |
"एवम्पि अङ्गीरस त्वं महामुनि,", | |
"अतिरोचसि यससा सब्बलोक’’न्ति॥", | |
"‘‘कावेय्यमत्ता विचरिम्ह पुब्बे, गामा गामं पुरा पुरं।", | |
"अथद्दसाम सम्बुद्धं, सद्धा नो उपपज्जथ॥", | |
"‘‘सो मे धम्ममदेसेसि, खन्धायतनधातुयो", | |
"तस्साहं धम्मं सुत्वान, पब्बजिं अनगारियं॥", | |
"‘‘बहुन्नं वत अत्थाय, बोधिं अज्झगमा मुनि।", | |
"भिक्खूनं भिक्खुनीनञ्च, ये नियामगतद्दसा॥", | |
"‘‘स्वागतं", | |
"तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, कतं बुद्धस्स सासनं॥", | |
"‘‘पुब्बेनिवासं जानामि, दिब्बचक्खुं विसोधितं।", | |
"तेविज्जो इद्धिपत्तोम्हि, चेतोपरियायकोविदो’’ति॥", | |
"निक्खन्तं", | |
"आनन्देन सुभासिता, सारिपुत्तपवारणा।", | |
"परोसहस्सं कोण्डञ्ञो, मोग्गल्लानेन गग्गरा।", | |
"वङ्गीसेन द्वादसाति॥", | |
"‘‘विवेककामोसि वनं पविट्ठो,", | |
"अथ ते मनो निच्छरती बहिद्धा।", | |
"जनो जनस्मिं विनयस्सु छन्दं,", | |
"ततो सुखी होहिसि वीतरागो॥", | |
"‘‘अरतिं पजहासि सतो, भवासि सतं तं सारयामसे।", | |
"पातालरजो हि दुत्तरो, मा तं कामरजो अवाहरि॥", | |
"‘‘सकुणो यथा पंसुकुन्थितो", | |
"एवं", | |
"‘‘उट्ठेहि भिक्खु किं सेसि, को अत्थो सुपितेन", | |
"आतुरस्स हि का निद्दा, सल्लविद्धस्स रुप्पतो॥", | |
"‘‘याय", | |
"तमेव सद्धं ब्रूहेहि, मा निद्दाय वसं गमी’’ति॥", | |
"‘‘अनिच्चा अद्धुवा कामा, येसु मन्दोव मुच्छितो।", | |
"बद्धेसु", | |
"‘‘छन्दरागस्स विनया, अविज्जासमतिक्कमा।", | |
"तं ञाणं परमोदानं", | |
"‘‘छेत्वा", | |
"असोकं अनुपायासं, कस्मा पब्बजितं तपे॥", | |
"‘‘आरद्धवीरियं पहितत्तं, निच्चं दळ्हपरक्कमं।", | |
"निब्बानं अभिकङ्खन्तं, कस्मा पब्बजितं तपे’’ति॥", | |
"‘‘गिरिदुग्गचरं छेतं, अप्पपञ्ञं अचेतसं।", | |
"अकाले ओवदं भिक्खु, मन्दोव पटिभाति मं॥", | |
"‘‘सुणाति न विजानाति, आलोकेति न पस्सति।", | |
"धम्मस्मिं भञ्ञमानस्मिं, अत्थं बालो न बुज्झति॥", | |
"‘‘सचेपि", | |
"नेव दक्खति रूपानि, चक्खु हिस्स न विज्जती’’ति॥", | |
"‘‘अरति विय मेज्ज खायति,", | |
"बहुके दिस्वान विवित्ते आसने।", | |
"ते चित्तकथा बहुस्सुता,", | |
"कोमे गोतमसावका गता’’ति॥", | |
"‘‘मागधं", | |
"मगा विय असङ्गचारिनो, अनिकेता विहरन्ति भिक्खवो’’ति॥", | |
"‘‘रुक्खमूलगहनं पसक्किय, निब्बानं हदयस्मिं ओपिय।", | |
"झा", | |
"‘‘तत्थ चित्तं पणिधेहि, यत्थ ते वुसितं पुरे।", | |
"तावतिंसेसु देवेसु, सब्बकामसमिद्धिसु।", | |
"पुरक्खतो परिवुतो, देवकञ्ञाहि सोभसी’’ति॥", | |
"‘‘दुग्गता", | |
"ते चापि दुग्गता सत्ता, देवकञ्ञाहि पत्थिता’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"आवासं नरदेवानं, तिदसानं यसस्सिन’’न्ति॥", | |
"‘‘न त्वं बाले विजानासि, यथा अरहतं वचो।", | |
"अनिच्चा सब्बसङ्खारा, उप्पादवयधम्मिनो।", | |
"उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति, तेसं वूपसमो सुखो॥", | |
