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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%B9%20%E0%A4%9D%E0%A5%80%E0%A4%B2
पंडोह झील
पंडोह बांध हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में व्यास नदी पर बना एक तटबन्ध (embankment) बाँध है। व्यास परियोजना के अन्तर्गत यह बाँध १९७७ में बनकर तैयार हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य जलविद्युत शक्ति जनन है। ये बाँध 76 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कुल्लू और मनाली इन दोनों स्थानों की बिजली आपूर्ति यहीं से होती है। कुल्लू से मनाली मार्ग पर पड़ने के कारण और अपनी मन को मोह लेने वाली सुन्दरता के कारण ये हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां की सुन्दरता किसी भी यात्री का मन आसानी से मोह सकती है ! भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) बांध के विकास, प्रबंधन, और बांध के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। भारत में बाँध हिमाचल प्रदेश की झीलें
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5
क्षरण प्रेरकत्व
क्षरण प्रेरकत्व (Leakage inductance) एक विद्युत-राशि है जो यह इंगित करती है कि दो कुंडलियाँ चुम्बकीय रूप से कितनी अच्छी तरह युग्मित (कपल्ड) हैं। जब एक कुण्डली द्वारा उत्पन्न अधिकांश चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी कुंडली में भी चला जाता है तो हम कहते हैं के ये दोनों कुंडलियाँ अच्छी-तरह युग्मित हैं। इसी को दूसरे शब्दों में कहते हैं कि इनके बीच क्षरण प्रेरकत्व बहुत कम है। ट्रांसफॉर्मर की वाइंडिंग के लिये क्षरण प्रेरकत्व का बहुत महत्व है। सन्दर्भ इन्हें भी देखें ट्राँसफार्मर ट्रांसफॉर्मर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B2
दाल
भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आती हैं। इन्हें उगाने वाली उपज को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग घटता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के उपरांत भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं: अरहर दाल मूंग दाल मूंग साबुत मूंग छिलका मूंग धुली उड़द दाल उड़द साबुत उड़द छिलका उड़द धुली हरी उड़द चना दाल मसूर दाल मसूर साबुत मसूर धुली या मलका मसूर चने काले चने काबुली चने या छोले राजमां राजमां लाल राजमां चितरा राजमां जम्मू मोठ दाल लोभिया दाल अन्य खेसरी , गौर, लोबिया, कुल्थी, मटर, सोयाबीन दाल मिल दालें मानव आहार में प्रोटीन की आवश्यकता पूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं। मानव शरीर के लिए लगभग ३ प्रतिशत प्रोटीन की पूर्ति दालों द्वारा की जाती है। भोजन में प्रयोग की जाने वाली दालें मुख्यत: छिलका रहित दो टुकड़ों वाली होती हैं। अत: दलहनों से दाल बनाने के लिए उनके ऊपर का छिलका उतारना सर्वप्रथम तथा प्रमुख क्रिया है। इसके लिए दानों को उपचारित किया जाता है और तत्पश्चात् ही उनका संसाधन किया जाता है। पुरानी पद्वति द्वारा दाल बनाने में लगभग १ से १५ प्रतिशत तक दाल की हानि संसाधन क्रिया में होती है। अत: दालों की उपलब्धि बढ़ाने के लिए उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ ही साथ संसाधन की भी उन्नत तकनीक एवं उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी दिशा में केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल तथा अन्य संस्थानों में शोध किये गये हैं। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Indian Pulses Through the Millennia - Asian Agri-History Foundation, Secunderabad वेब दुनिया पर भारतीय खाना दाल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3%20%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%A8
नारायण जगदीसन
नारायण जगदीसन (जन्म २४ दिसंबर १९९५) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है इन्होंने २७ अक्टूबर २०१६ को रणजी ट्रॉफी में २०१६-१७ में तमिलनाडु के लिए अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेला था, जहां उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मैन ऑफ़ द मैच का अवार्ड भी जीता था। उन्होंने ३० जनवरी २०१७ को २०१६-१७ के इंटर स्टेट ट्वेंटी-२० टूर्नामेंट में तमिलनाडु के लिए ही अपने ट्वेंटी-२० क्रिकेट का पदार्पण किया। इसके बाद इन्हें २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपर किंग्स ने २० लाख रूपए से खरीदा है। जगदीसन ने २०१६-१७ की विजय हजारे ट्रॉफी में तमिलनाडु के लिए पहली बार लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेला। बाहरी कड़ियाँ सन्दर्भ चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ी दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ कोयंबतूर के लोग 1995 में जन्मे लोग जीवित लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%88
गान-नगाई
गान-नगाई जिसे "चकान गान-नगाई"  के रूप में भी जाना जाता है ज़ीलियनगोंग लोगों का एक त्योहार है  जो लोग रहते हैं, असम मणिपुर और नगालैंड. इस त्यौहार को एक नए साल के त्यौहार के रूप में भी वर्णित किया गया है क्योंकि यह वर्ष के अंत और नए वर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। प्रासंगिकता यह एक फसल कटाई त्यौहार भी है। उत्सव गान-नगाई को भारत सरकार द्वारा भारत के पर्यटन समारोह के रूप में भी मान्यता दी गई है। सन्दर्भ भारत में धार्मिक त्यौहार
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%A8%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF
जॉर्डन में स्वास्थ्य
2013 में जॉर्डन में जीवन प्रत्याशा 74 साल थी। जॉर्डन की 99% आबादी के पास स्वच्छ जल और स्वच्छता की पहुंच है, बावजूद इसके कि यह जल संसाधनों में दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से एक है। २०००-२००४ में प्रति १००० लोगों पर २०३ चिकित्सक थे, कई विकसित देशों की तुलना में अनुपात और विकासशील दुनिया के अधिकांश की तुलना में अधिक है। 2003 के अनुमानों के अनुसार, मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस / अधिग्रहित प्रतिरक्षा कमी सिंड्रोम (एचआईवी / एड्स) की व्यापकता की दर 0.1 प्रतिशत से कम थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 2001 से जॉर्डन को मलेरिया- मुक्त माना जाता है ; 1990 के दशक के दौरान तपेदिक के मामलों में आधे से गिरावट आई, लेकिन तपेदिक एक मुद्दा है और एक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। जॉर्डन ने मार्च 2006 में बर्ड फ्लू का एक संक्षिप्त प्रकोप अनुभव किया। जॉर्डन में गैर-संचारी रोग जैसे कैंसर भी एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा है। पिछले 15 वर्षों में बचपन की प्रतिरक्षण दर लगातार बढ़ी है; 2002 तक टीकाकरण और टीके पांच साल से कम उम्र के 95 प्रतिशत से अधिक बच्चों तक पहुंचे। स्वास्थ्य देखभाल जॉर्डन में एक उन्नत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली है, हालांकि अम्मान में सेवाएं अत्यधिक केंद्रित हैं। सरकारी आंकड़ों ने 2002 में कुल स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 7.5 प्रतिशत पर रखा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन इस आंकड़े को जीडीपी के लगभग 9.3 प्रतिशत पर भी उच्च स्थान पर रखते हैं। जॉर्डन को विश्व बैंक द्वारा अरब क्षेत्र में नंबर एक चिकित्सा पर्यटन प्रदाता के रूप में स्थान दिया गया था और दुनिया में शीर्ष 5 में, साथ ही मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्थल होने के नाते। देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच विभाजित है। सार्वजनिक क्षेत्र में, स्वास्थ्य मंत्रालय देश के सभी अस्पताल बेड के 37 प्रतिशत के लिए 1,245 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और 27 अस्पताल संचालित करता है; मिलिट्री की रॉयल मेडिकल सर्विसेज में 11 अस्पताल हैं, जो सभी बेड का 24 प्रतिशत प्रदान करते हैं; और जॉर्डन यूनिवर्सिटी अस्पताल देश में कुल बेड का 3 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र सभी अस्पताल बेड का 36 प्रतिशत प्रदान करता है, 56 अस्पतालों के बीच वितरित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड 2009 में, जॉर्डन सरकार ने एक प्रभावी, राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य अवसंरचना में निवेश करके अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गुणवत्ता और लागत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय लिया। विस्तृत परामर्श और जांच की अवधि के बाद, जॉर्डन ने अमेरिका के दिग्गज स्वास्थ्य प्रशासन विस्टा ईएचआर के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली को अपनाया क्योंकि यह सैकड़ों अस्पतालों और लाखों रोगियों को स्केल करने में सक्षम, राष्ट्रीय स्तर की उद्यम प्रणाली थी। सन्दर्भ जॉर्डन एशियाई माह प्रतियोगिता में निर्मित मशीनी अनुवाद वाले लेख
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9F%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A5%8B%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1
टैरो कार्ड
टैरो, कार्डों की रहस्यमयी दुनिया और भविष्य आकलन की सर्वप्रिय विधा। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। कुछ मानते हैं यह टैरोची शब्द से उत्पन्न हुआ, जो माइनर आर्काना के कार्डों से संबंधित था, तो कुछ इसकी उत्पत्ति टैरोटी से मानते हैं क्रास लाइन जो कि कार्डों के पीछे दिखती है। रहस्यमय संसार की रहस्यमय कहानी, लेकिन भविष्य की कहानी टैरो की जुबानी। टैरो डेक में कुल ७८ कार्ड होते हैं, जिन्हें मेजर आर्काना तथा माइनर आर्काना में विभक्त किया गया है। आर्काना लैटिन भाषा के शब्द आर्कान्स से उत्पन्न हुआ, जिसका अर्थ है_ रहस्यमय व्यक्तिगत विकास के रहस्यों से प्रतीकात्मक रूप से अभिलेखित शिक्षाएं लिए मेजर आर्काना गुप्त विज्ञान के छात्रों का गंभीर विषय है। इतिहास धार्मिक समूहों और विभिन्न भूमिगत जातियों का गुप्त शिक्षा अंकन। टैरो का दर्शन कबाला से उत्पन्न हुआ है। शब्दों और अंकों की दैवीय शक्ति से सम्पन्न टैरो आज भविष्य दर्शन का लोकप्रिय माध्यम है_ तो चलिए इस रहस्य और भविष्य दर्शन की अनोखी विधा को समझने। टैरो, कागज के चंद रंगीन कार्डों की रहस्यमय दुनिया, जिसके जरिए आपका भविष्य जाना जा सकता है। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। मान्यता कुछ मानते हैं यह टैरोची शब्द से उत्पन्न हुआ है, जो माइनर आर्काना के कार्डों से संबंधित था, तो कुछ इसकी उत्पत्ति टैरोटी से मानते हैं क्रॉस लाइन जो कि कार्डों के पीछे दिखती है। यह तो रही रहस्यमय संसार की रहस्यमय कहानी। आपके भविष्य में क्या कुछ होने वाला है इसकी भविष्यवाणी टैरो की जुबानी। टैरो, कागज के चंद रंगीन कार्डों की रहस्यमय दुनिया, जिसके जरिए आपका भविष्य जाना जा सकता है। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। टैरो कार्ड की रहस्यमय दुनिया टैरो डेक में 78 कार्ड होते हैं जो मेजर आर्काना और माइनर आर्काना में कहलाते हैं। आर्काना लैटिन भाषा के शब्द आर्कान्स से उत्पन्न हुआ, जिसका अर्थ है- रहस्यमय। व्यक्तिगत विकास के रहस्यों से प्रतीकात्मक रूप से अभिलेखित शिक्षाएँ लिए मेजर आर्काना गुप्त विज्ञान के छात्रों का गंभीर विषय है। धार्मिक समूहों और विभिन्न भूमिगत जातियों का गुप्त शिक्षा अंकन। टैरो का दर्शन कबाला से उत्पन्न हुआ है। शब्दों और अंकों की दैवीय शक्ति से सम्पन्न टैरो आज भविष्य दर्शन का लोकप्रिय माध्यम है। तो फिर वेबदुनिया के साथ चलिए इस रहस्य और भविष्य दर्शन की अनोखी विधा को समझने। कैसे जाने टैरो भविष्यफल • सबसे पहले आप जो भी प्रश्न पूछना चाहते हैं उसे एक बार अपने मन में अच्छी तरह से दोहरा लें या अधिक स्पष्टता के लिए प्रश्न को किसी कागज पर लिख लें। • इसके बाद "कार्ड चुने" | एक के बाद एक कर तीन कार्ड इस पैक से चुने। • पहला कार्ड आपके प्रश्न पूछते समय की मनःस्थिति को दर्शाता है। • दूसरा कार्ड आपको आपकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए जो प्रयत्न करने होंगे, उन्हें बताता है। • तीसरा और अंतिम कार्ड आपको परिणामस्वरूप आपके प्रश्न का उत्तर देता है। उदाहरणतः देखें पहला कार्ड मनःस्थिति आपके पहले स्थान पर फोर ऑफ कप्स का होना असंतुष्टि तथा अप्रसन्नता को दर्शाता है। यह आपकी खामियों तथा अवसरों को न देख पाने की स्थिति को बताता है। दूसरा कार्ड इच्छा आपके दूसरे स्थान पर स्टार की उपस्थिति यह दर्शा रही है कि आपके जीवन का निष्क्रिय समय समाप्त हो चुका है। यह नई आशा, नए उद्यम का परिचायक है, लेकिन इसके लिए आपको अपने प्रयासों में तेजी लाना होगी। तीसरा कार्ड परिणाम आपके तीसरे स्थान पर क्वीन ऑफ कप्स का होना मानसिक प्रयासों तथा अच्छे-बुरे के विश्लेषण को दर्शाता है। अच्छे विचारों से किए गए कार्यों के परिणाम भी अच्छे ही होंगे। देखते रहिए। ज्योतिष
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%97
विलियम लारेन्स ब्राग
सर विलियम लॉरेंस ब्रैग ( 1890 - 1971) आस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध भौतिकविज्ञानी थे जिन्हें १९१५ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे प्रसिद्ध वैज्ञानिक विलियम हेनरी ब्रैग के पुत्र थे। ये दूसरे सबसे कम आयु के नोबेल पुरुस्कार विजेता है। इन्होने 25 वर्ष की उम्र मैं नोबेल पुरस्कार जीता था। इनका जन्म 31 मार्च 1890 को आस्ट्रेलिया के ऐडिलेड में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा इसी नगर में पाने के पश्चात् सन् 1916 में आप केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो हो गए। अपने पिता के साथ एक्स-रे-स्पेक्ट्रोमीटर की सहायता से आपने अनेक प्रकार के क्रिस्टलों की रचना की खोज की। इस कार्य के लिए इन्हें और इनके पिता को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तथा बारनर्ड स्वर्णपदक मिले। सन् 1919 से 1937 तक आप विक्टोरिया विश्वविद्यालय ((मैंचेस्टर)) में भौतिकी के लैंगवर्दी प्रोफेसर तथा सन् 1937-38 में नैशनल फिजिकल लेबोरेटरी के निदेशक थे तथा सन् 1938 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के कैवेंडिश प्रोफेसर नियुक्त हुए। क्रिस्टल संरचना पर आपने कई एक महत्व के निबंध लिखे हैं। विद्युत, क्रिस्टलों की संरचना तथा खनिजों की परमाणवीय संरचना पर भी आपने पुस्तकें लिखी हैं। इन्हें भी देखें नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विलियम हेनरी ब्रैग 1890 में जन्मे लोग भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी १९७१ में निधन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%AA%E0%A4%B2-%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%89%E0%A4%AB%E0%A5%80
चैपल-हेडली ट्रॉफी
क्रिकेट में चैपल-हेडली ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला है। इसका नाम ऑस्ट्रेलिया के चैपल बंधुओं (इयान, ग्रेगोरी, और ट्रेवर) और न्यूजीलैंड के वाल्टर हैडली और उनके तीन बेटों (बैरी, डेले और सर रिचर्ड): दोनों देशों के दिग्गज क्रिकेट परिवारों के नाम पर रखा गया है। 2016-17 में चैपल-हैडली ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराने के बाद ट्रॉफी वर्तमान में न्यूजीलैंड के पास है। ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड के चार में पांच श्रृंखला जीत दर्ज की है। ट्रॉफी को 2004–05 से 2009-10 तक तीन या पांच मैचों की श्रृंखला के रूप में, और 2011 और 2015 में विश्व कप के ग्रुप चरण के दौरान एक-मैच श्रृंखला के रूप में प्रतिवर्ष लड़ा गया था। हालाँकि 2015 का क्रिकेट विश्व कप फाइनल भी उन्हीं टीमों के बीच लड़ा गया था, लेकिन इस खेल को इस ट्रॉफी का हिस्सा नहीं माना गया था। 2017-18 संस्करण को 2017-18 ट्रांस-तस्मान ट्राई-सीरीज़ के साथ बदल दिया गया था, लेकिन श्रृंखला 2019-20 में ऑस्ट्रेलिया में योजना के अनुसार आगे बढ़ने की उम्मीद है। ट्रॉफी इतिहास चैपल-हेडली ट्रॉफी के मैचों में कई उल्लेखनीय परिणाम और रिकॉर्ड टूटे हुए हैं: न्यूजीलैंड ने चैपल-हैडली ट्रॉफी मैचों में तीन विशेष रूप से बड़े रन का पीछा किया है। 2005–06 में क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड में तीसरे वनडे में, ऑस्ट्रेलिया के कुल 332 का सफलतापूर्वक पीछा करते हुए, एकदिवसीय इतिहास में सर्वाधिक रन चेज़ का नया रिकॉर्ड स्थापित किया; इस रिकॉर्ड को दक्षिण अफ्रीका ने बाद में 2005–06 सीज़न में पीछे छोड़ दिया। फिर, 2006-07 श्रृंखला में, न्यूजीलैंड ने ऑकलैंड में दूसरे वनडे में 336 का पीछा किया, और हैमिल्टन में तीसरे वनडे में सफलतापूर्वक 346 का पीछा किया। एक समय के लिए, ये तीन मैच एकदिवसीय इतिहास में दूसरा, तीसरा और चौथा सर्वाधिक रन था। 2006 में वेलिंगटन में पहले वनडे में, ऑस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय इतिहास में पहली बार 10 विकेट से हराया था। यह ऑस्ट्रेलिया का 646 वां एकदिवसीय मैच था। ऑकलैंड में 200607 में दूसरे वनडे में अपनी हार के बाद, अक्टूबर 2002 में स्टैंडिंग पेश किए जाने के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया आईसीसी वनडे चैंपियनशिप में शीर्ष स्थान पर रहा, शीर्ष पर लगातार 52 महीनों की एक लकीर को समाप्त किया। हैमिल्टन में 2006-07 में तीसरे वनडे में, मैथ्यू हेडन ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया के लिए नाबाद 181 रन बनाए, एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी के लिए एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया; यह रिकॉर्ड 2011 तक बना रहा। क्रेग मैकमिलन ने तब दूसरी पारी में 67 गेंदों में शतक बनाया, जो 1 जनवरी 2014 तक, जब दोनों कोरी एंडरसन (36 गेंदों पर) और जेसी राइडर (46 गेंदों पर) ने तीसरे वनडे में वेस्टइंडीज के क्वीन्सटाउन में यह रिकॉर्ड तोड़ा न्यूजीलैंड के एक बल्लेबाज द्वारा सबसे तेज वनडे शतक था। कुल मिलाकर आंकड़े सीरीज मैचेस श्रृंखला परिणाम सीरीज 2004–05 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2004-05। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: श्रृंखला 1-1 से बराबरी पर रही। न्यूजीलैंड में 2005-06 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2005–06। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से जीता न्यूजीलैंड में 2006-07 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2006-07। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 3-0 से जीत दर्ज की। 2007–08 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2007–08। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 2-0 से जीत दर्ज की। 2008–09 श्रृंखला ऑस्ट्रेलिया में चैपल-हेडली ट्रॉफी 2008–09। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया 2-2 से ड्रॉ के बाद ट्रॉफी बरकरार रखता है। न्यूजीलैंड में 2009-10 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2009-10। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 3-2 से जीता भारत में 2010-11 श्रृंखला (विश्व कप 2011) 2010-11 सीज़न के दौरान ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एकमात्र निर्धारित 2011 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के ग्रुप स्टेज के दौरान, 25 फरवरी 2011 को नागपुर, भारत में खेला गया था, इसलिए देशों ने चैपल-हैडली ट्रॉफी के लिए सहमति व्यक्त की इस मैच में। ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट से जीत दर्ज की। चैपल-हेडली ट्रॉफी 2010–11। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 1-0 से जीता न्यूजीलैंड में 2014-15 श्रृंखला (विश्व कप 2015) 28 फरवरी 2015 को ऑकलैंड, न्यूजीलैंड में खेले गए 2015 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के ग्रुप स्टेज के दौरान ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच एकमात्र अनुसूचित वनडे 28 फरवरी 2015 को खेला गया था, इसलिए देशों ने चैपल-हैडली के लिए सहमति व्यक्त की इस मैच में ट्रॉफी। न्यूजीलैंड ने 1 विकेट से जीत दर्ज की। चैपल-हेडली ट्रॉफी 2014-15। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 1-0 से जीत हासिल की। न्यूजीलैंड में 2015-16 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2015-16। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड 2-1 से जीता। 2016-17 ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2016-17। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: ऑस्ट्रेलिया ने 3-0 से जीता। न्यूजीलैंड में 2016-17 श्रृंखला चैपल-हैडली ट्रॉफी 2016-17। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला परिणाम: न्यूजीलैंड ने 2-0 से जीत हासिल की। ऑस्ट्रेलिया में 2019–20 श्रृंखला चैपल-हेडली ट्रॉफी 2019–20। वनडे इंटरनेशनल सीरीज़ का परिणाम: ऑस्ट्रेलिया की बढ़त 1-0 सन्दर्भ
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228645
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3
तुष्टीकरण
अन्तरराष्ट्रीय संदर्भ में, तुष्टीकरण (Appeasement) राजनय की वह शैली है जिसमें किसी आक्रामक शक्ति से सीधे संघर्ष से बचने के लिए उसे विभिन्न प्रकार की रियायतें दी जातीं हैं। प्रायः 'तुष्टीकरण' शब्द का उपयोग रैमसे मैकडोनाल्द, स्टैन्ली बाल्दविन और नेविली चेम्बरलेन आदि ब्रितानी प्रधानमन्त्रियों की नाजी जर्मनी एवं फासीवादी इटली के प्रति विदेश नीति के लिए किया जाता है जिसे उन्होने १९३५ से १९३९ के बीच लागू किया। 1930 के दशक की शुरुआत में, द्वितीय विश्व युद्ध के आघात के कारण ऐसी रियायतें सकारात्मक रूप से देखी गईं, वर्साइली संधि में जर्मनी के उपचार के बारे में दूसरे विचार, और ऊपरी वर्गों में एक धारणा है कि फासीवाद एक स्वस्थ रूप था साम्यवाद विरोधी। हालांकि, म्यूनिख समझौते के समय तक जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली के बीच 30 सितंबर 1938 को निष्कर्ष निकाला गया- अधिकांश ब्रिटिश बाएं और लेबर पार्टी द्वारा नीति का विरोध किया गया था; विंस्टन चर्चिल और डफ कूपर जैसे कंज़र्वेटिव असंतोषियों द्वारा; और यहां तक ​​कि एंथनी ईडन, अपमान के पूर्व समर्थक भी। जैसे ही यूरोप में फासीवाद के उदय के बारे में अलार्म बढ़ गया, चेम्बरलेन ने जनता की राय को नियंत्रित करने के लिए समाचार सेंसरशिप का सहारा लिया। फिर भी, चैंबरलेन ने म्यूनिख के बाद आत्मविश्वास से घोषणा की कि उन्होंने "हमारे समय के लिए शांति" हासिल की है। नीतियां शिक्षाविदों, राजनेताओं और राजनयिकों के बीच सत्तर वर्षों से अधिक समय तक गहन बहस का विषय रही हैं। इतिहासकारों के आकलन एडॉल्फ हिटलर के जर्मनी को इतने मजबूत होने की इजाजत देने के लिए निंदा से लेकर हैं कि इस फैसले के लिए कि ब्रिटिश नेताओं के पास कोई विकल्प नहीं था और उन्होंने अपने देश के सर्वोत्तम हितों में काम किया था। मंचूरिया पर आक्रमण सितंबर 1931 में, लीग ऑफ नेशंस के एक सदस्य जापान ने पूर्वोत्तर चीन में मंचूरिया पर हमला किया और दावा किया कि इसकी आबादी केवल चीनी नहीं थी, बल्कि एक बहु-जातीय क्षेत्र था। चीन ने सहायता के लिए लीग और संयुक्त राज्य अमेरिका से अपील की। लीग की परिषद ने पार्टियों से शांतिपूर्ण निपटारे की अनुमति देने के लिए अपनी मूल स्थिति वापस लेने के लिए कहा। संयुक्त राज्य ने शांतिपूर्ण मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें अपने कर्तव्य की याद दिला दी। जापान निराश था और पूरे मंचूरिया पर कब्जा करने के लिए चला गया। लीग ने पूछताछ का एक आयोग स्थापित किया जिसने जापान की निंदा की, लीग ने विधिवत फरवरी 1 9 33 में रिपोर्ट को अपनाया। जवाब में जापान ने लीग से इस्तीफा दे दिया और चीन में अपनी अग्रिम जारी रखी; न तो लीग और न ही संयुक्त राज्य ने कोई कार्रवाई की। हालांकि, यू.एस. ने जापान की विजय को पहचानने और इनकार करने से इनकार कर दिया, जिसने 1 9 30 के दशक के अंत में जापान के ऊपर चीन के पक्ष में अमेरिकी नीति को स्थानांतरित करने में भूमिका निभाई। कुछ इतिहासकार, जैसे कि जोर देते हैं कि लीग की "सुदूर पूर्व में निष्क्रियता और अप्रभावीता ने यूरोपीय हमलावरों को हर प्रोत्साहन दिया जो विद्रोह के समान कृत्यों की योजना बनाते थे। एंग्लो-जर्मन नौसेना समझौता भारत के परिप्रेक्ष्य में तुष्टीकरण भारत में यह शब्द अल्पसंख्यक वोटबैंक के चक्कर में कुछ समूहों को लुभाने वाले वादे एवं नीतियों के लिये भी प्रयुक्त किया जाता है। भीमराव अम्बेडकर की दृष्टि में अम्बेडकर के अनुसार कुछ वर्ग मौके का फायदा लेकर अपने स्वार्थ के लिए अवैधानिक मार्ग अपनाते हैं । शासन इस संबंध में उनकी सहायता करता हैं इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण कहते हैं । बाबा साहेब के अनुसार इस निति में अतिक्रमणकारी लोगों को खरीदना, उनके अनैतिक कार्यों में सहायता करना और उनके अत्याचारों से अजीज लोगों की उपेक्षा करना ही तुष्टिकरण कहलाता हेै । अम्बेडकर ऐसी निति के हमेशा विरोधी रहे हैं । भारत वर्ष के दलितों पीछड़ों के उद्धारक अम्बेडकर साहब ने तुष्टीकरण को हमेशा राष्ट्र विरोधी बताया। प्रमुख राजनैतिक पार्टी कांग्रेस पर हमेशा से ही मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगता रहा है । इन्हें भी देखें छद्म धर्मनिरपेक्षता बाहरी कड़ियाँ तुष्टीकरण के कारण लगी है घाटी में आग सन्दर्भ राजनीतिक शब्दावली
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भौतिक चिकित्सा
व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले चिकित्सा की विद्या शारीरिक चिकित्सा या फिज़ियोथेरेपी या 'फिज़िकल थेरेपी' (Physical therapy / पी॰टी॰) कहलाती है। वास्तव में यह 'शारीरिक क्रिया चिकित्सा' है। चूंकि इसमें दवाइयाँ नहीं लेना पड़तीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिज़ियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होने तक नियमित किया जाए। अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द है और आप दवाइयाँ नहीं लेना चाहते तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिज़ियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप दवा का सेवन किए बिना अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए फिज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह अत्यंत आवश्यक है। फिज़िओथेरपी का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शरीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, इलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना है। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिज़िओथेरपी में डाक्टर, शारीरिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सकों का बहुत योगदान होता हैं। परिचय शारीरिक चिकित्सा एक स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमे लोगों का परीक्षण किया जाता है एवं उपचार प्रदान किये जाते हैं ताकि वे आजीवन अधिकाधिक गतिशीलता एवं क्रियात्मकता विकसित करें और उसे बनाये रख सकें। इसके अन्तर्गत वे उपचार आते हैं जिनमे व्यक्ति की गतिशीलता आयु, चोट, बीमारी एवं वातावरण सम्बन्धी कारणों से खतरे में पड़ जाती है। शारीरिक चिकित्सा का सम्बन्ध जीवन की उत्कृष्टता एवं गतिशीलता के सामर्थ्य को पहचानने एवं उसको अधिकतम करने के साथ-साथ उसका प्रोत्साहन, बचाव, उपचार, सुधार एवं पुनर्सुधार करने से है। इनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण शामिल हैं। इसके अन्तर्गत शारीरिक चिकित्सक (PT), मरीज़ /ग्राहक, अन्य स्वास्थ्य व्यवसायी, परिवार, ध्यान रखने वालों और समुदायों के मध्य संपर्क की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमें शारीरिक चिकित्सक के विशिष्ट ज्ञान और कुशलताओं द्वारा गतिशीलता की क्षमता का मूल्यांकन करके, सहमति के साथ उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। शारीरिक चिकित्सा या तो शारीरिक चिकित्सक (PT) या उसकी देख-रेख में एक सहायक (PTA) द्वारा की जाती है। शारीरिक चिकित्सक किसी व्यक्ति के रोग का इतिहास जान कर और परीक्षण करके रोग की पहचान करने के बाद उपचार की योजना तैयार करते हैं और आवश्यक होने पर इसमें प्रयोगशाला एवं छवि (बिम्ब) परीक्षण भी सम्मिलित करवाते हैं। इस कार्य में वैद्युतिक निदानशास्त्र परीक्षण (इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक टेस्टिंग), उदाहरण के लिए इलेक्ट्रोमायोग्रैम्स (electromyograms) और स्नायु-चलन वेग परीक्षण (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्टिंग) भी उपयोगी हो सकती हैं। शारीरिक चिकित्सा के कुछ विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जैसे कार्डियोपल्मोनरी चिकित्सा (Cardiopulmonary), जराचिकित्सा (Geriatrics), स्नायु संबन्धी चिकित्सा (Neurologic), अस्थि-रोग चिकित्सा (Orthopaedic) और बालरोग चिकित्सा (Pediatrics) इत्यादि। शारीरिक चिकित्सक कई प्रकार से कार्य करते हैं, जैसे, बाह्य रोगी क्लिनिक या कार्यालय, आंत्र-रोगी पुनर्वास केन्द्र, निपुण परिचर्या सुविधाएं, प्रसारित संरक्षण केन्द्र, निजी घर, शिक्षा एवं शोध केन्द्र, स्कूल, मरणासन्न रोगी आश्रम, औद्योगिक अथवा अन्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्र, फिटनेस केन्द्र तथा खेल प्रशिक्षण सुविधाएं आदि। इनकी शैक्षिक योग्यताएं देशों के अनुसार भिन्न हैं। आवश्यक शैक्षिक योग्यता कुछ देशों में मामूली व्यावहारिक शिक्षा जबकि दूसरे देशों में परास्नातक या डॉक्टरेट की डिग्री हो सकती है। इतिहास हिप्पोक्रेट्स और उसके बाद गेलेनस जैसे चिकित्सक शुरुआती शारीरिक चिकित्सकों में गिने जाते हैं, इन्होनें 460 ई॰पू॰ में ही मालिश, हाथों से किये जाने वाले उपचार एवं जलचिकित्सा का समर्थन किया। अठारहवीं सदी में अस्थि-विज्ञान के विकास के बाद गठिया और उसके समान रोगों के उपचार के अन्तर्गत जोड़ों के सुनियोजित व्यायाम हेतु जिमनैस्टीकॉन (Gymnasticon) और ऐसी ही अन्य मशीनों का निर्माण होने लगा जो कि शारीरिक चिकित्सा में बाद में आए बदलावों के सदृश थे। वास्तविक शारीरिक चिकित्सा का एक व्यवसाय समूह के रूप में सर्वाधिक प्राचीन प्रमाण के अनुसार वास्तविक शारीरिक चिकित्सा व्यवसाय समूह के रूप में मौलिक रूप से आरम्भ करने का श्रेय हेनरिक लिंग को जाता है, जिन्होंने रॉयल सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ जिमनैस्टिक्स (Royal Central Institute of Gymnastics) (RCIG) की स्थापना 1813 में की, जहाँ पर मालिश, शारीरिक दक्ष-प्रयोग एवं व्यायाम होते थे। शारीरिक चिकित्सा के लिए स्वीडिश शब्द "Sjukgymnast" = "बीमार-जिमनास्ट" है। 1887 में, स्वीडन के नैशनल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ एंड वेलफेयर (National Board of Health and Welfare) द्वारा शारीरिक चिकित्सकों को सरकारी पंजीकरण दिया जाने लगा। अन्य देशों ने भी जल्दी ही इसका अनुसरण किया। ग्रेट ब्रिटेन में चार नर्सों के द्वारा 1894 में चार्टर्ड सोसईटी ऑफ़ फिज़ियोथेरेपी (Chartered Society of Physiotherapy) की स्थापना की गयी। 1913 में न्यूज़ीलैण्ड के ओटागो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ फिजियोथेरेपी ने और 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका के पोर्टलैंड, ऑरेगोन के रीड कॉलेज ने "शारीरिक पुनर्संरचना सहयोग" में स्नातक उपाधि देना शुरू कर दिया। अनुसंधानों ने शारीरिक चिकित्सा आंदोलन की गति बढ़ा दी। शारीरिक चिकित्सा का पहला शोध-पत्र संयुक्त राज्य अमरीका में 1921 में द पीटी रिव्यू में प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष मेरी मैकमिलन ने फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन, जिसे अब अमेरिकन फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन (APTA) के नाम से जाना जाता है, की स्थापना की। 1924 में जॉर्जिया वार्म स्प्रिंग फाऊंडेशन ने शारीरिक चिकित्सा को पोलियो के इलाज के रूप में प्रस्तुत करके इसे और प्रोन्नत किया। 1940 के दशक के उपचार माध्यमों में मुख्य रूप से व्यायाम, मालिश और कर्षण का प्रयोग होता था। रीढ़ की हड्डी और अग्र-भाग के जोड़ों का अवस्था-अनुसार इलाज 1950 के दशक के शुरुआती वर्षों में, विशेष रूप से ब्रिटिश कामनवेल्थ देशों में प्रारम्भ हो गया था। इसी दशक के बाद के वर्षों में, शारीरिक चिकित्सक ने अपनी अस्पताल की सेवाओं से आगे बढ़ कर बाह्य-रोगी अस्थि-रोग क्लिनिक, सरकारी स्कूल, महाविद्यालय/विश्वविद्यालय, वृद्धों के लिए विशिष्ट परिचर्या सुविधाएं, पुनर्वास केन्द्र, अस्पताल और चिकित्सा केन्द्रों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करना प्रारम्भ कर दिया। शारीरिक शिक्षा में विशेषज्ञता 1974 में संयुक्त राज्य में प्रारम्भ हुई जब APTA ने उन शारीरिक चिकित्सकों, जो अस्थि-विज्ञान में दक्षता हासिल करना चाहते थे, उनके लिए अस्थि-विज्ञान विभाग की स्थापना की। इसी साल इंटरनेशनल फेडेरेशन ऑफ़ ऑर्थोपेडिक मेनुपुलेटिव थेरेपी (International Federation of Orthopaedic Manipulative Therapy) की स्थापना की गयी और इसने तब से अब तक इस पद्धति की उन्नति में विशिष्ट भूमिका निभाई। शिक्षा वर्ल्ड कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ फिजिकल थेरेपी (World Confederation of Physical Therapy) (WCPT) यह अनुभव करता है कि विश्व के शारीरिक चिकित्सकों की शिक्षा के परिवेश में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विविधता है। इसकी सिफारिश है कि शारीरिक चिकिसकों का मूल-भूत शिक्षा कार्यक्रम विश्वविद्यालय स्तर पर कम से कम चार वर्षों का होना चाहिए, जिसको स्वतंत्र रूप से यह प्रमाणीकरण दिया जाये कि वह कार्यक्रम स्नातकों को पूरी तरह से वैधानिक और व्यावसायिक पहचान दिलाने में सक्षम है। WCPT स्वीकार करता है कि शिक्षा कार्यक्रम और प्रारम्भिक स्तरीय योग्यताओं के अन्तरण में नवीनता और भिन्नता है, जिसमें पहली विश्वविद्यालय उपाधियाँ (जैसे बैचलर/बैकेल्युरियेट/अनुज्ञापत्र प्राप्त या समकक्ष), परा-स्नातक और डाक्ट्रेट की प्रारम्भिक योग्यताएं सम्मिलित हैं। उम्मीद यह की जाती है कि कोई भी शैक्षणिक कार्यक्रम, इन दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, शारीरिक शिक्षकों को उनके पेशे से सम्बन्धित ज्ञान, कुशलता और विशेषता प्रदान करेगा। व्यावसायिक शिक्षा इन शारीरिक चिकित्सकों को, हेल्थ-केयर दल के अन्य सदस्यों के समकक्ष निपुण, स्वतन्त्र पेशेवर बनने के लिए तैयार करती है। शारीरिक चिकित्सकों के प्रवेश-स्तर पर के शैक्षणिक कार्यक्रमों में शैक्षणिक सततता के साथ-साथ सिद्धान्त, प्रमाण और अभ्यास का एकीकरण होता है। यह एक मान्यता प्राप्त शारीरिक चिकित्सा कार्यक्रम में प्रवेश के साथ शुरू होता है और सक्रिय अभ्यास से सेवानिवृत्त होने के साथ समाप्त होता है। यू॰एस॰ में शारीरिक चिकित्सकों के 211 मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों में से 202 को डॉक्टरेट स्तर तक मान्यता प्राप्त है और वह डॉक्टर ऑफ़ फिज़िकल थेरेपी (DPT) की उपाधि प्रदान करते हैं। विशेषज्ञता क्षेत्र शारीरिक चिकित्सा के ज्ञान का क्षेत्र बहुत विस्तृत होने के कारण कुछ शारीरिक चिकित्सक विशिष्ट रोग-विषयक क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करते हैं। हालाँकि शारीरिक चिकित्सक कई प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु अमेरिकन बोर्ड ऑफ़ फिजिकल थेरेपी स्पेशिएलिटीज़ की सूची के अनुसार 7 विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जिनमें खेल शारीरिक चिकित्सा और विद्युत फिज़ियोलॉजी (electrophisiology) सम्मिलित हैं। शारीरिक चिकित्सा में विश्व स्तर पर 6 सर्वाधिक प्रचलित विशेषज्ञता क्षेत्र हैं। ह्रदय फुस्फुसीय (कार्डियोपल्मोनरी) ह्रदय संवहनी (कार्डियोवैस्कुलर) और पल्मोनरी स्वास्थ्य लाभ शारीरिक चिकित्सक, कार्डियोपल्मोनरी विकार से ग्रस्त या ह्रदय अथवा पल्मोनरी (pulmonary) शल्य क्रिया करवा चुके अनेकों व्यक्तियों का उपचार करते हैं। इस विशेषता का प्राथमिक लक्ष्य सहनशक्ति और क्रियात्मक स्वतंत्रता को बढाना है। इस क्षेत्र में कृमिकोषीय तन्तुशोथ (सिस्टिक फाइब्रोसिस) के दौरान फेफड़े के स्त्रावों को हाथ द्वारा ही साफ़ किया जाता है। हृदयाघात, पोस्ट कोरोनरी बाइपास सर्जरी (post coronary bypass surgery), क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ेस (chronic obstructive pulmonary diseases) और पल्मोनरी फाइब्रोसिस (pulmonary fibrosis) उपचारों में कार्डियोवैस्कुलर (cardiovascular) और पल्मोनरी विशेषज्ञ शारीरिक चिकित्सकों से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। जराचिकित्सा वृद्धावस्था सम्बन्धित शारीरिक चिकित्सा उन लोगों से सम्बन्धित अनेक समस्याओं को समाहित करती है जो साधारणतया वयस्क अवस्था से वृद्धावस्था की और बढ रहे हैं किन्तु यह प्रमुख रूप से अधिक आयु के वयस्कों पर ही केन्द्रित है। आयु बढ़ने के साथ ही कई लोग कई प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं जिसके अन्तर्गत निम्न समस्यायें सम्मिलित हैं: गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), कैंसर, कम्पवात (अल्जाइमर), कूल्हा एवं संधि प्रतिस्थापन, संतुलन विकार, असंयम आदि, किन्तु समस्याओं की यह शृंखला यहीं तक सीमित नहीं है। जरा चिकित्सा विशेषज्ञ अधिक आयु के वयस्कों के उपचार में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। स्नायु संबन्धी स्नायु संबन्धी शारीरिक चिकित्सा वह क्षेत्र है जो स्नायु सम्बन्धित विकारों या रोगों से ग्रसित व्यक्तियों पर कार्य करने हेतु केन्द्रित है। इसके अन्तर्गत अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease), चार्कोट-मारी-टूथ रोग (Charcot-Marie-Tooth disease) (CMT), ऐ॰एल॰एस॰, मस्तिष्क अभिघात, सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy), मल्टिपल स्कैलेरौसिस (multiple sclerosis), पार्किन्सन रोग (Parkinson's disease), रीढ की हड्डी सम्बन्धित चोट और आघात सम्मिलित हैं। साधारण दुर्बलताएं जो स्नायु संबन्धी अवस्थाओं से जुड़ी हैं जिसमे दृष्टि, संतुलन, अंग संचालन, रोजमर्रा की क्रियाएँ, गतिशीलता, मांसपेशियों की शक्ति और क्रियात्मक स्वतंत्रता के ह्रास से सम्बन्धित दुर्बलताएं सम्मिलित हैं। अस्थि-रोग अस्थि-रोग शारीरिक चिकित्सक गतिज-कंकालीय प्रणाली से सम्बन्धित विकारों का निदान, नियंत्रण एवं उपचार करता है, इसमें अस्थि-शल्य-चिकित्सा के बाद का पुनर्सुधार भी सम्मिलित है। इस विशेषज्ञता के चिकित्सक अधिकतर बाह्य-रोगी क्लिनिक की शैली में कार्य करते हैं। अस्थि-रोग शारीरिक चिकित्सकों को शल्य-क्रिया पश्चात् अस्थि-रोग प्रक्रियाओं, हड्डी टूटना, गंभीर खेल चोटों, गठिया, मोच, तनाव, पीठ और गर्दन दर्द, रीढ़ की स्थिति एवं अंगच्छेदन आदि के उपचार में प्रशिक्षित किया जाता है। जोड़ व रीढ़ की गतिशीलता एवं उपचार, उपचारात्मक व्यायाम, न्यूरो-मस्कुलर सुधार, ठंडी-गर्म पट्टी एवं विद्युत् द्वारा मांसपेशियों का उद्दीपन (जैसे क्रायोथेरैपी (cryotherapy), आयेंटोफोरैसिस (iontophoresis), इलेक्ट्रोथेरेपी (electrotherapy)) आदि वे तरीके हैं जो अक्सर स्वास्थ्यलाभ की गति बढ़ाने के लिए उपयोग किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, सोनोग्राफी (Sonography) एक उभरती हुई प्रणाली है जो मांसपेशियों के पुनर्प्रशिक्षण जैसे निदान एवं उपचार में प्रयोग की जाने लगी है। वे मरीज जो चोटिल हो चुके हैं या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली किसी बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं, उन्हें किसी अस्थि-रोग विशेषज्ञ शारीरिक चिकित्सक से आकलन करवाने से लाभ हो सकता है। बालरोग चिकित्सा बालरोगों की शारीरिक चिकित्सा बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं का जल्दी पता लगाने में सहायता करती है और तौर-तरीकों की एक विस्तृत शृंखला का उपयोग करती है। ये चिकित्सक नवजात शिशुओं, बच्चों एवं किशोरों में रोग-लक्षणों की पहचान, इलाज एवं देखरेख के विशेषज्ञ होने के साथ जन्मजात, विकासात्मक, न्यूरो-मस्क्युलर (Neuromuscular), कंकाल सम्बन्धी एवं किसी कारणवश होने वाले विकारों/बीमारियों के विषय में विशेष ज्ञान रखते हैं। इसमें इलाज की दिशा दीर्घ एवं सूक्ष्म मोटर (motor) कुशलता, संतुलन एवं समन्वय, शक्ति एवं स्थायित्व के साथ ही संज्ञानात्मक एवं संवेदिक क्रियाशीलता और समाकलन बढ़ाने की ओर रहती है। बालरोगों के शारीरिक चिकित्सकों द्वारा बच्चों के साथ विकासात्मक देरी, मस्तिष्क पक्षाघात तथा जन्मजात मेरूदंडीय द्विशाखी (स्पाइना बाइफिडा) आदि का इलाज किया जा सकता है। अध्यावर्णी (इंटेग्युमेंट्री) इंटेग्युमेंट्री (Integumentary) (त्वचा एवं सम्बन्धित अंगों की स्थिति का इलाज) साधारणतया इसमें घाव एवं जलने की स्थितियाँ आती हैं। शारीरिक चिकित्सक इसमें शल्य क्रिया के उपकरण, यांत्रिक संसाधन, पट्टी एवं स्थानिक मलहम का प्रयोग कर, क्षतिग्रस्त ऊतकों को हटा कर नए ऊतकों के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। अन्य उपचार, जैसे, व्यायाम, सूजन नियंत्रण, सहारा देने वाली खपच्ची तथा संपीडन वस्त्र, आदि भी आम तौर से प्रयोग किये जाते हैं। सन्दर्भ इन्हें भी देखें जोड़ों का परिचालन मैनुअल हैंडलिंग (manual handling) उपजीविकाजन्य उपचार शारीरिक उपचार के चिकित्सक चिकित्सक मेकेंजी विधि बाहरी कड़ियाँ बिना दवा के राहत पाइए फिजियोथेरेपी के जरिए शारीरिक चिकित्सा के विभिन्न पक्षों पर चर्चा चिकित्सा पुनर्सुधार टीम स्वास्थ्य विज्ञान दवा पुनर्वास हेल्थकेयर व्यवसाय शारीरिक चिकित्सा खेल चिकित्सा व्यायाम हस्तलाघव चिकित्सा अस्पताल विभाग मालिश चिकित्सा गूगल परियोजना
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मिकोयान-गुरेविच मिग-9
मिकोयान-गुरेविच मिग-9 (Mikoyan-Gurevich MiG-9) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फ़ार्गो) द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद के वर्षों में मिकोयान-गुरेविच द्वारा विकसित पहला टर्बोजेट लड़ाकू विमान था। इसमे रिवर्स इंजीनियरिंग वाला जर्मन बीएमडब्लू 003 इंजन का उपयोग किया गया था। इस जेट को पहली पीढ़ी के विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह मामूली सफल रहा था लेकिन फायर गैस घूस के कारण ऊंची ऊंचाई पर अपनी बंदूकें फायरिंग करते समय इंजन फ्लैमाउट्स के साथ लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रोटोटाइप सहित कुल 610 विमान का निर्माण किया गया था। और उन्होंने 1948 में सोवियत वायु सेना के सेवा में प्रवेश किया। कम से कम 372 को चीनी वायु सेना को 1950 में स्थानांतरित किया गया ताकि राष्ट्रवादी चीनी द्वारा हवाई छापे के खिलाफ चीनी शहरों का बचाव किया जा सके और जेट संचालन में चीनी पायलटों को प्रशिक्षित किया जा सके। ऑपरेटर्स सोवियत वायु सेना चीनी वायु सेना विशेष विवरण इन्हें भी देखें सन्दर्भ ग्रन्थसूची मिकोयान विमान सोवियत संघ के विमान लड़ाकू विमान
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रेवती (नक्षत्र)
यह एक नक्षत्र है और ३२ तारों का एक समूह है। यह मृदु मॅत्र संज्ञक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में विद्या का आरंभ, गृह प्रवेश, विवाह, सम्मान प्राप्ति, देव प्रतिष्ठा, वस्त्र निर्माण इत्यादि कार्य संपन्न किए जाते हैं। इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा तथा शव दाह से कार्य नहीं किए जाते। इस नक्षत्र के देवता पूषा हैं। यह मीन राशि का अंतिम नक्षत्र है। इसके स्वामी ग्रहों में बुध हैं। इस नक्षत्र पर गुरू एवं बुध का संयुक्त प्रभाव होता है। जन्म जिन जातकों क जन्म इस नक्षत्र में होता है वह बुध महादसा में जन्म लेते हैं। तथा तेजस्वी, सुंदर, चतुर, विद्द्वान होते हैं। धन धान्य से युक्त होते हैं। नामाक्षर दे, दो, च, ची अक्षरों पर चरणानुसार। रोग इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को वायु विकार, ज्वर, पीठ दर्द जैसी समस्याएं रहती हैं। रेवती - भगवाण श्री कृष्ण की भाभी थी सन्दर्भ नक्षत्र
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अज़हर अली
अज़हर अली (/ (जन्म ;१९ फ़रवरी १९८५ ,लाहौर ,पंजाब ,पाकिस्तान) एक पाकिस्तान क्रिकेट टीम खिलाड़ी है जो कि वर्तमान में पाक टीम के एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय के कप्तान है और टेस्ट क्रिकेट में उप-कप्तान है। अज़हर अली ने अपने टेस्ट क्रिकेट कैरियर की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के खिलाफ लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर लॉर्ड्स में जुलाई २०१० में की थी। अज़हर दाईने हाथ के एक बल्लेबाज की भूमिका निभाते और और पार्ट टाइम लेग ब्रेक गेंदबाज है। अली के नाम टेस्ट क्रिकेट में एक तिहरा शतक भी है जो अक्टूबर २०१६ में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ बनाया। घरेलू क्रिकेट में अली ख़ान रिसर्च लेबोरेट्री ,लाहौर ,लाहौर ईगल्स ,लाहौर लॉयन्स ,लाहौर कलंडर्स ,पाकिस्तान ए और हंटली टीम के लिए खेल चुके है।पाकिस्तान सुपर लीग के पहले संस्करण के दौरान अली लाहौर कलंडर्स के कप्तान भी रह चुके है। घरेलू क्रिकेट कैरियर अज़हर अली दाईने हाथ के ओपनर बल्लेबाज और पार्ट टाइम लेग ब्रेक गेंदबाज है।अज़हर ने अपने घरेलू क्रिकेट कैरियर में ख़ान रिसर्च लेबोरेट्री क्रिकेट टीम के लिए हमेशा ओपनिंग बल्लेबाजी ही की है। अज़हर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल ४० शतक और ५३ अर्द्धशतक लगाए हैं साथ ही इनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद ३०२* है। अज़हर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अब तक १२३ मैचों में ७,४,१९ रन बना चुके है। इनके अलावा लिस्ट ए क्रिकेट में ११९ मैचों में ५,००५ रन बना चुके है। अज़हर अली को पाकिस्तान सुपर लीग के प्रथम संस्करण में कप्तान के रूप में चयनित किया गया था। पहले संस्करण में अली ने कुल ७ मैच खेले और १८० रन बनाए थे। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर पाकिस्तान के ऐसे कुछ ही खिलाड़ी है जिन्होंने अपना कैरियर टेस्ट क्रिकेट से किया हो ,अज़हर भी ऐसे ही है जिन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत टेस्ट क्रिकेट से की। अज़हर ने अपना पहला टेस्ट मैच जुलाई २०१० में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ खेला था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ शुरुआत अली ने जब अपने कैरियर की शुरुआत की तब पाकिस्तान के मिडल ऑर्डर मोहम्मद युसुफ और यूनुस खान एक दीवार थे। अली ने २०१० में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बनाम टेस्ट मैच खेले। अज़हर ने अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में महज १७ रन ही बनाए और टिम पैन को कैच थमा बैठे थे। दूसरी पारी में जरूर ४२ रन बनाए लेकिन मैच में पाकिस्तान को १५० रनों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद दूसरा टेस्ट मैच खेला जो कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही था उस मैच की पहली पारी में एक बार फिर निराश किया और सिर्फ ३० रनों पर अपना विकेट दे दिया लेकिन दूसरी पारी में इन्होंने अपना पहला अर्द्धशतक लगाया। और वो मैच भी पाकिस्तान जीता था। इंग्लैंड के खिलाफ भी अजहर ने पहले दो टेस्ट मैचों में काफी मेहनत की। नवम्बर २०१० : अफ्रीका के खिलाफ एक बार फिर अज़हर अली का टीम में चयन किया इस बार मैच दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के खिलाफ खेलने थे ,यह श्रृंखला नवम्बर २०१० में आयोजित की गई थी। अज़हर ने पहले टेस्ट की दोनों पारियों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए अर्द्धशतक लगाए ,अपनी दोनों अर्द्धशतकिय पारियों के कारण पाकिस्तान को ४५१ रनों का लक्ष्य पीछा करने में बहुत मदद मिली। इसके बाद अली ने दूसरे टेस्ट की दूसरी में जबर्दस्त ९० रन बनाए जिसमें कुल १३५ गेंदों का सामना किया था ,उस वक़्त टीम के कप्तान मिस्बाह उल हक़ थे। जनवरी २०११ : न्यूजीलैंड का दौरा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करने और ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों के खिलाफ खेलने के अनुभव को देखते हुए चयनकर्ताओं ने एक बार अली का चयन न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली दो टेस्ट मैचों के लिए कर दिया ,यह टेस्ट श्रृंखला जनवरी २०११ में हुई। दौरे के पहले टेस्ट मैच में पहली पारी में अली ने सिर्फ १८ रनों क8 पारी खेली और दूसरी पारी में खेलने का मौका ही नहीं मिल पाया क्योंकि मैच पाकिस्तान और १० - विकेट से जीत गया था। हालांकि अज़हर अली ने दूसरे टेस्ट में अपना छठा अर्द्धशतक लगाया था। जून २०१२: श्रीलंका का दौरा अज़हर को २०१२ में श्रीलंकाई टीम के खिलाफ वनडे और टेस्ट दोनों में शामिल किया गया। इन्होंने वनडे मैचों में सभी को प्रभावित किया और दूसरे मैच में ९० और चौथे मैच नाबाद ८१* रनों की पारी खेली। इसी प्रकार श्रृंखला में पाकिस्तान की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। इसके अली ने टेस्ट मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन किया और श्रृंखला के दूसरे टेस्ट की पहली पारी में अपना चौथा टेस्ट शतक जड़ दिया उस पारी में अली ने कुल १५७ रन बनाए थे। इसी प्रकार अली ने अपनी अच्छे प्रदर्शन की फॉर्म बरकरार रखी और दूसरी पारी में भी शतक लगा दिया जिसमें कुल १३६ रन बनाए थे। अपने अच्छे प्रदर्शन के चलते अली टेस्ट में 'आईसीसी के शीर्ष - १०' खिलाड़ियों में शामिल हो गए। कप्तानी मिस्बाह उल हक़ के वनडे से संन्यास के बाद नये कप्तान बनाने पर चर्चा चली और अली को कप्तान नियुक्त किया गया। हालांकि अली से पूर्व सरफ़राज़ अहमद को कप्तान बनाने पर चर्चा चली लेकिन बोर्ड ने अली के वनडे में २ सालों के अनुभव को देखते हुए कप्तान चुन लिया गया। पाकिस्तान का बांग्लादेश दौरा पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने २०१४ - १५ में बांग्लादेश क्रिकेट टीम का दौरा किया इस बार कप्तान अज़हर अली थे। हालांकि पाकिस्तान तीनों वनडे मैच हार गया था इस कारण पाकिस्तान को काफी निराशा थी। लेकिन अज़हर ने अच्छी कप्तानी पारी खेलते हुए ६२ और १०१ रन बनाए साथ ही अपना पहला वनडे शतक भी बनाया। यह पाकिस्तान की पहली ऐसी श्रृंखला रही जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। ज़िम्बाब्वे का पाकिस्तान दौरा ज़िम्बाब्वे क्रिकेट टीम ने २०१५ में पाकिस्तान का दौरा किया जो पाकिस्तान के लिए काफी अच्छा रहा और तीन मैचों की श्रृंखला २-० से जीत ली। अली ने श्रृंखला के पहले ही मैच में अपने देश में पहला शतक जड़ा ,यह अली का दूसरा वनडे शतक था। पाकिस्तान का श्रीलंका दौरा पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने श्रीलंका का दौरा किया और ९ साल बाद श्रीलंका में जाकर श्रृंखला जीती। पाकिस्तान को अंतिम जीत इंज़माम उल हक की कप्तानी में २००६ में मिली थी। अज़हर ने इस श्रृंखला में काफी रन बनाए और सबसे तेज १००० वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बन गए ,अली ने १००० रन सिर्फ २१ पारियों में पूरे किये। खेल के अंत में अहमद सहजाद ने कहा था कि अज़हर अली अपने नैचुरल अंदाज में खेल रहे हैं। पाकिस्तान का इंग्लैंड दौरा अगस्त २०१६ में पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया साथ ही आयरलैंड का भी दौरा किया। इसी बीच अज़हर अली ने टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में शानदार १३९ रनों की शतकीय पारी खेली। इन्होंने अंतिम टेस्ट में महज ३० रन बनाए और श्रृंखला २-२ पर बराबर रही। इसके बाद वनडे श्रृंखला प्रारम्भ हुई लेकिन पाकिस्तान के लिए अच्छी नहीं रही और श्रृंखला ४-१ से हारी। साथ ही इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने एक वनडे मैच में ४४४ रन बनाकर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। अली ने वनडे श्रृंखला में दो मैचों ८० और ८२ रनों की पारी खेली और पूरी श्रृंखला में ५ पारियों में २०८ रन बनाए। वेस्टइंडीज और पाकिस्तान २०१६ में पाकिस्तान टी-२० श्रृंखला ३-० से जीता साथ ही वनडे श्रृंखला भी। पाकिस्तान ने पहला वनडे मैच १११ रनों से जीता ,यह पाकिस्तान की रनों से सबसे बड़ी ५वीं जीत रही वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ।बाबर आज़म ने पाकिस्तान की ओर लगातार तीन शतक लगाए जिससे पाकिस्तान को मजबूती मिली। इसके बाद कप्तान अज़हर अली ने भी तीसरे मैच में अपना तीसरा शतक लगाया और इसके साथ ही पहले ऐसे पाकिस्तानी खिलाड़ी बने जिन्होंने बतौर कप्तान तीन शतक लगाए हो। कीर्तिमान और उपलब्धियां अज़हर अली ५०-५० ओवरों के खेल में सबसे तेज १००० रन बनाने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटर बने। अज़हर ७वें ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने सबसे तेज वनडे में १००० रन पूरे किये। अज़हर अली एकमात्र पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी है जिन्होंने बतौर कप्तान ३ वनडे शतक बनाए। अज़हर अली शीर्ष १० कप्तानों में जगह बनाई जिन्होंने सबसे तेज बतौर कप्तान १० मैचों में ६११ रन बनाए। अज़हर अली पहले पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान बने जिन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए शतक लगाया हो इससे पूर्व ऐसा किसी ने नहीं किया है। ये पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने दिन रात के टेस्ट मैच में शतक ,दोहरा या तिहरा शतक लगाया। सन्दर्भ पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी जीवित लोग 1985 में जन्मे लोग
