doc_id
large_stringlengths
40
64
text
large_stringlengths
1k
129k
type
large_stringclasses
3 values
76aec208f0bdd281c81d21d6dae2d0fbb1382708
रविवार सुबह कोहरा। चित्रकूट के मानिकपुर के रानीपुर वन्यजीव विहार क्षेत्र व इससे सटे मझगवां चितहरा मप्र इलाके में इन दिनों जिले के जंगलों में बाघ बाघिन की चहल कदमी कर रहे हैं। इस कारण इस क्षेत्र से सटी रेलवे लाइन से गुजरने वाली ट्रेन धीमी गति से गुजर रहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों के पत्र जारी करने के बाद रेलवे के अधिकारियों ने भी इस रूट के ट्रेन चालकों को यह आदेश जारी किया है। बताया गया है कि रेलवे ट्रैक के पास बाघ बाघिन के टहलने के कारण उनकी सुरक्षा के लिए यह सब किया जा रहा है। मानिकपुर के चितहरा-मझगवां वन क्षेत्र में कुछ दिन पहले एक बाघ- बाघिन दिखाई दिये थे। मंगलवार को बाघिन के पंजों के निशान मिलने पर अलर्ट जारी किया गया था। ये दोनों रानीपुर वन्य जीव विहार की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से आ गए हैं। रेलवे के पीडब्ल्यूआइ आशीष कुमार ने बताया कि ट्रेन चालकों को ड्यूटी के दौरान सीटी बजाते रहने को कहा है ताकि जानवर उधर नहीं आएं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
web
0d75757817658bd745b5bfc4fd1ac3686e998c7a
श्रीनगर - दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा में आज अपने साथी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईयूएसटी) के छात्रों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े। विभिन्न विभागों के कई छात्रों ने जुनैद अखूण को हिरासत में लिए जाने के विरोध में विश्वविद्यालय परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली, जो आईयूएसटी के पोलिटेक्निक कालेज से डिप्लोमा कर रहा था। छात्रों ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्र और छात्राओं पर आंसू गैस के गोले छोड़े। छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में छात्रों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया। छात्रों ने कहा कि हम जुनैद को हिरासत में लिए जाने के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने विश्वविद्यालय के परिसर में घुसकर हम पर आंसू गैस के गोले छोड़े। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जुनैद को उसके भाई, सलीआ मोहम्मद अखूण के बारे में पूछताछ के लिए अवंतीपोरा के आरांपोरा गांव में उसके निवास से हिरासत में लिया गया था, उसका भाई एक सक्रिय आतंकवादी है।
web
e2af3e578fb272e69cca7df16ccb28268ee5b7ac
वकील साहब बताए हुए समय पर पहुँच गए थे। औपचारिक परिचय के बाद वे हमें जिम के कॉटेज ले आए. कॉटेज इतना शानदार और इतना सुंदर सजा हुआ था जैसे अभी-अभी कोई यहाँ से उठकर गया हो। पूरी सजावट में सुरुचि का आभास था। चॉकलेटी कालीन पर बेंत के सोफे, दरवाजों पर पड़े परदों में चाँदी की घंटियाँ लगी हुईं जो हवा के स्पर्श से टुनटुनाने लगती थीं। परदे के पीछे से ही एक पहाड़ी नौकर प्रगट हुआ। आते ही हमें सैल्यूट मारा। वकील साहब ने बताया कि यह बरसों से मिस्टर जिम की तीमारदारी करता रहा। मिसेज जिम इसे अपने बच्चे जैसा प्यार देती थीं। कैसा लगता है दादी के लिए यह संबोधन और यह तस्वीर जो ड्राइंगरूम की दीवार पर टँगी है जिसमें जिम के साथ दादी अंग्रेज दुल्हन की सफेद पोशाक में बिल्कुल परी-सी नजर आ रही थीं। "ये मेम साब हैं हमारी... बहुत अच्छी बहुत दयालु - ईश्वर के जैसी - हम आज भी उनके लिए रोते हैं।" कहता हुआ नौकर जल्दी-जल्दी अपने टपकते आँसुओं को पोंछने लगा। संध्या बुआ ने उसकी पीठ पर हाथ फेरकर उसे पुचकारा। "आप लोग आराम करिए, मैं अभी चाय बनाकर लाता हूँ आपके लिए फिर खाना पकाऊँगा - बढ़िया आलू-मटर की तरकारी।" कहता हुआ वह किचन में चला गया। संध्या बुआ तो पलंग पर लेट गई थीं। वीरेंद्र वकील साहब को छोड़ने गेट तक आया था और मैं पूरा कॉटेज घूम-घूमकर देखने लगी। ड्राइंगरूम, लिविंगरूम, स्लीपिंगरूम, रीडिंगरूम, डाइनिंगरूम, मेहमानों का कमरा-किचन, स्टोररूम-बड़ी-बड़ी बाल्कनियाँ जिनके नीचे घाटी की ओर उतरा जा सकता था। घाटी में पहाड़ी चश्मा छलछल बहा जा रहा था। रेत के मैदानों से हरी-भरी घाटियों तक का दादी का सफर - एक पूरा जीवन जिसमें समर्पण था, स्वप्न थे, पीड़ा थी, आकांक्षा थी, आस्था थी, पराजय थी और प्रेम के उन्माद में गहरे डूब जाने का अपार सुख था। बाल्कनी से लगा छोटा-सा पूजाघर जहाँ कृष्ण की मूर्ति थी। पूजाघर देखकर मैं अभिभूत थी। लगा दादी आकर कानों में कह रही हैं - "देख लिया पायल मेरा दूसरा जन्म? यह दूसरा जन्म मेरा ईश्वर का दिया वरदान था।" मुझे न जाने क्या सूझा कि अपने दुपट्टे से कृष्ण की मूर्ति पोंछने लगी। फिर वहीं रखे डिब्बे में से घी में डूबी और ठंड के कारण जमे हुए घी में कठोरता से जुड़ी बत्तियों में से बड़ी मुश्किल से एक बत्ती निकालकर कलश पर रखे दीये में जला दी। बत्ती आँच पाकर धीरे-धीरे पिघलने लगी। मन मेरा भी पिघल रहा था। संध्या बुआ ने आवाज दी - "आओ पायल, खाना लगा दिया है।" सुबह हम ब्रेकफास्ट से निपटे ही थे कि वकील साहब कुछ ज़रूरी कागजात लेकर आ गए. कई जगह मुझे हस्ताक्षर करने थे। उसके बाद वे हमें सेब के बाग दिखाने ले गए. वकील साहब जिम के खास दोस्त थे और बाकायदा पच्चीस वर्षों की दोस्ती थी उनकी। एक-दो बार तो वे जिम और दादी के साथ लंदन भी जा चुके थे। रोज उठना-बैठना था। हँसते हुए बताया - "हमारी तो अंग्रेजी की शिष्या थीं मिसेज जिम।" हम एक साथ चौंके. "भाषा पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी। महीने भर में सीख गईं अंग्रेजी बोलना।" ओह, गर्व से मेरा सिर ऊँचा हो गया। दादी ने दिखा दिया कि औरत किसी भी काम में मर्दों से पीछे नहीं है। संध्या बुआ ने मेरी ओर देखा और हम दोनों ने आँखों ही आँखों में एक-दूसरे से कह दिया और मान भी लिया