audio
audioduration (s)
1.5
128
text
stringlengths
16
1.6k
gender
class label
2 classes
प्रसिद्द कबीर अध्येता, पुरुषोत्तम अग्रवाल का यह शोध आलेख, उस रामानंद की खोज करता है
0female
किन्तु आधुनिक पांडित्य, न सिर्फ़ एक ब्राह्मण रामानंद के, एक जुलाहे कबीर का गुरु होने से, बल्कि दोनों के समकालीन होने से भी, इनकार करता है
0female
उस पर, इन चार कवियों का गहरा असर है
0female
इसे कई बार मंचित भी किया गया है
0female
यहाँ प्रस्तुत है, हिन्दी कवि कथाकार, तेजी ग्रोवर के अंग्रेज़ी के मार्फ़त किए गए अनुवाद के, कुछ अंश
0female
मूल से, अंग्रेज़ी में लाने का काम, मीना कंदसामी ने किया है, और अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद, गिरिराज किराडू ने
0female
दूसरी तरफ़, साक्षात्कार में वे सुंदर के विरूद्ध, अपनी रणनीति के बारे में बात करते हैं
0female
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, भारतीय संगीत ही नहीं, समूचे कला संसार में, एक विलक्षण उपस्थिति रहे
0female
अपने व्यक्तित्व और वाद, दोनों से, वे शास्त्रीय संगीत में एक नए टाईप थे
0female
उन पर दो हिन्दी कवियों का गद्य, इस फ़ीचर में शामिल है
0female
यतीन्द्र मिश्र का सुर की बारादरी, इस नाम से, पेंग्विन यात्रा से शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक से लिया गया है, जो उनकी कला, स्थानीय परम्परा, उनके व्यक्तित्व को, एक साथ पढ़ती हैं
0female
उस्ताद को ट्रिब्यूट की तरह लिखा गया व्योमेश शुक्ल का गद्य, उनकी कला को, सांस्कृतिक राजनीति के, प्रतिरोध के, संकेतों की तरह देखता है
0female
इस अंक से हम, एक नया खंड, उन कला रूपों पर आरंभ कर रहे हैं, जिन्हें लोक प्रिय या पॉपुलर कहा जाता है
0female
बस इतना पता है कि उस ज़माने में, एशिया यूरोप अफ़्रीका, और शायद अमेरिका महाद्वीप भी, आपस में जुड़े हुए थे
0female
यूरोप का बायाँ हिस्सा अफ़्रीका के दाहिने में, और आस्ट्रेलिया का ऊपरी पश्चिमी किनारा, आज के तमिलनाडु के बगल में था
0female
मतलब कि, यू एन ओ जो सपना हमारे भविष्य के लिए देखता है, वो हमारे इतिहास में, पहले ही पूरा हो चुका है
0female
मतलब कि, भाषा एक एक्शन नहीं, प्रकृति को देखकर दिया गया हमारा रिएक्शन मात्र है
0female
सूरज को देखकर, हर प्रजाति के मनुष्य के मुँह से, रा ही निकला
0female
इसलिए, मिस्र में भी सूर्य भगवान, रा हैं, और सिंधु के इस पार भी, सूर्यवंशी भगवान का नाम, राम है
0female
उसमें कहा गया है, कि एक ज़माना था, जब पूरी दुनिया बाबिलू नाम के एक शहर में बसती थी, और एक ही भाषा बोलती थी
0female
उस शहर के लोगों ने, एक बार, एक बड़ी सी मीनार बनाने की कोशिश की, इतनी ऊँची, कि जिस पे चढ़ के इंसान भगवान के पास पहुँच जाए
0female
उसके दोस्त, प्रेमिकाएँ, और रिश्तेदार, उसे इसी नाम से बुलाते थे, और वो भी, अक्सर समझ जाता था, कि क्वैं उसी को संबोधित है
0female
क्वैं की उम्र तकरीबन अठारह साल रही होगी, यानि कि, वो नवकिशोर था, आज का टीनेजर
0female
शिकार करना अनिवार्य था, लेकिन इस मामले मे, क्वैं थोडा कमज़ोर था
0female
उसे जंगली जान वरों से डर लगता था
0female
मतलब कि, क्वैं सिर्फ़ मछलियाँ पकड कर, बहुत दिन चैन से नहीं रह सकता था
0female
उसके अंदर, जाने कहाँ से, एक अजीब सा गुस्सा पनपने लगा था
0female
कबीले में भी झगड़े बढ़ने लगे, और क्वैं के मूक समर्थक, यानि कि कबीले के बड़े लोग भी, अब धीरे धीरे, उससे कटने लगे
0female
वो रात को देर तक जागता, झाड़ियों की आवाज़ में नए नए स्वर सुनता, और उन्हें जोड़कर, कुछ बनाने की कोशिश करता
0female
पर झाड़ियों से आई एक आवाज़ दुबारा नहीं आती, हर बार, नई तरह का स्वर निकलता, और क्वैं, उन्हें याद करते करते, जोड़ते जोड़ते, परेशान हो जाता