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मझौल
Articles with short description Short description matches Wikidata मझौल नौहट्टा ब्लॉक में एक बड़ा गांव है जो भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिला में अवस्थित है, जिसमें कुल 700-800 परिवार रहते हैं। यह कोसी प्रमंडल के अंतर्गत आता है। यह राज्य की राजधानी पटना से 167 किमी. की दूरी पर है। इसके उत्तर में कुम्हरौली, दक्षिण में फेकराही, पूर्व में तेलवा, पश्चिम में कोसी नदी है। यह शाहपुर-मझौल पंचायत और महिषी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2011 की जनगणना के अनुसार मझौल गांव की जनसंख्या 3698 है, जिसमें 1919 पुरुष हैं जबकि 1779 महिलाएं हैं। जनसांख्यिकी यह गांव 700-800 एकड़ में फैला हुआ है। यह 6 वार्डों (वार्ड संख्या 9 से 14) में विभाजित है। मझौल गाँव का औसत लिंगानुपात 927 है जो बिहार राज्य के औसत 918 से अधिक है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार मझौल में बाल लिंग अनुपात 977 है, जो बिहार के औसत 935 से अधिक है। पिछले 10 वर्षों में जनसंख्या में -11.4 प्रतिशत की कमी आई है। भूमि, खेती और कृषि मझौल कोसी नदी के पास पूर्वी कोसी तटबंध से 300 मीटर पूर्व में स्थित है। इससे भूमि बहुत उपजाऊ हो जाती है। गाँव के किसान ज्यादातर अपने खेतों में धान, मकई (मक्का), गेहूं और मूंग (एक प्रकार की दाल ) की खेती करते हैं। चूंकि इस क्षेत्र की जलवायु धान के लिए सबसे उपयुक्त है, मकई एक अच्छी फसल गांव के कई किसानों के लिए खुशी लाती है। हालांकि, लोग गेहूं की फसल उगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ ही किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है। अधिकांश किसानों की मध्यम फसल होती है और इसलिए यह धान और मकई की खेती के अपेक्षा लोकप्रिय नहीं है। इसके बजाय, इस गांव के किसानों के लिए मकई पहली सबसे अच्छी फसल है और धान दूसरी है। इसलिए, वे नियमित फसलों की खेती के अलावा गरमा धान और मकई की फसल को एक साथ उगाना पसंद करते हैं । धान की कटाई का समय विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि ग्रामीण सामान्य रूप से खुश होते हैं। धान और मकई की ताजी फसल हर घर तक पहुंचती है, चाहे आप जमीन के मालिक हों, या किसान हों या सिर्फ फसल काटने वाले। हर घर में धन का आना तय है। इससे चूरा बनाया जा सकता है जो ताजा सक्कर (गुड़) और "दही" के साथ मिलकर एक अद्भुत भोजन बनाता है। बरसात के मौसम (सावन और भादो) में इस गांव की पूरी कृषि भूमि बारिश के पानी से ढकी रहती है, इसलिए इस मौसम में ग्रामीणों का मुख्य भोजन मछली और कुछ फल होते हैं। विध्यालय उर्दू मध्य विध्यालय, मझौल उर्दू कन्या प्राथमिक विध्यालय, मझौल पश्चिम उर्दू कन्या प्राथमिक विध्यालय, मझौल पूर्व यातायात रेल द्वारा मझौल के पास 10 किमी। तक कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। सहरसा जंक्शन रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। दरभंगा जंक्शन रेलवे स्टेशन बड़ा रेलवे स्टेशन है, जो मझौल से 67 किमी. पर है। सड़क द्वारा सहरसा मझौल के नजदीकी शहर हैं जहां बस द्वारा सड़क संपर्क है। यह सभी देखें सहरसा के गांवों की सूची सहरसा जिला नौहट्टा संदर्भ सहरसा ज़िले के गाँव विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक
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हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। हरिद्वार जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। यह क्षेत्र साल 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से अस्तित्व में आया। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 96,902 मतदाता थे। विधायक 2012 के विधानसभा चुनाव में यतीश्वरानंद इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। |-style="background:#E9E9E9;" !वर्ष !colspan="2" align="center"|पार्टी !align="center" |विधायक !पंजीकृत मतदाता !मतदान % !बढ़त से जीत !स्रोत |- |2012 |bgcolor="#FF9933"| |align="left"|भारतीय जनता पार्टी |align="left"|यतीश्वरानंद |96,902 |80.10% |3,875 | |} कालक्रम इन्हें भी देखें हरिद्वार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड मुख्य निर्वाचन अधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी में) सन्दर्भ टिपण्णी तब राज्य का नाम उत्तरांचल था। उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
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सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर
सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (CTTC), भुवनेश्वर MSME मंत्रालय , भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्था है। इतिहास विशेष रूप से इंजीनियरिंग क्षेत्र में तेजी से औद्योगिकीकरण के युग में, विशेष उपकरण, मर जाता है , जिग्स , जुड़नार , नए नए साँचे , गेज और अन्य सटीक घटकों की आवश्यकताएं अनिवार्य हैं। इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले टूलमेकर्स की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार और डेनमार्क सरकार के बीच तकनीकी सहयोग कार्यक्रम के तहत सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (CTTC) भुवनेश्वर सरकार के रूप में स्थापित किया गया है। भारत सोसायटी सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, XXI, 1860 के तहत पंजीकृत। भूमि, भवन आदि जैसी सभी ढांचागत सुविधाओं का योगदान सरकार द्वारा किया गया है। उड़ीसा का । प्रशिक्षण गतिविधियाँ 1991 में शुरू हुईं और 1995 में टूल उत्पादन। सेवाएं विशेष रूप से स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज के लिए नए नए साँचे, जिग्स, जुड़नार, गेज और अन्य परिष्कृत घटकों की उत्पादन सुविधाओं का विकास करना। उपकरण बनाने और अन्य संबद्ध इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दीर्घकालिक और लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना दोनों फ्रेशर्स और पहले से ही इस क्षेत्र में लगे कर्मियों के लिए ट्रेड करता है। सटीक मशीनिंग और गर्मी उपचार में आम सुविधाएं प्रदान करना। गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के उद्देश्य से मुख्य रूप से टूल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लघु उद्योगों के लिए परामर्श सुविधाएं प्रदान करना। मार्स ऑर्बिटर मिशन , चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2 के लिए कुछ घटक प्रदान किए। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ सीटीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, सरकार। भारत की Pages with unreviewed translations
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संगणक घड़ी
संगणक और अन्य इलेक्टॉनिक उपकरणों में समय मापन के लिए एक चिप होती है जो घड़ी का काम करती है। यह कंप्यूटर (आदि) के बंद रहने पर भी एक छोटी सी बैटरी से चलती रहती है। इस तरह इसमें समय का आकलन हमेशा होता रहता है। पहले हर मदरबोर्ड पर एक वास्तविक समय हेतु घड़ी होती था (रियल टाईम क्लॉक,RTC) जो एक सीमोस सर्किट होता था और मोटरोला १४६८१८ के नाम से जाना जाता था। यह सेकेन्ड में २ से ८१९२ बार सिग्नल भेज सकता था। इसके आइबीएम की मशीनों और इसके कंपैटिबल मशीनों में प्रोग्रामेबल इंटरवल टाइमर (प्रोग्राम करने के लायक स्टॉप वॉच, Programmable Interval Timer, PIT) सीमॉस ८२५४ सर्किट आने लगे। इन सर्किटों के कारण एर कारतंत्र (Operating System) को समय का पता चलता है और बंद होने के बावजूद इसको सही समय पता होता है। संगणक तकनीक
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पल्लवन
किसी निर्धारित विषय जैसे सूत्र-वाक्य, उक्ति या विवेच्य-बिन्दु को उदाहरण, तर्क आदि से पुष्ट करते हुए प्रवाहमयी, सहज अभिव्यक्ति-शैली में मौलिक, सारगर्भित विस्तार देना पल्लवन (expansion) कहलाता है। इसे विस्तारण, भाव-विस्तारण, भाव-पल्लवन आदि भी कहा जाता है। सूत्र रूप में लिखी या कही गई बात के गर्भ में भाव और विचारों का एक पुंज छिपा होता है। विद्वान् जन एक पंक्‍त‌ि पर घंटों बोल लेते हैं और कई बार तो एक पूरी पुस्तक ही रच डालते हैं। यही कला 'पल्लवन' कहलाती है।पल्लवन का यह अर्थ नही की उस कथन का अर्थ या भाव लिखा जाए या उसकी व्याख्या के जाए अपितु इसका मूल भाव वक्ता के मंतव्य को स्पष्ट करना होता है। पल्लवन के कुछ सामान्य नियम:- (1) पल्लवन के लिए मूल अवतरण के वाक्य, सूक्ति, लोकोक्ति अथवा कहावत को ध्यानपूर्वक पढ़िए, ताकि मूल के सम्पूर्ण भाव अच्छी तरह समझ में आ जायँ। (2) मूल विचार अथवा भाव के नीचे दबे अन्य सहायक विचारों को समझने की चेष्टा कीजिए। (3) मूल और गौण विचारों को समझ लेने के बाद एक-एक कर सभी निहित विचारों को एक-एक अनुच्छेद में लिखना आरम्भ कीजिए, ताकि कोई भी भाव अथवा विचार छूटने न पाय। (4) अर्थ अथवा विचार का विस्तार करते समय उसकी पुष्टि में जहाँ-तहाँ ऊपर से कुछ उदाहरण और तथ्य भी दिये जा सकते हैं। (5) भाव और भाषा की अभिव्यक्ति में पूरी स्पष्टता, मौलिकता और सरलता होनी चाहिए। वाक्य छोटे-छोटे और भाषा अत्यन्त सरल होनी चाहिए। अलंकृत भाषा लिखने की चेष्टा न करना ही श्रेयस्कर है। (6) पल्लवन के लेखन में अप्रासंगिक बातों का अनावश्यक विस्तार या उल्लेख बिलकुल नहीं होना चाहिए। (7) पल्लवन में लेखक को मूल तथा गौण भाव या विचार की टीका-टिप्पणी और आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसमें मूल लेखक के मनोभावों का ही विस्तार और विश्लेषण होना चाहिए। (8) पल्लवन की रचना हर हालत में अन्यपुरुष में होनी चाहिए। (9) पल्लवन व्यासशैली की होनी चाहिए, समासशैली की नहीं। अतः इसमें बातों को विस्तार से लिखने का अभ्यास किया जाना चाहिए। (10) पल्लवन में निबंधात्मकता का गुण होता है। परिचय भाव पल्लवन का अर्थ है- 'किसी भाव का विस्तार करना'। इसमें किसी उक्ति, वाक्य, सूक्ति, कहावत, लोकोक्ति आदि के अर्थ को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है। विस्तार की आवश्यकता तभी होती है, जब मूल भाव संक्षिप्त, सघन या जटिल हो। भाषा के प्रयोग में कई बार ऐसी स्थितियां आती है। जब हमें किसी उक्ति में निहित भावों को स्पष्ट करना पड़ता है। इसी को भाव-पल्लवन कहते है। हम अपने भाषा व्यवहार में कई सूत्र वाक्य सूक्तियाँ, कहावतें, लोकोक्तियाँ आदि बोलते और सुनते रहते है। उदाहरण के लिये, स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। जहाँ कुमति तहँ बिपति निधाना।। परहित सरिस धरम नहीं भाई। इन सूक्तियों ओर कहावतों में भाव या विचार गठे और एक दूसरे के साथ बंधे रहते है। इन विचारों या भावों के समझने के लिए इनका विस्तार से विवेचन करना होता है ताकि उस सूत्र, वाक्य, सूक्ति या कहावत में छिपे गहरे अर्थ को स्पष्ट किया जा सके। हमारी कहावतें या लोकोक्तियाँ हमारे समाज के अनुभव को अपने में समेटे होती हैं। ये लोकोक्तियां वस्तुतः पूरे समाज के विचारों का सार प्रस्तुत करती हैं। इसी प्रकार कई विचारक, विद्वान या संत-महात्मा ऐसे सूत्र वाक्य प्रस्तुत करते हैं, जिनमें वे कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बात कह जाते हैं। इस बात को समझाने और समझाने के लिए हमें सोचना भी पड़ता है और उसका विस्तार भी करना पड़ता है। इसी को भाव-पल्लवन कहते हैं। वास्तव में भाषा व्यवहार में निपुण होने के लिए हमें भाव पल्लवन का अभ्यास करना आवश्यक है, जिससे हम ऐसी अभिव्यक्तियों में निहित भाव का इस प्रकार विस्तार करें कि सुनने वाले या पढ़ने वाले व्यक्ति को अपनी बात समझा सकेंं। इन्हें भी देखें संक्षेपण अनुच्छेद निबन्ध भाषा
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A5%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%87
थेरेसा मे
थेरेसा मैरी मे (उर्फ़ ब्रेसियर; जन्म 1 अक्टूबर 1956) यूनाइटेड किंगडम  की प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी की नेता है। वे 1997 से मेडनहैड सीट से संसद के सदस्य (सांसद) हैं। उन्हें एक एक-राष्ट्र रूढ़िवादी और एक उदार रूढ़िवादी के रूप में जाना जाता है। इससे पूर्व मार्गरेट थैचर वर्ष 1979 से 1990 तक ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। गौरतलब है कि डेविड कैमरून ने जनमत संग्रह के जरिए ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर आने के फैसले के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 13 जुलाई, 2016 को उन्होने ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। 1977 में स्नातक होने के बाद, उन्होंने बैंक ऑफ इंग्लैंड के लिए काम किया। उन्होंने मर्टन में डर्स्फोर्ड के लिए एक पार्षद के रूप में भी काम किया। हाउस ऑफ कॉमन्स में चुने जाने के दो असफल प्रयासों के बाद, उन्हें 1997 में मेडेनहेड के लिए सांसद के रूप में चुना गया। 1999 से 2010 तक, मे ने शैडो कैबिनेट्स में कई भूमिकाएँ निभाईं। वह 2002 से 2003 तक कंजर्वेटिव पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं। 2010 के आम चुनाव के बाद जब गठबंधन सरकार बनी, तो मे को गृह सचिव और महिला और समानों के लिए मंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन 2012 में बाद की भूमिका छोड़ दी। उन्होंने सेवा करना जारी रखा 2015 के आम चुनाव में रूढ़िवादी जीत के बाद गृह सचिव के रूप में, और 60 से अधिक वर्षों में सबसे लंबे समय तक सेवारत गृह सचिव बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पुलिस फेडरेशन के सुधार को आगे बढ़ाया, ड्रग्स नीति पर एक सख्त नीति लागू की, जिसमें खत पर प्रतिबंध लगाना, निर्वाचित पुलिस और अपराध आयुक्तों का परिचय, अबू कताडा का निर्वासन, और राष्ट्रीय अपराध एजेंसी का निर्माण शामिल है, और आव्रजन पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए गए। वह तिथि करने के लिए, राज्य के दो महान कार्यालयों में से एक ही महिला है। प्रारंभिक जीवन थेरेसा मे निःसंतान हैं। राजनेतिक जीवन केमरून के पद छोड़ने के बाद दो चरण में हुए मतदान के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए थेरेसा और आंद्रेया लेडसम एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी थीं। लेडसम ने चुनाव से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया। जिसके बाद थेरेसा का पीएम बनना सुनिश्चित हो गया। यूरोपीय संघ और ब्रेक्जिट मे 2016 के जनमत संग्रह अभियान के दौरान यूरोपीय संघ में सार्वजनिक रूप से अपने समर्थन के लिए कहा, लेकिन जनमत संग्रह में बड़े पैमाने पर अभियान नहीं चलाया और एक भाषण में यूरोपीय संघ के पहलुओं की आलोचना की। राजनीतिक पत्रकारों द्वारा यह अनुमान लगाया गया था कि मई ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए भावी उम्मीदवार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बहस में अपनी भागीदारी को कम करने की मांग की थी। [279] डेविड कैमरन के मंत्रालय के कुछ लोगों ने ब्रेक्सिट के मुद्दे पर जनमत संग्रह और यूरोपीय संघ के प्रति कथित उदासीनता के कारण मे की "पनडुब्बी" से तुलना की। [280] इन्हें भी देखें डेविड केमरून सन्दर्भ 1956 में जन्मे लोग जीवित लोग यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ब्रिटिश महिलाएँ राष्ट्रमण्डल पदासीन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7
हिरण्याक्ष
हिरण्याक्ष एक असुर (दैत्य) था जिसका वध वाराह अवतारी विष्णु ने किया था। हिरण्यकशिपु उसका बड़ा भाई था। विष्णुपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार दैत्यों के आदिपुरुष कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र का नाम था हिरण्यकश्यप और छोटे पुत्र का नाम था हिरण्याक्ष। हिरण्याक्ष माता धरती को रसातल में ले गया था जिसकी रक्षा के लिए आदि नारायण भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया, कहते हैं वाराह अवतार का जन्म ब्रह्मा जी के नाक से हुआ था । कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि हिरण्याक्ष और वाराह अवतार में कई वर्षों तक युद्ध चला। क्योंकि जो दैत्य स्वयं धरती को रसातल में ले जा सकता है आप सोचिए उसकी शक्ति कितनी होगी? फिर वाराह अवतार के द्वारा उसे गदा मारकर अपने दांत उसके वक्ष के आर पार कर दिए। पौराणिक पात्र असुर
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मापन के मात्रक
मापन के सन्दर्भ में मात्रक या इकाई (unit) किसी भौतिक राशि की एक निश्चित मात्रा को कहते हैं जो परिपाटी या/और नियम द्वारा पारिभाषिक एवं स्वीकृत की गई हो तथा जो उस भौतिक राशि के मापन के लिए मानक के रूप में प्रयुक्त होती हो। उस भौतिक राशि की कोई भी अन्य मात्रा इस 'इकाई' के एक गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है। उदाहरण के लिए लम्बाई एक भौतिक राशि है। 'मीटर' लम्बाई का मात्रक है जो एक निश्चित पूर्वनिर्धारित दूरी के बराबर होता है। जब हम कहते हैं कि अमुक दूरी '४७ मीटर' है तो इसका अर्थ है कि उक्त दूरी १ मीटर के ४७ गुना है। प्राचीन काल से ही मात्रकों की परिभाषा करना, उन पर सहमति करना, उनका व्यावहारिक उपयोग करना आदि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न स्थानों एवं कालों में मात्रकों की विभिन्न प्रणालियाँ होना एक सामान्य बात थी। किन्तु अब एक वैश्विक मानक प्रणाली अस्तित्व में है जिसे 'अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली' (International System of Units (SI)) कहते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग की जानेवाली अन्य तौलों तथा मापों की तालिकाएँ ओषधिविक्रेताओं के ब्रिटिश तौल (Apothecary's weights) 20 ग्रेन = 1 स्क्रूपल 3 स्क्रूपल = 1 ड्राम 8 ड्राम = 1 आउंस 12 आउंस = 1 पाउंड 20 द्रव आउंस = 1 पाइंट ओषधिविक्रेताओं की ब्रिटिश मापें (Apothecary's fluid measures) 60 द्रव मिनिम = 1 ड्राम 8 ड्राम = 1 आउंस 20 आउंस = 1 पाइंट 8 पाइंट = 1 गैलन 1 द्रव मिनिम = 0.0045 क्यूबिक इंच 1 चाय चम्मच = 1 द्रव ड्राम 1 डेसर्ट चम्मच = 2 द्रव ड्राम 1 टेबुल चम्मच = 1/2 आउंस 1 मदिरागिलास = 2 आउंस 1 चाय प्याला = 3 आउंस कुछ अन्य ब्रिटिश एवर्डु पॉयज तौल (खुदरा व्यापारियों द्वारा आम तौर पर प्रयोग में लाई जाने वाली) 27.32 ग्रेन = 1 ड्राम 16 ड्राम = 1 आउंस 16 आउंस = 1 पाउंड 14 पाउंड (lbs) = 1 स्टोन (stone) एवर्डुपॉयज़ा का पाउंड सोने चाँदी की तौल के काम में लाए जानेवाले ट्रॉय पाउंउ (troy pound) से 17 : 14 के अनुपात में भारी होता है। जबकि ट्रॉय का आउंस एवर्डुपॉयज आउंस से भारी होता है। इनके बीच 79 : 72 का अनुपात पाया जाता है। जवाहरातों, सोने तथा चाँदी को तौलने के लिये जो बटखरे प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें ट्रॉय बटखरे कहते हैं। ब्रिटिश ट्रॉय तौल 4 ग्रेन = 1 कैरेट (Carat) 24 ग्रेन = 1 पेनीवेट (pennyweight) 20 पेनीवेट = 1 आउंस 12 आउंस = 1 पाउंड (ib) 5,760 ग्रेन = 1 पाउंड 25 पांउड = 1 क्वार्टर 100 पाउंड = 1 हंड्रेडवेट (cwt.) 20 हंड्रेडवेट = 1 टन 1 ट्रॉयआउंस = 150 डायमंड कैरेट शहतीर तथा लकड़ी की माप 40 घनफुट नातराश लकड़ी (unhewn timber) = 1 टन 50 घनफुट तराशी लकड़ी (squared timber) = 1 टन 42 घनफुट लकड़ी = 1 शिपिंग टन (shipping ton) 108 घनफुट लकड़ी = 1 स्टैक (stack) 128 घनफुट लकड़ी = 1 कार्ड (cord) ऊन संबंधी मापें 7 पाउंड = 1 क्लोव (clove) 2 क्लोव = 1 स्टोन (stone) 2 स्टोन = 1 टॉड (tod) 61/2 टॉड = 1 वे (wey) 2 वे = 1 सैक (sack) 12 सैक = 1 लास्ट (last) 240 पाउंड = 1 पैक (pack) तौल की मापों का सबंध 1 ग्रेन = 0.000064799 किलोग्राम 1 आउंस = 0.0283495 किलोग्राम 1 पाउंड = 0.4535924 किलोग्राम 1 हंड्रेडवेट = 50.802 किलाग्राम 1 टन = 1016.05 किलोग्राम 1 क्विंटल= 100 किलोग्राम 1 मांड =40 किलोग्राम खगोलीय मापें (Astronomical measures) खगोलीय इकाई = 9,28,97,400 मील प्रकाश वर्ष = 59,00,00,00,00,000 मील पारसेक (parsec) = 3.259 प्रकाश वर्ष ठीकेदारों की मापें (Builder's measurements) भट्ठे की ईंट 8 3/4 इंच x 4 1/4 इंच x 2 3/4 इंच वेल्स (welch) अग्निसह ईंट 9 इंच x 4 1/2 इंच x 2 3/4 इंच फर्शी ईंट 9 इंच x 4 1/2 इंच x 1 3/4 इंच स्क्वायर टाइल 9 3/4 इंच x 9 3/4 इंच x 1 इंच स्क्वायर टाइल 6 इंच x 6 इंच x 1 इंच डच क्लिंकर ईंट 9 1/4 इंच x 3 इंच x 1 1/2 इंच एकरॉड (rod) ईंट की चिनाई (1 rod of brickwork) = 306 घन फुट या 11 1/3 घन गज धारिता की माप (जो द्रवों तथा ठोस सामानों के लिये प्रयोग में लाई जाती हैं।) 4 गिल = 1 पाइंट 2 पाइंट = 1 क्वार्ट (quart) 4 क्वार्ट = 1 गैलन (gallon) 2 गैलन = 1 पेक (peck) 4 पेक = 1 बुशल (bushel) 3 बुशल = 1 बैग (bag) 5 बुशल = 1 सैक (sack) 8 बुशल = 1 क्वार्टर (quarter) 5 क्वार्टर = 1 लोड (load) 2 लोड = 1 लास्ट (last) 36 बुशल = 1 चालड्रोन (chaldron) गेहूँ का एक बुशल तौल में औसतन 60 पाउंउ, जौ का लगभग 47 पाउंड तथा जई का 40 पाउंउ होता है। यवसुरा (Ale & beer) की माप 2 पाइंट = 1 क्वार्ट 4 कार्ट = 1 गैलन 9 गैलन = 1 फरकिन (firkin) 2 फरकिन = 1 किल्डरकिन (kilderkin) 2 किल्डरकिन = 1 बैरल (barrel) 1 1/2 बैरल = 1 हॉग्सहेड (hogshead) 2 बैरल = 1 पंचीयान (puncheon) 2 हॉग्सहेड = 1 बट (butt) 2 बट = 1 टुन (tun) सुरा (Wine) की माप 10 गैलन = 1 अंकर (anker) 18 गैलन = 1 रनलेट (runlet) 42 गैलन = 1 टियर्स (tierce) 84 गैलन = 1 पंचीयान 63 गैलन = 1 हॉग्सहेड 126 गैलन, या 2 हॉग्सहेड = 1 पाइप 252 गैलन, या 2 पाइप = 1 टुन (tun) वृत्तीय तथा कोणीय मापें 60 थर्ड्स = 1 सेकंड (²) 60 सेकंड = 1 मिनट (¢) 60 मिनट = 1 डिग्री (°) 30 डिग्री = 1 साइन (sign) 45 डिग्री = 1 ओक्टैंट (octant) 60 डिग्री = 1 सेक्सटैंट (sextant) 90 डिग्री = 1 क्वाड्रैंट या समकोण किसी भी वृत्त की परिधि उसके व्यास का 3.1416 गुना होती है। सूती धागे की मापें 120 गज = 1 लच्छी (skein) 7 लच्छियाँ = 1 गुंडी (hank) 18 गुंडियाँ = 1 स्पिंडल (spindle) विद्युत् माप (Electric measure) वोल्ट (volt) = किसी 1 ओम (ohm) प्रतिरोध (resistance) से होकर 1 ऐंपियर (ampere) करेंट को गुजारने के लिये जितनी शक्ति की आवश्यकता होती है उसे 1 वोल्ट कहते हैं ओम (ohm) = उस परिपथ का प्रतिरोध है, जिसमें एक वोल्ट का विद्युद्वल एक ऐंपीयर धारा उत्पन्न करता है। मेगओम (megohm) = 10^6 ओम ऐंपीयर (ampere) = जो करेंट किसी एक ओम प्रतिरोध के आर पार 1 वोल्ट विभवांतर पैदा करे। कूलंब (coulomb) = विद्युत् की वह मात्रा जो एक ऐंपियर करेंट के एक सेकंड तक बहने से प्राप्त हो। 1 वाट (watt) = 1 जूल (Joule) 746 वाट = एक अश्व शक्ति प्रति सेकंड 1 किलोवाट = 1,000 वाट = 1.5 अश्वशक्ति रैखिक माप (Lineal Measures) 8 जौ दाना = 1 इंच 2 1/2 इंच = 1 नेल (nail) 3 इंच = 1 पाम (palm) 7.02 इंच = 1 लिंक (link) 9 इंच = 1 स्पैन (span or quarter) 18 इंच = 1 हाथ (cubit) 30 इंच = 1 पद (pace) 37.2 इंच = 1 स्काटिश एल (scottish ell) 45.0 इंच = 1 इंगलिश एल (English ell) 5 फुट = 1 रेखीय पाद (geometrical pace) 6 फुट = 1 फैदम 608 फुट = 1 केबल (cable) 10 केबल = 1 नाविक मील (nautical mile) 6,080 फुट = 1 नाविक मील 6,087 फुट = 1 भूगोलीय मील 22 गज या 5 बल्ली = 1 चेन (chain) 100 लिंक = 1 चेन 10 चेन = 1 फर्लांग 80 चेन = 1 मील 1 नॉट = नाविक मी0 प्र0 धं0 की चाल। लिनेन के धागे (linen Yarn) की माप 300 गज = 1 कट 2 कट = 1 हीर (heer) 6 हीर = 1 हास्प (hasp) 4 हास्प = 1 स्पिंडल संख्याओं की नाप (Numbers) 12 इकाइयाँ = 1 दर्जन 12 दर्जन = 1 गुरुस 20 इकाइयाँ = 1 विशंक या कोड़ी (score) 5 गड्डी, कोड़ी, या 100 इकाईयाँ = 1 सैकड़ा समुद्री माप 6 फुट = 1 फैदम 100 फैदम = 1 केबल की लंबाई 1,000 फैदम = 1 समुद्री मील 3 समुद्री मील = 1 समुद्री लीग 60 समुद्री मील = 1 डिग्री देशांतर भूमध्य रेखा पर 360 डिग्री = 1 वृत्त कागजों की माप 24 ताव (sheets) = 1 दस्ता (quire) 20 दस्ता = 1 रीम (ream) 516 ताव = 1 पिं्रटर रीम (printer's ream) 2 रीम = 1 बंडल 5 बंडल = 1 बेल (bale) सर्वेक्षक की माप (Surveyor's Measure) 7.92 इंच = 1 लिंक 100 लिंक = 22गज = एक चेन 80 चेन = 1760 गज, या = मील ताप की माप (1) सेंटीग्रेड- इस नाप में पानी के हिमांक बिंदु को शून्य माना जाता है तथा जल का क्वथनांक 100 डिग्री सें0 माना गया है शरीर में रुधिर का तप 36.8 डिग्री सें0 होता है। (2) रयूमर—इस नाप में पानी का हिमांक शुन्य माना जाता है तथा जल का क्वथनांक 80 डिग्री माना जाता है। इसका प्रयोग आम तौर पर जर्मनी में होता है। (3) फारेनहाइट—इसमें हिमांक 32 डिग्री होता है और जल का क्वथनांक (boiling point) 212 डिग्री माना जाता है। यह माप खास करके ग्रेट ब्रिटेन तथा उत्तरी अमरीका में प्रयोग में लाई जाती है। समय की मापें 60 सेंकंड = 1 मिनट 60 मिनट = 1 घंटा 24 घंटा = 1 दिन 7 दिन = 1 सप्ताह 4 सप्ताह = 1 महीना 13 चांद्र मास = 1 साल 12 कैलेंडर मास = 1 साल 365 दिन = 1 साधारण वर्ष 366 दिन = 1 अधिवर्ष (leap year) 3651/4 दिन = 1 जूलियन वर्ष 365 दिन 5 घं0 48 मि0 51 से0 = 1 सौर वर्ष 100 साल = 1 शत वर्ष या शताब्दी दशमिक मान-प्रणाली के संबंध लंबाई तथा धारिता की इकाइयाँ 1 इंच = 0.0254 मीटर 1 फुट = 0.3048 मीटर 1 गज = 0.9144 मीटर 1 मील = 1609.344 मीटर 1 इंपीरियल गैलन = 4.54596 लिटर (litres) धारिता की दशमिक माप पाइंट - गैलन - घन फुट - लिटर 1 = 0.125 = 0.02 = 0.567 8 = 1.000 = 0.160 = 4.541 16 = 2.000 = 0.3208 = 9.082 धारिता की माप 10 मिलीलिटर = 1 सेंटीलिटर 10 सेंटीलिटर = 1 डेसिलिटर 10 डेसिलिटर = 1 लिटर 10 लिटर = 1 डेकालिटर 10 डेकालिटर = 1 हेक्टोलिटर 10 हेक्टोलिटर = 1 किलोलिटर 1 लिटर = 1 3/4 पाइंट क्षेत्रफल की माप 1 सेंटीएयर या 1 वर्ग मीटर = 1.296033 वर्ग गज 10 सेंटीएयर = 1 डेसिएयर 10 डेसीएयर = 1 एयर 10 एयर = 1 डेकाएयर 10 डेकाएयर = 1 हेक्टाएयर 100 हेक्टाएयर = 1 वर्ग किलोमीटर 1 हेक्टाएयर = 2 एकड़ ठोस या घन की माप 1 सेंटीस्टियर (centistere) = 610.240515 घन मी0 1 डेसिस्टियर = 3.531658 घन फुट 1 स्टियर = 1.307954 धनगज 10 सेंटिस्टियर = 1 डेसीस्टियर 10 डेसिस्टियर = 1 स्टियर या घन मील 10 स्टियर = 1 डेकास्टियर भारत में अंग्रेजी काल में फुट-पाउंड सेकंड पद्धति का उपयोग प्रचलित था, किंतु 1 अप्रैल 1958 ई0 से मीटरी पद्धति का प्रयोग हो रहा है। इन पद्धतियों के अतिरिक्त अन्य निम्नलिखित मापें भी भारत में प्रचलित हैं। भारतीय मापें इन्हें भी देखें मापन का इतिहास बाहरी कड़ियाँ A Dictionary of Units of Measurement - Center for Mathematics and Science Education, University of North Carolina NIST Handbook 44, Specifications, Tolerances, and Other Technical Requirements for Weighing and Measuring Devices NIST Handbook 44, Appendix C, General Tables of Units of Measurement Official SI website Quantity System Framework - Quantity System Library and Calculator for Units Conversions and Quantities predictions UDUNITS Package Unix utility and C library for unit handling from the Unidata Program of the University Corporation for Atmospheric Research वैधानिक Ireland - Metrology Act 1996 US - Authorized tables मेट्रिक सूचना एवं संघ Official SI website UK Metric Association US Metric Association The Unified Code for Units of Measure (UCUM) इम्पीरियल मापन से सम्बन्धित जानकारी British Weights and Measures Association Measurement
1,929
901765
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A4%A6%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B5
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव
एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव एक संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव है जो सुरक्षा परिषद के पंद्रह सदस्यों द्वारा अपनाया जाता हैं। सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की वह इकाई है जो "अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी" के साथ आवेशित हैं। पांच स्थायी सदस्य चीनी जनवादी गणराज्य (जिसने 1971 में चीन गणराज्य को प्रतिस्थापित किया), रूस (जिसने 1991 में निष्क्रिय सोवियत संघ को प्रतिस्थापित किया), फ़्रान्स, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य हैं। इन्हें भी देखें विषयानुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव निषेधाधिकृत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों की सूची सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ
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कृष्णदेव प्रसाद
कृष्णदेव प्रसाद (22 जून 1892-15 नवम्बर 1955) पटना जिला के कमंगर गली में आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी बुधवार को जन्मे कृष्णदेव प्रसाद मगही के सुपरिचित साहित्यकार हैं। ये संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेज़ी, मगही, उर्दू-फ़ारसी के प्रकांड पंडित थे। इन्होंने अपनी जिन्दगी मगही की सेवा में अर्पित किया। स्वयं भी मगही में लिखा और दूसरों को भी लिखने की प्रेरणा दी। ये मगही के पहले उपन्यासकार बाबू जयनाथ पति और वैद्यनाथ बाबू के समकालीन थे। मगही मगही साहित्यकार
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सर्वाधिक फॉलो किये जाने वाले इन्स्टाग्राम खातों की सूची
यह सूची सोशल फ़ोटो शेयरिंग मंच इन्स्टाग्राम पर 5 सितंबर 2018 के अनुसार सर्वाधिक फॉलो किये जाने वाले २५ खातों की है। सितम्बर २०१८ के अनुसार, २४.८ करोड़ फॉलोवेर्स के साथ का स्वयं का खाता सबसे अधिक फॉलो किया जाता है, जबकि व्यक्तित्व में सेलिना गोमेज़ १४.२ करोड़ फॉलोवेर्स के साथ शीर्ष स्थान पर हैं। ग्यारह खातें इस जालस्थल पर १० करोड़ फॉलोवेर्स का आँकड़ा पार कर चुके हैं। शीर्ष खाते सभी खाते यह सूची सर्वाधिक २५ फॉलो किये जाने वाले खातों की है, जिसका निकटतम दस लाख (मिलियन) का आँकड़ा दिया गया है, साथ ही सभी खाता प्रयोक्ताओं का व्यवसाय तथा देश की भी जानकारी निहित की गयी है। देशानुसार निम्नलिखित सूची में देशानुसार शीर्ष १५ फॉलो किये जाने वाले इन्स्टाग्राम खातों की हैं, जिसका निकटतम दस लाख (मिलियन) का आँकड़ा दिया गया है, साथ ही सभी खाता प्रयोक्ताओं का व्यवसाय भी निहित है। सन्दर्भ सोशल मीडिया रुझान
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87
पंजाबी किस्से
पंजाबी किस्से पंजाबी भाषा की मौखिक कहानी की परंपरा है जो स्थानीय लोगों, अरब प्रायद्वीप के प्रवासियों और समकालीन ईरान के प्रवासियों के मिश्रण के साथ दक्षिण एशिया में आई है। हालांकि क़िस्से मुसलमानों के बीच प्रेम, वीरता, सम्मान और नैतिक अखंडता की लोकप्रिय कहानियों को प्रसारित करने की एक इस्लामी और / या फारसी विरासत को प्रतिबिंबित करते हैं। लेकिन जब वह भारत पहुँचें तो उन्होंने पूर्व-इस्लामिक पंजाबी संस्कृति के मौजूदा तत्वों और लोकगीतों को अपने अंदर सम्मलित कर लिया। व्युत्पत्ति क़िस्सा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है 'महाकाव्य कथा' या 'लोक कथा'। इसने दक्षिण एशिया की लगभग सभी भाषाओं को प्रभावित किया है और यह पंजाबी, बंगाली, गुजराती, उर्दू और हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं में सामान रूप से प्रयोग होता है। यदि इसका अनौपचारिक रूप से उपयोग किया जाता है, तो शब्द का अर्थ 'दिलचस्प कहानी' या 'कल्पित कहानी' है। पंजाबी संस्कृति में पंजाबी भाषा क़िस्से के अपने समृद्ध साहित्य के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से अधिकांश प्रेम, जुनून, विश्वासघात, बलिदान, सामाजिक मूल्यों और मौजूदा प्रणाली के खिलाफ एक आम आदमी के विद्रोह के बारे में हैं। पंजाबी परंपरा में, दोस्ती, वफादारी, प्यार और 'क़ौल' (मौखिक समझौता या वादे) को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और इन महत्वपूर्ण तत्वों पर क़िस्सो में अधिकांश कहानियाँ हैं। किस्से को पंजाबी में लोक संगीत को प्रसिद्ध करने का जिम्मेदार ठहराया जाता है। इन परंपराओं का मौखिक या लिखित रूपों में पीढ़ियों से चलन है और अक्सर इन्हें बच्चों के सोते वक्त कहानियों के रूप में बताया जाता था या लोक गीतों के रूप में संगीतमय प्रदर्शन किया जाता था। वारिस शाह का (1722–1798) ‘हीर राँझा’ का क़िस्सा सबसे प्रसिद्ध क़िस्सों में से एक है। सन्दर्भ पंजाब की संस्कृति पंजाब (पाकिस्तान) की संस्कृति पंजाबी साहित्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%20%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE
तनोर उपज़िला
तनोर उपजिला, बांग्लादेश का एक उपज़िला है, जोकी बांग्लादेश में तृतीय स्तर का प्रशासनिक अंचल होता है (ज़िले की अधीन)। यह राजशाही विभाग के राजशाही ज़िले का एक उपजिला है, जिसमें, ज़िला सदर समेत, कुल 9 उपज़िले हैं। यह बांग्लादेश की राजधानी ढाका से पूर्व की दिशा में अवस्थित है। जनसांख्यिकी यहाँ की आधिकारिक स्तर की भाषाएँ बांग्ला और अंग्रेज़ी है। तथा बांग्लादेश के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही, यहाँ की भी प्रमुख मौखिक भाषा और मातृभाषा बांग्ला है। बंगाली के अलावा अंग्रेज़ी भाषा भी कई लोगों द्वारा जानी और समझी जाती है, जबकि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक निकटता तथा भाषाई समानता के कारण, कई लोग सीमित मात्रा में हिंदुस्तानी(हिंदी/उर्दू) भी समझने में सक्षम हैं। यहाँ का बहुसंख्यक धर्म, इस्लाम है, जबकि प्रमुख अल्पसंख्यक धर्म, हिन्दू धर्म है। राजशाही विभाग में, जनसांख्यिकीक रूप से, इस्लाम के अनुयाई, आबादी के औसतन ८८.४२% है, जबकि शेष जनसंख्या प्रमुखतः हिन्दू धर्म की अनुयाई है। अवस्थिती तनोर उपजिला बांग्लादेश के पूर्वी भाग में, राजशाही विभाग के राजशाही जिले में स्थित है। इन्हें भी देखें बांग्लादेश के उपजिले बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल राजशाही विभाग उपज़िला निर्वाहि अधिकारी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ उपज़िलों की सूची (पीडीएफ) (अंग्रेज़ी) जिलानुसार उपज़िलों की सूचि-लोकल गवर्नमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, बांग्लादेश http://hrcbmdfw.org/CS20/Web/files/489/download.aspx (पीडीएफ) श्रेणी:राजशाही विभाग के उपजिले बांग्लादेश के उपजिले
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%BC%20%E0%A4%8F%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B2%20%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B8%20%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A6%E0%A5%AE
विंडोज़ एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८
विंडोज़ एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८ (अंग्रेजी में: Windows Essential Business Server 2008) या विंडोज एसेंशियल बिजनेस सर्वर 2008 (कूटनाम- सेंट्रो (Centro)) मध्यम आकार के व्यवसायों (अधिकतम 300 उपयोगकर्ता और/या उपकरण) के लिए माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर पेशकश था। इसे 15 सितंबर 2008 को जारी किया गया था और तथा 12 नवंबर 2008 को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। इसे 30 जून 2010 को बंद कर दिया गया। इन्हें भी देखें विंडोज़ सर्वर एसेंशियल्स सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Official blog in Chinese Kent Compton's Blog - EBS product planner Nicholas King's Blog - EBS technical product manager Chris Grillone's Blog - EBS product manager Product documentation विंडोज़ सर्वर एसेंशियल बिज़नेस सर्वर २००८
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
परिधीय तंत्रिका तंत्र
परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system), तंत्रिका तंत्र का वह भाग है जो संवेदी न्यूरॉनों तथा दूसरे न्यूरानों से बनती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को परिधीय तंत्रिका तंत्र से जोड़ते हैं। इसमें केवल तंत्रिकाओं का समूह है, जो मेरूरज्जु से निकलकर शरीर के दोनों ओर के अंगों में विस्तृत है। बाहरी कड़ियाँ Neuroscience for Kids UC Berkeley anatomy lecture on the nervous system The Human Brain Project Homepage Kimball's Biology Pages, CNS Kimball's Biology Pages, PNS तंत्रिका तंत्र
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%98%E0%A4%B0
साजन का घर
साजन का घर 1994 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन सुरेंद्र कुमार बोहरा ने किया और मुख्य भूमिकाओं में ऋषि कपूर और जूही चावला है। फिल्म व्यवसायिक रूप से सफल रही थी और इसे जूही चावला की सुपरहिट फिल्मों में गिना जाता है। संक्षेप धनराज (अनुपम खेर) एक गरीब और बहुत ही ज्यादा लालची इंसान रहता है। उसकी पत्नी एक बेटी, लक्ष्मी (जूही चावला) को जन्म देने के तुरंत बाद मर जाती है। वहीं उसके जन्म के साथ ही वो एक बहुत ही बड़ी लॉटरी भी जीत जाता है, और काफी अमीर हो जाता है। धनराज को लॉटरी जीतने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि उसकी बेटी अशुभ या खराब किस्मत वाली है और उसके जन्म लेने के कारण ही उसकी पत्नी की मौत हुई है। वो सारा दोष उसकी बेटी, लक्ष्मी पर लगा देता है और उसे देखने से भी इंकार कर देता है। इसके बाद वो दूसरी शादी कर लेता है। उसके दूसरी बीवी से उसके घर एक पुत्र, सूरज (दीपक तिजोरी) का जन्म होता है। लक्ष्मी और सूरज बड़े हो जाते हैं। इतने सालों बाद भी धनराज और उसकी सौतेली माँ उसे बुरी किस्मत वाली ही सोचते रहते हैं और उसके साथ बहुत खराब व्यवहार करते रहते हैं। सूरज इस बात से असहमत रहता है कि उसकी बहन बुरी किस्मत वाली है। वो जितना हो सकते, उतना अपनी बहन को उनसे बचाने की कोशिश करते रहता है। उसकी माँ सूरज को लक्ष्मी से दूर रहने बोलती है, लेकिन वो रक्षा बंधन के दिन उससे राखी बंधाने उसके पास चले जाता है। बाद में एक दुर्घटना में वो अपना एक हाथ खो देता है। उसकी माँ लक्ष्मी को ही इसका कारण मानती है। लक्ष्मी के पिता और सौतेली माँ उसकी शादी सेना के एक अधिकारी, अमर (ऋषि कपूर) से तय कराते हैं। शादी होने के बाद धनराज की मौत हो जाती है और सारी संपत्ति भी चले जाती है। उनकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि उन्हें बंगले से बाहर होना पड़ता है। इसी बीच लक्ष्मी का गर्भपात हो जाता है। अमर से डॉक्टर कहता है कि यदि लक्ष्मी माँ बनती है तो उसकी मौत हो जाएगी। किसी को दुःख न हो, इस कारण अमर ये बात किसी को नहीं बताता है। अमर की माँ को लगता है कि अब लक्ष्मी को कोई बच्चा नहीं होगा और वो अब उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगती है ताकि अमर की किसी और लड़की से शादी करा सके। लक्ष्मी एक दिन अमर को गर्भपात और उसके प्रभाव के बारे में बात करते हुए सुन लेती है। वो फैसला करती है कि चाहे वो मर भी जाये, लेकिन वो बच्चे को जन्म जरूर देगी। वो अमर को ताने मारती है और उत्तेजित करती है, जिससे अमर भूल जाता है कि उसकी बीवी गर्भवती होने पर मर जाएगी और वो उसके साथ रात गुजारता है। अगले दिन वो डर जाता है कि ये उसने क्या कर दिया, पर वो डॉक्टर से बात करना छोड़, काम पर चले जाता है। अमर के जाने के बाद उसकी माँ लक्ष्मी को घर से निकाल देती है। लक्ष्मी उस गाँव में ही इधर उधर काम कर अपना जीवन बिताते रहती है और एक बच्चे को जन्म देती है। बच्चे को जन्म देने के बाद वो उसे ससुराल ले जाती है और अपनी आखिरी सांस लेते समय ही अमर घर आता है। लक्ष्मी की मौत हो जाती है और परिवार वाले बस यही सोचते रह जाते हैं कि काश उन लोगों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया होता। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है। मुख्य कलाकार ऋषि कपूर - अमर खन्ना जूही चावला - लक्ष्मी खन्ना दीपक तिजोरी - सूरज धनराज फरहीन - किरन अनुपम खेर - श्री धनराज कादर ख़ान - चाचा बिन्दू - श्रीमती धनराज शुभा खोटे - कमला खन्ना आलोक नाथ - राम खन्ना "रामजी" अंजना मुमताज़ - शांति धनराज बीना - गीता धनराज जॉनी लीवर - दिलीप बोस / चंपा बोस मोहनीश बहल - विकी (अतिथि भूमिका) तेज सप्रू - तेजा दिनेश हिंगू संगीत सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ 1994 में बनी हिन्दी फ़िल्म नदीम–श्रवण द्वारा संगीतबद्ध फिल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%A4%20%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A5%87
यशवंत बर्डे
यशवंत बर्डे (जन्म १५ फरवरी १९७३) एक भारतीय पूर्व प्रथम श्रेणी के क्रिकेट खिलाड़ी हैं और अब ये अंपायर हैं और इन्होंने २०१५-१६ रणजी ट्रॉफी में अम्पायरिंग की थी और २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग में भी दिखे है। इन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट कैरियर में कुल २७ मैच खेले है और २१ लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेले थे। बर्डे बल्ले और गेंद दोनों के लिए जाने जाते है। सन्दर्भ अम्पायर 1973 में जन्मे लोग जीवित लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%AF%E0%A4%B8
लोयस
पवन द्वारा उडाई गई धूलो के निक्षेप से निर्मित जमाव को लोयस कहते हैं। लोयस का नामकरण फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर किया गया हैं, क्योंकि यहाँ पर लोयस के समान ही मिट्टी का निक्षेप पाया जाता हैं। लोयस का जमाव रेगिस्तानों से दूरस्थ स्थानों में होता हैं। इसमे मिट्टियों के कण इतने बारीक होते हैं कि इनमे परतें नही मिलती। परन्तु लोयस अत्यधिक पारगम्य होती हैं। मिट्टी मुलायम होती है। लोयस का निर्माण उस समय होता हैं जब पवन के साथ मिली हुई धूल नीचे बैठकर एक स्थान पर बडे पैमाने पर निक्षेपित हो जाती हैं | सबसे बड़ा लोयस का मैदान उत्तरी चीन में पाया जाता है। पवन द्वारा उत्पन्न स्थलाकृति पवन द्वारा निक्षेपात्मक स्थलरुप वातज स्थलरूप
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80
चैत्रगौरी
चैत्रगौरी यह महाराष्ट्र में किया जानेवाला प्रसिद्ध व्रत है। महिला एवं युवती यह व्रत ; त्योहार के स्वरूप में मनाती है। स्वरूप चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथीसे इस व्रत की शुरुआत होती है। वैशाख महिनेकीं तृतीय तिथी तक यह व्रत किया जाता है। इस व्रतका मुख्य उपचार है गौरी देवीको झुलेमें स्थापित करना और एक महीना उनकी पूजा करना। व्रत का स्वरूप झुलेमें बैठी देवी गौरी के पूजा हेतू कच्चे आमका शरबत और चनेकी दालसे बना हुआ भोग ख़ास तौरसे बनाया जाता है। वसंत ऋतुमें जो फल मिलते है वह देवीको भोगके स्वरूपमें चढ़ाए जाते है। विवाहित महिला को भोजनमें निमंत्रित किया जाता है। हल्दी, कुमकुम और चंदन लगाकर इस महिलाके देवीस्वरूप पूजा की जाती है। शामके समय पड़ोसी महिलाओंको निमन्त्रित किया जाता है और उन्हें हल्दी कुमकुम लगाकर कच्चे आमका शरबत दिया जाता है। भीगे हुए चने उन्हें भेट दिए जाते है। देवीका वर्णन करनेवाले भक्तिपूर्ण गीत गाएँ जाते है। रंगोली इस व्रतके अवसर पर महाराष्ट्र में नई नवेली दुल्हन पाँच साल तक अपने आंगनमें है विशिष्ट रंगोली बनाती है। उसे चैत्रागण नामसे संबोधित किया जाता है। इस रंगोलीमें भारतवर्ष के त्यौहार तथा भारतीय संस्कृतिके प्रतीक चित्रित किये जाट है। स्वस्तिक, ओमकार, तुलसी का पौधा, गाय के चरण चिह्न , गणेशजी , कृष्ण भगवान, चंद्र, सूर्य इनके चित्र इस रंगोलीमें बनाए जाते है। यह भी देखिए चैत्र मास देवी पार्वती बाहरी कड़ियाँ चित्रदालन सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%AC%20%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%88
नजीब तारकई
नजीब तारकई (2 फरवरी 1991-6 अक्टूबर 2020) एक अफगान क्रिकेटर थे, जिन्होंने अफगानिस्तान टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला था। वह बारह ट्वेंटी20 अंतरराष्ट्रीय मैच और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में खेले। तारकाई ने बांग्लादेश में 2014 आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। घरेलू क्रिकेट में, उन्होंने प्रथम श्रेणी मैचों में 2,000 से अधिक रन बनाए। वह 2014 एशियाई खेलों में क्रिकेट टूर्नामेंट में रजत पदक जीतने वाली अफगान टीम का भी हिस्सा थे। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%B2%20%E0%A4%AC%E0%A4%AE
कील बम
कील बम एक विस्फोटक डिवाइस है जिसमें लोगों को घायल करने की क्षमता बढ़ाने के लिए कीलों का प्रयोग किया जाता है। कीलें छर्रे के रूप में कार्य करती हैं, जिससे छोटे क्षेत्र में अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाया जाता है। ऐसे हथियारों में तेज़ व नुकीली चीज़ों जैसे: इस्पात गेंदों (स्टील बॉल), कील , टूटे छुरे, डार्ट्स और धातु के टुकड़े आदि का प्रयोग भी किया जाता है। कील बम अक्सर आतंकवादियों द्वारा, विशेष रूप से आत्मघाती हमलावर द्वारा, इस्तेमाल किये जाते हैं क्योंकि वे बड़ी संख्या में लोगों को मारने के लिए भीड़ भरे स्थानों में विस्फोट करते हैं। कील बम का विद्युतचुम्बकीय (इलेक्ट्रोमेग्नेटिक) सेंसर और मानक धातु संसूचक (स्टैंडर्ड मेटल डिटेक्टर) के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। सन्दर्भ विस्फोटक