कि दादी के लिए यह कोई कठिन बात न थी। वे बेहद विदुषी थीं। कई एकड़ भूमि पर सेब के बगीचे थे। मौसम के समय इन्हें ठेके पर उठा दिया जाता था - "आप बिल्कुल परेशान न हों, पूरी देखभाल करूँगा मैं इन बगीचों की। आप और वीरेंद्र जी समय-समय पर आते ही रहेंगे।" वकील साहब ने तसल्ली दी थी। सुनकर मुझे अच्छा ही लगा था। मैंने वीरेंद्र को बगीचा घूमने के बहाने अलग ले-जाकर कहा कि इधर की देखभाल का पूरा चार्ज वकील साहब को वेतन सहित दे दिया जाए तो कैसा रहे? वे मन लगाकर देखभाल करें इसके लिए ये ज़रूरी है। संध्या बुआ को भी मेरा प्रस्ताव पसंद आया। लिहाजा उन्हें इस काम के लिए नियुक्त कर दिया गया। कॉटेज पहाड़ी नौकर सम्हालेगा और साथ में एक-दो बार खासकर गर्मियों में कलकत्ता या बनारस से ट्रिप लगती रहेंगी हम लोगों की। सारी व्यवस्था के बाद वकील साहब ने रात्रि भोज के लिए हमें अपने घर आमंत्रित किया। दूसरे दिन हमें लौट जाना था। रात्रि भोज के बाद वकील साहब हमें कालीबाड़ी रोड पर चहलकदमी कराने ले गए. पूरा शिमला रात की बाँहों में खामोशी से दुबका था। टिमटिमाती बत्तियाँ नीचे घाटियों में बसे घरों में रोशन थीं। "ये काली मंदिर है... जागृत देवी हैं... जो माँगो वही मिल जाता है।" "अच्छा!" संध्या बुआ मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर चली गईं। उनका बजाया पीतल का घंटा देर तक प्रतिध्वनि में गूँजता रहा। दर्शन करके बुआ बाहर आईं - "तुम दोनों दर्शन नहीं करोगे... माँग लो भई आज तो।" मैं हँस दी - "क्या माँगूँ बुआ... सब कुछ तो है।" और वीरेंद्र के साथ मैं दर्शन कर आई पर माँगा कुछ नहीं। मंदिर की छत पर हम बहुत देर तक खड़े रहे, यहाँ से शिमला की रौनक देखते ही बनती है मानो पूरा आसमान घाटी पर उतर आया हो। जब हम ढलवाँ सड़क से अपने कॉटेज की ओर लौट रहे थे तो मैं और बुआ पीछे रह गए. बुआ आहिस्ता-आहिस्ता चल रही थीं। "पायल, मन की शांति सबसे बड़ा धन है जो तुम्हारे पास नहीं है। यही माँग लेतीं काली माँ से?" मैं चुप रही। दुख भी हुआ, बुआ की बात मुझे बुरी लगी, लेकिन उनका कहना भी सही है। शांति तो वास्तव में नहीं मिली मुझे। प्रताप भवन में घटी सभी घटनाओं को लेकर मन बहुत अशांत रहा हमेशा। अभी तक कई सवाल मथे डालते हैं... इन्हीं सवालों ने मेरी नींद उड़ा रखी है। बहुत घना बुना हुआ अंधकार का जाल है और उस जाल में कैद प्रताप भवन। मैंने अंधकार से बगावत कर आलोक को तलाशा लेकिन वह आलोक इतना नन्हा था कि उस बुने जाल को काट नहीं पाया और मैं स्वयं को आलोकित समझ मन-ही-मन संतुष्ट होती रही जबकि वह संतुष्टि थी नहीं... महज भ्रम था। संध्या बुआ और वीरेंद्र गहरी नींद में थे। पहाड़ी नौकर ने फायर प्लेस में लकड़ियाँ सुलगाकर कमरा खासा गरम कर दिया था... मेरी आँखों में नींद का दूर-दूर तक पता न था। मैं दादो के कमरे में आकर उनकी चीजों को देख रही थी। हर चीज में उनकी मौजूदगी समाई थी। बस वे ही नहीं थीं। सामने रैक पर किताबों का भंडार जमा था। अंग्रेजी-हिंदी की किताबें! अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे बहुत अधिक अध्ययन में डूब गई थीं। अध्ययन तो वे प्रताप भवन में रहते हुए भी करती थीं और प्रतिदिन डायरी लिखने की आदत भी बाबा ने डाली थी उनमें। वे डायरी लिखती थीं और रात को बाबा को सुनाती थीं। बाबा हँसते - "डायरी मन का दर्पण है जो तुम्हें तुम्हारी सही तस्वीर दिखाता है, यह आत्मयोग है, आत्मा के दर्शन कराने वाला योग-इसलिए इसे लिखो और गुनो।" अचानक मेरी खोजी दृष्टि ने उनकी डायरी खोज ही ली। शायद इसी की तलाश में मेरी नींद उड़ी थी। हाँ, मैं जानना चाहती थी कि प्रताप भवन छोड़ने के बाद दादी की मनःस्थिति क्या थी। शायद उनके प्रति प्रगाढ़ लगाव वजह हो लेकिन डायरी पाकर अपार खुशी ने मेरे मन को चैन दे दिया। बादामी रंग की डायरी का प्रत्येक पन्ना दादी की लिखावट से भरा था। पन्ने पलटती हुई एक-दो लाइनें पढ़ती हुई मैं कमरे में आकर पलंग पर लेट गई और बहुत देर तक डायरी को सीने से लगाए रही। मानो दादी के पास ही लेटी हूँ मैं। मैंने आँखें मूँद लीं। सुबह घाटी में उतरते हलके-हलके आलोक में जब नींद खुली तो सबसे पहला काम मैंने ये किया कि डायरी को अपने सूटकेस में कपड़ों की तह के नीचे दबा दिया। फिर खिड़की पर पड़ा परदा हटाया... खिड़की की बंद काँच पर रात को गिरे कोहरे ने अपनी चादर चढ़ा रखी थी जो सूरज की किरणों के गुनगुने स्पर्श से लकीरों में बह रहा था। मैंने खिड़की खोल दी। ठंडी हवा की छुअन बदन सिहरा गई. दूसरे दिन हम दिल्ली लौटे। हमसे मिलने राधो बुआ आ गई थीं सो उनके साथ दो दिन बिताकर वीरेंद्र बनारस चला गया और हम कलकत्ता लौट गए. मार्च के वासंती दिन। ठूँठ पेड़ों पर फूल, रस और गंध की मस्ती छाई है। पतझड़ ने पेड़ों की नंगाझोली ले ली थी। वसंत ने उन्हें फिर बसा दिया। लेकिन मेरा मन बसता नहीं, हालाँकि यूनिवर्सिटी में बेहद व्यस्तता है। इम्तहान, पेपर सैटिंग, पेपर करेक्शन, पी-एच.डी. के विद्यार्थियों का वायवा लेना। थककर घर लौटती और मिनटों में नींद घेर लेती। बीच में नींद टूटती तो डायरी पढ़ने का लालच सिर उठा लेता। पर कड़ुआई आँखें इजाजत नहीं देतीं। आजकल मेरी बंगालिन नौकरानी हफ्ते भर की छुट्टी लेकर गाँव गई है और संध्या बुआ रंगरूट की तरह एकदम डिनर के टाइम पर खाना लेकर आ जाती हैं। आज वे जिद कर रही थीं कि मुझे खिलाकर और सुलाकर ही जाएँगी और आज ही मेरा मन उतारू था डायरी के पृष्ठ खोलने को। उनके जाते ही मैंने टेबिल लैंप जलाया और टेबिल की दराज से डायरी निकाल उसे सहलाया मानो दादी का कोमल स्पर्श हो। डायरी का हर पन्ना उनकी जिंदगी का खुला दस्तावेज था।
web
32b81177113e397513b480f9c2beab7f09939759
