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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%B9%20%E0%A4%9D%E0%A5%80%E0%A4%B2
पंडोह झील
पंडोह बांध हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में व्यास नदी पर बना एक तटबन्ध (embankment) बाँध है। व्यास परियोजना के अन्तर्गत यह बाँध १९७७ में बनकर तैयार हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य जलविद्युत शक्ति जनन है। ये बाँध 76 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कुल्लू और मनाली इन दोनों स्थानों की बिजली आपूर्ति यहीं से होती है। कुल्लू से मनाली मार्ग पर पड़ने के कारण और अपनी मन को मोह लेने वाली सुन्दरता के कारण ये हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां की सुन्दरता किसी भी यात्री का मन आसानी से मोह सकती है ! भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) बांध के विकास, प्रबंधन, और बांध के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। भारत में बाँध हिमाचल प्रदेश की झीलें
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5
क्षरण प्रेरकत्व
क्षरण प्रेरकत्व (Leakage inductance) एक विद्युत-राशि है जो यह इंगित करती है कि दो कुंडलियाँ चुम्बकीय रूप से कितनी अच्छी तरह युग्मित (कपल्ड) हैं। जब एक कुण्डली द्वारा उत्पन्न अधिकांश चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी कुंडली में भी चला जाता है तो हम कहते हैं के ये दोनों कुंडलियाँ अच्छी-तरह युग्मित हैं। इसी को दूसरे शब्दों में कहते हैं कि इनके बीच क्षरण प्रेरकत्व बहुत कम है। ट्रांसफॉर्मर की वाइंडिंग के लिये क्षरण प्रेरकत्व का बहुत महत्व है। सन्दर्भ इन्हें भी देखें ट्राँसफार्मर ट्रांसफॉर्मर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B2
दाल
भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आती हैं। इन्हें उगाने वाली उपज को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग घटता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के उपरांत भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं: अरहर दाल मूंग दाल मूंग साबुत मूंग छिलका मूंग धुली उड़द दाल उड़द साबुत उड़द छिलका उड़द धुली हरी उड़द चना दाल मसूर दाल मसूर साबुत मसूर धुली या मलका मसूर चने काले चने काबुली चने या छोले राजमां राजमां लाल राजमां चितरा राजमां जम्मू मोठ दाल लोभिया दाल अन्य खेसरी , गौर, लोबिया, कुल्थी, मटर, सोयाबीन दाल मिल दालें मानव आहार में प्रोटीन की आवश्यकता पूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं। मानव शरीर के लिए लगभग ३ प्रतिशत प्रोटीन की पूर्ति दालों द्वारा की जाती है। भोजन में प्रयोग की जाने वाली दालें मुख्यत: छिलका रहित दो टुकड़ों वाली होती हैं। अत: दलहनों से दाल बनाने के लिए उनके ऊपर का छिलका उतारना सर्वप्रथम तथा प्रमुख क्रिया है। इसके लिए दानों को उपचारित किया जाता है और तत्पश्चात् ही उनका संसाधन किया जाता है। पुरानी पद्वति द्वारा दाल बनाने में लगभग १ से १५ प्रतिशत तक दाल की हानि संसाधन क्रिया में होती है। अत: दालों की उपलब्धि बढ़ाने के लिए उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ ही साथ संसाधन की भी उन्नत तकनीक एवं उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी दिशा में केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल तथा अन्य संस्थानों में शोध किये गये हैं। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Indian Pulses Through the Millennia - Asian Agri-History Foundation, Secunderabad वेब दुनिया पर भारतीय खाना दाल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3%20%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%A8
नारायण जगदीसन
नारायण जगदीसन (जन्म २४ दिसंबर १९९५) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है इन्होंने २७ अक्टूबर २०१६ को रणजी ट्रॉफी में २०१६-१७ में तमिलनाडु के लिए अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेला था, जहां उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मैन ऑफ़ द मैच का अवार्ड भी जीता था। उन्होंने ३० जनवरी २०१७ को २०१६-१७ के इंटर स्टेट ट्वेंटी-२० टूर्नामेंट में तमिलनाडु के लिए ही अपने ट्वेंटी-२० क्रिकेट का पदार्पण किया। इसके बाद इन्हें २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपर किंग्स ने २० लाख रूपए से खरीदा है। जगदीसन ने २०१६-१७ की विजय हजारे ट्रॉफी में तमिलनाडु के लिए पहली बार लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेला। बाहरी कड़ियाँ सन्दर्भ चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ी दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ कोयंबतूर के लोग 1995 में जन्मे लोग जीवित लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%88
गान-नगाई
गान-नगाई जिसे "चकान गान-नगाई"  के रूप में भी जाना जाता है ज़ीलियनगोंग लोगों का एक त्योहार है  जो लोग रहते हैं, असम मणिपुर और नगालैंड. इस त्यौहार को एक नए साल के त्यौहार के रूप में भी वर्णित किया गया है क्योंकि यह वर्ष के अंत और नए वर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। प्रासंगिकता यह एक फसल कटाई त्यौहार भी है। उत्सव गान-नगाई को भारत सरकार द्वारा भारत के पर्यटन समारोह के रूप में भी मान्यता दी गई है। सन्दर्भ भारत में धार्मिक त्यौहार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%A8%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF
जॉर्डन में स्वास्थ्य
2013 में जॉर्डन में जीवन प्रत्याशा 74 साल थी। जॉर्डन की 99% आबादी के पास स्वच्छ जल और स्वच्छता की पहुंच है, बावजूद इसके कि यह जल संसाधनों में दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से एक है। २०००-२००४ में प्रति १००० लोगों पर २०३ चिकित्सक थे, कई विकसित देशों की तुलना में अनुपात और विकासशील दुनिया के अधिकांश की तुलना में अधिक है। 2003 के अनुमानों के अनुसार, मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस / अधिग्रहित प्रतिरक्षा कमी सिंड्रोम (एचआईवी / एड्स) की व्यापकता की दर 0.1 प्रतिशत से कम थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 2001 से जॉर्डन को मलेरिया- मुक्त माना जाता है ; 1990 के दशक के दौरान तपेदिक के मामलों में आधे से गिरावट आई, लेकिन तपेदिक एक मुद्दा है और एक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। जॉर्डन ने मार्च 2006 में बर्ड फ्लू का एक संक्षिप्त प्रकोप अनुभव किया। जॉर्डन में गैर-संचारी रोग जैसे कैंसर भी एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा है। पिछले 15 वर्षों में बचपन की प्रतिरक्षण दर लगातार बढ़ी है; 2002 तक टीकाकरण और टीके पांच साल से कम उम्र के 95 प्रतिशत से अधिक बच्चों तक पहुंचे। स्वास्थ्य देखभाल जॉर्डन में एक उन्नत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली है, हालांकि अम्मान में सेवाएं अत्यधिक केंद्रित हैं। सरकारी आंकड़ों ने 2002 में कुल स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 7.5 प्रतिशत पर रखा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन इस आंकड़े को जीडीपी के लगभग 9.3 प्रतिशत पर भी उच्च स्थान पर रखते हैं। जॉर्डन को विश्व बैंक द्वारा अरब क्षेत्र में नंबर एक चिकित्सा पर्यटन प्रदाता के रूप में स्थान दिया गया था और दुनिया में शीर्ष 5 में, साथ ही मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्थल होने के नाते। देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच विभाजित है। सार्वजनिक क्षेत्र में, स्वास्थ्य मंत्रालय देश के सभी अस्पताल बेड के 37 प्रतिशत के लिए 1,245 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और 27 अस्पताल संचालित करता है; मिलिट्री की रॉयल मेडिकल सर्विसेज में 11 अस्पताल हैं, जो सभी बेड का 24 प्रतिशत प्रदान करते हैं; और जॉर्डन यूनिवर्सिटी अस्पताल देश में कुल बेड का 3 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र सभी अस्पताल बेड का 36 प्रतिशत प्रदान करता है, 56 अस्पतालों के बीच वितरित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड 2009 में, जॉर्डन सरकार ने एक प्रभावी, राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य अवसंरचना में निवेश करके अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गुणवत्ता और लागत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय लिया। विस्तृत परामर्श और जांच की अवधि के बाद, जॉर्डन ने अमेरिका के दिग्गज स्वास्थ्य प्रशासन विस्टा ईएचआर के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली को अपनाया क्योंकि यह सैकड़ों अस्पतालों और लाखों रोगियों को स्केल करने में सक्षम, राष्ट्रीय स्तर की उद्यम प्रणाली थी। सन्दर्भ जॉर्डन एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A5%8B%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1
टैरो कार्ड
टैरो, कार्डों की रहस्यमयी दुनिया और भविष्य आकलन की सर्वप्रिय विधा। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। कुछ मानते हैं यह टैरोची शब्द से उत्पन्न हुआ, जो माइनर आर्काना के कार्डों से संबंधित था, तो कुछ इसकी उत्पत्ति टैरोटी से मानते हैं क्रास लाइन जो कि कार्डों के पीछे दिखती है। रहस्यमय संसार की रहस्यमय कहानी, लेकिन भविष्य की कहानी टैरो की जुबानी। टैरो डेक में कुल ७८ कार्ड होते हैं, जिन्हें मेजर आर्काना तथा माइनर आर्काना में विभक्त किया गया है। आर्काना लैटिन भाषा के शब्द आर्कान्स से उत्पन्न हुआ, जिसका अर्थ है_ रहस्यमय व्यक्तिगत विकास के रहस्यों से प्रतीकात्मक रूप से अभिलेखित शिक्षाएं लिए मेजर आर्काना गुप्त विज्ञान के छात्रों का गंभीर विषय है। इतिहास धार्मिक समूहों और विभिन्न भूमिगत जातियों का गुप्त शिक्षा अंकन। टैरो का दर्शन कबाला से उत्पन्न हुआ है। शब्दों और अंकों की दैवीय शक्ति से सम्पन्न टैरो आज भविष्य दर्शन का लोकप्रिय माध्यम है_ तो चलिए इस रहस्य और भविष्य दर्शन की अनोखी विधा को समझने। टैरो, कागज के चंद रंगीन कार्डों की रहस्यमय दुनिया, जिसके जरिए आपका भविष्य जाना जा सकता है। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। मान्यता कुछ मानते हैं यह टैरोची शब्द से उत्पन्न हुआ है, जो माइनर आर्काना के कार्डों से संबंधित था, तो कुछ इसकी उत्पत्ति टैरोटी से मानते हैं क्रॉस लाइन जो कि कार्डों के पीछे दिखती है। यह तो रही रहस्यमय संसार की रहस्यमय कहानी। आपके भविष्य में क्या कुछ होने वाला है इसकी भविष्यवाणी टैरो की जुबानी। टैरो, कागज के चंद रंगीन कार्डों की रहस्यमय दुनिया, जिसके जरिए आपका भविष्य जाना जा सकता है। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। टैरो कार्ड की रहस्यमय दुनिया टैरो डेक में 78 कार्ड होते हैं जो मेजर आर्काना और माइनर आर्काना में कहलाते हैं। आर्काना लैटिन भाषा के शब्द आर्कान्स से उत्पन्न हुआ, जिसका अर्थ है- रहस्यमय। व्यक्तिगत विकास के रहस्यों से प्रतीकात्मक रूप से अभिलेखित शिक्षाएँ लिए मेजर आर्काना गुप्त विज्ञान के छात्रों का गंभीर विषय है। धार्मिक समूहों और विभिन्न भूमिगत जातियों का गुप्त शिक्षा अंकन। टैरो का दर्शन कबाला से उत्पन्न हुआ है। शब्दों और अंकों की दैवीय शक्ति से सम्पन्न टैरो आज भविष्य दर्शन का लोकप्रिय माध्यम है। तो फिर वेबदुनिया के साथ चलिए इस रहस्य और भविष्य दर्शन की अनोखी विधा को समझने। कैसे जाने टैरो भविष्यफल • सबसे पहले आप जो भी प्रश्न पूछना चाहते हैं उसे एक बार अपने मन में अच्छी तरह से दोहरा लें या अधिक स्पष्टता के लिए प्रश्न को किसी कागज पर लिख लें। • इसके बाद "कार्ड चुने" | एक के बाद एक कर तीन कार्ड इस पैक से चुने। • पहला कार्ड आपके प्रश्न पूछते समय की मनःस्थिति को दर्शाता है। • दूसरा कार्ड आपको आपकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए जो प्रयत्न करने होंगे, उन्हें बताता है। • तीसरा और अंतिम कार्ड आपको परिणामस्वरूप आपके प्रश्न का उत्तर देता है। उदाहरणतः देखें पहला कार्ड मनःस्थिति आपके पहले स्थान पर फोर ऑफ कप्स का होना असंतुष्टि तथा अप्रसन्नता को दर्शाता है। यह आपकी खामियों तथा अवसरों को न देख पाने की स्थिति को बताता है। दूसरा कार्ड इच्छा आपके दूसरे स्थान पर स्टार की उपस्थिति यह दर्शा रही है कि आपके जीवन का निष्क्रिय समय समाप्त हो चुका है। यह नई आशा, नए उद्यम का परिचायक है, लेकिन इसके लिए आपको अपने प्रयासों में तेजी लाना होगी। तीसरा कार्ड परिणाम आपके तीसरे स्थान पर क्वीन ऑफ कप्स का होना मानसिक प्रयासों तथा अच्छे-बुरे के विश्लेषण को दर्शाता है। अच्छे विचारों से किए गए कार्यों के परिणाम भी अच्छे ही होंगे। देखते रहिए। ज्योतिष