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स्थाई अवस्था
जब किसी भौतिक निकाय (physical system) की विशिष्टताएँ, समय के साथ बदल न रहीं हों तो कहा जाता है कि वह निकाय स्थायी अवस्था (steady state) में है। उदाहरण के लिये लोहे की एक प्लेट को किसी भट्टी में गरम करने के बाद पानी के एक बड़े टब में डाल दिया जाय तो थोडी देर बाद इस प्लेट का तापमान पानी के तापमान पर आकर स्थिर हो जाता है। इस अवस्था को 'स्थिर अवस्था' या 'स्थिर दशा' कहेंगे। गणितीय रूप में इसे यों कह सकते हैं- , जहाँ p उस तंत्र का प्रमुख चर है। उदाहरन के लिये, रासायनिक इंजीनियरी में यह चर ताप, दाब, अभिकारकों की सान्द्रता आदि हो सकता है। इन्हें भी देखें क्षणिक अनुक्रिया (ट्रासिएण्ट रिस्पॉन्स) तंत्र सिद्धान्त
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बुंदेलखंड की लड़ाई
बुंदेलखंड की लड़ाई मार्च १७२९ में मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव प्रथम और बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल बुंदेला के गठबंधन और मुगल साम्राज्य के मुहम्मद खान बंगश के बीच लड़ी गई थी। बंगश ने दिसंबर १७२८ में बुंदेलखंड राज्य पर हमला किया। क्योंकि वह लड़ने के लिए बहुत बूढ़े थे, राजा छत्रसाल ने बाजीराव से सहायता की अपील की, जिनके नेतृत्व में मराठा-बुंदेला गठबंधन ने जैतपुर में बंगश को हराया। पृष्ठभूमि बुंदेलखंड में, छत्रसाल ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया था और एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी। दिसंबर १७२८ में, मुहम्मद खान बंगश के नेतृत्व में एक मुगल सेना ने उन पर हमला किया और उनके किले और परिवार को घेर लिया। नतीजतन, छत्रसाल ने बाजीराव की सहायता मांगी। लड़ाई मार्च १७२९ में, पेशवा ने छत्रसाल के अनुरोध का जवाब दिया और २५००० घुड़सवारों के साथ बुंदेलखंड की ओर कूच किया। छत्रसाल कब्जे से बच गए और मराठा सेना में शामिल हो गए, जिससे उनकी संख्या बढ़कर ७०००० हो गई। जैतपुर तक मार्च करने के बाद, बाजीराव की सेना ने बंगश को घेर लिया और उसकी आपूर्ति और संचार लाइनों को काट दिया। बंगश ने बाजी राव के खिलाफ एक पलटवार शुरू किया, लेकिन अपने बचाव में छेद नहीं कर सके। मुहम्मद खान बंगश के पुत्र क़ैम खान ने अपने पिता की दुर्दशा के बारे में जाना और नए सैनिकों के साथ संपर्क किया। उसकी सेना पर बाजीराव की सेना ने हमला किया, और वह भी हार गया। बाद में बंगश को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि "वह फिर कभी बुंदेलखंड पर हमला नहीं करेगा"। परिणाम बुंदेलखंड के शासक के रूप में छत्रसाल की स्थिति बहाल कर दी गई। उसने बाजी राव को एक बड़ी जागीर दी, और उसे रूहानी बाई नामक उपपत्नी से अपनी बेटी मस्तानी दी। दिसंबर १७३१ में छत्रसाल की मृत्यु से पहले, अपने एक तिहाई क्षेत्रों को मराठों को सौंप दिया। सन्दर्भ मराठा साम्राज्य बुंदेलखंड भारत के युद्ध मराठों से जुड़ी लड़ाई
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
पूर्णिया
पूर्णिया (Purnia) भारत के बिहार राज्य के पूर्णिया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय है और बिहार राज्य का पाँचवा सबसे बड़ा नगर है। विवरण यहाँ से नेपाल तथा पूर्वोत्तर भारत जाने का रास्ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २७ जो कि इस्ट-वेस्ट कोरीडर का हिस्सा है उत्तर भारत को असम, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम तथा भूटान से जोड‍़ता है। पूर्णिया पूर्वोत्तर बिहार का सबसे बड़ा नगर है। यह नगर स्वास्थ्य सेवा, मोटर पार्ट, अनाज और किराना मंडी के कारण पूरे पूर्वी भारत में विख्यात है। मुगल काल से ही पूर्णिया प्रशासनिक दृष्टीकोण से महत्वपूर्ण स्थान रहा है, अंग्रेजी हुकूमत के दौर में भी यहां से आस-पास के इलाकों पर नियंत्रण किया जाता था। वर्तमान में पूर्णिया प्रमंडलीय मुख्यालय है जिसके अंतर्गत पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले आते हैं। पूर्णिया, सौरा नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित नगर है। यहाँ कारागृह तथा कार्यालयों की इमारतें अच्छी हालत में हैं। कंबल, चटाइयाँ और सरसों के तेल पेरने आदि का काम होता है तथा यहाँ की उत्पादित वस्तुएँ यहीं खप जाती हैं। यहां पे राष्ट्रीय मंडी है जिसे गुलाब बाग मंडी कहते है। जनसांख्यिकी २०११ की जनगणना के अनुसार, पूर्णिया नगर निगम की कुल आबादी २८२,२४८ थी, जिसमें से १४८,०७७ पुरुष और १३४,१७१ महिलाएं थीं। इसका लिंग अनुपात ९०६ महिलाओं की तुलना में १,००० पुरुष था। ६ साल से कम की आबादी ४३,०५० थी राष्ट्रीय औसत की ७४.०४% की तुलना में, ६ + आबादी के लिए साक्षरता दर ७३.०२% है। पूर्णिया शहरी संकुलन, जिसमें पूर्णिया नगर निगम और कस्बा (नगर पंचायत) शामिल हैं, की 2011 में ३१०,८१७ की आबादी है। २०११ में जनसंख्या 75.2% हिंदू और 23.3% मुस्लिम है। पूर्णिया में बहुमत मैथिल आबादी है। भाषा एवं बोली मैथिली, अंगिका, हिंदी, उर्दू , कुल्हैया और बंगला भाषाएं पूर्णिया के लोगों द्वारा बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं। शहर के कुछ हिस्सों में सूरजापुरी और संततिवादी भी बोलते हैं। ज्यादातर अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालयों में अंग्रेजी पहली भाषा है। शिक्षा पूर्णिया हमेशा उत्तर बिहार क्षेत्र में शिक्षा का केंद्र रहा है। ब्रिटिश शासन की अवधि के दौरान १८०० में स्थापित जिला स्कूल पूर्णिया का सबसे पुराना स्कूल है और शहर का सबसे बड़ा विद्यालय है। जवाहर नवोदय विद्यालय, गढ़बनैली (मुख्य शहर से १४ किमी दूर) सरकार द्वारा संचालित एक प्रतिष्ठित स्कूल है। भारत की प्रमुख विद्यालय शृंखला जी डी गोयनका पब्लिक स्कूल का पटना और गया के बाद पूर्णिया में बिहार का अपना तीसरा परिसर है। पूर्णिया में एक केन्द्रीय विद्यालय भी है। अन्य प्रमुख विद्यालयों में उर्सलाइन कॉन्वेंट अंग्रेजी / हिंदी माध्यम विद्यालय, परोरा में विद्या विहार आवासीय विद्यालय, मिलिया कॉन्वेंट इंग्लिश मिडियम स्कूल, इंडियन पब्लिक स्कूल, बी.बी.एम. हाई स्कूल, डॉन बोस्को स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल, माउंट जोन मिशन स्कूल, ब्राइट कैरियर इंग्लिश स्कूल, बिजेंद्र पब्लिक स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, सेंटिल पब्लिक स्कूल (पूर्णिया), सरस्वती शिशु मंदिर और सेंट जॉन्स हाई स्कूल शामिल हैं। सिटी कालीबरी क्षेत्र में कई नए कॉलेज और स्कूल निर्माणाधीन हैं। मरंगा में स्थित विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीवीआईटी) एक लोकप्रिय संस्थान है। इंजीनियरिंग, कानून, कला और गृह विज्ञान को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज हैं। राज्य सरकार और आर्यभट्ट नॉलेज विश्वविद्यालय और पूर्णिया विश्वविद्यालय जैसे अन्य सरकारी विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त करने के लिए इन कॉलेजों में शामिल हैं: बीएमटी लॉ कॉलेज, मिल्लिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पूर्णिया, मिल्लिया ग्रुप ऑफ कोलेज (मिलिया एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित), भोला पासवान शास्त्री एग्रीकल्चरल कॉलेज, पूर्णिया। महिलाओं की स्थिति को उन्नत करने के लिए शहर में एक महिला कॉलेज भी है। कॉलेज पूर्णिया महाविद्यालय, पूर्णिया महिला महाविद्यालय, ब्रज मोहन ठाकुर लॉ कॉलेज, आर के के महाविद्यालय, एस एन एस वाई महाविद्यालय, एसकेबी इंटर महाविद्यालय, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, राधा उमाकांत संस्कृत महाविद्यालय। विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिल्लिया पॉलिटेक्निक रामबाग, सरकारी पॉलिटेक्निक, पूर्णिया अभियंत्रण महाविद्यालय। पूर्णिया राजकीय चिकित्सक महाविद्यालय और अस्पताल, शेरशाह इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल मिलिया एजुकेशन ट्रस्ट। 3 डी एनीमेशन और मल्टीमीडिया इंस्टीट्यूट: एनिमेशन स्कूल (मधुबनी बाज़ार) अन्य भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी राज्य में सबसे बड़ा रक्त बैंक है, जिसमें पटना के बाद १,००० यूनिट की क्षमता है। बिहार सरकार ने कस्बा में ड्रग्स / दवाओं के लिए तीन मेगास्टॉक गोदामों में से एक का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य उत्तर बिहार के १३ जिलों की सेवा करना है। एथलीटों के लिए इंदिरा गांधी स्टेडियम में भारत के खेल प्राधिकरण के खेल होस्टल हैं। डीएसए और जिला स्कूल के मैदान शहर के बाहरी स्टेडियम हैं। बिहार सरकार ने वर्ष २०१८ में पूर्णिया में विश्वविद्यालय का पहला सेशन चालू हो गया है। पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत ४६ कॉलेज हैं जिसका ऐडमिशन ऑनलाइन होता है! परिवहन वायु पूर्णिया हवाई अड्डा, जिसे चुनपुर हवाई अड्डा (एयरफोर्स स्टेशन) के रूप में भी जाना जाता है, छावनी क्षेत्र के भीतर स्थित है। लेकिन केवल सैन्य उपयोग के लिए ही सीमित है। राज्य सरकार के स्तर पर निर्धारित उड़ानों को संचालित करने के लिए हवाई अड्डे के लिए प्रस्ताव व्यापक रूप से चर्चा किए जा रहे हैं। बिहार केे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने २०१६ में घोषणा किया था की पूर्णिया में एक नया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनेगा और कार्य अभी भी जारी है। निकटतम वाणिज्यिक हवाई अड्डा, बागडोगरा हवाई अड्डा, दार्जीलिंग के बागडोगरा में करीब १५० किमी दूर है। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा (पटना हवाई अड्डा) पूर्णिया से 310 किमी से दूर बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। पूर्णिया में स्थित एक नए नागरिक हवाई अड्डे के लिए योजनाएं मौजूद हैं। रेल पूर्णिया को दो रेलवे स्टेशनों द्वारा 5 किमी, पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन ,स्टेशन कोड: PRNA और पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन स्टेशन कोड: PRNC से अलग किया जाता है। पूर्णिया जंक्शन खुश्कीबाग, गुलाब्बाग और पूर्वी पूर्णिया के निवासियों के करीब है, जबकि पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन शहर के पश्चिमी भाग में स्थित है और मधुबनी, भट्ठा, मध्य और पश्चिमी पूर्णिया के निवासियों को करीब करता है। पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन कटिहार - जोगबनी ब्रॉड गेज पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की रेलवे लाइन पर स्थित है। पूर्व मध्य रेल (ईसीआर) की एक और लाइन, पूर्णिया से सहरसा और बनमनखी के रास्ते खगड़िया को जोड़ती है। कोलकाता, नई दिल्ली, पटना, दरभंगा, गोरखपुर, रांची, लखनऊ, बोकारो और आसपास के अन्य शहरों को दैनिक और साप्ताहिक ट्रेनें यहां से हैं। सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग अर्थात् राष्ट्रीय राजमार्ग ३१, राष्ट्रीय राजमार्ग २७, एनएच 231 और एनएच131ए पूर्णिया के आसपास के शहरों और राज्यों के लोगों के लिए सुलभ है जबकि राज्यकीय राजमार्ग दूसरे पड़ोसी शहरों और गांवों को मुख्य शहर क्षेत्र से जोड़ता है। नवनिर्मित एनएच 27 सीधे पूर्णिया को उत्तर बिहार के कुछ महत्वपूर्ण कस्बों और शहरों से जोड़ता है अर्थात् दरभंगा और मुजफ्फरपुर इस एक्सप्रेस वे रोड के माध्यम से मुजफ्फरपुर तक पहुंचने में करीब 5 घंटे लगते हैं। यह एक्सप्रेसवे नव निर्मित कोसी महा सेतु पुल के रास्ते है। यह पटना के लिए वैकल्पिक मार्ग बन गया है और उसने कभी भी व्यस्त और ट्रैफिक-प्रवण एनएच 31 को कम करने में मदद की जाती है। पहले शहर से एन एच 31 गुजरती थी लेकिन अब यह राजमार्ग पूर्णिया बायपास के रास्ते जीरोमाइल होकर गुजरती है। यह मार्ग पूर्णिया को पश्चिम में भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, पटना और रांची को जोड़ती है। पूर्णिया से पूर्व-पश्चिम गलियारा मार्ग गुजरती है जो सिलचर, असम को पोरबंदर, गुजरात से जोड़ती है। इस शहर में यह मार्ग एन एच 27 के माध्यम से गुजरती है। यह एक आधुनिक छह लेन राजमार्ग है जो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा निर्मित है। राज्य राजमार्ग 60, 62, 65, 77 और 90 भी पूर्णिया से गुजरते हैं। एनएच 31 और एनएच 27 चार लेन एक्सप्रेसवे हैं और इंटरसिटी परिवहन सेवाओं के लिए एक ताकत हैं। कई बसें हैं जो पटना, भागलपुर, रांची, जमशेदपुर, मुजफ्फरपुर, कटिहार और सिलीगुड़ी के लिए दैनिक आधार पर चलती हैं। कोलकाता के लिए एक दैनिक अनुसूचित बस भी है। वर्ष 2011 में राज्य सरकार की बिहार राज्य सड़क परिवहन निगम बीएसआरटीसी के साथ मिलकर कई परिवहन कंपनियां रोज़ाना मर्सिडीज-बेंज और वोल्वो बसों को पूर्णिया से पटना तक जोड़ने वाली बसों को लॉन्च करतीं थीं। इंट्रा-सिटी परिवहन साइकिल-रिक्शा, ऑटो रिक्शा और शहर बसों की एक बड़ी संख्या शहर की सेवा। इतिहास पूर्णिया मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा है। इन्हें भी देखें पूर्णिया ज़िला सन्दर्भ पूर्णिया जिला बिहार के शहर पूर्णिया ज़िले के नगर
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC%20%E0%A4%9C%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%A8%20%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A5%87%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8
अलीगढ़ जंक्शन रेलवे स्टेशन
अलीगढ़ जंक्शन रेलवे स्टेशन हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन और हावड़ा-गया-दिल्ली लाइन के कानपुर-दिल्ली खंड पर एक 'ए' श्रेणी का जंक्शन स्टेशन है; यह उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ जिले में स्थित है। इतिहास 1866 में ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी की हावड़ा-दिल्ली लाइन पर ट्रेनें चलने लगीं। बरेली-मुरादाबाद तार रामपुर के रास्ते अलीगढ़ तक एक शाखा लाइन के साथ, अवध और रोहिलखंड रेलवे द्वारा 1894 में बनाया गया था। संदर्भ बाहरी कड़ियाँ उत्तर प्रदेश में रेलवे जंक्शन स्टेशन अलीगढ़ जिले में रेलवे स्टेशन इलाहाबाद रेलवे डिवीजन अलीगढ़ में इमारतें और संरचनाएं
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मनदीप सिंह
मनदीप सिंह (अंग्रेजी :Mandeep Singh) (जन्म 08/04/1998) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जिन्होंने अपने ट्वेन्टी-ट्वेन्टी कैरियर की शुरुआत 16/02/2020 को [[ये दाहिने हाथ से बल्लेबाजी तथा दाहिने ही हाथ से गेंदबाजी करते हैं। 2020 में इन्हें 2020 इंडियन प्रीमियर लीग की [[2020 इंडियन प्रीमियर लीग के खिलाड़ियों के परिवर्तन की सूची|नीलामी में खरीदा है। जो कि बिहार का पहला खिलाडी है/ सन्दर्भ जीवित लोग 1991 में जन्मे लोग भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के क्रिकेट खिलाड़ी दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ जालंधर के लोग
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उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची
उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, सरयू समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 19,95,81,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 45,42,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। मानचित्र नगरों की सूची चित्र दीर्घा सन्दर्भ उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित सूचियाँ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8
लिखित इतिहास
रिकॉर्ड किया गया इतिहास या लिखित इतिहास एक लिखित रिकॉर्ड या अन्य प्रलेखित संचार पर आधारित एक ऐतिहासिक कथा है। यह अतीत के अन्य आख्यानों के साथ विपरीत है, जैसे पौराणिक, मौखिक या पुरातत्व परंपराएं। व्यापक विश्व इतिहास के लिए, दर्ज इतिहास 4 वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आसपास की प्राचीन दुनिया के खातों से शुरू होता है, और लेखन के आविष्कार के साथ मेल खाता है। कुछ भौगोलिक क्षेत्रों या संस्कृतियों के लिए, लिखित रिकॉर्ड के सीमित उपयोग के कारण लिखित इतिहास मानव इतिहास में अपेक्षाकृत हाल की अवधि तक सीमित है। इसके अलावा, मानव संस्कृतियाँ हमेशा बाद के इतिहासकारों के लिए प्रासंगिक सभी सूचनाओं को रिकॉर्ड नहीं करती हैं, जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं का पूर्ण प्रभाव या व्यक्तियों का नाम। इसलिए विशेष प्रकार की जानकारी के लिए रिकॉर्ड किया गया इतिहास सीमित रिकॉर्ड के प्रकारों के आधार पर सीमित है। इस वजह से, विभिन्न संदर्भों में दर्ज इतिहास विषय के आधार पर विभिन्न अवधियों को संदर्भित कर सकता है। प्रागितिहास प्रागितिहास पारंपरिक रूप से रिकॉर्ड किए गए इतिहास से पहले समय की अवधि को संदर्भित करता है, लेखन प्रणालियों के आविष्कार के साथ समाप्त होता है। प्रागितिहास से तात्पर्य ऐसे क्षेत्र में अतीत से है जहां कोई लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, या जहां संस्कृति का लेखन समझ में नहीं आता है। एक समाज में साक्षरता के आगमन के बाद, लेकिन पहले इतिहासकारों के लेखन से पहले, प्रोटोहोस्टेरॉन (आद्यइतिहास) प्रागितिहास और इतिहास के बीच संक्रमण काल को संदर्भित करता है। प्रोटोहोस्टेरोन (आद्यइतिहास) उस अवधि का भी उल्लेख कर सकता है जिसके दौरान एक संस्कृति या सभ्यता ने अभी तक लेखन का विकास नहीं किया है, लेकिन अन्य संस्कृतियों ने अपने स्वयं के लेखन में इसके अस्तित्व को नोट किया है। अधिक संपूर्ण लेखन प्रणाली, प्रोटो-राइटिंग से पहले थी। प्रारंभिक उदाहरण जियाहू प्रतीक (सी। 6600 बीसीई), विनिका संकेत (सी। 5300 बीसीई), प्रारंभिक सिंधु लिपि (सी। 3500 बीसीई) और एनएसबीडि लिपि (500 ईसा पूर्व से पहले) हैं। जब प्रागितिहास इतिहास बन जाता है, और जब प्रोटो-राइटिंग "सच्चा लेखन" बन जाता है, तो इससे संबंधित असहमति होती है। [२] हालांकि, पहले लेखन प्रणालियों का आविष्कार मोटे तौर पर 4 वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत के नवपाषाण काल में कांस्य युग की शुरुआत के साथ समकालीन है। सुमेरियन पुरातन क्यूनीफॉर्म लिपि और मिस्र की चित्रलिपि को आमतौर पर सबसे प्रारंभिक लेखन प्रणाली माना जाता है, दोनों अपने पैतृक प्रोटो-लिटरेट प्रतीक प्रणालियों से बाहर निकलते हैं, जो 3400–3200 ईसा पूर्व से लगभग 2600 ईसा पूर्व से सबसे पुराने सुसंगत ग्रंथ थे। इन्हें भी देखें नवपाषाण युग औद्योगिक क्रांति प्रागितिहास आद्यइतिहास अफ़्रीका का इतिहास विश्व का इतिहास सन्दर्भ इतिहास
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शानक्सी वाई-9
शानक्सी वाई-9 (Shaanxi Y-9) विमान चीन में शानक्सी विमान कंपनी द्वारा उत्पादित एक मध्यम आकार का, मध्यम दूरी का सैन्य परिवहन विमान है। विमान को शानक्सी वाई-8एफ के एक विस्तारित संस्करण के रूप में विकसित किया गया था जिसमें सोवियत एंटोनोव एन-12 से अधिक पेलोड और रेंज शामिल थी। ऑपरेटर चीनी वायुसेना चीनी नौसेना की वायु सेना - कम से कम 14 विमान चीनी ग्राउंड फोर्स - 2 म्यांमार वायुसेना - म्यांमार ने 1 वाई-9ई खरीदा था। विशेष विवरण (वाई-9) इन्हें भी देखें चीन शानक्सी वाई-8 सन्दर्भ सैन्य परिवहन विमान चीन के विमान
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दाँत का बुरुश
दाँत का बुरुश (toothbrush) दाँत साफ करने के काम आता है। इसमें एक छोटा सा बुरुश होता है जिसमें पकड़ने के लिये हत्था (हंडिल) लगा रहता है। बुरुश का चुनाव ब्रश खरीदते समय ब्रश की बनावट व रंग से भी अधिक महत्त्व इन बातों का होता है— ब्रश के रेशे मुलायम हों, सख्त नहीं। सभी रेशे शीर्ष छोर पर समान सतह पर कटे हों। अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ रेशों का ब्रश मसूड़ों को छील सकता है। एक समान रेशे के हल्के से मुड़े हुए (अंदर की ओर) हैंडल वाले ब्रश अच्छे माने जाते हैं। ब्रश साफ करके बंद डिब्बे में रखें व प्रयोग से पहले धो लें। अच्छी कम्पनी का ब्रश ही खरीदें। यदि रेशे जरा भी कठोर लगें तो ब्रश बदल दें। अधिक टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो कई आकार के सिरे वाला ब्रश प्रयोग में लाया जा सकता है किंतु नर्म ही होने चाहिए। बुरुश करने की सही विधि व सावधानियाँ यद्यपि बहुत दंत चिकित्सक हर भोजन के बाद ब्रश करने की सलाह देते हैं, परन्तु व्यावहारिक रूप से यह सम्भव नहीं है— प्रत्येक व्यक्ति खाना-पीना करने के बाद साफ पानी से कुल्ला ढंग से करें। दांतों के बीच खाली जगह में अन्नकण फंसे नहीं रहने चाहिये। ऐसे अन्नकणों के निकालने के लिए टूथपिक का इस्तेमाल करें। मुलामम लकड़ी, तांबा, चांदी या सोने की साफ टूथपिक से अन्नकण निकालें। भूलकर भी ऑलपीन, सूई या लोहे की किसी भी वस्तु से दांत न कुरेदें। जरा-सी लापरवाही से टिटनस का रोग हो सकता है, घाव हो सकते हैं, जख्म हो सकते हैं और मसूड़ों का रोग भी हो सकता है। प्लाक 14 घंटे बाद बनना शुरू होता है। अतः दिन में दो बार प्रातःकाल शौच करने के बाद व रात्रि में सोते समय ब्रश अवश्य करना चाहिये। याद रखें, प्रत्येक दांत को साफ करना है और उसकी सतह को भी। पीछे की सतह को पहले साफ करें। दांतों की चबाने वाली सतह जरूर साफ होनी चाहिए। तालू तथा जीभ की भी, साफ, मुलामय जीभी से या हाथ की उंगलियों से सफाई अवश्य करें। नीचे के जबड़े के बीच वाले (आगे के) दांतों के पीछे (जीभ वाली सतह पर) दंत पाषाण अधिक बनाता है क्योंकि लार का सर्वाधाकि स्राव भी यहीं से होता है। इस सतह की सफाई जरूर करें। ऊपर के दांतों पर मसूड़ों से नीचे के दांतों पर मसूड़ों के ऊपर ब्रश अवश्य करना चाहिए। मीठी वस्तुएं जैसे बर्फी, रसगुल्ले, आइसक्रीम, चॉकलेट, टॉफी, शकरकंदी, गन्ना आदि खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें। भोजन के अंत में सलाद कच्ची सब्जी, फल जैसे सेब आदि खाना स्वास्थ्य व दांतों के लिए लाभकारी रहता है। इनमें छिपे/फसें हुए अन्नकण भी निकल जाते हैं। बाद में सादे पानी से कुल्ला कर लें। यदि प्रत्येक नास्ते एवं भोजन के बाद नमक पानी मिले या फिटकरी के पानी का कुल्ला करें तो दांतों की सेहत के लिए अच्छा रहता है। प्रातःकाल ब्रश करने के बाद नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से गले के साथ-साथ दांतों की भी सफाई हो जाती है। सप्ताह में एक दिन एक चाय का चम्मच पिसे हुए नमक में दस-बारह बूंद शुद्ध पीली सरसों के तेल को मिलाकर, दांतों व मशूढों की उंगली से मालिश करें आठ-दस मिनट हल्के-हल्के मालिश करते रहें। नित्यप्रति (एक बार में) कम से कम तीन मिनट तक ब्रश अवश्य करना चाहिए। इन्हें भी देखें दातून दन्तमंजन दांत बाहरी कड़ियाँ पांच सौ साल पुराना है टूथब्रश का इतिहास Taking Care of Your Teeth Naturally American Dental Association statements on Toothbrushing International Toothbrush Collection, a searchable database BBC h2g2 The History of Toothpaste and Toothbrushes दाँत स्वास्थ्य
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC
डूंगरगढ़
श्री डूँगरगढ़ राजस्थान के बीकानेर जिले का एक प्रगतिशील क़स्बा हे. प्रकृति द्वारा निर्मित चारो तरफ रेतीले टिल्लो से घिरा अपने आप में एक दर्शनीय स्थल प्रतीत होता है । इसकी बसावट एक प्याले के आकार की है तथा शहर के एक किनारे से दूसरे किनारे के सीधे रास्तों के कारण आर-पार देखा जा सकता है एवं प्रत्येक रास्ता चौराहा बनाता है. बीकानेर - दिल्ली रेलवे मार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग -11 पर बीकानेर से 70 किमी. पहले से स्थित है । इसकी वर्तमान आबादी ग्रामीण क्षेत्र 241084 तथा शहरी 53312 जिसमें पुरूषों की १५३५५३ एवं महिलओं की 140842 हैं | जो नगर पालिका मंडल के 30 वार्डो में विभाजित हैं | वर्तमान में नगरपालिका मंडल के अध्वक्ष पद पर श्री मानमल जी शर्मा तथा क्षेत्र के विधायक श्री गिरधारीलाल महिया हैं | श्री डूँगरगढ़ तहसील राजनीतिक परिपेक्ष में 97 ग्राम एवं 30 ग्राम पंचयातें, 30 सरपंच, 15 पंचायत समिती सदस्य, 4 जिला परिषद सदस्य, 1 विधायक, 1 नगरपालिका अध्यक्ष तथा 30 पार्षद हैं | शैक्षणिक क्षेत्र में लगभग 30 हजार छात्र - छात्राओं का अध्ययन श्री डूँगरगढ़ में हो रहा हैं | इतिहास श्री डूँगरगढ़ के 132 वर्ष पुराने इतिहास से पहले कई शोधपूर्ण तथ्यों के आधार पर कभी यहाँ सरस्वती नदी बहती थी तथा यह एक उपजाऊ क्षेत्र था | एक बार आये विनाशकारी भूकम्प ने यहाँ की प्राकृतिक एवं भौगोलिक स्थिति को पूर्ण रूप से बदल दिया तथा सरस्वती नदी विलुप्त हो गयी एवं सम्पूर्ण भू- भाग रेगिस्तान में परिवर्तित हो गया और यहाँ रेतीले टीले बन गये | श्री डूँगरगढ़ का जनपद के रूप में गठन सन 1880 (बिक्रम सम्बत 1937) को प्राचीन सारसू व रूपालसर ग्रामों को मिलाकार किया गया | तत्कालीन बीकानेर के नरेश महाराजा डूँगर सिंह ने इसे बसाया | तेरापंथ इतिहास में सन 1936 में श्री डूँगरसिंह द्वारा नींव रखने का उल्लेख मिलता हैं | वी . सं 1936 में महाराजा श्री डूँगरसिंह ने संतोषचन्द सेठिया को रामसही का रूक्का प्रदान कर 1026 बीघा भूमि (1001 बीघा भूमि खेती के लिये एवं 25 बीघा भूमि श्री डूँगरगढ़ को बसाने के लिए) उपहार स्वरूप प्रदान की | तत्कालीन बेलासर के तहसीलदार ठाकुर छोगसिंह ने पहले एक नारियल में पट्टे का आवंटन किया तथा फिर सवा रूपया पट्टे की कीमत रखी गयी | सारसू के कलिया राजपूत एवं रूपलासर के राठौड़ (बिका) पट्टयत थे | जैसलमेर (लोद्रवा) से नागौर (अहिच्छ्त्रपुर) होते हुए सारस्वत ब्राह्मण समाज के संत सरसजी सबसे पहले इस क्षेत्र में आकर पट्ट्यात बने | नागौर के तत्कालीन राजा पृथ्वीराज चौहान ने इनको 1444 ग्राम पट्टे में दिये तत्तपश्चात इन्होंने सन 1116 (वि सं 1173) में मोमासर बास को अपनी राजधानी बनाया | शीलालेखों के आधार पर रूपा तथा राजू कलिया इस क्षेत्र के पट्टयत थे | सारसू से उत्तर - पश्चिम के भाग में सन 1498 -1503 (वि सं. 1555 - 60) के बीच राव बीका के रिश्तेदार किशानसिंह ने यहाँ के कलिया सरदार रूपा को लड़ाई में मार कर उसकी अन्तिम इच्छा के अनुसार रूपालसर बास बसाया, जिस पर किशनसिंह बीका के वंशजों का वि सं. 1937 तक पट्ट्यात के रूप में अधिकार रहा | श्री डूँगरगढ़ की स्थापना का पहला पट्टा वि संवत 1937 अर्थात 132 वर्ष पूर्वा "जेनीयों के उपासरे" के नाम से बना । श्री डूँगरगढ़ में रूपालसर बास जो उत्तरी-पश्चिम हिस्सा है वो अब कालू बास के साथ एकाकार हो चुका है | जोशी, व्यास, सारस्वत, सारण, गोदारा, बीका आदि आज इस बास में बस रहे हैं | डेलवां चौक भी इसी का हिस्सा हैं | वर्तमान में मुख्य रूप से कालुबास (उत्तरी-पश्चिमी भाग) मोमासार बास (कीतासर बास सहित दक्षिणो पश्चिमी भाग) आडसर बास (उत्तरी-पूर्वी भाग) तथा बिग्गा बास (दक्षिणी-पूर्वी भाग) प्रसिद्ध हैं | एक समय ऐसा था वित्तीय संसाधनों एवं अन्य सुविधाओं की कमी के कारण श्री डूँगरगढ़ से बाहर आसाम, बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में व्यापार एवं अर्थोपार्जन हेतु जाना एक मजबूरी थी किन्तु अब समय में काफी परिवर्तन आ चुका हैं | जमीनों एवं कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी बढोत्तरी के कारण वित्तीय संसाधनों की प्रचुरता हो गयी हैं तथा नयी पीढी की व्यक्तिगत विचारधाराओं में भी परिवर्तन आ गया है | इसी का परिणाम है कि श्री डूँगरगढ़ की जमीनों की कीमतें कोलकाता से भी कहीं ज्यादा हो चुकी है तथा फ्लेट प्रणाली (आँनरसीप) को लोग अपनाने लगे है | इससे आभास होने लगा है कि अब श्री डूँगरगढ़ विकास के रास्ते पर अग्रसर हो रहा है और हमें किसी रूप से पैतृक क्षेत्र से जुड़े रहने की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है|<ref> सन्दर्भ बीकानेर ज़िला राजस्थान के शहर बीकानेर ज़िले के नगर
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ब्लूज़
ब्लूज़ 19वीं के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका के सुदूर दक्षिण में मूलतः अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के भीतर आध्यात्मिक, श्रमिक गीत, खेत के सामूहिक गीत, नारे और भजन और तुकांत सरल कथात्मक गाथा-गीतों से तैयार संगीत-रचना और संगीत-शैली है। जैज़, रिदम एंड ब्लूज़ तथा रॉक एंड रोल में सर्वत्र ब्लूज़ की विशेषता है विशिष्ट कॉर्ड स्वरक्रम - सबसे आम है ट्वेल्व-बार ब्लूज़ कॉर्ड स्वरक्रम - और ब्लू नोट्स, मेजर स्केल के सुर के साथ, नोट अर्थपूर्ण प्रयोजनों के लिए गाए या फ़्लैट बजाए या क्रमशः मोड़े (माइनर तीसरे से मेजर तीसरे तक) जाते हैं। ब्लूज़ शैली ब्लूज़-संगीत रचना पर आधारित है, लेकिन इसमें विशिष्ट बोल, बेस लाइन और वाद्य-यंत्र जैसी अन्य विशेषताएं शामिल हैं। ब्लूज़ को 20वीं सदी की विविध अवधियों में कमोबेश लोकप्रिय कंट्री (ग्रामीण) से अर्बन (शहरी) ब्लूज़ तक विविध उप-शैलियों में उप-विभाजित किया जा सकता है। सर्वाधिक ख्यात ब्लूज़ शैलियां हैं डेल्टा, पीडमॉन्ट, जंप और शिकागो ब्लूज़. द्वितीय विश्व युद्ध ने अकूस्टिक से इलेक्ट्रिक ब्लूज़ में परिवर्तन और व्यापक श्रोताओं के लिए ब्लूज़ संगीत का प्रगामी प्रारंभ अंकित किया। 1960 और 1970 के दशक में, ब्लूज़ रॉक नामक एक संकर रूप उभरा. शब्द "ब्लूज़" "ब्लूज़ डेविल्स" को निर्दिष्ट करता है, जिसका अर्थ है विषाद और उदासी; इस अर्थ में शब्द का प्रारंभिक उपयोग जार्ज कोलमैन की हास्य एकांकी ब्लू डेविल्स (1798) में पाया गया। हालांकि संभव है अफ़्रीकी-अमेरिकी संगीत में इस वाक्यांश का उपयोग पुराना हो, लेकिन 1912 से इसे सत्यापित किया गया है, जब हार्ट वैंड का "डलास ब्लूज़" प्रथम कॉपीराइट ब्लूज़ संगीत-रचना बनी। गीत में उदास मनोदशा को वर्णित करने के लिए इस वाक्यांश का अक्सर प्रयोग होता है। स्वरूप 20वीं सदी के पहले दशक के दौरान, ब्लूज़ संगीत को स्वरसंघात अनुक्रम (कॉर्ड प्रोग्रेशन) के संदर्भ में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया था। 1900 दशक के प्रारंभ तक, बेसी स्मिथ जैसे पहले ब्लूज़ सितारा गायकों के अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय की वाणिज्यिक सफलता के कारण ट्वेल्व-बार ब्लूज़ मानक बन गया। अन्य स्वरसंघात अनुक्रम, जैसे कि 8-बार स्वरूप को अभी भी ब्लूज़ माना जाता है; उदाहरणों में शामिल हैं "हाऊ लॉन्ग ब्लूज़", "ट्रबल इन माइंड" और बिग बिल ब्रून्ज़ी का "की टू द हाईवे". रे चार्ल्स के वाद्य-संगीत "स्वीट 16 बार्स" और हर्बी हैनकॉक के "वॉटरमेलन मैन" के समान 16-बार ब्लूज़ भी मौजूद हैं। हाउलिन वूल्फ़ द्वारा "सिट्टिंग ऑन टॉप ऑफ़ द वर्ल्ड" के 9-बार स्वरक्रम के समान, बार की व्यक्तिगत विशिष्ट संख्याओं का भी कभी-कभी सामना होता है। ब्लूज़ संगीत-रचना के बुनियादी ट्वेल्व-बार गीत का ढांचा 4/4 टाइम सिग्नेचर में ट्वेल्व बार के मानक हार्मोनिक स्वरक्रम से परिलक्षित होता है। ट्वेल्व-बार ब्लूज़ से संयोजित ब्लूज़ स्वरसंघात आम तौर पर ट्वेल्व-बार स्कीम पर बजाए गए तीन अलग कॉर्ड का सेट होता है। आरोह-अवरोह के सोपान को निर्दिष्ट करते हुए उन पर रोमन अंक के लेबल चिपके होते हैं। उदाहरण के लिए, C की कुंजी पर ब्लूज़ के लिए, C तान-विषयक कॉर्ड है (I) और F है उपप्रभावी (IV)। अंतिम कॉर्ड प्रभावी (V) प्रतिवर्तन है, जो अगले स्वरक्रम की शुरूआत के परिवर्तन को अंकित करता है। गीत आम तौर पर दसवें बार के अंतिम बीट पर या ग्यारहवें बार के पहले बीट पर समाप्त होते हैं और अंतिम दो बार वादक को ब्रेक के रूप में दिए जाते हैं; इस टू-बार ब्रेक की स्वरसंगति, प्रत्यावर्तन बहुत जटिल हो सकता है। और कभी-कभी एकल नोट से युक्त होता है जो कॉर्ड की दृष्टि से विश्लेषण की अवहेलना करते हैं। अनेक मौक़ों पर, इन कॉर्डों में से कुछ या सभी हार्मोनिक सेवेंथ (7वां) फ़ॉर्म में बजाए जाते हैं। हार्मोनिक सेवेंथ के अंतराल का उपयोग ब्लूज़ की विशेषता है और इसे आम तौर पर "ब्लूज़ सेवेन" कहा जाता है। ब्लूज़ सेवेन कॉर्ड बुनियादी नोट के 7:4 अनुपात की फ़्रीक्वेन्सी के साथ हार्मोनिक कॉर्ड में एक नोट जोड़ते हैं। 7:4 अनुपात पर, वह पारंपरिक वेस्टर्न डायाटोनिक स्केल (सप्तक संबंधी पैमाना) पर किसी अंतराल के समीप नहीं है। सुविधा के लिए या आवश्यकतानुसार अक्सर यह माइनर सेवेंथ इंटरवेल या डॉमिनंट सेवेंथ कॉर्ड द्वारा सन्निकट पहुंचता है। ] धुन में, ब्लूज़ को संबद्ध मेजर स्केल के मंद थर्ड, फ़िफ्थ और सेवेंथ के उपयोग द्वारा पहचाना जाता है। इन विशेष नोट्स को ब्लू या बेंट नोट्स कहा जाता है। ये स्केल टोन स्वाभाविक स्केल टोन की जगह ले सकते हैं, या उन्हें स्केल में जोड़ा जा सकता है, जैसा कि माइनर ब्लूज़ स्केल के मामले में होता है, जिसमें फ़्लैट थर्ड नैचुरल थर्ड की जगह लेता है, फ्लैट सेवेंथ नैचुरल सेवेंथ की जगह लेता है और फ्लैट पंचम को नैचुरल फ़ोर्थ और नैचुरल फ़िफ़्थ के बीच में जोड़ा जाता है। जबकि ट्वेल्व-बार हार्मोनिक स्वरक्रम को सदियों से आवर्ती तौर पर उपयोग में लाया गया है, ब्लूज़ का क्रांतिकारी पहलू धुन में ग्रेस नोट्स के उपयोग के समान, फ्लैट थर्ड, फ्लैट सेवेंथ और फ्लैट फ़िफ़्थ को भी बारंबार क्रशिंग - सन्निकट नोट्स को सीधे एक ही समय में बजाना (अर्थात् ह्रासमान सेकंड) - और स्लाइडिंग के साथ उपयोग है। ब्लू नोट्स स्वरक्रम, स्वरानुक्रम के दौरान अभिव्यक्ति के मुख्य क्षण और ब्लूज़ के अलंकरण को अनुमत करते हैं। ब्लूज़ शफ़ल या वॉकिंग बेस आत्मविस्मृति जैसी लय और कॉल-एंड-रेस्पॉन्स बढ़ाता है और ये ग्रूव नामक आवृत्तिमूलक प्रभाव रचते हैं। स्विंग म्यूज़िक में शफ़ल की केंद्रीय भूमिका, अफ़्रीकी-अमेरिकी मूल के समय से ब्लूज़ की विशेषता रही है। सरलतम शफ़ल, जो 1940 दशक के मध्य शुरू होने वाले R&B लहर की स्पष्ट पहचान थे, गिटार के बेस तारों पर थ्री-नोट रिफ़ थे। जब इस रिफ़ को बेस और ड्रम पर बजाया जाता, तो ग्रूव की "अनुभूति" तैयार होती. शफ़ल लय को अक्सर "डाउ, डा डाउ, डा डाउ, डा" या "डंप, डा डंप, डा डंप, डा" के रूप में स्वर दिया जाता, जिसमें असमान या "झूमने वाले" आठ नोट्स होते हैं। गिटार पर इसे सामान्य स्थिर बेस के रूप में बजाया जा सकता है या यह कॉर्ड के पांचवे से छठे और वापसी में यह पायदानवार क्वार्टर नोट जोड़ सकता है। निम्नलिखित गिटार सारणीबद्ध सूची में E में ब्लूज़ स्वरक्रम का प्रथम फ़ोर-बार उपलब्ध कराया गया है: E7 A7 E7 E7 E |----------------|----------------|----------------|----------------| B |----------------|----------------|----------------|----------------| G |----------------|----------------|----------------|----------------| D |----------------|2—2-4—2-5—2-4—2-|----------------|----------------| A |2—2-4-2-5-2-4—2-|0—0-0—0-0—0-0—2-|2—2-4—2-5—2-4—2-|2—2-4—2-5—2-4—2-| E |0—0-0—0-0—0-0—2-|----------------|0—0-0—0-0—0-0—2-|0—0-0—0-0—0-0—2-| गीत पारंपरिक ब्लूज़ गीत के बोलों में संभवतः अक्सर एक पंक्ति को चार बार दोहराया जाता; यह 20वीं सदी के पहले दशक के बाद ही सबसे आम मौजूदा संरचना मानक बनी: तथाकथित AAB पैटर्न, जिसमें शामिल पंक्ति चार फ़र्स्ट बारों पर गाया जाता, उसके दोहराव को अगले चार पर और फिर लंबी समापन पंक्ति को अंतिम बार पर. पहले प्रकाशित दो ब्लूज़ गाने, "डलास ब्लूज़" (1912) और "सेंट लुइस ब्लूज़" की विशेषता थी AAB सरंचना के साथ 12-बार ब्लूज़. W.C. हैंडी ने लिखा कि उन्होंने इस परंपरा को तीन बार पंक्तियों के दोहराने की एकरसता से बचने के लिए अपनाया. अक्सर पंक्तियों को धुन की जगह तालबद्ध बातचीत के समनुरूप पैटर्न का अनुकरण करते हुए गाया जाता. प्रारंभिक ब्लूज़ अक्सर एक मुक्त कथा का रूप लेने लगे। गायक अपने "व्यक्तिगत विषाद को कठोर वास्तविक जगत के सामने प्रस्तुत करते: खोया हुआ प्यार, पुलिस अधिकारियों की क्रूरता, श्वेतों के हाथ उत्पीड़न बार [और] मुश्किल समय" को स्वर देने लगे। गीत अक्सर अफ्रीकी-अमेरिकी समाज के भीतर अनुभूत मुसीबतों से संबंधित हैं। उदाहरण के लिए ब्लाइंड लेमन जेफ़रसन का "राइसिंग हाई वाटर ब्लूज़" (1927) 1927 के महा मिसिसिपी बाढ़ के बारे में बतलाता है: "Backwater rising, Southern peoples can't make no time I said, backwater rising, Southern peoples can't make no time And I can't get no hearing from that Memphis girl of mine." तथापि, ब्लूज़ द्वारा दुःख और उत्पीड़न के साथ जुड़ाव के बावजूद, गीत हास्यमय और भद्दे भी हो सकते हैं: "Rebecca, Rebecca, get your big legs off of me, Rebecca, Rebecca, get your big legs off of me, It may be sending you baby, but it's worrying the hell out of me." एक पारंपरिक ब्लूज़ गीत संकलन, बिग जो टर्नर के "रेबेका" से होकुम ब्लूज़ शैली में विनोदी बोल वाली सामग्री और ऊधमी, हास्यास्पद प्रदर्शन शैली दोनों शामिल थे। ताम्पा रेड का क्लासिक "टाइट लाइक देट" (1928) में श्लेष अर्थ वाले नटखट शब्दों का खिलवाड़ है, जहां कोई अधिक अश्लील शारीरिक अतिपरिचय के साथ जुड़ा है। संगीत की गीतात्मक सामग्री युद्धोत्तर विषाद के बाद कुछ हल्की हो गई, जिसने लगभग विशेष रूप से रिश्तों की समस्याओं या यौन चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया। कई गीतात्मक विषय जो अक्सर युद्ध-पूर्व अवधि के ब्लूज़ में प्रकट हुए, जैसे कि इकोनॉमिक डिप्रेशन, फ़ार्मिंग, डेविल्स, गैम्बलिंग, मैजिक, फ़्ल्ड्स और ड्राइ पीरियड्स युद्धोतर ब्लूज़ में सामान्यतः कम थे। लेखक एड मॉरेल्स का दावा है कि योरूबा पौराणिक कथाओं ने प्रारंभिक ब्लूज़ में भूमिका अदा की और वे रॉबर्ट जॉनसन के "क्रॉस रोड ब्लूज़" का "चौराहे के प्रभारी ओरिशा, एलेगुआ का महीन ढके संदर्भ" के रूप में उद्धरण देते हैं। तथापि, ईसाई प्रभाव बहुत अधिक स्पष्ट था। चार्ले पैटन या स्किप जेम्स जैसे कई मौलिक ब्लूज़ कलाकारों के संग्रह में अनेक धार्मिक या आध्यात्मिक गीत हैं। श्रद्धेय गैरी डेविस और ब्लाइंड विली जॉनसन ऐसे कलाकारों के उदाहरण हैं जिनका संगीत अक्सर ब्लूज़ संगीतकारों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, हालांकि उनके गीत स्पष्ट रूप से आध्यात्मिक हैं। इतिहास उत्पत्ति ब्लूज़ शीट संगीत का सर्वप्रथम प्रकाशन 1912 में हार्ट वैंड का "डलास ब्लूज़" था; W. C. हैंडी का "मेम्फ़िस ब्लूज़" उसी वर्ष उसके पीछे आया। अफ्रीकी अमेरिकी गायक की पहली रिकॉर्डिंग मैमी स्मिथ द्वारा 1920 में पेरी ब्रैडफोर्ड के "क्रेज़ी ब्लूज़" का गायन था। लेकिन ब्लूज़ का मूल इससे पहले के कुछ दशकों का है, संभवतः 1890 के आस-पास. इन्हें अच्छी तरह प्रलेखित नहीं किया गया हैं, जिसका अंशतः कारण शैक्षिक हलकों के साथ, अमेरिकी समाज में नस्लीय भेदभाव, और उस समय के ग्रामीण अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय में साक्षरता दर का कमी है। 20वीं सदी की शुरूआत में इतिहासकारों ने दक्षिण टेक्सास और सुदूर दक्षिण में ब्लूज़ संगीत के बारे में रिपोर्ट करना प्रारंभ किया। विशेष रूप से, चार्ल्स पीबॉडी ने क्लार्क्सडेल, मिसिसिपी में ब्लूज़ संगीत की मौजूदगी का उल्लेख किया और गेट थॉमस ने 1901-1902 के आस-पास दक्षिण टेक्सास में इसी तरह के गीतों की सूचना दी। ये प्रेक्षण लगभग जेली रोल मॉर्टन की याद्दाश्त से मेल खाते हैं, जिन्होंने घोषित किया कि पहली बार 1902 में न्यू ऑर्लियन्स में उन्होंने ब्लूज़ को सुना; मा रेनी, जिन्होने उसी वर्ष मिसौरी में अपने पहले ब्लूज़ अनुभव के बारे में याद किया और W.C. हैंडी ने पहले-पहल 1903 में टटवाइलर, मिसिसिपी में ब्लूज़ को सुना. इस क्षेत्र में पहली बार व्यापक अनुसंधान हावर्ड डब्ल्यू ओडम ने किया, जिन्होंने 1905 और 1908 के बीच लफ़ाएट, मिसिसिपी और न्यूटन, जार्जिया के काउंटियों में लोकगीतों के विशाल संकलन को प्रकाशित किया। ब्लूज़ संगीत के पहले गैर-वाणिज्यिक रिकॉर्डिंग, जिसे पॉल ऑलिवर द्वारा "प्रोटो-ब्लूज़" कहा गया, अनुसंधान प्रयोजनों के लिए 20वीं सदी की शुरूआत में ओडम द्वारा तैयार किए गए। अब वे पूरी तरह गुम हो गए हैं। अन्य रिकॉर्डिंग जो अभी भी उपलब्ध हैं लॉरेंस जेलार्ट द्वारा 1924 में तैयार किए गए थे। बाद में, रॉबर्ट डब्ल्यू गॉर्डन द्वारा कई रिकॉर्डिंग किए गए, जो बाद में लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस के अमेरिकी लोकगीतों के पुरालेख के अध्यक्ष बने। लाइब्रेरी में गॉर्डन के उत्तराधिकारी थे जॉन लोमैक्स. 1930 के दशक में, अपने बेटे एलन के साथ, लोमैक्स ने असंख्य ग़ैर-वाणिज्यिक रिकॉर्डिंग किए जो खेत में गाए जाने वाले सामूहिक गीत और अखाड़े में चिल्लाने जैसे विविध प्रोटो-ब्लू शैलियों की विशाल मौजूदगी की गवाही देते हैं। 1920 दशक से पहले ब्लूज़ संगीत जिस तरह मौजूद था वह लीड बेली या हेनरी थॉमस जैसे कलाकारों की रिकॉर्डिंग में दिया गया है, जिन दोनों ने पुराने ब्लूज़ म्यूज़िक को प्रदर्शित किया। ये सभी स्रोत बारह-, आठ- या सोलह-बार से कई अलग संरचनाओं की मौजूदगी दर्शाते हैं। ब्लूज़ के प्रकट होने के सामाजिक या आर्थिक कारण पूरी तरह ज्ञात नहीं हैं। ब्लूज़ की पहली उपस्थिति को अक्सर 1863 के मुक्ति अधिनियम के साथ जोड़ा जाता है, 1870 और 1900 के बीच, एक ऐसी अवधि जो मुक्ति के साथ मेल खाती है और बाद में, जूक अड्डों का ऐसी जगह के रूप में विकास जहां अश्वेत लोग दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद संगीत सुनने, नृत्य करने, या जुआ खेलने जाते हैं। यह अवधि ग़ुलामी से साझा-फसल, छोटे पैमाने पर कृषि उत्पादन और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में रेलमार्गों के विस्तृत परिवर्तन से मेल खाती है। कई विद्वान 1900 दशक के प्रारंभिक ब्लूज़ संगीत के विकास को सामूहिक प्रदर्शनों से एक और व्यक्तिगत शैली की ओर परिवर्तन के रूप में देखते हैं। उनका तर्क है कि ब्लूज़ की प्रगति ग़ुलाम लोगों की नई अधिग्रहीत स्वतंत्रता के साथ जुड़ी हुई है। लॉरेंस लेविन के अनुसार, "व्यक्ति पर राष्ट्रीय वैचारिक ज़ोर, बुकर टी. वॉशिंगटन की शिक्षाओं का प्रभाव और ब्लूज़ के उद्गम के बीच प्रत्यक्ष संबंध था।" लेविन का कथन है कि "मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से, अफ्रीकी-अमेरिकियों का परसंस्कृतीकरण किया जा रहा था जो ग़ुलामी के दौरान नामुमकिन था और यह शायद ही आश्चर्य की बात है कि उनके धार्मिक संगीत जितना ही, धर्मनिरपेक्ष संगीत में यह परिलक्षित होता था।" सभी ब्लूज़ संगीत में कुछ आम विशेषताएं मौजूद हैं, क्योंकि शैली ने व्यक्तिगत प्रदर्शन की विशेषताओं से आकार ग्रहण किया। तथापि, आधुनिक ब्लूज़ के निर्माण से बहुत पहले ही ऐसे कुछ लक्षण मौजूद थे। कॉल-एंड-रेसपॉन्स शाउट्स ब्लूज़ संगीत के प्रारंभिक स्वरूप थे; "वे कार्यात्मक अभिव्यक्ति थे।.. शैली जो बिना संगत या स्वरसंगति और किसी विशेष संगीत संरचना की औपचारिकता से संबद्ध थी।" इस पूर्व-ब्लूज़ का स्वरूप ग़ुलामों के अखाड़ों की चीखें और खेतों के सामूहिक गान में सुनी जा सकती है जो "भावनात्मक सामग्री से युक्त सरल एकल गानों" में विस्तृत हुआ। ब्लूज़ पश्चिमी अफ़्रीका (मुख्यतः वर्तमान माली, सेनेगल, गाम्बिया और घाना) और ग्रामीण अश्वेतों से आयातीत ग़ुलामों के संगत रहित मौखिक संगीत और मौखिक परंपराओं से, संयुक्त राज्य अमेरिका के आर-पार क्षेत्रीय विविधता सहित, व्यापक शैलियों और उपशैलियों में विकसित हुआ। हालांकि ब्लूज़ को, जिस तरह अब प्रचलित है, दोनों यूरोपीय सुसंगत संरचना और अफ़्रीकी कॉल-एंड-रेस्पॉन्स परंपरा पर आधारित संगीत शैली, जो स्वर और गिटार के अन्योन्य क्रिया में परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है, ब्लूज़ का स्वरूप खुद पश्चिम अफ्रीकी ग्राइओट मधुर शैलियों और कमज़ोर तथा सारहीन प्रभावों से किसी तरह मेल नहीं खाता. विशेष रूप से, किसी विशेष अफ्रीकी संगीत स्वरूप को ब्लूज़ के एकमात्र प्रत्यक्ष मूल के रूप में पहचाना नहीं जा सकता है। तथापि कई ब्लूज़ तत्वों को, जैसे कि कॉल-एंड-रेसपॉन्स स्वरूप और ब्लू नोट्स का उपयोग, अफ्रीका के संगीत के साथ वापस जोड़ा जा सकता है। ब्लू नोट्स के ब्लूज़ में उपयोग के पहले घटित होने और उसके अफ़्रीकी मूल को अंग्रेज़ संगीतकार सैम्युअल कॉलरिज-टेलर की 1898 की संगीत रचना द अफ़्रीकन सूट फ़ॉर पियानो से "ए निग्रो लव सॉन्ग" द्वारा सत्यापित किया गया, जिसमें ब्लू थर्ड और सेवेंथ नोट्स शामिल हैं। डिडले बो (एक घर पर तैयार एक तारवाला वाद्य-यंत्र जो बीसवीं सदी की शुरूआत में दक्षिण अमेरिका में पाया गया) और बैंजो अफ्रीकी-व्युत्पन्न वाद्य-यंत्र हैं जिन्होंने प्रारंभिक ब्लूज़ वाद्य-संगीत शब्दावली में अफ़्रीकी प्रदर्शन तकनीकों को अंतरित करने में मदद की हो। बैंजो सीधे पश्चिम अफ्रीकी संगीत से आयातीत प्रतीत होता है। यह उस संगीत वाद्य-यंत्र के समान है, जिसे ग्राइओट बजाते हैं (यह वोलोफ़, फ्यूला और मदिंका जैसे अफ़्रीकी लोगों द्वारा हालम या एकोंटिंग कहलाता है)। तथापि, 1920 दशक में, जब कंट्री ब्लूज़ को रिकॉर्ड किया जाने लगा था, ब्लूज़ संगीत में बैंजो का उपयोग न्यूनतम था और पापा चार्ली जैकसन और बाद में गुस कैनन जैसे व्यक्तियों तक ही सीमित था। ब्लूज़ संगीत ने वाद्य और हार्मोनिक संगत सहित, "इथियोपियाई लय", भाट प्रदर्शनों और हब्शियों के आध्यात्मिक गीतों से भी तत्वों को अपनाया है। शैली का रैगटाइम से भी निकट का रिश्ता है, जो लगभग उसी समय विकसित हुआ, हालांकि ब्लूज़ में "अफ़्रीकी संगीत का मूल मधुर पैटर्न" बेहतर रूप से संरक्षित है। संगीत रूप और शैलियां जिन्हें अब "ब्लूज़" माना जाता है और साथ ही "कंट्री म्यूज़िक" दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में उन्नीसवीं सदी के दौरान एकसमान क्षेत्रों से उत्पन्न हुए. रिकॉर्ड किया गया ब्लूज़ और कंट्री 1920 के दशक से उपलब्ध है, जब लोकप्रिय रिकॉर्ड उद्योग ने क्रमशः अश्वोतों के लिए अश्वेतों द्वारा और श्वेतों के लिए श्वेतों द्वारा संगीत की बिक्री के लिए "रेस म्यूज़िक" और "हिलबिली म्यूज़िक" नामक विपणन वर्ग विकसित और तैयार किया। उस समय, प्रदर्शन करने वाले कलाकार की जातीयता के अलावा, "ब्लूज़" और "कंट्री" के बीच कोई स्पष्ट संगीत विभाजन नहीं था, यहां तक कि कभी-कभी रिकॉर्ड कंपनी द्वारा जातीयता भी ग़लत प्रलेखित होते थे। हालांकि संगीत-शास्त्रज्ञ अब पश्चिम अफ्रीका में उद्भवित माने जाने वाले कुछ कॉर्ड संरचनाओं और गीत कौशल के आधार पर सूक्ष्म रूप से "ब्लूज़" को परिभाषित करते हों, पर मूलतः श्रोताओं ने संगीत को अधिक सामान्य तरीके से सुना: यह बस ग्रामीण दक्षिण का संगीत था, विशेष रूप से मिसिसिपी डेल्टा का. अश्वेत और श्वेत संगीतकारों ने एकसमान रंगपटल को साझा किया और ख़ुद को "ब्लूज़ संगीतकार" के बजाय "गायक" माना. एक अलग शैली के रूप में ब्लूज़ की धारणा 1920 के दशक में अश्वेतों के ग्रामीण इलाकों से शहरी क्षेत्रों में प्रवास और साथ ही रिकॉर्डिंग उद्योग के विकास के दौरान उभरी. "ब्लूज़" अश्वेत श्रोताओं को बिक्री हेतु परिकल्पित रिकॉर्ड के लिए एक कोड शब्द बन गया। ब्लूज़ के मूल का अफ्रीकी-अमेरिकी आध्यात्मिक समुदाय के धार्मिक संगीत से नज़दीकी रिश्ता है। आध्यात्मिकों का मूल, ब्लूज़ से भी बहुत पीछे का, आम तौर पर 18वीं शताब्दी के मध्य में जाता है, जब ग़ुलाम ईसाई थे और ईसाई भजन गाने और बजाने लगे थे, विशेषकर ईसाक वाट्स के, जो बहुत ही लोकप्रिय थे। ब्लूज़ द्वारा कॉर्ड स्वरक्रम के मामले में अपनी औपचारिक परिभाषा हासिल करने से पूर्व, उसे आध्यात्मिको के धर्मनिरपेक्ष समकक्ष के रूप में परिभाषित किया गया था। यह ग्रामीण अश्वेतों द्वारा बजाया जाने वाला निम्न संगीत था। संगीतकार जिस धार्मिक समुदाय से जुड़ा था उसके आधार पर, इस निम्न संगीत को बजाना कमोबेश पाप माना जाता था: ब्लूज़ शैतान का संगीत था। अतः संगीतकार दो वर्गों में बांटे गए: सुसमाचार और ब्लूज़ गायक, गिटार प्रचारक और गायक. बहरहाल, 1920 के दशक में जब अश्वेत संगीत की रिकॉर्डिंग शुरू हुई, दोनों वर्गों के संगीतकारों ने एकसमान तकनीकों का इस्तेमाल किया: कॉल-एंड-रेस्पॉन्स पैटर्न, ब्लू नोट्स और स्लाइड गिटार. सुसमाचार संगीत फिर भी ईसाई भजनों के साथ संगत संगीत स्वरूपों का इस्तेमाल कर रहा था और इसलिए अपने धर्मनिरपेक्ष समकक्ष की तुलना में ब्लूज़ द्वारा कम अंकित था। युद्ध-पूर्व ब्लूज़ अमेरिकी शीट संगीत प्रकाशन उद्योग ने बहुत अधिक रैगटाइम संगीत तैयार किया। 1912 तक, शीट संगीत उद्योग ने तीन लोकप्रिय ब्लूज़-जैसी संगीत रचनाओं को प्रकाशित किया था, जो टिन पैन एले का ब्लूज़ तत्वों के अवक्षिप्त अनुकरण था: "बेबी" एफ़. सील्स द्वारा "बेबी सील्स' ब्लूज़" (आर्टी मैथ्यूस द्वारा वाद्यवृंदकरण), हार्ट वैंड द्वारा "डलास ब्लूज़" और डब्ल्यू.सी. हैंडी द्वारा "द मेम्फ़िस ब्लूज़". हैंडी औपचारिक रूप से प्रशिक्षित एक कलाकार, संगीतकार और वाद्य-वृंद व्यवस्थापक थे, जिन्होंने बैंड और गायकों के साथ, लगभग सिम्फ़ोनिक शैली में ब्लूज़ को अन्य वाद्य के लिए तैयार तथा वाद्य-वृंदीय व्यवस्था करते हुए लोकप्रिय बनाने में मदद की। वे एक लोकप्रिय और सर्जक संगीतकार बने और ख़ुद को "फ़ॉदर ऑफ़ ब्लूज़" के रूप में घोषित किया; तथापि, उनकी रचनाओं को ब्लूज़ का रैगटाइम और जैज़ के साथ फ़्यूशन के रूप में परिभाषित किया गया है, एक विलय जो क्यूबाई हाबानेरा रिदम के उपयोग से अनुकूलित किया गया है जो कि लंबे समय से रैगटाइम का हिस्सा रहा है; हैंडी की पहचान रचना "सेंट लुइस ब्लूज़" रही है। 