हाल के वर्षों में, रूस में इस कानून की रक्षा करने वाले लोगों द्वारा कानून का प्रभावशाली उल्लंघन किया गया है। हजारों कानून प्रवर्तन अधिकारियों के अलावा, जो वास्तव में कानून के शासन की रक्षा करते हैं, दुर्भाग्य से, ऐसे लोग हैं जिनके लिए वर्दी का सम्मान सिर्फ खाली शब्द है। पुलिस अधिकारी, जांचकर्ता, न्यायाधीश, अभियोजक और विभिन्न स्तरों के अधिकारी प्रतिवर्ष एक आपराधिक प्रकृति के प्रशासनिक अपराध और अपराध करते हैं। हालाँकि, सुनहरे क्रस्ट वाले कानून के अधिकांश मंत्री उतरते हैं, जैसा कि वे कहते हैं, "थोड़ा डर"। ये लोग स्वयं को हिंसात्मक मानते हैं, उनकी बचत की परतें उन्हें जिम्मेदारी से बचने और अधर्म पैदा करने का अवसर देती हैं। यह विश्वास दिलाते हुए कि वे हर चीज से दूर हो जाएंगे, वे अपनी त्वचा को बचाते हुए, अच्छे और निर्दोष रूसी नागरिकों के अपराधियों को आसानी से अपराधी बना सकते हैं। वृत्तचित्र में "गोल्डन xiwa। रक्षा की पंक्ति "इसके लेखक कानून के सेवकों की निष्पक्षता का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हैं। हमारे देश में बड़ी समस्याएं हैं ताकि न्यायाधीश, अभियोजक, सड़कों पर अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर सकते हैं या यदि वे नशे में हैं तो एक चिकित्सा परीक्षा कर सकते हैं। आज, यह असंभव है। रूस के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की अशुद्धता के चमकदार उदाहरणों के बारे में विस्तार से फिल्म देखेंः
web
a8e3f8ad5cd1c3a6d8e5c9b2177a1d6edcf0adb5
जहां भी हम कर रहे हैं, हर जगह हम दुः खी oohs और aahs दिलेर सुनते हैं। कभी कभी तो यह और भी कर सकते हैं की सूचना नहीं है क्योंकि यह रूप में दुर्घटना से अगर ऐसा होता। लेकिन अन्य स्थितियों में, राज्यों के ऐसे अभिव्यक्तियों बहुत आवेश में व्यक्त किया। और, जैसा कि वे कहते हैं, और बूढ़ी औरत proruha है, दादी बेंच पर बैठे है, लेकिन जब आप अचानक कमर पर तुला खड़े होने के लिए कोशिश करते हैं और सांस छोड़ता हैः "। ओह ओह, ओह,, कोक्सीक्स फिर से बीमार था" या मोटी साथी चल रहा यह भावना है, ठोकर खाई और फिर gasped, पकड़कर उसके पैर की हड्डी उखड़ गई। और, इन कराह रही लोगों को देखने के बाद, सवाल मन में आता हैः "लेकिन, शायद, न केवल दर्द, अवसाद और क्रोध से, इन बांटे जाने से झटकेदार साँस, लेकिन यह भी अन्य भावनात्मक राज्यों पर? "। कौन एक कहानी नहीं पढ़ा है और बच्चों के लिए कार्टून नहीं लग "ओह, और आह"? किसी ने पूछ सकते हैं, हर कोई दो पड़ोसियों है, जो जीवन और सीमा शुल्क के माध्यम से एक दूसरे से अलग याद रखता है। एक उल्लासपूर्ण और आशावादी और अन्य निराशावादी पीड़ित। तो, यह कहानी से पता चलता है कि, आखा के विपरीत, ओह सामान्य का प्रतीक हैः - हताशा के राज्य - "ओह, नहीं जीवन और कठिन परिश्रम है। " - नकारात्मक रवैया - "ओह, इतनी मेहनत से एक घोड़े की तरह हल। " - अफ़सोस की बात है और आक्रोश शोकपूर्ण - ओह, कैसे थक मुझे क्या करना "। - उदासी, निराशा और खेद - "। ओह, दिल में दुख की बात" - दुः ख, संकट और पीड़ा - "। ओह, हाय मुझे दुः ख है" लेकिन हमेशा नहीं moans इसलिए दुखी हैं। कभी कभी ये विस्मय जैसे चुटकुले में इस्तेमाल कियाः "छोटे (मृत) ओह ओह, ओह, अच्छी तरह से मैं बहरा नहीं हूँ" . . . और कुछ मामलों में प्रशंसा मेंः "ओह, कितना प्यारा" हां, यह खुशी और आश्चर्य oohs अक्सर फूटना, लेकिन वे काफी एक अलग स्वर स्पष्ट कर रहे हैं, और सब मज़ा देः - ओह, कितना अच्छा ठीक है मटर। - ओह, यह अच्छा पाउडर है। - ओह ओह, ओह, है, और क्या सुंदर है! - ओह, कल बुरा था, और क्या यह आज स्वस्थ है। - ओह, और vkusnetsky पाई। - ओह, कैसे अच्छा, तो क्या! oohs भी जो डांटना कर सकते हैं का पीछाः "ओह, Alyosha और शरारती ओह, इस Zinka ओह, और बच्चों के . . . " एक और बात - प्यार का दर्द महसूस कर से "। ओह, मेरा दिल दुखता है ऊह, प्यार भाट। " यह उल्लेखनीय है कि ओखा की आहें और सर्दियों में छेद है, जहां स्विमसूट में लोगों तापमान ठंड में कूद में गिर गयी है। इसके अलावा स्पोर्ट्स हॉल, जहां भारोत्तोलक लोहे की छड़ उठाते हैं और एक सौ किलोग्राम से अधिक छाती पर ले जा रही है, हिंसक साँस छोड़ते मेंः "ओह"। जम्पर्स और दूसरे स्थान, पहलवानों, और जटिल अभ्यास के प्रदर्शन के दौरान उनके लिए महत्वपूर्ण क्षणों में फिगर स्केटिंग का मालिक अचानक ओह एक ज़ोर से दे सकते हैं। लेकिन सभी अपने लंबे जीवन में आम आदमी उह, उह, उह के रूप में गूँज उठता है, कि, अगर आप उन सब को गिनती, आप दस साल की कुल मिलता है।
web
089b78f367517efcb0352dc881bf834d4cb5ca9d
नई दिल्ली : पाकिस्तानी गोलीबारी, आतंकवाद और पत्थरबाज से जहां इस समय पूरा कश्मीर जल रहा हैं. वहीं इन सबके बीच अब कश्मीर में भारत माता की जय के नारे भी लगने लगे हैं. हमेशा आजादी की मांग करने वाला कश्मीर अब भरता माता की जयकार से गूंज रहा हैं. कश्मीर की हवा मानो रमजान के पाक माह के ख़त्म होते ही बदली सी नजर आने लगी हैं. यहां के किश्तवाड़ा से हाल ही में एक वीडियो सामने आया हैं. जिसमे कई लोग आजादी से उलट नारों के बीच भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं. 'भारत माता की जय' के नारे लगने का यह वीडियो किश्तवाड़ा का हैं. लेकिन फ़िलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह वायरल वीडियो कब का या किस तारीख का हैं. प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वीडियो में स्थानीय लोगों के साथ भारतीय सेना के जवान भी नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि हाल ही में कश्मीर में दो बड़े हत्याकांड के मामले सामने आए थे. इन दोनों ही हत्याकांड को आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. पहले तो कुछ आतंकियों ने सेना के जवान औरंगजेब को अगवा कर उनकी हत्या कर दी थी. वहीं इसके बाद कश्मीर के एक पत्रकार शुजात बुखारी को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के बाद से ही पूरा कश्मीर आतंकवादियों के खिलाफ जमकर आग उगल रहा हैं. इन बड़ी घटनाओं से हर कश्मीरी नागरिक आक्रोश और नाराजगी के माहौल में हैं.