"‘‘नत्थि दानि पुनावासो, देवकायस्मि जालिनि।", | |
"विक्खीणो जातिसंसारो, नत्थि दानि पुनब्भवो’’ति॥", | |
"‘‘काले पविस नागदत्त, दिवा च आगन्त्वा अतिवेलचारी।", | |
"संसट्ठो गहट्ठेहि, समानसुखदुक्खो॥", | |
"‘‘भायामि नागदत्तं सुप्पगब्भं, कुलेसु विनिबद्धं।", | |
"मा हेव मच्चुरञ्ञो बलवतो, अन्तकस्स वसं उपेसी’’ति", | |
"‘‘नदीतीरेसु सण्ठाने, सभासु रथियासु च।", | |
"जना सङ्गम्म मन्तेन्ति, मञ्च तञ्च", | |
"‘‘बहूहि सद्दा पच्चूहा, खमितब्बा तपस्सिना।", | |
"न तेन मङ्कु होतब्बं, न हि तेन किलिस्सति॥", | |
"‘‘यो च सद्दपरित्तासी, वने वातमिगो यथा।", | |
"लहुचित्तोति तं आहु, नास्स सम्पज्जते वत’’न्ति॥", | |
"‘‘एकका मयं अरञ्ञे विहराम,", | |
"अपविद्धंव", | |
"एतादिसिकाय रत्तिया,", | |
"को सु नामम्हेहि", | |
"‘‘एककोव", | |
"तस्स ते बहुका पिहयन्ति, नेरयिका विय सग्गगामिन’’न्ति॥", | |
"‘‘कस्मा तुवं धम्मपदानि भिक्खु, नाधीयसि भिक्खूहि संवसन्तो।", | |
"सुत्वान धम्मं लभतिप्पसादं, दिट्ठेव धम्मे लभतिप्पसंस’’न्ति॥", | |
"‘‘अहु पुरे धम्मपदेसु छन्दो, याव विरागेन समागमिम्ह।", | |
"यतो", | |
"अञ्ञाय निक्खेपनमाहु सन्तो’’ति॥", | |
"‘‘अयोनिसो", | |
"अयोनिसो", | |
"‘‘सत्थारं", | |
"अधिगच्छसि पामोज्जं, पीतिसुखमसंसयं।", | |
"ततो पामोज्जबहुलो, दुक्खस्सन्तं करिस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘ठिते मज्झन्हिके काले, सन्निसीवेसु", | |
"सणतेव ब्रहारञ्ञं, तं भयं पटिभाति मं॥", | |
"‘‘ठिते मज्झन्हिके काले, सन्निसीवेसु पक्खिसु।", | |
"सणतेव ब्रहारञ्ञं, सा रति पटिभाति म’’न्ति॥", | |
"‘‘सुखजीविनो पुरे आसुं, भिक्खू गोतमसावका।", | |
"अनिच्छा पिण्डमेसना, अनिच्छा सयनासनं।", | |
"लोके अनिच्चतं ञत्वा, दुक्खस्सन्तं अकंसु ते॥", | |
"‘‘दुप्पोसं कत्वा अत्तानं, गामे गामणिका विय।", | |
"भुत्वा भुत्वा निपज्जन्ति, परागारेसु मुच्छिता॥", | |
"‘‘सङ्घस्स", | |
"अपविद्धा", | |
"‘‘ये खो पमत्ता विहरन्ति, ते मे सन्धाय भासितं।", | |
"ये अप्पमत्ता विहरन्ति, नमो तेसं करोमह’’न्ति॥", | |
"‘‘यमेतं वारिजं पुप्फं, अदिन्नं उपसिङ्घसि।", | |
"एकङ्गमेतं थेय्यानं, गन्धत्थेनोसि मारिसा’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"अथ केन नु वण्णेन, गन्धत्थेनोति वुच्चति॥", | |
"‘‘य्वायं भिसानि खनति, पुण्डरीकानि भञ्जति।", | |
"एवं आकिण्णकम्मन्तो, कस्मा एसो न वुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘आकिण्णलुद्दो", | |
"तस्मिं मे वचनं नत्थि, त्वञ्चारहामि वत्तवे॥", | |
"‘‘अनङ्गणस्स पोसस्स, निच्चं सुचिगवेसिनो।", | |
"वालग्गमत्तं पापस्स, अब्भामत्तंव खायती’’ति॥", | |
"‘‘अद्धा मं यक्ख जानासि, अथो मे अनुकम्पसि।", | |
"पुनपि यक्ख वज्जासि, यदा पस्ससि एदिस’’न्ति॥", | |
"‘‘नेव", | |
"त्वमेव भिक्खु जानेय्य, येन गच्छेय्य सुग्गति’’न्ति॥", | |
"विवेकं", | |
"आनन्दो अनुरुद्धो च, नागदत्तञ्च कुलघरणी॥", | |