1920 के दशक में, हैंडी की वाद्य-वृंद रचनाओं और क्लासिक महिला ब्लूज़ कलाकारों के माध्यम से श्वेत दर्शकों तक पहुंचते हुए, ब्लूज़ अफ्रीकी-अमेरिकी और अमेरिका के लोकप्रिय संगीत का एक प्रमुख तत्व बन गया। ब्लूज़ बारों में अनौपचारिक प्रदर्शनों से विकसित होकर थिएटर में मनोरंजन करने लगा। थिएटर ओनर्स बुकर्स एसोसिएशन द्वारा ब्लूज़ प्रदर्शन का आयोजन कॉटन क्लब जैसे नाइट क्लब और मेम्फ़िस के बिएल स्ट्रीट के पास स्थित बार जैसे जूक के अड्डों पर किया जाने लगा। अमेरिकन रिकॉर्ड कॉर्पोरेशन, ओकेह रिकॉर्ड्स और पैरामाउंट रिकॉर्ड्स जैसी कई रिकॉर्ड कंपनियां अफ़्रीकी अमेरिकी संगीत को रिकॉर्ड करने लगी। जैसे-जैसे रिकॉर्डिंग उद्योग बढ़ा, बो कार्टर, जिमी रॉड्जर्स (कंट्री गायक), ब्लाइंड लेमन जेफ़रसन, लोनी जॉनसन, टंपा रेड और ब्लाइंड ब्लेक जैसे कंट्री ब्लू कलाकार अफ़्रीकी-अमेरिकी समुदाय में बहुत लोकप्रिय हुए. केंटुकी में जन्मे सिलवेस्टर वीवर 1923 में पहले ऐसे कलाकार थे जिन्होंने स्लाइड गिटार शैली में रिकॉर्ड करवाया, जिसमें गिटार पर एक चाकू की धार या बोतल की टूटी गर्दन चलाई जाती है। स्लाइड गिटार डेल्टा ब्लूज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। 1920 दशक के प्रथम ब्लूज़ रिकॉर्डिंग को पारंपरिक, ग्रामीण कंट्री ब्लूज़ और अधिक परिष्कृत 'सिटी' या अर्बन ब्लूज़ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कंट्री ब्लूज़ कलाकार अक्सर बिना संगत के या केवल एक बैंजो या गिटार के साथ संशोधन करते. 20वीं सदी में कंट्री ब्लूज़ की क्षेत्रीय शैलियों में व्यापक विविधता थी। (मिसिसिपी) डेल्टा ब्लूज़ स्लाइड गिटार की संगत में भावुक गायकी की मूल विरल शैली थी। कम रिकॉर्ड किए गए रॉबर्ट जॉनसन में शहरी और ग्रामीण ब्लूज़ के संयुक्त तत्व मौजूद थे। रॉबर्ट जॉनसन के अलावा, इस शैली के प्रभावशाली कलाकारों में शामिल हैं उनके पूर्ववर्ती चार्ली पैटन और सन हाउस. ब्लाइंड विली मॅक टेल और ब्लाइंड बॉय फ़ुलर जैसे गायकों ने दक्षिणपूर्वी " नाज़ुक और गीतात्मक" पाइडमॉन्ट ब्लूज़ परंपरा में प्रदर्शन दिया, जिसमें विस्तृत रैगटाइम-आधारित उंगली-चालन गिटार तकनीक का इस्तेमाल होता था। जॉर्जिया में भी परंपरा प्रारंभिक स्लाइड रही, जिस शैली के प्रतिनिधि थे कर्ली वीवर, टंपा रेड, "बारबेक्यु बॉब" हिक्स और जेम्स "कोकोमो" अर्नोल्ड. जीवंत मेम्फ़िस ब्लूज़ शैली, जो मेम्फ़िस, टेनेसी के निकट 1920 और 1930 के दशक में विकसित हुई, मेम्फिस जग बैंड या गुस कैनन के जग स्टॉम्पर्स जैसे जग बैंडों द्वारा प्रभावित हुई। फ़्रैंक स्टोक्स, स्लीपी जॉन एस्टेस, रॉबर्ट विल्किन्स, जो मॅककॉय, केसी बिल वेल्डन और मिम्फ़िस मिनी जैसे कलाकारों ने वाशबोर्ड, फ़िडल, काज़ू या मैंडोलिन जैसे असामान्य वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया। मेम्फिस मिनी अपने कलाप्रवीण गिटार शैली के लिए लोकप्रिय थी। पियानोवादक मेम्फ़िस स्लिम ने अपने कॅरिअर की शुरूआत मेम्फ़िस से की, लेकिन उनकी विशिष्ट शैली मधुर और कुछ झूमने वाले तत्वों से युक्त थी। मेम्फ़िस में अवस्थित कई ब्लूज़ कलाकार 1930 दशक के उत्तरार्ध और 1940 दशक के प्रारंभ में शिकागो चले गए और शहरी ब्लूज़ आंदोलन का हिस्सा बन गए, जिसने कंट्री म्यूज़िक और इलेक्ट्रिक ब्लूज़ का मिश्रण किया। सिटी या शहरी शैलियां अधिक कूटबद्ध और विस्तृत थी जहां कलाकार अपने स्थानीय, निकटस्थ समुदाय के अंतर्गत नहीं था और उसे विशाल और विविध दर्शकों की अभिरुचियों के अनुकूल ढलना पड़ता. क्लासिक महिला शहरी और वाडेविल ब्लूज़ गायिकाएं 1920 के दशक में अधिक लोकप्रिय थे जिनमें शामिल हैं मैमी स्मिथ, गरट्रूड "मा" रेनी, बेसी स्मिथ और विक्टोरिया स्पाइवे. मैमी स्मिथ, जोकि ब्लूज़ कलाकार की तुलना में अधिक वाडेविल कलाकार थीं, 1920 में ब्लूज़ रिकॉर्ड करने वाली पहली अफ़्रीकी-अमेरिकी थीं; उनका दूसरा रिकॉर्ड, "क्रेज़ी ब्लूज़" की पहले ही महीने में 75,000 प्रतियां बिकीं. "मदर ऑफ़ ब्लूज़" मा रेनी और बेसी स्मिथ प्रत्येक ने "संभवतः कमरे के पीछे की ओर बहुत आसानी से अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए, केंद्रीय टोन के आस-पास [गाया]." स्मिथ "... एक असामान्य की पर गाना गाती और अपने ख़ुद के प्रदर्शन को समायोजित करने के लिए, मुरकियों में और नोट्स को खींचने में उनकी कलात्मकता अतिसुंदर, ज़ोरदार नियंत्रण सहित नायाब थी।" शहरी पुरुष कलाकारों में शामिल थे टंपा रेड, बिग बिल ब्रून्ज़ी और लेरॉय कैर जैसे युगीन लोकप्रिय अश्वेत कलाकार. द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, टंपा रेड को कभी-कभी "गिटार का जादूगर" के रूप में संदर्भित किया जाता था। कैर ख़ुद पियानो बजाते और स्क्रैपर ब्लैकवेल गिटार पर संगत देते, एक प्रारूप जो 50 के दशक तक चार्ल्स ब्राउन और नैट "किंग" कोल के साथ भी जारी रहा। बूगी वूगी 1930 और प्रारंभिक 1940 के दशक की एक और शहरी ब्लूज़ की महत्वपूर्ण शैली थी। जबकि शैली को अक्सर एकल पियानो के साथ जोड़ा जाता है, बूगी वूगी बैंड और छोटे कॉम्बो में, गायकों के साथ, एकल भाग के रूप में साथ इस्तेमाल किया जाता. बूगी वूगी शैली की विशेषताओं में नियमित बेस फ़िगर, एक ऑस्टिनैटो या रिफ़ और बायें हाथ के स्तरों में बदलाव, प्रत्येक कॉर्ड और स्वरकंपन को विस्तृत करते हुए और दायें हाथ में सजावट शामिल होती. बूगी-वूगी का शिकागो अवस्थित जिमी यानसे और बूगी-वूगी तिकड़ी (अलबर्ट एमन्स, पीट जॉनसन और मीडे लक्स ल्युइस) ने मार्ग प्रशस्त किया। शिकागो बूगी-वूगी कलाकारों में शामिल थे क्लैरेन्स "पाइन टॉप" स्मिथ और अर्ल हाइन्स, जिन्होंने "दाएं हाथ में आर्मस्ट्रॉन्ग ट्रम्पेट के समान मधुर कल्पनाओं सहित रैगटाइम पियानिस्टों के बाएं हाथ के प्रेरणादायक ताल को जोड़ा". प्रोफेसर लॉन्गहेयर की मधुर लुइसियाना शैली और हाल ही की, डॉ॰ जॉन क्लासिक रिदम और ब्लूज़ को ब्लूज़ शैलियों से मिश्रित करते हैं। इस अवधि में एक और विकास था बिग बैंड ब्लूज़. कान्सास सिटी से संचालित होने वाले "टेरिटोरी बैंड", बेन्नी मोटेन ऑर्केस्ट्रा, जे मॅकशैन और काउंट बेसी ऑर्केस्ट्रा 12-बार ब्लूज़ वाद्य-यंत्रों के साथ, ब्लूज़ पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे जैसे कि बैसी का "वन ओ'क्लॉक जंप" और "जंपिंग एट द वुडसाइड" तथा "गोइंग टु शिकागो" और "सेंट फ़ॉर यू यस्टरडे" जैसे गानों पर जिमी रशिंग का ऊधमी "ब्लूज़ शाउटिंग". एक प्रसिद्ध बिग बैंड ब्लूज़ धुन है ग्लेन मिलर का "इन द मूड". 1940 के दशक में, जंप ब्लूज़ शैली विकसित हुई। जंप ब्लूज़ बूगी-वूगी लहर से पनपी और बिग बैंड म्यूज़िक को दृढ़ता से प्रभावित किया। वह भावुक आवाज़ के साथ भड़कदार, अप-टेम्पो ध्वनि रचने के लिए रिदम खंड में सैक्सोफ़ोन या पीतल के वाद्य-यंत्र और गिटार का इस्तेमाल करता है। कान्सास सिटी, मिसौरी में बसे लूइस जॉर्डन और बिग जो टर्नर द्वारा जंप ब्लूज़ धुनों ने रॉक एंड रोल तथा रिदम एंड ब्लूज़ जैसी बाद की शैलियों के विकास को प्रभावित किया। डलास में जन्मे टी-बोन वाकर ने, जिन्हें अक्सर कैलीफ़ोर्निया ब्लूज़ शैली से जोड़ा जाता है, लोनी जॉनसन और लेरॉय कैर के अनुसार प्रारंभिक शहरी ब्लूज़ से जंप ब्लूज़ शैली में सफल परिवर्तन प्रदर्शित किया और 1940 के दशक में लॉस एंजिल्स में ब्लूज़-जैज़ दृश्य पर सिक्का जमाया. 1950 का दशक कंट्री से अर्बन ब्लूज़ में परिवर्तन जो 1920 के दशक में शुरू हुआ था, हमेशा आर्थिक संकट और गरम बाज़ारी की क्रमिक तरंगों से संचालित हुआ और महा प्रवासन, ग्रामीण अश्वेतों का शहरी क्षेत्रों में जाने से जुड़ा. द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप दीर्घकालीन गरम बाज़ारी ने द्वितीय महा प्रवासन, विशाल अफ्रीकी अमेरिकी आबादी को प्रवास के लिए प्रेरित किया, जिससे शहरी अश्वेतों की वास्तविक आय में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई। नए प्रवासियों ने संगीत उद्योग के लिए एक नए बाज़ार का गठन किया। रेस रिकार्ड नाम गायब हो गया और रिदम एंड ब्लूज़ ने उसकी जगह ली। यह तेजी से विकसित होता बाज़ार बिलबोर्ड रिदम एंड ब्लूज़ चार्ट में प्रतिबिंबित हुआ। इस विपणन रणनीति ने शहरी ब्लूज़ म्यूज़िक के अंदर रुझान को संबलित किया, जैसे कि वाद्य-यंत्रों का प्रगामी विद्युतीकरण, उनका एम्प्लिफ़िकेशन और ब्लूज़ बीट, ब्लूज़ शफल का साधारणीकरण जो R&B में सार्वत्रिक बन गए। इस वाणिज्यिक धारा ने जैज़ और सुसमाचार संगीत सहित ब्लूज़ संगीत को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित किया और R&B लहर का घटक बन गया। 1950 के दशक में, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शिकागो, मेम्फ़िस, डेट्रॉइट और सेंट लुईस जैसे शहरों में इलेक्ट्रिक ब्लूज़ संगीत लोकप्रिय हो गया। इलेक्ट्रिक ब्लूज़ ने इलेक्ट्रिक गिटार, डबल बेस (धीरे-धीरे बेस गिटार ने उसकी जगह ली), ड्रम्स और माइक्रोफ़ोन के ज़रिए बजाया गया हार्मोनिका और एक PA सिस्टम या गिटार एम्प्लिफ़ायर का इस्तेमाल किया। 1948 के बाद से शिकागो इलेक्ट्रिक ब्लूज़ का केंद्र बन गया, जब मड्डी वाटर्स ने अपना पहला सफल "आई कान्ट बी सैटिस्फाइड" रिकॉर्ड करवाया. शिकागो ब्लूज़ शैली ज़्यादा हद तक मिसिसिपी ब्लूज़ से प्रभावित है, क्योंकि अनेक कलाकार मिसिसिपी क्षेत्र से स्थानांतरित हुए थे। हाउलिंग वुल्फ, मड्डी वाटर्स, विली डिक्सन और जिमी रीड मिसिसिपी में पैदा हुए थे और सभी महान प्रवासन के दौरान शिकागो स्थानांतरित हुए थे। उनकी शैली की विशेषता है इलेक्ट्रिक गिटार, कभी-कभी स्लाइड गिटार, हार्मोनिका और बेस तथा ड्रम का रिदम खंड. जे. टी. ब्राउन, जिन्होंने एल्मोर जेम्स, या जे.बी. लेनोइर के बैंड बजाए थे, ने भी सैक्सोफ़ोन का उपयोग किया, लेकिन ये एकल वाद्य-यंत्र के रूप में नहीं, बल्कि "समर्थन" या तालबद्ध सहायता के रूप में ज़्यादा इस्तेमाल हुए. लिटल वाल्टर और सनी बॉय विलियमसन (राइस मिलर) प्रारंभिक शिकागो ब्लूज़ परिदृश्य के विख्यात हार्मोनिका (जिसे ब्लूज़ कलाकार "हार्प" कहते थे) वादक हैं। बिग वाल्टर होर्टन जैसे अन्य हार्प वादक भी प्रभावशाली थे। मड्डी वाटर्स और एल्मोर जेम्स अपने स्लाइड इलेक्ट्रिक गिटार के अभिनव प्रयोग के लिए जाने जाते थे। हाउलिंग वुल्फ़ और मड्डी वॉटर अपने गहरी, "पथरीली" आवाज़ के लिए जाने जाते थे। बेसवादक और संगीतकार विली डिक्सन ने शिकागो ब्लूज़ परिदृश्य में प्रमुख भूमिका निभाई. उन्होंने इस अवधि के कई मानक ब्लूज़ गीतों को लिखा और संगीतबद्ध किया, जैसे कि "हूची कूची मैन", "आई जस्ट वान्ट टू मेक लव टू यू" (दोनों मड्डी वाटर्स द्वारा रचित) और "वैंग डैंग डूडल" तथा हाउलिंग वूल्फ़ के लिए "बैक डोर मैन". शिकागो ब्लूज़ शैली के अधिकांश कलाकारों ने शिकागो में स्थित चेस रिकॉर्ड्स और चेकर रिकॉर्ड्स लेबलों के लिए रिकॉर्ड किया। इस युग के छोटे ब्लूज़ लेबलों में शामिल हैं वी-जे रिकॉर्ड्स और जे.ओ.बी. रिकॉर्ड्स. 1950 दशक के प्रारंभ में, हावी शिकागो लेबल को मेम्फिस के सैम फ़िलिप्स सन रिकॉर्ड्स कंपनी ने चुनौती दी, जिसने बी.बी. किंग और 1960 में शिकागो आने से पहले हाउलिंग वुल्फ़ की रिकॉर्डिंग की। 1954 में फ़िलिप्स द्वारा एल्विस प्रेस्ली की खोज के बाद, सन लेबल ने तेजी से विस्तृत हो रहे श्वेत श्रोताओं की ओर ध्यान बदला और ज़्यादातर रॉक एंड रोल की रिकॉर्डिंग शुरू की। 1950 के दशक में, ब्लूज़ का अमेरिकी लोकप्रिय संगीत की मुख्यधारा पर काफ़ी प्रभाव था। हालांकि चेस के लिए रिकॉर्डिंग करने वाले दोनों लोकप्रिय संगीतकार बो डिडले और चक बेरी शिकागो ब्लूज़ से प्रभावित थे, उनकी उत्साही वादन शैलियां ब्लूज़ के विषादात्मक पहलुओं से हट कर थी। शिकागो ब्लूज़ ने लुइसियाना ज़ाइडेको संगीत को भी प्रभावित किया, जहां क्लिफ़्टन चेनियर ब्लूज़ स्वराघात का उपयोग कर रहे थे। ज़ाइडेको संगीतकारों ने ब्लूज़ मानकों के इलेक्ट्रिक सोलो गिटार और काजुन वाद्य-वृंद व्यवस्था का इस्तेमाल किया। 1950 दशक के उत्तरार्ध में, मैजिक सैम, बड्डी गइ और ओटिस रश द्वारा कोबरा रिकॉर्ड्स पर मार्ग प्रशस्त शिकागो वेस्ट साइड पर नई ब्लूज़ शैली उभरी. 'वेस्ट साइड साउंड' में रिदम गिटार, बेस गिटार और ड्रम्स से ज़ोरदार रिदमिक समर्थन था तथा गइ, फ्रेडी किंग, मैजिक स्लिम और लूथर एलिसन द्वारा परिष्कृत रूप से एम्प्लिफ़ाइड इलेक्ट्रिक लीड गिटार हावी था। जॉन ली हुकर जैसे अन्य ब्लूज़ कलाकारों का प्रत्यक्ष प्रभाव था, जो शिकागो शैली से संबंधित नहीं थे। जॉन ली हुकर का ब्लूज़ अधिक "व्यक्तिगत" है, जो एकल इलेक्ट्रिक गिटार के साथ हुकर की गहरी मोटी आवाज़ पर आधारित है। हालांकि बूगी-वूगी द्वारा सीधे प्रभावित नहीं, उनकी "ग्रूवी" शैली को कभी-कभी "गिटार बूगी" कहा जाता है। उनकी पहली हिट "बूगी चिलेन", 1949 में R&B चार्ट पर #1 पर पहुंची. 1950 दशक के अंत में, बेटन रोग के पास स्वैम्प ब्लूज़ शैली विकसित हुई जिसमें शामिल कलाकार हैं लाइटिंग स्लिम, स्लिम हार्पो, सैम मायर्स और जेरी मॅककेन, जो निर्माता जे.डी."जे" मिलर और एक्सेलो लेबल से जुड़े थे। जिमी रीड से अत्यधिक प्रभावित, स्वैम्प ब्लूज़ की गति धीमी है और लिटल वाल्टर या मड्डी वाटर्स जैसे शिकागो ब्लूज़ शैली के कलाकारों की तुलना में हार्मोनिका का सरल उपयोग है। इस शैली के गीतों में शामिल हैं "स्क्रैच माइ बैक", "शी ईज़ टफ़" और "आई एम ए किंग बी." 1960 और 1970 का दशक 1960 दशक के आरंभ तक, रॉक एंड रोल और सोल जैसे अफ़्रीकी अमेरिकी संगीत से प्रभावित शैलियां लोकप्रिय संगीत की मुख्यधारा का अंग बन चुकी थी। श्वेत कलाकारों ने अफ़्रीकी-अमेरिका संगीत को, अमेरिका और विदेश, दोनों में नए दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया था। तथापि, मड्डी वाटर्स जैसे कलाकारों को अग्रभूमि में लाने वाली ब्लूज़ की लहर थम चुकी थी। बिग बिल ब्रूंज़ी और विली डिक्सन जैसे ब्लूज़ कलाकारों ने यूरोप में नए बाज़ारों की तलाश शुरू कर दी थी। डिक वाटरमैन और उनके द्वारा यूरोप में आयोजित ब्लूज़ समारोहों ने विदेश में ब्लूज़ म्यूज़िक के प्रचार में प्रमुख भूमिका निभाई. ब्रिटेन में, बैंडों ने यूएस ब्लूज़ लिजेंड्स का अनुकरण किया और ब्रिटेन के ब्लूज़-रॉक-बेस्ड बैंडों की पूरे 1960 दशक में प्रभावी भूमिका रही। जॉन ली हुकर और मड्डी वाटर्स जैसे ब्लूज़ कलाकारों ने उत्साही दर्शकों के सामने प्रदर्शन जारी रखा, जिससे न्यूयॉर्क में जन्मे ताजमहल जैसे नए कलाकारों ने पारंपरिक ब्लूज़ में क़दम रखा। जॉन ली हुकर ने अपने ब्लूज़ की शैली को रॉक तत्वों के साथ मिश्रित किया और युवा श्वेत संगीतकारों के साथ बजाते हुए, संगीतमय शैली तैयार की जिसे 1971 के एल्बम एंडलेस बूगी में सुना जा सकता है। बी. बी. किंग का कलाप्रवीण गिटार तकनीक ने उन्हें "किंग ऑफ़ द ब्लूज़" का आधार-नाम दिलवाया. शिकागो शैली के विपरीत, किंग के बैंड ने स्लाइड गिटार या हार्प का इस्तेमाल ना करते हुए, सैक्सोफोन, ट्रम्पेट और ट्रोमबोन से मज़बूत ब्रास समर्थन का उपयोग किया। टेनेसी में जन्मे बॉबी "ब्लू" ब्लैंड, बी. बी. किंग के समान ही ब्लूज़ और R&B शैलियों में चलते रहे। इस अवधि के दौरान, फ़्रेडी किंग और अल्बर्ट किंग ने अक्सर रॉक और सोल कलाकारों (एरिक क्लैप्टन, बुकर टी और द MG) के साथ बजाया और उन संगीत शैलियों पर काफ़ी प्रभाव छोड़ा. अमेरिका में नागरिक अधिकार का संगीत और मुक्त भाषण के आंदोलनों ने अमेरिकी रूट्स म्यूज़िक में दिलचस्पी और प्रारंभिक अफ़्रीकी अमेरिकी संगीत का पुनरुत्थान किया। इसके साथ ही, न्यूपोर्ट फ़ोक फ़ेस्टिवल जैसे जिमी बेस संगीत समारोहों ने नए दर्शकों के सामने पारंपरिक ब्लूज़ को पेश किया, जिसने युद्ध-पूर्व अकूस्टिक ब्लूज़ और सन हाउस, मिसिसिपी जॉन हर्ट, स्किप जेम्स और श्रद्धेय गेरी डेविस जैसे कलाकारों के प्रति रुचि जगाने में मदद की। क्लासिक युद्ध-पूर्व ब्लूज़ के कई संकलन याज़ू रिकॉर्ड्स द्वारा पुनः प्रकाशित किए गए। 1950 के दशक में शिकागो ब्लूज़ आंदोलन से जेबी लेनॉयर ने अकूस्टिक गिटार का इस्तेमाल करते हुए, कभी-कभी विली डिक्सन द्वारा अकूस्टिक बेस या ड्रम पर संगत सहित कई LP रिकॉर्ड करवाए. मूल रूप से यूरोप में वितरित उनके गीतों ने, नस्लवाद या वियतनाम युद्ध संबंधी राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी की, जो उस अवधि के लिए असामान्य बात थी। उनके अलबामा ब्लूज़ रिकॉर्डिंग के एक गीत में कहा गया: मैं अलबामा वापस जाना कभी नहीं जाऊंगा, वह मेरे लिए जगह नहीं है (2x) आप जानते हैं कि उन्होंने मेरी बहन और मेरे भाई को मार डाला, और सारी दुनिया ने उन लोगों को वहां स्वतंत्र रूप से जाने दिया शिकागो-स्थित पॉल बटरफ़ील्ड ब्लूज़ बैंड और ब्रिटिश ब्लूज़ आंदोलन की वजह से 1960 दशक के दौरान श्वेत दर्शकों की रुचि ब्लूज़ में बढ़ी. ब्रिटेन में ब्रिटिश ब्लू शैली विकसित हुई जैसे द एनिमल्स, फ़्लीटवुड मैक, जॉन मेयाल एंड द ब्लूसब्रेकर्स, द रोलिंग स्टोन्स, द यार्डबर्ड्स और क्रीम तथा आइरिश कलाकार रोरी गैलाघर डेल्टा या शिकागो ब्लूज़ परंपराओं से क्लासिक गाने प्रदर्शित कर रहे थे। लेड जेप्पलिन के कई पिछले हिट पारंपरिक ब्लूज़ गानों का वादन रहा था। 1960 दशक के प्रारंभिक ब्रिटिश और ब्लूज़ संगीतकारों ने कैन्ड हीट, प्रारंभिक जेफ़रसन एयरप्लेन, जेनिस जोपलिन, जॉनी विंटर, द जे.गील्स बैंड, रै कूडर, तथा द आलमैन ब्रदर्स बैंड सहित, असंख्य अमेरिकी ब्लूज़ रॉक फ़्यूशन कलाकारों को प्रेरित किया। एक ब्लूज़ रॉक कलाकार, जिमी हेंड्रिक्स, उस समय अपने क्षेत्र में दुर्लभ था: एक अश्वेत आदमी जिसने साइकेडेलिक रॉक बजाया. हेंड्रिक्स एक कुशल गिटारवादक और अपने संगीत में विरूपण और प्रतिक्रिया के अभिनव प्रयोग में अग्रणी था। इन कलाकारों और दूसरों के माध्यम से ब्लूज़ संगीत ने रॉक संगीत के विकास को प्रभावित किया। 1970 दशक की शुरूआत में, द टेक्सास रॉक-ब्लूज़ शैली उभरी, जिसने गिटार को एकल और रिदम भूमिकाओं में इस्तेमाल किया। वेस्ट साइड ब्लूज़ के विपरीत, टेक्सास शैली ने ज़ोरदार तरीक़े से ब्रिटिश रॉक-ब्लूज़ आंदोलन को प्रभावित किया। टेक्सास शैली के प्रमुख कलाकार हैं जॉनी विंटर, स्टीव रे वॉघन, द फ़ैबुलस थंडरबर्ड्स और ZZ टॉप. इन सभी कलाकारों ने 1970 दशक में अपनी संगीत यात्रा शुरू की, लेकिन अगले दशक तक वे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सफलता हासिल नहीं कर सके। 1980 से 2000 दशक तक 1980 के दशक से, अफ़्रीकी-अमेरिकी आबादी के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से जैकसन, मिसिसिपी और अन्य सुदूर दक्षिणी क्षेत्रों में ब्लूज़ के प्रति दिलचस्पी दुबारा बढ़ने लगी। अक्सर "सेल ब्लूज़" या "सदर्न सोल" के रूप में नामित, इस आंदोलन के मूल संगीत में जैकसन-आधारित मालाको लेबल पर दो विशिष्ट रिकॉर्डिंग की अप्रत्याशित सफलता ने फिर से जान फूंक दी: ZZ हिल का डाउन होम ब्लूज़ (1982) और लिटल मिल्टन का द ब्लूज़ इज़ ऑलराइट (1984)। ब्लूज़ की इस रग पर काम करने वाले समकालीन अफ्रीकी अमेरिकी कलाकारों में शामिल है बॉबी रश, डेनिस लासेल, सर चार्ल्स जोन्स, बेट्टी लावेट्टे, मरविन सीसे और पेगी स्कॉट-एडम्स. 1980 दशक के दौरान, ब्लूज़ पारंपरिक और नए रूप, दोनों में जारी रहा। 1986 में एल्बम स्ट्रॉन्ग परसुएडर ने रॉबर्ट क्रे को एक प्रमुख ब्लूज़ कलाकार के रूप में प्रस्तुत किया। स्टीव रे वॉन की पहली रिकॉर्डिंग, टेक्सास फ़्लड, 1983 में जारी की गई और टेक्सास-स्थित गिटारवादक का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पदार्पण हुआ। 1989 ने द हीलर एल्बम के साथ जॉन ली हुकर की लोकप्रियता का पुनरुद्धार देखा. एरिक क्लैप्टन ने, जो ब्लूज़ ब्रेकर्स और क्रीम में अपने प्रदर्शन के लिए विख्यात थे, अपने एल्बम अनप्लग्ड के साथ 1990 के दशक में वापसी की, जिसमें उन्होंने अकूस्टिक गिटार पर कुछ मानक ब्लूज़ गाने बजाए. तथापि, 1990 दशक की शुरूआत में, डिजिटल मल्टीट्रैक रिकॉर्डिंग और अन्य तकनीकी विकास तथा नई विपणन रणनीतियां, जिनमें शामिल हैं वीडियो क्लिप निर्माण, जिसने लागते बढ़ा दी हैं और सहजता व आशु रचना को चुनौती देते हैं जो कि ब्लूज़ संगीत का महत्वपूर्ण घटक रहा है। 1980 और 1990 के दशक में, लिविंग ब्लूज़ और ब्लूज़ रेव्यू जैसे ब्लूज़ प्रकाशनों का वितरण शुरू हो गया, प्रमुख शहर ब्लूज़ समाज बनाने लगे, आउटडोर ब्लूज़ समारोह आम बन गए और ब्लूज़ के लिए अधिक संख्या में नाइट क्लब और आयोजन स्थल उभरे. 1990 के दशक में, ब्लूज़ कलाकारों ने विविध संगीत शैलियों का पता लगाया, जैसा कि उदाहरण के लिए वार्षिक ब्लूज़ म्यूज़िक अवार्ड के प्रत्याशियों की व्यापक सरणी से, पहले जिस पुरस्कार का नाम W.C. हैंडी अवार्ड रखा गया था या सर्वश्रेष्ठ समकालीन और पारंपरिक ब्लूज़ एल्बम के लिए ग्रैमी पुरस्कार से देखा जा सकता है। समकालीन ब्लूज़ संगीत कई ब्लूज़ लेबलों द्वारा पोषित होता है जैसे कि: एलिगेटर रिकॉर्ड्स, रफ़ रिकॉर्ड्स, चेस रिकॉर्ड्स (MCA), डेलमार्क रिकॉर्ड्स, नॉर्थर्नब्लूज़ म्यूज़िक और वैनगार्ड रिकॉर्ड्स (आर्टेमिस रिकॉर्ड्स)। कुछ लेबल अपने दुर्लभ ब्लूज़ के पुनर्खोज और रीमास्टरिंग के लिए प्रसिद्ध हैं, जैसे कि अरहूली रिकॉर्ड्स, स्मिथसोनियन फोकवेज़ रिकॉर्डिंग्स (फ़ोकवेज़ रिकॉर्ड्स का उत्तराधिकारी) और याज़ू रिकॉर्ड्स (शानाची रिकॉर्ड्स)। युवा कलाकार आज ब्लूज़ के सभी पहलुओं की तलाश कर रहे हैं, क्लासिक डेल्टा से लेकर अधिक रॉक उन्मुख ब्लूज़ तक, 1970 के बाद पैदा होने वाले कलाकार जैसे कि जॉन मेयर, केनी वेन शेफ़र्ड, शॉन कॉस्टेलो, शान्नोन कर्फ़मैन, एंथोनी गोम्स, शेमेकिया कोपलैंड, जॉनी लैंग, कोरी हैरिस, सुज़न टेडेशी, JW-जोन्स, जो बोनामासा, मिशेल मेलोन, नार्थ मिसिसिपी ऑलस्टार्स, एवरलास्ट, द ब्लैक कीज़, बॉब लॉग III, जोस पी और हिलस्टॉम्प ने अपनी ख़ुद की शैली विकसित की। मेम्फिस, टेक्सास में बसे विलियम डैनियल मॅकफ़ाल्स, जो "ब्लूज़ बॉय विली" के रूप में भी जाने जाते हैं, पारंपरिक ब्लूज़ के कलाकार हैं। संगीत प्रभाव ब्लूज़ संगीत शैलियां, रूप (12-बार ब्लूज़), धुनें और ब्लूज़ स्केल ने जैज़, रॉक और लोकप्रिय संगीत जैसे कई अन्य संगीत शैलियों को प्रभावित किया है। लुईस आर्मस्ट्रॉन्ग, ड्यूक एलिंगटन, माइल्स डेविस और बॉब डिलॉन जैसे विशिष्ट जैज़, फ़ोक या रॉक कलाकारों ने महत्वपूर्ण ब्लूज़ रिकॉर्डिंग में प्रदर्शन किया है। ब्लूज़ स्केल को अक्सर हैरोल्ड आर्लेन के "ब्लूज़ इन द नाइट", ब्लूज़ बैलाड जैसे "सिन्स आई फ़ेल फ़ॉर यू" और "प्लीज़ सेंड मी समवन टू लव" जैसे लोकप्रिय गानों, तथा जार्ज जर्शविन के "रैप्सोडी इन ब्लू" और "कनसर्टो इन F" जैसे वाद्यवृंदीय रचनाओं में भी प्रयुक्त होता है। जर्शविन के दूसरे "प्रेलूड" के लिए एकल पियानो शास्त्रीय ब्ल्यूज़ का एक दिलचस्प उदाहरण है, जिसमें फ़ार्म की शैक्षिक सख्ती को बनाए रखा गया है। ब्लूज़ स्केल आधुनिक लोकप्रिय संगीत में सर्वव्यापी है और कई मोडल फ़्रेम सूचित करता है, विशेषकर रॉक म्यूज़िक में प्रयुक्त लैडर ऑफ़ थर्ड (उदा. "ए हार्ड डेज़ नाइट")। ब्लूज़ फ़ार्म टेलीविज़न पर प्रस्तुत होने वाले बैटमैन के थीम में, किशोरों के चहेते फ़ेबियन हिट "टर्न मी लूज़", कंट्री म्यूज़िक के सितारे जिमी रोड्जर्स के संगीत और गिटारवादक/गायक ट्रेसी चैपमैन के हिट "गिव मी वन रीज़न" में प्रयुक्त हुआ है। R&B म्यूज़िक के मूल को स्पिरिचुअल्स और ब्लूज़ में ढूंढ़ा जा सकता है। संगीतात्मक रूप से, स्पिरिचुअल्स न्यू इंग्लैंड के समवेत भजन संप्रदायों के वंशज थे और विशेषकर आइज़ैक वाट के भजन, अफ़्रीकी रिदम और कॉल-एंड-रेस्पॉन्स फ़ार्म के साथ मिश्रण. अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय में स्पिरिचुअल्स या धार्मिक गीतों को बेहतर तरीक़े से "लो-डाउन" ब्लूज़ में प्रलेखित किया गया है। आध्यात्मिक गायन इसलिए विकसित हुआ क्योंकि अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय ख्रीस्तयाग या पूजा सभाओं के लिए एकत्रित होते थे, जिन्हें शिविर बैठक कहा जाता था। स्किप जेम्स, चार्ली पैटन, जार्जिया टॉम डोरसे जैसे प्रारंभिक कंट्री ब्लूज़मेन कंट्री और शहरी ब्लूज़ बजाते थे और वे आध्यात्मिक गायन से प्रभावित थे। डोरसे ने सुसमाचार संगीत को लोकप्रिय बनाने में मदद की। सुसमाचार संगीत गोल्डन गेट चौकड़ी के साथ 1930 के दशक में विकसित हुआ। 1950 के दशक में, सैम कुक, रे चार्ल्स और जेम्स ब्राउन द्वारा सोल म्यूज़िक में सुसमाचार और ब्लूज़ संगीत के तत्वों का इस्तेमाल किया गया। 1960 और 1970 के दशक में सुसमाचार और ब्लूज़, सोल ब्लूज़ में मिल गए। 1970 दशक का फ़ंक म्यूज़िक सोल से प्रभावित था; फ़ंक को हिप-हॉप और समकालीन R&B के पूर्ववर्ती के रूप में देखा जा सकता है। द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व, ब्लूज़ और जैज़ के बीच सीमाएं कम स्पष्ट थीं। सामान्यतः जैज़ में ब्रास बैंड से उत्पन्न होने वाली हार्मोनिक संरचनाएं शामिल थीं, जबकि ब्लूज़ में 12-बार ब्लूज़ जैसे ब्लूज़ फ़ार्म रहे हैं। तथापि, 1940 दशक के जंप ब्लूज़ में दोनों शैलियों का मिश्रण किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्लूज़ का जैज़ पर काफी प्रभाव पड़ा. चार्ली पार्कर के "नाऊ इज़ द टाइम" जैसे बिबॉप क्लासिक्स में पेंटाटोनिक स्केल और ब्लूज़ नोट्स सहित ब्लूज़ फ़ार्म का उपयोग किया गया। बिबॉप ने नृत्य के लिए संगीत की लोकप्रिय शैली से, "उच्च-कला" कम-अभिगम्य, प्रमस्तिष्कीय "संगीतकारों का संगीत" के तौर पर जैज़ की भूमिका में एक बड़ा बदलाव अंकित किया। दोनों ब्लूज़ और जैज़ के दर्शकों में विभाजन हुआ और ब्लूज़ और जैज़ के बीच की सीमा अधिक स्पष्ट हो गई। जैज़ और ब्लूज़ के बीच की सीमाओं पर खड़े कलाकारों को जैज़-ब्लूज़ उपवर्ग में वर्गीकृत किया गया। ब्लूज़ की ट्वेल्व-बार संरचना और ब्लूज़ स्केल का रॉक एंड रोल संगीत पर प्रमुख प्रभाव था। रॉक एंड रोल को "ब्लूज़ विथ ए बैकबीट" कहा गया; कार्ल पर्किन्स ने रॉकेबिली को "ब्लूज़ विथ ए कंट्री बीट" कहा. रॉकेबिलीज़ के लिए भी कहा जाता है ब्लूग्रास बीट बजाए जाने वाले ट्वेल्व-बार ब्लूज़ थे। "हाउंड डॉग" अपने असंशोधित ट्वेल्व-बार संरचना के साथ (हार्मोनी और बोल दोनों) और टोनिक के फ़्लैट थर्ड पर केंद्रित धुन (और सबडामिनंट का फ्लैट सेवेंथ), ब्लूज़ गीत है जो रॉक एंड रोल में रूपांतरित हुआ। जेरी ली लुईस की रॉक एंड रोल शैली ब्लूज़ और उससे व्युत्पन्न बूगी-वूगी द्वारा काफ़ी प्रभावित थी। उनकी संगीत शैली वास्तव में रॉकेबिली नहीं थी पर उसे अक्सर असली रॉक एंड रोल कहा गया (जो लेबल वह कई अफ़्रीकी-अमेरिकी रॉक एंड रोल कलाकारों के साथ साझा करता है)। प्रारंभिक कंट्री म्यूज़िक ब्लूज़ के साथ अनुप्राणित किया गया। जिमी रोड्जर्स, मून मलिकन, बॉब विलिस, बिल मोनरो और हैंक विलियम्स सभी ने ख़ुद को ब्लूज़ गायक माना है और उनके संगीत में ब्लूज़ की अनुभूति है जो एड्डी ऑर्नल्ड के कंट्री पॉप से अलग है। 1970 दशक-युगीन विली नेल्सन और वेलॉन जेनिंग्स के अधिकांश "बहिष्कृत" कंट्री म्यूज़िक भी ब्लूज़ से लिए गए हैं। जब जेरी ली लुईस 1950 दशक की रॉक एंड रोल शैली के ह्रास के बाद कंट्री की ओर लौटे, उन्होंने ब्लूज़ की अनुभूति के साथ कंट्री को गाया और अक्सर अपने एल्बमों में ब्लूज़ मानकों को जोड़ा.गाया अपने देश के साथ एक ब्लूज़ अक्सर शामिल है और ब्लूज़ लग रहा है। कई प्रारंभिक रॉक गाने ब्लूज़ पर आधारित हैं: "देट्ज़ ऑल राइट मामा", "जॉनी बी. गुडे", "ब्लू सुएड शूज़", "होल लॉट ऑफ़ शेकिंग गोईंग ऑन", "शेक, रैटल, एंड रोल" और "लॉन्ग टॉल सैली". प्रारंभिक अफ्रीकी-अमेरिकी रॉक संगीतकारों ने ब्लूज़ म्यूज़िक के लैंगिक और वक्रोक्ति को बनाए रखा: "गॉट अ गैल नेम्ड सू, नोस व्हाट टू डू" ("टूटी फ़्रूटी", लिटल रिचर्ड) या "सी द गर्ल विथ द रेड ड्रेस ऑन, शी कैन डू द बर्डलैंड ऑल नाइट लॉन्ग" ("व्हाट वुड आई से", रे चार्ल्स)। लोकप्रिय संस्कृति में जैज़, रॉक एंड रोल, हेवी मेटल म्यूज़िक, हिप हॉप म्यूज़िक, रेगी, कंट्री म्यूज़िक और पॉप म्यूज़िक की तरह ब्लूज़ पर भी "शैतान का संगीत" होने और हिंसा को भड़काने तथा अन्य ख़राब व्यवहार का आरोप लगाया गया। 20वीं सदी के प्रारंभ में, ब्लूज़ को बदनाम माना जाता था, खास कर श्वेत श्रोता 1920 दशक के दौरान ब्लूज़ सुनने लगे थे। बीसवीं सदी की शुरूआत में, W.C. हैंडी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अश्वेत अमेरिकियों के बीच ब्लूज़-प्रभावित संगीत को लोकप्रिय बनाया। 1960 तथा '70 के दशक में ब्लूज़ पुनरुद्धार के दौरान, अकूस्टिक ब्लूज़ के कलाकार ताजमहल और लोकप्रिय टेक्सास ब्लूसमैन लाइटनिंग हॉपकिन्स ने संगीत रचना की और प्रदर्शन दिया, जिसे प्रसिद्ध और समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फ़िल्म साउंडर (1972) में विशेष रूप में शामिल किया गया। फिल्म के लिए ताजमहल ने चलचित्र के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल संगीत रचना के लिए ग्रैमी नामांकन और BAFTA नामांकन अर्जित किया। लगभग 30 साल बाद, महल ने 2001 में प्रदर्शित फ़िल्म "सॉन्गकैचर" में एक बैंजो संगीत-रचना, क्लॉ-हैमल शैली के लिए ब्लूज़ लिखा और प्रदर्शित किया, जिसमें कहानी अप्पालाचिया के रूट्स म्यूज़िक के संरक्षण पर केंद्रित थी। संभवतः ब्लूज़ शैली के संगीत का सर्वाधिक दृश्य नमूना 20वीं सदी के 1980 में सामने आया, जब डैन ऐक्राइड और जॉन लैंडिस ने फ़िल्म द ब्लूज़ ब्रदर्स जारी किया। फ़िल्म ने रे चार्ल्स, जेम्स ब्राउन, कैब कैलोवे, अरेथा फ़्रैंकलिन और जॉन ली हूकर जैसे कई रिदम एंड ब्लूज़ शैली के जीवित बहुत ही प्रभावशाली कलाकारों को आकर्षित किया। गठित बैंड ने ब्लूज़ ब्रदर्स खेमे के तहत सफल दौरा भी शुरू किया। 1998 में ब्लूज़ ब्रदर्स 2000 की उत्तरकथा पेश की गई, हालांकि जिसने अधिक आलोचनात्मक और वित्तीय सफलता हासिल नहीं की, पर उसमें बड़ी संख्या में बी.बी.किंग, बो डिडले, एरिका बाडु, एरिक क्लैप्टन, स्टीव विनवुड, चार्ली मसलव्हाइट, ब्लूज़ ट्रैवलर, जिमी वॉन, जेफ़ बैक्सटर जैसे ब्लूज़ कलाकार शामिल थे। 2003 में, मार्टिन स्कोर्सीस ने विशाल दर्शकों के सामने ब्लूज़ को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उन्होंने द ब्लूज़ नामक PBS के लिए वृत्तचित्र की श्रृंखला में भाग लेने के लिए क्लिंट ईस्टवुड और विम वेंडर्स जैसे कई प्रसिद्ध निर्देशकों को निमंत्रित किया। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले सीडी की एक श्रृंखला में प्रमुख ब्लूज़ कलाकारों के संकलन के गायन में भाग लिया। ब्लूज़ गिटारवादक और गायक केब' मो' ने अपने "अमेरिका, द ब्यूटिफ़ुल" के ब्लूज़ गायन का प्रदर्शन 2006 में द वेस्ट विंग टेलीविज़न श्रृंखला के अंतिम सीज़न के समापन में किया। इन्हें भी देखें अफ्रीकी अमेरिकी संस्कृति ब्लूज़ के लिए ऑल म्यूज़िक गाइड ब्लूज़ हॉल ऑफ़ फ़ेम न्यूजीलैंड में ब्लूज़ ब्लूज़ डांस ब्लूज़ गिटार प्लेइंग ब्लूज़ संगीतकारों की सूची ब्लूज़ मानकों की सूची ब्रिटिश ब्लूज़ संगीतकारों की सूची कनाडाई ब्लूज़ मिसिसिपी ब्लूज़ ट्रेल ट्रेन गीतों की सूची 20वीं सदी का संगीत तुल्सा ध्वनि अफ्रीकी अमेरिकी संगीत संग्रहालय नोट सन्दर्भ ब्रैन्सफ़ोर्ड, स्टीव. "Blues in the Lower Chattahoochee Valley" सदर्न स्पेसस 2004 अतिरिक्त पठन ब्राउन, लूथर. "Inside Poor Monkey's " सदर्न स्पेसस जून 22, 2006. बाहरी कड़ियाँ The American Folklife Center's Online Collections and Presentations American Music: ऐतिहासिक ब्लूज़ रिकॉर्डिंग का लगभग व्यापक संग्रह. The Blues Radio Series Extensive Blues Related Links The Blue Shoe Project - Nationwide (U.S.) Blues Education Programming "The Blues", PBS पर प्रसारित मार्टिन स्कोरसेस द्वारा वृत्त-चित्र श्रृंखला The Blues Foundation The Memphis Blues Society The Delta Blues Museum Mississippi Delta Blues Society of Indianola The Music in Poetry - शिक्षकों के लिए स्मिथ्सोनियन इंस्टीट्यूशन की पाठ योजना BLUES WORLD publishes articles, interviews, scholarly research and photographs. The Influence Of Blues Guitar On Modern Music अफ्रीकी अमेरिकी संगीत अफ्रीकी अमेरिकी संस्कृति संगीत की अमेरिकी शैली ब्लूज़ ब्लूज़ शैली रेडियो प्रारूप गूगल परियोजना
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मेला
जब किसी एक स्थान पर बहुत से लोग किसी सामाजिक ,धार्मिक एवं व्यापारिक या अन्य कारणों से एकत्र होते हैं तो उसे मेला कहते हैं। भारतवर्ष में लगभग हर माह मेले लगते रहते ही है। मेले तरह-तरह के होते हैं। एक ही मेले में तरह-तरह के क्रियाकलाप देखने को मिलते हैं और विविध प्रकार की दुकाने एवं मनोरंजन के साधन हो सकते हैं। भारत तो मेलों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ कोस-दो-कोस पर जगह-जगह मेले लगते हैं जो अधिकांशत: धार्मिक होते हैं किन्तु कुछ पशु, व्यापार तथा कृषि मेले के साथ ही शहीदों को नमन के लिए भी मेले यहाँ लगते हैैं। भारत का सबसे बड़ा मेला कुम्भ मेला माना जाता है। भारत के राजस्थान राज्य में भी काफी मेले आयोजित होते है। जहाँ कुम्भ सबसे बड़ा मेला है वही शहीद मेला देश मे स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए महानायको की याद में आयोजित होने वाला सबसे लंबी अवधि का मेला है। इन्हें भी देखें भारत के मेलों की सूची उत्सव [[विश्व पुस्तक मेला]njj] कोलकाता पुस्तक मेला कुम्भ मेला [[शहीद मेला]so],बेवर(मैनपुरी) बाहरी कड़ियाँ राजस्थान एवं जयपुर के प्रमुख मेले एवं त्यौहार लोक-संस्कृति की पहचान हैं ग्रामीन मेले (महामेधा) A vivid description of Bartholomew Fair (in 1825) from Hone's Every Day Book सन्दर्भ राजस्थान मे गुगौर का मेला बहुत प्रसिद्ध हैं पास के बनेह गांव के लोग मेला देखने जाते हैं
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%9C%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80
नवतेज भारती
नवतेज भारती (जनम 5 फरवरी 1938) पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक और कवि हैं। वह कनाडा के शहर लंडन में रहते हैं। वह 1968 में कनाडा जा बसे थे। प्रकाशित कृतियाँ लीला -- अजमेरे रोड़े के साथ सहलेखन। 1052 पृष्ठों का यह वृहद ग्रन्थ 1999 में रेनबर्ड प्रेस से प्रकाशित। सिम्बल दे फुल्ल - कविताएँ (1968) एन्डलेसआई -- कविताएँ अंग्रेजी में (2002) लाली सम्मान प्रतिष्ठित पंजाबी पत्रिका - पंज दरिया - द्वारा बीसवीं सदी के श्रेष्ठ अप्रवासी पंजाबी लेखक के रूप में चयनित एवं सम्मानित। पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा, 1960, 1961 में राज्य के श्रेष्ठ पंजाबी कवि का सम्मान। सन्दर्भ पंजाबी कवि कनाडा के लोग 1938 में जन्मे लोग जीवित लोग
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%9C%E0%A4%A6%20%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%A8
अमजद ख़ान
अमजद ख़ान (जन्म: 21 अक्टुबर, 1943 निधन: 27 जुलाई, 1992) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। अमजद खान का जन्म 1943 में (विभाजन से पूर्व) लाहौर में हुआ था | वह भारतीय फिल्मो में जाने-माने अभिनेता जयंत के पुत्र थे | अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म “शोले” थी और यह फिल्म अमजद (Amjad Khan) को शत्रुघ्न सिन्हा के कारण मिली थी , वास्तव में शोले के गब्बर सिंह की भूमिका पहले शत्रु को ही दी गयी थी परन्तु समयाभाव के कारण इनकार कर दिया तो यह भूमिका अमजद खान को मिल गयी | अभिनय की दुनिया में आने से पूर्व अमजद , के.आसिफ के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम कर रहे थे  | सहायक के रूप में काम करने के साथ ही उन्होंने पहली बार कैमरे का सामना किया और के.आसिफ की फिल्म “लव एंड गॉड” के बाद अमजद खान (Amjad Khan) ने चेतन आनन्द की फिल्म “हिंदुस्तान की कसम” में एक पाकिस्तानी पायलट की भूमिका की | ये दोनों ही भूमिकाये ऐसी थी जो न दर्शको को याद रही और न स्वयं अमजद खान को | अंतत “शोले” को ही अमजद की पहली फिल्म मानते है | शोले के अलावा अमजद खान (Amjad Khan) ने “कुर्बानी” “लव स्टोरी”  “चरस” “हम किसी से कम नहीं ” “इनकार”  “परवरिश” “शतरंज के खिलाड़ी”  “देस-परदेस”  “दादा"“ गंगा की सौगंध ” “कसमे-वादे” “मुक्कदर का सिकन्दर” “लावारिस” “हमारे तुम्हारे ” “मिस्टर नटवरलाल”  “सुहाग ” “कालिया” “लेडीस टेलर” “नसीब” “रॉकी” “यातना” “सम्राट” “बगावत” “सत्ते पे सत्ता”  “जोश”  “हिम्मतवाला” आदि सैकंडो फिल्मो में यादगार भूमिकाये की | अमजद खान शराब और अन्य बुरी आद्तो से दूर थे | निर्देशन भी किया अमजद खान ने अपने लंबे करियर में ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएँ निभाईं। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र जैसे सितारों के सामने दर्शक उन्हें खलनायक के रूप में देखना पसंद करते थे और वे स्टार विलेन थे। इसके अलावा उन्होंने कुछ फिल्मों में चरित्र और हास्य भूमिकाएँ अभिनीत की, जिनमें शतरंज के खिलाड़ी, दादा, कुरबानी, लव स्टोरी, याराना प्रमुख हैं। निर्देशक के रूप में भी उन्होंने हाथ आजमाए। चोर पुलिस (1983) और अमीर आदमी गरीब आदमी (1985) नामक दो फिल्में उन्होंने बनाईं, लेकिन इनकी असफलता के बाद उन्होंने फिर कभी फिल्म निर्देशित नहीं की। पिता को माना गुरु अमजद अपनी सफलता और अभिनेता के करियर को इतनी ऊँचाई देने का श्रेय पिता जयंत को देते हैं। पिता को गुरु का दर्जा देते हुए उन्होंने कहा था कि रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट अपने छात्रों को जितना सिखाती है, उससे ज्यादा उन्होंने अपने पिता से सीखा है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में यदि उन्होंने प्रवेश लिया होता, तो भी इतनी शिक्षा नहीं मिल पाती। उनके पिता उन्हें आखिरी समय तक अभिनय के मंत्र बताते रहे। दरियादिल अमजद पर्दे पर खलनायकी के तेवर दिखाने वाले अमजद निजी जीवन में बेहद दरियादिल और शांति प्रिय इंसान थे। अमिताभ बच्चन ने एक साक्षात्कार में बताया था कि अमजद बहुत दयालु इंसान थे। हमेशा दूसरों की मदद को तैयार रहते थे। यदि फिल्म निर्माता के पास पैसे की कमी देखते, तो उसकी मदद कर देते या फिर अपना पारिश्रमिक नहीं लेते थे। उन्हें नए-नए चुटकुले बनाकर सुनाने का बेहद शौक था। अमिताभ को वे अक्सर फोन कर लतीफे सुनाया करते थे। निधन एक कार दुर्घटना में अमजद बुरी तरह घायल हो गए। एक फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में लोकेशन पर जा रहे थे। ऐसे समय में अमिताभ बच्चन ने उनकी बहुत मदद की। अमजद ख़ान तेजी से ठीक होने लगे। लेकिन डॉक्टरों की बताई दवा के सेवन से उनका वज़न और मोटापा इतनी तेजी से बढ़ा कि वे चलने-फिरने और अभिनय करने में कठिनाई महसूस करने लगे। वैसे अमजद मोटापे की वजह खुद को मानते थे। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि- "फ़िल्म ‘शोले’ की रिलीज़ के पहले उन्होंने अल्लाह से कहा था कि यदि फ़िल्म सु‍परहिट होती है तो वे फ़िल्मों में काम करना छोड़ देंगे।" फ़िल्म सुपरहिट हुई, लेकिन अमजद ने अपना वादा नहीं निभाते हुए काम करना जारी रखा। ऊपर वाले ने मोटापे के रूप में उन्हें सजा दे दी। इसके अलावा वे चाय के भी शौकीन थे। एक घंटे में दस कप तक वे पी जाते थे। इससे भी वे बीमारियों का शिकार बने। मोटापे के कारण उनके हाथ से कई फ़िल्में फिसलती गई। 27 जुलाई, 1992 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और दहाड़ता गब्बर हमेशा के लिए सो गया। अमजद ने हिन्दी सिनेमा के खलनायक की इमेज के लिए इतनी लंबी लकीर खींच दी थी कि आज तक उससे बड़ी लकीर कोई नहीं बना पाया है। डिम्पल कपाड़िया और राखी अभिनीत फ़िल्म 'रुदाली' अमजद ख़ान की आखिरी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में उन्होंने एक मरने की हालात में पहुंचे एक ठाकुर की भूमिका निभाई थी, जिसकी जान निकलते-निकलते नहीं निकलती। ठाकुर यह जानता है कि उसकी मौत पर उसके परिवार के लोग नहीं रोएंगे। इसलिए वह मातम मनाने और रोने के लिए रुपये लेकर रोने वाली रुदाली को बुलाता है। फिल्मी सफर पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार व्यक्तिगत जीवन प्रमुख फिल्में बतौर निर्देशक सन्दर्भ ख़ान, अमजद ख़ान, अमजद ख़ान, अमजद 1940 में जन्मे लोग १९९२ में निधन
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%B0
चमकी बुखार
चमकी बुखार (एक्यूट एनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम / AES) एक रहस्यमय रोग है जो बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के कुछ जिलों में छोटे बच्चों को होता है। इसमें रोगी के शरीर में झटके आते हैं जिसे स्थानीय बोली में ‘चमकी’ कहा जाता है। आयुर्विज्ञान की भाषा में इसे 'एक्यूट एनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' (AES) या 'हाइपोग्साइसीमिक एनसेफ्लोपैथी' कहा जाता है। पाया गया है कि यह बीमारी लीची बागानों के बहुतायत वाले इलाकों में और लीची पकने के मौसस में फैलती है। अधपकी लीची में मौजूद एक टॉक्सिन कुपोषित बच्चों के लिए घातक होता है। जबकि, यह टॉक्सिन स्वस्थ्य मनुष्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। पिछले कई सालों से, बिहार में इस चमकी बुखार से हर वर्ष सैकड़ों बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इससे प्रभावित होने वाले बच्चों में से अधिकांश 1-10 वर्ष आयु के होते हैं। प्रायः यह बीमारी सर्वाधिक जून की चरम गर्मी के महीने में फैलती है जब बिहार के लीची बागानों में लीची पक रही होती है। लक्षण चमकी बुखार की चपेट में आने वाले बच्चे ज्यादातर 1-10 साल आयु-वर्ग के होते हैं। बच्चा उल्टी करता है, उसे बुखार आता है। बुखार कभी पहले या कभी अन्य लक्षणों के प्रकट होने के बाद भी आ सकता है। सिर और पूरे शरीर में दर्द होता है। अचेत होने जैसा महसूस होता है। चलने-फिरने में कठिनाई होती है। शरीर में और सिर में झटके लगते हैं और रोगी का मस्तिष्क प्रभावित होता है। बोलने और चीजों को समझने में दिक्कत होती है। मिर्गी जैसे दौरे आने लगते हैं। शरीर ऐंठने लगता है और रोगी कोमा में चला जाता है। अंततः, उसकी मृत्यु हो जाती है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Are These Caused by Toxins in Litchi Fruit? Acute encephalopathy in children in Muzaffarpur, India: a review of aetiopathogenesis रोग
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पाटन देवी
उत्तर-प्रदेश के जनपद बलरामपुर (नेपाल की सीमा से मिला हुआ) की तहसील तुलसीपुर नगर से 1.5 कि॰मी॰ की दूरी पर सिरिया नाले के पूर्वी तट पर स्थित सुप्रसिद्ध सिद्ध शक्तिपीठ मां पाटेश्वरी का मंदिर देवी पाटन है, जो देशभर में फैले 51 शक्तिपीठों में मुख्य स्थान रखता है। यह शिव और सती के प्रेम का प्रतीक स्वरूप है। अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने पति महादेव का स्थान न देखकर नाराज सती ने अपमान से क्रोधित होकर अपने प्राण त्याग दिये। इस घटना से क्षुब्ध होकर शिव दक्ष-यज्ञ को नष्ट कर सती के शव को अपने कंधे पर रखकर तीनों लोक में घूमने लगे, तो संसार-चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो गया। तब विष्णु ने सती-शव के विभिन्न अंगों को सुदर्शन-चक्र से काट-काटकर भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर गिरा दिया। पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ सती के शव के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ स्थापित हुए। सती का वाम स्कन्ध पाटम्बर अंग यहाँ आकर गिरा था, इसलिए यह स्थान देवी पाटन के नाम से प्रसिद्ध है। यहीं भगवान शिव की आज्ञा से महायोगी गुरु गोरखनाथ ने सर्वप्रथम देवी की पूजा-अर्चना के लिए एक मठ का निर्माण कराकर स्वयं लम्बे समय तक जगजननी की पूजा करते हुए साधनारत रहे। इस प्रकार यह स्थान सिद्ध शक्तिपीठ के साथ-साथ योगपीठ भी है। कथा देवी पाटन की देवी का दूसरा नाम पातालेश्वरी देवी के रूप में प्राप्त होता है। कहा जाता है कि माता सीता लोकापवाद से खिन्न होकर यहाँ धरती-माता की गोद में बैठकर पाताल में समा गयी थीं। इसी पातालगामी सुंग के ऊपर देवी पाटन पातालेश्वरी देवी का मंदिर बना है। स्थापत्य मंदिर के गर्भगृह में पहले कोई प्रतिमा नहीं थी। मध्य में एक गोल चांदी का चबूतरा था, वो अब भी है, जिसके नीचे सुरंग ढकी हुई है। मंदिर के उत्तर में सूर्यकुण्ड है। सूर्यपुत्र महारथी कर्ण ने यहाँ परशुराम से धनुर्वेद की शिक्षा ली थी। जनश्रुति के अनुसार महाभारत कालीन इस जलकुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोग तथा चर्मरोग ठीक हो जाते हैं। उत्सव चैत्र-मास के नवरात्रि-पर्व पर पीर रतन नाथ बाबा की सवारी नेपाल के जिला दांग चौधरा नामक स्थान से पदयात्रा करके मठ के महंतों द्वारा हर वर्ष पंचमी के दिन माँ पाटेश्वरी के दरबार पाटन में लायी जाती है। यह शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ से दीक्षा लेकर स्वयं एक सिद्ध महायोगी पीर रतन नाथ बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। देश के कई भागों में आज भी इनके मठ एवं मंदिर तथा दरीचे मिलते हैं। मंदिर के पीछे प्रांगण में स्थित पीर रतननाथ बाबा पाटेश्वरी के परमभक्त थे और प्रतिदिन दांग नेपाल से कठिन पहाड़ी के रास्ते से आकर देवी की आराधना किया करते थे। माता जी ने प्रसन्न होकर एक बार उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तो रतननाथ ने कहा, ``माता, मेरी प्रार्थना है कि आपके साथ यहाँ मेरी भी पूजा हो।'' देवी ने कहा, ``ऐसा ही होगा। तभी से यहाँ रतननाथ का दरीचा कायम है। दरीचे में पंचमी से एकादशी तक रतननाथ की पूजा होती है। इस अवधि में घंटे व नगाड़े नहीं बजाये जाते हैं। और देवी की पूजा केवल रतन नाथ के पुजारी ही करते हैं। उत्तर प्रदेश के हिन्दू मंदिर उत्तर प्रदेश में हिन्दू मंदिर शक्ति पीठ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%9F%20%E0%A4%86%E0%A4%88%E0%A4%9F%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95
सिपकोट आईटी पार्क
सिपकोट आईटी पार्क सूचना प्रौद्योगिकी भारत के चेंगलपट्टू जिले में आईटी कॉरिडोर के साथ चेन्नई केसिरुसेरी में स्थित है। इसे ४ वर्ग किलोमीटर में तमिलनाडु राज्य उद्योग संवर्धन निगम सिपकोट द्वारा निर्मित किया गया है, जो कि पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली संस्था है। जून १९७१ में स्थापित यह एशिया का सबसे बड़ा आईटी पार्क है। घटनाएँ टीसीएस कर्मचारी की हत्या १३ फरवरी २०१४ को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की २४ वर्षीय महिला कर्मचारी की हत्या कर दी गई थी, जिसका शव बाद में २२ फरवरी २०१४ को सिपकोट आईटी पार्क परिसर के भीतर एक झाड़ी में पाया गया था। मामले में तीन निर्माण श्रमिकों को गिरफ्तार किया गया था। महिला समूहों ने महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार और कॉर्पोरेट क्षेत्र से सक्रिय दृष्टिकोण की माँग की। बाहरी संबंध आईटी पार्क पर सिपकोट का आधिकारिक पेज सिपकोट आईटी पार्क का नक्शा प्राग्न्य ईडन पार्क संदर्भ चेन्नई की इमारतें
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%20%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95%20%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%A5%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE
लांस नायक हनमनथप्पा
लांस नायक हनमनथप्पा (उम्र ३३ वर्ष) एक भारतीय सैनिक थे जो सियाचिन में एक हिमस्खलन में फंस गये थे और ६ दिन तक ४५ डिग्री सेल्सियस में लगभग ३३ फीट की गहराई से उन्हें जीवित निकाला गया। इसके बाद उनकी सघन चिकित्सा चली किन्तु ११ फरवरी २०१६ को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में उनकी में मृत्यु हो गई। इन्हें कई दिनों तक चिकित्सालय में भर्ती रखा गया लेकिन उनकी दशा बिगड़ती गयी और अन्ततः ११ फरवरी २०१६ को इनका निधन हो गया। सन्दर्भ २०१६ में निधन 1983 में जन्मे लोग भारतीय सैनिक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8C%E0%A4%A0
सूरौठ
सूरौठ भारतवर्ष के उत्तर-पश्चिम राज्य राजस्थान के करौली जिले के हिण्डौन उपखण्ड का एक कस्बा है। यह कस्बा राजस्थान के पूर्व में में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 172 किलोमीटर पूर्व स्थित हैै।यह हिण्डौन सिटी से 16 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ के पास नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है। राजस्थान के शहर
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सपनों का बगीचा (नेपाल)