web
c7892ee00204c6f49bc7ba26fca6fff864780fc6
मोरना भोकरहेड़ी इंटर कॉलेज में शिक्षक ने कक्षा आठ के छात्र की पिटाई कर दी। परिजनों ने छात्र को अस्पताल में भर्ती कराया। नाराज छात्रों ने स्कूल के गेट पर हंगामा किया। पुलिस ने छात्रों को समझा बुझाकर शांत किया। इंटर कॉलेज में बृहस्पतिवार को आठवीं कक्षा के छात्र सुहैल की शिक्षक ने पिटाई कर दी, जिस पर उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन छात्र को लेकर भोपा सीएचसी पहुंचे छात्र को गंभीर हालत के चलते उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। परिजनों ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। नाराज छात्रों ने स्कूल के गेट पर हंगामा किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छात्रों को समझाया। प्रधानाचार्य कैप्टन प्रवीण चौधरी ने बताया कि वह बृहस्पतिवार को तहसील स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए नंगला मंदौड़ गए हुए थे। मोबाइल पर प्रकरण की जानकारी मिली है। छात्र कक्षा में डेस्क की कर आवाज कर रहा था। कक्षा में पढ़ा रहे अध्यापक ने छात्र को शरारत करने से रोका, इसके बाद पिटाई का मामला सामने आया है। वह मामले का पता करा रहे हैं। भोपा प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. मुकीम अहमद खान ने बताया कि छात्र को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया है।
web
b126cfcda8ae6012f849d6f0cd53257854d1d185
सामान्य तौर पर, यह सवाल हैः एक बच्चे के लिए एक खिलौना चुनने के लिए, आम बात है, क्योंकि आप चाहते हैं कि किसी बच्चे को इसे प्यार करना चाहिए और न ही अपने खिलौने को फेंक दिया जाए लेकिन, फिर, अपने बच्चे के लिए एक खिलौना चुनने के तरीके, कई कारकों पर निर्भर करता है, उन्हें नीचे चर्चा की जाती है खिलौने का चुनाव निम्न से प्रभावित होता हैः हाल ही में लोकप्रिय ऑनलाइन खिलौना स्टोरकहाँ एक उचित मूल्य आप गुणवत्ता बात खरीद सकते हैं। लेकिन वहाँ कुछ नुकसान कर रहे हैंः आप खिलौना नहीं छू सकते हैं, आप जब तक अपनी चुनी उत्पाद प्रदान इंतजार करना। आम तौर पर स्थानों पर जहां आप एक बच्चे के लिए एक खिलौना खरीद सकते हैंबहुत ज्यादा है, लेकिन उनमें से सभी सुरक्षित नहीं हैं आपको विशेष स्टोर में खिलौने की ज़रूरत है या उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर दें किसी भी मामले में यह एक कम कीमत के बावजूद एक बच्चे के लिए या क्रॉसिंग के लिए इस्तेमाल किया खिलौना खरीदने के लायक नहीं है एक खिलौने की खरीद के लिए पैसा बचाना, भविष्य में आपके लिए यह एक विलापनीय मोड़ हो सकता है। सबसे पहले जब आप की जरूरत है एक खिलौना चुननेइसकी गुणवत्ता पर ध्यान दें, यह ठोस, अच्छी तरह सिलेटेड होना चाहिए और सभी विवरण दृढ़ रूप से संलग्न होना चाहिए ताकि यह बच्चे के हाथों में नहीं टूट सके। यदि यह नरम खिलौने का सवाल है, तो आप इसे अपने हाथों में पकड़ के बाद, खिलौने से कोई बाल और फर नहीं होना चाहिए। कुछ सेकंड में एक खिलौना न चुनें,केवल उपस्थिति में हमें इसे सभी पक्षों, घूमना, मोड़ से गौर करने की जरूरत है, लेबल देखें, जहां से आप सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपको लेबल और खिलौने की देखभाल करने की आवश्यकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खिलौने चुनने के लिए विशेष देखभाल की जानी चाहिए। उन्हें छोटा नहीं होना चाहिए, उन्हें तेज कोनों और छोटे विवरण नहीं होना चाहिए। बेशक, एक बच्चे से एक खिलौना खरीदना चाहिएप्रसन्न होने के लिए, और इसलिए आपको इसे खरीदने की ज़रूरत है, जो आपके बच्चे के बारे में रुचि रखने वाले और भावुक है। अगर वह कार्टून "फिक्टिकी" को पसंद करता है, तो सुनिश्चित करने के लिए कि वह पापुस या नोलिक के आंकड़े से खुश होंगे।
web
a0f15f0615a40c3347a48d424c3c269371b00882b227d2dae192c46980306770
भारत की जनजातिय तथा संस्थाएँ ड) पलायन-विवाह (Marriage by elopement ) (ब) प्रक्षिप्त- विवाह (Marriage by Intrusion ) (क) परीक्ष्य-विवाह (Probationary marriage ) --कई जातियों में लड़का कुछ दिन सड़की के पिता के घर जाकर रहता है। की आपस में मिलने की रहती है। अगर कई दिन रहने के बाद लड़का अमन करे कि दोनों की प्रकृति मिलती है तब से शादी कर लेते है नहीं तो सड़का लड़की के पिता को कुछ मुयाबिया बेकर चला जाता है। कुड़ी जाति में यह प्रया पायी जाती है। इस प्रकार के विवाह को 'परोक्य' कहा जाता है (ब) परीक्षा विवाह (Marriage by trial) --कई जातियों में लड़के के बाहू-बल चातुरी आदि की परीक्षा लेकर उसके साथ लड़की का विवाह किया जाता है। अपने यहाँ इस प्रकार की परीक्षा के लिए स्वयंबर रचे जाते थे। रामचन्द्र की न बहुव तोड़ा पर मर्जुन नची मती की मां को बाँचा था। भीलों में होली के दिनों में एक बुझ पर नारियल तबार डॉन दिया जाता है। इस के चारों तरफ पाँच की कड़क घेरा बना कर मानती है उनके पि पुरुषों का एक दूसरा घेराबाता है। को भी चाहे लड़कियों के घेरे को चीर कर बुल पर बढ़ सकता है। लड़कियों के घेरे को को कोई भी पीने का साहस करता है उसे मारती है तो है है काटती है परन्तु को इन सब को पार कर ऊपर बढ़ जाता है, उसे इन सड़कों में से का अधिकार होता है। ब्रिटिश पापना की आपबाब जाति में एक बलम बड़े होकर निशाना लगाने की कहने की परीक्षा की जाती है। आदिवासी बन बातियों में शारीरिक बल तथा चारी का बाजीविका के लिए बहुत अधिक महत्व था इसलिए इस प्रकार की परीक्षाओं का होना स्वाभाविक भी है। (य) अपहरण विवाह (Marringe by capture) नामवशास्त्रियों के कपनानुसार 'अपहरभ-विवाह' विवाह के क्षेत्र में मनुष्य की सबसे पहल थी। माविकास का मानव पद्धप्रिय था। जब किसी जाति के लोम दूसरी जाति पर हमला बोलते थे तो उसकी स्त्रियों को हर लाते थे। इह या तो मार या उनसे विवाह कर लेते थे। जिन लोगों में स्त्रियों की कमी होती है वे बैसे अम्य वस्तुओं के लिए सह-मार करते है वैसे स्त्रियों का हरण करने के लिए भी -मार करते हैं। भारत में विधान की बाराजों के कारण स्त्रियों का अपहरण संवैधानिक हो गया है, परन्तु कोई समय का बद कई बादिवासी जनजातियों में स्त्रो प्राप्त करने का यही एक सामन था। माया जाति के लोप तो दर स्त्रियों के कारण उन पर हमले न हो इसलिए लड़कियों को ही मार दिया करते थे। तपा ही लोप में अब भी स्त्रियों का अपहरण किया जाता है नाँपों में दो माता-पिता की अनुमति से कम्या का अपहरण होता है। देर तक अविवाहित ना इनमें ठीक नहीं समझा जाता इसलिए बब इनकी अनुमति से ही कम्पा का अपहरण होता है, तब विद्या के तौर पर ये इस अपहरण का विरोध करते हैं दिवा
pdf
ca4b9b5eaa6b96422a9b9a81b9b7c93286b7f363