"वज्जिपुत्तो च वेसाली, सज्झायेन अयोनिसो।", | |
"मज्झन्हिकालम्हि पाकतिन्द्रिय, पदुमपुप्फेन चुद्दस भवेति॥", | |
"‘‘रूपं न जीवन्ति वदन्ति बुद्धा, कथं न्वयं विन्दतिमं सरीरं।", | |
"कुतस्स अट्ठीयकपिण्डमेति, कथं न्वयं सज्जति गब्भरस्मि’’न्ति॥", | |
"‘‘पठमं कललं होति, कलला होति अब्बुदं।", | |
"अब्बुदा जायते पेसि, पेसि निब्बत्तती घनो।", | |
"घना पसाखा जायन्ति, केसा लोमा नखापि च॥", | |
"‘‘यञ्चस्स भुञ्जती माता, अन्नं पानञ्च भोजनं।", | |
"तेन सो तत्थ यापेति, मातुकुच्छिगतो नरो’’ति॥", | |
"‘‘सब्बगन्थप्पहीनस्स", | |
"समणस्स न तं साधु, यदञ्ञमनुसाससी’’ति", | |
"‘‘येन केनचि वण्णेन, संवासो सक्क जायति।", | |
"न तं अरहति सप्पञ्ञो, मनसा अनुकम्पितुं॥", | |
"‘‘मनसा चे पसन्नेन, यदञ्ञमनुसासति।", | |
"न तेन होति संयुत्तो, यानुकम्पा", | |
"‘‘रागो", | |
"अरती रती लोमहंसो कुतोजा।", | |
"कुतो समुट्ठाय मनोवितक्का,", | |
"कुमारका धङ्कमिवोस्सजन्ती’’ति॥", | |
"‘‘रागो च दोसो च इतोनिदाना,", | |
"अरती रती लोमहंसो इतोजा।", | |
"इतो समुट्ठाय मनोवितक्का,", | |
"कुमारका धङ्कमिवोस्सजन्ति॥", | |
"‘‘स्नेहजा अत्तसम्भूता, निग्रोधस्सेव खन्धजा।", | |
"पुथू विसत्ता कामेसु, मालुवाव वितता", | |
"‘‘ये", | |
"ते नं विनोदेन्ति सुणोहि यक्ख।", | |
"ते दुत्तरं ओघमिमं तरन्ति,", | |
"अतिण्णपुब्बं अपुनब्भवाया’’ति॥", | |
"‘‘सतीमतो", | |
"सतीमतो सुवे सेय्यो, वेरा च परिमुच्चती’’ति॥", | |
"‘‘सतीमतो सदा भद्दं, सतिमा सुखमेधति।", | |
"सतीमतो सुवे सेय्यो, वेरा न परिमुच्चति॥", | |
"‘‘यस्स सब्बमहोरत्तं", | |
"मेत्तं सो सब्बभूतेसु, वेरं तस्स न केनची’’ति॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं॥", | |
"‘‘उपोसथं उपवसन्ति, ब्रह्मचरियं चरन्ति ये।", | |
"न तेहि यक्खा कीळन्ति, इति मे अरहतं सुतं।", | |
"सा दानि अज्ज पस्सामि, यक्खा कीळन्ति सानुना’’ति॥", | |
"‘‘चातुद्दसिं", | |
"पाटिहारियपक्खञ्च, अट्ठङ्गसुसमागतं।", | |
"उपोसथं", | |
"‘‘न तेहि यक्खा कीळन्ति, साहु ते अरहतं सुतं।", | |
"सानुं पबुद्धं वज्जासि, यक्खानं वचनं इदं।", | |
"माकासि पापकं कम्मं, आवि वा यदि वा रहो॥", | |
"‘‘सचे", | |
"न ते दुक्खा पमुत्यत्थि, उप्पच्चापि पलायतो’’ति॥", | |
"‘‘मतं वा अम्म रोदन्ति, यो वा जीवं न दिस्सति।", | |
"जीवन्तं अम्म पस्सन्ती, कस्मा मं अम्म रोदसी’’ति॥", | |
"‘‘मतं वा पुत्त रोदन्ति, यो वा जीवं न दिस्सति।", | |
"यो च कामे चजित्वान, पुनरागच्छते इध।", | |
"तं वापि पुत्त रोदन्ति, पुन जीवं मतो हि सो॥", | |
"‘‘कुक्कुळा उब्भतो तात, कुक्कुळं", | |
"नरका उब्भतो तात, नरकं पतितुमिच्छसि॥", | |
"‘‘अभिधावथ", | |
"आदित्ता नीहतं", | |
"‘‘मा सद्दं करि पियङ्कर, भिक्खु धम्मपदानि भासति।", | |
"अपि", | |
"‘‘पाणेसु च संयमामसे, सम्पजानमुसा न भणामसे।", | |
"सिक्खेम सुसील्यमत्तनो", | |
"‘‘तुण्ही उत्तरिके होहि, तुण्ही होहि पुनब्बसु।", | |