सपनों का बगीचा (अंग्रेजी: द गार्डन ऑफ़ ड्रीम्स, नेपाली: स्वप्न बगैंचा), काठमांडू, नेपाल में एक नव-शास्त्रीय उद्यान है, जिसे 1920 में बनाया गया था। काठमांडू में चार एकड़ के गार्डन ऑफ़ ड्रीम्स को लैंडस्केप आर्किटेक्ट किशोर नरसिंह ने एडवर्डियन-युग के अंग्रेजी उद्यानों की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया था। सबसे विशेष रूप से, साइट को छह मंडपों की विशेषता थी, जो नेपाल के "छह मौसमों" का प्रतीक था: वसंत, शुरुआती गर्मी, गर्मी मानसून का मौसम, शुरुआती शरद ऋतु, देर से शरद ऋतु, और सर्दी। अपने सुनहरे दिनों में, बगीचे को देश में परिदृश्य डिजाइन के सबसे उल्लेखनीय कारनामों में से एक माना जाता था। 1960 के दशक के मध्य से, अपने संरक्षक, कैसर सुमशेर राणा की मृत्यु के बाद, यह बगीचा उपेक्षा में पड़ा रहा लेकिन हाल ही में ऑस्ट्रियाई सरकार की मदद से इसे बहाल कर दिया गया। रचना 20वीं शताब्दी की पहली तिमाही में अन्य उद्यान डिजाइनों की तुलना में, 1920 में निर्मित, यह उद्यान अपने समय में उल्लेखनीय रूप से आधुनिक था। व्यक्तिगत मंडपों के स्थापत्य परिष्कार से पता चलता है कि वे मामूली स्थानीय अनुकूलन के साथ पैटर्न किताबों से प्रेरित थे। पथ की परिधि के साथ रोपण क्षेत्रों के चारों ओर शंकरे फूलों के बगीचे हैं जिनके केंद्र में बड़े तालाब हैं। बगीचे के मूल द्वार के माध्यम से सुरम्य फव्वारे और तालाब, एक एम्फीथिएटर, अलग-अलग आकार के अलग-अलग बगीचे और कैसर कैफे रेस्तरां और बार हैं। इतिहास कैसर महल में स्थित, जो थमेल पर्यटन क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर पूर्व रॉयल पैलेस से सड़क के पार है, गार्डन को फील्ड मार्शल कैसर सुमशेर राणा (1892-1964) के लिए 1920 की शुरुआत में बनाया गया, तथा यह गार्डन ऑफ सिक्स सीजन्स के रूप में प्रसिद्ध हुआ। एडवर्डियन शैली से प्रेरित एक डिज़ाइन वाला गार्डन उस समय के सबसे परिष्कृत निजी उद्यानों में से एक माना जाता था। लैंडस्केप आर्किटेक्ट किशोर नरसिंह, सिंघा दरबार के डिजाइनर और शमशेर के पिता, महाराजा के वास्तुकार, ने गार्डन ऑफ ड्रीम्स के निर्माण का डिजाइन और पर्यवेक्षण किया। कैसर सुमशेर की मृत्यु के बाद, उद्यान नेपाल सरकार को सौंप दिया गया था, लेकिन दशकों तक इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया था। आज, मूल उद्यान का केवल आधा ही बचा है। नवीनीकरण, 2000-2007 दशकों की उपेक्षा के बाद ढहते मंडप, ऊंचे रास्ते और उपोष्णकटिबंधीय वनस्पतियों के नुकसान के बाद, नेपाल शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से ऑस्ट्रियाई विकास सहायता (ऑस्ट्रियाई सरकार) के सहयोग से 2000 और 2007 के बीच पुनर्स्थापन किया गया। नवीकरण परियोजना अन्य ऐतिहासिक स्थलों के सतत विकास के लिए एक मॉडल परियोजना बन गई है। अब बहाली पूरी होने के साथ-साथ, बगीचे में आधुनिक सुविधाएँ भी जोड़ी गई है। उद्घाटन शिक्षा और खेल मंत्रालय के सचिव, और एसजीडी बोर्ड के अध्यक्ष बालानंद पौडेल और नेपाल में ऑस्ट्रियाई राजदूत जुट्टा स्टीफन-बास्टल के स्वागत भाषण द्वारा किया गया था। संदर्भ नेपाल का भूगोल
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4%20%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A8
संत वैलेंटाइन
रोम के संत वैलेंटाइन रोम के एक पादरी थे जिनको लगभग 269 AD में शहादत मिली और वाया फ्लेमिनिया में उन्हें दफनाया गया था। उनके अवशेष रोम के सेंट प्राक्स्ड चर्च में और डब्लिन, आयरलैंड के व्हाइटफ्रियर स्ट्रीट कार्मेलाईट चर्च में हैं। टेरनी के वैलेंटाइन AD 197 में इन्तेरामना (आधुनिक टेरनी) के बिशप बने और कहा जाता है कि औरेलियन सम्राट द्वारा ईसाईयों उत्पीडन के दौरान उनकी हत्या की गयी थी। उन्हें भी वाया फ्लेमिनिया में ही दफ़नाया गया है, लेकिन गाड़ने का स्थान रोम के वैलेंटाइन से अलग है। उसके अवशेष टेर्नी में संत वैलेंटाइन के बेसिलिका (बेसिलिका डी सैन वेलेन्टीनो) पर हैं। ईसाई धर्म में १४ फरवरी को उनका संत दिवस मनाया जाता है। उत्तर मध्य युग से उनके संत दिवस को यूरोप में प्रेम की परंपरा से जोड़ा गया है। उन्हें मिर्गी पीड़ितों का संरक्षक संत भी माना जाता है। पहचान कई शुरुआती क्रिश्चियन शहीदों के नाम वैलेंटाइन थे। 1969 तक, कैथोलिक चर्च ने औपचारिक रूप से ग्यारह वैलेंटाइन दिनों को मान्यता दी। 14 फ़रवरी को सम्मानित वैलेंटाइन हैं रोम के वेलेटाइन वलेंतिनुस प्रेस्ब.म. रोमे) और टेर्नी के वैलेंटाइन (वलेंतिनुस एप. इन्तेराम्नेंसिस म. रोमे).<ref>'</ref> रोम के संत वैलेंटाइन रोम के एक पादरी थे जिनको लगभग 269 ईसवी में शहादत मिली और वाया फ्लेमिनिया में उन्हें दफनाया गया था। उनके अवशेष रोम के सेंट प्राक्स्ड चर्च में और डब्लिन, आयरलैंड के व्हाइटफ्रियर स्ट्रीट कार्मेलाईट चर्च में हैं। टेरनी के वैलेंटाइन 197 ईसवी में इन्तेरामना (आधुनिक टेरनी) के बिशप बने और कहा जाता है कि औरेलियन सम्राट के उत्पीडन के दौरान उनकी हत्या की गयी थी। उन्हें भी वाया फ्लेमिनिया में ही गाड़ा गया है, लेकिन गाड़ने का स्थान रोम के वैलेंटाइन से अलग है। उसके अवशेष टेर्नी में संत वैलेंटाइन के बेसिलिका (बेसिलिका डी सैन वेलेन्टीनो) पर हैं। कैथोलिक विश्वकोश एक तीसरे संत के बारे में भी उल्लेख करता है जिनका नाम वैलेंटाइन था और जिनका जिक्र शुरुआती शहादतों में 14 फरबरी की तारीख के अन्दर आता है। उनकी शहादत अफ्रीका में अपने अनेकों साथियों के साथ हुई थी, लेकिन उनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है। इनमें से किसी भी शहीद की शुरुआती मूल मध्यकालीन जीवनियों में रोमानी तत्वों का कोई जिक्र नहीं है। जिस समय तक एक सेंट वैलेंटाइन का सम्बन्ध चौदहवीं सदी में प्रेम के साथ जुड़ता, रोम के वैलेंटाइन और टेरनी के वैलेंटाइन के बीच के भेद बिलकुल खो गए। वर्तमान संतों के रोमन कैथोलिक कैलेंडर के 1969 के संशोधन में, फ़रवरी 14 पर संत वैलेंटाइन के फीस्टडे को जनरल रोमन कैलेंडर से निकाल कर विशिष्ट कैलेंडरों (स्थानीय या फिर राष्ट्रीय भी) में निम्नलिखित कारणों से डाल दिया गया: हालाँकि सेंट वैलेंटाइन की यादगार प्राचीन है, उसे विशिष्ट कैलेंडरों के लिए छोड़ दिया गया, क्योंकि, उनके नाम के अलावा, सेंट वैलेंटाइन के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं है सिवाय इसके की इन्हें वाया फ्लेमिनिया में १४ फरबरी को दफनाया गया था। फीस्ट डे आज भी बाल्ज़न(माल्टा) में मनाया जाता है जहाँ ऐसा दावा किया जाता है कि सेंट के अवशेष मिले हैं और पूरी दुनिया में भी उन परम्परावादी कैथोलिकों के द्वारा मनाया जाता है जो पुराने प्री- वैटिकन द्वितीय कैलेंडर को मानते हैं। शुरुआती मध्यकालीन एक्टा का उद्धरण बीड के द्वारा किया गया था और लेगेंडा ओरिया में संक्षेप में व्याख्यान किया गया है। उस संस्करण के अनुसार, सेंट वैलेंटाइन का क्रिश्चियन के नाते उत्पीडन किया गया था और रोम के सम्राट क्लोडिअस द्वितीय के द्वारा व्यक्तिगत रूप से पूछ ताछ की गयी थी। क्लोडिअस वैलेंटाइन से प्रभावित थे और उनके साथ चर्चा की थी, कोशिश की थी कि रोमन पागानिस्म में उनका धर्मान्तरण हो जाये ताकि उनकी जान बचायी जा सके। वैलेंटाइन से इनकार कर दिया और उल्टा कोशिश की कि क्लोडिअस ईसाई बन जाये इस वजह से, उसे शहीद कर दिया गया था। ऐसा कहा जाता है कि मारे जाने से पहले उन्होनें जेलर की अंधी बेटी को ठीक करने का चमत्कार किया था। लेगेंडा ओरिया अभी भी प्रेम के साथ कोई सम्बन्ध नहीं जोड़ पा रही थी, इसलिए दंतकथाओं को आधुनिक समय में जोड़ दिया गया। इनमें वैलेंटाइन को एक ऐसे पादरी के रूप में दिखाया गया जिसने रोमन सम्राट क्लोडिअस द्वितीय के एक कानून को मानाने से इंकार कर दिया था जिसके अनुसार जवान लड़कों को शादी न करने का हुक्म दिया गया था। सम्राट ने संभवतः ऐसा अपनी सेना बढ़ाने के लिए किया होगा, उसका ये विश्वास रहा होगा की शादीशुदा लड़के अच्छे सिपाही नहीं होते हैं। पादरी वैलेंटाइन इस बीच चुपके से जवान लोगों की शादियाँ करवाया करते थे। जब क्लोडिअस को इस बारे में पता चला, उसने वैलेंटाइन को गिरफ्तार करवाकर जेल में फेंक दिया। इस सुन्दर दंत कथा को और अलंकृत करने के लिए कुछ अन्य किस्से जोड़े गए। मारे जाने से एक शाम पहले, उन्होंने पहला "वैलेंटाइन" स्वयं लिखा, उस युवती के नाम जिसे उनकी प्रेमिका माना जाता था। ये युवती जेलर की पुत्री थी जिसे उन्होंने ठीक किया था और बाद में मित्रता हो गयी थी। ये एक नोट था जिसमें लिखा हुआ था "तुम्हारे वैलेंटाइन के द्वारा" ऐसा ही एक दिवस प्राचीन फारस में वैलेंटाइन दिवस के भी बहुत पहले से मनाया जाता था। इसे प्रेम और प्रेमियों के दिवस के रूप में जाना जाता था। वैलेंटाइन्स डेवैलेंटाइन दिवस' को 14 फ़रवरी को द्वारा दुनिया भर में संत वैलेंटाइन के संत दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, ये एक पारंपरिक दिवस है, जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार वैलेंटाइन कार्ड भेजकर, फूल देकर, या चॉकलेट आदि देकर करते हैं। जेफ्री चौसर के आस पास इस दिवस का सम्बन्ध रूमानी प्रेम के साथ हो गया। ये दिन प्रेम पत्रों के "वैलेंटाइन" के रूप में पारस्परिक आदान प्रदान के साथ गहरे से जुड़ा हुआ है। आधुनिक वैलेंटाइन के प्रतीकों में शामिल हैं दिल के आकार का प्रारूप, कबूतर और पंख वाले क्यूपिड का चित्र.19वीं सदी के बाद से, हस्तलिखित नोट्स की जगह बड़े पैमाने पर बनाने वाले ग्रीटिंग कार्ड्स ने ले ली है। ग्रेट ब्रिटेन में उन्नीसवीं शताब्दी में वैलेंटाइन का भेजा जाना एक फैशन था और, 1847 में, एस्थर हौलैंड ने अपने वोर्सेस्टर, मैस्साचुसेट्स स्थित घर में ब्रिटिश मॉडलों पर आधारित घर में ही बने कार्ड्स द्वारा एक सफल व्यवसाय विकसित कर लिया था। 19 वीं सदी के अमेरिका में वैलेंटाइन कार्ड की लोकप्रियता जहां कई वैलेंटाइन कार्ड अब सामान्य ग्रीटिंग कार्ड प्यार की घोषणाओं के बजाय, संयुक्त राज्य अमेरिका में छुट्टियों के भविष्य व्यावसायीकरण के एक अग्रदूत था रहे हैं। अमेरिका के ग्रीटिंग कार्ड एसोसिएशन का अनुमान है कि लगभग एक अरब वैलेंटाइन हर साल पूरी दुनिया में भेजे जाते हैं, जिसके कारण, क्रिसमस के बाद, इस छुट्टी को कार्ड भेजने वाले दूसरे सबसे बड़े दिवस के रूप में जाना जाता है। एसोसिएशन का अनुमान है कि औसतन अमरीका में पुरुष महिलाओं के मुकाबले दुगना पैसा खर्चा करते हैं। इन्हें भी देखें वैलेंटाइन डे संरक्षक संत सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ De Voragine, Jacobus. The Life of Saint Valentine. In Legenda Aurea, compiled around 1275 Thurston, Herbert (2015). St. Valentine. The Catholic Encyclopedia, Vol. 15. Hülsen, Christian (1927). Le chiese di Roma nel medio evo: cataloghi ed appunti.'' Florence. CXV, 640 p. (On-line text). Paglia, Vincenzo. "Saint Valentine's Message". Washington Post, February 15, 2007. Saint Valentine: Biography. Diocese of Terni. 2009. St Valentine of Terni – English translation of his "Passio" (BHL 8460) St Valentine of Rome – English translation of his "Passio" (BHL 8465) – actually an extract from the Acts of Marius, Martha, Audifax and Habbakuk (BHL 5543). ईसाई धर्म ईसाई संत वैलेंटाइन्स डे
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (एसएआर) एक प्रकार का प्रान्तीय स्तर का प्रशासनिक प्रभाग हैं जो सीधे चीन की पीपुल्स रिपब्लिक हैं। एक क्षेत्र के रूप में, उनके पास चीन में सबसे अधिक स्वायत्तता है। केन्द्र की पीपुल्स गवर्नमेण्ट विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों से संबंधित होने वाली सापेक्ष स्वायत्तता के बावजूद, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस अभी भी विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों के लिए गुप्त रूप से एकपक्षीय कानून लिखने में सक्षम है जो कि सार्वजनिक रूप से तब तक नहीं पढ़े जाते जब तक वे पारित नहीं हो जाते। चीनी जनवादी गणराज्य के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र चीनी भाषा पाठ वाले लेख
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ग्रीन हैंड्स परियोजना
ग्रीन हैंड्स परियोजना () तमिलनाडु, भारत में एक पर्यावरण संबंधी प्रस्ताव है, जो ईशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया गया है। पूरे तमिलनाडु में लगबग ११ करोड़ पेड़ रोपित करना, परियोजना का घोषित लक्ष्य है। अब तक ग्रीन हैंड्स परियोजना के अंतर्गत तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में १८०० से अधिक समुदायों में, २० लाख से अधिक लोगों द्वारा ८२ लाख पौधे के रोपण का आयोजन किया है। इतिहास ग्रीन हैंड्स परियोजना विश्व पर्यावरण हफ्ते के दौरान जून २००४ में सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा आरंभ किया गया था। पी जी एच की पहली बड़ी पेड़ रोपण मैराथन १७ अक्टूबर २००६ को हुई। मैराथन की प्रराम्ब डॉ॰ एम. करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा की गयी थी। उन्होंने पहला पौधा अपने गोपालपुरम निवास मैं रोपित किये। इस मैराथन में ८५२,५८७ पौधे, ६२८४ स्थानों में २७ जिलों में रोपित किये गये सिर्फ तीन दिनों में। इस उपलब्धि के लिए, पी जी एच गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में भरती हुई, तीन दिनों में सबसे अधिक पेड़ लगाने के लिये। इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार २०१० में ग्रीन हैंड्स परियोजना को २००८ के लिए संगठन की श्रेणी में भारत सरकार द्वारा इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार विश्व पर्यावरण दिवस, ५ जून २०१०, को भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव को पेश किया। सन्दर्भ देखे ईशा फाउंडेशन बाहरी Project Green Hands Official Website Isha Foundation Official Website Isha Outreach Official Website भारत के गैरसरकारी संगठन पर्यावरण संगठन
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मंझन
मंझन, हिंदी सूफी प्रेमाख्यान परंपरा के कवि थे। मंझन के जीवनवृत्त के विषय में उसकी एकमात्र कृति "मधुमालती" में संकेतित आत्मोल्लेख पर ही निर्भर रहना पड़ता है। मंझन ने उक्त कृति में शहएवक्त सलीम शाह सूर, अपने गुरू शेख मुहम्मद गौस एवं खिज्र खाँ का गुणानुवाद और अपने निवासस्थान तथा "मधुमालती" की रचना के विषय का उल्लेख किया है। मंझन ने "मधुमालती" की रचना का प्रारंभ उसी वर्ष किया, जिस वर्ष सलीम अपने पिता शेरशाह सूर की मृत्यु (952 हिजरी सन् 1545 ई0) के पश्चात् शासक बना। इसीलिए सूफी-काव्य-परंपरा के अनुसार कवि ने शाह-ए-वक्त सलीम शाह सूर की अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा की है। शत्तारी संप्रदायी सूफी संत शेख मुहम्मद गौस के मंझन के गुरू थे। जिनका पर्याप्त प्रभाव बाबर, हुमायूँ और अकबर तक पर भी था। बड़ी निष्ठा और बड़े विस्तार के साथ कवि ने अने इस गुरू की सिद्धियों की बड़ाई की है। उक्त उल्लेख को देखे हुए मंझन ऐतिहासिक व्यक्ति खिज्र खाँ (नौंना) के कृपापात्र जान पड़ते हैं। मंझन जाति के मुसलमान थे। "मधुमालती" का रचनाकाल 952 हिजरी (सन् 1545 ई0) है। इसमें कनकगिरि नगर के राजा सुरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर नरेश विक्रमराय की कन्या मधुमालती की सुखांत प्रेमकहानी कही गई है। इसमें "जो सभ रस महँ राउ रस ताकर करौं बखान "कविस्वीकारोक्ति के अनुसार जो सभी रसों का राजा (शृंगार रस) है उसी का वर्णन किया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि में प्रेम, ज्ञान और योग है। उनके जीवनदर्शन की मूलभित्ति ज्ञान-योग-संपन्न प्रेम है। प्रेम की जैसी असाधारण और पूर्ण व्यंजना मंझन ने की है वैसी किसी अन्य हिंदी सूफी कवि ने नहीं की। उनकी कविता प्रसादगुण युक्त है। हिन्दी कवि
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इसानी वाघेला
इसानी वाघेला (जन्म 7 जनवरी 2006) एक अमेरिकी क्रिकेटर हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका की महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं। सितंबर 2021 में, चौधरी को मेक्सिको में 2021 आईसीसी महिला टी20 विश्व कप अमेरिका क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए अमेरिकी महिला ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय (मटी20आई) टीम में नामित किया गया था। उन्होंने ब्राजील के खिलाफ टूर्नामेंट के शुरुआती मैच में 18 अक्टूबर 2021 को मटी20आई की शुरुआत की। अगले महीने, उन्हें जिम्बाब्वे में 2021 महिला क्रिकेट विश्व कप क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए अमेरिका की टीम में भी नामित किया गया था। 23 नवंबर 2021 को, वह बांग्लादेश के खिलाफ अमेरिका के टूर्नामेंट के पहले मैच में खेली। सन्दर्भ 2006 में जन्मे लोग जीवित लोग
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फ़ीचर फ़िल्म
फ़िल्म उद्योग में कथाचित्र या फ़ीचर फ़िल्म उस फिल्म को कहते हैं जिन्हें सिनेमाघरों में वितरित कर व्यापार करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। द एकेडमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स, द अमेरिकन फ़िल्म इंस्टीट्यूट और द ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टीट्यूट सभी ने 40 मिनट से अधिक देर तक चलने वाली फ़िल्म को फ़ीचर फ़िल्म के नाम से परिभाषित किया है। फ़्रांस में द सेंटर डि ला सिनेमेटोग्राफ़ी के अनुसार 35 मि.मि. की फ़िल्म जो 1,600 से ज़्यादा लंबी हो, जो 58 मिनट 29 सेंकेंड की साउंड फ़िल्म पर सही बैठें और स्क्रीन ऐक्टर गिल्ड जिन्हें 80 मिनट जिन्हें 80 मिनट जिनके चलने का समय कम से कम 80 मिनट दे ऐसी फ़िल्में फ़ीचर फ़िल्म हैं। सामान्य रूप से एक भारतीय फिल्म 90 से 120 मिनट की होती है। बच्चों की फ़िल्में 60 से 120 मिनट की हो सकती हैं। इन्हें भी देखें रूपक (या, फीचर) फ़िल्म फ़िल्म के प्रकार
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दून एक्स्प्रेस ३०१०
दून एक्स्प्रेस 3010 भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन देहरादून रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:DDN) से 08:25PM बजे छूटती है और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:HWH) पर 07:00AM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है 34 घंटे 35 मिनट। १३००९/१० हावडा देहरादून दून एक्सप्रेस भारतीय रेल के पूर्व रेल्वे क्षेत्र से संबंधित एक एक्सप्रेस ट्रेन है जो भारत में हावडा जंक्शन और देहरादून के बीच चलती हैІ यह ट्रेन संख्या १३००९ के रूप में हावडा जंक्शन से देहरादून तक चलती है और ट्रेन संख्या १३०१० के रूप में विपरीत दिशा में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में सेवारत है और दो गाडियो में से एक है जो हावडा और देहरादून को जोडती है, अन्य ट्रेन १२३२७/२८ उपासना एक्सप्रेस हैІ डिब्बे वर्तमान में १३००९/१० हावडा देहरादून दून एक्सप्रेस में १ एसी २ टियर, ३ एसी ३ टियर, ११ स्लीपर क्लास, ३ सामान्य अनारक्षित और २ डिब्बे बेठक और सह सामान की रेक हैІ इसमे भोजन यान का डिब्बा नहीं हैІ क्योंकि भारत में ज्यादातर रेल सेवा प्रथागत है, डिब्बो का संगठन मांग के आधार पर भारतीय रेल के विवेकाधीन सुधारी जाती हैІ सेवा १३००९ हावडा देहरादून दून एक्सप्रेस ३४ घंटे ५५ मिनट (४४.५९ किमी / घंटा) में १५५७ किमी की दूरी तय करती है और ३४ घंटे ३० मिनट में १३०१० देहरादून हावडा दून एक्सप्रेस के रूप में (४५.१३ किमी / घंटा) की दूरी तय करती हैІ क्योंकि ट्रेन की औसत गति ५५ किमी / घंटे से नीचे है भारतीय रेलवे नियमो के अनुसार, इसके किराये में एक सुपरफास्ट अधिभार शामिल नहीं हैІ मार्ग १३००९/१० हावडा देहरादून दून एक्सप्रेस हावडा जंक्शन से बर्धमान जंक्शन, धनबाद जंक्शन, गया जंक्शन, मुगलसराय जंक्शन, फैजाबाद जंक्शन, लखनऊ जंक्शन एन. आर., शाह्जहापुर, बरेली,मुरादाबाद, नजीबाबाद जंक्शन, हरिद्वार जंक्शन से होकर देहरादून जाती हैІ संकर्षण मार्ग आंशिक रूप से विध्युतीकृत है, यह हावडा जंक्शन से मुगलसराय जंक्शन तक हावडा आधारित डबल्युएपी-४ से खिंचा जाता है और बाकी की यात्रा के लिए ट्रेन को लखनऊ या तुगलकाबाद आधारित डबल्युडीएम ३ए को सौपा जाता हैІ समय १३००९ हावडा देहरादून दून एक्सप्रेस भारतीय समय के अनुसार दैनिक २०.३० बजे हावडा जंक्शन से रवाना होती है और भारतीय समय अनुसार तीसरे दिन ०७.२५ बजे देहरादून पहुंचती हैІ १३०१० देहरादून हावडा दून एक्सप्रेस भारतीय समय के अनुसार दैनिक २०.२५ बजे देहरादून से रवाना होती है और भारतीय समय अनुसार तीसरे दिन ०६.५५ बजे हावडा जंक्शन पहुंचती हैІ अकस्मात ३१ मई २०१२ को मारवा स्टेशन पर ट्रेन पटरी से उतर जाने की वजह से ५ लोगो की मृत्यु हुई थी और ५० लोग घायल हो गए थे। २८ अप्रैल २०१४ को उत्तरप्रदेश में आम्बेड्कर नगर के पास झाफरागंज स्टेशन के नज्दीक दून एक्सप्रेस पटरी से उतर जाने की वजह से ३ लोगो की मौत हुई और ६ लोग घायल हुए. सन्दर्भ मेल एक्स्प्रेस ट्रेन
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सीमा किरमानी
सीमा केरमनी या किरमानी (जन्म1951) एक पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता, तहरीक-ए-निस्वां संस्था की संस्थापक और भरतनाट्यम नृत्य विशेषज्ञ हैं। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा किरमानी का जन्म रावलपिंडी, पाकिस्तान में एक मध्यमवर्गीय शिक्षित परिवार में हुआ था। उन्होंने कराची में कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी में अध्ययन किया। वह कला विभाग में स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए लंदन गए और बाद में पाकिस्तान लौट आए। उन्होंने महसूस किया कि पाकिस्तानी समाज की महिलाएं समाज में समानता हासिल करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए उन्होंने 'तहरीक-ए-निस्वां' (महिला आंदोलन) नामक एक आंदोलन शुरू किया। यह एक सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं का समूह है जो थिएटर और थिएटर उद्योग में मीडिया का उपयोग करता है और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास करता है। किरमानी के पिता पाकिस्तान सेना के सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर थे और वह केईएससी (कराची इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन) के अध्यक्ष थे। उनकी शिक्षा कॉन्वेंट स्कूलों में हुई थी जहाँ उनके पिता की पोस्टिंग होती थी। करमानी ने 1960 के दशक के मध्य में भरतनाट्यम सीखना शुरू किया किरमानी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान लीला सैमसन के तहत भरतनाट्यम और अलका पणिक्कर के तहत ओडिसी सीखी। उन्होंने पाकिस्तान में अपना पहला एकल नृत्य 1984 में किया। उन्होंने कराची में थिएटर निर्देशक प्रसन्ना रामास्वामी के निर्देशन में थिएटर वर्कशॉप भी की और कराची में तहरीक-ए-निस्वां नामक एक सांस्कृतिक संगठन के प्रमुख बने। 2017 उपस्थिति 2017 में बर्बर सुसाइड हमले के बाद किरमानी सहवान शरीफ पहुंची जहां उन्होंने एक सूफी नृत्य धमाल पेश किया। उन्होंने जोशीला नृत्य पेश किए और मीडिया को बताया कि कोई भी गाना और नाचना बंद नहीं कर सकता है। उन्होंने लाहौर के फैज़ अमान मेले में नृत्य किया जहां उन्होंने अस्मा जहाँगीर को श्रद्धांजलि पेश की। उन्होंने कहा कि "हम एक दूसरे से प्यार करके और एक दूसरे के साथ प्यार का संदेश साझा करके शांति, सद्भाव और समानता ला सकते हैं"। वृत्तचित्र जनरल ज़िया के शासन के दौरान देश में सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के लिए लड़ने के लिए पाकिस्तान की एक व्यक्तित्व, सीमा किरमानी के जीवन और काम पर आधारित एक वृत्तचित्र बनाया गया है। इसके निर्देशक तैमूर रहीम और सह-निर्माता वाहिद अली हैं। इसे विद बेल्स ऑन हर फ़ीट कहा जाता है। यह इस शास्त्रीय कोरियोग्राफर के अतीत की एक झलक है, और इसका यह छोटा खंड एक प्रेरणा से कम नहीं है। सन्दर्भ 1951 में जन्मे लोग जीवित लोग भरतनाट्यम् नृत्यांगना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86%20%E0%A4%9A%E0%A4%B2%E0%A4%B2%20%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8
निरहुआ चलल लंदन
निरहुआ चलल लंदन चंद्र पंत द्वारा निर्देशित और पशुपतिनाथ प्रोडक्शन के बैनर तले वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स द्वारा सह-निर्मित सोनू खत्री द्वारा निर्मित एक 2019 भारतीय भोजपुरी की एक्शन रोमांस ड्रामा फिल्म है। फिल्म में आम्रपाली दुबे के साथ दिनेश लाल यादव प्रमुख भूमिका में हैं, जबकि सुनील थापा, संतोष मिश्रा, मनोज टाइगर, गोपाल राय, संतोष पहलवान, सुषमा अधिकारी, सोनू खत्री, राम मगर, सबिन शेषा और माया यादव भी सहायक भूमिकाओं में हैं। संभावना सेठ ने "पंडित जी का बेटा है" गीत में एक विशेष उपस्थिति दर्ज की है। प्लॉट कहानी एक गांव से शुरू होती है जहां निरहुआ के पिता चाहते हैं कि उनके बेटे की शादी हो, लेकिन निरहुआ शादी के लिए तैयार नहीं है। लंदन में जहां चंद्रशेखर अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं, वहीं उनकी एक बेटी जूली भी है। जूली को प्रभात नाम का एक विलेन जबरन शादी करने के लिए परेशान करता है। प्रभात की धमकियों से तंग आकर चंद्रशेखर ने जूली की शादी विशंभर सिंह के बेटे से करने का फैसला किया, लेकिन विशंभर की मां की एक शर्त है कि लड़की भारतीय संस्कृति और संगीत को जानती है और जूली संगीत सीखने के लिए भारत जाती है। जहां उसकी मुलाकात निरहुआ से होती है, जो एक मशहूर सिंगर है और वह जूली को म्यूजिक सिखाता है। निरहुआ को पहली नजर में जूली से प्यार हो जाता है और वह जूली से अपने प्यार का इजहार करता है लेकिन जूली उसे मना कर देती है और कहती है कि उसकी शादी तय हो गई है। लेकिन धीरे-धीरे जूली को भी निरहुआ से प्यार हो जाता है। जब चंद्रशेखर को यह पता चलता है तो वह तुरंत जूली को लंदन बुला लेता है। निरहुआ जूली से शादी करने के लिए लंदन जाना चाहता है और पासपोर्ट के लिए भी आवेदन करता है, लेकिन पासपोर्ट नहीं मिलता और निराश हो जाता है। लंदन में एक टीवी कार्यक्रम है जिसमें निरहुआ प्रदर्शन करता है और वह विशंभर और उसकी मां को पसंद करता है और वे निरहुआ को लंदन में आमंत्रित करते हैं जहां निरहुआ जूली की सगाई में प्रदर्शन करता है, जूली लंदन में निरहुआ को देखकर खुश होती है। जब विशंभर को पता चलता है कि जूली और निरहुआ एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो वे गुस्सा हो जाते हैं और निरहुआ को मारने की कोशिश करते हैं लेकिन निरहुआ उनसे बच निकलता है। फिर प्रभात उनका पीछा करता है लेकिन चंद्रशेखर प्रभात को गोली मार देता है और निरहुआ और जूली की शादी को स्वीकार कर लेता है और यही कहानी है "निरहुआ चलल लंदन" की। कास्ट दिनेश लाल यादव निरहुआ के रूप में आम्रपाली दुबे जूली के रूप में संतोष मिश्रा पंडित जी रियाज अली के रूप में मनोज टाइगर लखन (निरहुआ के दोस्त) के रूप में सुनील थापा विशंभर सिंह के रूप में सबिन शेषा प्रभात के रूप में अनूप अरोड़ा चंद्रशेखर के रूप में (जूली के पिता) किरण यादव निरहुआ की मां के रूप में संतोष पहलवान भोला सिंह (जूली के चाचा) के रूप में गोपाल राय निरहुआ के पिता के रूप में पंडित की प्रेमिका के रूप में सुषमा अधिकारी सोनू खत्री विशंभर के बेटे के रूप में विशंभर की मां के रूप में पुष्पा वर्मा संभावना सेठ "पंडित जी बेटा है" गाने में एक विशेष उपस्थिति में राम मगर रिलीज यह फिल्म मूल रूप से 25 जनवरी 2019 को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन अज्ञात कारणों से निर्माताओं ने अंतिम समय में रिलीज़ की तारीख को आगे बढ़ा दिया। आखिरकार फिल्म 15 फरवरी 2019 को सिनेमाघरों में आ गई है, फिल्म उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मुंबई, गुजरात और नेपाल में रिलीज हुई है और उसे बंपर ओपनिंग मिली। उत्पादन फिल्म को मुंबई, नेपाल और लंदन सहित कई देशों में चार अलग-अलग चरणों में शूट किया गया है। निरहुआ चलल लंदन' की पटकथा संतोष मिश्रा ने लिखी है जबकि संगीत मधुकर आनंद ने दिया है। छायांकन मनकृष्ण महाराजन और रामेश्वर कारी द्वारा किया गया है। कबीरराज गहतराज, रामजी लिमेछाने और संजय कर्वे ने डांस नंबरों को कोरियोग्राफ किया है। चंद्र पंत ने फिल्म में एक्शन और स्टंट का निर्देशन किया है। सूरज खड़क फिल्म के कार्यकारी निर्माता हैं और सनी शाह प्रोडक्शन डिजाइनर हैं। मार्केटिंग एडिट फर्स्ट-लुक पोस्टर और टीज़र यह फिल्म नए साल (1 जनवरी 2019) के अवसर पर जारी की गई थी और दूसरा लुक पोस्टर 11 जनवरी 2019 को आम्रपाली दुबे के जन्मदिन के अवसर पर जारी किया गया था। . "निरहुआ चलल लंदन" का ट्रेलर 26 फरवरी 2018 को "वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स भोजपुरी" के यूट्यूब आधिकारिक चैनल पर जारी किया गया था और इसे यूट्यूब पर 12 मिलियन से अधिक बार देखा गया था। यह फिल्म 26 अक्टूबर 2019 को वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स भोजपुरी के आधिकारिक चैनल पर ऑनलाइन वीडियो प्लेटफॉर्म साइट यूट्यूब पर ऑनलाइन स्ट्रीम की गई थी और इसे केवल 48 घंटों में 4.2 मिलियन व्यूज मिले। मई 2020 तक, फिल्म को यूट्यूब पर 26 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका था।. संदर्भ 2019 की फ़िल्में भोजपुरी फ़िल्में भारतीय फ़िल्में
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%82%20%E0%A4%A4%E0%A5%82%20%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82%20%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82
तू तू मैं मैं
तू तू मैं मैं एक भारतीय हास्य धारावाहिक है। जिसका प्रसारण दूरदर्शन में और 1996 के बाद स्टार प्लस में हुआ था। इसके निर्देशक सचिन पिल्गऔंकर हैं। इसका पहला प्रसारण डीडी मेट्रो में हुआ। कलाकार रीमा लागू - देवकी वर्मा सुप्रिया पिलगाँवकर - राधा वर्मा महेश ठाकुर - रवि वर्मा कुलदीप पवार - गोपाल वर्मा भावना बालसवार - रूपा सचिन पिलगऔंकर - चन्दन रेशम टिपणीस - गुड्डी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ दूरदर्शन धारावाहिक स्टार प्लस के धारावाहिक
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डैनियल लैम्बर्ट
डैनियल Lambert (13 मार्च १७७०-जून 21, 1809) एक gaol रक्षक और जानवर ब्रीडर से लीसेस्टर, इंग्लैंड, अपनी असामान्य रूप से बड़े आकार के लिए प्रसिद्ध था। चार साल के एक उत्कीर्णन और मर कास्टिंग काम करता है पर एक प्रशिक्षु के रूप में बर्मिंघम की सेवा की, के बाद वह लीसेस्टर के चारों ओर 1788 में वापस आ गया और उसके पिता लीसेस्टर के gaol के रक्षक के रूप में सफल रहा। वह एक खिलाड़ी के लिए उत्सुक था और बहुत मजबूत है, एक भालू लीसेस्टर की सड़कों पर एक श्रृंखला के साथ लड़ रहे एक अवसर पर। वे व्यापक रूप से अपनी विशेषज्ञता कुत्ते, घोड़े और लंड से लड़ने के लिए सम्मान जानवरों के खेल, में एक विशेषज्ञ हैं। पर समय लीसेस्टर के लिए उनकी वापसी के आसपास अपने वजन तेजी से, उसकी एक गहरी खिलाड़ी होने के बावजूद और शराब से परहेज़ और असामान्य मात्रा में खाना नहीं खा अपने खाते से वृद्धि हुई। 1805 में जो gaol Lambert रक्षक बंद कर दिया गया था। इस समय तक वह 50 पत्थर (700 पौंड, 320 किग्रा) वजन और इतिहास में भारी प्रमाणित व्यक्ति बन गया था। अपने unemployable और थोक के बारे में संवेदनशील Lambert एक वैरागी हो गया। में घटनाएँ गरीबी डैनियल Lambert खुद के पैसे जुटाने के लिए प्रदर्शन पर डाल करने के लिए मजबूर किया। अप्रैल 1806 में वह लंदन में निवास दर्शक उसे पूरा करने के लिए अपने अपार्टमेंट में प्रवेश करने के लिए चार्ज करने के लिया। आगंतुकों अपने खुफिया और व्यक्तित्व से प्रभावित थे और उस पर जाकर उच्च फैशन बन गया। सार्वजनिक प्रदर्शन Lambert खुद का प्रदर्शन और सितम्बर 1806 में थक गए हो गया पर कुछ महीनों के बाद वह लीसेस्टर, जहां वे खेल कुत्ते नस्ल और नियमित रूप से खेल की घटनाओं में भाग लिया धनी लौटे। १८०६ और 1809 के बीच वह कम धन उगाहने वाले पर्यटन की एक श्रृंखला के आगे बना दिया। जून 1809 में डैनियल Lambert अचानक Stamford में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय वह 52 पत्थर 11 पौंड (739 पौंड, 335 किग्रा) वजन और उसके ताबूत 112 वर्ग फुट (10.4 मीटर की आवश्यकता 2) की लकड़ी। ताबूत आसान परिवहन और झुका हुआ दृष्टिकोण करने के लिए गंभीर खोदा जा रहा है कि अनुमति के लिए पहियों के साथ बनाया जा रहा होने के बावजूद, यह 20 लोग लगभग आधे घंटे उसके ताबूत में कब्र, सेंट मार्टिन चर्च के पीछे करने के लिए एक नए खुले कब्रिस्तान भूमि में खींच लिया। वर्णित दूसरों के आगे निकल डैनियल Lambert के बाद से है, जबकि 'के रूप में "एक शहर के सबसे अधिक माउस को आइकनों पोषित के रिकॉर्ड के इतिहास में सबसे भारी व्यक्ति, वह रहता है के रूप में एक लोकप्रिय चरित्र लीसेस्टर और 2009 में लीसेस्टर बुध का किया गया। जीवनी प्रारंभिक जीवन डैनियल Lambert ब्लू भालू लेन, लीसेस्टर, में अपने माता पिता के घर पर 13 मार्च घटनाएँ पर पैदा हुआ था। उनके पिता भी डैनियल Lambert, नाम, हैरी ग्रे, Stamford के 4 अर्ल huntsman किया गया था, और अपने बेटे के जन्म के समय लीसेस्टर के bridewell (gaol) का रक्षक। सबसे बड़ी चार बच्चों के दो बहनों और एक भाई जो युवा डैनियल Lambert था। अपने पहले किशोरावस्था से Lambert एक खिलाड़ी के लिए उत्सुक था। आठ साल की उम्र में उन्होंने एक तैराक के लिए उत्सुक था, और अधिक अपने जीवन के लिए वह स्थानीय बच्चों तैरने के लिए सिखाया है। Lambert है पैतृक चाचा-अपने पिता की तरह-भी जानवरों के साथ है, लेकिन एक पेशेवर gamekeeper के रूप में काम किया है और अपनी मातृ दादा एस चैंपियन लड़ मुर्गा के एक ब्रीडर था। Lambert क्षेत्र के खेल में एक मजबूत हित के साथ बड़ा हुआ, और विशेष रूप से otter शिकार, मछली पकड़ने, शूटिंग और घोड़े दौड़ का शौक था। अपने देर से किशोरावस्था से वह एक विशेषज्ञ s शिकार कुत्ते के प्रजनन में माना जाता था। 1784 में वह प्रशिक्षु मेसर्स टेलर और सह करने के लिए, एक उत्कीर्णन घ और मर कास्टिंग के स्वामित्व में से एक श्री बिन्यामीन पैट्रिक बर्मिंघम में काम करता है।<ref name="DNB" ></SPAN> उत्कीर्ण buckles और बटन में पैट्रिक कारखाने विशेष हालांकि अफैशनवाला हो गया है और व्यापार गिरावट में चला गया। १७८८ में Lambert लीसेस्टर gaol में अपने पिता के सहायक के रूप में सेवा करने के लिए, करने के लिए वापस आ गया<ref name="DNB" ></SPAN> (कुछ सूत्रों के Lambert वापसी लीसेस्टर 1791 मेसर्स टेलर और सह जुलाई 1791 के Priestley दंगों में आवास निर्माण की तबाही के बाद, के लिए तारीख)। Lambert जल्द ही उसके पिता, जो सेवानिवृत्त था gaol रक्षक के रूप में सफल रहा। युवा डैनियल Lambert बहुत सम्मानित gaoler था, वह कई कैदियों के साथ दोस्ती की है और जब वे परीक्षण के लिए उन्हें मदद करने के लिए हर प्रयास किया। वजन हालांकि अपने खाते से Lambert असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में भोजन नहीं खाया है, पर लीसेस्टर के लिए उनकी वापसी के समय के बारे में अपने वजन तेजी से वृद्धि हुई और 1793 द्वारा वह 32 पत्थर (450 पौंड, 200 किग्रा) वजन।<ref name="DNB" ></SPAN> सवाल-अपने खाली समय में अपने स्वास्थ्य के लिए वह अपने आप को अभ्यास करने के लिए, जहां वह आसानी से पांच hundredweight (560 पौंड, 250 किलो) ले जाने के लिए कर रहा था बात करने के लिए अपनी ताकत का निर्माण समर्पित है। एक अवसर पर, वह एक नृत्य सहन ब्लू भालू लेन में प्रदर्शन पर देख रहा था, जबकि अपने कुत्ते ढीला फिसल गया और इसे थोड़ा। भालू कुत्ते जमीन को गिरा दिया और यह तो वह अपने घायल जानवरों को पुनः प्राप्त कर सकता है, लेकिन रक्षक सहन थूथन कुत्ते को मारने के लिए अनुमति देने के लिए निकाल दिया को नियंत्रित करने के लिए अपने रक्षक Lambert कहा। Lambert कथित तौर पर एक ध्रुव के साथ और उसके बाएं हाथ के साथ भालू मारा यह भूमि पर दस्तक, अपने सिर पर मुक्का मारा, सफलतापूर्वक कुत्ते से बच गया है। अपनी तेजी से बड़ी परिधि के बावजूद Lambert बार 7 मील की दूरी पर (11 किमी) Woolwich से चलने के लिए लंदन के शहर "स्पष्ट है बहुत कम थकान से कई middle-sized पुरुषों जो पार्टी के थे" के साथ फिट और सक्रिय रहे। हालांकि नहीं विशेष रूप से चुस्त है, वह काफी अपने थोक द्वारा प्रतिबंधित नहीं था और एक पैर पर खड़ा है और दूसरे 7 फीट (2.1 मी.) की ऊंचाई को लात मारने के लिए कर रहा था। वह लीसेस्टर में तैरने को पढ़ाने के लिए जारी रखा और उसकी पीठ पर बैठने दो बड़े लोगों के साथ लोकप्रियता बरकरार रहने में सक्षम था। वह उसके कपड़े बदलने पसंद नहीं है और हर सुबह आदतन वह पहले दिन की परवाह किए बिना कि वे अभी भी गीला थे पहना था कपड़े पहने, Lambert अपने खाते से वह कोई सर्दी या अन्य बीमार प्रभाव इस व्यवहार से सामना करना पड़ा। 1801 Lambert वजन के बारे में 40 पत्थर (560 पौंड, 250 किलो) वृद्धि हुई थी और अपने थोक था जैसा कि न तो वे और न ही अपने घोड़े वह शिकार के साथ रखने के लिए सक्षम शिकार को देने को मजबूर किया गया। वह क्षेत्र खेल में रुचि को बनाए रखने 30 टेरियर एस का एक पैकेट के ध्यान में रखते हुए जारी रखा। हालांकि वह एक gaoler के रूप में अपने ठोस प्रतिष्ठा को बनाए रखा इस समय तक, गंभीर चिंता के बाद के लिए अपने स्वास्थ्य के बारे में उठाया जा रहा है। पारंपरिक gaols पक्ष और श्रमिक को मजबूर संस्थानों के साथ प्रतिस्थापित किया जा रहा से बाहर गिर रहे थे और पुराने Bridewell gaol 1805 में बंद कर दिया गया है। Lambert है एक काम के बिना छोड़ दिया गया था, लेकिन (के बारे में £ 50 £ एक वार्षिकी प्रदान की गई थी के रूप में ) gaol रक्षक के रूप में उनके उत्कृष्ट सेवा की पहचान, लीसेस्टर मजिस्ट्रेट ने एक साल। बेरोजगारी Lambert है परिधि तो भारी था, सामान्य आकार के छह लोगों को एक साथ अपने waistcoat के अंदर फिट कर सकते, और अपने मोज़ा में से प्रत्येक के आकार के एक बोरी। उनके £ 50 वार्षिकी पर्याप्त रूप से अपने जीवन की लागत शामिल नहीं किया था और अपने थोक भी उसे काम करने से रोका। वह एक आभासी वैरागी हो गया। अपने थोक की कहानियों था तो का प्रसार और यात्री के लिए शुरू कर दिया पर जाकर लीसेस्टर विभिन्न pretexts अपने घर की यात्रा करने के लिए प्रयोग करेंगे। के रूप में वह Lambert सलाह लंड लड़ने के बारे में पूछने के लिए कामना की इस तरह एक आगंतुक Lambert नौकर उसे प्रवेश की अनुमति के लिए पूछा, Lambert खिड़की से बाहर निर्भर हो और सेवक "सज्जन बताओ कि मैं एक शर्मीली मुर्गा रहा हूँ करने के लिए" कहा। एक और अवसर पर, वह अपने घर में एक नॉटिंघम आदमी है जो एक घोड़ी वंशावली के बारे में उनकी सलाह की मांग की है, आदमी महसूस पर ही उसे देखने के लिए मिलने गया था भर्ती कराया, Lambert उसे कहा था कि प्रश्न में घोड़ा "से गुस्ताख़ी जिज्ञासा से बाहर"। अपनी उपस्थिति के बारे में संवेदनशील, वह सार्वजनिक जिज्ञासा के उद्देश्य से किया जा रहा नफरत, और यद्यपि आदतन उसके चारों ओर इकट्ठा भीड़ में भाग लेने के खेल की घटनाओं को रोकने के लिए उन्हें मजबूर कर दिया, 1805 में के बारे में वह उनके साथ एक मुर्गा लड़ाई Loughborough में करने के लिए दोस्तों के द्वारा राजी किया गया। Lambert तौला जा करने के लिए मना कर दिया है, लेकिन एक बार जब वह अपनी गाड़ी में अपना रास्ता निचोड़ा था पार्टी के बाकी इसे एक बड़ी वजन मशीन पर निकाल दिया और बाहर कूद गए। (पहले वजन) खाली वाहन के वजन घटाने के बाद, वे गणना की Lambert 50 पत्थर (700 पौंड, 320 किग्रा) वजन और था कि वह इस प्रकार "वसा वाले आदमी का Maldon", आगे निकल एडवर्ड तेज, 616 पौंड (279 किग्रा.) भारी के रूप में इतिहास में व्यक्ति को प्रमाणीकृत। लंदन अपनी शर्म के बावजूद वह बुरी तरह से पैसा कमाना है और खुद को डालने के प्रदर्शन पर है और अपने दर्शकों के चार्ज करने के लिए कोई विकल्प नहीं देखा था की जरूरत है। 4 अप्रैल घटनाएँ पर इसलिए वह एक विशेष रूप से निर्मित गाड़ी में सवार और लीसेस्टर से यात्रा अपने नए घर में 53 Piccadilly तो लंदन के पश्चिमी किनारे के पास। पांच घंटे एक दिन के लिए वह आगंतुकों अपने घर में से प्रत्येक एक शिलिंग (के बारे में £ चार्ज स्वागत के रूप में ). Lambert अपने हितों और खेल, कुत्तों और पशुपालन का ज्ञान लंदन के मध्य और उच्च वर्ग के साथ साझा, और यह जल्द ही उस पर जाएँ, या अपने दोस्त बनने के लिए उच्च फैशन बन गया है। कई बार-बार, एक बैंकर 20 का दौरा करने और भुगतान हर अवसर पर कहा जाता है। अंग्रेजी के इतिहास के इस अवधि के दौरान कोई वास्तविक कलंक मोटापे से जुड़ा था और Lambert आमतौर पर marvelled करने के लिए एक आश्चर्य है, बल्कि gawped या पर sneered करने के लिए एक पागल से माना जाता था। अपने उद्यम लगभग 400 प्रति दिन आगंतुकों का भुगतान बैठक तुरंत सफल रहा। अपने घर एक उपाय के फैशन की हवा, के बजाय एक प्रदर्शनी के होने के रूप में वर्णित किया गया है और वह अपने ग्राहकों आम तौर पर उसे और नहीं बस के रूप में एक तमाशा शिष्टाचार के साथ कि इलाज को खोजने के लिए खुश थी। वह सभ्यता के वातावरण के बीच अपने आगंतुकों को बनाए रखने पर जोर दिया, सभी लोग अपने कमरे में प्रवेश कर अपनी टोपी को दूर करने के लिए बाध्य किया गया है। "राजा भले ही थे मौजूद" एक आगंतुक अपनी टोपी दूर करने के लिए मना कर दिया। Lambert ने कहा है कि "तो मैं यह नहीं समझते खुद के कारण, लेकिन देवियों और सज्जनों, जो मुझे अपनी कंपनी के साथ सम्मान के लिए सम्मान का एक निशान के रूप में भगवान, साहब, आप तुरंत इस कमरे छोड़ होना चाहिए." ) Lambert है लोकप्रियता में "मास्टर Wybrants, श्री Lambert लघु", एक छोटी दूरी दूर Sackville स्ट्रीट में प्रदर्शित किया गया एक नकलची से प्रेरित है। एक handbill Wybrants "मास्टर जो 4 महीने की उम्र 39 2 फीट दौर जांघ दौर 15 इंच और 8 इंच शारीरिक शाखा Sackville स्ट्रीट Piccadilly के कोने पर देखा जा करने के लिए, दौर मापा पाउंड वजन Wybrants आधुनिक हरक्यूलिस" के रूप में वर्णित है। लोगों को लंबी दूरी (एक अवसर पर, बस करने के लिए 14 ग्वेर्नसे से लंदन की यात्रा के एक दल), उसे देखने के लिए यात्रा करेंगे और कई घंटे उसके साथ पशु प्रजनन पर बात कर रहा खर्च होता है। एक जीवन waxwork Lambert के लंदन में, जहां यह बेहद लोकप्रिय हो गया, प्रदर्शित किया गया था। डैनियल Lambert जल्द ही कार्टूनिस्टों, जो अक्सर उसे जॉन बुल के रूप में दिखाया गया है के साथ एक लोकप्रिय विषय बन गया। वह अच्छी तरह से उच्च वर्ग के साथ मिश्रित और एक अवसर पर किंग जॉर्ज III से मुलाकात की। ..। एक-दूसरे के लिए राजा और Lambert प्रतिक्रियाओं रिकॉर्ड नहीं कर रहे हैं। चिकित्सा परीक्षा Lambert चिकित्सा व्यवसाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए जल्द ही आ गया है और लंदन में अपने आगमन के बाद शीघ्र ही चिकित्सा और शारीरिक जर्नल उस पर एक लेख प्रकाशित। वे पुष्टि की कि वह वजन और उसकी ऊंचाई के रूप में मापा . एक गहन चिकित्सा जांच कि उनकी शारीरिक कार्यों सही ढंग से काम किया है और वह स्वतंत्र रूप से सांस ली पाया। Lambert सक्रिय के रूप में वर्णित किया गया और मानसिक रूप से चेतावनी और एक बहुत अच्छा स्मृति के साथ व्यापक रूप से पढ़ा है। उन्होंने गायन का शौक था, और एक सामान्य बोल आवाज जो फेफड़ों पर दबाव के कोई संकेत नहीं दिखा था। डॉक्टर tumefaction अपने पैर, पैर और जांघों और पेट में वसा जमा पाया, लेकिन ज़ंग लगा हुआ और thickened त्वचा के अलावा अपने पैरों पर erysipelas द्वारा पिछले हमले का कारण बना, वह कोई स्वास्थ्य समस्याओं था। Lambert डॉक्टरों ने कहा कि वह सामान्य मात्रा सामान्य भोजन खा लिया। उन्होंने दावा किया कि नशे 1795 के बाद से के बारे में वह कुछ भी नहीं है लेकिन पानी में था कि, और यहां तक कि युवा और एक नियमित रूप से पार्टी दर्शक करते समय, वह अपने साथी revellers पीने किया नहीं कि में शामिल होने। Lambert का अनुमान है कि वह लगभग एक चौथाई मील (400 मीटर) कठिनाई के बिना चलने में सक्षम था। वह हमेशा अपनी खिड़की खोल के साथ, अधिक से अधिक के लिए प्रती रात, आठ घंटे के लिए नियमित रूप से सोया और खर्राटे के लिए कभी नहीं सुना था; जागने पर वह हमेशा पांच मिनट के भीतर पूरी तरह से सतर्क था, और वह कभी दिन के दौरान napped...। संभावित कारण यह कुछ के बारे में क्या डैनियल Lambert अत्यधिक वजन के कारण किया जा करने के लिए असंभव है, लेकिन यह एक endocrine द्वारा (ग्रंथियों) के कारण किया गया है कि संभावना नहीं माना जाता है या आनुवंशिक विकार। अपने वजन के अलावा वह थायराइड विकार के कोई लक्षण दिखाई, और उसके कई चित्रों में से कोई भी Cushing है सिंड्रोम के साथ एक रोगी के चंद्रमा चेहरा दिखाओ। Bardet–Biedl सिंड्रोम और Prader–Willi सिंड्रोम, आनुवंशिक syndromes जो रोगियों में मोटापे के लिए नेतृत्व कर सकते हैं के साथ रोगियों भी विकलांग सीखने और मांसपेशियों कमजोरी से पीड़ित है, लेकिन उन सभी जो Lambert पर सहमत हुए वह शारीरिक रूप से और erysipelas और शिरापरक कमी (वैरिकाज़ नसों) के अलावा अन्य बहुत बुद्धिमान, बहुत मजबूत थी कि उसके पैरों में पता था कि किसी भी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त नहीं था; एक समकालीन कमेंटेटर "श्री Lambert शायद ही यह बीमार या indisposed किया जा रहा है कि" कहा। Lambert है एक कभी कभी "अवसाद के आत्माओं", अपने समय के दौरान लंदन में केवल मानसिक समस्या दर्ज की गई थी। हालांकि वह एक चाची और चाचा, जो अधिक वजन किया गया था, अपने माता पिता और भाई बहन की संख्या जीवित उनके जीवन भर में सामान्य बनाने के बने रहे। नतीजतन, यह संभावना Lambert वजन एक शारीरिक विकार से नहीं बल्कि ज्यादा खा के संयोजन और व्यायाम की कमी के कारण किया गया है। हालांकि भारी अपनी किशोरावस्था में बनाया गया है, वह केवल जब वे जेल रक्षक के अपेक्षाकृत जगह काम तक वजन हासिल करने के लिए शुरू कर दिया। Lambert के एक जीवनी recounted अपने जीवनकाल के दौरान "यह इस अपॉइंटमेंट की एक वर्ष के भीतर अपने थोक सबसे बड़ा और सबसे तेजी से encrease प्राप्त किया था कि" प्रकाशित किया। हालांकि उन्होंने दावा किया कि कुछ खाने के लिए हैं और शराब से बचना है, यह एक आदमी अपने जीवन शैली और समाज की स्थिति के साथ मांस, या नशे में बियर की बड़ी मात्रा में सामाजिक आयोजनों में खाया है होता नहीं कि की संभावना नहीं है। Józef Boruwłaski लंदन में कुछ महीनों के बाद, Lambert Józef Boruwłaski, तो अपने सत्तर के दशक में एक 3 फुट 3 इंच (99 सेमी.) बौना द्वारा दौरा किया था। आम तौर पर माना जाता है यूरोप की अदालत dwarfs के पिछले बनना, Boruwłaski १७३९ में ग्रामीण Pokuttya में एक गरीब परिवार के लिए पैदा हुआ था। वह करने के लिए महारानी मारिया Theresa १७५४ में पेश किया गया था, और एक कम समय के साथ रहने के बाद पोलिश राजा Stanisław Leszczyński निकाल दिया। वह अपने आप को चारों ओर यूरोप, इस प्रकार एक अमीर आदमी बनने प्रदर्शित। 60 साल की उम्र में उन्होंने डरहम के सेवानिवृत्त, जहां वे इस तरह एक लोकप्रिय बन जानने कि डरहम सिटी उसे वहाँ रहने के लिए भुगतान किया। वह अपने नागरिकों के सबसे प्रमुख में से एक बन गया। Boruwłaski एक शानदार याद किया और याद है Lambert, जबकि अभी भी पैट्रिक मर कास्टिंग काम करता है और इससे पहले कि वह वसा, बड़ा कार्यरत उसे बर्मिंघम में देखने के लिए दिया था कि। Boruwłaski "मैं यह चेहरा बर्मिंघम में बीस साल पहले देखा है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक और शरीर हो" टिप्पणी की है। उन्होंने कहा गया था कि Lambert थोक एक धोखा था और वह इसलिए कि यह नहीं था खुद को साबित करने के लिए अपने पैर महसूस किया। वे भी अपने संबंधित संगठनों की तुलना में है और गणना की एक Lambert आस्तीन का एक संपूर्ण कोट के लिए Boruwłaski बनाने के लिए पर्याप्त कपड़े प्रदान करेगा। Lambert Isalina Barbutan Boruwłaski की पत्नी के बाद की, whereupon बाद कहा "नहीं, वह मर चुका है और जब मैं उसे affront, वह मुझे विरासत सजा के लिए शेल्फ पर डाल के लिए मुझे बहुत खेद है, नहीं हूँ." Lambert और Boruwłaski, देश में सबसे बड़े और छोटे लोगों की बैठक भारी जनता के हित, का विषय था 'यह सर जॉन Falstaff था और जो एक डबल afforded किया जाना चाहिए टॉम अंगूठे, इलाज के लिए उत्सुक कि' एक समाचार पत्र की सूचना दी। Boruwłaski पैसे जो उसे अपने वार्षिकी बेच ऋणदाता की भविष्यवाणी के बावजूद अपने 98th वर्ष, को देखने के लिए रहते थे-कि अपने छोटे कद उससे बीमारी के होने का खतरा होगा। मोहभंग हालांकि आम तौर पर लंदन समाज से सम्मान किया जाता है, अब वह वहाँ है, वे और अधिक चिड़चिड़े बने रहे। शर्मीले और स्वयं के प्रति सजग, वह बार बार अपने कपड़ों के आकार के बारे में कहा जा रहा है पर परेशान था। एक औरत जो की उसके कोट की लागत के रूप में करने के लिए एक अनुरोध के जवाब में उन्होंने "मुझे मेरी स्मृति कीमत के साथ चार्ज करने के लिए बहाना नहीं कर सकता, लेकिन मैं आपको इच्छित जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका में रख सकते हैं। कहा यदि आपको लगता है कि मुझे एक नई कोट की वर्तमान बनाने के लिए उचित है, तुम तो बिल्कुल क्या यह लागत पता होगा"। एक अन्य रुचि दर्शक ने दावा किया है कि वह इसके बारे में जानने का अधिकार था के बाद से अपने प्रवेश शुल्क Lambert कपड़ों के लिए भुगतान किया गया, Lambert "अगर मैं अपने अगले कोट अपने शिलिंग, के लिए भुगतान करना होगा का क्या हिस्सा पता था कि महोदय, मैं आपको आश्वासन दे मैं टुकड़ा बाहर में कटौती करेगा हूँ कर सकते हैं" कहा। Lambert 1806 में कपड़े की एक पूर्ण सूट उसे 20 £ लागत की गणना, के बारे में £ के रूप में . लीसेस्टर के लिए वापस जाएँ Lambert प्रबंधन प्रदान करता है विभिन्न impresarios और एजेंटों के मना करने के लिए कौशल था, और द्वारा सितम्बर घटनाएँ, वह एक अमीर आदमी के रूप में लीसेस्टर लौटा था। वह अपने पसंदीदा pastimes करने के लिए वापस आ गया और कुत्ते खेल लड़ प्रजनन लंड। टेरियर कुतिया, जिसके लिए (के बारे में £ 100 guineas की पेशकश की थी के रूप में ), इंग्लैंड में बेहतरीन होना कहा जाता था। वे कुत्ते को बेचने से मना कर दिया, जो अपने जीवन साथी बन गया। वह खेल की घटनाओं में भाग लेने के लिए फिर से शुरू कर दिया, 19 सितम्बर घटनाएँ के लीसेस्टर दौड़ पर एक रिपोर्ट के रूप में "मैदान पर विशिष्ट वर्णों के बीच अपने पुराने दोस्त, श्री डैनियल Lambert, स्पष्ट उच्च स्वास्थ्य और आत्माओं को देखने के लिए खुशी है कि हम थे" की सूचना दी। हालांकि शिकार करता घोड़े की पीठ पर का पालन करने के लिए बहुत भारी है, वह लंदन में अर्जित धन का एक हिस्सा देखने के रूप में वे अपने वाहन से ग्रेहाउंड एस, का एक पैकेट के निर्माण के लिए इस्तेमाल Leicestershire देश में coursed खरगोश। दिसम्बर घटनाएँ Lambert एक संक्षिप्त धन उगाहने वाले दौरे पर गया था और अपने आप को बर्मिंघम और कोवेन्ट्रीय में प्रदर्शित किया। अगले साल के शुरू वे लंदन के लिए वापस आ गया और फैशनेबल लीसेस्टर स्क्वायर में रहने लगा। वहाँ वह बीमार हो गया, उसके चिकित्सक डॉ॰ Heaviside महसूस किया कि उनकी बीमारी प्रदूषित लंदन हवा से कर सकते हैं कारण किया गया है और Lambert लीसेस्टर के लिए वापस आ गया है। वह ठीक हो और बाद में 1807 में इंग्लैंड के पर्यटन की एक श्रृंखला बना दिया। 