पाकिस्तान के वकीलों का कहना है कि उनकी यूनिफॉर्म को किसी और को पहनने की इजाजत न दी जाए. पाकिस्तान में कम से कम तीन बार काउंसिल ने वेटर्स की ओर से 'वकीलों की यूनिफॉर्म' पहनने पर ऐतराज जारी किया गया है. वकीलों के इस रवैए पर सोशल मीडिया पर यूजर्स की ओर से चुटीले कमेंट किए जा रहे हैं. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब बार काउंसिल, इस्लामाबाद बार काउंसिल और बलूचिस्तान बार काउंसिल ने अपने बयानों में कहा है कि वेटर्स को ऐसे पहनावे की इजाजत न दी जाए. पाकिस्तान के अधिकतर हिस्सों में वेटर्स काला सूट और सफेद कमीज पहनते हैं. लेकिन आम लोग भी शादी समारोहों, दफ्तर और अन्य जगहों पर ऐसी ड्रेस में दिखते हैं. अगर पाकिस्तान के वकीलों की बात मान कर काले सूट, सफेद कमीज और काली टाई को उनके लिए ही रिजर्व कर दिया जाता है तो अन्य कोई भी व्यक्ति इस ड्रेस में नहीं दिख सकेगा. चिट्ठी में चीफ सेक्रेटरी, पंजाब से आग्रह किया गया है कि वे सभी जिलों को सर्कुलर जारी करें कि अगर किसी भी होटल या इवेंट हॉल का स्टाफ ऐसी यूनिफॉर्म पहन रहा है तो तत्काल उसे बदले. सोशल मीडिया पर वकीलों की इस मांग को लेकर कई यूजर्स ने सवाल उठाए हैं. तैमूर मलिक @taimur_malik ने बलूचिस्तान बार काउंसिल, पंजाब बार काउंसिल और इस्लामाबाद बार काउंसिल की चिट्ठियों का हवाला देते हुए सवाल किया है कि क्या हम वकील इस तरह से किसी को ड्रेस कोड के लिए फरमान सुना सकते हैं. वकीलों के फरमान पर चुटकी लेते हुए @J_Sukhra ने ट्वीट किया कि मुझे ताज्जुब है कि इन्हें अभी तक मेमो मिला या नहीं. @TehminaKhaled ने ट्वीट किया कि तो हमें वकीलों की यूनिफॉर्म को ही बदल देना देना चाहिए. उनके प्रोफेशन में ब्लैक एंड व्हाइट का कंसेप्ट अब नहीं बचा है. @miansamiuddin ने ट्वीट किया- उन्हें हॉलिवुड सेलेब्रिटीज को भी नोटिस जारी करना चाहिए जो ऑस्कर अवार्ड्स में वकीलों की यूनिफॉर्म पहनते हैं.
web
ee9c04ad14f2537275944debdb596bb5ff036a54
गुजरात के सीएम विजय रुपाणी ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राज्य के गवर्नर आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफा देने के बाद विजय रुपाणी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की ये परंपरा रही है कि समय के साथ साथ कार्यकर्ताओं के दायित्व भी बदलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि ये हमारी पार्टी की विशेषता है कि जो दायित्व पार्टी द्वारा दिया जाता है पूरे मनोयोग से पार्टी कार्यकर्ता उसका निर्वहन करते हैं. रुपाणी के इस्तीफे के बाद पार्टी के राज्य प्रभारी भूपेंद्र यादव पार्टी के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं. विधायक दल की बैठक की संभावना सोमवार को जताई जा रही है. हालांकि इस बारे में आधिकारिक सूचना नहीं जारी की गई है. उम्मीद की जा रही है कि आज शाम तक विधायक दल की बैठक के बारे समय तय कर लिया जाएगा. जानकारों का ये भी दावा है कि इस नेतृत्व परिवर्तन से राज्य में बीजेपी की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि पार्टी किसी और को कमान सौंप कर अपनी रणनीति को और धार देगी. सीआर पाटिल का नाम कुछ लोग जरूर चर्चा में ला रहे हैं लेकिन इन्हें संगठन के मजबूत स्तंभ के तौर पर देखा जाता है. गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाड़ेजा की छवि भी अच्छी मानी जाती है और उनके समर्थक उन्हें भी एक दावेदार बता रहे हैं, मोदी जी और अमित शाह के विश्वासपात्र हैं, लिहाजा माना जा रहा है कि वे अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं करेंगे और शीर्ष नेतृत्व के निर्देशोें का पालन ही करेंगे. विजय रुपाणी ने इस दौरान गुजरात की जनता का भी शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, "मैं गुजरात की जनता के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूं कि विगत पांच वर्षो में हुए उपचुनाव या स्थानीय निकाय के चुनाव पार्टी और सरकार को गुजरात की जनता का अभूतपूर्व समर्थन, सहयोग और विश्वास मिला है. गुजरात की जनता का विश्वास भारतीय जनता पार्टी की ताकत भी बनी है और मेरे लिए लगातार जनहित में काम करते रहने की ऊर्जा भी उससे मिली है. .
web
bfc763d9c9bf70f4f2a7ffb4bd2bb082cbd4114ca6520a920b5ec2c9a0cdbfa9
है कि यह किस प्रकार का पदार्थ है ? कितना लम्बा चोड़ा, तिकोन, अणु या विभु, स्थिर या गतिशील, किस प्रकार का रंग रूप, कहां इसको स्थिति है, मध्यम परिणामी है या नहीं ? तव उसी पदार्थ सम्बन्धी ऊहापोह होता है। उस पदार्थ के अतिरिक्त मन अन्यत्र नहीं जाता; क्योंकि यह रजः प्रधान समाधि है । 'क्रिया शीलं रजः ।' रजोगुण में किया हो प्रधान है। यह रजस् का लक्षण किया गया है। यदि इसी को सम्प्रज्ञात समाधि कह दिया जाये, तो कोई आपत्ति नहीं; क्योंकि सम्प्रज्ञात संविकल्प समाधि में शब्द ओर ज्ञान बना रहता है, अतः एव इस रजस-प्रधान में भी किया ही मुख्य है और वह किया पदार्थ के प्रत्यक्ष कराने में मुख्य रहती है । सत्य प्रधान समाधि तीसरी समाधि सत्व प्रधान है। इसमें केवल ध्येयाकार-वृत्ति रहती है। पदार्थ है । ' ( है है ) - इस प्रकार का ध्यान बना रहता है । उस ध्येयाकार-वस्तु में मन के निरन्तर लगे रहने से विशेष आनन्द की उपलब्धि होती है । इस अवस्था में पदार्थ सम्बन्धी विज्ञान में किसी प्रकार का तर्क-वितक नहीं होता । केवल ध्येयाकार वृत्ति ही बनी रहती है। यहां आनन्द की जो उपलब्धि होती है, उसी को उपनिषद् ने यों लिखा है'न शक्यते वर्णयितु' गिरा तदा स्त्रयं तद् अन्तः करणेन गृह्यते ।। "उस का आनन्द वाणी वर्णन नहीं कर सकती, क्योंकि वह स्वयं अन्तःकरण से अनुभव होता है । " ऐसा आनन्द सत्य प्रधान समाधि में हो होता है।"
pdf
ef6bd7bc3c896aa1531013e6daca93b815085799
उत्तरप्रदेश : उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में एक दबंग ने रेप में असफल होने पर नाबालिग की बुरी तरह पिटाई कर दी और उसे जंगल में फेंककर फरार होने लगा. उसकी हरकत पर नजर पड़ने पर लोगों ने उसको पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. नाबालिग को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. जानकारी के मुताबिक, जिले के मलवा थाना क्षेत्र के दीवानीपुर गांव की रहने वाली नाबालिग छात्रा अपनी सहेलियों के साथ खेत पर गई थी. इसी दौरान पास में काम करने वाले एक युवक समीर ने उसको जबरन पकड़ लिया. झाड़ियों में ले जाकर उसके साथ रेप करने की कोशिश करने लगा. बाकी लड़कियों ने गांव में जाकर शोर मचा दिया. इधर आरोपी ने छात्रा के साथ रेप करने का प्रयास किया और असफल होने पर उसकी बुरी तरह पिटाई कर उसे अधमरा कर दिया. इसके बाद लोगों को अपनी तरफ आता देख वहां से भागने लगा. लेकिन लोगों ने इसी बीच उसे पकड़ कर पिटाई के बाद पुलिस के हवाले कर दिया. वही घायल छात्रा को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डिप्टी एसपी समर बहादुर सिंह के मुताबिक आरोपी हिरासत में हैं. छात्रा के परिजनों की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है. इस मामले में जांच की जा रही है.