0female
जिन दिनों बारिश होती, क्वैं की ये उलझन, और बढ़ जाती
0female
इसलिए अब वो, दिन भर आवाज़ें इकठ्ठी करता फिरता
0female
जहाँ भी कोई नई ध्वनि सुनता, तुरंत उसे दोहराता
0female
नदी किनारे, दो काले गोल पत्थर थे, जो एक दूसरे से रगड़कर, वही आवाज़ दे रहे थे
0female
क्वैं बड़ी देर तक वहाँ बैठा, उनको रगड़ता रहा, उसके सामने एक खज़ाना खुल गया था
0female
पत्थरों में वो आवाज़ें कैद थीं, जिन्हें वो दुनिया भर में ढूँढता फिरता था
0female
अब क्वैं का दिन, दो हिस्सों में बँट गया
0female
इसके बाद, वो आज की आवाज़ वाले पत्थरों को, अलग अलग गुच्छों में बाँधता, और उन्हें अपने कँधे पर, लटका लेता
0female
कई दिन तो ऐसा होता, कि शाम को, कबीले की ओर लौटते वक़्त, उसके पास, पत्थरों के पचास से ज़्यादा समूह होते
0female
कुछ लोगों को तो डर था, कि क्वैं किसी काले देवता की आराधना करता है
0female
इस बीच, क्वैं ने अपने कबीले वालों के साथ, खाना बिल्कुल ही बंद कर दिया
0female
अब वो कच्ची मछली, और फलों पर ही ज़िंदा रहता
0female
महीने बीतते गए, और क्वैं का पत्थरों वाला खज़ाना, बड़ा होता गया
0female
खूँ बेढंग से उन्हें बजाता, और अजीब सी आवाज़ सुनकर, खूब हँसता
0female
कभी कभी क्वैं गुस्से में पत्थर उठाकर, फेंक भी देता
0female
ऐसे ही एक झगड़े में, एक दिन, क्वैं ने खूँ को मार डाला
0female
गुस्से में आकर, उसने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरु कर दिया
0female
खूँ का गुस्सा, अभी भी हरा था, और वो फिर से, क्वैं पे ही झपट पड़ा
0female
लेकिन इस बार, क्वैं के हाथ में, वो बारिश वाले पत्थर थे, काले गोल पत्थर, जो टप टप करते थे
0female
खूँ के नज़दीक आते ही, ये पूरी ताकत से, उसके माथे पर जा पड़े
0female
शायद एक ही वार में, खूँ अंधा हो गया
0female
उसके बाद, क्वैं ने नुकीले पत्थर उठा कर, खूँ की एक एक नस काट डाली
0female
तीन कबीलेवाले बीच में आए, लेकिन वो भी मारे गए
0female
सुबह होते होते पूरा कबीला खाली हो गया
0female
मान लिया गया, कि क्वैं सचमुच रात की ही आराधना करता हैं
0female
उसके अंदर, कोई काली शक्ति आ गई, जो पूरे कबीले को खाने पे आमादा थी
0female
जिन पत्थरों पे खून लग गया था, उन्हें वो डैन्यूब में धो लाया
0female
कबीले में अब अजीब सी शांति थी, सिर्फ़ क्वैं, और उसके पत्थर ही बोलते थे
0female
पर उसे ऐसे ही अच्छा लगता था
0female
उन्होंने अपनी राग अदायगी में, जिस एक चीज़ पर सर्वाधिक मेहनत की है, वो उनका मींड़ का काम है
0female
प्रसिद्ध संगीत विद्वान, चेतन करनानी लिखते हैं, बिस्मिल्ला खान की कला की सबसे बड़ी खूबी ये है कि, उनके ध्वनि विन्यास की शुद्धता, उत्तेजना जगाती है
0female
उनकी सांगीतिक प्रतिभा अप्रतिम है
0female
वे राग का विस्तार करने, उसकी सरंचना के ब्यौरों को उभारने में, हमेशा बेहद सधे हुए और जागरूक रहे हैं
0female
बिस्मिल्ला खान की मींड़, जो उनकी वादन कला का सबसे सशक्त पक्ष बन गयी है, देखने लायक है
0female
वादन के समय, मींड़ लेते वक्त, वे सुरों में जो मोड़ घुमाव और दैवीय स्पर्श महसूस कराते हैं, वो सुनने वाले को, अपूर्व अनुभव देता है
0female
लगता है कि बिस्मिल्ला खान, मींड़ लेते वक्त, शहनाई नहीं बजा रहे, बल्कि शरीर के किसी घाव पर, मरहम कर रहे हैं
0female
शहनाई में मींड़ भरने की यह दिव्यता, उनकी कला यात्रा का सबसे प्रमुख बिन्दु बन गयी है
0female
शहनाई में मींड़ के काम पर, चेतन करनानी की यह बात, बिस्मिल्ला खान के उस घनघोर रियाज़ की ओर इशारा करती है
0female
यदि एक सुर का कोई कण, सही पकड़ में आ गया, तो समझो कि सारा संगीत, तुम्हारी फूँक में उतर आयेगा
0female