1808 गर्मियों में Lambert संक्षेप में पूंजी के लिए जहां वह बीगल s के लिए (के बारे में £ 75 guineas की एक जोड़ी बेच दिया के रूप में ) Tattersalls पर। बाद में उस वर्ष वह खुद को न्यूयॉर्क में प्रदर्शन किया। जून 1809 में उन्होंने ईस्ट एंग्लिया, के एक दौरे पर Stamford दौड़ के दौरान Stamford में समाप्त करने के लिए चलें। एक ही खाते से पता चलता है कि इस दौरे के अपने पिछले है, के रूप में वह रिटायर करने के लिए पर्याप्त रूप से अमीर पर्याप्त था, तो हो इरादा था। जबकि दौरे पर Lambert इपस्विच में तौला गया था उसके वजन 52 पत्थर 11 पौंड (739 पौंड, 335 किग्रा.) था। सीढ़ियों का उपयोग करने के लिए नहीं रह कर, वह ख़ेमे Waggon और घोड़े सराय में 47 Stamford हाई स्ट्रीट के भूतल पर 20 जून को लिया।<ref name="DNB" ></SPAN> मौत Stamford में उनके आगमन के बाद, Lambert विज्ञापनों और handbills आदेश Stamford बुध के लिए, एक संदेश भेजा है। "माउंटेन मुहम्मद पर इंतजार नहीं कर सकता के रूप में, मुहम्मद पर्वत के लिए जाना होगा कि" कहा, उसने कहा कि उसे Waggon और उसके मुद्रण आवश्यकताओं पर चर्चा करने के लिए घोड़े पर, यात्रा के लिए प्रिंटर। थक गया हूँ कि शाम को Lambert बिस्तर में था और लग रहा है करने के लिए स्वीकार किया है, लेकिन फिर भी वह प्रिंटर के साथ अपनी आवश्यकताओं पर चर्चा कर रहा था और उत्सुक handbills समय पर दिया गया था। 21 जून की सुबह Lambert अपने सामान्य समय पर उठा और अच्छे स्वास्थ्य में दिखाई दिया। के रूप में वह दाढ़ी बनाने के लिए शुरू कर दिया, वह कठिनाइयों श्वास से शिकायत की। दस मिनट के बाद, वह ढह गई और मर गया। वहाँ कोई शव परीक्षा थी और Lambert मौत का कारण अज्ञात है। जबकि कई सूत्रों का कहना है कि वह अपने दिल से अपने थोक के कारण पर एक फैटी पतन दिल या तनाव की मृत्यु हो गई है, उनकी मृत्यु के प्रमुख की अवधि में अपने व्यवहार की कोई हृदय कमी से पीड़ित है कि मेल नहीं करता है, इससे पहले कि वह सांस की कमी है बन गया और गिर गई उनकी मृत्यु पर आज सुबह वह अच्छी तरह से प्रकट कि गवाह सहमत हूँ। Bondeson (2006) है कि उसके लक्षण और चिकित्सा के इतिहास को देखते हुए, उनकी मृत्यु के सबसे सुसंगत विवरण था कि वह एक अचानक फेफड़े के दिल का आवेश speculates. कब्रिस्तान Lambert है लाश putrefy करने के लिए तेजी से शुरू कर दिया। लीसेस्टर के लिए वापस जा रहा है अपने शरीर का कोई सवाल ही नहीं था और अब 22 जून को यह था रखा अंदर एक एल्म ताबूत, 6 फुट 4 इंच लंबी, 4 फुट 4 इंच चौड़ा और 2 फीट 4 इंच गहरी (193 सेमी × 132 सेमी × ७१ सेमी), पहियों पर इसे स्थानांतरित करने के लिए अनुमति देने के लिए बनाया है। ताबूत ध्वस्त कर यह सराय के बाहर और के लिए पहिया करने के लिए सेंट मार्टिन चर्च, खिड़की और अपने घर की दीवार के पीछे में नए खुले कब्रिस्तान भूमि थे दिया कि इतनी बड़ी थी। एक उपयुक्त आकार कब्र, कब्र में ताबूत को कम करने की जरूरत से बचने के लिए एक से दृष्टिकोण के साथ खोदा गया था, लेकिन 23 जून को यह भी बीस Lambert भारी ताबूत में गंभीर खींचने के लिए पुरुषों के लिए लगभग आधे घंटे लग गए। Lambert है दोस्त लिखा एक बड़ी gravestone के लिए भुगतान किया है: में याद है कि बच्चा में प्रकृति . डैनियल LAMBERT. का मूल निवासी लीसेस्टर : जो एक महान और convivial मन के पास गया था और व्यक्तिगत महानता में नहीं था प्रतियोगी वह तीन पैर दौर एक इंच मापा पैर नौ फुट चार इंच दौर शरीर और वजन पचास दो ग्यारह स्टोन पाउंड ! वह पर 21 जून के 1809 Life this चला गया 39 साल से वर्ष की आयु एक सम्मान की गवाही के रूप में इस पत्थर लीसेस्टर में अपने दोस्तों से स्थापित किया है मृत्यु के बाद देर से 1809 में श्री जे Drakard जीवन कि अच्छा है और असाधारण भारी के आदमी, देर हो चुकी Danl. Lambert, अपने जन्म दिलचस्प करने के लिए अपने corpulency के लिए उल्लेख किया और अन्य लोगों के एक खाते के साथ उसके विघटन के समय से बात, Lambert उनकी मृत्यु के बाद रिलीज होने के पहले पूर्ण जीवनी जारी किया है। Lambert के इतिहास में सबसे भारी व्यक्ति के रूप में स्थिति जल्द ही अमेरिकी मिलों Darden द्वारा (1799-1857) आगे निकल गया था, लेकिन Lambert अब तक एक पंथ आंकड़े बन गया था और उसके साथ जुड़े लगभग हर आइटम भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा गया था। अपने कपड़े और संपत्ति लेनेवालों के लिए नीलामी में बेच दिया गया था और उनमें से कई संग्रहालयों में आज संरक्षित कर रहे हैं। इंग्लैंड में कई घरों में सार्वजनिक और inns डैनियल Lambert, लीसेस्टर और Stamford में विशेष रूप से के बाद नाम दिया गया। डैनियल Lambert जनता के घर पर 12 Ludgate हिल, सेंट पॉल कैथेड्रल में लंदन के लिए प्रवेश द्वार के पास, अच्छी तरह से जाना जाता था और डैनियल Lambert और Lambert चलने लकड़ी का एक बड़ा चित्र लॉबी में प्रदर्शन पर था। जेम्स Dixon Stamford में राम जाम Inn के मालिक Lambert पहने गया था जब वह मर गया और यह प्रदर्शन पर डाल दिया, डैनियल Lambert सराय का नाम बदलने के कपड़े का सूट खरीदा है। "डैनियल Lambert" आम दर्ज किए गए शब्द का प्रयोग में अंग्रेजी भाषण और लेखन, किसी भी मोटे आदमी को संदर्भित करने के लिए। लंबे समय तक अपने जीवन के विवरण के बड़े पैमाने पर भूल गया था के बाद उसका नाम में यह प्रयोग जारी रखा, "Lambert नाम अपने इतिहास की तुलना में बेहतर पता है कि" चार्ल्स डिकेंस 1852 में टिप्पणी की है। डिकेंस है निकोलस Nickleby Lambert को मोटापे से ग्रस्त जॉर्ज IV की तुलना करता है, और विलियम Makepeace ठाकरे शब्द का उल्लेख करने के लिए मोटापे से ग्रस्त यूसुफ Sedley वैनिटी फेयर में थे, और वसा नौकर टिम को संदर्भित करने के लिए बैरी Lyndon की किस्मत में। समय प्रगति के रूप में, "डैनियल Lambert" मतलब कुछ भी असाधारण बड़ा करने के लिए आया था, हरबर्ट स्पेन्सर समाजशास्त्र के अध्ययन का इस्तेमाल किया वाक्यांश "सीखने की एक डैनियल Lambert", थॉमस Carlyle व्यंग्य ओलिवर क्रॉमवेल करने के लिए कहा गया, जबकि के रूप में यह बड़ी सूजन जुआरी और पेटू असहाय "आध्यात्मिक डैनियल Lambert "'. 1874 में टाइम्स नए अनुवाद फ्रेंच कॉमेडी ला Fiammina जिसमें एक चरित्र "डैनियल Lambert" नाम है मारियो Uchard द्वारा की समीक्षा में, नाम "हमेशा हिंदी ध्यान मोटापे की धारणा के साथ जुड़े है कि" ने कहा, और 1907 में लगभग 100 साल Lambert मृत्यु के बाद Château de Chambord 'डैनियल Lambert châteaux के बीच' के रूप में भेजा गया था। 1838 में कविता, purportedly Lambert द्वारा लिखा है और उनकी मृत्यु के बाद अपने कागज Waggon और घोड़े के बीच पाया की एक श्रृंखला अंग्रेजी वार्षिक प्रकाशित किया। कोई स्रोत है Lambert जीवनकाल के दौरान प्रकाशित का उल्लेख है अपनी कविता या पत्रिकाओं के अलावा अन्य किसी भी पढ़ने के मामले में कोई दिलचस्पी मैदान पर खेल रहा है और यह स्पष्ट नहीं है, इसलिए उनके समाचार पत्रो उनके साथ Stamford में उनकी मृत्यु में, के बजाय लीसेस्टर में अपने घर पर गया है चाहिए। कविताओं की जांच करनेवाला केवल "ओमेगा के रूप में' का श्रेय जाता है। यह संभव है कि कविता एक धोखा है। पी. टी. Barnum और सामान्य टॉम अंगूठे पी. टी. Barnum और 25 इंच (64 सें. मी) लंबा जनरल टॉम अंगूठे (चार्ल्स शेरवुड स्ट्रैटन) Stamford में 1846 का दौरा किया और एक अंगूठे के परिधान Dixon Lambert के साथ प्रदर्शित करने के लिए दान कर दिया है। सामान्य टॉम अंगूठे Stamford 1859 में फिर से दौरा किया और बंधा था अप Lambert मोज़ा में से एक के अंदर। में 1866 जनरल टॉम अंगूठे, अपनी पत्नी भी उतना ही कम Lavinia वॉरेन (दया वॉरेन Lavinia टक्कर), के साथ उसकी बहन Minnie वॉरेन (Huldah पियर्स वॉरेन टक्कर) और Barnum के अन्य मनाया बौना कमोडोर Nutt (जॉर्ज वॉशिंगटन Morrison Nutt) Stamford का दौरा किया। सभी चार Lambert जांघिया के घुटने के माध्यम से साथ पारित करने के लिए कर रहे थे। 1866 में Lambert और टॉम अंगूठे कपड़े पुराने लंदन मधुशाला Stamford में करने के लिए बेच दिया गया था; वे अब Stamford संग्रहालय में प्रदर्शित कर रहे हैं। १८०६ waxwork Lambert के संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात किया गया था और 1813 द्वारा नई Haven, कनेक्टिकट में दिखाने पर था। १८२८ ने प्रतिमा Lambert कपड़े का एक पूरा सेट तैयार बोस्टन Vauxhall गार्डन, में किया गया। मूर्ति बाद में पी. टी. Barnum द्वारा खरीदा है और न्यूयॉर्क में Barnum के अमेरिकी संग्रहालय में प्रदर्शित। 1865 आग, जो पहली बार अमेरिकी संग्रहालय को नष्ट कर दिया में कामगार waxwork को बचाने के लिए प्रयास किया लेकिन यह गर्मी में पिघल और नष्ट कर दिया गया था। लोकप्रिय स्मृति में हालांकि, वजन में आगे निकल डैनियल Lambert के बाद से कई लोग हैं, विलियम कैम्पबेल, न्यूकैसल अपॉन टाइन, से publican Lambert से भारी रहे हैं ब्रिटेन और आयरलैंड में एक ही व्यक्ति है। कैंपबेल 53 पत्थर 8 पाउंड (750 पौंड, 340 किग्रा) वजन, के रूप में के साथ Lambert, कैंपबेल एक बार भी अपने आप को लंदन में प्रदर्शित है। नेली Lambert Ensall, ब्रिटेन में सबसे भारी महिला 1910 में डैनियल Lambert महान पोती, होने का दावा किया, लेकिन उसके दावा असत्य होने की संभावना है, Lambert अविवाहित था और किसी भी बच्चे पड़ा है कि संभावना नहीं है। Lambert लीसेस्टर लीसेस्टर बुध से 2009 में वर्णित "के रूप में"एक शहर के सबसे अधिक माउस को आइकनों पोषित है, में एक लोकप्रिय चरित्र अभी भी है; कई स्थानीय जनता के घरों और व्यवसायों के बाद उसे नाम कर रहे हैं। मुकदमा Townsend खेल डैनियल Lambert की आत्मा, जो Lambert भूत में 1960 के दशक विध्वंस और लीसेस्टर के ऐतिहासिक शहर के केंद्र, 1981 में लीसेस्टर के Haymarket थियेटर में प्रीमियर के पुनर्विकास disapprovingly देखता है। अपनी कुर्सी, चलने छड़ी, फसल और प्रार्थना की किताब, सवारी के साथ Lambert कपड़े का एक सेट के स्थायी लीसेस्टर में Newarke सदनों संग्रहालय में प्रदर्शित कर रहे हैं, जबकि Stamford संग्रहालय डैनियल Lambert और सामान्य टॉम अंगूठे के जीवन मॉडल शामिल हैं, जिसमें Lambert मर गया में कपड़े पहने और टॉम अंगूठे कपड़े का सूट करने के लिए Dixon Barnum द्वारा दान कर दिया।<ref name="Stamford Museum" ></SPAN> डैनियल Lambert पब Ludgate हिल में अब मौजूद नहीं है और पूर्व प्रदर्शित यादगार जॉर्ज होटल Stamford में स्थायी प्रदर्शन पर अब कर रहे हैं। 2009 में लीसेस्टर उसकी मौत की 200 वीं वर्षगांठ पर डैनियल Lambert, दिवस मनाया जाता है और लोगों के से अधिक 800 Newarke सदनों संग्रहालय में डैनियल Lambert दिवस समारोह में भाग लिया।..। नोट्स और संदर्भ नोट संदर्भ ग्रंथ सूची बाहरी कड़ियाँ Newarke सदनों संग्रहालय Stamford संग्रहालय 1770 births 1809 deaths People from Leicester
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अल-आला
सूरा अल-आला (इंग्लिश: Al-Ala) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 87 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 19 आयतें हैं। नाम इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-आला और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-आला नाम दिया गया है। नाम पहली ही आयत “अपने सर्वोच्च रब के नाम की तसबीह करो" के शब्द 'अल आला' (सर्वोच्च) को इस सूरा का नाम दिया गया है। अवतरणकाल मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई। इसकी वार्ता से भी मालून होता है कि यह बिलकुल आरम्भिक काल की अवतरित सूरतों में से है और आयत नम्बर 6 के ये शब्द भी कि “हम तुम्हें पढ़वा देंगे, फिर तुम नहीं भूलेंगे "यह कहते हैं कि यह उस कालखण्ड में अवतरित हुई थी जब के रसूल (सल्ल.) को अभी वह्य (प्रकाशना) ग्रहण करने का अच्छी तरह अभ्यास नहीं हुआ था और वह्य के अवतरण के समय आपको आशंका होती थी कि कहीं मैं उसके शब्द भूल न जाऊँ। विषय और वार्ता इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इस छोटी-सी सूरा के तीन विषय हैं: एकेश्वरवाद, नबी (सल्ल.) को निर्देश और परलोक। पहली ही आयत में एकेश्वरवाद की शिक्षा को इस एक वाक्य में समेट दिया गया है कि अल्लाह के नम की तस्बीह की जाए , अर्थात् उसको किसी ऐसे नाम से याद न किया जाए जो अपने में किसी प्रकार की कमी, दोष दुर्बलता या सृष्ट प्राणियों के समरूप होने का कोई पहलू रखता हो , क्योंकि दुनिया में जितनी भी विकृत धारणाएँ पैदा हुई हैं, उन सबके मूल में अल्लाह के सम्बन्ध में कोई - न - कोई ग़लत धारणा मौजूद है, जिसने पवित्र सत्ता के लिए किसी ग़लत नाम का रूप धारण किया है। अतः धारणा के विशुद्धीकरण के लिए सबसे पहली चीज़ यह है कि प्रतापवान अल्लाह को केवल उन अच्छे नामों ही से याद किया जाए जो उसके लिए अनुकूल और उचित है। इसके बाद तीन आयतों में बताया गया है कि तुम्हारा रब , जिसके नाम की तस्बीह का हुक्म दिया जा रहा है वह है जिसने जगत् की हर चीज़ को पैदा किया; उसका सन्तुलन स्थिर किया ; उसकी तक़दीर बनाई; उसे वह कार्य पूरा करने की राह बताई जिसके लिए वह पैदा की गई है। फिर दो आयतों में अल्लाह के रसूल (सल्ल.) को आदेश दिया गया है कि आप इस चिन्ता में न पड़े कि यह कुरआन शब्दशः आपको याद कैसे रहेगा । इसको आपकी स्मृति में सुरक्षित कर देना हमारा काम है और इसका सुरक्षित रहना आपके किसी व्यक्तिगत कौशल का परिणाम नहीं , बल्कि हमारी उदार कृपा का परिणाम है, अन्यथा हम चाहें तो इसे भूलवा दें । तदनन्तर अल्लाह के रसूल (सल्ल.) से कहा गया है कि आपको हर व्यक्ति को सीधे मार्ग पर लाने का काम नहीं सौंपा गया है , बल्कि आपका काम बस सत्य को पहुँचा देना है और पहुँचाने का सीधा - सादा तरीक़ा यह है कि तुममें से जो उपदेश को सुनने और स्वीकार करने के लिए तैयार हो उसे उपदेश दिया जाए और जो इसके लिए तैयार न हो उसके पीछे न पड़ा जाए। अन्त में वार्ता इस बात पर समाप्त की गई है कि सफलता केवल उन लोगों के लिए है जो धारणा, नैतिकता और कर्मों की पवित्रता ग्रहण करे और अपने प्रभु का नाम याद करके नमाज़ पढ़े। लेकिन लोगों का हाल यह है कि उनहें सारी चिन्ता बस इस दुनिया की है, हालाँकि वास्तविक चिन्ता आख़िरत (परलोक) की होनी चाहिए। सुरह "अल-आला'' का अनुवाद बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है। इस सूरा का प्रमुख अनुवाद: क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी "मुहम्मद अहमद" ने किया। बाहरी कडियाँ इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें Al-Ala 87:1 क़ुरआन के अनुवाद 92 भाषाओं में सन्दर्भ इन्हें भी देखें क़ुरआन मुहम्मद क़ुरआन का हिन्दी अनुवाद सूरा आयत (क़ुरआन) इस्लामी शब्दावली अल-आला
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80
सिसिली
सिसिली (Sicily ; इतालवी : Sicilia / [siˈtʃiːlja] / सिचिल्या) भूमध्य सागर का सबसे बड़ा द्वीप है जो इटली प्रायद्वीप से मेसीना जलमडरूमध्य के द्वारा अलग होता है। यह इटली का स्वायत्त क्षेत्र है। यह ट्यूनीसिया से ९० मील चौड़े सिसली जलमडरूमध्य द्वारा अलग है तथा सार्डीनिया से इसकी दूरी २७२ किलोमीटर है। इसकी आकृति त्रिभुजाकार है, उत्तर में कुमारी बोओ (Boeo) से कुमारी पेलोरो तक लंबाई २८० किलोमीटर, पूर्वी किनारा १९२ किलोमीटर और दक्षिणी पश्चिमी किनारा २७२ किलोमीटर लम्बा है। तट की कुल लंबाई १०८८ किलोमीटर है और क्षेत्रफल ९८३० वर्ग मील है परंतु आस-पास के अन्य द्वीपों को मिलाकर क्षेत्रफल ९९२५ वर्गमील है। द्वीप में ९ प्रांत हैं। पलेरमो इसकी राजधानी है। सिसली के निवासियों की औसत ऊँचाई ५ फुट २ इंच है। उनकी आँखें और बाल काले होते हैं। इनकी भाषा इटली से भिन्न है। लोग अतिथि का स्वागत एवं आदर करते हैं। पलेरमो, कटनिया और मसीना में विश्वविद्यालय हैं। परिचय धरातल- धरातल पठारी है जिसकी ऊँचाई उत्तर में ३००० फुट से ६००० फुट है। उत्तर में समुद्र के किनारे ऊँचाई एकदम कम हो जाती है परंतु दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिम में ढाल क्रमिक है। एटना ज्वालामुखी (१०,९५८ फुट) यहाँ के धरातल का एक मुख्य अंग है। इसमें लावा और राख की परतें पाई जाती हैं। ४००० फुट की ऊँचाई तक का भूभाग उपजाऊ तथा घना बसा है। ढालों पर अंगूर की बेलें और सिटरम, उत्तर व पश्चिम ढालों पर जैतून और अन्नादि पैदा होते हैं। ४००० फुट-६००० फुट के बीच मध्य जंगल है जिसमें ओक, चेस्टनस, वर्च आदि के वृक्ष, ६००० फुट-९००० फुट के मध्य केटीली झाड़ियाँ और ९००० फुट के उपर केवल लावा और राख पाए जाते हैं। एटना के उत्तर में पेलोरिटनी (Peloritani), न्व्रेाोड़ी तथा मदोनी पर्वतों की शृंखला है। निम्न मोंटी इरी पहाड़ी, जो गंगी से दक्षिण पूर्व दिशा में फैली है, सिसली जलमडरूमध्य और आयोनियन सागर के मध्य जल विभाजक रेखा का कार्य करती है। पश्चिम में समुद्र तट तक फैली हुई पहाड़ियों के मध्य तटीय मैदान हैं। जलवायु - भूमध्य सागरीय है, तापमान ऊँचे रहते हैं। जाड़ों में तट का तापक्रम १० डिग्री सेल्सियस. और अंदर के क्षेत्रों का ४.५ सें. से अधिक रहता है। गर्मियों में तटवर्ती भागों का औसत ताप २४ डिग्री से २९ डिग्री सें. तथा अधिकतम ३८ डिग्री सें. तक पहुँच जाता है। वर्षा जाड़ों में, जिसकी मात्रा उत्तर, दक्षिण तथा मध्य में ७२.५ सेमी. से कम और सुदूर दक्षिण में ४३ सेंमी से भी कम है। सिरोको वायु का अस्वास्थ्यप्रद एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ता है। प्राकृतिक वनस्पति - प्राकृतिक वनस्पति अब अधिकांशत: नष्ट हो चुकी है। केवल पहाड़ों की ढालों पर द्वीप के छोटे से भाग में जंगल हैं जिसमें बीच, बर्च, ओक और चेस्टनट के वृक्ष पाए जाते हैं। कृषि तथा मलय व्यवसाय- सिसली में लगभग ७७ प्रतिशत क्षेत्र में खेती होती है परंतु अपर्याप्त जलपूर्ति, कृषि के प्राचीन ढंग आदि के कारण प्रति एकड़ पैदावार कम है। खेती गहरी और विस्तृत दोनों ढंग से होती है। तटवर्ती क्षेत्रों में गहरी खेती होती है जिसमें फलों के वृक्षों के बाग, अंगूर की बेलों, तरकारियों तथा अनाज के खेत पाए जाते हैं। यहाँ की मुख्य उपजों नींबू, नासपाती, खट्टे रस के फल, अखरोट, अंगूर, बीन, जैतून के आदि फल, टमाटर और आलू आदि तरकारियाँ उत्पन्न होती हैं। खेत छोटे-छोटे हैं। अंतर्देशीय भाग में विस्तृत खेती होती है जहाँ की मुख्य उपज गेहूँ है, इसके अतिरिक्त सेम, कपास आदि का भी उत्पादन होता है। यहाँ गाय, बैल, गधा, भेड़, बकरियाँ होती हैं। चरागाह कम हैं और चारे की कमी रहती है जिसका अधिकांशत: निर्यात होता है। उद्योग- मछली, फल और तरकारियों को डिब्बों में बंद करने के उद्योग का विकास सन् १९४५ के पश्चात् हुआ। इस समय कृषि उद्योग अधिक विकसित है। फलों का रस तथा उनका तत्व निकालने, खट्टे फलों से अम्ल बनाने, शराब बनाने, जैतून का तेल निकालने और आटा पीसने का कार्य होता है। नमक समुद्र तथा पर्वतों से निकाला जाता है। इसके अतिरिक्त जहाज और सीमेंट बनाने का भी कार्य होता है। यातायात के साधन - पालेरेमो (Palermo) मसीना और कटनिया (Catania) सिसली के मुख्य बंदरगाह हैं जो रेलमार्ग द्वारा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त सड़कें भी इन नगरों को संबद्ध करती हैं। इन नगरों का इटली से संबंध स्टीमर और पुलों के द्वारा है। जनसंख्या और नगर- जनसंख्या का वितरण असमान है। तटीय भाग और एटना के आसपास घनत्व ४०० से २,६०० व्यक्ति प्रति वर्ग मील तथा अंदर के भागों में विशेष कम है। पलेरमो, कटनिया, मसीना और ट्रेपनी (Trapni) आदि बड़े नगर यहीं हैं। अधिकतर लोग इन्हीं नगरों में रहते हैं। इटली
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चमौली, बाराकोट तहसील
चमौली, बाराकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर कुमाऊँ मण्डल गढ़वाल मण्डल बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा चमौली, बाराकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। इन्हें भी देखें उत्तराखण्ड के जिले उत्तराखण्ड के नगर कुमाऊँ मण्डल गढ़वाल मण्डल बाहरी कड़ियाँ उत्तराखण्ड - भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर उत्तराखण्ड सरकार का आधिकारिक जालपृष्ठ उत्तराखण्ड (उत्तराखण्ड के बारे में विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारी) उत्तरा कृषि प्रभा चमौली, बाराकोट तहसील चमौली, बाराकोट तहसील चमौली, बाराकोट तहसील
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यकृत मेटास्टेसिस
यकृत मेटास्टेसिस यकृत में एक प्रकार का घातक ट्यूमर है, जो कैंसर से प्रभावित किसी अन्य अंग से फैल जाता है। जिगर अपनी समृद्ध, दोहरी रक्त आपूर्ति (यकृत को यकृत धमनी और पोर्टल शिरा के माध्यम से रक्त प्राप्त करता है) के कारण मेटास्टेटिक रोग के लिए एक आम साइट है । लीवर में मेटास्टेटिक ट्यूमर प्राथमिक ट्यूमर की तुलना में 20 गुना अधिक आम हैं। 50% मामलों में प्राथमिक ट्यूमर जठरांत्र संबंधी मार्ग का होता है ; अन्य आम साइटों में स्तन , अंडाशय , ब्रोन्कस और गुर्दे शामिल हैं । कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों में रोग के दौरान यकृत मेटास्टेसिस विकसित होता है। सन्दर्भ
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%B0%20%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE
किन्नर अखाड़ा
किन्नर अखाड़ा हिजड़ा समुदाय द्वारा 2018 में स्थापित एक अखाड़ा (हिंदू धार्मिक आदेश) है। यह जूना अखाडा (श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा) के अधीन है। संगठन ने 2019 कुंभ मेले में अपना प्रदर्शन किया। संगठन हिंदू धर्म और एलजीबीटी विषयों की चर्चा को बढ़ावा देता है। संगठन लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी संगठन के प्रवक्ता हैं। संगठन के नेताओं में से एक, पवित्रा निंबोराकर ने कहा, संगठन की स्थापना से उनके आदेश के सदस्यों के लिए अधिक सम्मान आया। बहुचरा माता समुदाय की आध्यात्मिक संरक्षक हैं। संगठन हिंदू परंपरा में उत्पत्ति का दावा करता है। संगठन के कई सदस्य कलाकार हैं। समाचार सितंबर 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाया, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के संबंध में LGBT + समुदाय के अनुकूल था। उस निर्णय के संदर्भ में, त्रिपाठी ने उस महीने एक घोषणा की कि संगठन 2019 के कुंभ मेले में भाग लेगा। [r] 2019 कुंभ मेला पहला मेला था जहां ट्रांसजेंडर समुदाय ने एक संगठन के रूप में भाग लिया। []] 2019 में कुंभ मेले में संगठन ने नाटक, संगीत, नृत्य और पेंटिंग सहित विभिन्न कलाओं को प्रस्तुत किया और प्रदर्शन किया। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ किन्नर अखाड़ा: प्रयागराज कुंभ 2019 के अंदर ट्रांसजेंडर्स का जीवन भारतीय संस्कृति
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गोरीकोट वादी
गोरीकोट (, Gorikot), जिसे स्थानीय लोग गुए (Gué) भी बुलाते हैं, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के अस्तोर ज़िले की सबसे बड़ी घाटी है और उस ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह नंगा परबत जाने वाले मार्ग और प्रसिद्द देओसाई मैदान जाने वाले मार्ग के चौराहे पर स्थित है। लोग गोरीकोट के ज़्यादातर लोग शीना भाषा बोलने वाले सुन्नी मुस्लिम हैं। शीना कश्मीरी भाषा से सम्बंधित एक दार्दी भाषा है। अन्य विवरण हरे मैदानों, ठंडी हवाओं और ऊँचे पहाड़ों के बीच अस्तोर नदी के किनारे बसा गोरीकोट अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहाँ के लोग सेब, गेंहू, मटर, ख़ुबानी और अन्य चीज़ें उगाकर अपना निर्वाह करते हैं। यहाँ तक कि सड़क पूरी तरह पक्की नहीं है और इधर पहुँचने के लिए जीपों, ट्रकों या अन्य मज़बूत वाहनों का प्रयोग ज़रूरी है। इन्हें भी देखें अस्तोर ज़िला बहरी जोड़ गोरीकोट की कुछ तस्वीरें सन्दर्भ अस्तोर ज़िला गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर गिलगित-बल्तिस्तान की घाटियाँ
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रोबिन वन पेर्सिए
रोबिन वन पेर्सिए (; 6 अगस्त 1983 को जन्मे) एक डच फुटबॉल खिलाड़ी है जो मैनचेस्टर युनाइटेड के लिए खेलते हैं और नीदरलैंड राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कप्तान है। वह फेनूर्ड की प्रसिद्ध युवा अकादमी के उत्पाद है। वह 2004 में आर्सेनल में शामिल हो गए और बाद में टीम के कप्तान बने, बाद में 2012 में वह आर्सेनल के प्रतिद्वंद्वी मैनचेस्टर युनाइटेड में शामिल हो गए। उन्हे दुनिया में एक सबसे अच्छा स्ट्राइकर के रूप में जानना जाता है। उनकी खेल शैली और क्षमता को देख कर प्रशंसकों और आलोचकों ने उन्की तुलना डच दिग्गज खिलाड़ी मार्को वैन बस्तेन से की है। सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ Robin van Persie profile Manutd.com Robin van Persie Profile Official PFA profile Robin van Persie's statistics for the Netherlands Voetbalstats.NL Profile SoccerSurfer.com नीदरलैंड के फुटबॉल खिलाड़ी
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किरिरोम राष्ट्रीय उद्यान
किरिरोम राष्ट्रीय उद्यान ( - Outtyeancheat Kirirom) कंबोडिया का एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसका आधिकारिक नाम प्रिये सुरमारित-कोसमक किरिरोम राष्ट्रीय उद्यान ( - Outtyeancheat Preah Suramarit-Kossamak Kirirom) है। यह ज्यादातर फेनोम स्रुच जिले, कम्पोंग स्पू प्रांत में स्थित है, जबकि एक छोटा सा हिस्सा पड़ोसी कोहकोंग प्रांत में है। "किरीरोम" का अर्थ "हैप्पी माउंटेन" है। यह नाम 1930 के दशक में राजा मोनिवॉन्ग द्वारा इस क्षेत्र को दिया गया था। सन्दर्भ कंबोडिया के राष्ट्रीय उद्यान
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लॉक नेस दानव
लॉक नेस दानव () एक पानी में रहने वाला दानव है जिसकी केवल दंत कथाओं में पुष्टी की गई है। आज तक इसके दिखने की केवल कहानियां ही पाई गई है पर कोई पुख्ता सबुत नहीं मिले है। इस दानव के स्कॉटलैंड के लॉक नेस इलाके में निवास करने की कहानियां मिलती है। इसका एक मात्र चित्र "सर्जन्स फ़ोटोग्राफ़" है जिसे 1934 में खिंचा गया था। इस दानव को लेकर काफ़ी शोध कार्य हुआ है परन्तू आज तक इसके असली होने की साफ़ पुष्टी नहीं की गई है। कईं विद्वनों के अनुसार यह लुप्त हो चुके डायनासोर की प्रजाती पेलेसिओसॉरस का है। इन सब के बावजूद यह आज भी शोधकर्ताओं के अश्चर्य का करण है और कईं लोगों व यात्रियों को लॉक नेस आने के लिए आकर्षित करता है। सन्दर्भ दंत कथा वाले जीव
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE
कब्र की कक्षा
कब्र की कक्षा, जिसे कबाड़ कक्षा या निपटान कक्षा भी कहा जाता है, एक कक्षा है जो सामान्य परिचालन कक्षाओं से दूर है। भूसमकालिक कक्षा के ऊपर एक सुपरसिन्क्रोनस कक्षा है जो एक महत्वपूर्ण प्रकार की कब्र कक्षा ही है। सैटेलाइट अंतरिक्ष यान के साथ टकराने और अंतरिक्ष मलबे को उत्पन्न करने की संभावना को कम करने के लिए आमतौर पर अपने परिचालन जीवन के अंत में ऐसी कक्षाओं में चले जाते हैं। अवलोकन जब एक डी-ऑर्बिट पैंतरेबाज़ी करने के लिए आवश्यक वेग में परिवर्तन का उपयोग किया जाता है तो एक कब्र कक्षा का उपयोग किया जाता है। एक भूस्थिर उपग्रह की डी-ऑर्बिट पैंतरेबाज़ी के लिए लगभग के डेल्टा-v की आवश्यकता होती है, जबकि इसे एक कब्र की कक्षा में फिर से परिक्रमा के लिए केवल । सन्दर्भ
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अभिकलित्र अनुकार
किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम की सहायता से या कम्प्यूटरों के एक नेटवर्क की सहायता से किसी तन्त्र या उसके किसी भाग के व्यवहार की जानकारी की गणना करना अभिकलित्र अनुकार या 'कम्प्यूटरी सिमुलेशन' (computer simulation) कहलाता है। वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक विज्ञानों, सामाजिक विज्ञानों एवं अन्यान्य क्षेत्रों में कम्प्यूटरी सिमुलेशन महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सिद्धान्त एवं प्रयोग के अलावा कम्प्यूटरी सिमुलेशन भी विज्ञान में शोध की एक अपरिहार्य विधि बन गयी है। कम्प्यूटरी सिमुलेशन, कुछ मिनट में पूर्ण होने वाले एक छोटे कम्प्यूतर प्रोग्राम से लेकर घण्टों चलने वाले नेटवर्कित कम्प्यूतर और उससे भी बढ़कर कई दिनों तक चलने वाले सिमुलेशन के अनेक रूपों में देखे जा सकते हैं। आज का सिमुलेशन इतना विशालकाय हो गया है जिस जो कागज-पेंसिल की सहायता से सम्भव ही नहीं हो सकता था। कागज-पेंसिल से सिमुलेशन के दौर में जिस सिमुलेशन की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी वह आज आसानी से किया जाने लगा है। कम्प्यूटरी सिमुलेशन का महत्त्व कम्प्यूटर सिमुलेशन एक शक्तिशाली औजार के रूप में उभर कर आया है - एक ऐसा औजार जो इक्कीसवी शती में विज्ञान और तकनीकी में कार्य करने के तरीके में क्रान्तिकारी परिवर्तन लायेगा। कम्प्यूटरी सिमुलेशन, सैद्धान्तिक विज्ञान का विकसित रूप (extension of theory) के रूप में समझा जा सकता है क्योंकि इसके द्वारा वैज्ञानिक सिद्धान्तों की परिणति (consquences) की गणना की जा सकती है। अर्थात् सिमुलेशन यह बताता है कि किस स्थिति में क्या होगा। सिमुल्शन इससे भी आगे जा सकता है। सिमुलेशन के प्रयोग से नये सिद्धान्त खोजे जा सकते हैं और ऐसे प्रयोग रचे जा सकते हैं जो इन नये सिद्धान्तों की जाँच करें। प्रयोग के विकल्प के रूप में : सिमुलेशन का उन स्थितियों में भी बहुत उपयोगी होता है जब प्रयोग करना या तो बहुत खर्चीला हो या बहुत खतरनाक हो या बहुत समय लेने वाला हो। प्रशिक्षण के लिये: सिमुलेशन का उपयोग प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) के लिये किया जा रहा है। सिमुलेशन अनेकानेक क्षेत्रों में उपयोग में लाया जा सकता है (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज, अर्थ, युद्ध आदि)। यह अपने आप में एक सशक्त करने वाली प्रौद्योगिकी (enabling technology) है। मुद्दे (इश्यूज), समस्या का रूप धारण करें, उसके पहले ही यह उन्हें समझने और उन्हें हल करने की पहल करता है। सिमुलेशन कूपमण्डूकता को छोडकर सम्पूर्ण दृष्टि (ग्लोबलविजन) और अन्तर्दृष्टि (इनसाइत) देती है। यह सिस्टम रीति से सोचने को बाध्य करती है। कम्प्यूटरी सिमुलेशन के प्रकार घटनाक्रम के आधार पर सतत-समय (कांटीन्युअस-टाइम) सिमुलेशन विरिक्त-समय सिमुलेशन (डिस्क्रीट-टाइम सिमुलेशन) मिश्रित सिमुलेशन - ऐसे तन्त्र जिनमें सतत-समय एवं असतत-समय दोनों के अवयव हों। स्थैतिक-स्थिति या गतिक स्थिति स्थैतिक-स्थिति (स्टीडी-स्टेट) क्षणिक (ट्रान्सिएन्ट) हार्मोनिक (या, ए सी) विश्लेषण प्रत्याशित या अप्रत्याशित प्रत्याशित (deterministic) अप्रत्याशित (Stochastic) अन्य मान्टे-कार्लो सिमुलेशन सांख्यिकीय सिमुलेशन सिमुलेशन की भाषाएँ मुख्य लेख सिमुलेशन की भाषाएँ देखें। कम्प्यूटरी सिमुलेशन की सीमाएँ कम्प्यूटर सिमुलेशन में सदा इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि संवेदनशीलता विश्लेषण (sensitivity analysis) किया जाय। इससे पता चलता है कि परिणाम कितने विश्वसनीय हैं और कौन सा चर थोड़ा सा बदलने पर भी परिणाम में बहुत अधिक बदलाव ला देता है। इन्हें भी देखें कैड (Computer-aided design) इमुलेटर (Emulator) कम्प्यूटरी सिमुलेशन के सॉफ्टवेयरों की सूची गणितीय मॉडल (Mathematical model) बाहरी कड़ियाँ संस्थान (Organizations) EUROSIM - Federation of European Simulation Societies Institute for Simulation and Training, University of Central Florida Simulation Interoperability Standards Organization The Society for Modeling and Simulation International (Formerly the Society of Computer Simulation) United States Defense Modeling and Simulation Office The System Dynamics Society The Computational Modelling Group at Cambridge University's Department of Chemical Engineering Liophant Simulation United Simulation Team - Genoa University शिक्षा Simulation-An Enabling Technology in Software Engineering Sabanci University School of Languages Podcasts: Computer Simulation by Prof. David M. Goldsman IMTEK Mathematica Supplement (IMS) (some Mathematica-specific tutorials here) The Creative Learning Exchange McLeod Institute of Simulation Science उदाहरण A portfolio of free public simulations from the University of Florida Earthquake Performance Evaluation Tool Online Integrated Land Use, Transportation, Environment, (ILUTE) Modeling System Nanorobotics Simulation - Computational Nanomechatronics Lab. at Center for Automation in Nanobiotech (CAN) Online traffic simulation Shakemovie Caltech's Online Seismic Event Simulation DIG - Demographics, Investment and Company Growth Simulation Global Politics Simulation Industrial & Educational Examples of Modelling & Simulation Matlab SUrrogate MOdeling Toolbox - SUMO Toolbox - Matlab code for Surrogate Simulation Models Generalized online simulation utility Catchment Modelling Toolkit संगणना सॉफ्टवेयर
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50 साल से ऊपर गर्भधारण
अंडदान के क्षेत्र में हाल के वर्षों में हुए तकनीकी विकास के कारण पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं के लिए अब गर्भधारण ज्यादा संभव हो पाया है। आमतौर पर एक महिला के गर्भधारण की क्षमता उसके मासिक धर्म के समाप्त होते ही खत्म मानी जाती है, जिसे बारह महीने तक लगातार मासिक धर्म के नहीं होने के तौर पर परिभाषित किया जाता है। रजोनिवृति अवस्था में मासिक धर्म चक्र के अनियमित हो जाता है और अंत में यह पूरी तरह बंद हो जाता है, लेकिन इस अवस्था में भी अगर मासिक धर्म नियमित होता है तो अंडे की गुणवत्ता आम तौर पर चालीस वर्ष की महिलाओं में युवतियों की तुलना में कम हो जाती है, जिससे कि स्वस्थ बच्चा पैदा करने की संभावना भी 42 वर्ष की महिलाओं में कम हो जाती है। इसके विपरीत पुरूषों में आमतौर पर आजीवन इसके लिए जरूरी शारीरिक क्षमता बनी रहती है, हालांकि पैतृक दोष की वजह से ज्यादा उम्र के पुरूषों से पैदा हुए बच्चों में आनुवांशिक विसंगतियां आमतौर पर देखी जाती है। पुरषों में इससे जुड़े परिवर्तन 30 साल के बाद होने शुरू होते हैं। वास्तव में विभिन्न हार्मोन का सही मात्रा में और सही समय में निकालना , गर्भधारण के लिए जरूरी होता है , अक्सर तनावपूर्ण जीवन में ये हार्मोंस ( सेक्स हार्मोंस ) अनियमित हो जाते हैं , बढ़ती उम्र में दुर्घटना या अन्य बीमारियों के कारण असंतुलित हार्मोंस गर्भधारण में अवरोध उत्पन्न करते हैं , हां यदि 45 की उम्र में भी महिला का नियमित मासिक धर्म , संतुलित सेक्स हार्मोंस और स्वस्थ जनननांग के साथ कोई अन्य शारीरिक बीमारी न हो तो गर्भधारण और स्वस्थ संतानोत्पत्ति आसान है । संयुक्त राज्य अमेरिका में 1997 और 1999 के बीच पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं ने 539 बच्चों को जन्म दिया(चार बच्चा प्रति एक लाख पर), इसमें से 194 बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की उम्र 55 वर्ष से अधिक थी। आज की तारीख तक गर्भ धारण करने वाली सबसे वृद्ध महिला की उम्र 71 साल और सबसे कम की उम्र 5 साल है। मानव निषेचन एवं भ्रूण विज्ञान प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार अंडदान की मदद से इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन के द्वारा ब्रिटेन में प्रति वर्ष बीस से अधिक बच्चों को पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं ने जन्म दिया है। मारिया डेल कार्मेन बौसाडा दे लारा 66 साल, 358 दिन की सबसे वृद्ध प्रमाणित माता है, जिन्होंने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया। वह एड्रियाना इलेस्क्यू से 130 दिन बड़ी हैं जिन्होंने 2005 में एक बच्ची को जन्म दिया था। इन दोनों मामलों में गर्भधारण आईवीएफ के जरिये अंडदान से किया गया था। प्राकृतिक रूप से बच्चा पैदा करने वाली सबसे अधिक उम्र की प्रमाणित महिला ब्रिटेन की डाउन ब्रुक्स है जिनका नाम गिनीज बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। इन्होंने 1997 में 59 साल की उम्र में एस्ट्रोजेन की सहायता से पुत्र को जन्म दिया। चिकित्सा विचार माता की उम्र बढ़ने के साथ ही गर्भधारण में होने वाले जोखिम भी बढ़ने लगता है। पचास साल की उम्र में बच्चे को जन्म देने से होने वाले दुष्प्रभावों में गर्भावधि मधुमेह, गर्भपात, अकाल प्रसव, असाधारण प्रसव, गर्भनाल में संक्रमण मुख्य रूप से शामिल है। 20 से 29 वर्ष की महिलाओं की तुलना में, 50 से अधिक वर्ष की महिलाओं में औसत से कम वज़न के बच्चे का पैदा होना, अकाल जन्म और अत्यन्त अपरिपक्व बच्चे के जन्म की संभावना तिगूनी होती है वहीं अत्यन्त कम वज़न के बच्चे के पैदा होने और भ्रूण मृत्यु की संभावना दुगूनी होती है। 50 साल से ऊपर गर्भधारण के मामले इस उम्र में गर्भधारण की अवधारणा के बारे में तथ्यों के निर्धारण में कठिनाई आ सकती है लेकिन अंडदान के साथ आईवीएफ के उपयोग के कारण लगभग हमेशा ऐसा होता है। सन्दर्भ गर्भधारण रजोनिवृति
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लघुपाराशरी
लघुपाराशरी संस्कृत श्लोकों में रचित लघु ग्रन्थ है। इसे 'जातकचन्द्रिका' भी कहते हैं। यह विंशोत्तरी दशा पद्धति का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है तथा वृहद् पाराशर होराशास्त्र पर आधारित है। इसके रचनाकार के बारे में ठीक-ठीक पता नहीं है किन्तु माना जाता है कि पाराशर के अनुयायियों ने इसकी रचना की। लघुपाराशरी में ४२ श्लोक हैं जो पाँच अध्यायों में विभक्त हैं। संज्ञाध्याय योगाध्याय आयुर्दायाध्याय दशाफलाध्याय शुभाशुभग्रहकथनाध्याय बाहरी कड़ियाँ लघुपाराशरी (संस्कृत विकिस्रोत) लघुपाराशरी (हिन्दी टीका सहित) लघुपाराशरी की अंग्रेजी टीका लघुपाराशरी अंग्रेजी अनुवाद ज्योतिष ज्योतिष ग्रन्थ
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मार्गरेट रेयू
मार्गेट एलिजाबेथ रे (16 माई, 1906 - 21 दिसंबर, 1996) एक जरमन-अमेरिका लेख और याहूदी वंश के चित्रकार। वह मधुमेह के चित्रों ''जिमासु सुरू' श्रंखला के लिए अच्छी तरह से अच्छी तरह से रोगग्रस्त कि वह और मरीज एच। ए. रे 1939 से 1966 तक। नाज़ीवाद से व्यापम की कोशिशें वह [[[में डी जने वृत्ताकार]], [जोड़ा [ब्राज़ील]] अपने हंस हंस रे सें। दृष्टांत 1906 जन्म 1996 मूर्तिकार वैज्ञानिक लेखक वैज्ञानिक लेखक राज्य अमेरिका के निवासी हैम्बर्ग के लोग नाज़ीवाद से विन्यास के लेखक
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ओल्ड फ़ादर टाइम
फ़ादर टाइम लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में स्थित एक वायु दिशासूचक यंत्र है। यह विकट से गिल्लियाँ हटाते हुए फ़ादर टाइम के आकार में है। क्रिकेट के नियमों की धारा 16(3) में कहा गया है कि समय की पुकार के बाद, दोनों विकटों से गिल्लियाँ हटा दी जाएँगी। फ़ादर टाइम इसी नियम का प्रतीक है। यह यंत्र ओल्ड फ़ादर टाइम के नाम से लोकप्रिय है और दूरदर्शन व रेडियो पर अक्सर इसी नाम से जाना जाता है, परंतु इसके आधिकारिक नाम में “ओल्ड” शब्द नहीं है। यंत्र की कुल लम्बाई 6 फ़ीट 6 इन्च (1.98 मी.) है, जिस में फ़ादर टाइम कि आकृति 5 फ़ीट 4 इन्च (1.63 मी.) लम्बी है। मैदान के ग्रैंड स्टैंड के वास्तुकार, सर हर्बर्ट बेकर, ने यह यंत्र 1926 में लॉर्ड्स को दिया था। ओल्ड फ़ादर टाइम की स्थापना सबसे पहले पुराने ग्रैंड स्टैंड के ऊपर की गई थी। दूसरे विश्व युद्ध में ब्लिट्ज़क्रेग के दौरान, यह एक बैराज गुब्बारे के तार रस्सों में फँसकर गिर गया था। युद्ध के बाद इसकी मरम्मत हुई और इसे फिर अपनी पुरानी जगह पर लगा दिया गया। 1992 में इस यंत्र पर बिजली गिरी। ओल्ड फ़ादर टाइम पर बिजली गिरने से हुए नुक़सान की मरम्मत को बच्चों के दूरदर्शन कार्यक्रम ब्लू पीटर पर दिखाया गया था। 1996 में जब ग्रैंड स्टैंड को गिरा कर फिर से बनाया गया तो फ़ादर टाइम को स्थायी रूप से माउंड स्टैंड पर स्थानांतरित कर दिया गया। मार्च 2015 में एक बार फिर यह यंत्र क्षतिग्रस्त हुआ और इसकी मरम्मत हुई। इस बार नुक़सान का कारण थीं तूफ़ान निकलस की तेज़ हवाएँ। 1969 में ओल्ड फ़ादर टाइम ससेक्स और इंग्लैण्ड क्रिकेट खिलाड़ी जॉन स्नो की कविता “लॉर्ड्स टेस्ट” का विषय बना। सन्दर्भ इंग्लैण्ड के क्रिकेट मैदान मौसम विज्ञान यंत्र
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फ्रैंकफर्ट की सन्धि (१८७१)
फ्रैंकफर्ट की सन्धि, फ्रांस-प्रशा युद्ध के अन्त में १० मई १८७१ को हस्ताक्षरित एक शान्ति सन्धि थी। संधिफ्रेंकफर्ट की संधि फ्रांस और जर्मनी के बीच 10 मई 1871 को हुई थी। 28 जनवरी, 1871 को पेरिस के पतन के साथ ही फ्रांस-प्रशा युद्ध समाप्त हो गया। 26 फरवरी को फ्रांस और प्रशा के बीच शांति संधि की प्रारंभिक शर्तों पर हस्ताक्षर हुए तथा 10 मई, 1871 को फ्रैंकफर्ट में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने संधि पर हस्ताक्षर किये। इस संधि के अंतर्गत फ्रांस को मेज व स्ट्रॉमबर्ग सहित अल्सास व लोरेन के प्रदेश जर्मनी को देने पड़े और साथ ही फ्रांस द्वारा युद्ध के हर्जाने के रूप में बीस करोड़ पौंड की रकम चुकाना भी तय किया गया। फ्रांस द्वारा यह बीस करोड़ पौंड की रकम आगामी तीन वर्षों में चुकाई जाना तय किया गया। बाद में 1919 की वर्साय संधि के द्वारा फ्रांस ने फ्रैंकफर्ट ने अपनी अपमानजनक संधि का बदला लेने का प्रयास किया। वर्साय की संधि प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार के बाद जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच की गयी थी, जिसमें फ्रांस भी शामिल था। फ्रांस को मेज तथा स्ट्रासबर्ग सहित एल्सस एवं लारेन का भाग जर्मनी को देना पड़ा। केवल बेलफोर्ट का किला फ्रांस के अधिकार में रह गया । फ्रांस को युद्ध हर्जाने के रूप में 70 करोङ पौण्ड जर्मनी को देना स्वीकार करना पङा । पूरी रकम का भुगतान होने तक जर्मनी की सेना का फ्रांस में रहना भी निश्चित किया गया। अप्रैल, 1871 में जर्मनी के नए विधान की घोषणा की गयी, जिसके अनुसार दक्षिणी जर्मनी के समस्त राज्य जर्मन संघ में सम्मिलित कर लिये गये। इस प्रकार प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का राजनैतिक एकीकरण पूर्ण हुआ। बिस्मार्क को इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये तीन युद्ध लड़ने पड़े। जर्मनी के इस एकीकरण के लिये क्रांतिकारियों के अलावा लेखकों, विचारकों, इतिहासकारों एवं दार्शनिकों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य किया। इस एकीकरण से बिस्मार्क ने केवल जर्मनी का वरन् यूरोप का सर्वाधिक में प्रभावशाली राजनीतिज्ञ बन गया। अतः यूरोप इतिहास 1871 से 1890 तक के काल को बिस्मार्क युग की संज्ञा दी जाती है।
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ओक्तवे मिर्बो
ओक्तवे मिर्बो (फ़्रान्सीसी भाषा : Octave Mirbeau) (16 फरवरी 1848 - 16 फरवरी 1917) एक फ्रेंच लेखक, पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और राजनीतिक कार्यकर्ता. ग्रंथ सूची Le Calvaire (1886)। L'Abbé Jules (1888). Sébastien Roch (1890). Le Jardin des supplices (1899). Le Journal d'une femme de chambre (1900). Les affaires sont les affaires (व्यापार व्यवसाय है, 1903). Farces et moralités (1904). La 628-E8 (1907). Le Foyer (1908). Dingo (1913). Lettres de l’Inde (1991). Combats esthétiques (1993). Combats littéraires (2006). बाहरी कड़ियाँ Société Octave Mirbeau (वेबसाइट ओक्तव मिर्बो). Dictionnaire Octave Mirbeau (शब्दकोश ओक्तव मिर्बो)। Ioanna Chatzidimitriou, « Lettres de l'Inde : Fictional histories as colonial discourse ». साहित्यकार विश्व के साहित्यकार फ्रांसीसी साहित्यकार 1848 में जन्मे लोग
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जल मार्ग