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%97
विलियम लारेन्स ब्राग
सर विलियम लॉरेंस ब्रैग ( 1890 - 1971) आस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध भौतिकविज्ञानी थे जिन्हें १९१५ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे प्रसिद्ध वैज्ञानिक विलियम हेनरी ब्रैग के पुत्र थे। ये दूसरे सबसे कम आयु के नोबेल पुरुस्कार विजेता है। इन्होने 25 वर्ष की उम्र मैं नोबेल पुरस्कार जीता था। इनका जन्म 31 मार्च 1890 को आस्ट्रेलिया के ऐडिलेड में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा इसी नगर में पाने के पश्चात् सन् 1916 में आप केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो हो गए। अपने पिता के साथ एक्स-रे-स्पेक्ट्रोमीटर की सहायता से आपने अनेक प्रकार के क्रिस्टलों की रचना की खोज की। इस कार्य के लिए इन्हें और इनके पिता को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तथा बारनर्ड स्वर्णपदक मिले। सन् 1919 से 1937 तक आप विक्टोरिया विश्वविद्यालय ((मैंचेस्टर)) में भौतिकी के लैंगवर्दी प्रोफेसर तथा सन् 1937-38 में नैशनल फिजिकल लेबोरेटरी के निदेशक थे तथा सन् 1938 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के कैवेंडिश प्रोफेसर नियुक्त हुए। क्रिस्टल संरचना पर आपने कई एक महत्व के निबंध लिखे हैं। विद्युत, क्रिस्टलों की संरचना तथा खनिजों की परमाणवीय संरचना पर भी आपने पुस्तकें लिखी हैं। इन्हें भी देखें नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विलियम हेनरी ब्रैग 1890 में जन्मे लोग भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी १९७१ में निधन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%AA%E0%A4%B2-%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%89%E0%A4%AB%E0%A5%80
चैपल-हेडली ट्रॉफी
क्रिकेट में चैपल-हेडली ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला है। इसका नाम ऑस्ट्रेलिया के चैपल बंधुओं (इयान, ग्रेगोरी, और ट्रेवर) और न्यूजीलैंड के वाल्टर हैडली और उनके तीन बेटों (बैरी, डेले और सर रिचर्ड): दोनों देशों के दिग्गज क्रिकेट परिवारों के नाम पर रखा गया है। 2016-17 में चैपल-हैडली ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराने के बाद ट्रॉफी वर्तमान में न्यूजीलैंड के पास है। ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड के चार में पांच श्रृंखला जीत दर्ज की है। ट्रॉफी को 2004–05 से 2009-10 तक तीन या पांच मैचों की श्रृंखला के रूप में, और 2011 और 2015 में विश्व कप के ग्रुप चरण के दौरान एक-मैच श्रृंखला के रूप में प्रतिवर्ष लड़ा गया था। हालाँकि 2015 का क्रिकेट विश्व कप फाइनल भी उन्हीं टीमों के बीच लड़ा गया था, लेकिन इस खेल को इस ट्रॉफी का हिस्सा नहीं माना गया था। 2017-18 संस्करण को 2017-18 ट्रांस-तस्मान ट्राई-सीरीज़ के साथ बदल दिया गया था, लेकिन श्रृंखला 2019-20 में ऑस्ट्रेलिया में योजना के अनुसार आगे बढ़ने की उम्मीद है। ट्रॉफी इतिहास चैपल-हेडली ट्रॉफी के मैचों में कई उल्लेखनीय परिणाम और रिकॉर्ड टूटे हुए हैं: न्यूजीलैंड ने चैपल-हैडली ट्रॉफी मैचों में तीन विशेष रूप से बड़े रन का पीछा किया है। 2005–06 में क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड में तीसरे वनडे में, ऑस्ट्रेलिया के कुल 332 का सफलतापूर्वक पीछा करते हुए, एकदिवसीय इतिहास में सर्वाधिक रन चेज़ का नया रिकॉर्ड स्थापित किया; इस रिकॉर्ड को दक्षिण अफ्रीका ने बाद में 2005–06 सीज़न में पीछे छोड़ दिया। फिर, 2006-07 श्रृंखला में, न्यूजीलैंड ने ऑकलैंड में दूसरे वनडे में 336 का पीछा किया, और हैमिल्टन में तीसरे वनडे में सफलतापूर्वक 346 का पीछा किया। एक समय के लिए, ये तीन मैच एकदिवसीय इतिहास में दूसरा, तीसरा और चौथा सर्वाधिक रन था। 2006 में वेलिंगटन में पहले वनडे में, ऑस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय इतिहास में पहली बार 10 विकेट से हराया था। यह ऑस्ट्रेलिया का 646 वां एकदिवसीय मैच था। ऑकलैंड में 200607 में दूसरे वनडे में अपनी हार के बाद, अक्टूबर 2002 में स्टैंडिंग पेश किए जाने के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया आईसीसी वनडे चैंपियनशिप में शीर्ष स्थान पर रहा, शीर्ष पर लगातार 52 महीनों की एक लकीर को समाप्त किया। हैमिल्टन में 2006-07 में तीसरे वनडे में, मैथ्यू हेडन ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया के लिए नाबाद 181 रन बनाए, एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी के लिए एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया; यह रिकॉर्ड 2011 तक बना रहा। क्रेग मैकमिलन ने तब दूसरी पारी में 67 गेंदों में शतक बनाया, जो 1 जनवरी 2014 तक, जब दोनों कोरी एंडरसन (36 गेंदों पर) और जेसी राइडर (46 गेंदों पर) ने तीसरे वनडे में वेस्टइंडीज के क्वीन्सटाउन में यह रिकॉर्ड तोड़ा न्यूजीलैंड के एक बल्लेबाज द्वारा सबसे तेज वनडे शतक था। कुल मिलाकर आंकड़े सीरीज मैचेस श्रृंखला परिणाम सीरीज 2004–05 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2004-05। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: श्रृंखला 1-1 से बराबरी पर रही। न्यूजीलैंड में 2005-06 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2005–06। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से जीता न्यूजीलैंड में 2006-07 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2006-07। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 3-0 से जीत दर्ज की। 2007–08 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2007–08। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 2-0 से जीत दर्ज की। 2008–09 श्रृंखला ऑस्ट्रेलिया में चैपल-हेडली ट्रॉफी 2008–09। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया 2-2 से ड्रॉ के बाद ट्रॉफी बरकरार रखता है। न्यूजीलैंड में 2009-10 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2009-10। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 3-2 से जीता भारत में 2010-11 श्रृंखला (विश्व कप 2011) 2010-11 सीज़न के दौरान ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एकमात्र निर्धारित 2011 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के ग्रुप स्टेज के दौरान, 25 फरवरी 2011 को नागपुर, भारत में खेला गया था, इसलिए देशों ने चैपल-हैडली ट्रॉफी के लिए सहमति व्यक्त की इस मैच में। ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट से जीत दर्ज की। चैपल-हेडली ट्रॉफी 2010–11। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 1-0 से जीता न्यूजीलैंड में 2014-15 श्रृंखला (विश्व कप 2015) 28 फरवरी 2015 को ऑकलैंड, न्यूजीलैंड में खेले गए 2015 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के ग्रुप स्टेज के दौरान ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच एकमात्र अनुसूचित वनडे 28 फरवरी 2015 को खेला गया था, इसलिए देशों ने चैपल-हैडली के लिए सहमति व्यक्त की इस मैच में ट्रॉफी। न्यूजीलैंड ने 1 विकेट से जीत दर्ज की। चैपल-हेडली ट्रॉफी 2014-15। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 1-0 से जीत हासिल की। न्यूजीलैंड में 2015-16 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2015-16। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड 2-1 से जीता। 2016-17 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2016-17। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 3-0 से जीता। न्यूजीलैंड में 2016-17 श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2016-17। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 2-0 से जीत हासिल की। ऑस्ट्रेलिया में 2019–20 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2019–20। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया की बढ़त 1-0 सन्दर्भ
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228645
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
तुष्टीकरण
अन्तरराष्ट्रीय संदर्भ में, तुष्टीकरण (Appeasement) राजनय की वह शैली है जिसमें किसी आक्रामक शक्ति से सीधे संघर्ष से बचने के लिए उसे विभिन्न प्रकार की रियायतें दी जातीं हैं। प्रायः 'तुष्टीकरण' शब्द का उपयोग रैमसे मैकडोनाल्द, स्टैन्ली बाल्दविन और नेविली चेम्बरलेन आदि ब्रितानी प्रधानमन्त्रियों की नाजी जर्मनी एवं फासीवादी इटली के प्रति विदेश नीति के लिए किया जाता है जिसे उन्होने १९३५ से १९३९ के बीच लागू किया। 1930 के दशक की शुरुआत में, द्वितीय विश्व युद्ध के आघात के कारण ऐसी रियायतें सकारात्मक रूप से देखी गईं, वर्साइली संधि में जर्मनी के उपचार के बारे में दूसरे विचार, और ऊपरी वर्गों में एक धारणा है कि फासीवाद एक स्वस्थ रूप था साम्यवाद विरोधी। हालांकि, म्यूनिख समझौते के समय तक जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली के बीच 30 सितंबर 1938 को निष्कर्ष निकाला गया- अधिकांश ब्रिटिश बाएं और लेबर पार्टी द्वारा नीति का विरोध किया गया था; विंस्टन चर्चिल और डफ कूपर जैसे कंज़र्वेटिव असंतोषियों द्वारा; और यहां तक ​​कि एंथनी ईडन, अपमान के पूर्व समर्थक भी। जैसे ही यूरोप में फासीवाद के उदय के बारे में अलार्म बढ़ गया, चेम्बरलेन ने जनता की राय को नियंत्रित करने के लिए समाचार सेंसरशिप का सहारा लिया। फिर भी, चैंबरलेन ने म्यूनिख के बाद आत्मविश्वास से घोषणा की कि उन्होंने "हमारे समय के लिए शांति" हासिल की है। नीतियां शिक्षाविदों, राजनेताओं और राजनयिकों के बीच सत्तर वर्षों से अधिक समय तक गहन बहस का विषय रही हैं। इतिहासकारों के आकलन एडॉल्फ हिटलर के जर्मनी को इतने मजबूत होने की इजाजत देने के लिए निंदा से लेकर हैं कि इस फैसले के लिए कि ब्रिटिश नेताओं के पास कोई विकल्प नहीं था और उन्होंने अपने देश के सर्वोत्तम हितों में काम किया था। मंचूरिया पर आक्रमण सितंबर 1931 में, लीग ऑफ नेशंस के एक सदस्य जापान ने पूर्वोत्तर चीन में मंचूरिया पर हमला किया और दावा किया कि इसकी आबादी केवल चीनी नहीं थी, बल्कि एक बहु-जातीय क्षेत्र था। चीन ने सहायता के लिए लीग और संयुक्त राज्य अमेरिका से अपील की। लीग की परिषद ने पार्टियों से शांतिपूर्ण निपटारे की अनुमति देने के लिए अपनी मूल स्थिति वापस लेने के लिए कहा। संयुक्त राज्य ने शांतिपूर्ण मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें अपने कर्तव्य की याद दिला दी। जापान निराश था और पूरे मंचूरिया पर कब्जा करने के लिए चला गया। लीग ने पूछताछ का एक आयोग स्थापित किया जिसने जापान की निंदा की, लीग ने विधिवत फरवरी 1 9 33 में रिपोर्ट को अपनाया। जवाब में जापान ने लीग से इस्तीफा दे दिया और चीन में अपनी अग्रिम जारी रखी; न तो लीग और न ही संयुक्त राज्य ने कोई कार्रवाई की। हालांकि, यू.एस. ने जापान की विजय को पहचानने और इनकार करने से इनकार कर दिया, जिसने 1 9 30 के दशक के अंत में जापान के ऊपर चीन के पक्ष में अमेरिकी नीति को स्थानांतरित करने में भूमिका निभाई। कुछ इतिहासकार, जैसे कि जोर देते हैं कि लीग की "सुदूर पूर्व में निष्क्रियता और अप्रभावीता ने यूरोपीय हमलावरों को हर प्रोत्साहन दिया जो विद्रोह के समान कृत्यों की योजना बनाते थे। एंग्लो-जर्मन नौसेना समझौता भारत के परिप्रेक्ष्य में तुष्टीकरण भारत में यह शब्द अल्पसंख्यक वोटबैंक के चक्कर में कुछ समूहों को लुभाने वाले वादे एवं नीतियों के लिये भी प्रयुक्त किया जाता है। भीमराव अम्बेडकर की दृष्टि में अम्बेडकर के अनुसार कुछ वर्ग मौके का फायदा लेकर अपने स्वार्थ के लिए अवैधानिक मार्ग अपनाते हैं । शासन इस संबंध में उनकी सहायता करता हैं इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण कहते हैं । बाबा साहेब के अनुसार इस निति में अतिक्रमणकारी लोगों को खरीदना, उनके अनैतिक कार्यों में सहायता करना और उनके अत्याचारों से अजीज लोगों की उपेक्षा करना ही तुष्टिकरण कहलाता हेै । अम्बेडकर ऐसी निति के हमेशा विरोधी रहे हैं । भारत वर्ष के दलितों पीछड़ों के उद्धारक अम्बेडकर साहब ने तुष्टीकरण को हमेशा राष्ट्र विरोधी बताया। प्रमुख राजनैतिक पार्टी कांग्रेस पर हमेशा से ही मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगता रहा है । इन्हें भी देखें छद्म धर्मनिरपेक्षता बाहरी कड़ियाँ तुष्टीकरण के कारण लगी है घाटी में आग सन्दर्भ राजनीतिक शब्दावली