"यावाहं बुद्धसेट्ठस्स, धम्मं सोस्सामि सत्थुनो॥", | |
"‘‘निब्बानं भगवा आह, सब्बगन्थप्पमोचनं।", | |
"अतिवेला च मे होति, अस्मिं धम्मे पियायना॥", | |
"‘‘पियो लोके सको पुत्तो, पियो लोके सको पति।", | |
"ततो पियतरा मय्हं, अस्स धम्मस्स मग्गना॥", | |
"‘‘न हि पुत्तो पति वापि, पियो दुक्खा पमोचये।", | |
"यथा सद्धम्मस्सवनं, दुक्खा मोचेति पाणिनं॥", | |
"‘‘लोके दुक्खपरेतस्मिं, जरामरणसंयुते।", | |
"जरामरणमोक्खाय, यं धम्मं अभिसम्बुधं।", | |
"तं धम्मं सोतुमिच्छामि, तुण्ही होहि पुनब्बसू’’ति॥", | |
"‘‘अम्मा न ब्याहरिस्सामि, तुण्हीभूतायमुत्तरा।", | |
"धम्ममेव निसामेहि, सद्धम्मस्सवनं सुखं।", | |
"सद्धम्मस्स अनञ्ञाय, अम्मा दुक्खं चरामसे॥", | |
"‘‘एस", | |
"बुद्धो अन्तिमसारीरो, धम्मं देसेति चक्खुमा’’ति॥", | |
"‘‘साधु खो पण्डितो नाम, पुत्तो जातो उरेसयो।", | |
"पुत्तो मे बुद्धसेट्ठस्स, धम्मं सुद्धं पियायति॥", | |
"‘‘पुनब्बसु", | |
"दिट्ठानि अरियसच्चानि, उत्तरापि सुणातु मे’’ति॥", | |
"‘‘सतं हत्थी सतं अस्सा, सतं अस्सतरीरथा।", | |
"सतं कञ्ञासहस्सानि, आमुक्कमणिकुण्डला।", | |
"एकस्स पदवीतिहारस्स, कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘अभिक्कम", | |
"अभिक्कमनं ते सेय्यो, नो पटिक्कमन’’न्ति॥", | |
"‘‘सतं", | |
"कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘अभिक्कम गहपति, अभिक्कम गहपति।", | |
"अभिक्कमनं ते सेय्यो, नो पटिक्कमन’’न्ति॥", | |
"‘‘सतं हत्थी सतं अस्सा…पे॰…", | |
"कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘अभिक्कम गहपति, अभिक्कम गहपति।", | |
"अभिक्कमनं ते सेय्यो, नो पटिक्कमन’’न्ति॥", | |
"‘‘सब्बदा वे सुखं सेति, ब्राह्मणो परिनिब्बुतो।", | |
"यो न लिम्पति कामेसु, सीतिभूतो निरूपधि॥", | |
"‘‘सब्बा आसत्तियो छेत्वा, विनेय्य हदये दरं।", | |
"उपसन्तो सुखं सेति, सन्तिं पप्पुय्य चेतसा’’ति", | |
"‘‘किं मे कता राजगहे मनुस्सा, मधुपीताव सेयरे।", | |
"ये सुक्कं न पयिरुपासन्ति, देसेन्तिं अमतं पदं॥", | |
"‘‘तञ्च पन अप्पटिवानीयं, असेचनकमोजवं।", | |
"पिवन्ति मञ्ञे सप्पञ्ञा, वलाहकमिव पन्थगू’’ति", | |
"‘‘पुञ्ञं वत पसवि बहुं, सप्पञ्ञो वतायं उपासको।", | |
"यो सुक्काय अदासि भोजनं, सब्बगन्थेहि विप्पमुत्तिया’’ति", | |
"‘‘पुञ्ञं", | |
"यो चीराय अदासि चीवरं, सब्बयोगेहि विप्पमुत्तिया’’ति", | |
"‘‘किंसूध वित्तं पुरिसस्स सेट्ठं, किंसु सुचिण्णं सुखमावहाति।", | |
"किंसु हवे सादुतरं रसानं, कथंजीविं जीवितमाहु सेट्ठ’’न्ति॥", | |
"‘‘सद्धीध वित्तं पुरिस्स सेट्ठं, धम्मो सुचिण्णो सुखमावहाति।", | |
"सच्चं हवे सादुतरं रसानं, पञ्ञाजीविं जीवितमाहु सेट्ठ’’न्ति॥", | |
"‘‘कथंसु तरति ओघं, कथंसु तरति अण्णवं।", | |
"कथंसु दुक्खमच्चेति, कथंसु परिसुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘सद्धाय", | |
"वीरियेन दुक्खमच्चेति, पञ्ञाय परिसुज्झती’’ति॥", | |