web
2cba9c8669e83a968d087e692a0ec7bd6d97bd23
मेषः विवाद को बढ़ावा न दें। पुराना रोग बाधा का कारण रहेगा। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। वृषभः मातहतों का सहयोग मिलेगा। पूजा. पाठ व सत्संग में मन लगेगा। आत्मशांति रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। मिथुनः पार्टनरों का सहयोग समय पर मिलने से प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा। कर्कः निवेश लाभप्रद रहेगा। कार्य बनेंगे। घर. बाहर सुख. शांति बने रहेंगे। मन की चंचलता पर नियंत्रण रखें। सिंहः मित्रों के साथ समय अच्घ्छा व्यतीत होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। कार्य सफल रहेंगे। कन्याः बेवजह लोगों से कहासुनी हो सकती है। दुरूखद समाचार मिलने से नकारात्मकता बढ़ेगी। व्यवसाय से संतुष्टि नहीं रहेगी। तुलाः नेत्र पीड़ा हो सकती है। लेन. देन में सावधानी रखें। बगैर मांगे किसी को सलाह न दें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। वृश्चिकः मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। कर्ज में कमी होगी। संतुष्टि रहेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। धनुः नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। व्यवसाय में जल्दबाजी से काम न करें। चोट व दुर्घटना से बचें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मकरः व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। कुंभः प्रतिष्ठा बढ़ोतरी होगी। सुख के साधन जुटेंगे। नौकरी में वर्चस्व स्थापित होगा। आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। मीनः व्यवसाय में कमी होगी। नौकरी में नोकझोंक हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। थकान महसूस होगी। अपेक्षित कार्यों में विघ्न आएंगे।
web
1574f895197ade0312807376ccf06753acb893bd
चुनार तहसील क्षेत्र के ग्राम धौहा व आस पास के गाँव में पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाने से ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। गर्मी का मौसम आते ही पानी का जलस्तर जमीन से काफी हद तक छोड़ देता है, ऐसे में लोगों के पानी पीने का सहारा हैंडपम्प व कुआं ही होता है। गर्मी की शुरुआत होते ही गांव में लगे हुए अधिकांशत हैंडपंप व कुएं पानी अपना जलस्तर छोड़ना शुरू कर देते हैं। धौहा के ग्राम के प्रधान ने ऊपर पहाड़ पर बने आयरन फैक्टरी में चुनार शहर से टैंकर के जरिए पानी ले जाया जा रहा है, ग्रामीणों को पानी की किल्लत देखते हुए टैंकर के पानी को ग्रामीणों ने रुकवा लिया। बताया कि गर्मी शुरूवात होते ही चुनार तहसील के अंतर्गत पहाड़ पर कई गांव बसे है जिसमे बड़ागांव,धौहा , बीजुरही नुनौटी, सक्तेशगढ़, में पानी का जलस्तर गर्मी के दिनों में काफी नीचे चला जाता है इससे हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं, ग्रामीणों को पानी पीने के लिए भी भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं गांव के बाहर में स्थित शांति गोपाल आयरन फैक्ट्री में चुनार नगर से टैंकर से पानी मंगाया जा रहा है गांव के प्रधान ने आयरन फैक्ट्री के टैंकर को रोककर ग्रामीणों में पानी दिलवा दिया। तब जाकर कहीं ग्रामीणों के पेयजल समस्या का समाधान हो पाया। ग्रामीणों के पेयजल के संबंध में ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर से टैंकर से आपूर्ति कराए जाने की मांग किया है, मांग करने वाले ग्राम प्रधान धौहा सत्य नारायण पाल ,बाराडीह ग्राम प्रधान दूधनाथ , बड़ागांव प्रधान वीरेंद्र कुमार के साथ ग्रामीणजन शिव सेवक पांडेय, रामचंद्र पाल, रामाश्रय पांडेय राजेश कुमार, विजय कुमार पाल, राम नारायण, परशुराम, शिव सेवक इत्यादि शामिल थे। This website follows the DNPA Code of Ethics.