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भौतिक चिकित्सा
व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले चिकित्सा की विद्या शारीरिक चिकित्सा या फिज़ियोथेरेपी या 'फिज़िकल थेरेपी' (Physical therapy / पी॰टी॰) कहलाती है। वास्तव में यह 'शारीरिक क्रिया चिकित्सा' है। चूंकि इसमें दवाइयाँ नहीं लेना पड़तीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिज़ियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होने तक नियमित किया जाए। अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द है और आप दवाइयाँ नहीं लेना चाहते तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिज़ियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप दवा का सेवन किए बिना अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए फिज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह अत्यंत आवश्यक है। फिज़िओथेरपी का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शरीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, इलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना है। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिज़िओथेरपी में डाक्टर, शारीरिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सकों का बहुत योगदान होता हैं। परिचय शारीरिक चिकित्सा एक स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमे लोगों का परीक्षण किया जाता है एवं उपचार प्रदान किये जाते हैं ताकि वे आजीवन अधिकाधिक गतिशीलता एवं क्रियात्मकता विकसित करें और उसे बनाये रख सकें। इसके अन्तर्गत वे उपचार आते हैं जिनमे व्यक्ति की गतिशीलता आयु, चोट, बीमारी एवं वातावरण सम्बन्धी कारणों से खतरे में पड़ जाती है। शारीरिक चिकित्सा का सम्बन्ध जीवन की उत्कृष्टता एवं गतिशीलता के सामर्थ्य को पहचानने एवं उसको अधिकतम करने के साथ-साथ उसका प्रोत्साहन, बचाव, उपचार, सुधार एवं पुनर्सुधार करने से है। इनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण शामिल हैं। इसके अन्तर्गत शारीरिक चिकित्सक (PT), मरीज़ /ग्राहक, अन्य स्वास्थ्य व्यवसायी, परिवार, ध्यान रखने वालों और समुदायों के मध्य संपर्क की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमें शारीरिक चिकित्सक के विशिष्ट ज्ञान और कुशलताओं द्वारा गतिशीलता की क्षमता का मूल्यांकन करके, सहमति के साथ उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। शारीरिक चिकित्सा या तो शारीरिक चिकित्सक (PT) या उसकी देख-रेख में एक सहायक (PTA) द्वारा की जाती है। शारीरिक चिकित्सक किसी व्यक्ति के रोग का इतिहास जान कर और परीक्षण करके रोग की पहचान करने के बाद उपचार की योजना तैयार करते हैं और आवश्यक होने पर इसमें प्रयोगशाला एवं छवि (बिम्ब) परीक्षण भी सम्मिलित करवाते हैं। इस कार्य में वैद्युतिक निदानशास्त्र परीक्षण (इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक टेस्टिंग), उदाहरण के लिए इलेक्ट्रोमायोग्रैम्स (electromyograms) और स्नायु-चलन वेग परीक्षण (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्टिंग) भी उपयोगी हो सकती हैं। शारीरिक चिकित्सा के कुछ विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जैसे कार्डियोपल्मोनरी चिकित्सा (Cardiopulmonary), जराचिकित्सा (Geriatrics), स्नायु संबन्धी चिकित्सा (Neurologic), अस्थि-रोग चिकित्सा (Orthopaedic) और बालरोग चिकित्सा (Pediatrics) इत्यादि। शारीरिक चिकित्सक कई प्रकार से कार्य करते हैं, जैसे, बाह्य रोगी क्लिनिक या कार्यालय, आंत्र-रोगी पुनर्वास केन्द्र, निपुण परिचर्या सुविधाएं, प्रसारित संरक्षण केन्द्र, निजी घर, शिक्षा एवं शोध केन्द्र, स्कूल, मरणासन्न रोगी आश्रम, औद्योगिक अथवा अन्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्र, फिटनेस केन्द्र तथा खेल प्रशिक्षण सुविधाएं आदि। इनकी शैक्षिक योग्यताएं देशों के अनुसार भिन्न हैं। आवश्यक शैक्षिक योग्यता कुछ देशों में मामूली व्यावहारिक शिक्षा जबकि दूसरे देशों में परास्नातक या डॉक्टरेट की डिग्री हो सकती है। इतिहास हिप्पोक्रेट्स और उसके बाद गेलेनस जैसे चिकित्सक शुरुआती शारीरिक चिकित्सकों में गिने जाते हैं, इन्होनें 460 ई॰पू॰ में ही मालिश, हाथों से किये जाने वाले उपचार एवं जलचिकित्सा का समर्थन किया। अठारहवीं सदी में अस्थि-विज्ञान के विकास के बाद गठिया और उसके समान रोगों के उपचार के अन्तर्गत जोड़ों के सुनियोजित व्यायाम हेतु जिमनैस्टीकॉन (Gymnasticon) और ऐसी ही अन्य मशीनों का निर्माण होने लगा जो कि शारीरिक चिकित्सा में बाद में आए बदलावों के सदृश थे। वास्तविक शारीरिक चिकित्सा का एक व्यवसाय समूह के रूप में सर्वाधिक प्राचीन प्रमाण के अनुसार वास्तविक शारीरिक चिकित्सा व्यवसाय समूह के रूप में मौलिक रूप से आरम्भ करने का श्रेय हेनरिक लिंग को जाता है, जिन्होंने रॉयल सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ जिमनैस्टिक्स (Royal Central Institute of Gymnastics) (RCIG) की स्थापना 1813 में की, जहाँ पर मालिश, शारीरिक दक्ष-प्रयोग एवं व्यायाम होते थे। शारीरिक चिकित्सा के लिए स्वीडिश शब्द "Sjukgymnast" = "बीमार-जिमनास्ट" है। 1887 में, स्वीडन के नैशनल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ एंड वेलफेयर (National Board of Health and Welfare) द्वारा शारीरिक चिकित्सकों को सरकारी पंजीकरण दिया जाने लगा। अन्य देशों ने भी जल्दी ही इसका अनुसरण किया। ग्रेट ब्रिटेन में चार नर्सों के द्वारा 1894 में चार्टर्ड सोसईटी ऑफ़ फिज़ियोथेरेपी (Chartered Society of Physiotherapy) की स्थापना की गयी। 1913 में न्यूज़ीलैण्ड के ओटागो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ फिजियोथेरेपी ने और 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका के पोर्टलैंड, ऑरेगोन के रीड कॉलेज ने "शारीरिक पुनर्संरचना सहयोग" में स्नातक उपाधि देना शुरू कर दिया। अनुसंधानों ने शारीरिक चिकित्सा आंदोलन की गति बढ़ा दी। शारीरिक चिकित्सा का पहला शोध-पत्र संयुक्त राज्य अमरीका में 1921 में द पीटी रिव्यू में प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष मेरी मैकमिलन ने फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन, जिसे अब अमेरिकन फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन (APTA) के नाम से जाना जाता है, की स्थापना की। 1924 में जॉर्जिया वार्म स्प्रिंग फाऊंडेशन ने शारीरिक चिकित्सा को पोलियो के इलाज के रूप में प्रस्तुत करके इसे और प्रोन्नत किया। 1940 के दशक के उपचार माध्यमों में मुख्य रूप से व्यायाम, मालिश और कर्षण का प्रयोग होता था। रीढ़ की हड्डी और अग्र-भाग के जोड़ों का अवस्था-अनुसार इलाज 1950 के दशक के शुरुआती वर्षों में, विशेष रूप से ब्रिटिश कामनवेल्थ देशों में प्रारम्भ हो गया था। इसी दशक के बाद के वर्षों में, शारीरिक चिकित्सक ने अपनी अस्पताल की सेवाओं से आगे बढ़ कर बाह्य-रोगी अस्थि-रोग क्लिनिक, सरकारी स्कूल, महाविद्यालय/विश्वविद्यालय, वृद्धों के लिए विशिष्ट परिचर्या सुविधाएं, पुनर्वास केन्द्र, अस्पताल और चिकित्सा केन्द्रों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करना प्रारम्भ कर दिया। शारीरिक शिक्षा में विशेषज्ञता 1974 में संयुक्त राज्य में प्रारम्भ हुई जब APTA ने उन शारीरिक चिकित्सकों, जो अस्थि-विज्ञान में दक्षता हासिल करना चाहते थे, उनके लिए अस्थि-विज्ञान विभाग की स्थापना की। इसी साल इंटरनेशनल फेडेरेशन ऑफ़ ऑर्थोपेडिक मेनुपुलेटिव थेरेपी (International Federation of Orthopaedic Manipulative Therapy) की स्थापना की गयी और इसने तब से अब तक इस पद्धति की उन्नति में विशिष्ट भूमिका निभाई। शिक्षा वर्ल्ड कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ फिजिकल थेरेपी (World Confederation of Physical Therapy) (WCPT) यह अनुभव करता है कि विश्व के शारीरिक चिकित्सकों की शिक्षा के परिवेश में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विविधता है। इसकी सिफारिश है कि शारीरिक चिकिसकों का मूल-भूत शिक्षा कार्यक्रम विश्वविद्यालय स्तर पर कम से कम चार वर्षों का होना चाहिए, जिसको स्वतंत्र रूप से यह प्रमाणीकरण दिया जाये कि वह कार्यक्रम स्नातकों को पूरी तरह से वैधानिक और व्यावसायिक पहचान दिलाने में सक्षम है। WCPT स्वीकार करता है कि शिक्षा कार्यक्रम और प्रारम्भिक स्तरीय योग्यताओं के अन्तरण में नवीनता और भिन्नता है, जिसमें पहली विश्वविद्यालय उपाधियाँ (जैसे बैचलर/बैकेल्युरियेट/अनुज्ञापत्र प्राप्त या समकक्ष), परा-स्नातक और डाक्ट्रेट की प्रारम्भिक योग्यताएं सम्मिलित हैं। उम्मीद यह की जाती है कि कोई भी शैक्षणिक कार्यक्रम, इन दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, शारीरिक शिक्षकों को उनके पेशे से सम्बन्धित ज्ञान, कुशलता और विशेषता प्रदान करेगा। व्यावसायिक शिक्षा इन शारीरिक चिकित्सकों को, हेल्थ-केयर दल के अन्य सदस्यों के समकक्ष निपुण, स्वतन्त्र पेशेवर बनने के लिए तैयार करती है। शारीरिक चिकित्सकों के प्रवेश-स्तर पर के शैक्षणिक कार्यक्रमों में शैक्षणिक सततता के साथ-साथ सिद्धान्त, प्रमाण और अभ्यास का एकीकरण होता है। यह एक मान्यता प्राप्त शारीरिक चिकित्सा कार्यक्रम में प्रवेश के साथ शुरू होता है और सक्रिय अभ्यास से सेवानिवृत्त होने के साथ समाप्त होता है। यू॰एस॰ में शारीरिक चिकित्सकों के 211 मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों में से 202 को डॉक्टरेट स्तर तक मान्यता प्राप्त है और वह डॉक्टर ऑफ़ फिज़िकल थेरेपी (DPT) की उपाधि प्रदान करते हैं। विशेषज्ञता क्षेत्र शारीरिक चिकित्सा के ज्ञान का क्षेत्र बहुत विस्तृत होने के कारण कुछ शारीरिक चिकित्सक विशिष्ट रोग-विषयक क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करते हैं। हालाँकि शारीरिक चिकित्सक कई प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु अमेरिकन बोर्ड ऑफ़ फिजिकल थेरेपी स्पेशिएलिटीज़ की सूची के अनुसार 7 विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जिनमें खेल शारीरिक चिकित्सा और विद्युत फिज़ियोलॉजी (electrophisiology) सम्मिलित हैं। शारीरिक चिकित्सा में विश्व स्तर पर 6 सर्वाधिक प्रचलित विशेषज्ञता क्षेत्र हैं। ह्रदय फुस्फुसीय (कार्डियोपल्मोनरी) ह्रदय संवहनी (कार्डियोवैस्कुलर) और पल्मोनरी स्वास्थ्य लाभ शारीरिक चिकित्सक, कार्डियोपल्मोनरी विकार से ग्रस्त या ह्रदय अथवा पल्मोनरी (pulmonary) शल्य क्रिया करवा चुके अनेकों व्यक्तियों का उपचार करते हैं। इस विशेषता का प्राथमिक लक्ष्य सहनशक्ति और क्रियात्मक स्वतंत्रता को बढाना है। इस क्षेत्र में कृमिकोषीय तन्तुशोथ (सिस्टिक फाइब्रोसिस) के दौरान फेफड़े के स्त्रावों को हाथ द्वारा ही साफ़ किया जाता है। हृदयाघात, पोस्ट कोरोनरी बाइपास सर्जरी (post coronary bypass surgery), क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ेस (chronic obstructive pulmonary diseases) और पल्मोनरी फाइब्रोसिस (pulmonary fibrosis) उपचारों में कार्डियोवैस्कुलर (cardiovascular) और पल्मोनरी विशेषज्ञ शारीरिक चिकित्सकों से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जराचिकित्सा वृद्धावस्था सम्बन्धित शारीरिक चिकित्सा उन लोगों से सम्बन्धित अनेक समस्याओं को समाहित करती है जो साधारणतया वयस्क अवस्था से वृद्धावस्था की और बढ रहे हैं किन्तु यह प्रमुख रूप से अधिक आयु के वयस्कों पर ही केन्द्रित है। आयु बढ़ने के साथ ही कई लोग कई प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं जिसके अन्तर्गत निम्न समस्यायें सम्मिलित हैं: गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), कैंसर, कम्पवात (अल्जाइमर), कूल्हा एवं संधि प्रतिस्थापन, संतुलन विकार, असंयम आदि, किन्तु समस्याओं की यह शृंखला यहीं तक सीमित नहीं है। जरा चिकित्सा विशेषज्ञ अधिक आयु के वयस्कों के उपचार में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। स्नायु संबन्धी स्नायु संबन्धी शारीरिक चिकित्सा वह क्षेत्र है जो स्नायु सम्बन्धित विकारों या रोगों से ग्रसित व्यक्तियों पर कार्य करने हेतु केन्द्रित है। इसके अन्तर्गत अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease), चार्कोट-मारी-टूथ रोग (Charcot-Marie-Tooth disease) (CMT), ऐ॰एल॰एस॰, मस्तिष्क अभिघात, सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy), मल्टिपल स्कैलेरौसिस (multiple sclerosis), पार्किन्सन रोग (Parkinson's disease), रीढ की हड्डी सम्बन्धित चोट और आघात सम्मिलित हैं। साधारण दुर्बलताएं जो स्नायु संबन्धी अवस्थाओं से जुड़ी हैं जिसमे दृष्टि, संतुलन, अंग संचालन, रोजमर्रा की क्रियाएँ, गतिशीलता, मांसपेशियों की शक्ति और क्रियात्मक स्वतंत्रता के ह्रास से सम्बन्धित दुर्बलताएं सम्मिलित हैं। अस्थि-रोग अस्थि-रोग शारीरिक चिकित्सक गतिज-कंकालीय प्रणाली से सम्बन्धित विकारों का निदान, नियंत्रण एवं उपचार करता है, इसमें अस्थि-शल्य-चिकित्सा के बाद का पुनर्सुधार भी सम्मिलित है। इस विशेषज्ञता के चिकित्सक अधिकतर बाह्य-रोगी क्लिनिक की शैली में कार्य करते हैं। अस्थि-रोग शारीरिक चिकित्सकों को शल्य-क्रिया पश्चात् अस्थि-रोग प्रक्रियाओं, हड्डी टूटना, गंभीर खेल चोटों, गठिया, मोच, तनाव, पीठ और गर्दन दर्द, रीढ़ की स्थिति एवं अंगच्छेदन आदि के उपचार में प्रशिक्षित किया जाता है। जोड़ व रीढ़ की गतिशीलता एवं उपचार, उपचारात्मक व्यायाम, न्यूरो-मस्कुलर सुधार, ठंडी-गर्म पट्टी एवं विद्युत् द्वारा मांसपेशियों का उद्दीपन (जैसे क्रायोथेरैपी (cryotherapy), आयेंटोफोरैसिस (iontophoresis), इलेक्ट्रोथेरेपी (electrotherapy)) आदि वे तरीके हैं जो अक्सर स्वास्थ्यलाभ की गति बढ़ाने के लिए उपयोग किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, सोनोग्राफी (Sonography) एक उभरती हुई प्रणाली है जो मांसपेशियों के पुनर्प्रशिक्षण जैसे निदान एवं उपचार में प्रयोग की जाने लगी है। वे मरीज जो चोटिल हो चुके हैं या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली किसी बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं, उन्हें किसी अस्थि-रोग विशेषज्ञ शारीरिक चिकित्सक से आकलन करवाने से लाभ हो सकता है। बालरोग चिकित्सा बालरोगों की शारीरिक चिकित्सा बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं का जल्दी पता लगाने में सहायता करती है और तौर-तरीकों की एक विस्तृत शृंखला का उपयोग करती है। ये चिकित्सक नवजात शिशुओं, बच्चों एवं किशोरों में रोग-लक्षणों की पहचान, इलाज एवं देखरेख के विशेषज्ञ होने के साथ जन्मजात, विकासात्मक, न्यूरो-मस्क्युलर (Neuromuscular), कंकाल सम्बन्धी एवं किसी कारणवश होने वाले विकारों/बीमारियों के विषय में विशेष ज्ञान रखते हैं। इसमें इलाज की दिशा दीर्घ एवं सूक्ष्म मोटर (motor) कुशलता, संतुलन एवं समन्वय, शक्ति एवं स्थायित्व के साथ ही संज्ञानात्मक एवं संवेदिक क्रियाशीलता और समाकलन बढ़ाने की ओर रहती है। बालरोगों के शारीरिक चिकित्सकों द्वारा बच्चों के साथ विकासात्मक देरी, मस्तिष्क पक्षाघात तथा जन्मजात मेरूदंडीय द्विशाखी (स्पाइना बाइफिडा) आदि का इलाज किया जा सकता है। अध्यावर्णी (इंटेग्युमेंट्री) इंटेग्युमेंट्री (Integumentary) (त्वचा एवं सम्बन्धित अंगों की स्थिति का इलाज) साधारणतया इसमें घाव एवं जलने की स्थितियाँ आती हैं। शारीरिक चिकित्सक इसमें शल्य क्रिया के उपकरण, यांत्रिक संसाधन, पट्टी एवं स्थानिक मलहम का प्रयोग कर, क्षतिग्रस्त ऊतकों को हटा कर नए ऊतकों के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। अन्य उपचार, जैसे, व्यायाम, सूजन नियंत्रण, सहारा देने वाली खपच्ची तथा संपीडन वस्त्र, आदि भी आम तौर से प्रयोग किये जाते हैं। सन्दर्भ इन्हें भी देखें जोड़ों का परिचालन मैनुअल हैंडलिंग (manual handling) उपजीविकाजन्य उपचार शारीरिक उपचार के चिकित्सक चिकित्सक मेकेंजी विधि बाहरी कड़ियाँ बिना दवा के राहत पाइए फिजियोथेरेपी के जरिए शारीरिक चिकित्सा के विभिन्न पक्षों पर चर्चा चिकित्सा पुनर्सुधार टीम स्वास्थ्य विज्ञान दवा पुनर्वास हेल्थकेयर व्यवसाय शारीरिक चिकित्सा खेल चिकित्सा व्यायाम हस्तलाघव चिकित्सा अस्पताल विभाग मालिश चिकित्सा गूगल परियोजना
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मिकोयान-गुरेविच मिग-9
मिकोयान-गुरेविच मिग-9 (Mikoyan-Gurevich MiG-9) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ़ार्गो) द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद के वर्षों में मिकोयान-गुरेविच द्वारा विकसित पहला टर्बोजेट लड़ाकू विमान था। इसमे रिवर्स इंजीनियरिंग वाला जर्मन बीएमडब्लू 003 इंजन का उपयोग किया गया था। इस जेट को पहली पीढ़ी के विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह मामूली सफल रहा था लेकिन फायर गैस घूस के कारण ऊंची ऊंचाई पर अपनी बंदूकें फायरिंग करते समय इंजन फ्लैमाउट्स के साथ लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रोटोटाइप सहित कुल 610 विमान का निर्माण किया गया था। और उन्होंने 1948 में सोवियत वायु सेना के सेवा में प्रवेश किया। कम से कम 372 को चीनी वायु सेना को 1950 में स्थानांतरित किया गया ताकि राष्ट्रवादी चीनी द्वारा हवाई छापे के खिलाफ चीनी शहरों का बचाव किया जा सके और जेट संचालन में चीनी पायलटों को प्रशिक्षित किया जा सके। ऑपरेटर्स सोवियत वायु सेना चीनी वायु सेना विशेष विवरण इन्हें भी देखें सन्दर्भ ग्रन्थसूची मिकोयान विमान सोवियत संघ के विमान लड़ाकू विमान
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रेवती (नक्षत्र)
यह एक नक्षत्र है और ३२ तारों का एक समूह है। यह मृदु मॅत्र संज्ञक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में विद्या का आरंभ, गृह प्रवेश, विवाह, सम्मान प्राप्ति, देव प्रतिष्ठा, वस्त्र निर्माण इत्यादि कार्य संपन्न किए जाते हैं। इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा तथा शव दाह से कार्य नहीं किए जाते। इस नक्षत्र के देवता पूषा हैं। यह मीन राशि का अंतिम नक्षत्र है। इसके स्वामी ग्रहों में बुध हैं। इस नक्षत्र पर गुरू एवं बुध का संयुक्त प्रभाव होता है। जन्म जिन जातकों क जन्म इस नक्षत्र में होता है वह बुध महादसा में जन्म लेते हैं। तथा तेजस्वी, सुंदर, चतुर, विद्द्वान होते हैं। धन धान्य से युक्त होते हैं। नामाक्षर दे, दो, च, ची अक्षरों पर चरणानुसार। रोग इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को वायु विकार, ज्वर, पीठ दर्द जैसी समस्याएं रहती हैं। रेवती - भगवाण श्री कृष्ण की भाभी थी सन्दर्भ नक्षत्र
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अज़हर अली
अज़हर अली (/ (जन्म ;१९ फ़रवरी १९८५ ,लाहौर ,पंजाब ,पाकिस्तान) एक पाकिस्तान क्रिकेट टीम खिलाड़ी है जो कि वर्तमान में पाक टीम के एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय के कप्तान है और टेस्ट क्रिकेट में उप-कप्तान है। अज़हर अली ने अपने टेस्ट क्रिकेट कैरियर की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के खिलाफ लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर लॉर्ड्स में जुलाई २०१० में की थी। अज़हर दाईने हाथ के एक बल्लेबाज की भूमिका निभाते और और पार्ट टाइम लेग ब्रेक गेंदबाज है। अली के नाम टेस्ट क्रिकेट में एक तिहरा शतक भी है जो अक्टूबर २०१६ में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ बनाया। घरेलू क्रिकेट में अली ख़ान रिसर्च लेबोरेट्री ,लाहौर ,लाहौर ईगल्स ,लाहौर लॉयन्स ,लाहौर कलंडर्स ,पाकिस्तान ए और हंटली टीम के लिए खेल चुके है।पाकिस्तान सुपर लीग के पहले संस्करण के दौरान अली लाहौर कलंडर्स के कप्तान भी रह चुके है। घरेलू क्रिकेट कैरियर अज़हर अली दाईने हाथ के ओपनर बल्लेबाज और पार्ट टाइम लेग ब्रेक गेंदबाज है।अज़हर ने अपने घरेलू क्रिकेट कैरियर में ख़ान रिसर्च लेबोरेट्री क्रिकेट टीम के लिए हमेशा ओपनिंग बल्लेबाजी ही की है। अज़हर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल ४० शतक और ५३ अर्द्धशतक लगाए हैं साथ ही इनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद ३०२* है। अज़हर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अब तक १२३ मैचों में ७,४,१९ रन बना चुके है। इनके अलावा लिस्ट ए क्रिकेट में ११९ मैचों में ५,००५ रन बना चुके है। अज़हर अली को पाकिस्तान सुपर लीग के प्रथम संस्करण में कप्तान के रूप में चयनित किया गया था। पहले संस्करण में अली ने कुल ७ मैच खेले और १८० रन बनाए थे। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर पाकिस्तान के ऐसे कुछ ही खिलाड़ी है जिन्होंने अपना कैरियर टेस्ट क्रिकेट से किया हो ,अज़हर भी ऐसे ही है जिन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत टेस्ट क्रिकेट से की। अज़हर ने अपना पहला टेस्ट मैच जुलाई २०१० में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ खेला था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ शुरुआत अली ने जब अपने कैरियर की शुरुआत की तब पाकिस्तान के मिडल ऑर्डर मोहम्मद युसुफ और यूनुस खान एक दीवार थे। अली ने २०१० में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बनाम टेस्ट मैच खेले। अज़हर ने अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में महज १७ रन ही बनाए और टिम पैन को कैच थमा बैठे थे। दूसरी पारी में जरूर ४२ रन बनाए लेकिन मैच में पाकिस्तान को १५० रनों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद दूसरा टेस्ट मैच खेला जो कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही था उस मैच की पहली पारी में एक बार फिर निराश किया और सिर्फ ३० रनों पर अपना विकेट दे दिया लेकिन दूसरी पारी में इन्होंने अपना पहला अर्द्धशतक लगाया। और वो मैच भी पाकिस्तान जीता था। इंग्लैंड के खिलाफ भी अजहर ने पहले दो टेस्ट मैचों में काफी मेहनत की। नवम्बर २०१० : अफ्रीका के खिलाफ एक बार फिर अज़हर अली का टीम में चयन किया इस बार मैच दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के खिलाफ खेलने थे ,यह श्रृंखला नवम्बर २०१० में आयोजित की गई थी। अज़हर ने पहले टेस्ट की दोनों पारियों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए अर्द्धशतक लगाए ,अपनी दोनों अर्द्धशतकिय पारियों के कारण पाकिस्तान को ४५१ रनों का लक्ष्य पीछा करने में बहुत मदद मिली। इसके बाद अली ने दूसरे टेस्ट की दूसरी में जबर्दस्त ९० रन बनाए जिसमें कुल १३५ गेंदों का सामना किया था ,उस वक़्त टीम के कप्तान मिस्बाह उल हक़ थे। जनवरी २०११ : न्यूजीलैंड का दौरा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करने और ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों के खिलाफ खेलने के अनुभव को देखते हुए चयनकर्ताओं ने एक बार अली का चयन न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली दो टेस्ट मैचों के लिए कर दिया ,यह टेस्ट श्रृंखला जनवरी २०११ में हुई। दौरे के पहले टेस्ट मैच में पहली पारी में अली ने सिर्फ १८ रनों क8 पारी खेली और दूसरी पारी में खेलने का मौका ही नहीं मिल पाया क्योंकि मैच पाकिस्तान और १० - विकेट से जीत गया था। हालांकि अज़हर अली ने दूसरे टेस्ट में अपना