यह जल परिवहन का एक चिरकालीन एवं महत्वपूर्ण साधन है। जलमार्ग एक पानी का नौगम्य शरीर हैं। एक या कई जलमार्ग का एक नौवहन मार्ग होते हैं। जलमार्ग मे नदियो,समुद्रों, महासागरों, और नहरें शामिल कर सकते हैं। अगर जलमार्ग को नौगम्य बनाने के लिए यह कई मापदंड से मिलने चाहिए। प्रागैतिहासिक समय, पुरुषों और माल दोनों को ले जाने के लिए जल परिवहन का उपयोग किया गया है। जल परिवहन संभवतः जानवरों के उपयोग से पहले विकसित हो गया था क्योंकि जलमार्ग उन जगहों पर यात्रा का आसान साधन बना था जहां भूमि पर घने जंगलों ने आंदोलन में बाधा डाली थी। नौकाओं या किसी अन्य माध्यम के उपयोग से हवा की शक्ति का उपयोग किया गया था जब पानी के परिवहन की सीमा और महत्व बढ़ गया। सबसे पहले, नावें मुख्य रूप से अंतर्देशीय जल और आश्रय तटीय क्षेत्रों के लिए छोटे और सीमित थीं। नौकायन शिल्प के आकार और जटिलता में क्रमिक वृद्धि ने व्यापार की स्थापना की अनुमति दी। फोनिशियन, मिस्र, ग्रीक और रोम के साथ-साथ अरब और भारतीयों के पास व्यापक व्यापारिक संपर्क थे। भाप के उपयोग ने लंबी दूरी पर बड़े सामान को लाने के लिए एक नया आयाम, अधिक शक्ति और गति को जल परिवहन प्रदान किया है। डीजल और अन्य प्रकार की शक्तियों के इस्तेमाल ने जल परिवहन के पूरे परिदृश्य को बदल दिया है और आज दुनिया भर में अधिकांश व्यापार जल-जनित है। जल परिवहन के दो सबसे बड़ा फायदे यह है कि यह महासागरों, नदियों, समुद्रों और विशेषताओं की जरूरतों का उपयोग करता है, और यह बड़े और भारी भार के लिए परिवहन का सबसे सस्ता प्रकार है। दो प्रमुख श्रेणियां जिनके तहत जल परिवहन विभाजित किया जा सकता है, निम्नानुसार हैं: - 1. अंतर्देशीय जलमार्ग 2. महासागर परिवहन केंद्रीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का मुख्यालय कोलकाता मे हैं 1 अंतर्देशीय जलमार्ग: तीन प्रकार के अंतर्देशीय जलमार्ग, अर्थात्, नदियों, नदियों को संशोधित या नहरित किया गया है, और विशेष रूप से नहरों का निर्माण किया गया है। पहले के समय में अधिकांश, शायद सबसे ज्यादा, वस्तुओं की अंतर्देशीय पानी का गाड़ी था। यह संभव था जब जहाज छोटे थे, यातायात सीमित था, और समय कारक विशेष रूप से नहीं दबा रहा था। लेकिन 18 वीं शताब्दी के दौरान जहाजों का आकार बढ़ने लगी, व्यापार का विस्तार करने के लिए बहुत कुछ शुरू हुआ, और गाड़ी की गति को अधिक महत्व दिया गया। कई नदियों की सीमाओं को दूर करने के लिए और कई अंतर्देशीय शहरों को जल संचार के साथ प्रदान करने के लिए, नहरों का निर्माण शुरू हो गया। इंग्लैंड में, नहर के निर्माण में एक अग्रणी, इन नए मानव निर्मित जलमार्गों का निर्माण लगभग एक उन्माद बन गया। महाद्वीप पर नहर का निर्माण कुछ हद तक बाद में आया, हालांकि प्रारंभिक नहरों के कुछ उदाहरण हैं, उदाहरण के लिए, दक्षिणी फ्रांस में कैनल डु मिडी का निर्माण 1681 में किया गया था। 1 9वीं शताब्दी में, रेलवे और सड़क परिवहन के विकास के कारण अंतर्देशीय जल परिवहन में कुछ कमी आई थी। लेकिन कुछ समय बाद, जल परिवहन में वापसी करने की प्रवृत्ति होती है, यह जल परिवहन की बल्क कैरिज की कमजोरी और क्षमता के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है - ज़ीब्रिगे और गेन्ट के बीच की नहर, अल्बर्ट नहर के हालिया और वर्तमान घटनाओं का गवाह, मस्साइल, रोन घाटी योजना, आदि। अंतर्देशीय जलमार्ग दोनों फायदे और नुकसान हैं। मुख्य लाभ हैं: (I) प्राकृतिक या जलमार्ग के मामले में ड्रेजिंग जरूरी हो सकता है, हालांकि रखना या बनाए रखने के लिए कोई ट्रैक नहीं है; (Ii) वे केवल व्यावहारिक मार्ग प्रदान कर सकते हैं, उदा।, बहुत कठिन, पहाड़ी देश में या बहुत घने उष्णकटिबंधीय वन के क्षेत्र में; तथा (Iii) जलमार्ग, अनुकूल परिस्थितियों में, कोयले, अयस्क, लकड़ी, सीमेंट जैसे भारी, भारी, अविनाशीय वस्तुओं के लिए सस्ते परिवहन प्रदान करते हैं। अंतर्देशीय जलमार्ग का प्रमुख नुकसान इस प्रकार हैं: (I) नदियों में कुटिल यात्राएं शामिल हो सकती हैं और व्यापार के दृष्टिकोण से गलत दिशा में प्रवाह हो सकता है; (Ii) अन्यथा नागम्य नदियों को गिरने या रैपिड्स से बाधित किया जा सकता है, जबकि नहरों के स्तरों में अंतर होने पर तालाओं की आवश्यकता होती है; (Iii) सर्दियों में नदी के स्तर में मौसम परिवर्तन हो सकता है और सर्दियों में ठहराव हो सकता है; (Iv) नहर के निर्माण में भारी पूंजी परिव्यय और नहरों को निरंतर रखरखाव और कभी-कभी धूंधने की आवश्यकता होती है, और उन्हें जल आपूर्ति की आवश्यकता भी हो सकती है; (V) अधिकांश अन्य रूपों के साथ तुलना में पानी के द्वारा परिवहन धीमी है और पानी के द्वारा गाड़ी आमतौर पर खराब होने वाले उत्पादन के लिए अनुपयुक्त है; तथा (Vi) सड़कों या रेलवे से जलमार्ग कम लचीला है जो औद्योगिक स्थान बदलने के लिए खुद को आसानी से अनुकूलित कर सकते हैं। यद्यपि जल परिवहन एक अधिक या कम डिग्री से अधिक दुनिया में चलाया जाता है, अंतर्देशीय जलमार्ग की केवल छह प्रमुख नौवहन प्रणालियां हैं: पश्चिमी और मध्य यूरोप की नदियों, वोल्गा-डॉन प्रणाली, उत्तर अमेरिकी नदियों, अमेज़ॅन प्रणाली, पराना-पराग्वे प्रणाली, और चीनी जलमार्ग। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अंतर्देशीय जलमार्ग सबसे अच्छा विकसित होते हैं; अन्य महाद्वीपों में उनका विकास मध्यम है। अंतर्देशीय जलमार्ग की एक संक्षिप्त समीक्षा इस प्रकार है:- यूरोप: यूरोप में, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और रूस के पास बहुत व्यापक अंतर्देशीय जलमार्ग हैं जिनमें नदियों और नहर हैं। फ्रांस में 5,600 किमी की जलमार्ग वाली नदियों और एक अन्य 4,800 किमी नहरें हैं। प्रमुख फ्रांसीसी नदियों, जैसे, लॉयर, गोरोन, सेन, रोन, मीयूस और मॉसेल को संशोधित किया गया है और वे नहर संबंधी सिस्टम से जुड़े हैं ताकि पूरी तरह से नदी और नहरों से भूमध्य सागर से इंग्लिश चैनल या राइन से अटलांटिक महासागर तक यात्रा की जा सके। दूसरी ओर, जर्मनी में 7,040 किमी की अंतर्देशीय जलमार्ग हो रही है। यूरोप के महत्वपूर्ण अंतर्देशीय जलमार्ग हैं: राइन जलमार्ग: राइन दुनिया की सबसे व्यस्त नाविक नदी है। इसके दोनों किनारों पर भारी उद्योगों का विकास हुआ है जो सस्ते पानी के परिवहन से लाभ उठाते हैं। नदी छोटे आकार के सागर-चलने वाले जहाजों के द्वारा नौगम्य है। आर्थिक भूगोल के बिंदु से, नदियों ने भूमि के इंटीरियर में बड़े महासागर मार्गों को लम्बा खींच दिया। "बहने वाली सड़कों" में राइन सबसे उल्लेखनीय है। यह समुद्र से महाद्वीप के बहुत दिल में जाता है राइन एक "कोयला नदी" है आचेन बेसिन के लिग्नाइट और रुहर के कोयले नदी के माल के अधिक से अधिक हिस्से को प्रस्तुत करते हैं। राइन नेविगेशन के लिए प्रकृति द्वारा सबसे अधिक पसंद की नदियों में से एक है। बास्से से स्ट्रासबर्ग और राइन से राइन के बीच सबसे बड़ा अंतर स्ट्रासबर्ग के नीचे से है, जो अपस्ट्रीम खंड में भारी ढाल है, जिसके कारण बहुत तेजी से चालू होता है। स्ट्रासबर्ग के ऊपर यातायात के पास एक तेज़ वर्तमान, कम पानी और एक रॉक लेज के कारण ट्रैफ़िक मामूली है। लेकिन उस बिंदु के नीचे स्लेट माउंटेन (बिंगन और बॉन के बीच) की कण्ठ को छोड़कर एक धीमी गति से चलती है गर्मियों में पानी की मात्रा एक समान है कम पानी के कारण सर्दियों के महीनों के दौरान राइन नेविगेशन बंद कर दिया गया है। बास्सेल से स्ट्रासबर्ग तक राइन एक अल्पाइन मूल के साथ विश्वासघात के एक मूसलधार बारिश आहार की विशेषता है। मौसमी विविधताओं - गर्मियों में बाढ़ और सर्दियों के कम पानी - अधिक स्पष्ट और तेज हैं क्योंकि बासल से स्ट्रासबर्ग तक ढाल बढ़ जाती है। ग्रीष्म ऋतु में स्ट्रासबर्ग के लिए एक पूर्ण कार्गो ले जाने वाला बजरा सर्दियों में आधा मार्ग का निर्वहन करना होगा। राइन नाविकों ने पानी में अचानक गिरावट की रक्षा के लिए नाव-नाल और नदी-बिस्तर के बीच 30 सेंटीमीटर के अंतर की अनुमति दी है जो सूखा के मामले में बहुत तेजी से हो सकता है। राइन उत्तर अटलांटिक की एक सहायक नदी में खाली है जो विश्व व्यापार के सबसे बड़े वर्तमान की शुरुआत में स्थित है। यूरोप की अन्य नदियों की तुलना में यह एक विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति है। इसका लाभ लेने के लिए, राइन के निकट अन्य नदियों को नहरों के माध्यम से जोड़ा गया है। नतीजा यह है कि यूरोप में कोई अन्य नदी नहीं है जिसमें राइन के रूप में इतने सारे नहर कनेक्शन हैं। जर्मनिक-बाल्टिक नदियां के जलमार्ग:- उत्तर-दक्षिण बहने वाली नदियों में शामिल पूर्वी-पश्चिमी नहरों से मिलकर जलमार्ग का एक व्यापक नेटवर्क उत्तरी जर्मन मैदान से पार हो गया। मिटलैंड नहर, जिसे मिडलैंड नहर के रूप में भी जाना जाता है, 1 9 38 में बनाया गया था, जो एम्स, वेसेर और एल्बे की तीन प्रमुख नदियों में शामिल है। कील नहर 96 किमी लंबी है, बाल्टिक सागर को एल्बे मुहाना का लिंक। डॉर्टमुंड-एम्स नहर उत्तर-दक्षिण चलाता है और ब्रैन और एम्देन के बंदरगाहों के साथ राइन को जोड़ता है। दक्षिणी जर्मनी के जलमार्ग:- डेन्यूब मुख्य नदी है, जो सात देशों - जर्मनी, आस्ट्रिया, चेक गणराज्य, हंगरी, यूगोस्लाविया, रोमानिया और बुल्गारिया के माध्यम से बहती है और लगभग 2,400 किमी के लिए नौगम्य है। लुडविंग कैनाल, रोन-राइन कैनाल जैसे नहरों में एक अच्छा अंतर्देशीय जलमार्ग उपलब्ध है। बेल्जियम में, अंतर्देशीय जलमार्ग की कुल लंबाई 1,535 किमी है अल्बर्ट नहर (1 9 40 में निर्मित) और तटीय मैदानों पर अन्य नहरें गेन्ट, ब्रुगेस, ज़ीबॉग्ज और ओस्टेंड के शहरों की सेवा करती हैं। नीदरलैंड, राइन के मुहाने पर, इसके वितरण से पार कर जाता है, और व्यापक मानव निर्मित जलमार्ग भी है। पूर्व सोवियत संघ ने 1, 44, 000 किमी के कुल जलमार्ग का एक जलमार्ग विकसित किया है। इनमें से अधिकांश जलमार्ग यूरोपीय रूस में स्थित हैं। बाल्टिक और व्हाइट सागर नहर, मॉस्को-वोल्गा नहर और वोल्गा-डॉन शिपिंग नहर नोडल हैं। वोल्गा, डिवीना, डॉन, नीपर और डनीस्टर जैसी कई नदियां हैं, जो कई भागों में नौवहन हैं। लेकिन कई रूसी नदियों सर्दियों के मौसम के दौरान बनी हुई थीं। ऐसे दोष के बावजूद घरेलू और विदेशी व्यापार के लिए रूसी नदियों बहुत महत्वपूर्ण हैं। उत्तरी अमेरिका: उत्तर अमेरिका में नेविगेशन के लिए सबसे अधिक उपयोग की नदियों मिसिसिपी और मिसौरी हैं और सबसे महत्वपूर्ण नहर सेंट लॉरेंस के हैं, जो एकजुट करती है। ओन्टारियो और सेंट लॉरेंस; सुफ़ीर और हुरोन के बीच सौल्ट सैन मैरी नहर; नहर जो ओहियो के लिए चेसपीक को जोड़ता है; न्यूयॉर्क के नहर; और उत्तरी एलेगेनी और एरी के बीच नहरों संयुक्त राज्य में नौगम्य जलमार्ग की लंबाई 36,072 किमी से अधिक है। मिसिसिपी नदी प्रणाली, जो सबसे बड़ी है, 8,000 किलोमीटर से अधिक जलमार्गों को 3 मीटर या उससे अधिक की गहराई के साथ प्रदान करता है, जिसमें मिनेपोलिस से मुख्य नदी ट्रंकलाइन को मेक्सिको की खाड़ी में शामिल किया गया है - 12,880 किलोमीटर से अधिक की दूरी मिसिसिपी की एक सहायक नदी मिसौरी, सिओक्स सिटी, आयोवा से 1,216 किमी के लिए नौजवान है। उत्तरी अमेरिका के जल और ऊर्जा क्षमता के तकनीकी मूल्यांकन के लिए लॉल्ज़ एंजिलस के मुख्यालय के साथ एक निजी इंजीनियरिंग और निर्माण उद्यम, राल्फ एम। पार्सन्स कंपनी की सिफारिशों पर इस परियोजना के तहत स्थापित किया गया था। परियोजना को कंपनी द्वारा एनएडब्ल्यूएपीए (North American Water and Power Alliance) के रूप में संदर्भित किया जाता है। 'NAWAPA' के पीछे मूल विचार उत्तर-पश्चिमी उत्तर अमेरिका में फ्रेजर, युकोन, शांति और अथाबास्का नदी प्रणालियों के अधिशेष जल पर कब्जा करना है और नहरों, जलाशयों और सुरंगों की एक विस्तृत प्रणाली के माध्यम से, अधिशेष जल को कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के घाटे वाले क्षेत्रों सेंट लॉरेंस जलमार्ग: सेंट लॉरेंस, महान झीलों के साथ, उत्तर अमेरिका के दिल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण वाणिज्यिक मार्ग बनाता है। हालांकि, नदी हर साल लगभग चार महीने तक बर्फबारी होती है, और कई रैपिड्स और गिरते हैं, जो नेताओं के काटने के लिए जरूरी है ताकि समुद्री जहाजों को झील सुपीरियर तक पहुंचने में सक्षम बनाया जा सके। बड़े महासागर जहाजों को मॉन्ट्रियल नदी के ऊपर एक हजार किलोमीटर तक पारित कर सकते हैं; लेकिन यहां सामान को छोटे जहाजों में ट्रांसिश्च किया जाना है, क्योंकि रैपिड्स होते हैं, और उनसे बचने के लिए किए गए नहरों को 3-5 मीटर तक गहरा नहीं है। कनाडा सरकार ने रैपिड्स के चारों ओर एक 3-5 मीटर की गहरी नहर का निर्माण किया, जिसने उथले मसौदा नौकाओं को लेक ओन्टेरियो और समुद्र के बीच सेंट लॉरेंस के बीच बातचीत करने की अनुमति दी। वेलंड नहर के बाद और उसके आठ ताले 1 9 31 में पूरा हुए थे, ग्रेट झीलों में रुचि - सेंट लॉरेंस सेव का नवीकरण किया गया था। सेंट लॉरेंस भूतपूर्व में डुबकी के कारण समुद्र में प्रवेश करती है, लेकिन कोहरे की प्रबलता और वर्तमान की तीव्रता से नेविगेशन मुश्किल है। सेंट लॉरेंस की घाटी उपजाऊ है, और पूरी लंबाई गांवों और कस्बों के साथ खड़ी है। एक अन्य नहर नियाग्रा के गिरने से बचने के लिए किया गया है, हालांकि बफ़ेलो में बहुत सारे व्यापार को न्यूयॉर्क के लिए एरी नहर और मोहौक-हडसन मार्ग पर ले जाया जाता है। झील सुपीरियर और झील हडसन के बीच रैपिड्स द्वारा Sault Sainte Marie या 500 नहरों की जरुरी जरूरत थी, और इन नहरों पर यातायात भारी है। एशिया: एशिया में अंतर्देशीय जलमार्ग की विस्तृत प्रणाली नहीं है, लेकिन कई देशों में नदियों को अंतर्देशीय जलमार्ग के रूप में उपयोग किया जाता है। चीन में, नदियों ने वाणिज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तीन महान नदियों, ह्वंग-हो, यांग-त्से-कियांग और सिकियांग, पश्चिम से पूर्व तक देश को पार करते हैं चीन की सबसे बड़ी नदी है। देश में नेविगेशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण जलमार्ग, यांग-टीएसई-कियांग। यह संदिग्ध है कि क्या दुनिया में संपत्ति का एक और समान रूप से व्यापक क्षेत्र है जहां लोग यातायात के एक ही धमनी पर पूरी तरह से निर्भर करते हैं और यंगटेश बेसिन के निवासियों के रूप में एक एन्क्रिप्ट करते हैं। चीन के लगभग आधे आबादी इस उपजाऊ क्षेत्र में रहते हैं, नदी, इसकी सहायक नदियों और उसके नहरों के नेटवर्क का उपयोग उनके प्रमुख संचार के साधन के रूप में करते हैं। तिब्बत में यांग-त्से-किआंग उगता है, और इसकी सहायक नदियों के साथ चीन के दिल नालियां हैं यह स्टीमर्स द्वारा हंको के बंदरगाह तक पहुंचाया जाता है सिकिंग यूनियन के हाइलैंड्स में उगता है 'इसके मुंह से पूर्व में काफी प्रत्यक्ष कोर्स है यह अपने पाठ्यक्रम के अधिक से अधिक भाग के लिए नौवहन है पेई-हो संचार के लिए महत्वपूर्ण है और इसे टीएनएससीएन के लिए नेविगेट किया जा सकता है। उत्तरी भारत विशेष रूप से तीन बड़े नाविक नदियों के साथ संपन्न है। ये नदियां गंगा, ब्रह्मपुत्र और यमुना हैं। गंगा को स्टीमर द्वारा नेविगेट किया जा सकता है, जहां तक ​​कानपुर का मुंह है। यह नदी भारत के सबसे घनी आबादी वाले और उपजाऊ मैदान के माध्यम से बहती है और स्वाभाविक रूप से बहुत अधिक यातायात का आदेश देती है। रेलवे के विकास से पहले गंगा सामान और व्यक्तियों के आंदोलन के लिए काफी महत्वपूर्ण था। रेलवे के विकास ने भाप नेविगेशन के महत्व को बहुत कम किया है, खासकर ऊपरी गंगा में। लोअर गंगा अब भी बहुत महत्वपूर्ण है, और सभी वर्ष दौर में यातायात है। ब्रह्मपुत्र असम और बांग्लादेश के माध्यम से बहता है और डिब्रूगढ़ तक पहुंचने योग्य है। इसकी सहायक नदी, सुरमा ने सिल्हेत और कछार में भाप नेविगेशन संभव बना दिया है। पाकिस्तान में सिंधु उत्तर पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत में डेरा इस्माइल खान के लिए स्टीमर द्वारा नौवहन करता है। नदी ज्यादातर गेहूं, कपास और ऊन का प्रबंधन करती है अपने बिस्तर के लगातार स्थानांतरण और रेत-सलाखों के गठन से सिंधु में भाप के नेविगेशन को उपेक्षित किया जा सकता है। बर्मा बहुत नरम नदियों की संख्या में बहुत भाग्यशाली है। इर्राबैडी, जो सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा है, अपने मुंह और देश की नावों से 800 किमी से अधिक के लिए स्टीमर द्वारा नायजेबल आगे बढ़ सकते हैं। अफ्रीका: अफ्रीका में, कुछ नदियों नौवहन हैं, जो बहुत सीमित लंबाई के लिए भी हैं। नील नदी उत्तर-पूर्व अफ्रीका में सबसे महत्वपूर्ण नदी है, लेकिन इसका बड़ा दोष मोतियाबिंद के उत्तराधिकार है। अपने ऊपरी भाग में नील नदी के किनारे पर है और गिरती है; इसके मध्य पाठ्यक्रम में मोतियाबिंद हैं यह डेल्टा और इसके निचले पाठ्यक्रम में नौवहन है। दक्षिण अफ्रीका की नदियां यातायात के लिए बहुत कम उपयोग होती हैं। ज़ाम्बसी केवल 350 किमी के लिए नौजवान है, जबकि लिम्पोपो को केवल थोड़ी दूरी के लिए नेविगेट किया जा सकता है। ऑरेंज नागाइड नहीं है उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में, कांगो एक शानदार प्रणाली प्रदान करता है जो जलमार्ग पर है। यह झीलों तांगान्यिका और न्यासा के बीच हाइलैंड्स में उगता है। लेकिन कई स्थानों पर नेविगेशन रैपिड्स और गिरने से बाधित है। कांगो की चिकल उपनदी उबबान, लगभग उसके सिर तक नेविगेट किया जा सकता है। पश्चिम अफ्रीका में नाइजर 500 मील की दूरी के लिए आसानी से नौजवान है और गीली मौसम में नेविगेशन आगे जारी है। गाम्बिया अपने मुंह से 260 किमी के लिए नौवहन है। दक्षिण अमेरिका: दक्षिण अमेरिका में कुछ लंबी नदियों हैं लेकिन अंतर्देशीय जलमार्ग के रूप में इसका उपयोग सीमित है। अमेज़ॅन नदी महाद्वीप की सबसे लंबी नदी है लेकिन अब तक अमेज़ॅन प्रणाली अपेक्षाकृत कम उपयोग की जाती है, क्योंकि जिस क्षेत्र के माध्यम से नदी बहती है वह घनी जंगली है, बहुत कम आबादी वाले, अविकसित और बड़े पैमाने पर बेरोज़गार। वेनेजुएला के माध्यम से बहती ओरिनोको एक लंबी जलमार्ग है। लेकिन दक्षिण अमेरिका में सबसे उपयोगी पैराना प्रणाली है जो अर्जेंटीना, परागुए, उरुग्वे और दक्षिण ब्राजील के दिल में प्रवेश करती है। दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में रियो नीग्रो नदी पाटोगोनिया की भेड़-पालन भूमि को हटा देती है। ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया जलमार्ग में कमी है। उसके नदी-प्रणाली में हाइलैंड्स से तट तक बहने वाली छोटी धाराएं होती हैं, इस प्रकार नेविगेशन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। दो सबसे महत्वपूर्ण नदियों मुरे और डार्लिंग हैं। सर्दियों और वसंत ऋतु के दौरान डार्लिंग रिवर लगभग शुष्क रहता है। नदी मरे का आंशिक रूप से जलमार्ग के रूप में उपयोग किया जाता है। 2. महासागर परिवहन: महासागर परिवहन सबसे महत्वपूर्ण जल परिवहन है, क्योंकि इसके पास जमीन की गाड़ी पर कुछ फायदे हैं। समुद्र जहाजों के लिए एक तैयार किए गए कैरिएवे प्रदान करता है, जो सड़क या रेलवे के विपरीत, रखरखाव की आवश्यकता नहीं है। पानी की सतहें दो-आयामी हैं और, हालांकि समुद्र से जा रहे जहाजों को अक्सर लेन भेजना पड़ता है, जहाजों को सीमित दिशा में सीमित कर सकते हैं, किसी भी दिशा में। फ्लोटिबिलिटी और कम घर्षण की वजह से समुद्र के जहाजों को अधिक से अधिक भार ले जाने में सक्षम हैं और यहां तक ​​कि सबसे लंबे समय तक रेलवे ट्रेन, सबसे शक्तिशाली लॉरी और ट्रेलर, या सबसे बड़ा विमान द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है; तदनुसार, सागर परिवहन आमतौर पर परिवहन के सभी रूपों का सस्ता होता है। फिर, कोहरे और फ्लोटिंग बर्फ को छोड़कर, और कभी-कभी तूफानी मौसम जो प्रगति में बाधा डाल सकता है, सागर से चलने वाले जहाजों में उन भौतिक बाधाओं की तुलना में कम है जो अक्सर भूमिगत परिवहन को बाधित करते हैं। जहाजों का उपयोग परिवहन के लिए शुरुआती समय से किया गया है ग्राईको-रोमन काल के दौरान, एक सैन्य भेद लंबे समय तक या गैलीस के बीच किया गया, सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता था, और व्यापार के लिए गोल जहाजों। वाइकिंग्स की एक समानता थी। अधिक हाल के दिनों के दौरान जहाजों ने एक भी अधिक विशेषज्ञता और कई अलग-अलग प्रकार के वाणिज्यिक जहाजों को धीरे-धीरे विकसित किया है। आज लगभग आधा दर्जन मुख्य प्रकार के व्यापारी जहाजों को मान्यता प्राप्त है - यात्री लाइनर, कार्गो लाइनर, थोक वाहक, ट्रैम्प और कॉपर, और शॉर्ट-सागर व्यापारियों। सबसे शानदार विकास, हालांकि, थोक वाहक की उपस्थिति रही है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण टैंकर हैं, तेल की आयु का उत्पाद। हाल के वर्षों में टैंकरों के आकार में भारी वृद्धि देखी गई है, जिनमें से कुछ अब 5,00,000 टन मृत वजन से अधिक हैं। आज, दुनिया के व्यापारी शिपिंग भार के आधे से अधिक में टैंकर हैं, आधुनिक दुनिया में तेल के महान महत्व का एक संकेत है। हालांकि जहाजों को आंदोलन की स्वतंत्रता है और वे समुद्र की सतह पर लगभग कहीं भी जाने में सक्षम हैं, वे कुछ "लेन" रखने की कोशिश करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं: (i) भौतिक परिस्थितियां, और (ii) आर्थिक विचार जाहिर है, जहाजों को केवल जहां माल या लोगों को ले जाया जाता है और सबसे महत्वपूर्ण नौवहन मार्ग सबसे अधिक उत्पादक और अधिक आबादी वाले क्षेत्रों को जोड़ने वाले हैं। कुछ भौतिक परिस्थितियां जहाजों के बाद के मार्गों को निर्धारित करने में भी मदद करती हैं, उदाहरण के लिए समुद्र तटों पर बंदरगाहों और बंदरगाहों की उपलब्धता, मौसम की स्थिति जैसे कोहरे और तूफान की घटनाएं, और समुद्री बर्फ और बर्फबच्चों, पनडुब्बी बैंकों और उथले पानी जैसे समुद्र विज्ञान के कारक। विश्व के प्रमुख समुद्र के व्यापार मार्ग इस प्रकार हैं: उत्तर अटलांटिक महासागर मार्ग: उत्तर अटलांटिक महासागर मार्ग में सभी समुद्र मार्गों का सबसे बड़ा यातायात है। दुनिया के व्यापारी जहाजों के भार के लगभग एक-चौथाई हिस्से इस मार्ग पर कार्य करता है। मात्रा और माल की विविधता में, यह मार्ग अभी तक किसी भी अन्य से अधिक है। यह मार्ग उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर उन लोगों के साथ पश्चिमी यूरोप के बंदरगाहों को जोड़ता है ये दो क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले और अत्यधिक विकसित क्षेत्र हैं। उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप मात्रा और विविधता के सामानों की दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। यूरोप के पश्चिमी तट पर बंदरगाहों में ग्लासगो, लिवरपूल मैनचेस्टर, साउथेम्प्टन, लंदन, रॉटरडैम, ब्रेमेन, बोर्डो और लिस्बन हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर बंदरगाहों में क्यूबेक, मॉन्ट्रियल हैलिफ़ैक्स, सेंट जॉन, बोस्टन, न्यूयॉर्क, बाल्टीमोर, चार्ल्सटन गैल्वेस्टन और न्यू ऑरलियन्स हैं। यह महासागर मार्ग दुनिया का सबसे व्यस्त व्यापार मार्ग है। निर्मित वस्तुओं की बड़ी मात्रा: वस्त्र, रसायन, मशीनरी, उर्वरक, इस्पात, शराब आदि आदि इन बंदरगाहों से उत्तरी अटलांटिक के संयुक्त राज्य और कनाडा में निर्यात की जाती हैं। कनाडा और अमेरिका से यूरोप का निर्यात लकड़ी, मछली, गेहूं, कच्चा कपास, तम्बाकू, तेल, मशीनरी और वाहन, धातु, कागज और रसायन हैं। सुवेज नहर या भूमध्य एशियाई मार्ग: ट्रैफिक की मात्रा के संबंध में यह मार्ग उत्तर अटलांटिक से दूसरे स्थान पर है। यह पूर्वी अफ्रीका, ईरान, अरब, भारत, सुदूर पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाजारों का आदेश देता है। वास्तव में, यह मार्ग दुनिया के दिल से गुजरता है और अधिक भूमि को छूता है और किसी अन्य मार्ग से अधिक लोगों को सेवा देता है। कॉल के अपने कई बंदरगाहों के दौरान, यह दुनिया की कुल आबादी के लगभग तीन चौथाई तक पहुंचता है। लाल सागर पार करने के बाद, मार्ग दो दिशाओं का अनुसरण करता है - एक अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ डरबन में; एक और पूर्व के लिए - भारत, ऑस्ट्रेलिया, आदि के लिए प्रस्थान के बंदरगाहों लंदन, लिवरपूल, साउथेम्प्टन, हैम्बर्ग, रॉटरडैम, लिस्बन, मार्सिल्स, जेनोआ और नेपल्स हैं। कॉल के बंदरगाहों में एडेन, मुंबई, कोलकाता, रंगून, पेनांग, सिंगापुर, मनीला, हांगकांग, पर्थ, एडिलेड, मेलबोर्न, सिडनी, मोम्बासा, ज़ांज़ीबार, मोज़ाम्बिक और डरबन हैं। एशियाई देशों द्वारा इस मार्ग का इस्तेमाल पश्चिमी बाजारों में कच्चे माल और कुछ खाद्य उत्पादों को भेजने के लिए किया जाता है और बदले में निर्मित लेखों में प्राप्त होता है - सुदूर पूर्व के उत्पादों में चावल, चाय, चीनी और रेशम होते हैं; भारत में कॉफी, चाय, पिग आयरन, मैंगनीज अयस्क, जूट के सामान, इंडिगो, मसालों, कपास, सागौन, रेशम, खाल, चमड़े और तेल के बीज और मध्य पूर्व के पेट्रोलियम, कॉफी और सूखे फल हैं। ऑस्ट्रेलिया से मांस, लकड़ी, गेहूं, आटा, फल, ऊन, मक्खन और शराब भेजा जाता है। चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया के देश अब वस्तुओं के निर्यात और आयात दोनों के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं। गुड होप मार्ग के केप: यह मार्ग एक बार सुवेज नहर मार्ग का सहायक विकल्प था, लेकिन इसकी लंबी और घबराहट यात्रा की वजह से, ज्यादातर शिपिंग कंपनियों ने इसे टाल दिया था 1 9 67 में सुएज नहर के बंद होने के दौरान सभी मार्गों को इस मार्ग को लेने के लिए कोई विकल्प नहीं था। 1 9 75 में सुएज नहर को फिर से खोले जाने के बाद भी, इस व्यापार का पालन करने के लिए बहुत ज्यादा व्यापार चल रहा है क्योंकि टैंकरों और अन्य वाहनों का आजकल बहुत बड़ा है। चूंकि सुवे नहर केवल 20,000 टन की क्षमता के जहाजों को समायोजित कर सकता है और टोल शुल्क अधिक है, केप मार्ग का महत्व बढ़ रहा है। इसमें कई अन्य फायदे हैं हाल ही में स्वतंत्र अफ्रीकी देशों के अधिक से अधिक आर्थिक विकास और सोने, तांबा, हीरे, टिन, क्रोमियम, मैंगनीज, कपास, तेल हथेली, मूंगफली, कॉफी और फलों जैसे उनके समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का शोषण, यातायात के दौर का दौर केप ऑफ़ गुड होप और पूर्वी और पश्चिम अफ्रीका दोनों में बंदरगाहों में वृद्धि हुई है। पनामा नहर: वेस्ट इंडियन सेंट्रल अमेरिकन रूट: पनामा नहर का निर्माण 1913 में पूरा किया गया था। पनामा नहर 'प्रशांत के लिए प्रवेश द्वार' है और केप हॉर्न के चारों ओर लंबी और खतरनाक यात्रा समाप्त कर दिया। इससे दोनों अटलांटिक और प्रशांत समुद्र तट पर लाभ हुआ है, खनिजों, तेल, खाद्य पदार्थों, कच्चे माल और विनिर्मित उत्पादों में व्यापार को सुविधाजनक बनाने में मदद मिली है। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच यातायात में सबसे बड़ा लाभ अर्जित किया है। पनामा मार्ग ने पश्चिम भारतीय द्वीपों और उत्तर, मध्य और दक्षिण अमेरिका के प्रशांत राज्यों, विशेष रूप से एंडीन राज्यों में व्यापार की सुविधा दी है, जो खनिज संसाधनों में समृद्ध हैं और उत्तरी अमेरिका में अच्छे बाजार हैं। लैटिन अमेरिकी राज्य अमरीका और पश्चिमी यूरोपीय देशों से निर्मित वस्तुओं और खनन उपकरणों का आयात करते हैं। सुदूर पूर्व, प्रशांत द्वीपों और उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के आस्ट्रेलिया के लिए किस्मत वाला व्यापार भी पनामा नहर के माध्यम से चला जाता है। पूर्वी एशियाई देशों के विशेषकर चीन, जापान और दक्षिण-पूर्वी एशियाई राज्यों के अधिक आर्थिक विकास के साथ, पनामा मार्ग पूर्व और पश्चिम के बीच उत्पादों के आदान-प्रदान में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। केप हॉर्न की बजाय पनामा के माध्यम से ऑकलैंड से न्यूयॉर्क तक की दूरी 4000 किलोमीटर से अधिक है। दक्षिण अटलांटिक रूट: यह मार्ग वेस्ट इंडीज, ब्राजील और अर्जेंटीना की ओर जाता है मार्ग पर कॉल के प्रमुख बंदरगाहों किंग्स्टन (जमैका), हवाना, वेरा क्रूज़, ताम्पाको, पेर्नंबुको, बाहिया, रियो डी जनेरियो, सैंटोस, मोंटेवीडियो, ब्यूनस आयर्स और रोज़ारियो हैं। मार्ग पर निर्यात चीनी, केले, कच्चा कपास, महोगनी, तम्बाकू, कॉफी, अनाज, ऊन और मांस हैं, जबकि आयात माल का निर्माण होता है। यह मार्ग एक तरफ यूरोप और वेस्ट इंडीज, कैरेबियन समुद्र तट, ब्राजील, उरुग्वे और अर्जेंटीना के बीच व्यापार संबंधों को दूसरे पर रखता है। ट्रांस-पॅसिफिक रूट: उत्तर प्रशांत में कई मार्ग हैं जो ईंधन भरने और सर्विसिंग के लिए होनोलुलु में इकट्ठा होते हैं। सीधे मार्ग आगे उत्तर एक महान सर्कल है जो वैनकूवर और योकोहामा को हवाई द्वीप के फोन किए बिना लिंक करता है, यात्रा दूरी को आधे से कम कर देता है। उत्तर प्रशांत व्यापार में वैंकूवर, सिएटल, पोर्टलैंड, सैन फ्रांसिस्को और लॉस एन्कल्स शामिल हैं, जो कि गेहूं, लकड़ी, कागज और लुगदी, मछली, डेयरी उत्पादों और विनिर्मित वस्तुओं से संबंधित हैं। 7,200 किलोमीटर (4,500 मील) की विस्तृत प्रशांत क्षेत्र में योकोहामा, कोबे, शंघाई, गुआंगज़ौ (कैंटन), हांगकांग, मनीला और सिंगापुर हैं। पूर्वी एशिया से उत्तरी अमरीका के पूर्व-बाध्य व्यापार में मुख्य रूप से विनिर्मित सामान, जैसे, जापान, हांगकांग, एस कोरिया और ताइवान से निर्मित वस्त्रों, इलेक्ट्रिकल उपकरण, और दक्षिण-पूर्व एशिया से उष्णकटिबंधीय कच्चे माल, जैसे रबर , कोपरा, पाम तेल, सागौन, टिन और चाय। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अलावा उत्तर प्रशांत अमेरिका के मुख्य भूमि से उत्तर-पूर्व में अलास्का के पृथक राज्यों और मध्य-प्रशांत क्षेत्र में हवाई के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू मार्ग है। दक्षिण प्रशांत में, यातायात मुख्य रूप से पनामा नहर के माध्यम से या तो पश्चिम यूरोप या उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और विख्यात प्रशांत द्वीपों के बीच यात्रा कर रहे जहाजों के होते हैं। परिवहन में माल ज्यादातर गेहूं, मांस, ऊन, फल, डेयरी उत्पाद और निर्मित लेख हैं। अन्य महत्वपूर्ण मार्ग पूर्वी उत्तरी अमेरिकी-पूर्व दक्षिण अमरीकी (न्यूयॉर्क से केप साओ Roque), उत्तरी अमेरिकी-पश्चिमी दक्षिण अमेरिकी (न्यूयॉर्क से पनामा नहर के माध्यम से पंटा एरेनास), उत्तरी अमरीका-आस्ट्रेलियाई (न्यूयॉर्क और वैंकूवर से) होनोलूलू के माध्यम से सिडनी और वेलिंगटन तक), आदि साउंस ट्रांसपोर्ट का विश्लेषण सुवे और पनामा नहरों के विस्तृत विवरण के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है। इन दो नहरों ने समुद्री महाद्वीप के पूरे पैटर्न को बदल दिया है, इसलिए इन नहरों की विशेषताओं और महत्वों को जानना आवश्यक है। सुएज नहर: सुवेज नहर दुनिया के महान अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में से एक है - सुवेज़ के आइस्तमास में कटौती और भूमध्य सागर और हिंद महासागर के बीच नौवहन सुविधाएं प्रदान करता है। लाल सागर के साथ भूमध्यसागर को जोड़ने वाले नहर का इतिहास 13 वीं शताब्दी बीसी तक है। जब नील-लाल सागर नहर 8 वीं शताब्दी ईस्वी के अंत तक उपयोग में जाने के लिए जाना जाता है। 16 वीं शताब्दी के बाद से एक या दूसरे यूरोपीय शक्तियों को इस बात में दिलचस्पी लेनी पड़ी कि या तो पुराने जलमार्ग को फिर से खोलना या भूमध्यसागरीय क्षेत्र से एक नया कटा हुआ है। 1834 में, अलेक्जेंड्रिया में फ्रांसीसी कौंसुलर सेवा के एक सदस्य फर्डिनेंड डी लेशप्स, सुवेज नहर योजना में रुचि रखते थे। 1854 में, उन्होंने मिस्र के वाइसराय (खेड़ेवे) के साथ इस परियोजना पर चर्चा की और उनकी स्वीकृति मिली। नहर के उद्घाटन की तारीख से 99 वर्ष तक चलने की रियायत, कम पाबंदों को दी गई थी, उन्हें जलमार्ग के निर्माण के उद्देश्य से एक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी बनाने के लिए अधिकृत किया गया था। खुदाई 1859 में दी लेशप्स के तहत शुरू हुई थी, जिन्होंने नहर का निर्माण करने में दस साल पूरे किए थे। यह नवंबर 1869 में खोला गया था। यह लगभग 160 किमी लंबी (झीलों की दूरी सहित) और 11 से 15 मीटर की गहराई से है। मंजिल की चौड़ाई 40 मीटर है और सतह पर भिन्न होती है। सुएज नहर लाल सागर के साथ भूमध्य सागर को जोड़ता है पोर्ट सैड भूमध्य सागर में स्थित है; जबकि पोर्ट सुएज लाल सागर पर है जैसा कि एक जहाज भूमध्य सागर से नहर में प्रवेश करता है, यह पोर्ट सईद को पारित करेगा, दुनिया में सबसे बड़ी बंदरगाहों में से एक और दक्षिण की ओर चलकर दक्षिण तट पर ट्युनसा में प्रवेश किया जाएगा, जो कि इस्माइलिया शहर है। झील टुनसा से सुवे शहर तक, एक जहाज गीत बटर झील और लिटिल बिटर झील के माध्यम से पारित होगा। पिछली शताब्दी के दौरान कोई भी मानवीय उद्यम ने सुएज नहर से भौतिक भौगोलिक परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्रों के नियति को प्रभावित करने के लिए और कुछ किया है। सुएज नहर मार्ग के उद्घाटन केप मार्ग की तुलना में लंदन से मुंबई तक यात्रा पर लगभग 5,820 किलोमीटर बचाया। सुएज नहर के उद्घाटन का न केवल विश्व व्यापार और वाणिज्य पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी जबरदस्त असर पड़ा, पश्चिमी देशों को अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक नया मार्ग खोलने के अलावा। उत्तर अमेरिका और सुदूर पूर्व के पूर्वी तट के बीच सामान्य व्यापार मार्ग केप ऑफ गुड होप के माध्यम से किया गया था। सुएज नहर ने केप ऑफ गुड होप मार्ग से यातायात को अपने आप से अलग करके और इस तरह, उत्तर अमेरिका को बहुत लाभ हुआ। हर साल 12,000 से अधिक जहाज़ सुवे नहर से गुजरती हैं। सुएज नहर ने न केवल सबसे तेज लेकिन न केवल यूरोप और पूर्वी के बीच पारगमन की सबसे किफायती रेखा प्रदान की है। राजनीतिक रूप से सुएज मार्ग मध्य पूर्व देशों में तेलफील्ड के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जिनके उत्पादों पर पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्था निर्भर है। सुएज नहर की कुछ समस्याएं हैं नहर के संकीर्ण हिस्से में जहाजों को पार करने से बचने के लिए नहर को गहराई, चौड़ाई, मोड़ के संबंध में सुधार की आवश्यकता है। रेगिस्तान से उड़ा रहे हवाओं के साथ आने वाली गाद के बयान को नियमित सफाई की आवश्यकता होती है। दूसरी समस्या यह है कि नहर से गुजरने वाले जहाजों पर लगाए गए उच्च नहर बकाया राशि है। यह देखा गया है कि जब गति जरूरी नहीं है, तो कई कार्गो लाइनर उच्च देयताओं से बचने के लिए केप ऑफ़ गुड होप मार्ग का अनुसरण करते हैं। अब कई कार्गो जहाजों आकार में इतने बड़े हैं कि वे सुएज नहर से गुजर नहीं सकते। नहर के आस-पास राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता भी चिंता का कारण है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अनुसार सुएज नहर स्वतंत्र और खुले है, शांति के समय युद्ध के समय, वाणिज्य या युद्ध के हर जहाज के लिए, ध्वज के भेद के बिना। पनामा नहर: पनामा नहर दो खण्ड, एक कृत्रिम झील, एक प्राकृतिक झील, और ताले के तीन सिस्टम के माध्यम से अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ता है। यह पनामा के संकीर्ण Isthmus भर में निर्मित किया गया है जहां लंबे कॉन्टिनेंटल डिवाइड कम से कम अंक में से एक को गिरा देता है। नहर सागरों में गहरे पानी से गहरे पानी से 72 किमी लंबी है। यह 15 अगस्त 1 9 14 को खोला गया था। सभी ताले डबल होते हैं, इसलिए जहाजों को यातायात के किसी भीड़ के बिना दोनों दिशाओं में पारित किया जा सकता है। चैनल की गहराई 12 से 26 मीटर के बीच होती है और चौड़ाई 91 से 305 मीटर तक होती है। पनामा से कोलोन तक नहर के माध्यम से जाने का समय 14 घंटे है। पनामा नहर किसी न किसी देश से गुजरता है और इंजीनियरिंग कठिनाइयां सुवेज नहर के मामले में बहुत अधिक होती हैं, जो एक स्तर के देश से गुजरती हैं और किसी भी ताले की जरूरत नहीं है। पनामा नहर अपनी जलविद्युत शक्ति उत्पन्न करता है जिसके साथ इस क्षेत्र की न केवल प्रकाश व्यवस्था की जाती है, बल्कि ताले के माध्यम से जहाजों को खींचने के लिए बिजली के इंजन भी आपूर्ति की जाती हैं। पनामा नहर 'प्रशांत के लिए प्रवेश द्वार' है इससे दोनों अटलांटिक और प्रशांत समुद्र तटों पर लाभ हुआ है, जिससे खनिज, तेल, खाद्य पदार्थों, कच्चे माल और विनिर्मित उत्पादों में व्यापार की सुविधा मिलती है। इसका सबसे बड़ा लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच यातायात में अर्जित हुआ है। नहर, न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को के बीच की दूरी समुद्र के द्वारा 12,596 किमी के बीच की दूरी को कम करता है, और पश्चिमी यूरोप और पश्चिमी अमेरिका के बीच की दूरी और पूर्व अमेरिका और पूर्वी एशिया के उत्तरी और मध्य भागों के बीच बहुत कम दूरी को कम करता है। यह यूरोप और न्यूजीलैंड के बीच की दूरी को भी थोड़ा कम करता है, लेकिन इससे यूरोप और एशिया या यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के बीच कम नहीं होता है पूर्वी उत्तरी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी यूरोप बहुत नहर के परिणामस्वरूप बहुत निश्चित रूप से प्राप्त हुए, क्योंकि वे इस मार्ग से लगभग सभी पश्चिमी उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी दक्षिण अमेरिका और न्यूजीलैंड तक पहुंच गए थे। पूर्वी उत्तरी अमरीका के लिए नहर का अर्थ जापान और हांगकांग के उत्तर में चीन के सभी हिस्सों में काफी कमी है, एक ऐसा पहलू जिसने पूर्व एशिया के साथ व्यापार के तेजी से विकास में योगदान दिया है। सन्दर्भ परिवहन के साधन आधार सभी आधार लेख
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20Y
परियोजना Y
लॉस एलामोस प्रयोगशाला, जिसे प्रोजेक्ट Y के नाम से भी जाना जाता है, मैनहट्टन परियोजना द्वारा स्थापित एक गुप्त प्रयोगशाला थी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय द्वारा संचालित थी। इसका मिशन पहले परमाणु बमों का डिजाइन और निर्माण करना था। रॉबर्ट ओपेनहाइमर 1943 से दिसंबर 1945 तक सेवा देने वाले इसके पहले निदेशक थे, जब उन्हें नॉरिस ब्रैडबरी द्वारा सफल बनाया गया था। सुरक्षा को बनाए रखते हुए वैज्ञानिकों को अपने काम पर स्वतंत्र रूप से चर्चा करने में सक्षम बनाने के लिए, प्रयोगशाला न्यू मेक्सिको के एक दूरदराज के हिस्से में स्थित थी। युद्धकालीन प्रयोगशाला ने उन इमारतों पर कब्जा कर लिया जो कभी लॉस एलामोस रेंच स्कूल का हिस्सा थीं। सुरक्षा 10 मार्च 1945 को, एक जापानी आग के गुब्बारे ने एक बिजली लाइन से टकराया, और परिणामी बिजली उछाल के कारण हनफोर्ड साइट पर मैनहट्टन परियोजना के रिएक्टरों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। इसने लॉस एलामोस में बड़ी चिंता पैदा की कि साइट पर हमला हो सकता है। एक रात ने देखा कि हर कोई आसमान में एक अजीब सी रोशनी को घूर रहा है। ओपेनहाइमर ने बाद में इस प्रदर्शन को याद किया कि "वैज्ञानिकों का एक समूह भी सुझाव और उन्माद की त्रुटियों के खिलाफ सबूत नहीं है"। इतने सारे लोगों के शामिल होने के कारण सुरक्षा एक मुश्किल काम था। मैनहट्टन प्रोजेक्ट के सुरक्षा मुद्दों को संभालने के लिए एक विशेष काउंटर इंटेलिजेंस कॉर्प्स टुकड़ी का गठन किया गया था। 1943 तक, यह स्पष्ट हो गया था कि सोवियत संघ इस परियोजना में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा था। सबसे सफल सोवियत जासूस ब्रिटिश मिशन के क्लॉस फुच्स थे। उनकी जासूसी गतिविधियों के 1950 के रहस्योद्घाटन ने ब्रिटेन और कनाडा के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के परमाणु सहयोग को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद, जासूसी के अन्य उदाहरण सामने आए, जिससे हैरी गोल्ड, डेविड ग्रीनग्लास और एथेल और जूलियस रोसेनबर्ग की गिरफ्तारी हुई।थिओडोर हॉल जैसे अन्य जासूस दशकों तक अज्ञात थे। टिप्पणी सन्दर्भ कोड नाम पूर्व परमाणु अनुसंधान संस्थान वाई लॉस एलामोस, न्यू मैक्सिको संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य परियोजनाएं न्यू मैक्सिको का सैन्य इतिहास न्यू मैक्सिको में सेना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%20%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8
जावेद खान
जावेद खान का नाम है : जावेद खान नवाब बहादुर (सी। 1695-1754), मुगल आधिकारिक और प्रभावी रीजेंट 1748 से 1754 के दौरान जावेद खान (अभिनेता) (जन्म 1962), भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेता जावेद खान (क्रिकेटर) (जन्म 1990), भारतीय क्रिकेटर जो मुंबई के लिए खेलते हैं जावेद खान (कार्यकारी), बरनार्डो के ब्रिटिश मुख्य कार्यकारी अधिकारी जावेद खान अमरोही, भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेता जावेद खान (राजनेता), पश्चिम बंगाल सरकार, भारत में विधायक जावेद अहमद खान (जन्म 1956), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्टी में राजनीतिज्ञ जावेद अली खान (जन्म 1962), उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाली भारत की संसद के सदस्य यह भी देखें जावेद (बहुविकल्पी) खान (उपनाम)
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पालमा गिरजाघर
पालमा गिरजाघर जिसे अंग्रेज़ी में Cathedral of Santa Maria of Palma या साधारणतः "ला सेउ" कहा जाता है (एक शीर्षक जो कई अन्य गिरजाघरों के द्वारा भी प्रयोग किया जाता है), एक गोथिक शैली में बनी रोमन कैथलिक गिरजाघर को कहते हैं जो पालमा दे मलोरका, मयोरका, स्पेन में मौजूद है। इसे उसी स्थान पर बनाया गया है जहाँ कभी अरबों ने एक मस्जिद बनाई थी। यह 121 मीटर लम्बा, 55 मीटर चौड़ा और इसके मीनार 44 मीटर लम्बे हैं। यह कातालान के गोथिक वास्तुकला शैली में बना है मगर इसमें कई और उत्तरी यूरोपी प्रभाव साफ़ छलकते हैं। इसका निर्माण आरागोन के जेम्स प्रथम द्वारा 1229 में शुरू हुआ था मगर इसे केवल 1601 में पूरा किया जा सका था। बाहरी कड़ियाँ "Cathedral of Palma: La Seu", साढ़े तीन मिनट का एक वीडियो, मलोरका टी वी टेली वेब+ ला सेउ गिरजाघर का इतिहास ला सेउ गिरजाघर मलोरका जालस्थल पर अल्मुदैना महल फ़्लिकर पर पालमा गिरजाघर के चित्र पालमा गिरजाघर पर छपने लायक चित्र पालमा गिरजाघर पर एक लेख इन्हें भी देखें बिएन दे इंतेरेस कल्चरल की सूची बलेआरिक टापू प्रान्त में
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पेलामिस प्लातूरा
पेलामिस प्लातूरा (Pelamis platura) या पीतोदर समुद्री सर्प (yellow-bellied sea snake) एक विषैला समुद्री सर्प है जो अटलांटिक महासागर छोड़कर विश्व के हर अन्य समुद्री क्षेत्र के गरम भागों में पाया जाता है। इसका जन्म व रहन-सहन पूरी तरह खुले समुद्र में होता है और इसे धरती पर आने की न तो कोई आवश्यकता होती है और न ही इसका शरीर किसी भी तरह धरती पर रहने के लिये अनुकूल है। विवरण पेलामिस प्लातूरा साँपों के रंग भिन्न होते हैं लेकिन एक साँप हमेशा दो रंगों का होता है। शरीर का ऊपरी भाग काला और निचला भाग पीला या भूरा होता है। नरों की लम्बाई ७२ सेमी (२८ इंच) तक और मादाओं की ८८ सेमी (३५ इंच) तक होती है। इनके बच्चे कम-गहराई के क्षेत्रों में जन्मतें हैं। यह साँप अपनी पूरी ज़िन्दगी समुद्र में व्यतीत करता है और धरती पर लाचार हो जाता है। हालांकि यह सर्प विषौला है और मछलियों का शिकार उन्हें डस कर करता है, फिर भी यह मनुष्यों से कतराता है और आज तक इनके डसे जाने के कारण किसी भी व्यक्ति की मौत की जानकारी नहीं है। इन्हें भी देखें समुद्री सर्प सन्दर्भ समुद्री सर्प
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गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान
१९५९ में स्थापित गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान, ईक्वाडोर का पहला राष्ट्रीय उद्यान है। ईक्वाडोर की सरकार ने गैलापागोस के भूमि क्षेत्र का ९७% हिस्सा देश के इस पहले राष्ट्रीय उद्यान के लिए नामित किया है जबकि, शेष ३% सांताक्रूज़, सैन क्रिस्टोबाल, फ्लोरियाना और ईसाबेला के वासित क्षेत्रों के बीच वितरित किया है। इतिहास गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान सेवा ने १९७१ में उद्यान के पहले अधीक्षक, २ अधिकारियों और ६ उद्यान रेंजरों को सांताक्रूज़ द्वीप पर नियुक्त किया था। १९७४ में गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान सेवा ने, १९७३ में जारी जैविक संरचना के अनुसार अपनी पहली प्रबंधन योजना शुरु की जिसके अंतर्गत उद्यान के लिए एक अधीक्षक, २ संरक्षण अधिकारी और ४० उद्यान रेंजरों को प्रबंधन के उद्देश्यों के लिए नियुक्त किया गया। १९७९ में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीपसमूह को मानवता हेतु प्राकृतिक धरोहर घोषित किया और उद्यान सेवा को इसके अधीक्षक के माध्यम से स्थायी उद्यान संरक्षण और द्वीपों की रखवाली का उत्तरदायित्व दिया।गैलापागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र की स्थापना १९८६ में की गयी। इसी वर्ष गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान को इसकी अनूठी वैज्ञानिक और शैक्षिक विशेषताओं के कारण, संरक्षित जैवमंडलों की सूची में शामिल किया गया। २००७ में, यूनेस्को ने गैलापागोस राष्ट्रीय उद्यान को खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया। सन्दर्भ गैलापागोस द्वीप
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ड्यूश बैंक
डॉइश बैंक एजी (वास्तविकता में "जर्मन बैंक";[IPA-de|ˈdɔʏtʃə ˈbaŋk][1];[2],[3]) एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वव्यापी बैंक है जिसका मुख्यालय फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में है। बैंक के पास 72 देशों में 80,000 से भी अधिक कर्मचारी हैं और यह यूरोप, अमेरिका के एशिया पैसिफिक व् उद्भवित बाज़ारों में यह महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। ड्यूश बैंक का कार्यालय प्रमुख वित्तीय केन्द्रों में है जिसमे न्यूयार्क, लन्दन, फ्रैंकफर्ट, पेरिस, मॉस्को, एम्सटर्डम, टोरोंटो, सा पाउलो, सिंगापुर, हौंगकौंग, टोक्यो और सिडनी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बैंक, विस्तृत होते हुए बाज़ारों में भी निवेश कर रहा है, जैसे मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका, सेन्ट्रल व् ईस्टर्न यूरोप और एशिया पैसिफिक. बैंक निजी व् व्यवसायिक ग्राहकों के साथ साथ कार्पोरेट व् संस्थागत ग्राहकों को भी वित्तीय उत्पाद व् सुविधाएं प्रदान करता है। सुविधाओं में विक्रय, व्यवसाय और ऋण व् इक्विटी की शुरुआत; विलय व् अधिग्रहण (एम&ए); जोखिम प्रबंधन उत्पाद, जैसे कि व्युत्पाद, कार्पोरेट वित्त, संपत्ति प्रबंधन, खुदरा बैंकिंग, कोष प्रबंधन और लेनदेन बैंकिंग इत्यादि सम्मिलित है। जोसेफ एकरमैन, सन 2002 से ड्यूश बैंक के प्रमुख प्रबंधक अधिकारी व् समूह प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं। 2009 के अंत में वह इस बात पर सहमत हो गए थे कि वह अगले तीन सालों यानि की 2013 तक ड्यूश बैंक के प्रमुख प्रबंधक बने रहेंगे। ड्यूश बैंक फ्रैंकफर्ट (एफडब्ल्यूबी)(FWB) व् न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसइ)(NYSE) दोनों में ही सूचीबद्ध है। इतिहास 1870-1919 ड्यूश बैंक की स्थापना 1870 में बर्लिन, जर्मनी में विदेशी व्यापार के एक विशेषज्ञ बैंक के रूप में हुई थी। बैंक का अधिनियम संवैधानिक रूप से 22 जनवरी 1870 को अंगीकृत किया गया था और 10 मार्च 1870 को प्रुशिया की सरकार ने इसे बैंकिंग अनुज्ञापत्र (लाइसेंस) दे दिया था। इसके संविधान में विदेशी व्यापार पर विशेष बल दिया गया था; "कंपनी का उद्देश्य सभी प्रकार के बैंकिंग लेनदेन के संपादन से है, विशेषतः जर्मनी अन्य यूरोपीय देशों और विदेशी बाज़ारों के मध्य सम्बन्ध को प्रोत्साहित करने व सहायता प्रदान करने से है। बैंक की पहली घरेलू शाखाएं, जिनका उद्घाटन 1871 और 1872 में हुआ था, वह ब्रेमेन व हैमबर्ग में खोली गयी थीं। विदेशों में इसका प्रथम प्रयास भी इसके शीघ्र बाद ही आरम्भ हो गया, यह शंघाई (1872) और लन्दन (1873) में हुआ। इस स्तर पर, पहले ही, बैंक और आगे बढ़ने, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका, एशिया व टर्की में निवेश करने के बारे में सोच रहा था। बैंक के प्रारंभिक वर्षों की बड़ी परियोजनाओं में यूएस का नौर्दर्न पैसिफिक रेलमार्ग और बग़दाद रेलवे (1888) सम्मिलित थे। जर्मनी में, बैंक स्टील कंपनी क्रुप (1879) के बॉन्ड प्रस्तावों के वित्तपोषण में क्रियात्मक थी और इसने रसायन कंपनी बायर को बर्लिन स्टॉक मार्केट में प्रविष्ट करवाया. ड्यूश बैंक के प्रारंभिक दशक त्वरित विस्तार के दशक थे। निर्गमन व्यवसाय का महत्व 1880 के दशक में बढ़ने लगा और 1890 के दशक में तो यह वास्तव में काफी ऊंचाई पर पहुंच गया। बैंक ने जर्मनी के विद्युत् अभियांत्रिकी उद्योग के विकास में काफी बड़ी भूमिका निभायी, लेकिन इसे लौह व स्टील उद्योग में भी अच्छा आधार मिला। जर्मनी में एक मजबूत आधार मिलने से विदेशों में भी व्यवसाय वित्तपोषण का मार्ग खुल गया, जिसके कारण कई वर्षों तक बैंक बहुत व्यस्त रहा, इसका सर्वोत्तम ज्ञात उदहारण बग़दाद रेलवे है। 1890 के अंतिम पांच वर्षों में ड्यूश बैंक में विस्तार के एक नए काल का आरम्भ हुआ। बैंक ने बड़े स्थानीय बैंकों के साथ गठबंधन किया, जिससे उसे जर्मनी के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में प्रवेश मिल सके। सांझेदारी, जर्मनी के बैंकिंग उद्योग में धीरे-धीरे हो रहे केन्द्रीकरण का लक्षणात्मक संकेत थी। ड्यूश बैंक के लिए, स्वयं की घरेलू शाखाएं अब भी बहुत महत्त्वपूर्ण थीं; 1886 में फ्रैंकफर्ट शाखा और 1892 में म्यूनिख शाखा आरम्भ हुई, जबकि अन्य और शाखाओं की स्थापना ड्रेस्डेन और लिपजिग में 1901 में हुई। इसके अतिरिक्त, बैंक ने विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञ संस्थानों के महत्व को भी शीघ्रतापूर्वक समझ लिया। विदेश मंत्रालय की ओर से डाला गया हल्का दबाव, 1886 में ड्यूश युबेर्शीशे बैंक की स्थापना में और तीन वर्ष बाद नव प्रतिष्ठित ड्यूश -एशियाटिक बैंक के आहरण में महत्त्वपूर्ण रहा, कंपनियों की सफलता ने यह प्रदर्शित कर दिया कि उनका अस्तित्व एक सशक्त व्यवसायिक योग्यता के आधार पर है। जब 1914 के वसंत के महीने में "फ्रैंकफ़र्टर जीटंग" ने अपने पथालों को बताया कि ड्यूश बैंक "विश्व का सबसे बड़ा बैंक था", फ्रैंकफ़र्टर जीटंग, एर्स्ट्स मॉर्गेनब्लैट, 5 मार्च 1924. तब इस दावे ने एक ऐतिहासिक कीर्तिमान बनाया था और साथ ही साथ यह एक काल का अंत भी था। विश्व युद्ध I के दौरान, दूरदृष्टि युक्त उत्साह का वह स्रोत जिसने कई दृढ निश्चयी कंपनियों को सफलता के लिए प्रेरित किया था, वह समाप्त हो गया। 1919-1933 युद्ध के तुरंत बाद का समय वास्तव में ऋणशोधन का समय था। पहले ही अपनी तमाम विदेशी संपत्ति खो देने के कारण, ड्यूश बैंक अन्य संपत्ति को बेचने के लिए विवश था। जो पहले प्राप्त किया जा चुका था उसे किनारे लगाने में ही काफी मेहनत लग गयी। लेकिन नए व्यापार भी मिल रहे थे, जिनमे से कुछ का प्रभाव काफी लम्बे समय तक रहने वाला था। बैंक ने फिल्म निर्माण कंपनी यूएफए की स्थापना और डाइमलर व् बेन्ज़ के विलय में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी. 1929 में बैंक ने ड्यूश बैंक und DiscontoGesellschaft, के निर्माण के लिए अन्य स्थानीय बैंकों के साथ विलय कर लिया, उस समय यह जर्मनी के बैंकिंग इतिहास में हुआ अब तक का सबसे बड़ा विलय था। इस विलय का एक कारण बढ़ती हुई लागत थी। दूसरा कारण 1920 के दशक के दौरान संपूर्ण उद्योग जगत में केंद्रीकरण की प्रवृत्ति थी। यह विलय विश्व में उद्भवित आर्थिक व् बैंकिंग संकट को संतुलित करने के लिहाज से बिलकुल उचित समय पर हुआ। 1937 में, कंपनी का नाम पुनः ड्यूश बैंक हो गया। राजनीतिक प्रभाव के सन्दर्भ में, यह संकट शताब्दी का सर्वाधिक विनाशकारक आर्थिक घटनाक्रम था। तरल पूंजी की कमी जिसने बैंकों को शिथिल कर दिया था, वह अल्पावधि विदेशी ऋण व् अपना ऋण चुका पाने में अक्षम उधारकर्ताओं के संयोजन से और भी बढ़ गयी, जबकि अवस्था की कठोरता ने परिस्थिति को और भी उग्र कर दिया। जर्मन बैंकों के लिए, उद्योग जगत में यह संकट एक ऐतिहासिक घटना थी। यह उस परिस्थिति की ओर वापसी जैसा था जो कुछ मायनों में "स्वर्ण काल" का स्मरण कराती थी, जब कई वर्षों तक प्रथम विश्व युद्ध की सम्भावना को नकारा जाता था। 1933-1945 एडॉल्फ हिटलर के सत्ता में आने व थर्ड रेक की स्थापना के बाद, ड्यूश बैंक ने अपने तीन यहूदी बोर्ड सदस्यों को निष्काषित कर दिया था। आने वाले वर्षों में ड्यूश बैंक ने यहूदियों के व्यापार के आर्यीकरण (आर्यों को सौंप देना) में भी भाग लिया, इसके स्वयं के इतिहासकारों के अनुसार, नवम्वर 1938 तक बैंक इस प्रकार के 363 अधिकरणों में शामिल था। युद्ध के दौरान, ड्यूश बैंक ने पूर्वीय यूरोप के अधिपत्य की प्रक्रिया में जर्मनवासियों के हाथों में पड़ने वाले अन्य बैंकों को निगमित कर दिया। ड्यूश ने गेस्टापो (नाज़ी पार्टी की ख़ुफ़िया पुलिस) के लिए बैंकिंग सुविधाएं प्रदान कीं और औशविज़ शिविर व समीप स्थित आईजी फ़ार्बेन सुविधाओं के निर्माण के लिए धन उधार भी दिया। ड्यूश बैंक ने फरवरी 1999 में औशविज़ में अपने संलग्न होने का खुलासा किया। होलोकॉस्ट (यहूदियों का विध्वंस) उत्तरजीवियों द्वारा दाखिल मुकदमे के फलस्वरूप दिसंबर 1999 में, ड्यूश ने अन्य बड़ी जर्मन कंपनियों के साथ मिलकर, मुआवज़े की राशि में 5.2 बिलियन डॉलर का योगदान किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ड्यूश बैंक का इतिहास, बैंक द्वारा नियुक्त स्वतंत्र इतिहासकारों द्वारा प्रलेखित किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ड्यूश बैंक प्राग में बोहेमियन यूनियन बैंक के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी हो गया, इस बैंक की शाखाएं प्रोटेक्टोरेट और स्लोवाकिया, युगोस्लाविया में बैन्कवेरें, में भी थीं (जो अब दो वित्तीय निगमों में विभाजित किया जा चुका है, एक सर्बिया में और एक क्रुएशिया में), एम्सटर्डम का एल्बर्ट डि बैरी बैंक, एथेंस में द नैशनल बैंक ऑफ़ ग्रीस, ऑस्ट्रिया व् हंगरी में द ओएस्टररेकिश क्रेडिट एंसटाल्ट-बैन्कवेरें, बुल्गारिया में डच-बुल्गारिश क्रेडिटबैंक और बुकारेस्ट में बैंका कॉमर्शियल रोमाना. इसकी एक अन्य शाखा टर्की, इस्तांबुल में भी है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद, 1948 में मित्र राष्ट्रों ने, ड्यूश बैंक के 10 स्थानीय बैंको में विघटित हो जाने के आदेश दिए। बाद में यह 10 स्थानीय बैंक 1952 में 3 प्रमुख बैंकों के रूप में एकीकृत कर दिए गए: नॉरड्यूश बैंक एजी; सुडड्यूश बैंक एजी और रेनिश-वेस्ट फेलिश बैंक एजी. 