सा और रे का फर्क करने की तमीज़, उन्हें मींड़ को बरतने के व्या करण के सन्दर्भ में ही, बचपन से सिखायी गयी थी
0female
संगीत के व्या करण का अनुशासन मिला हुआ है, और पूरब की लोक लय व देसी धुनें, शहनाई के प्याले में आकर ठहर गयी हैं
0female
वो इसी बात की ओर बार बार इशारा करती हैं, कि संगीत के मींड़, व तान की तरह ही, उनके जीवन में कला और रस, एक सुर से दूसरे सुर तक, बिना टूटे हुए पहुँचे हैं
0female
वे एक साधारण इन्सान हैं, जिनके भीतर, आपको अनायास ही, सहज मानवीयता के दर्शन होते हैं
0female
ये खान साहब कोई दूसरे हैं
0female
उनसे मिलना, मोमिन के उस शेर से मिलना है, जहाँ वे यह दर्ज करते हैं, तुम मेरे पास होते हो, जब कोई दूसरा नहीं होता
0female
ये कोई दूसरा न होने जैसा व्यक्ति, एक उस्ताद है, जो प्रेम में पड़े हुये हैं
0female
उन्हें काशी से बे पनाह मुहब्बत है
0female
वो शहनाई को, अपनी प्रस्तुति का एक वाद्य यन्त्र नहीं मानते, बल्कि, उसे सखी, और महबूबा कहते हैं
0female
अपनी पत्नी के गुज़र जाने के बाद से, उनकी यह महबूबा ही, उनके सिरहाने बिस्तर पर, साथ सोती है, और अपने प्रेमी को दो एक क्षण, खुद की खुशी बटोरने का, बहाना देती है
0female
वे आज भी, बचपन में कचौड़ी खिलाने वाली कुलसुम को, पूरी व्यग्रता से याद करते हैं
0female
अपने बड़े भाई, शम्सुद्दीन का जब भी ज़िक्र करते हैं, भीतर के जज़्बात, दोनों आँखों की कोरों में, पानी बनकर, ठहर जाता है
0female
हड़हा सराय से अलग, वे कहीं जाना नहीं चाहते, फिर वो लाहौर हो, या लन्दन, कोई फ़र्क नहीं पड़ता
0female
अपने भरे पूरे कुनबे के साथ रहना, और पाँचों वक्त की नमाज़ में संगीत की शुद्धता को मिला देना, उन्हें बखूबी आता है
0female
गंगा के पानी के लिये उनकी श्रद्धा देखते बनती है
0female
देश में, जब भी कोई फ़साद होता है, तो हर एक से उस्ताद कहने लगते हैं, कि भैया, गंगा के पानी को छू लो, और सुरीले बन जाओ, फिर लड़ नहीं पाओगे
0female
वे प्रेम को इतने नज़दीक से महसूस करते हैं, कि प्रेम का वितान रचने वाले रागों के पीछे पगलाये से घूमते हैं
0female
अपने कमरे में जब बैठते हैं, तब ऊपर आसमान की ओर ताकना, उनकी फ़ितरत में शामिल है
0female
लगता है उनकी शहनाई के सात सुरों ने ही, ऊपर सात आसमान रचा है
0female
खुदा और सुर, संगीत और अज़ान, जैसे उनके शरीर का पानी, और रूह है
0female
उनका पूरा शरीर, और व्यक्तित्व ही, जैसे लय का बागीचा है, जिसे उन्होंने ढेरों घरानों से, अच्छे अच्छे फूल तोड़कर, सजाया हुआ है
0female
इस बागीचे में, आप शुरू से अन्त तक घूम आइये, तो दुनिया भर की सुन्दर चीज़ों के साथ, एक अनन्यता महसूस करेंगें
0female
कुल मिलाकर किस्सा कोताह ये, कि बिस्मिल्ला खान, सिर्फ़ एक कलाकार नहीं हैं, वो मानवीय गरिमा की सबसे सरलतम अभि व्यक्ति हैं
0female
उनके साथ होने में, हमें अपने को थोड़ा बड़ा करने में, मदद मिलती है
0female
आधा गाँव उपन्यास की पहली पंक्ति है
0female
गाज़ीपुर के पुराने तेले में, अब एक स्कूल है, जहां गंगा की लहरों की आवाज़ तो आती है, लेकिन, इतिहास के गुनगुनाने, या ठंडी सांसें, लेने की आवाज़, नहीं आती
0female
अजीब सी पंक्ति नहीं है, गंगा की लहरें, जितनी मूर्त और यथार्थ हैं, इतिहास उतना ही अमूर्त
0female
गंगा की लहरों का, क्या कोई इतिहास नहीं, बिलाशक है, राही मासूम रज़ा, तीसरी ही पंक्ति में बता देते हैं
0female
गंदले पानी की इन महान धाराओं को न जाने कितनी कहानियाँ याद होंगी
0female
इस्लाम और अन्य किसी भी धार्मिक अस्मिता के संदर्भ में, यह देखा जा सकता है कि, वे इलाकाई आधार पर बदलती रहती हैं, और दूसरे, उनके भीतर के कई द्वंद, देखे जा सकते हैं
0female
राष्ट्रवाद सामुदायिक पहचान की तलाश में, आसानी से धर्म की ओर मुड़ता है
0female