छठा अर्द्धशतक लगाया था। जून २०१२: श्रीलंका का दौरा अज़हर को २०१२ में श्रीलंकाई टीम के खिलाफ वनडे और टेस्ट दोनों में शामिल किया गया। इन्होंने वनडे मैचों में सभी को प्रभावित किया और दूसरे मैच में ९० और चौथे मैच नाबाद ८१* रनों की पारी खेली। इसी प्रकार श्रृंखला में पाकिस्तान की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। इसके अली ने टेस्ट मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन किया और श्रृंखला के दूसरे टेस्ट की पहली पारी में अपना चौथा टेस्ट शतक जड़ दिया उस पारी में अली ने कुल १५७ रन बनाए थे। इसी प्रकार अली ने अपनी अच्छे प्रदर्शन की फॉर्म बरकरार रखी और दूसरी पारी में भी शतक लगा दिया जिसमें कुल १३६ रन बनाए थे। अपने अच्छे प्रदर्शन के चलते अली टेस्ट में 'आईसीसी के शीर्ष - १०' खिलाड़ियों में शामिल हो गए। कप्तानी मिस्बाह उल हक़ के वनडे से संन्यास के बाद नये कप्तान बनाने पर चर्चा चली और अली को कप्तान नियुक्त किया गया। हालांकि अली से पूर्व सरफ़राज़ अहमद को कप्तान बनाने पर चर्चा चली लेकिन बोर्ड ने अली के वनडे में २ सालों के अनुभव को देखते हुए कप्तान चुन लिया गया। पाकिस्तान का बांग्लादेश दौरा पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने २०१४ - १५ में बांग्लादेश क्रिकेट टीम का दौरा किया इस बार कप्तान अज़हर अली थे। हालांकि पाकिस्तान तीनों वनडे मैच हार गया था इस कारण पाकिस्तान को काफी निराशा थी। लेकिन अज़हर ने अच्छी कप्तानी पारी खेलते हुए ६२ और १०१ रन बनाए साथ ही अपना पहला वनडे शतक भी बनाया। यह पाकिस्तान की पहली ऐसी श्रृंखला रही जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। ज़िम्बाब्वे का पाकिस्तान दौरा ज़िम्बाब्वे क्रिकेट टीम ने २०१५ में पाकिस्तान का दौरा किया जो पाकिस्तान के लिए काफी अच्छा रहा और तीन मैचों की श्रृंखला २-० से जीत ली। अली ने श्रृंखला के पहले ही मैच में अपने देश में पहला शतक जड़ा ,यह अली का दूसरा वनडे शतक था। पाकिस्तान का श्रीलंका दौरा पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने श्रीलंका का दौरा किया और ९ साल बाद श्रीलंका में जाकर श्रृंखला जीती। पाकिस्तान को अंतिम जीत इंज़माम उल हक की कप्तानी में २००६ में मिली थी। अज़हर ने इस श्रृंखला में काफी रन बनाए और सबसे तेज १००० वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बन गए ,अली ने १००० रन सिर्फ २१ पारियों में पूरे किये। खेल के अंत में अहमद सहजाद ने कहा था कि अज़हर अली अपने नैचुरल अंदाज में खेल रहे हैं। पाकिस्तान का इंग्लैंड दौरा अगस्त २०१६ में पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया साथ ही आयरलैंड का भी दौरा किया। इसी बीच अज़हर अली ने टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में शानदार १३९ रनों की शतकीय पारी खेली। इन्होंने अंतिम टेस्ट में महज ३० रन बनाए और श्रृंखला २-२ पर बराबर रही। इसके बाद वनडे श्रृंखला प्रारम्भ हुई लेकिन पाकिस्तान के लिए अच्छी नहीं रही और श्रृंखला ४-१ से हारी। साथ ही इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने एक वनडे मैच में ४४४ रन बनाकर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। अली ने वनडे श्रृंखला में दो मैचों ८० और ८२ रनों की पारी खेली और पूरी श्रृंखला में ५ पारियों में २०८ रन बनाए। वेस्टइंडीज और पाकिस्तान २०१६ में पाकिस्तान टी-२० श्रृंखला ३-० से जीता साथ ही वनडे श्रृंखला भी। पाकिस्तान ने पहला वनडे मैच १११ रनों से जीता ,यह पाकिस्तान की रनों से सबसे बड़ी ५वीं जीत रही वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ।बाबर आज़म ने पाकिस्तान की ओर लगातार तीन शतक लगाए जिससे पाकिस्तान को मजबूती मिली। इसके बाद कप्तान अज़हर अली ने भी तीसरे मैच में अपना तीसरा शतक लगाया और इसके साथ ही पहले ऐसे पाकिस्तानी खिलाड़ी बने जिन्होंने बतौर कप्तान तीन शतक लगाए हो। कीर्तिमान और उपलब्धियां अज़हर अली ५०-५० ओवरों के खेल में सबसे तेज १००० रन बनाने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटर बने। अज़हर ७वें ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने सबसे तेज वनडे में १००० रन पूरे किये। अज़हर अली एकमात्र पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी है जिन्होंने बतौर कप्तान ३ वनडे शतक बनाए। अज़हर अली शीर्ष १० कप्तानों में जगह बनाई जिन्होंने सबसे तेज बतौर कप्तान १० मैचों में ६११ रन बनाए। अज़हर अली पहले पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान बने जिन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए शतक लगाया हो इससे पूर्व ऐसा किसी ने नहीं किया है। ये पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने दिन रात के टेस्ट मैच में शतक ,दोहरा या तिहरा शतक लगाया। सन्दर्भ पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी जीवित लोग 1985 में जन्मे लोग
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मझौल
Articles with short description Short description matches Wikidata मझौल नौहट्टा ब्लॉक में एक बड़ा गांव है जो भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिला में अवस्थित है, जिसमें कुल 700-800 परिवार रहते हैं। यह कोसी प्रमंडल के अंतर्गत आता है। यह राज्य की राजधानी पटना से 167 किमी. की दूरी पर है। इसके उत्तर में कुम्हरौली, दक्षिण में फेकराही, पूर्व में तेलवा, पश्चिम में कोसी नदी है। यह शाहपुर-मझौल पंचायत और महिषी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2011 की जनगणना के अनुसार मझौल गांव की जनसंख्या 3698 है, जिसमें 1919 पुरुष हैं जबकि 1779 महिलाएं हैं। जनसांख्यिकी यह गांव 700-800 एकड़ में फैला हुआ है। यह 6 वार्डों (वार्ड संख्या 9 से 14) में विभाजित है। मझौल गाँव का औसत लिंगानुपात 927 है जो बिहार राज्य के औसत 918 से अधिक है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार मझौल में बाल लिंग अनुपात 977 है, जो बिहार के औसत 935 से अधिक है। पिछले 10 वर्षों में जनसंख्या में -11.4 प्रतिशत की कमी आई है। भूमि, खेती और कृषि मझौल कोसी नदी के पास पूर्वी कोसी तटबंध से 300 मीटर पूर्व में स्थित है। इससे भूमि बहुत उपजाऊ हो जाती है। गाँव के किसान ज्यादातर अपने खेतों में धान, मकई (मक्का), गेहूं और मूंग (एक प्रकार की दाल ) की खेती करते हैं। चूंकि इस क्षेत्र की जलवायु धान के लिए सबसे उपयुक्त है, मकई एक अच्छी फसल गांव के कई किसानों के लिए खुशी लाती है। हालांकि, लोग गेहूं की फसल उगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ ही किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है। अधिकांश किसानों की मध्यम फसल होती है और इसलिए यह धान और मकई की खेती के अपेक्षा लोकप्रिय नहीं है। इसके बजाय, इस गांव के किसानों के लिए मकई पहली सबसे अच्छी फसल है और धान दूसरी है। इसलिए, वे नियमित फसलों की खेती के अलावा गरमा धान और मकई की फसल को एक साथ उगाना पसंद करते हैं । धान की कटाई का समय विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि ग्रामीण सामान्य रूप से खुश होते हैं। धान और मकई की ताजी फसल हर घर तक पहुंचती है, चाहे आप जमीन के मालिक हों, या किसान हों या सिर्फ फसल काटने वाले। हर घर में धन का आना तय है। इससे चूरा बनाया जा सकता है जो ताजा सक्कर (गुड़) और "दही" के साथ मिलकर एक अद्भुत भोजन बनाता है। बरसात के मौसम (सावन और भादो) में इस गांव की पूरी कृषि भूमि बारिश के पानी से ढकी रहती है, इसलिए इस मौसम में ग्रामीणों का मुख्य भोजन मछली और कुछ फल होते हैं। विध्यालय उर्दू मध्य विध्यालय, मझौल उर्दू कन्या प्राथमिक विध्यालय, मझौल पश्चिम उर्दू कन्या प्राथमिक विध्यालय, मझौल पूर्व यातायात रेल द्वारा मझौल के पास 10 किमी। तक कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। सहरसा जंक्शन रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। दरभंगा जंक्शन रेलवे स्टेशन बड़ा रेलवे स्टेशन है, जो मझौल से 67 किमी. पर है। सड़क द्वारा सहरसा मझौल के नजदीकी शहर हैं जहां बस द्वारा सड़क संपर्क है। यह सभी देखें सहरसा के गांवों की सूची सहरसा जिला नौहट्टा संदर्भ सहरसा ज़िले के गाँव विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
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हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। हरिद्वार जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। यह क्षेत्र साल 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से अस्तित्व में आया। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 96,902 मतदाता थे। विधायक 2012 के विधानसभा चुनाव में यतीश्वरानंद इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !पंजीकृत मतदाता !मतदान % !बढ़त से जीत !स्रोत |- |2012 |bgcolor="#FF9933"| |align="left"|भारतीय जनता पार्टी |align="left"|यतीश्वरानंद |96,902 |80.10% |3,875 | |} कालक्रम इन्हें भी देखें हरिद्वार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) सन्दर्भ टिपण्णी तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर
सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (CTTC), भुवनेश्वर MSME मंत्रालय , भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्था है। इतिहास विशेष रूप से इंजीनियरिंग क्षेत्र में तेजी से औद्योगिकीकरण के युग में, विशेष उपकरण, मर जाता है , जिग्स , जुड़नार , नए नए साँचे , गेज और अन्य सटीक घटकों की आवश्यकताएं अनिवार्य हैं। इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले टूलमेकर्स की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार और डेनमार्क सरकार के बीच तकनीकी सहयोग कार्यक्रम के तहत सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (CTTC) भुवनेश्वर सरकार के रूप में स्थापित किया गया है। भारत सोसायटी सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, XXI, 1860 के तहत पंजीकृत। भूमि, भवन आदि जैसी सभी ढांचागत सुविधाओं का योगदान सरकार द्वारा किया गया है। उड़ीसा का । प्रशिक्षण गतिविधियाँ 1991 में शुरू हुईं और 1995 में टूल उत्पादन। सेवाएं विशेष रूप से स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के लिए नए नए साँचे, जिग्स, जुड़नार, गेज और अन्य परिष्कृत घटकों की उत्पादन सुविधाओं का विकास करना। उपकरण बनाने और अन्य संबद्ध इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दीर्घकालिक और लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना दोनों फ्रेशर्स और पहले से ही इस क्षेत्र में लगे कर्मियों के लिए ट्रेड करता है। सटीक मशीनिंग और गर्मी उपचार में आम सुविधाएं प्रदान करना। गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के उद्देश्य से मुख्य रूप से टूल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लघु उद्योगों के लिए परामर्श सुविधाएं प्रदान करना। मार्स ऑर्बिटर मिशन , चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2 के लिए कुछ घटक प्रदान किए। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ सीटीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, सरकार। भारत की Pages with unreviewed translations
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संगणक घड़ी
संगणक और अन्य इलेक्टॉनिक उपकरणों में समय मापन के लिए एक चिप होती है जो घड़ी का काम करती है। यह कंप्यूटर (आदि) के बंद रहने पर भी एक छोटी सी बैटरी से चलती रहती है। इस तरह इसमें समय का आकलन हमेशा होता रहता है। पहले हर मदरबोर्ड पर एक वास्तविक समय हेतु घड़ी होती था (रियल टाईम क्लॉक,RTC) जो एक सीमोस सर्किट होता था और मोटरोला १४६८१८ के नाम से जाना जाता था। यह सेकेन्ड में २ से ८१९२ बार सिग्नल भेज सकता था। इसके आइबीएम की मशीनों और इसके कंपैटिबल मशीनों में प्रोग्रामेबल इंटरवल टाइमर (प्रोग्राम करने के लायक स्टॉप वॉच, Programmable Interval Timer, PIT) सीमॉस ८२५४ सर्किट आने लगे। इन सर्किटों के कारण एर कारतंत्र (Operating System) को समय का पता चलता है और बंद होने के बावजूद इसको सही समय पता होता है। संगणक तकनीक