"‘‘कथंसु लभते पञ्ञं, कथंसु विन्दते धनं।", | |
"कथंसु कित्तिं पप्पोति, कथं मित्तानि गन्थति।", | |
"अस्मा लोका परं लोकं, कथं पेच्च न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘सद्दहानो अरहतं, धम्मं निब्बानपत्तिया।", | |
"सुस्सूसं", | |
"‘‘पतिरूपकारी", | |
"सच्चेन", | |
"अस्मा लोका परं लोकं, एवं पेच्च न सोचति॥", | |
"‘‘यस्सेते चतुरो धम्मा, सद्धस्स घरमेसिनो।", | |
"सच्चं दम्मो धिति चागो, स वे पेच्च न सोचति॥", | |
"‘‘इङ्घ अञ्ञेपि पुच्छस्सु, पुथू समणब्राह्मणे।", | |
"यदि सच्चा दम्मा चागा, खन्त्या भिय्योध विज्जती’’ति॥", | |
"‘‘कथं नु दानि पुच्छेय्यं, पुथू समणब्राह्मणे।", | |
"योहं", | |
"‘‘अत्थाय वत मे बुद्धो, वासायाळविमागमा", | |
"योहं", | |
"‘‘सो अहं विचरिस्सामि, गामा गामं पुरा पुरं।", | |
"नमस्समानो सम्बुद्धं, धम्मस्स च सुधम्मत’’न्ति॥", | |
"इन्दको सक्क सूचि च, मणिभद्दो च सानु च।", | |
"पियङ्कर पुनब्बसु सुदत्तो च, द्वे सुक्का चीरआळवीति द्वादस॥", | |
"‘‘अनुट्ठहं अवायामं, सुखं यत्राधिगच्छति।", | |
"सुवीर तत्थ गच्छाहि, मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अलस्वस्स", | |
"सब्बकामसमिद्धस्स, तं मे सक्क वरं दिसा’’ति॥", | |
"‘‘यत्थालसो", | |
"सुवीर तत्थ गच्छाहि, मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अकम्मुना", | |
"असोकं अनुपायासं, तं मे सक्क वरं दिसा’’ति॥", | |
"‘‘सचे अत्थि अकम्मेन, कोचि क्वचि न जीवति।", | |
"निब्बानस्स हि सो मग्गो, सुवीर तत्थ गच्छाहि।", | |
"मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अनुट्ठहं", | |
"सुसीम तत्थ गच्छाहि, मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अलस्वस्स", | |
"सब्बकामसमिद्धस्स, तं मे सक्क वरं दिसा’’ति॥", | |
"‘‘यत्थालसो अनुट्ठाता, अच्चन्तं सुखमेधति।", | |
"सुसीम तत्थ गच्छाहि, मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अकम्मुना देवसेट्ठ, सक्क विन्देमु यं सुखं।", | |
"असोकं अनुपायासं, तं मे सक्क वरं दिसा’’ति॥", | |
"‘‘सचे अत्थि अकम्मेन, कोचि क्वचि न जीवति।", | |
"निब्बानस्स हि सो मग्गो, सुसीम तत्थ गच्छाहि।", | |
"मञ्च तत्थेव पापया’’ति॥", | |
"‘‘अरञ्ञे रुक्खमूले वा, सुञ्ञागारेव भिक्खवो।", | |
"अनुस्सरेथ", | |
"‘‘नो", | |
"अथ धम्मं सरेय्याथ, निय्यानिकं सुदेसितं॥", | |
"‘‘नो चे धम्मं सरेय्याथ, निय्यानिकं सुदेसितं।", | |
"अथ सङ्घं सरेय्याथ, पुञ्ञक्खेत्तं अनुत्तरं॥", | |
"‘‘एवं बुद्धं सरन्तानं, धम्मं सङ्घञ्च भिक्खवो।", | |
"भयं वा छम्भितत्तं वा, लोमहंसो न हेस्सती’’ति॥", | |
"‘‘भया नु मघवा सक्क, दुब्बल्या नो तितिक्खसि।", | |
"सुणन्तो फरुसं वाचं, सम्मुखा वेपचित्तिनो’’ति॥", | |
"‘‘नाहं", | |
"कथञ्हि मादिसो विञ्ञू, बालेन पटिसंयुजे’’ति॥", | |
"‘‘भिय्यो बाला पभिज्जेय्युं, नो चस्स पटिसेधको।", | |
"तस्मा भुसेन दण्डेन, धीरो बालं निसेधये’’ति॥", | |