Hindi Indic TTS Dataset

This dataset is derived from the Indic TTS Database project, specifically using the Hindi monolingual recordings from both male and female speakers. The dataset contains high-quality speech recordings with corresponding text transcriptions, making it suitable for text-to-speech (TTS) research and development.

Dataset Details

  • Language: Hindi
  • Total Duration: ~10.33 hours (Male: 5.16 hours, Female: 5.18 hours)
  • Audio Format: WAV
  • Sampling Rate: 48000Hz
  • Speakers: 2 (1 male, 1 female native Hindi speakers)
  • Content Type: Monolingual Hindi utterances
  • Recording Quality: Studio-quality recordings
  • Transcription: Available for all audio files

Dataset Source

This dataset is derived from the Indic TTS Database, a special corpus of Indian languages developed by the Speech Technology Consortium at IIT Madras. The original database covers 13 major languages of India and contains 10,000+ spoken sentences/utterances for both monolingual and English recordings.

License & Usage

This dataset is subject to the original Indic TTS license terms. Before using this dataset, please ensure you have read and agreed to the License For Use of Indic TTS.

Acknowledgments

This dataset would not be possible without the work of the Speech Technology Consortium at IIT Madras. Special acknowledgment goes to:

  • Speech Technology Consortium
  • Department of Computer Science & Engineering and Electrical Engineering, IIT Madras
  • Bhashini, MeitY
  • Prof. Hema A Murthy & Prof. S Umesh

Citation

If you use this dataset in your research or applications, please cite the original Indic TTS project:

@misc{indictts2023,
    title = {Indic {TTS}: A Text-to-Speech Database for Indian Languages},
    author = {Speech Technology Consortium and {Hema A Murthy} and {S Umesh}},
    year = {2023},
    publisher = {Indian Institute of Technology Madras},
    url = {https://www.iitm.ac.in/donlab/indictts/},
    institution = {Department of Computer Science and Engineering and Electrical Engineering, IIT MADRAS}
}

Contact

For any issues or queries related to this HuggingFace dataset version, feel free to comment in the Community tab.

For queries related to the original Indic TTS database, please contact: smtiitm@gmail.com

Original Database Access

The original complete database can be accessed at: https://www.iitm.ac.in/donlab/indictts/database

Note: The original database provides access to data in multiple Indian languages and variants. This HuggingFace dataset specifically contains the Hindi monolingual portion of that database.

Downloads last month
90
Edit dataset card