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पल्लवन
किसी निर्धारित विषय जैसे सूत्र-वाक्य, उक्ति या विवेच्य-बिन्दु को उदाहरण, तर्क आदि से पुष्ट करते हुए प्रवाहमयी, सहज अभिव्यक्ति-शैली में मौलिक, सारगर्भित विस्तार देना पल्लवन (expansion) कहलाता है। इसे विस्तारण, भाव-विस्तारण, भाव-पल्लवन आदि भी कहा जाता है। सूत्र रूप में लिखी या कही गई बात के गर्भ में भाव और विचारों का एक पुंज छिपा होता है। विद्वान् जन एक पंक्‍त‌ि पर घंटों बोल लेते हैं और कई बार तो एक पूरी पुस्तक ही रच डालते हैं। यही कला 'पल्लवन' कहलाती है।पल्लवन का यह अर्थ नही की उस कथन का अर्थ या भाव लिखा जाए या उसकी व्याख्या के जाए अपितु इसका मूल भाव वक्ता के मंतव्य को स्पष्ट करना होता है। पल्लवन के कुछ सामान्य नियम:- (1) पल्लवन के लिए मूल अवतरण के वाक्य, सूक्ति, लोकोक्ति अथवा कहावत को ध्यानपूर्वक पढ़िए, ताकि मूल के सम्पूर्ण भाव अच्छी तरह समझ में आ जायँ। (2) मूल विचार अथवा भाव के नीचे दबे अन्य सहायक विचारों को समझने की चेष्टा कीजिए। (3) मूल और गौण विचारों को समझ लेने के बाद एक-एक कर सभी निहित विचारों को एक-एक अनुच्छेद में लिखना आरम्भ कीजिए, ताकि कोई भी भाव अथवा विचार छूटने न पाय। (4) अर्थ अथवा विचार का विस्तार करते समय उसकी पुष्टि में जहाँ-तहाँ ऊपर से कुछ उदाहरण और तथ्य भी दिये जा सकते हैं। (5) भाव और भाषा की अभिव्यक्ति में पूरी स्पष्टता, मौलिकता और सरलता होनी चाहिए। वाक्य छोटे-छोटे और भाषा अत्यन्त सरल होनी चाहिए। अलंकृत भाषा लिखने की चेष्टा न करना ही श्रेयस्कर है। (6) पल्लवन के लेखन में अप्रासंगिक बातों का अनावश्यक विस्तार या उल्लेख बिलकुल नहीं होना चाहिए। (7) पल्लवन में लेखक को मूल तथा गौण भाव या विचार की टीका-टिप्पणी और आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसमें मूल लेखक के मनोभावों का ही विस्तार और विश्लेषण होना चाहिए। (8) पल्लवन की रचना हर हालत में अन्यपुरुष में होनी चाहिए। (9) पल्लवन व्यासशैली की होनी चाहिए, समासशैली की नहीं। अतः इसमें बातों को विस्तार से लिखने का अभ्यास किया जाना चाहिए। (10) पल्लवन में निबंधात्मकता का गुण होता है। परिचय भाव पल्लवन का अर्थ है- 'किसी भाव का विस्तार करना'। इसमें किसी उक्ति, वाक्य, सूक्ति, कहावत, लोकोक्ति आदि के अर्थ को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है। विस्तार की आवश्यकता तभी होती है, जब मूल भाव संक्षिप्त, सघन या जटिल हो। भाषा के प्रयोग में कई बार ऐसी स्थितियां आती है। जब हमें किसी उक्ति में निहित भावों को स्पष्ट करना पड़ता है। इसी को भाव-पल्लवन कहते है। हम अपने भाषा व्यवहार में कई सूत्र वाक्य सूक्तियाँ, कहावतें, लोकोक्तियाँ आदि बोलते और सुनते रहते है। उदाहरण के लिये, स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। जहाँ कुमति तहँ बिपति निधाना।। परहित सरिस धरम नहीं भाई। इन सूक्तियों ओर कहावतों में भाव या विचार गठे और एक दूसरे के साथ बंधे रहते है। इन विचारों या भावों के समझने के लिए इनका विस्तार से विवेचन करना होता है ताकि उस सूत्र, वाक्य, सूक्ति या कहावत में छिपे गहरे अर्थ को स्पष्ट किया जा सके। हमारी कहावतें या लोकोक्तियाँ हमारे समाज के अनुभव को अपने में समेटे होती हैं। ये लोकोक्तियां वस्तुतः पूरे समाज के विचारों का सार प्रस्तुत करती हैं। इसी प्रकार कई विचारक, विद्वान या संत-महात्मा ऐसे सूत्र वाक्य प्रस्तुत करते हैं, जिनमें वे कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बात कह जाते हैं। इस बात को समझाने और समझाने के लिए हमें सोचना भी पड़ता है और उसका विस्तार भी करना पड़ता है। इसी को भाव-पल्लवन कहते हैं। वास्तव में भाषा व्यवहार में निपुण होने के लिए हमें भाव पल्लवन का अभ्यास करना आवश्यक है, जिससे हम ऐसी अभिव्यक्तियों में निहित भाव का इस प्रकार विस्तार करें कि सुनने वाले या पढ़ने वाले व्यक्ति को अपनी बात समझा सकेंं। इन्हें भी देखें संक्षेपण अनुच्छेद निबन्ध भाषा
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%87
थेरेसा मे
थेरेसा मैरी मे (उर्फ़ ब्रेसियर; जन्म 1 अक्टूबर 1956) यूनाइटेड किंगडम  की प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी की नेता है। वे 1997 से मेडनहैड सीट से संसद के सदस्य (सांसद) हैं। उन्हें एक एक-राष्ट्र रूढ़िवादी और एक उदार रूढ़िवादी के रूप में जाना जाता है। इससे पूर्व मार्गरेट थैचर वर्ष 1979 से 1990 तक ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। गौरतलब है कि डेविड कैमरून ने जनमत संग्रह के जरिए ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर आने के फैसले के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 13 जुलाई, 2016 को उन्होने ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। 1977 में स्नातक होने के बाद, उन्होंने बैंक ऑफ इंग्लैंड के लिए काम किया। उन्होंने मर्टन में डर्स्फोर्ड के लिए एक पार्षद के रूप में भी काम किया। हाउस ऑफ कॉमन्स में चुने जाने के दो असफल प्रयासों के बाद, उन्हें 1997 में मेडेनहेड के लिए सांसद के रूप में चुना गया। 1999 से 2010 तक, मे ने शैडो कैबिनेट्स में कई भूमिकाएँ निभाईं। वह 2002 से 2003 तक कंजर्वेटिव पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं। 2010 के आम चुनाव के बाद जब गठबंधन सरकार बनी, तो मे को गृह सचिव और महिला और समानों के लिए मंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन 2012 में बाद की भूमिका छोड़ दी। उन्होंने सेवा करना जारी रखा 2015 के आम चुनाव में रूढ़िवादी जीत के बाद गृह सचिव के रूप में, और 60 से अधिक वर्षों में सबसे लंबे समय तक सेवारत गृह सचिव बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पुलिस फेडरेशन के सुधार को आगे बढ़ाया, ड्रग्स नीति पर एक सख्त नीति लागू की, जिसमें खत पर प्रतिबंध लगाना, निर्वाचित पुलिस और अपराध आयुक्तों का परिचय, अबू कताडा का निर्वासन, और राष्ट्रीय अपराध एजेंसी का निर्माण शामिल है, और आव्रजन पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए गए। वह तिथि करने के लिए, राज्य के दो महान कार्यालयों में से एक ही महिला है। प्रारंभिक जीवन थेरेसा मे निःसंतान हैं। राजनेतिक जीवन केमरून के पद छोड़ने के बाद दो चरण में हुए मतदान के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए थेरेसा और आंद्रेया लेडसम एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी थीं। लेडसम ने चुनाव से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया। जिसके बाद थेरेसा का पीएम बनना सुनिश्चित हो गया। यूरोपीय संघ और ब्रेक्जिट मे 2016 के जनमत संग्रह अभियान के दौरान यूरोपीय संघ में सार्वजनिक रूप से अपने समर्थन के लिए कहा, लेकिन जनमत संग्रह में बड़े पैमाने पर अभियान नहीं चलाया और एक भाषण में यूरोपीय संघ के पहलुओं की आलोचना की। राजनीतिक पत्रकारों द्वारा यह अनुमान लगाया गया था कि मई ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए भावी उम्मीदवार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बहस में अपनी भागीदारी को कम करने की मांग की थी। [279] डेविड कैमरन के मंत्रालय के कुछ लोगों ने ब्रेक्सिट के मुद्दे पर जनमत संग्रह और यूरोपीय संघ के प्रति कथित उदासीनता के कारण मे की "पनडुब्बी" से तुलना की। [280] इन्हें भी देखें डेविड केमरून सन्दर्भ 1956 में जन्मे लोग जीवित लोग यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ब्रिटिश महिलाएँ राष्ट्रमण्डल पदासीन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7
हिरण्याक्ष
हिरण्याक्ष एक असुर (दैत्य) था जिसका वध वाराह अवतारी विष्णु ने किया था। हिरण्यकशिपु उसका बड़ा भाई था। विष्णुपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार दैत्यों के आदिपुरुष कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र का नाम था हिरण्यकश्यप और छोटे पुत्र का नाम था हिरण्याक्ष। हिरण्याक्ष माता धरती को रसातल में ले गया था जिसकी रक्षा के लिए आदि नारायण भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया, कहते हैं वाराह अवतार का जन्म ब्रह्मा जी के नाक से हुआ था । कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि हिरण्याक्ष और वाराह अवतार में कई वर्षों तक युद्ध चला। क्योंकि जो दैत्य स्वयं धरती को रसातल में ले जा सकता है आप सोचिए उसकी शक्ति कितनी होगी? फिर वाराह अवतार के द्वारा उसे गदा मारकर अपने दांत उसके वक्ष के आर पार कर दिए। पौराणिक पात्र असुर
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मापन के मात्रक
मापन के सन्दर्भ में मात्रक या इकाई (unit) किसी भौतिक राशि की एक निश्चित मात्रा को कहते हैं जो परिपाटी या/और नियम द्वारा पारिभाषिक एवं स्वीकृत की गई हो तथा जो उस भौतिक राशि के मापन के लिए मानक के रूप में प्रयुक्त होती हो। उस भौतिक राशि की कोई भी अन्य मात्रा इस 'इकाई' के एक गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है। उदाहरण के लिए लम्बाई एक भौतिक राशि है। 'मीटर' लम्बाई का मात्रक है जो एक निश्चित पूर्वनिर्धारित दूरी के बराबर होता है। जब हम कहते हैं कि अमुक दूरी '४७ मीटर' है तो इसका अर्थ है कि उक्त दूरी १ मीटर के ४७ गुना है। प्राचीन काल से ही मात्रकों की परिभाषा करना, उन पर सहमति करना, उनका व्यावहारिक उपयोग करना आदि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न स्थानों एवं कालों में मात्रकों की विभिन्न प्रणालियाँ होना एक सामान्य बात थी। किन्तु अब एक वैश्विक मानक प्रणाली अस्तित्व में है जिसे 'अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली' (International System of Units (SI)) कहते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग की जानेवाली अन्य तौलों तथा मापों की तालिकाएँ ओषधिविक्रेताओं के ब्रिटिश तौल (Apothecary's weights) 20 ग्रेन = 1 स्क्रूपल 3 स्क्रूपल = 1 ड्राम 8 ड्राम = 1 आउंस 12 आउंस = 1 पाउंड 20 द्रव आउंस = 1 पाइंट ओषधिविक्रेताओं की ब्रिटिश मापें (Apothecary's fluid measures) 60 द्रव मिनिम = 1 ड्राम 8 ड्राम = 1 आउंस 20 आउंस = 1 पाइंट 8 पाइंट = 1 गैलन 1 द्रव मिनिम = 0.0045 क्यूबिक इंच 1 चाय चम्मच = 1 द्रव ड्राम 1 डेसर्ट चम्मच = 2 द्रव ड्राम 1 टेबुल चम्मच = 1/2 आउंस 1 मदिरागिलास = 2 आउंस 1 चाय प्याला = 3 आउंस कुछ अन्य ब्रिटिश एवर्डु पॉयज तौल (खुदरा व्यापारियों द्वारा आम तौर पर प्रयोग में लाई जाने वाली) 27.32 ग्रेन = 1 ड्राम 16 ड्राम = 1 आउंस 16 आउंस = 1 पाउंड 14 पाउंड (lbs) = 1 स्टोन (stone) एवर्डुपॉयज़ा का पाउंड सोने चाँदी की तौल के काम में लाए जानेवाले ट्रॉय पाउंउ (troy pound) से 17 : 14 के अनुपात में भारी होता है। जबकि ट्रॉय का आउंस एवर्डुपॉयज आउंस से भारी होता है। इनके बीच 79 : 72 का अनुपात पाया जाता है। जवाहरातों, सोने तथा चाँदी को तौलने के लिये जो बटखरे प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें ट्रॉय बटखरे कहते हैं। ब्रिटिश ट्रॉय तौल 4 ग्रेन = 1 कैरेट (Carat) 24 ग्रेन = 1 पेनीवेट (pennyweight) 20 पेनीवेट = 1 आउंस 12 आउंस = 1 पाउंड (ib) 5,760 ग्रेन = 1 पाउंड 25 पांउड = 1 क्वार्टर 100 पाउंड = 1 हंड्रेडवेट (cwt.) 20 हंड्रेडवेट = 1 टन 1 ट्रॉयआउंस = 150 डायमंड कैरेट शहतीर तथा लकड़ी की माप 40 घनफुट नातराश लकड़ी (unhewn timber) = 1 टन 50 घनफुट तराशी लकड़ी (squared timber) = 1 टन 42 घनफुट लकड़ी = 1 शिपिंग टन (shipping ton) 108 घनफुट लकड़ी = 1 स्टैक (stack) 128 घनफुट लकड़ी = 1 कार्ड (cord) ऊन संबंधी मापें 7 पाउंड = 1 क्लोव (clove) 2 क्लोव = 1 स्टोन (stone) 2 स्टोन = 1 टॉड (tod) 61/2 टॉड = 1 वे (wey) 2 वे = 1 सैक (sack) 12 सैक = 1 लास्ट (last) 240 पाउंड = 1 पैक (pack) तौल की मापों का सबंध 1 ग्रेन = 0.000064799 किलोग्राम 1 आउंस = 0.0283495 किलोग्राम 1 पाउंड = 0.4535924 किलोग्राम 1 हंड्रेडवेट = 50.802 किलाग्राम 1 टन = 1016.05 किलोग्राम 1 क्विंटल= 100 किलोग्राम 1 मांड =40 किलोग्राम खगोलीय मापें (Astronomical measures) खगोलीय इकाई = 9,28,97,400 मील प्रकाश वर्ष = 59,00,00,00,00,000 मील पारसेक (parsec) = 3.259 प्रकाश वर्ष ठीकेदारों की मापें (Builder's measurements) भट्ठे की ईंट 8 3/4 इंच x 4 1/4 इंच x 2 3/4 इंच वेल्स (welch) अग्निसह ईंट 9 इंच x 4 1/2 इंच x 2 3/4 इंच फर्शी ईंट 9 इंच x 4 1/2 इंच x 1 3/4 इंच स्क्वायर टाइल 9 3/4 इंच x 9 3/4 इंच x 1 इंच स्क्वायर टाइल 6 इंच x 6 इंच x 1 इंच डच क्लिंकर ईंट 9 1/4 इंच x 3 इंच x 1 1/2 इंच एकरॉड (rod) ईंट की चिनाई (1 rod of brickwork) = 306 घन फुट या 11 1/3 घन गज धारिता की माप (जो द्रवों तथा ठोस सामानों के लिये प्रयोग में लाई जाती हैं।) 