"‘‘एतदेव", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मती’’ति॥", | |
"‘‘एतदेव तितिक्खाय, वज्जं पस्सामि वासव।", | |
"यदा नं मञ्ञति बालो, भया म्यायं तितिक्खति।", | |
"अज्झारुहति दुम्मेधो, गोव भिय्यो पलायिन’’न्ति॥", | |
"‘‘कामं", | |
"सदत्थपरमा अत्था, खन्त्या भिय्यो न विज्जति॥", | |
"‘‘यो हवे बलवा सन्तो, दुब्बलस्स तितिक्खति।", | |
"तमाहु परमं खन्तिं, निच्चं खमति दुब्बलो॥", | |
"‘‘अबलं तं बलं आहु, यस्स बालबलं बलं।", | |
"बलस्स धम्मगुत्तस्स, पटिवत्ता न विज्जति॥", | |
"‘‘तस्सेव तेन पापियो, यो कुद्धं पटिकुज्झति।", | |
"कुद्धं अप्पटिकुज्झन्तो, सङ्गामं जेति दुज्जयं॥", | |
"‘‘उभिन्नमत्थं", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मति॥", | |
"‘‘उभिन्नं", | |
"जना मञ्ञन्ति बालोति, ये धम्मस्स अकोविदा’’ति॥", | |
"‘‘भिय्यो बाला पभिज्जेय्युं, नो चस्स पटिसेधको।", | |
"तस्मा भुसेन दण्डेन, धीरो बालं निसेधये’’ति॥", | |
"‘‘एतदेव", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मती’’ति॥", | |
"‘‘एतदेव तितिक्खाय, वज्जं पस्सामि वासव।", | |
"यदा नं मञ्ञति बालो, भया म्यायं तितिक्खति।", | |
"अज्झारुहति दुम्मेधो, गोव भिय्यो पलायिन’’न्ति॥", | |
"‘‘कामं मञ्ञतु वा मा वा, भया म्यायं तितिक्खति।", | |
"सदत्थपरमा अत्था, खन्त्या भिय्यो न विज्जति॥", | |
"‘‘यो हवे बलवा सन्तो, दुब्बलस्स तितिक्खति।", | |
"तमाहु परमं खन्तिं, निच्चं खमति दुब्बलो॥", | |
"‘‘अबलं", | |
"बलस्स धम्मगुत्तस्स, पटिवत्ता न विज्जति॥", | |
"‘‘तस्सेव तेन पापियो, यो कुद्धं पटिकुज्झति।", | |
"कुद्धं अप्पटिकुज्झन्तो, सङ्गामं जेति दुज्जयं॥", | |
"‘‘उभिन्नमत्थं", | |
"परं सङ्कुपितं ञत्वा, यो सतो उपसम्मति॥", | |
"‘‘उभिन्नं", | |
"जना मञ्ञन्ति बालोति, ये धम्मस्स अकोविदा’’ति॥", | |
"‘‘कुलावका मातलि सिम्बलिस्मिं,", | |
"ईसामुखेन परिवज्जयस्सु।", | |
"कामं चजाम असुरेसु पाणं,", | |
"मायिमे दिजा विकुलावका", | |
"‘‘यं मुसा भणतो पापं, यं पापं अरियूपवादिनो।", | |
"मित्तद्दुनो च यं पापं, यं पापं अकतञ्ञुनो।", | |
"तमेव पापं फुसतु", | |
"‘‘वायमेथेव", | |
"निप्फन्नसोभनो", | |
"‘‘वायमेथेव", | |
"निप्फन्नसोभनो अत्थो", | |
"‘‘सब्बे", | |
"संयोगपरमा त्वेव, सम्भोगा सब्बपाणिनं।", | |
"निप्फन्नसोभनो अत्थो, वेरोचनवचो इद’’न्ति॥", | |
"‘‘सब्बे सत्ता अत्थजाता, तत्थ तत्थ यथारहं।", | |
"संयोगपरमा त्वेव, सम्भोगा सब्बपाणिनं।", | |
"निप्फन्नसोभनो अत्थो, खन्त्या भिय्यो न विज्जती’’ति॥", | |
"‘‘गन्धो", | |
"काया चुतो गच्छति मालुतेन।", | |
"इतो", | |
"गन्धो इसीनं असुचि देवराजा’’ति॥", | |
"‘‘गन्धो इसीनं चिरदिक्खितानं,", | |
"काया चुतो गच्छतु", | |
"सुचित्रपुप्फं सिरस्मिंव मालं।", | |
"गन्धं", | |
"न हेत्थ देवा पटिकूलसञ्ञिनो’’ति॥", | |
"‘‘इसयो सम्बरं पत्ता, याचन्ति अभयदक्खिणं।", | |
"कामंकरो हि ते दातुं, भयस्स अभयस्स वा’’ति॥", | |