web
74f1cc2b973efa1785f0e20d6faae5b79eed5f7aaaede43eb923c6bc136ff373
"स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते" की कहावत के अनुसार राजा का सम्मान केवल अपने देश में होता है और विद्वान् का देश-विदेश सभी मे । सेठ साहब की स्थिति अपने नगर में राजा के ही समान है। इसलिये उसका पूर्व सम्मान हुआ, उस पर किसी को कुछ भी श्राश्चर्य नहीं होना चाहिये, किन्तु ग्राश्चर्य उस सम्मान के लिये ग्रवश्य है, जो ग्रापने अपने नगर और इन्दौर के बाहर अन्य राज्यों और देशों में सर्वत्र प्राप्त किया। कहते हैं कि कुछ विदेशी व्यापारी श्रापको देखने के लिये केवल इसलिये थाये कि वे उस सफल व्यापारी के दर्शन करना चाहते थे, जिसके हाथों में उस समय देश-विदेश के सभी बाजार खेला करते थे । आपको 'विद्वान्' नही कहा जा सकता । अंग्रेजी की श्राप दो पोथियां भी नही पढो हैं और हिन्दी में भी आपने ऐसी कोई ऊंची परीक्षा पास नहीं की है । एक ज्योतिषी ने श्रापके सम्बन्ध में यह ठीक ही भविष्यवाणी की थी कि "विद्याहीनो महाज्ञानी महाभक्ति, प्रचण्डवानशक्तिः कीर्तियोग विशालाक्षी चन्द्रवरमहामुने र्देवं भोगावली । " फिर उसने कहा था कि 'देशे विदेशे कीर्निर्विख्यातोभुविमण्डले ।" ज्योतिषी की यह भविष्यवाणी पक्षरशः सत्य सिद्ध हुई है। निस्सन्देह, सेठ साहब ने अपने समय की भावना के अनुसार राजधर्म का यथावत् पालन किया । राना में प्रगाव निष्टा और भक्ति रखने वाले राजभक्तो मे श्रापकी गणना की जाती रही है। यथावसर राजभक्ति का प्रदर्शन भी ग्राप करते ही रहे हैं। लेकिन, इसका यह अभिप्राय नहीं है कि ग्राप में लोकसेवा और देशसेवा की भावना नहीं है । लोकसेवा का भी कोई अवसर थापने हाथ से जाने नहीं दिया। इसी लिये राज और लोक दोनो ही दृष्टियो से आपने यह सम्मान व मान्यता प्राप्त की, जो किन्ही साधारण व्यक्तियों को ही प्राप्त होती है। उसका उपार्जन या सम्पादन भी अपने सहस्र हायो से किया है। आपका जीवन इस कथन की भी साक्षी है कि"नरपतिहितकर्ता द्वेष्यता याति लोके, जनपदहितकर्ता त्यज्यते पाथिवेन्द्र । इति महति विरोधे वर्तमाने समाने, नृपतिजनपढाना दुर्लभः कार्यकर्ता ॥" सम्मान प्राप्त करके आपने यह सिद्ध कर दिया कि दोनों के हित का सम्पादन समान रूप से किस प्रकार किया जा सकता है ? पापकी राजभक्ति का अर्थ झूठी चापलूसी या स्वार्धपूर्ण खुशामद नहीं है। इन्दौर में ऐसे कितने ही असर याये, जब अपनी जनता के लिये राज और राजकीय अधिकारियों के साथ भी जुक गये पर राज्य ने जय लोकहित में युद्ध टील की, तब आप स्वय उसमे जुट गरे । राज्य के प्रति "हितं मन हारी च दुर्लभं वचः" की नीति से काम लेने में भी प्रापको संकोच न
pdf
bc9c3354f5d3c8aad752c49ef61ccbc05c9bc2302b2dadb39c3e03a7aa28dc4c
जैसे- -मोम का गोला सूर्य के ताप से पिचल जाता है, वैसे ही उन चारों में से एक व्यक्ति ऐसी आलोचना सुन धर्म से विरक्त हो गया । शेष तीन व्यक्ति आलोचना करने वालो को उत्तर देकर अपने-अपने घर चले गए। घर मे माता-पिता के सम्मुख धर्म की चर्चा की तो उन्होंने कठोर शब्दो में अपने पुत्रो को उपालंभ दिया और कहा ---अपनी-अपनी स्त्री को लेकर हमारे घर से चले जाओ ! तीनो मे से एक घबरा गया । अपनी माता से कहा- तू मेरे जन्म की दाता है, तुझे छोड मैं साधुओं के पास नही जाऊंगा । सूर्य के ताप से न पिघलने वाला लाख का गोला अग्नि के ताप से पिघल गया । शेष दो व्यक्ति अपने माता-पिता के पास दृढ रह, घबराए नही। फिर दोनो अपनी-अपनी पत्नी के पास गए । पत्नी उनकी बात सुन बौखला उठी। डराते हुए पति को कहा - लो, सभालो अपने बच्चे और यह लो अपना घर । मैं तो कुएं में गिरकर मर जाऊगी। मुझ से ये बच्चे नही मभाले जाते। पत्नी के ये शब्द सुन दो मे से एक घबरा गया और सोचाअगर यह मर जाएगी तो सगे-संबधियो मे अच्छी नहीं लगेगी। इसलिए नारी से घबराकर धर्म से विरक्त हो गया। वह उठना-बैठना आदि सारा कार्य स्त्री के आदेश से करने लगा। सूर्य और अग्नि के ताप से न पिघलने वाला काष्ठ का गोला अग्नि में जलकर राख हो गया । 'मैं जहर खाकर मर जाऊंगी. फिर देखूगी तुम आनंद से कैसे रहोगे' - स्त्री के द्वारा ऐसा डराने पर भी चौथा व्यक्ति डरा नही । वह् अपने विचार में दृढ रहा और उसे करारा जवाब देता गया। मिट्टी का गोला अग्नि मे ज्यो-ज्यों तपता है त्यो त्यो लाल होता जाता है। लोहे का गोला गुरु. त्रपु का गोला गुरुतर, ताम्बे का गोला गुरुतम और सोसे का गोला अत्यन्त गुरु होता है । इसी प्रकार सवेदना, सरकार या कर्म के भार की दृष्टि से कुछ पुरुष गुरु, कुछ पुरुष गुरुतर, कुछ पुरुष गुरुतम और कुछ पुरुष अत्यन्त गुरु होते हैं । स्नेह भार की दृष्टि से भी इसकी व्याख्या की जा सकती है। पिता के प्रति स्नेहभार गुरु, माता के प्रति गुरुतर, पुत्र के प्रति गुरुतम और पत्नी के प्रति अत्यन्त गुरु होता है ।" प्रस्तुत सूत्र की व्याख्या गुण या मूल्य की दृष्टि से की जा सकती है। चादी का गोला अल्प गुण या अल्प मूल्यवाला होता है। सोने का गोला अधिक गुण या अधिक मूल्यवाला होता है। रत्न का गोला अधिकतर गुण या अधिकतर मूल्यवाला होता है। वज्ररत्न (होरे) का गोला अधिकतम गुण या अधिकतम मूल्यवाला होता है। इसी प्रकार समृद्धि, गुण या जीवनमूल्यों की दृष्टि से पुरुषों में भी तरतमता होती है । जिस मनुष्य की बुद्धि निर्मल होती है, वह चादी के गोले के समान होता है। जिस मनुष्य मे बुद्धि और आचार दोनो की चमक होती है, वह सोने के गोले के समान होता है । जिस मनुष्य मे बुद्धि, आचार और पराक्रम तीनों होते हैं वह रत्न के गोले के समान होता है । जिस मनुष्य में बुद्धि, आचार, पराक्रम और सहानुभूति चारो होते हैं, वह वज्ररत्न के गोले के समान होता है। बसिपत की धार तेज होती है। वह छेद्य वस्तु को तुरत छेद डालता है। जो पुरुष स्नेह-पाश को तुरंत छेद डालता है, उसकी तुलना अरिपन से की गई है। जैसे धन्य में अपनी पत्नी के एक वचन से प्रेरित हो तुरंत स्नेह-बंध छेद डाला।
pdf
f1a753d7c795740277a823156d1877260c39a6f3e4cc1559054a5afc456a41e7