4 गिल = 1 पाइंट 2 पाइंट = 1 क्वार्ट (quart) 4 क्वार्ट = 1 गैलन (gallon) 2 गैलन = 1 पेक (peck) 4 पेक = 1 बुशल (bushel) 3 बुशल = 1 बैग (bag) 5 बुशल = 1 सैक (sack) 8 बुशल = 1 क्वार्टर (quarter) 5 क्वार्टर = 1 लोड (load) 2 लोड = 1 लास्ट (last) 36 बुशल = 1 चालड्रोन (chaldron) गेहूँ का एक बुशल तौल में औसतन 60 पाउंउ, जौ का लगभग 47 पाउंड तथा जई का 40 पाउंउ होता है। यवसुरा (Ale & beer) की माप 2 पाइंट = 1 क्वार्ट 4 कार्ट = 1 गैलन 9 गैलन = 1 फरकिन (firkin) 2 फरकिन = 1 किल्डरकिन (kilderkin) 2 किल्डरकिन = 1 बैरल (barrel) 1 1/2 बैरल = 1 हॉग्सहेड (hogshead) 2 बैरल = 1 पंचीयान (puncheon) 2 हॉग्सहेड = 1 बट (butt) 2 बट = 1 टुन (tun) सुरा (Wine) की माप 10 गैलन = 1 अंकर (anker) 18 गैलन = 1 रनलेट (runlet) 42 गैलन = 1 टियर्स (tierce) 84 गैलन = 1 पंचीयान 63 गैलन = 1 हॉग्सहेड 126 गैलन, या 2 हॉग्सहेड = 1 पाइप 252 गैलन, या 2 पाइप = 1 टुन (tun) वृत्तीय तथा कोणीय मापें 60 थर्ड्स = 1 सेकंड (²) 60 सेकंड = 1 मिनट (¢) 60 मिनट = 1 डिग्री (°) 30 डिग्री = 1 साइन (sign) 45 डिग्री = 1 ओक्टैंट (octant) 60 डिग्री = 1 सेक्सटैंट (sextant) 90 डिग्री = 1 क्वाड्रैंट या समकोण किसी भी वृत्त की परिधि उसके व्यास का 3.1416 गुना होती है। सूती धागे की मापें 120 गज = 1 लच्छी (skein) 7 लच्छियाँ = 1 गुंडी (hank) 18 गुंडियाँ = 1 स्पिंडल (spindle) विद्युत् माप (Electric measure) वोल्ट (volt) = किसी 1 ओम (ohm) प्रतिरोध (resistance) से होकर 1 ऐंपियर (ampere) करेंट को गुजारने के लिये जितनी शक्ति की आवश्यकता होती है उसे 1 वोल्ट कहते हैं ओम (ohm) = उस परिपथ का प्रतिरोध है, जिसमें एक वोल्ट का विद्युद्वल एक ऐंपीयर धारा उत्पन्न करता है। मेगओम (megohm) = 10^6 ओम ऐंपीयर (ampere) = जो करेंट किसी एक ओम प्रतिरोध के आर पार 1 वोल्ट विभवांतर पैदा करे। कूलंब (coulomb) = विद्युत् की वह मात्रा जो एक ऐंपियर करेंट के एक सेकंड तक बहने से प्राप्त हो। 1 वाट (watt) = 1 जूल (Joule) 746 वाट = एक अश्व शक्ति प्रति सेकंड 1 किलोवाट = 1,000 वाट = 1.5 अश्वशक्ति रैखिक माप (Lineal Measures) 8 जौ दाना = 1 इंच 2 1/2 इंच = 1 नेल (nail) 3 इंच = 1 पाम (palm) 7.02 इंच = 1 लिंक (link) 9 इंच = 1 स्पैन (span or quarter) 18 इंच = 1 हाथ (cubit) 30 इंच = 1 पद (pace) 37.2 इंच = 1 स्काटिश एल (scottish ell) 45.0 इंच = 1 इंगलिश एल (English ell) 5 फुट = 1 रेखीय पाद (geometrical pace) 6 फुट = 1 फैदम 608 फुट = 1 केबल (cable) 10 केबल = 1 नाविक मील (nautical mile) 6,080 फुट = 1 नाविक मील 6,087 फुट = 1 भूगोलीय मील 22 गज या 5 बल्ली = 1 चेन (chain) 100 लिंक = 1 चेन 10 चेन = 1 फर्लांग 80 चेन = 1 मील 1 नॉट = नाविक मी0 प्र0 धं0 की चाल। लिनेन के धागे (linen Yarn) की माप 300 गज = 1 कट 2 कट = 1 हीर (heer) 6 हीर = 1 हास्प (hasp) 4 हास्प = 1 स्पिंडल संख्याओं की नाप (Numbers) 12 इकाइयाँ = 1 दर्जन 12 दर्जन = 1 गुरुस 20 इकाइयाँ = 1 विशंक या कोड़ी (score) 5 गड्डी, कोड़ी, या 100 इकाईयाँ = 1 सैकड़ा समुद्री माप 6 फुट = 1 फैदम 100 फैदम = 1 केबल की लंबाई 1,000 फैदम = 1 समुद्री मील 3 समुद्री मील = 1 समुद्री लीग 60 समुद्री मील = 1 डिग्री देशांतर भूमध्य रेखा पर 360 डिग्री = 1 वृत्त कागजों की माप 24 ताव (sheets) = 1 दस्ता (quire) 20 दस्ता = 1 रीम (ream) 516 ताव = 1 पिं्रटर रीम (printer's ream) 2 रीम = 1 बंडल 5 बंडल = 1 बेल (bale) सर्वेक्षक की माप (Surveyor's Measure) 7.92 इंच = 1 लिंक 100 लिंक = 22गज = एक चेन 80 चेन = 1760 गज, या = मील ताप की माप (1) सेंटीग्रेड- इस नाप में पानी के हिमांक बिंदु को शून्य माना जाता है तथा जल का क्वथनांक 100 डिग्री सें0 माना गया है शरीर में रुधिर का तप 36.8 डिग्री सें0 होता है। (2) रयूमर—इस नाप में पानी का हिमांक शुन्य माना जाता है तथा जल का क्वथनांक 80 डिग्री माना जाता है। इसका प्रयोग आम तौर पर जर्मनी में होता है। (3) फारेनहाइट—इसमें हिमांक 32 डिग्री होता है और जल का क्वथनांक (boiling point) 212 डिग्री माना जाता है। यह माप खास करके ग्रेट ब्रिटेन तथा उत्तरी अमरीका में प्रयोग में लाई जाती है। समय की मापें 60 सेंकंड = 1 मिनट 60 मिनट = 1 घंटा 24 घंटा = 1 दिन 7 दिन = 1 सप्ताह 4 सप्ताह = 1 महीना 13 चांद्र मास = 1 साल 12 कैलेंडर मास = 1 साल 365 दिन = 1 साधारण वर्ष 366 दिन = 1 अधिवर्ष (leap year) 3651/4 दिन = 1 जूलियन वर्ष 365 दिन 5 घं0 48 मि0 51 से0 = 1 सौर वर्ष 100 साल = 1 शत वर्ष या शताब्दी दशमिक मान-प्रणाली के संबंध लंबाई तथा धारिता की इकाइयाँ 1 इंच = 0.0254 मीटर 1 फुट = 0.3048 मीटर 1 गज = 0.9144 मीटर 1 मील = 1609.344 मीटर 1 इंपीरियल गैलन = 4.54596 लिटर (litres) धारिता की दशमिक माप पाइंट - गैलन - घन फुट - लिटर 1 = 0.125 = 0.02 = 0.567 8 = 1.000 = 0.160 = 4.541 16 = 2.000 = 0.3208 = 9.082 धारिता की माप 10 मिलीलिटर = 1 सेंटीलिटर 10 सेंटीलिटर = 1 डेसिलिटर 10 डेसिलिटर = 1 लिटर 10 लिटर = 1 डेकालिटर 10 डेकालिटर = 1 हेक्टोलिटर 10 हेक्टोलिटर = 1 किलोलिटर 1 लिटर = 1 3/4 पाइंट क्षेत्रफल की माप 1 सेंटीएयर या 1 वर्ग मीटर = 1.296033 वर्ग गज 10 सेंटीएयर = 1 डेसिएयर 10 डेसीएयर = 1 एयर 10 एयर = 1 डेकाएयर 10 डेकाएयर = 1 हेक्टाएयर 100 हेक्टाएयर = 1 वर्ग किलोमीटर 1 हेक्टाएयर = 2 एकड़ ठोस या घन की माप 1 सेंटीस्टियर (centistere) = 610.240515 घन मी0 1 डेसिस्टियर = 3.531658 घन फुट 1 स्टियर = 1.307954 धनगज 10 सेंटिस्टियर = 1 डेसीस्टियर 10 डेसिस्टियर = 1 स्टियर या घन मील 10 स्टियर = 1 डेकास्टियर भारत में अंग्रेजी काल में फुट-पाउंड सेकंड पद्धति का उपयोग प्रचलित था, किंतु 1 अप्रैल 1958 ई0 से मीटरी पद्धति का प्रयोग हो रहा है। इन पद्धतियों के अतिरिक्त अन्य निम्नलिखित मापें भी भारत में प्रचलित हैं। भारतीय मापें इन्हें भी देखें मापन का इतिहास बाहरी कड़ियाँ A Dictionary of Units of Measurement - Center for Mathematics and Science Education, University of North Carolina NIST Handbook 44, Specifications, Tolerances, and Other Technical Requirements for Weighing and Measuring Devices NIST Handbook 44, Appendix C, General Tables of Units of Measurement Official SI website Quantity System Framework - Quantity System Library and Calculator for Units Conversions and Quantities predictions UDUNITS Package Unix utility and C library for unit handling from the Unidata Program of the University Corporation for Atmospheric Research वैधानिक Ireland - Metrology Act 1996 US - Authorized tables मेट्रिक सूचना एवं संघ Official SI website UK Metric Association US Metric Association The Unified Code for Units of Measure (UCUM) इम्पीरियल मापन से सम्बन्धित जानकारी British Weights and Measures Association Measurement
1,929
901765
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B5
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव
एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव एक संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव है जो सुरक्षा परिषद के पंद्रह सदस्यों द्वारा अपनाया जाता हैं। सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की वह इकाई है जो "अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी" के साथ आवेशित हैं। पांच स्थायी सदस्य चीनी जनवादी गणराज्य (जिसने 1971 में चीन गणराज्य को प्रतिस्थापित किया), रूस (जिसने 1991 में निष्क्रिय सोवियत संघ को प्रतिस्थापित किया), फ़्रान्स, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य हैं। इन्हें भी देखें विषयानुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव निषेधाधिकृत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ
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कृष्णदेव प्रसाद
कृष्णदेव प्रसाद (22 जून 1892-15 नवम्बर 1955) पटना जिला के कमंगर गली में आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी बुधवार को जन्मे कृष्णदेव प्रसाद मगही के सुपरिचित साहित्यकार हैं। ये संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेज़ी, मगही, उर्दू-फ़ारसी के प्रकांड पंडित थे। इन्होंने अपनी जिन्दगी मगही की सेवा में अर्पित किया। स्वयं भी मगही में लिखा और दूसरों को भी लिखने की प्रेरणा दी। ये मगही के पहले उपन्यासकार बाबू जयनाथ पति और वैद्यनाथ बाबू के समकालीन थे। मगही मगही साहित्यकार
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सर्वाधिक फॉलो किये जाने वाले इन्स्टाग्राम खातों की सूची
यह सूची सोशल फ़ोटो शेयरिंग मंच इन्स्टाग्राम पर 5 सितंबर 2018 के अनुसार सर्वाधिक फॉलो किये जाने वाले २५ खातों की है। सितम्बर २०१८ के अनुसार, २४.८ करोड़ फॉलोवेर्स के साथ का स्वयं का खाता सबसे अधिक फॉलो किया जाता है, जबकि व्यक्तित्व में सेलिना गोमेज़ १४.२ करोड़ फॉलोवेर्स के साथ शीर्ष स्थान पर हैं। ग्यारह खातें इस जालस्थल पर १० करोड़ फॉलोवेर्स का आँकड़ा पार कर चुके हैं। शीर्ष खाते सभी खाते यह सूची सर्वाधिक २५ फॉलो किये जाने वाले खातों की है, जिसका निकटतम दस लाख (मिलियन) का आँकड़ा दिया गया है, साथ ही सभी खाता प्रयोक्ताओं का व्यवसाय तथा देश की भी जानकारी निहित की गयी है। देशानुसार निम्नलिखित सूची में देशानुसार शीर्ष १५ फॉलो किये जाने वाले इन्स्टाग्राम खातों की हैं, जिसका निकटतम दस लाख (मिलियन) का आँकड़ा दिया गया है, साथ ही सभी खाता प्रयोक्ताओं का व्यवसाय भी निहित है। सन्दर्भ सोशल मीडिया रुझान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87
पंजाबी किस्से
पंजाबी किस्से पंजाबी भाषा की मौखिक कहानी की परंपरा है जो स्थानीय लोगों, अरब प्रायद्वीप के प्रवासियों और समकालीन ईरान के प्रवासियों के मिश्रण के साथ दक्षिण एशिया में आई है। हालांकि क़िस्से मुसलमानों के बीच प्रेम, वीरता, सम्मान और नैतिक अखंडता की लोकप्रिय कहानियों को प्रसारित करने की एक इस्लामी और / या फारसी विरासत को प्रतिबिंबित करते हैं। लेकिन जब वह भारत पहुँचें तो उन्होंने पूर्व-इस्लामिक पंजाबी संस्कृति के मौजूदा तत्वों और लोकगीतों को अपने अंदर सम्मलित कर लिया। व्युत्पत्ति क़िस्सा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है 'महाकाव्य कथा' या 'लोक कथा'। इसने दक्षिण एशिया की लगभग सभी भाषाओं को प्रभावित किया है और यह पंजाबी, बंगाली, गुजराती, उर्दू और हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं में सामान रूप से प्रयोग होता है। यदि इसका अनौपचारिक रूप से उपयोग किया जाता है, तो शब्द का अर्थ 'दिलचस्प कहानी' या 'कल्पित कहानी' है। पंजाबी संस्कृति में पंजाबी भाषा क़िस्से के अपने समृद्ध साहित्य के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से अधिकांश प्रेम, जुनून, विश्वासघात, बलिदान, सामाजिक मूल्यों और मौजूदा प्रणाली के खिलाफ एक आम आदमी के विद्रोह के बारे में हैं। पंजाबी परंपरा में, दोस्ती, वफादारी, प्यार और 'क़ौल' (मौखिक समझौता या वादे) को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और इन महत्वपूर्ण तत्वों पर क़िस्सो में अधिकांश कहानियाँ हैं। किस्से को पंजाबी में लोक संगीत को प्रसिद्ध करने का जिम्मेदार ठहराया जाता है। इन परंपराओं का मौखिक या लिखित रूपों में पीढ़ियों से चलन है और अक्सर इन्हें बच्चों के सोते वक्त कहानियों के रूप में बताया जाता था या लोक गीतों के रूप में संगीतमय प्रदर्शन किया जाता था। वारिस शाह का (1722–1798) ‘हीर राँझा’ का क़िस्सा सबसे प्रसिद्ध क़िस्सों में से एक है। सन्दर्भ पंजाब की संस्कृति पंजाब (पाकिस्तान) की संस्कृति पंजाबी साहित्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%20%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE
तनोर उपज़िला
तनोर उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह राजशाही विभाग के राजशाही ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल 9 उपज़िले हैं। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से पूर्व की दिशा में अवस्थित है। जनसांख्यिकी यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ८८.४२% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। अवस्थिती तनोर उपजिला बांग्लादेश के पूर्वी भाग में, राजशाही विभाग के राजशाही जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल राजशाही विभाग उपज़िला निर्वाहि अधिकारी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ) श्रेणी:राजशाही विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%BC%20%E0%A4%8F%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B2%20%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%20%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A6%E0%A5%AE
विंडोज़ एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८
विंडोज़ एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८ (अंग्रेजी में: Windows Essential Business Server 2008) या विंडोज एसेंशियल बिजनेस सर्वर 2008 (कूटनाम- सेंट्रो (Centro)) मध्यम आकार के व्यवसायों (अधिकतम 300 उपयोगकर्ता और/या उपकरण) के लिए माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर पेशकश था। इसे 15 सितंबर 2008 को जारी किया गया था और तथा 12 नवंबर 2008 को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। इसे 30 जून 2010 को बंद कर दिया गया। इन्हें भी देखें विंडोज़ सर्वर एसेंशियल्स सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Official blog in Chinese Kent Compton's Blog - EBS product planner Nicholas King's Blog - EBS technical product manager Chris Grillone's Blog - EBS product manager Product documentation विंडोज़ सर्वर एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८
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परिधीय तंत्रिका तंत्र
परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system), तंत्रिका तंत्र का वह भाग है जो संवेदी न्यूरॉनों तथा दूसरे न्यूरानों से बनती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को परिधीय तंत्रिका तंत्र से जोड़ते हैं। इसमें केवल तंत्रिकाओं का समूह है, जो मेरूरज्जु से निकलकर शरीर के दोनों ओर के अंगों में विस्तृत है। बाहरी कड़ियाँ Neuroscience for Kids UC Berkeley anatomy lecture on the nervous system The Human Brain Project Homepage Kimball's Biology Pages, CNS Kimball's Biology Pages, PNS तंत्रिका तंत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%98%E0%A4%B0
साजन का घर
साजन का घर 1994 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन सुरेंद्र कुमार बोहरा ने किया और मुख्य भूमिकाओं में ऋषि कपूर और जूही चावला है। फिल्म व्यवसायिक रूप से सफल रही थी और इसे जूही चावला की सुपरहिट फिल्मों में गिना जाता है। संक्षेप धनराज (अनुपम खेर) एक गरीब और बहुत ही ज्यादा लालची इंसान रहता है। उसकी पत्नी एक बेटी, लक्ष्मी (जूही चावला) को जन्म देने के तुरंत बाद मर जाती है। वहीं उसके जन्म के साथ ही वो एक बहुत ही बड़ी लॉटरी भी जीत जाता है, और काफी अमीर हो जाता है। धनराज को लॉटरी जीतने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि उसकी बेटी अशुभ या खराब किस्मत वाली है और उसके जन्म लेने के कारण ही उसकी पत्नी की मौत हुई है। वो सारा दोष उसकी बेटी, लक्ष्मी पर लगा देता है और उसे देखने से भी इंकार कर देता है। इसके बाद वो दूसरी शादी कर लेता है। उसके दूसरी बीवी से उसके घर एक पुत्र, सूरज (दीपक तिजोरी) का जन्म होता है। लक्ष्मी और सूरज बड़े हो जाते हैं। इतने सालों बाद भी धनराज और उसकी सौतेली माँ उसे बुरी किस्मत वाली ही सोचते रहते हैं और उसके साथ बहुत खराब व्यवहार करते रहते हैं। सूरज इस बात से असहमत रहता है कि उसकी बहन बुरी किस्मत वाली है। वो जितना हो सकते, उतना अपनी बहन को उनसे बचाने की कोशिश करते रहता है। उसकी माँ सूरज को लक्ष्मी से दूर रहने बोलती है, लेकिन वो रक्षा बंधन के दिन उससे राखी बंधाने उसके पास चले जाता है। बाद में एक दुर्घटना में वो अपना एक हाथ खो देता है। उसकी माँ लक्ष्मी को ही इसका कारण मानती है। लक्ष्मी के पिता और सौतेली माँ उसकी शादी सेना के एक अधिकारी, अमर (ऋषि कपूर) से तय कराते हैं। शादी होने के बाद धनराज की मौत हो जाती है और सारी संपत्ति भी चले जाती है। उनकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि उन्हें बंगले से बाहर होना पड़ता है। इसी बीच लक्ष्मी का गर्भपात हो जाता है। अमर से डॉक्टर कहता है कि यदि लक्ष्मी माँ बनती है तो उसकी मौत हो जाएगी। किसी को दुःख न हो, इस कारण अमर ये बात किसी को नहीं बताता है। अमर की माँ को लगता है कि अब लक्ष्मी को कोई बच्चा नहीं होगा और वो अब उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगती है ताकि अमर की किसी और लड़की से शादी करा सके। लक्ष्मी एक दिन अमर को गर्भपात और उसके प्रभाव के बारे में बात करते हुए सुन लेती है। वो फैसला करती है कि चाहे वो मर भी जाये, लेकिन वो बच्चे को जन्म जरूर देगी। वो अमर को ताने मारती है और उत्तेजित करती है, जिससे अमर भूल जाता है कि उसकी बीवी गर्भवती होने पर मर जाएगी और वो उसके साथ रात गुजारता है। अगले दिन वो डर जाता है कि ये उसने क्या कर दिया, पर वो डॉक्टर से बात करना छोड़, काम पर चले जाता है। अमर के जाने के बाद उसकी माँ लक्ष्मी को घर से निकाल देती है। लक्ष्मी उस गाँव में ही इधर उधर काम कर अपना जीवन बिताते रहती है और एक बच्चे को जन्म देती है। बच्चे को जन्म देने के बाद वो उसे ससुराल ले जाती है और अपनी आखिरी सांस लेते समय ही अमर घर आता है। लक्ष्मी की मौत हो जाती है और परिवार वाले बस यही सोचते रह जाते हैं कि काश उन लोगों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया होता। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है। मुख्य कलाकार ऋषि कपूर - अमर खन्ना जूही चावला - लक्ष्मी खन्ना दीपक तिजोरी - सूरज धनराज फरहीन - किरन अनुपम खेर - श्री धनराज कादर ख़ान - चाचा बिन्दू - श्रीमती धनराज शुभा खोटे - कमला खन्ना आलोक नाथ - राम खन्ना "रामजी" अंजना मुमताज़ - शांति धनराज बीना - गीता धनराज जॉनी लीवर - दिलीप बोस / चंपा बोस मोहनीश बहल - विकी (अतिथि भूमिका) तेज सप्रू - तेजा दिनेश हिंगू संगीत सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1994 में बनी हिन्दी फ़िल्म नदीम–श्रवण द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
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यशवंत बर्डे
यशवंत बर्डे (जन्म १५ फरवरी १९७३) एक भारतीय पूर्व प्रथम श्रेणी के क्रिकेट खिलाड़ी हैं और अब ये अंपायर हैं और इन्होंने २०१५-१६ रणजी ट्रॉफी में अम्पायरिंग की थी और २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग में भी दिखे है। इन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट कैरियर में कुल २७ मैच खेले है और २१ लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेले थे। बर्डे बल्ले और गेंद दोनों के लिए जाने जाते है। सन्दर्भ अम्पायर 1973 में जन्मे लोग जीवित लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
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लोयस
पवन द्वारा उडाई गई धूलो के निक्षेप से निर्मित जमाव को लोयस कहते हैं। लोयस का नामकरण फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर किया गया हैं, क्योंकि यहाँ पर लोयस के समान ही मिट्टी का निक्षेप पाया जाता हैं। लोयस का जमाव रेगिस्तानों से दूरस्थ स्थानों में होता हैं। इसमे मिट्टियों के कण इतने बारीक होते हैं कि इनमे परतें नही मिलती। परन्तु लोयस अत्यधिक पारगम्य होती हैं। मिट्टी मुलायम होती है। लोयस का निर्माण उस समय होता हैं जब पवन के साथ मिली हुई धूल नीचे बैठकर एक स्थान पर बडे पैमाने पर निक्षेपित हो जाती हैं | सबसे बड़ा लोयस का मैदान उत्तरी चीन में पाया जाता है। पवन द्वारा उत्पन्न स्थलाकृति पवन द्वारा निक्षेपात्मक स्थलरुप वातज स्थलरूप
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80
चैत्रगौरी
चैत्रगौरी यह महाराष्ट्र में किया जानेवाला प्रसिद्ध व्रत है। महिला एवं युवती यह व्रत ; त्योहार के स्वरूप में मनाती है। स्वरूप चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथीसे इस व्रत की शुरुआत होती है। वैशाख महिनेकीं तृतीय तिथी तक यह व्रत किया जाता है। इस व्रतका मुख्य उपचार है गौरी देवीको झुलेमें स्थापित करना और एक महीना उनकी पूजा करना। व्रत का स्वरूप झुलेमें बैठी देवी गौरी के पूजा हेतू कच्चे आमका शरबत और चनेकी दालसे बना हुआ भोग ख़ास तौरसे बनाया जाता है। वसंत ऋतुमें जो फल मिलते है वह देवीको भोगके स्वरूपमें चढ़ाए जाते है। विवाहित महिला को भोजनमें निमंत्रित किया जाता है। हल्दी, कुमकुम और चंदन लगाकर इस महिलाके देवीस्वरूप पूजा की जाती है। शामके समय पड़ोसी महिलाओंको निमन्त्रित किया जाता है और उन्हें हल्दी कुमकुम लगाकर कच्चे आमका शरबत दिया जाता है। भीगे हुए चने उन्हें भेट दिए जाते है। देवीका वर्णन करनेवाले भक्तिपूर्ण गीत गाएँ जाते है। रंगोली इस व्रतके अवसर पर महाराष्ट्र में नई नवेली दुल्हन पाँच साल तक अपने आंगनमें है विशिष्ट रंगोली बनाती है। उसे चैत्रागण नामसे संबोधित किया जाता है। इस रंगोलीमें भारतवर्ष के त्यौहार तथा भारतीय संस्कृतिके प्रतीक चित्रित किये जाट है। स्वस्तिक, ओमकार, तुलसी का पौधा, गाय के चरण चिह्न , गणेशजी , कृष्ण भगवान, चंद्र, सूर्य इनके चित्र इस रंगोलीमें बनाए जाते है। यह भी देखिए चैत्र मास देवी पार्वती बाहरी कड़ियाँ चित्रदालन सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%AC%20%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%88
नजीब तारकई
नजीब तारकई (2 फरवरी 1991-6 अक्टूबर 2020) एक अफगान क्रिकेटर थे, जिन्होंने अफगानिस्तान टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला था। वह बारह ट्वेंटी20 अंतरराष्ट्रीय मैच और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में खेले। तारकाई ने बांग्लादेश में 2014 आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। घरेलू क्रिकेट में, उन्होंने प्रथम श्रेणी मैचों में 2,000 से अधिक रन बनाए। वह 2014 एशियाई खेलों में क्रिकेट टूर्नामेंट में रजत पदक जीतने वाली अफगान टीम का भी हिस्सा थे। सन्दर्भ
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कील बम
कील बम एक विस्फोटक डिवाइस है जिसमें लोगों को घायल करने की क्षमता बढ़ाने के लिए कीलों का प्रयोग किया जाता है। कीलें छर्रे के रूप में कार्य करती हैं, जिससे छोटे क्षेत्र में अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाया जाता है। ऐसे हथियारों में तेज़ व नुकीली चीज़ों जैसे: इस्पात गेंदों (स्टील बॉल), कील , टूटे छुरे, डार्ट्स और धातु के टुकड़े आदि का प्रयोग भी किया जाता है। कील बम अक्सर आतंकवादियों द्वारा, विशेष रूप से आत्मघाती हमलावर द्वारा, इस्तेमाल किये जाते हैं क्योंकि वे बड़ी संख्या में लोगों को मारने के लिए भीड़ भरे स्थानों में विस्फोट करते हैं। कील बम का विद्युतचुम्बकीय (इलेक्ट्रोमेग्नेटिक) सेंसर और मानक धातु संसूचक (स्टैंडर्ड मेटल डिटेक्टर) के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। सन्दर्भ विस्फोटक
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