"‘‘इसीनं अभयं नत्थि, दुट्ठानं सक्कसेविनं।", | |
"अभयं याचमानानं, भयमेव ददामि वो’’ति॥", | |
"‘‘अभयं", | |
"पटिग्गण्हाम ते एतं, अक्खयं होतु ते भयं॥", | |
"‘‘यादिसं वपते बीजं, तादिसं हरते फलं।", | |
"कल्याणकारी कल्याणं, पापकारी च पापकं।", | |
"पवुत्तं तात ते बीजं, फलं पच्चनुभोस्ससी’’ति॥", | |
"सुवीरं सुसीमञ्चेव, धजग्गं वेपचित्तिनो।", | |
"सुभासितं जयञ्चेव, कुलावकं नदुब्भियं।", | |
"वेरोचन असुरिन्दो, इसयो अरञ्ञकञ्चेव।", | |
"इसयो च समुद्दकाति॥", | |
"‘‘मातापेत्तिभरं", | |
"सण्हं सखिलसम्भासं, पेसुणेय्यप्पहायिनं॥", | |
"‘‘मच्छेरविनये युत्तं, सच्चं कोधाभिभुं नरं।", | |
"तं वे देवा तावतिंसा, आहु सप्पुरिसो इती’’ति॥", | |
"‘‘मातापेत्तिभरं", | |
"सण्हं सखिलसम्भासं, पेसुणेय्यप्पहायिनं॥", | |
"‘‘मच्छेरविनये युत्तं, सच्चं कोधाभिभुं नरं।", | |
"तं वे देवा तावतिंसा, आहु सप्पुरिसो इती’’ति॥", | |
"‘‘मातापेत्तिभरं जन्तुं, कुले जेट्ठापचायिनं।", | |
"सण्हं सखिलसम्भासं, पेसुणेय्यप्पहायिनं॥", | |
"‘‘मच्छेरविनये युत्तं, सच्चं कोधाभिभुं नरं।", | |
"तं वे देवा तावतिंसा, आहु सप्पुरिसो इती’’ति॥", | |
"‘‘यस्स सद्धा तथागते, अचला सुप्पतिट्ठिता।", | |
"सीलञ्च यस्स कल्याणं, अरियकन्तं पसंसितं॥", | |
"‘‘सङ्घे पसादो यस्सत्थि, उजुभूतञ्च दस्सनं।", | |
"अदलिद्दोति तं आहु, अमोघं तस्स जीवितं॥", | |
"‘‘तस्मा सद्धञ्च सीलञ्च, पसादं धम्मदस्सनं।", | |
"अनुयुञ्जेथ मेधावी, सरं बुद्धान सासन’’न्ति॥", | |
"‘‘आरामचेत्या", | |
"मनुस्सरामणेय्यस्स, कलं नाग्घन्ति सोळसिं॥", | |
"‘‘गामे वा यदि वारञ्ञे, निन्ने वा यदि वा थले।", | |
"यत्थ अरहन्तो विहरन्ति, तं भूमिरामणेय्यक’’न्ति॥", | |
"‘‘यजमानानं मनुस्सानं, पुञ्ञपेक्खान पाणिनं।", | |
"करोतं ओपधिकं पुञ्ञं, कत्थ दिन्नं महप्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘चत्तारो च पटिपन्ना, चत्तारो च फले ठिता।", | |
"एस सङ्घो उजुभूतो, पञ्ञासीलसमाहितो॥", | |
"‘‘यजमानानं मनुस्सानं, पुञ्ञपेक्खान पाणिनं।", | |
"करोतं ओपधिकं पुञ्ञं, सङ्घे दिन्नं महप्फल’’न्ति॥", | |
"‘‘उट्ठेहि", | |
"पन्नभार अनण विचर लोके।", | |
"चित्तञ्च ते सुविमुत्तं,", | |
"चन्दो यथा पन्नरसाय रत्ति’’न्ति॥", | |
"‘‘उट्ठेहि वीर विजितसङ्गाम,", | |
"सत्थवाह अनण विचर लोके।", | |
"देसस्सु भगवा धम्मं,", | |
"अञ्ञातारो भविस्सन्ती’’ति॥", | |
"‘‘तं नमस्सन्ति तेविज्जा, सब्बे भुम्मा च खत्तिया।", | |
"चत्तारो च महाराजा, तिदसा च यसस्सिनो।", | |
"अथ को नाम सो यक्खो, यं त्वं सक्क नमस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘मं नमस्सन्ति तेविज्जा, सब्बे भुम्मा च खत्तिया।", | |
"चत्तारो च महाराजा, तिदसा च यसस्सिनो॥", | |
"‘‘अहञ्च सीलसम्पन्ने, चिररत्तसमाहिते।", | |
"सम्मापब्बजिते वन्दे, ब्रह्मचरियपरायने॥", | |
"‘‘ये गहट्ठा पुञ्ञकरा, सीलवन्तो उपासका।", | |
"धम्मेन दारं पोसेन्ति, ते नमस्सामि मातली’’ति॥", | |