उचित है किन्तु जिन-जिन दोषों में हम सहज ही पतित हो में जाते हैं - नीचे गिर पड़ते हैं उन्हें निर्मूल करने की हमें दृढ़ चेष्टा करनी चाहिए । भीतर-बाहर दोनों की भलिभाँति परीक्षा करके हमें आत्म-शासन करना चाहिए क्योंकि धार्मिक उन्नति के लिए दोनों ही आवश्यक हैं । यदि तू सर्वदा आत्मपरीक्षा नहीं कर पाता है तो प्रतिदिन एकबार, प्रातः या सायंकाल में, तो अवश्य ही आत्म-दर्शन में प्रवृत्त हो । प्रातःकाल सत्संकल्प कर और संध्या समय अपनी परीक्षा करके देख कि दिन भर मन, वचन और कर्म का तूने कैसा उपयोग किया है । तुझे मालूम पड़ेगा कि तूने मनुष्य और ईश्वर दोनों के प्रति अनेकये हैं। शैतान के विकट आक्रमण से अपनी आत्मा की रक्षा करने के लिए वीर की भाँति कमर कसकर खड़ा हो । स्वाद का त्याग कर; इससे रक्त-मांस ( शरीर ) की कुप्रवृत्तियों का सहज ही तू शासन कर सकेगा । कभी वेकार मत बैठ । अध्ययन, लेखन, प्रार्थना, ध्यान या किसी मंगल-कर्म में सदा ही लगा रह । नित्य के शारीरिक व्यायामादि विवेकपूर्वक कर । क्योंकि सबके लिए एक ही विधि लाभदायक नहीं हो सकती, एक के लिए जो उपयुक्त है वही दूसरे के लिए अनुपयुक्त है । जीवन की नित्य साधना में जो विषय गुप्त है अथवा जो सबके लिए उचित नहीं है, उन्हें प्रकाश्यरूप से न कर क्योंकि गुप्त
pdf
59ec02a05aaa63af16cb2208c90aa7c26af65faa3bdaea9ccca825777655994b
इसका एकपना कैसे जाना जाय। अलग रहकर भी अगर एकपना माना जाय तो मिन्नपना कहाँ स्वीकार किया जायगा ? शंका-सब पदार्थ में सूक्ष्मरूप ब्रह्मके अङ्ग विद्यमान है उनमें सब पदार्थ जुड़े हुए हैं । जिससे जुड़ा है वह उससे ही जुड़ा अन्य से जुड़ा करता है । यदि पहला पक्ष स्वीकार है तो जब सूर्यादिक गमन करते हैं तब जिन सूक्ष्म असे वे जुड़े हैं वे भी गमन करते होंगे और वे सूक्ष्म अबिना स्थूल से जुड़े हैं वे भी गमन करते होंगे इस तरह संपूर्ण लोक अस्थिर हो जायगा, जैसे शरीरका एक अङ्ग खींचने पर मारा शरीर खिंच जाता है वैसे ही एक पदार्थ के गमन करने पर संपूर्ण पदार्थोंका गमन होजायगा पर होता नहीं। अगर दूसरा पक्ष स्वीकार किया जायगा तो अङ्ग टूटनेसे भिन्नपना हो जायगा एकपना कैसे रहेगा । इसलिये संपूर्ण लोकके एक पनेको ब्रह्म मानना भ्रम ही है। पांचवा प्रकार यह है कि पहले कोई पदार्थ एक था, बादमें अनेक हुआ फिर एक होयगा इसलिये एक है। जैसे जल एक था बरतनोंमें अलग होगया मिलने पर फिर एक होजायगा । अथवा जैसे सोनेका डला एक था वह कंकरण कुण्डलारूप हुआ मिलकर फिर सोनेका एक डला होगा। वैसे ही ब्रह्म एक था पहुआ फिर मिलकर एक रूप हो जायगा इसलिये । इस प्रकार यदि एकत्व माना जायगा तो ब्रह्म जब अनेक रूप हुआ तब जुड़ा रहा था या अलग होगया था। अगर जुड़ा कहा जायगा तो पहला दोष ज्यों-त्यों है अगर अलग हुआ कहा जायगा तो उस समय एकत्व नहीं रहा। जल, स्वर्णादिकका मिन्न होकर जो एक होना कहा जाता है वह तो एक जाति की अपेक्षा है. लेकिन यहाँ सब पदार्थों की कोई एजत नहीं. कोई चेतन को इत्यादि है उनको एक जाति कैसे कह सकते हैं ? तथा जाति अपेक्षा एकत्व मानना कल्पना मात्र है यह पहले कहा ही है। पहले एक था पीछे भिन्न हुआ तो जैसे एक पत्र आदि फूटकर टुकड़े टुकड़े होजाता है वैसे ही ब्रह्म खण्ड खण्ड होगया। जब वे एक हुए तो उनका स्वरूप भिन्न भिन्न रहा या एक होगया । यदि भिन्न भिन्न रहा तो से मत्र भिन्न ही कहलाये। यदि एक होगया है हो जायगा और चेतन होजाएगा और वस्तुको एक वस्तु हुई तो कभं एक वस्तु अनेक वस्तु कहना होगा। फिर अनादि अनन्त एक ब्रह्म है यह नहीं कहा जा सकता। यदि यह कहा जायगा कि लोकरचना हो या न हो ब्रह्म जैसेका तैसा रहता है इसलिये वह अनादि अनन्त है प्रश्न यह होता है कि लोकमें पृथ्वी जल दिक वस्तुएं अलग नवीन उत्पन्न हुई हैं या ब्रह्म ही इन स्वरूप हुआ है। अगर अलग नवीन उत्पन्न हुए है तो यह अलग हुआ ब्रह्म अलग रहा सर्वव्यापीत ब्रह्म न कहलाया । अगर ब्रह्म हां इन स्वरूपहुआ तो कभी लांक हुआ कमी ब्रह्म हुआ जैसे का तैसा कहाँ रहा ? अगर ऐसी मान्यता है कि सारा ब्रह्म. लोक स्वरूप नहीं होता उसका कोई अंश होता है जैसे समुद्र का विन्दु विपरूप होने पर भने हा स्थूल दृष्टिसं उसका अन्यथापना न जाना जाय लेकिन सून्म दृष्टि से एक विन्दुकी अपेक्षा समुद्रमे अन्यथपना जाता है वैसे ही ब्रह्मका एक अंश भिन्न होकर जब लोकरूप हुआ तब स्थूल विचार से उसका अन्यथ पन भले ही न जाना जाय परन्तु सूक्ष्म वि बारसे एक अपेक्षा उसमें अन्यथापन हुआ ही क्योंकि वह अन्यथापन और तो केसीके हुआ नहीं ब्रह्म ही हुआ । इसलिये ब्रह्मको सर्वरूप मानना भ्रम है। छटा प्रकार यह है कि जैसे आकाश सर्वव्यापां है वैसे ब्रह्म भी सवत्र्य पा है तब इसका अर्थ यह हुआ कि आकाशकी की तरह ब्रह्म भी उतना ही बड़ा है और घटपटादि में [[काश जैसे रहता है वैसे ब्रह्म भी उनमें रहता है लेकिन जैसे शटरकाशको एक नहीं कह सकत वैसे ही ब्रह्म और लोक को भी एक नहीं कहा जा जकता। दूसरी बात यह है कि आकाश का तो लक्षरण सर्वत्र दिखाई देता है इसलिये उसका सब जगह सद्भव माना जा सकता है लेकिन ब्रह्मका लक्षण सब जगह नहीं दिग्बाई देता इसलिये इसका सद्भाव से मना जा सकता है ? इस तरह विचार करने पर किसी भी तरह एक ब्रह्म संभव नहीं होता । सम्पूर्ण पदार्थ भिन्न भिन्न ही मालूम पड़ते हैं। यहाँ प्रतिवाद का कहना है कि पदार्थ है तं सब एक ही लेकिन भ्रमस वे एक मालूम नही पड़त। इसमें युक्ति देना भी ठीक नहीं है क्योंकि ब्रह्मका स्वरूप युत्ति गम्य नहीं है वचन अगोचर है एक भी है अनेक भी है.. जुदा भी है मिला भी है उसकी महिमा ही ऐसी है। परन्तु उसका यह कहना ठीक नहीं है क्योंकि उसे और सबको जो प्रत्यक्ष प्रतिभनित होता है उसे वह भ्रम कहता है और युक्ति से अनुमान करो तो कहता है कि सच्चा स्वरूप मुक्तिगम्य नहीं है वचन अगोचर हैं परन्तु जब वह वचन अगोचर है तो उसका निर्णय कैसे हो " यह कहना कि ब्रह्म एक भी है अनेक भी है जुड़ा भा है मिला भी है तब ठीक होता जब किन किन अपेक्ष से ऐसा है ? यह बताया जाता । अन्यथा वह पागलोंका प्रल. प है। कहा जाता है कि ब्रह्मके पहले ऐसी इच्छा हुई कि एकोऽहं
pdf