"‘‘सेट्ठा हि किर लोकस्मिं, ये त्वं सक्क नमस्ससि।", | |
"अहम्पि ते नमस्सामि, ये नमस्ससि वासवा’’ति॥", | |
"‘‘इदं वत्वान मघवा, देवराजा सुजम्पति।", | |
"पुथुद्दिसा नमस्सित्वा, पमुखो रथमारुही’’ति॥", | |
"‘‘यञ्हि देवा मनुस्सा च, तं नमस्सन्ति वासव।", | |
"अथ को नाम सो यक्खो, यं त्वं सक्क नमस्ससी’’ति॥", | |
"‘‘यो इध सम्मासम्बुद्धो, अस्मिं लोके सदेवके।", | |
"अनोमनामं सत्थारं, तं नमस्सामि मातलि॥", | |
"‘‘येसं रागो च दोसो च, अविज्जा च विराजिता।", | |
"खीणासवा अरहन्तो, ते नमस्सामि मातलि॥", | |
"‘‘ये रागदोसविनया, अविज्जासमतिक्कमा।", | |
"सेक्खा अपचयारामा, अप्पमत्तानुसिक्खरे।", | |
"ते नमस्सामि मातली’’ति॥", | |
"‘‘सेट्ठा हि किर लोकस्मिं, ये त्वं सक्क नमस्ससि।", | |
"अहम्पि ते नमस्सामि, ये नमस्ससि वासवा’’ति॥", | |
"‘‘इदं वत्वान मघवा, देवराजा सुजम्पति।", | |
"भगवन्तं नमस्सित्वा, पमुखो रथमारुही’’ति॥", | |
"‘‘तञ्हि एते नमस्सेय्युं, पूतिदेहसया नरा।", | |
"निमुग्गा कुणपम्हेते, खुप्पिपाससमप्पिता॥", | |
"‘‘किं नु तेसं पिहयसि, अनागारान वासव।", | |
"आचारं इसिनं ब्रूहि, तं सुणोम वचो तवा’’ति॥", | |
"‘‘एतं तेसं पिहयामि, अनागारान मातलि।", | |
"यम्हा गामा पक्कमन्ति, अनपेक्खा वजन्ति ते॥", | |
"‘‘न तेसं कोट्ठे ओपेन्ति, न कुम्भि", | |
"परनिट्ठितमेसाना", | |
"‘‘सुमन्तमन्तिनो", | |
"देवा विरुद्धा असुरेहि, पुथु मच्चा च मातलि॥", | |
"‘‘अविरुद्धा विरुद्धेसु, अत्तदण्डेसु निब्बुता।", | |
"सादानेसु अनादाना, ते नमस्सामि मातली’’ति॥", | |
"‘‘सेट्ठा हि किर लोकस्मिं, ये त्वं सक्क नमस्ससि।", | |
"अहम्पि ते नमस्सामि, ये नमस्ससि वासवा’’ति॥", | |
"‘‘इदं", | |
"भिक्खुसङ्घं नमस्सित्वा, पमुखो रथमारुही’’ति॥", | |
"देवा पन", | |
"यजमानञ्च वन्दना, तयो सक्कनमस्सनाति॥", | |
"‘‘किंसु छेत्वा सुखं सेति, किंसु छेत्वा न सोचति।", | |
"किस्सस्सु एकधम्मस्स, वधं रोचेसि गोतमा’’ति॥", | |
"‘‘कोधं छेत्वा सुखं सेति, कोधं छेत्वा न सोचति।", | |
"कोधस्स विसमूलस्स, मधुरग्गस्स वासव।", | |
"वधं अरिया पसंसन्ति, तञ्हि छेत्वा न सोचती’’ति॥", | |
"‘‘न", | |
"न वो चिराहं कुज्झामि, कोधो मयि नावतिट्ठति॥", | |
"‘‘कुद्धाहं न फरुसं ब्रूमि, न च धम्मानि कित्तये।", | |
"सन्निग्गण्हामि अत्तानं, सम्पस्सं अत्थमत्तनो’’ति॥", | |
"‘‘मायावी", | |
"उपेति निरयं घोरं, सम्बरोव सतं सम’’न्ति॥", | |
"‘‘कोधो", | |
"अगरहियं मा गरहित्थ, मा च भासित्थ पेसुणं।", | |
"अथ पापजनं कोधो, पब्बतोवाभिमद्दती’’ति॥", | |
"‘‘मा", | |
"अक्कोधो अविहिंसा च, अरियेसु च पटिपदा", | |
"अथ पापजनं कोधो, पब्बतोवाभिमद्दती’’ति॥", | |
"छेत्वा दुब्बण्णियमाया, अच्चयेन अकोधनो।", | |
"देसितं बुद्धसेट्ठेन, इदञ्हि सक्कपञ्चकन्ति॥", | |
"देवता", | |
"ब्रह्मा ब्राह्मण वङ्गीसो, वनयक्खेन वासवोति॥" | |
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