1957 में, ड्यूश बैंक एजी के बनाने के लिए इन तीनों बैंकों का विलय कर दिया गया, इसके फलस्वरूप बने ड्यूश बैंक का मुख्यालय फ्रैंकफर्ट में था। 1959 में, छोटे निजी ऋणों के द्वारा बैंक ने खुदरा बैंकिंग में प्रवेश किया। 1970 के दशक में, बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय विस्तार के साथ आगे विकास किया, नए स्थानों पर नए ऑफिस खोले गए, जैसे मिलान (1977), मॉस्को, लन्दन, पेरिस और टोक्यो. 1980 के दशक में भी यह सिलसिला जारी रहा, जब बैंक ने 1986 में 603 मिलियन डॉलर का भुगतान बैंका द 'अमेरिका इ द'इटालिया को प्राप्त करने के लिए किया, यह वह इटैलियन सहायक बैंक था जिसे बैंक ऑफ़ अमेरिका ने 1922 में बैंका द'इटालिया मेरिडोनेल के अधिग्रहण के बाद प्रतिष्ठित किया था। इस अधिग्रहण ने पहली बार ड्यूश बैंक के द्वारा अन्य यूरोपीय देश में, अधिकृत विशाल शाखा नेटवर्क का प्रदर्शन किया। 1989 में, महत्त्वपूर्ण निवेश बैंकिंग के क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराने की ओर पहला कदम बढाया गया जो यूके आधारित निवेश बैंक मॉर्गन ग्रेनफेल के अधिग्रहण द्वारा शुरू हुआ। 1990 के दशक के मध्य में प्रमुख प्रतिस्पर्धियों द्वारा अनेकों उच्च श्रेणी के आंकड़ों के प्रवेश के साथ पूंजी बाज़ार परिचालन का आकार घटने लगा। मॉर्गन ग्रेनफेल के अधिग्रहण के 10 वर्ष बाद, इसमें यू.एस. फर्म बैंकर्स ट्रस्ट भी शामिल हो गयी। ड्यूश ने 1933 में बैंका पोपोलारे डि नोवारा से बैंका पोपोलारे डि लेको का अधिग्रहण 476 मिलियन यूएस डॉलर में करके, इटली में पैर ज़माने में लगा रहा। अक्टूबर 2001 में, ड्यूश बैंक न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) में सूचीबद्ध किया गया। यह [911] के हस्तक्षेप के बाद पहली NYSE सूची थी। अगले वर्ष, ड्यूश बैंक ने यूएस में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया जब इसने स्कुडर इन्वेस्टमेंट्स को खरीदा. इस बीच, ड्यूश बैंक ने रयूड ब्लास & साई (2002) और रशियन इन्वेस्टमेंट बैंक युनाइतटेड फाइनेंशियल ग्रुप (2006) के अधिग्रहण द्वारा अपने निजी बैंकिंग व्यापार को बढ़ा लिया। जर्मनी में, आगे नॉरिस बैंक और बर्लिनर बैंक के अधिग्रहण से ड्यूश बैंक के अपने घरेलू बाज़ार में खुदरा प्रस्तावों को और भी बल मिला। अधिग्रहणों की यह श्रंखला बैंक की तथाकथित "सुधार संबंधी" विलयों पर समर्थन रहित अधिग्रहण को प्राथमिकता देने की योजना से नजदीकी रूप से सम्बंधित थी। यह सब एक साथ मिलकर समग्र विकास योजना का एक भाग बने, जिसने 25 प्रतिशत इक्विटी प्रतिफल का दीर्घकालिक लक्ष्य बनाया, जिसे बैंक 2005 में प्राप्त कर सका। जासूसी कांड मई 2009 में, ड्यूश बैंक ने जनता को यह सूचित किया कि प्रबंध समिति को संभावित उल्लंघन के बारे में जानकारी मिली है जो पिछले वर्षों में बैंक के कार्पोरेट सुरक्षा विभाग की क्रियाओं के सम्बन्ध में बैंक की आतंरिक प्रक्रिया या कानूनी आवश्यकताओं में घटित हुई हैं। ड्यूश बैंक ने तुरंत फ्रैंकफर्ट में कानूनी फर्म क्लियरि गौटिलेब स्टीन & हेमिल्टन को स्वतंत्र जांच बैठने के लिए नियुक्त किया और जर्मन फेडेरल फाइनेंशियल सुपरवाइसरी एथौरिटी (BaFin) को सूचित किया। कानूनी फर्म द्वारा पता लगायी गयी प्रमुख जानकरियां इस प्रकार थीं: चार घटनाएं जो वैधानिक मुद्दों को उठाती हैं जैसे कि आंकड़ा सुरक्षा या गोपनीयता संबंधी चिंताएं प्रकाश में आई हैं। सभी घटनाओं में यह पाया गया कि, गतिविधियां कुछ निश्चित आदेश्पत्रों के कारण उत्पन्न हुई थीं जो बैंक के कार्पोरेट सुरक्षा विभाग के स्थान पर कार्यरत बाह्य सुविधा प्रदात के द्वारा की गयी थी। यह घटनाएं बिलकुल अलग थीं और इनमे कोई नियमित अभद्रता नहीं पाई गयी। और ऐसे भी कोई संकेत नहीं प्राप्त हुए कि वर्तमान प्रबंध समिति के सदस्य किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल रहे हों जिसमे कोई वैधानिक मुद्दा उथया जा सकता है या उन्हें ऐसी किसी भी गतिविधि की जान कारी रही हो। ड्यूश बैंक ने इस उल्लेखित गतिविधि से प्रभावित हो सकने वाले सभी लोगों इस सम्बन्ध में सूचित कर दिया और इस पर अपना खेद भी व्यक्त किया। बैंक ने बाह्य सुविधा प्रदाताओं के सम्बन्ध में अपने कार्पोरेट सुरक्षा विभाग और उसकी गतिविधियों के द्वारा आदेशों के नियंत्रण को और भी सशक्त करने के बारे में कदम बढ़ाये हैं। काफी अधिक समय, 2001 से कम से कम 2007 तक, बैंक अपने आलोचकों की गुप्त जासूसी में व्यस्त रहा। बैंक ने 2001 में और 2007 में जासूसी सम्बन्धी गतिविधियों को स्वीकार किया है जो इसके कार्पोरेट सुरक्षा विभाग के निर्देशन में की गयी थी, हालांकि बैंक ने उन्हें "पृथक" बताया। वाल स्ट्रीट जर्नल की पेज वन रिपोर्ट के अनुसार, ड्यूश बैंक ने 20 लोगों के नामों की एक सूची तैयार की है जिनकी वह बैंक की आलोचना करने के कारण जांच करवाना चाहता है, जिसमे माइकेल बौन्डर्फ़ (बैंक के एक सक्रियतावादी निवेशक) और लियो किर्च (एक पूर्व मीडिया प्रबंधक जिनका बैंक के साथ मुक़दमा चल रहा है) भी शामिल हैं। म्यूनिख की कानूनी फर्म बब गौवेलर & पार्टनर भी निशाने पर थी, जो कि किर्च का प्रतिनिधित्व कर रही है। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, बैंक कइ कार्पोरेट सुरक्षा विभाग के साथ बैंक का कानूनी भी विभाग इस योजना में संलग्न था। तब से ही बैंक ने क्लियरि गौटिलेब स्टीन & हेमिल्टन को, जोकि एक न्यूयार्क की कानूनी कंपनी है, अपने स्थान पर मामले की जांच के लिए पारिश्रमिक पर नियुक्त कर लिया है। क्लियरि फर्म अपनी जांच के निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है और अपनी रिपोर्ट भी जमा कर चुकी है, जो अभी तक सार्वजानिक नहीं की गयी है। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार. क्लियरि फर्म ने एक योजना को उजागर किया है जिसके द्वारा ड्यूश बैंक बब गौवेलर फर्म में घुसपैठ करने वाला था, इसके लिए वह बब गौवेलर फर्म में बैंक के एक "गुप्तचर" को प्रशिक्षु के तौर पर भेजते. यह योजना प्रशिक्षु के वहां नियुक्त हो जाने के बाद किन्तु उसके द्वारा अपना काम शुरू करने से पहले ही कथित रूप से निरस्त कर दी गयी। पीटर गौवेलर, जो कि निशाने पर स्थित कानूनी फर्म के प्रधानाचार्य हैं, ने कहा कि "मुझे आशा है कि उचित अधिकारीगण, जिसमे राज्य अभियोक्ता और बैंक की निरीक्षण एजेंसी भी शामिल हैं, वह मामले की पूर्ण जांच बैठाएंगी." प्रदर्शन ड्यूश बैंक पिछले पांच वर्षों में बदल गया है, एक जर्मन केंद्रित संगठन है कि अपने खुदरा और वाणिज्यिक उपस्थिति के लिए एक वैश्विक निवेश बैंक है कि कम अपने लाभ के लिए अपने पारंपरिक बाजारों पर निर्भर है कि प्रसिद्ध था से घूम रहा है। बैंक व्यापक रूप से इसकी प्रगति के लिए मान्यता प्राप्त किया गया था और एक तीन साल की अवधि में दो बार वर्ष के आईएफआर बैंक का नाम 2003 और 2005 में. वर्ष के लिए 2008 के वित्तीय, ड्यूश बैंक दशकों रिपोर्ट नुकसान में पांच वार्षिक अपनी पहली., के बावजूद. AIG बाहर जमानत करने के लिए प्राप्त राज्य अमेरिका संयुक्त करदाताओं द्वारा प्रदान की धन, एआईजी बीमा व्यवस्था के साथ अपने अरबों डॉलर से सहित से $ 11.8bn प्रबंधन संरचना अभी हाल तक, ड्यूश बैंक में कोई सीईओ (CEO) नहीं था। बोर्ड का प्रतिनिधित्व एक "बोर्ड प्रवक्ता" द्वारा किया जाता था। आज ड्यूश बैंक में एक प्रबंधन बोर्ड है जिसके सदस्य हैं: जोसेफ एकरमैन (अध्यक्ष व सीईओ); ह्यूगो बैन्ज़िगर (प्रमुख रिस्क अधिकारी); माइकेल कोर्स (वैश्विक बैंकिंग); अंशु जैन (वैश्विक बाज़ार); जर्गन फिटशेन (स्थानीय प्रबंधक); रेनर नेस्क (निजी व व्यापारिक ग्राहक); हरमैन-जोसेफ लेम्बरटी (प्रमुख परिचालन अधिकारी) और स्टीफेन क्रॉस. प्रबंध समूह समिति में प्रबंधन समिति और बैंक के अन्य क्षेत्रों के प्रमुख सम्मिलित होते हैं, जैसे: केविन पार्कर (संपत्ति प्रबंधन); और पियरे डी वेक (निजी संपत्ति प्रबंधन). बैंक के पर्यवेक्षण बोर्ड की अध्यक्षता क्लीमेंस बौर्सिज द्वारा की जाती है। व्यापार संरचना ड्यूश बैंक का लक्ष्य कथन है: "हम उच्च अपेक्षा रखने वाले ग्राहकों हेतु वित्तीय समाधान प्रदान करने वाले अग्रणी वैश्विक प्रदाता बनने के लिए संघर्षरत हैं, हम अपने शेयरधारकों और लोगों के लिए असाधारण उपयोगिता का निर्माण करते हैं।" बैंक का व्यापार प्रतिदर्श दो स्तंभों पर आधारित है: कार्पोरेट व निवेश बैंक (CIB) और निजी ग्राहक व संपत्ति प्रबंधन. सीआईबी (CIB) ड्यूश बैंक के सीआईबी (CIB) ने स्वयं को एक दशक के कुछ ही अधिक समय के भीतर ही, विश्व के अग्रणी निवेश बैंकिंग संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित कर लिया। सीबीआई (CIB) में बैंक के अग्रणी वैश्विक बाज़ार और वैश्विक बैंकिंग विभाग शामिल होते हैं। अभी हाल तक, ड्यूश बैंक के लाभ व् आमदनी में वैश्विक बाजारों का प्रमुख योगदान रहता था। व्यापार, ऋण व् इक्विटी के विक्रय व व्यवसाय, व्युत्पाद और अन्य नवीकृत उत्पादों के लिए उत्तरदायी है। बौंड बाज़ार, विदेशी विनिमय व् व्युत्पदों में वैश्विक बाज़ार के कौशल ने पिछले 5 वर्षों में कई पुरस्कार व् प्रशंसा दिलायी है। हालांकि, 2004/5 से ड्यूश बैंक ने लागत घटाने का कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया है, जिसके अंतर्गत शुरुआत में ही लन्दन, फ्रैंकफर्ट व् अन्य स्थानों पर 6,400 लोगों को नौकरी से हटा दिया गया है। नवम्बर 2008 में, ऋण जोखिम की प्रतिक्रियात्मक कार्यवाही के फलस्वरूप, बैंक ने कर्मचारियों की संख्या में और भी अधिक कटौती करने की घोषणा की जिसमे इसके 7 व्यासायिक क्षेत्रों में से 1 समाप्त हो गया और मुख्यतः लन्दन व न्यूयार्क में 900 नौकरियों का नुकसान हुआ। वैश्विक बैंकिंग में एक प्रमुख विलय व अधिग्रहण प्रक्रिया सम्मिलित होती है जो पिछले 5 वर्षों में काफी स्पष्ट रूप से विकसित हो गयी है। 2007 में, बैंक का विलय व अधिग्रहण व्यापार ने, काफी समय से व्यवसायरत व प्रतिष्ठित विलय व अधिग्रहण छवि रखने वाले संस्थानों से प्रतिस्पर्धा के कारण, विश्व स्तर की फ्रेंचाईजी के निर्माण के लिए और आगे कदम बढ़ाये. वैश्विक बैंकिंग में वैश्विक पूंजी बाज़ार भी शामिल होता है जिसकी उपस्थिति प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों, इक्विटी, ऋण और उच्च लाभ युक्त बाज़ारों में महत्त्वपूर्ण व प्रगतिशील होती है। वैश्विक बैंकिंग में ग्राहकों की विस्तृत जानकारी भी सुरक्षित की जाती है। वैश्विक लेनदेन बैंकिंग में, जोकि वैश्विक बैंकिंग का एक भाग है, वह नकदी प्रबंधन, समाशोधन, व्यापार वित्तपोषण व साख व प्रतिभूति आदि कार्य देखे जाते हैं। हाल के वर्षों में व्यापार पांच गुना हो गया है और अब यह उद्योग का अग्रणी संस्थान बन गया है। ड्यूश बैंक को अपनी लेनदेन बैंकिंग सुविधाओं की गुणवत्ता के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, विशेषकर नकदी प्रबंधन के क्षेत्र में. अब यह आईबीआईटी (IBIT) द्वारा सूचीबद्ध विभागों में सबसे विशाल है। सीआईबी के ग्राहकों में मुख्यतः निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान हैं, जिसमे स्वायत्त राज्य, परा-राष्ट्रीय संस्थाएं, वैश्विक व बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और माध्यम व लघु व्यापार गृह होते हैं। पीसीएएम (PCAM) निजी ग्राहक व् संपत्ति प्रबंधन (PCAM), निजी संपत्ति प्रबंधन, निजी व् व्यवसायिक ग्राहकों और संपत्ति प्रबंधन से मिलकर बना है। व्यापारिक विभागों का यह त्रिकोण ड्यूश बैंक के निजी व् संस्थागत ग्राहकों के निवेश प्रबंधन व्यापार के साथ निजी ग्राहकों व् लघु तथा मध्यम आकार के व्यापार के ग्राहकों के साथ खुदरा बैंकिंग क्रियाओं को भी शामिल करता है। निजी संपत्ति प्रबंधन निजी संपत्ति प्रबंधन बैंक का निजी बैंकिंग उपकरण है, जिसके अंतर्गत वह विशव स्तर पर धनी व्यक्तियों व् परिवारों को सुविधाएं प्रदान करते हैं। यह विभाग विश्व के निजी बैंकिंग के आकर्षक स्थलों में मुख्य स्थान रखता है, जिसमे स्विटज़रलैंड, लक्सम्बर्ग, द चैनल आइसलैंड, द केमैंस और दुबई शामिल हैं। संचार आज ड्यूश बैंक जिस अंतर्राष्ट्रीय पहचान का लाभ उठा रहा है वह आधुनिक संचार उपकरणों के प्रारंभिक ज्ञान का ही योगदान है। 1972 में, बैंक ने विश्व प्रसिद्द नीले चिन्ह "स्लैश इन अ स्क्वायर" को उतारा, जिसकी डिजाइन एंटन स्तेंकोव्सकी ने बनायी थी और इसके द्वारा वह एक जोखिम-नियंत्रित ढांचे के अंतर्गत विकास के संकेत देना चाहते थे। अधिग्रहण मॉर्गन, ग्रेनफेल एंड कंपनी, 1990. बैंकर्स ट्रस्ट 30 नवम्बर 1998. स्कुडर इन्वेस्टमेंट्स, 2001 आरआरइइएफ (RREEF), 2002 बर्कशायर मौर्टगेज फाइनेंस 22 अक्टूबर 2004. चैपल फंडिंग, अब डीबी होम लेंडिंग 12 सितंबर 2006 मौर्टगेज आइटी होल्डिंग्स 3 जनवरी 2007 सैल. ओपेन्हेम, 2010 वर्तमान और पूर्व के उल्लेखनीय कर्मचारी हरमन जोसेफ एब्स - अध्यक्ष (1957-67) सर जॉन क्रेवेन - लंडन में फाइनेंसर माइकल डौब्सन - स्क्रौडर्स के प्रमुख अल्फ्रेड हरहौसेन - अध्यक्ष (1971-89) एडसन मिशेल - ग्लोबल बाजार के प्रमुख (1995-2000) कार्ल किमीच - अध्यक्ष (1942-1945) हरमन वालीच - संस्थापक और निदेशक (1870-1893) जॉर्ज वॉन सीमेंस - संस्थापक और निदेशक (1870-1900) बोज़ विंसटिन - अमौलिक व्यापारी अंशु जैन - निवेश बैंकिंग और कॉर्पोरेट के प्रमुख जन सेवा ओट्टो हर्मन क्हान - परोपकारी इन्हें भी देखें यूरोपियन फ़ाइनेन्शिअल सर्विसेस राउंडटेबल डीबीऍफ़एक्स (DBFX) - ड्यूश बैंक ऑनलाइन फोरेक्स ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ जर्मनी के बैंक फ्रैंकफर्ट स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियां जर्मनी की कंपनियां फ्रैंकफर्ट में आधारित कंपनियां निवेश बैंक जर्मन ब्रैंड्स प्राथमिक डीलर 1874 में स्थापित बैंक न्यूजीलैंड के पंजीकृत बैंक श्रेष्ठ लेख योग्य लेख गूगल परियोजना
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%80%E0%A4%85%E0%A4%AE%20%E0%A4%91%E0%A4%AB%20%E0%A4%89%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A5%80%20%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F
वाजीमा म्यूज़ीअम ऑफ उरुशी आर्ट
वाजिमा म्यूज़ीअम ऑफ उरुशी आर्ट ( जापानी : 石川県輪島漆芸美術館) जापान के वाजिमा में स्थित एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय लाह कला के लिए प्रसिद्ध है। इतिहास संग्रहालय 1991 में खोला गया था, जिसके उद्घाटन के समय मूल रूप से 300 कार्य शामिल थे, और 2021 में यह दर्ज किया गया था कि संग्रहालय में कला में 1428 कार्य हैं। अगस्त 2020 में, संग्रहालय ने गूगल कला और संस्कृति मंच के माध्यम से एक वर्चुअल प्रदर्शनी का आयोजन किया। जून 2021 में, संग्रहालय के भंडारण के विस्तार के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था। यह जापान का पहला संग्रहालय है जो लाह कला में माहिर है। इमारत का डिजाइन शोगाकुइन के स्कूल भवन से प्रेरित है। संग्रह संग्रहालय में ऐसी प्रदर्शनी हैं जो लाह कला के इतिहास और विशेषताओं की व्याख्या करते हैं। संग्रहालय में समकालीन कलाकारों द्वारा लाह के काम के साथ-साथ पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न देशों से लाह से निर्मित वस्तुओं का संग्रह शामिल हैं। कुछ लाह के काम कला अकादमियों के लोगों से आते हैं। संग्रहालय में वाजिमा-नूरी के बारे में प्रदर्शनियां हैं। संग्रहालय में जापानी लाह के बर्तन के बारे में वीडियो भी हैं। नवंबर 2014 में, संग्रहालय ने "वाजिमा लाह कला कलाकार 20वीं वर्षगांठ" नामक एक प्रदर्शनी की मेजबानी की, जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा किए गए कामों को प्रदर्शित किया गया था। जून 2015 में, संग्रहालय ने 70 कार्यों का प्रदर्शन किया, जो एदो काल से आते हैं, ये कार्य जापानी पौराणिक कथाओं की कल्पनाओं और राक्षसों से संबंधित थे। सितंबर 2015 में, संग्रहालय में लाह कलाकारों द्वारा बनाई गई किकुमाकी पेंटिंग का प्रदर्शन किया गया था। इसके अलावा, सितंबर 2015 की प्रदर्शनी में, माकी-ए काओके सेट, एदो काल के दौरान शादियों में इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण, संग्रहालय में प्रस्तुत किया गया था। दिसंबर 2020 में, संग्रहालय ने सात अलग-अलग देशों और क्षेत्रों के लाख से बने 45 कार्यों के साथ एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें सेक के सेट और कटोरे भी शामिल थे। फरवरी 2021 में, संग्रहालय ने पांच प्राथमिक विद्यालयों के 153 छात्रों द्वारा किए कार्यों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें शिकिन की तकनीकों का उपयोग किया गया था, इनमें फूलों, बिल्लियों, ड्रैगन्फ्लाइ और लताओं की नक्काशी शामिल थे। नवंबर 2021 में, संग्रहालय के उद्घाटन की 30 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, वाजिमा में लाह कला के इतिहास पर एक प्रदर्शनी प्रस्तुत की गई थी, जिसे "मेड इन वाजिमा-द एज ऑफ लैकर" कहा जाता है, जिसमें 19वीं सदी के उत्तरार्ध से 92 कार्यों की प्रदर्शनी थी। सन्दर्भ   विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक Infobox mapframe without OSM relation ID on Wikidata संग्रहालय जापानी कला
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A5%80
सीतामढ़ी
सीतामढ़ी (Sitamarhi) भारत के बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढ़ी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह सांस्कृतिक मिथिला क्षेत्र का प्रमुख शहर है जो पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली के रूप में उल्लिखित है। त्रेतायुगीन आख्यानों में दर्ज यह हिंदू तीर्थ-स्थल बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। विवरण सीता के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा। यह शहर लक्षमना (वर्तमान में लखनदेई) नदी के तट पर अवस्थित है। रामायण काल में यह मिथिला राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग था। १९०८ ईस्वी में यह मुजफ्फरपुर जिला का हिस्सा बना। स्वतंत्रता के पश्चात 1972 में मुजफ्फरपुर से अलग होकर यह स्वतंत्र जिला बना। बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित यह जिला नेपाल की सीमा पर होने के कारण संवेदनशील है। मैैैैैैथिली एवं बज्जिका यहाँ बोली जाती है। लेकिन हिंदी और उर्दू राजकाज़ की भाषा और शिक्षा का माध्यम है। यहाँ की स्थानीय संस्कृति, रामायणकालीन परंपरा तथा धार्मिकता नेपाल के तराई प्रदेश तथा मिथिला के समान है। त्रेतायुगीन आख्यानों में दर्ज यह हिंदू तीर्थ-स्थल बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। वर्तमान समय में यह तिरहुत कमिश्नरी के अंतर्गत बिहार राज्य का एक जिला मुख्यालय और प्रमुख पर्यटन स्थल है। संक्षिप्त इतिहास सीतामढी का स्थान हिंदू धर्मशास्त्रों में अन्यतम है। सीतामढ़ी पौराणिक आख्यानों में त्रेतायुगीन शहर के रूप में वर्णित है। त्रेता युग में राजा जनक की पुत्री तथा भगवान राम की पत्नी देवी सीता का जन्म पुनौरा में हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार मिथिला एक बार दुर्भिक्ष की स्थिति उत्पन्न हो गाय थी। पुरोहितों और पंडितों ने मिथिला के राजा जनक को अपने क्षेत्र की सीमा में हल चलाने की सलाह दी। कहते हैं कि सीतामढ़ी के पुनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोता था, तो उस समय धरती से सीता का जन्म हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा। ऐसी जनश्रुति है कि सीताजी के प्रकाट्य स्थल पर उनके विवाह पश्चात राजा जनक ने भगवान राम और जानकी की प्रतिमा लगवायी थी। लगभग ५०० वर्ष पूर्व अयोध्या के एक संत बीरबल दास ने ईश्वरीय प्रेरणा पाकर उन प्रतिमाओं को खोजा औ‍र उनका नियमित पूजन आरंभ हुआ। यह स्थान आज जानकी कुंड के नाम से जाना जाता है। प्राचीन कल में सीतामढी तिरहुत का अंग रहा है। इस क्षेत्र में मुस्लिम शासन आरंभ होने तक मिथिला के शासकों के कर्नाट वंश ने यहाँ शासन किया। बाद में भी स्थानीय क्षत्रपों ने यहाँ अपनी प्रभुता कायम रखी लेकिन अंग्रेजों के आने पर यह पहले बंगाल फिर बिहार प्रांत का अंग बन गया। 1908 ईस्वी में तिरहुत मुजफ्फरपुर जिला का हिस्सा रहा। स्वतंत्रता पश्चात 11 दिसम्बर 1972 को सीतामढी को स्वतंत्र जिला का दर्जा मिला, जिसका मुख्यालय सीतामढ़ी को बनाया गया। पौराणिक महत्व वृहद विष्णु पुराण के वर्णनानुसार सम्राट जनक की हल-कर्षण-यज्ञ-भूमि तथा उर्बिजा सीता के अवतीर्ण होने का स्थान है जो उनके राजनगर से पश्चिम 3 योजन अर्थात 24 मिल की दूरी पर स्थित थी। लक्षमना (वर्तमान में लखनदेई) नदी के तट पर उस यज्ञ का अनुष्ठान एवं संपादन बताया जाता है। हल-कर्षण-यज्ञ के परिणामस्वरूप भूमि-सुता सीता धारा धाम पर अवतीर्ण हुयी, साथ ही आकाश मेघाच्छन्न होकर मूसलधार वर्षा आरंभ हो गयी, जिससे प्रजा का दुष्काल तो मिटा, पर नवजात शिशु सीता की उससे रक्षा की समस्या मार्ग में नृपति जनक के सामने उपस्थित हो गयी। उसे वहाँ वर्षा और वाट से बचाने के विचार से एक मढ़ी (मड़ई, कुटी, झोपड़ी) प्रस्तुत करवाने की आवश्यकता आ पड़ी। राजाज्ञा से शीघ्रता से उस स्थान पर एक मड़ई तैयार की गयी और उसके अंदर सीता सायत्न रखी गयी। कहा जाता है कि जहां पर सीता की वर्षा से रक्षा हेतु मड़ई बनाई गयी उस स्थान का नाम पहले सीतामड़ई, कालांतर में सीतामही और फिर सीतामढ़ी पड़ा। यहीं पास में पुनौरा ग्राम है जहां रामायण काल में पुंडरिक ऋषि निवास करते थे। कुछ लोग इसे भी सीता के अवतरण भूमि मानते हैं। परंतु ये सभी स्थानीय अनुश्रुतियाँ है। सीतामढ़ी तथा पुनौरा जहां है वहाँ रामायण काल में घनघोर जंगल था। जानकी स्थान के महन्थ के प्रथम पूर्वज विरक्त महात्मा और सिद्ध पुरुष थे। उन्होने "वृहद विष्णु पुराण" के वर्णनानुसार जनकपुर नेपाल से मापकर वर्तमान जानकी स्थान वाली जगह को ही राजा जनक की हल-कर्षण-भूमि बताई। पीछे उन्होने उसी पावन स्थान पर एक बृक्ष के नीचे लक्षमना नदी के तट पर तपश्चर्या के हेतु अपना आसन लगाया। पश्चात काल में भक्तों ने वहाँ एक मठ का निर्माण किया, जो गुरु परंपरा के अनुसार उस कल के क्रमागत शिष्यों के अधीन आद्यपर्यंत चला आ रहा है। सीतामढ़ी में उर्वीजा जानकी के नाम पर प्रतिवर्ष दो बार एक राम नवमी तथा दूसरी वार विवाह पंचमी के अवसर पर विशाल पशु मेला लगता है, जिससे वहाँ के जानकी स्थान की ख्याति और भी अधिक हो गयी है। श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड में ऐसा उल्लेख है कि "राजकुमारों के बड़े होने पर आश्रम की राक्षसों से रक्षा हेतु ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले गये। राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मारीच को बिना फल वाले बाण से मार कर समुद्र के पार भेज दिया। उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला। धनुषयज्ञ हेतु राजा जनक के निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला (जनकपुर) आ गये। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहिल्या का उद्धार किया, यह स्थान सीतामढ़ी से 40 कि. मी. अहिल्या स्थान के नाम पर स्थित है। मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें कि जानकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का भी आयोजन था जहाँ कि जनकप्रतिज्ञा के अनुसार शिवधनुष को तोड़ कर राम ने सीता से विवाह किया| राम और सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ ने भरत का माण्डवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से करवा दिया।" राम सीता के विवाह के उपलक्ष्य में अगहन विवाह पंचमी को सीतामढ़ी में प्रतिवर्ष सोनपुर के बाद एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। इसी प्रकार जामाता राम के सम्मान में भी यहाँ चैत्र राम नवमी को बड़ा पशु मेला लगता है। भौगोलिक स्थिति सीतामढ़ी शहर 26.6 ° उत्तर और 85.48° पूर्व में स्थित है। इसकी औसत ऊंचाई 56 मीटर (183 फीट) है। यह शहर लखनदेई नदी के तट पर स्थित है। यह बिहार राज्य का एक जिला मुख्यालय है और तिरहुत कमिश्नरी के अंतर्गत है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 2,669,887 है। क्षेत्रफल 1,200/km2 (3,200/sq mi) है। यह शहर बिहार नेपाल की सीमा पर अवस्थित है। बिहार की राजधानी पटना से इसकी दूरी 135 किलो मीटर है। इसके आसपास की भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषियोग्य है। धान, गेंहूँ, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। यहाँ औसत तापमान गृष्म ऋतु में 35-45 डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में 4-15 डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन 1205 मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग 52 दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है। यह बिहार का संवेदनशील बाढ़ग्रस्त इलाका है। इस शहर के आसपास हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ तथा जलधाराएँ प्रवाहित होती है और अंतत: गंगा में विसर्जित होती हैं। वर्षा के दिनों में इन नदियों में बाढ़ एक बड़ी समस्या के रूप में उत्पन्न हो जाती है। यहाँ मुख्य रूप से हिन्दी और स्थानीय भाषा के रूप में बज्जिका बोली जाती है। बज्जिका भोजपुरी और मैथली का मिलाजुला रूप है। यह बिहार का एक संसदीय क्षेत्र भी है, जिसके अंतर्गत बथनाहा, परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, रुनी सैदपुर और सीतामढ़ी बिधान सभा क्षेत्र आते हैं। यह सीतामढ़ी जिले का मुख्यालय है। गंगा के उत्तरी मैदान में बसे सीतमढी जिला की समुद्रतल से औसत ऊँचाई लगभग ८५ मीटर है। २२९४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला इस जिले की सीमा नेपाल से लगती है। अंतरराष्ट्रीय सीमा की कुल लंबाई ९० किलोमीटर है। दक्षिण, पश्चिम तथा पुरब में इसकी सीमा क्रमश: मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण एवं शिवहर तथा दरभंगा एवं मधुबनी से मिलती है। उपजाऊ समतल भूमि होने के बावजूद यहाँ की नदियों में आनेवाली सालाना बाढ के कारण यह भारत के पिछड़े जिले में एक है। जलवायु सीतामढी में औसत सालाना वर्षा 1100 मि•मी• से 1300 मि•मी• तक होती है। यद्यपि अधिकांश वृष्टि मानसून के दिनों में होता है लेकिन जाड़ॅ के दिनों में भी कुछ वर्षा हो जाती है जो यहाँ की रबी फसलों के लिए उपयुक्त है। वार्षिक तापान्तर 32० से• से 41० से• के बीच रहता है। हिमालय से निकटता के चलते वर्षा के दिनों में आ‍द्रता अधिक होती है जिसके फलस्वरूप भारी ऊमस रहता है। मृदा एवं जलस्रोत नदियाँ: बागमती नदी, लखनदेई नदी एवं अधवारा नदी समूह। कृषि धान, गेहूँ, मक्का, दलहन, तिलहन, गन्ना, तम्बाकू आदि। प्रशासनिक विभाजन सीतामढी जिले में 3 अनुमंडल,17 प्रखंड एवं 17 राजस्व सर्किल है। सीतामढी नगर परिषद के अलावे जिले में 4 नगर पंचायत हैं। जिले के 273 पंचायतों के अंतर्गत 835 गाँव आते हैं। जिले का मुख्यालय एवं प्रशासनिक विभाजन इस प्रकार है:- मुख्यालय: सीतामढी अनुमंडल: सीतामढी सदर, पुपरी एवं बेलसंड प्रखंड: बथनाहा, परिहार, नानपुर, बाजपट्टी, बैरगनिया, बेलसंड, रीगा, सुरसंड, पुपरी, सोनबरसा, डुमरा, रुन्नी सैदपुर, मेजरगंज, पुरनिया, सुप्पी, परसौनी, बोखरा, चौरौत भाषा-बोली मैथिली यहाँ की बोली है लेकिनमैथिली हिंदी और उर्दू राजकाज़ की भाषा और शिक्षा का माध्यम है तथा बज्जिका यहाँ की अन्य भाषा है। यहाँ की स्थानीय संस्कृति, रामायणकालीन परंपरा तथा धार्मिकता नेपाल के तराई प्रदेश तथा मिथिला के समान है। जनसंख्या एवं जीवन स्तर वर्ष 2011की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या: 3,419,622 है जो राज्य की कुल जनसंख्या का 3.29% है। जनंख्या का घनत्व 899 है जो राष्ट्रीय औसत से काफी आगे हैं। राज्य की जनसंख्या में बारहवें स्थान पर आनेवाले इस जिले की दशकीय वृद्धि दर 27.47 है। साक्षरता की दर मात्र53.53% है। सीतामढ़ी शहर की जनसंख्या का अवलोकन करें तो यह स्थिति उभरकर आती है। सीतामढ़ी जिले का समग्र अवलोकन किया जाये तो निम्नलिखित स्थिति उभर कर आती है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले में पुरुष और महिला आबादी क्रमश: 1803252 और 1620322 तथा कुल आबादी 3423574 है, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में, पुरुषों की संख्या 1417611 और महिलाओं की संख्या 1,265,109 थी, जबकि कुल आबादी 2682720 थी। एक अनुमान के मुताबिक सीतामढ़ी जिले की आबादी महाराष्ट्र की कुल आबादी का 3.29 प्रतिशत माना गया है। जबकि 2001 की जनगणना में, सीतामढ़ी जिले का यह आंकड़ा महाराष्ट्र की आबादी का 3.23 प्रतिशत पर था। शहरी क्षेत्र:- 1,53,313 देहाती क्षेत्र:- 25,29,407 कुल जनसंख्या:- 34,23,574 स्त्री-पुरूष अनुपातः- 899 प्रति 1000 जन प्रतिनिधि सीतामढ़ी जिले में एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और उसके अंतर्गत आठ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमश: सीतामढ़ी, रुन्नी सैदपुर, बाजपट्टी, रीगा, बथनाहा, बेलसंड, परिहार एवं सुरसंड हैं। जन प्रतिनिधियों का विवरण इसप्रकार है: सांसद (सीतामढ़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) - श्री सुनील कुमार पिंटू (भा.ज.पा) विधायक (सीतामढ़ी)- श्री सुनील कुमार सिंह RJD विधायक (रुन्नी सैदपुर)- श्रीमती मंगीता देवी RJD विधायक (बाजपट्टी)- श्रीमती रंजू गीता JDU विधायक (रीगा) - श्री अमित कुमार टुन्ना CONG I विधायक (बथनाहा) - श्री दिनकर राम BJP विधायक (बेलसंड) - श्री मति सुनीता सिंह चौहान JDU विधायक (परिहार) - श्री मति गायत्री देवी BJP विधायक (सुरसंड) -सैयद अबु दोजाना CONG I प्रमुख पर्यटन स्थल जानकी स्थान मंदिर: सीतामढी रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर बने जानकी मंदिर में स्थापित भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ है। यह सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर अवस्थित है। जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह पूजा स्थल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए अति पवित्र है। जानकी स्थान के महन्थ के प्रथम पूर्वज विरक्त महात्मा और सिद्ध पुरुष थे। उन्होने "वृहद विष्णु पुराण" के वर्णनानुसार जनकपुर नेपाल से मापकर वर्तमान जानकी स्थान वाली जगह को ही राजा जनक की हल-कर्षण-भूमि बताई। पीछे उन्होने उसी पावन स्थान पर एक बृक्ष के नीचे लक्षमना नदी के तट पर तपश्चर्या के हेतु अपना आसन लगाया। पश्चात काल में भक्तों ने वहाँ एक मठ का निर्माण किया, जो गुरु परंपरा के अनुसार उस कल के क्रमागत शिष्यों के अधीन आद्यपर्यंत चला आ रहा है। यह सीतामढ़ी का मुख्य पर्यटन स्थल है। बाबा परिहार ठाकुुुर : सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर प्रखंड परिहार में परिहार दक्षिणी में में स्थित है बाबा परिहार ठाकुर का मंदिर। यहां की मान्यता है कि जो भी बाबा परिहार ठाकुर के मंदिर में आता है वह खाली हाथ वापस नहीं लौटता । उर्बीजा कुंड:सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर उर्बीजा कुंड है। सीतामढी रेलवे स्टेशन से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए अति पवित्र है। ऐसा कहा जाता है कि उक्त कुंड के जीर्णोद्धार के समय, आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व उसके अंदर उर्बीजा सीता की एक प्रतिमा प्राप्त हुयी थी, जिसकी स्थापना जानकी स्थान के मंदिर में की गयी। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान जानकी स्थान के मंदिर में स्थापित जानकी जी की मूर्ति वही है, जो कुंड की खुदाई के समय उसके अंदर से निकली थी। पुनौरा और जानकी कुंड :यह स्थान पौराणिक काल में पुंडरिक ऋषि के आश्रम के रूप में विख्यात था। कुछ लोगों का यह भी मत है कि सीतामढी से ५ किलोमीटर पश्चिम स्थित पुनौरा में हीं देवी सीता का जन्म हुआ था। मिथिला नरेश जनक ने इंद्र देव को खुश करने के लिए अपने हाथों से यहाँ हल चलाया था। इसी दौरान एक मृदापात्र में देवी सीता बालिका रूप में उन्हें मिली। मंदिर के अलावे यहाँ पवित्र कुंड है। हलेश्वर स्थान:सीतामढी से ३ किलोमीटर उत्तर पूरव में इस स्थान पर राजा जनक ने पुत्रेष्टि यज्ञ के पश्चात भगवान शिव का मंदिर बनवाया था जो हलेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। पंथ पाकड़:सीतामढी से ८ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बहुत पुराना पाकड़ का एक पेड़ है जिसे रामायण काल का माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी सीता को जनकपुर से अयोध्या ले जाने के समय उन्हें पालकी से उतार कर इस वृक्ष के नीचे विश्राम कराया गया था। बगही मठ:सीतामढी से ७ किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित बगही मठ में १०८ कमरे बने हैं। पूजा तथा यज्ञ के लिए इस स्थान की बहुत प्रसिद्धि है। देवकुली (ढेकुली):ऐसी मान्यता है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी का यहाँ जन्म हुआ था। सीतामढी से १९ किलोमीटर पश्चिम स्थित ढेकुली में अत्यंत प्राचीन शिवमंदिर है जहाँ महाशिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। गोरौल शरीफ:सीतामढी से २६ किलोमीटर दूर गोरौलशरीफ बिहार के मुसलमानों के लिए बिहारशरीफ तथा फुलवारीशरीफ के बाद सबसे अधिक पवित्र है। जनकपुर:सीतामढी से लगभग ३५ किलोमीटर पूरब एन एच १०४ से भारत-नेपाल सीमा पर भिट्ठामोड़ जाकर नेपाल के जनकपुर जाया जा सकता है। सीमा खुली है तथा यातायात की अच्छी सुविधा है इसलिए राजा जनक की नगरी तक यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं है। यह वहु भूमि है जहां राजा जनक के द्वारा आयोजित स्वयंबर में शिव के धनुष को तोड़कर भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह रचाया था। राम मंदिर(सुतिहारा): सीतामढी से लगभग १८ किलोमीटर पूरब एन एच १०४ से जाया जा सकता है। अन्य प्रमुख स्थल बोधायन सरः संस्कृत वैयाकरण पाणिनी के गुरू महर्षि बोधायन ने इस स्थान पर कई काव्यों की रचना की थी। लगभग ४० वर्ष पूर्व देवरहा बाबा ने यहाँ बोधायन मंदिर की आधारशिला रखी थी। और फिर आगे चलकर पंडित विश्वनाथ झा ने गांव वालों के सहयोग से यहाँ मंदिर कि स्थापना की! यह स्थान सीतामढ़ी से 15 किलोमीटर की दूरी पर है! शुकेश्वर स्थानः यहाँ के शिव जो शुकेश्वरनाथ कहलाते हैं, हिंदू संत सुखदेव मुनि के पूजा अर्चना का स्थान है। सभागाछी ससौला: सीतामढी से २० किलोमीटर पश्चिम में इस स्थान पर प्रतिवर्ष मैथिल ब्राह्मण का सम्मेलन होता है और विवाह तय किए जाते हैं। वैष्णो देवी मंदिर: शहर के मध्य में स्थित भव्य वैष्णो देवी मंदिर हैं जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने जाते हैं। यह भी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके अलावा शहर का सबसे पुराना सनातन धर्म पुस्तकालय है जहां दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है। साहित्य में सीतामढ़ी यदि साहित्यिक दृष्टि से आँका जाये तो यह स्पष्ट विदित होगा कि सीतामढ़ी जिला ने अनेक विलक्षण प्रतिभा पुत्रों को अवतरित किया है। यह वही पावन भूमि है जहां से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह `दिनकर' का द्वंद्वगीत गुंजा था तथा बिहार के पंत नाम से चर्चित आचार्य जय किशोर नारायण सिंह ने अपनी सर्जन धर्मिता को धार दी। हिन्दी और संस्कृत के प्रकांड विद्वान सांवलिया बिहारी लाल वर्मा ने "विश्व धर्म दर्शन" देकर धर्म-संस्कृति के शोधार्थियों के लिए प्रकाश का द्वार खोल दिया था। गाँव-गंवई भाषा में जनता के स्तर की कवितायें लिखकर नाज़िर अकवरावादी को चुनौती देने वाले आशु कवि बाबा नरसिंह दास का नाम यहाँ आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। इसके अलावा रामवृक्ष बेनीपुरी के जीवन का वहुमूल्य समय यहीं व्यतीत हुआ था। साहित्य मर्मज्ञ लक्षमी नारायण श्रीवास्तव, डॉ रामाशीष ठाकुर, डॉ विशेश्वर नाथ बसु, राम नन्दन सिंह, पंडित बेणी माधव मिश्र, मुनि लाल साहू, सीता राम सिंह, रंगलाल परशुरामपुरिया, हनुमान गोएन्दका, राम अवतार स्वर्ङकर, पंडित उपेन्द्रनाथ मिश्र मंजुल, पंडित जगदीश शरण हितेन्द्र, ऋषिकेश, राकेश रेणु, राकेश कुमार झा, बसंत आर्य, राम चन्द्र बिद्रोही, माधवेन्द्र वर्मा, उमा शंकर लोहिया, गीतेश, इस्लाम परवेज़, बदरुल हसन बद्र, डॉ मोबिनूल हक दिलकश आदि सीतामढ़ी की साहित्यिक गतिविधियों में समय-समय पर जीवंतता लाने में सक्रिय रहे हैं। इसके अलावा वैद्यनाथ प्रसाद गुप्त "चर्चरीक", मदन साहित्य भूषण, राम चन्द्र आशोपुरी, मुन्नी लाल आर्य शास्त्री, परम हंश जानकी बल्लभ दास, योगेंद्र रीगावाल, संत रस्तोगी, नरेंद्र कुमार, सीता राम दीन, आचार्य सारंग शास्त्री, डॉ मदन मोहन वर्मा पूर्णेंदू, डॉ वीरेंद्र वसु, डॉ कृष्ण जीवन त्रिवेदी, डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ पदमाशा झा और डॉ शंभूनाथ सिंह नवगीत सम्मान पाने वाले बिहार के पहले नवगीतकार राम चन्द्र चंद्रभूषण आदि सीतामढ़ी के दीप्तिमान रत्न सिद्ध हुये हैं। शमशेर जन्म शती काव्य सम्मान से अलंकृत अंतर्जाल की वहुचर्चित कवयित्री रश्मि प्रभा का जन्म भी सीतामढ़ी में ही हुआ है। अपने सीतामढ़ी प्रवास में कुछ साहित्यकारों ने यहाँ की साहित्यिक गतिविधियों में प्राण फूंकने का कार्य किया था, जिनमें सर्व श्री पांडे आशुतोष, तिलक धारी साह, ईश्वर चन्द्र सिन्हा, श्री राम दुबे, अदालत सिंह अकेला, हरिकृष्ण प्रसाद गुप्ता अग्रहरि, हृदयेश्वर आदि। यहाँ की दो वहुचर्चित साहित्यिक प्रतिभाओं क्रमश: आशा प्रभात और रवीन्द्र प्रभात ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस शहर का नाम रोशन किया है। देश के जानेमाने आलोचक, 'दलित साहित्य का समाजशास्त्र' (भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली) और 'भारत में पिछड़ा वर्ग आन्दोलन और परिवर्तन का नया समाजशास्त्र' (ज्ञान बुक्स, नई दिल्ली) के लेखक प्रो. (डा.) हरिनारायण ठाकुर भी सीतामढ़ी जिले के ही हैं। दोनों पुस्तकें देश के केन्द्रीय विवि सहित लगभग सभी विश्वविद्यालय के कोर्स में पढाई जाती हैं। उनका घर मेजरगंज प्रखंड के खैरवा गाँव में है। मुजफ्फरपुर के रामदयालु सिंह कालेज में प्रोफेसर के पद पर काम करने के बाद बी.आर. अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय, मुज़. और एल.एन. मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कई-कई कालेजों के वे प्रिंसिपल रहे हैं। सम्प्रति वे महारानी जानकी कुंवर कालेज, बेतिया में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। उद्योग चीनी उद्योग, चावल, तेल मिल मुख्य भोजन सीता की जन्मस्थली और मिथिला संस्कृति के प्रभाव के कारण सीतामढ़ी और इसके आसपास ज्यादातर भोजन में शाकाहारी ही पसंद किया जाता है, लेकिन मांस-मछली भी स्वीकार्य है। भोजन में मुख्य रूप से दाल, भात, रोटी, सब्जी, अचार, पापड़ पसंद किया जाता है। यहाँ बिहारी भोजन ,सत्तू के प्रचलन के रूप में यहाँ लिट्टी-चोखा का भी बहुत महत्व है। यहाँ के लोग बहुत धार्मिक है। लोक संस्कृति सीतामढी की माटी में तिरहुत और मिथिला क्षेत्र की संस्कृति की गंध है। इस भूभाग को देवी सीता की जन्मस्थली तथा विदेह राज का अंग होने का गौरव प्राप्त है। लगभग २५०० वर्ष पूर्व महाजनपद का विकास होनेपर यह वैशाली के गौरवपूर्ण बज्जिसंघ का हिस्सा रहा। लोग बज्जिका में बात करते हैं लेकिन मधुबनी से सटे क्षेत्रों में मैथिली का भी पुट होता है। मुस्लिम परिवारों में उर्दू में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती है किंतु सरकारी नौकरियों में प्रधानता न मिलने के कारण अधिकांश लोग हिंदी या अंग्रेजी को ही शिक्षा का माध्यम बनाते हैं। शादी-विवाह हिंदू प्रधान समाज होने के कारण यहाँ जाति परंपराएँ प्रचलन में है। अधिकांश शादियाँ माता-पिता द्वारा अपनी जाति में ही तए किए जाते हैं। मुस्लिम समाज में भी शादी तय करने के समय जाति भेद का ख्याल रखा जाता है। लोक कलाएँ शादी-विवाह या अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों पर वैदेही सीता के भगवान श्रीराम से विवाह के समय गाए गए गीत अब भी यहाँ बड़े ही रसपूर्ण अंदाज में गाए जाते हैं। कई गीतों में यहाँ आनेवाली बाढ की बिभीषिका को भी गाकर हल्का किया जात है। जटजटनि तथा झिझिया सीतामढी जिले का महत्वपूर्ण लोकनृत्य है। जट-जटिन नृत्य राजस्थान के झूमर के समान है। झिझिया में औरतें अपने सिर पर घड़ा रखकर नाचती हैं और अक्सर नवरात्र के दिनों में खेला जाता है। कलात्मक डिजाईन वाली लाख की चूड़ियों के लिए सीतामढी शहर की अच्छी ख्याति है। लोकगीत/लोकनृत्य सोहर, जनेऊ के गीत, संमरि लग्न, गीत, नचारी, समदाउनि, झूमर तिरहुति, बरगमनी, फाग, चैतावर, मलार, मधु श्रावणी, छठ के गीत, स्यामाचकेवा, जट जटिन ओर बारहमासा यहाँ के मुख्य लोकगीत हैं। 'नचारी' गीत प्राय: शिवचरित्र से भरा रहता है। जैसे - 'उमाकर बर बाउरि छवि घटा, गला माल बघ छाल बसन तन बूढ़ बयल लटपटा'। विद्यापति रचित नचारियाँ खूब गाई जाती हैं। 'समदाउनि' प्रमुख बिदा गीत है। जब लड़की ससुराल जाने लगती है तो यह गाया जाता है जो अत्यधिक करुण होता है। सीता के देश में इस गीत से यही करुणा उत्पन्न होती है जो कभी जनक के घर से उमड़ी थी, यथा, 'बड़ रे जतन हम सिया जी के पोसलों से हो रघुबंसी ने जाय आहे सखिया'। इस गीत की बहुत सी धुनें होती हैं। 'झूमर' गीत मुख्य रूप से शृंगारिक होता है और धुनों के अनुसार कई प्रकार से गाया जाता है। मैथिली क्षेत्र के झूमरों की खास विशेषता है कि उनमें अधिकांश संदेशसूचक होते हैं। हिंडोला के झूमर बहुत सरस होते हैं, जैसे 'छोटका देवर रामा बड़ा रे रंगिलवा, रेसम के डोरियवा देवरा बान्हथि हिंडोरवा'। कुछ में स्त्री पुरुष के प्रश्नोत्तर होते हैं। 'तिरहुति' गीत स्त्रियों द्वारा फागुन में गाया जाता है। पहले यह गीत छह पदों का होता था, फिर आठ का हुआ और अब तो काफी लंबा होने लगा है। उसे साहित्य में तथा लोकजीवन में मान्यता भी मिल गई है। इसमें प्राय: विरह भावनाएँ होती हैं : 'मोंहि तेजि पिय मोरा गेलाह विदेस'। साहब राम, नंदलाल, भानुनाथ, रमापति, धनवति, कृष्ण, बुद्धिलाल, चंद्रनाथ, हर्षनाथ एवं बबुज ने नामक प्राचीन लोककवियों के तिरुहुति खूब गाए जाते हैं। बटगमनी (पथ पर गमन करनेवाली) मुख्य रूप से राह का गीत है। मेले ठेले में जाती ग्राम्याएँ, नदी किनारे से लौटती हुई पनिहारिनें प्राय: बटगमनी गाया करती हैं। इस गीत का एक नाम सजनी भी है। इसमें संयोग और वियोग दोनों भावनाएँ होती हैं। गीत की पंक्ति है - 'जखन गगन धन बरसल सजनि गे सुनि हहरत जिव मोर'। पावस ऋतु में स्त्रियाँ बिना बाजे के और पुरुष बाजे के साथ मलार गाते हैं। जैसे - कारि कारि बदरा उमड़ि गगन माझे लहरि बहे पुरवइया। मधुश्रावणी गीत इसी नाम के त्योहार के समय गाया जाता है जो श्रावण शुक्ल तृतीया को पड़ता है। छठ के गीत पूर्णत: धार्मिक गीत हैं और सौभाग्य तथा पतिप्रेम के दायक है। स्त्रियाँ गाती हैं - 'नदिया के तीरे तीरे बोअले में राइ। छठी माई के मृगा चरिय चरि जाइ।' स्याम चकेवा एक खेल गीत है जो कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा तक खेल में गाया जाता है। स्यामा बहन और चकेवा भाई के अतिरिक्त इस खेल के चंगुला, सतभइया, खंडरित्र, झाँझी बनतीतर कुत्ता और वृंदावन नामक छह और पात्र हैं। खेल भाई बहन के विशुद्ध प्रेम का पोषक है। बहनें गाती हैं - 'किनकर हरिअर हरिअर दिभवा गे सजनी। जट जटिन एक अभिनय गीत है। जट (पुरुष पात्र) एक तरफ और जटिन (स्त्री पात्र) दूसरी ओर सज-धजकर खड़ी होती हैं। दोनों ओर प्रधान पात्रों के पीछे पंक्तिबद्ध स्त्रियाँ खड़ी हो जाती हैं। इसके बाद जट जटिन का सवाल जवाब गीतों के माध्यम से आरंभ हो जाता है। ये गीत शरद निशा में गाए जाते हैं। शिक्षण संस्थान प्राथमिक विद्यालय- 1479 मध्य विद्यालय- 619 उच्च विद्यालय- 64 बुनियादी विद्यालय- 9 डिग्री कॉलेज- 25 संस्कृत विद्यालय- 20 प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय -17 मदरसा -26 अन्य प्रमुख विद्यालय- सूर्यवंशी चौधरी अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान सीतामढ़ी, जवाहर नवोदय विद्यालय खैरबी सीतामढ़ी, केन्द्रीय विद्यालय जवाहरनगर सुतिहारा सीतामढ़ी, जानकी विद्या निकेतन,हेलेंस् स्कूल, विलियेट पब्लिक स्कूल,अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय आदि सीतामढ़ी जिले के स्वतंत्रता सेनानी कुलदीप नारायण यादव --पूर्व विधायक एवं स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर युगल किशोर सिंह - पूर्व सांसद एवं स्वतंत्रता सेनानी राम दुलारी सिन्हा - पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल एवं स्वतंत्रता सेनानी राम चरित्र यादव -पूर्व विधायक फुलदेव ठाकुर- स्वतंत्रता सेनानी गंगा ठाकुर- सुतिहारा शहीद रामफल मंडल - बाजपट्टी यातायात तथा संचार सुविधाएं सड़क: सीतामढी से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 77 हाजीपुर से सोनबरसा तक तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 104 सुरसंड, भिट्ठामोड़, चोरौत होते हुए जयनगर तक जाती है। राजकीय राजमार्ग 52 पुपरी होते सीतामढी को मधुबनी से जोड़ती है। इसके अलावे जिले के सभी भागों में पक्की सड़कें जाती है। पटना से यहाँ सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 77 से पहुंचा जा सकता है। पटना से यहाँ की दूरी 105 किलो मीटर तथा मुजफ्फरपुर से 53 किलोमीटर है। रेल मार्गः सीता़मढी जंक्शन पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र में पड़ता है। यह जंक्शन समस्तीपुर तथा गोरखपुर रेल खंड पर अबस्थित है। साथ में सीतामढी से मुज़फ्फरपुर तक रेल लाइन है है तथा दिल्ली को जानेवाली लिच्छवी एक्सप्रेस सीतामढी से चलती है। तथा यहाँ से कलकाता,मुंबई.सिकंदराबाद,नागपुर,जबलपुर,धनबाद,रायपुर और न्यू जलपाईगुड़ी के लिए भी ट्रेन है तथा अजमेर और वैष्णोदेवी कटरा के लिए भी ट्रेन है जो अबतक चालू नहीं हो सकी है। हवाई मार्गः यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा 130 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी पटना में है। दूरभाष सेवाएँ: सूचना क्षेत्र में क्रांति होने का फायदा सीतामढी को भी मिला है। बी एस एन एल सहित अन्य मोबाईल कंपनियाँ जिले के हर क्षेत्र में अपनी पहुँच रखती है। बेसिक फोन (लैंडलाईन) तथा इंटरनेट की सेवा सिर्फ बी एस एन एल प्रदान करती है। डाक व्यवस्था: सभी प्रखंड में डाकघर की सेवा उपलब्ध है। सीतामढी शहर तथा बड़े बाजारों में निजी कूरियर कंपनियाँ कार्यरत है जो ज्यादातर स्थानीय व्यापारियों के काम आती है। इन्हें भी देखें सीतामढ़ी ज़िला बिहार की एतिहासिक जगह बिहार सीतामढ़ी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बाहरी कड़ियाँ सीतामढी जिला का आधिकारिक पोर्टल जगत जननी सीता की पावन धरतीःसीतामढी सन्दर्भ सीतामढ़ी जिला बिहार के शहर सीतामढ़ी ज़िले के नगर बिहार में पर्यटन आकर्षण
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घरेलू प्रौद्योगिकी
घरेलू प्रौद्योगिकी (Domestic technology) से आशय घर और घर के अन्द्र उपयोग आने वाली सामग्री से सम्बन्धित प्रौद्योगिकी से है। घरेलू प्रौद्योगिकी के कई पक्ष हैं। एक तरफ रेफ्रिजरेटर, धुलाई मशीन आदि गृहोपयोगी सामान है तो दूसरी तरफ गृह प्रौद्योगिकी अनुप्रयुक्त विज्ञान का उपयोग करके किसी लक्ष्य (जैसे ऊर्जा दक्षता या स्वयं पर्याप्त घर) को प्राप्त करने की कोशिश करता है। आजकल घर में अनेकों प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है। उनमें से कुछ की सूची नीचे दी गयी है-। वातानुकूलन (Air conditioning) केन्द्रीय तापन (Central heating) सफाई वस्त्र सुखाने की मशीन (Clothes dryer) झाड़ू बर्तन धोने की मशीन (Dishwasher) पोंछा (Mop) Sink Shower Bath वैक्युम क्लीनर (Vacuum cleaner) कपड़ा धोने की मशीन Computer Food preparation Barbecue Breadmaker Blender Faucet Food processor Microwave oven Mixer Oven Food storage Can Canning Refrigerator Home maintenance Groundskeeping equipment Garden tools Paint sprayer Knitting machine Plumbing Power generation Solar cell Windmill Telephone Window इन्हें भी देखें गृह स्वचालन (Home automation) गृहोपयोगी सामग्री जल की गुणवत्ता (Water quality) सन्दर्भ Bittman, Michael; Rice, James Mahmud; & Wajcman, Judy. (2004). "Appliances and their impact: The ownership of domestic technology and time spent on household work". British Journal of Sociology 55 (3), 401–423. (PDF file) Habib, Laurence. Computers in the family: A study of technology in the domestic sphere. PhD Thesis, London, UK: London School of Economics and Political Sciences (LSE) 2000 401–423. (PDF file) Ruth Schwartz Cowan, More Work for Mother: The Ironies of Household Technology from the Open Hearth to the Microwave (Basic Books, 1983) ISBN 0-465-04731-9 Siddiqui, Shakeel and Darach Turley,(2006), 'Media Technologies: Mediated Families' In: Gavan Fitzsimons and Vicki Morwitz ed. Advances in Consumer Research, Vol. 34, Association for Consumer Research: Orlando बाहरी कड़ियाँ ICS 97.040.30 Domestic refrigerating appliances गृह
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जार्ज बर्नार्ड शा
जार्ज बर्नार्ड शा नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता, 1925 महान नाटककार व कुशल राजनीतिज्ञ मानवतावादी व्यक्तित्व जार्ज बर्नार्ड शा का जन्म डबलिन मे 26 जुलाई 1856 को शनिवार को हुआ था। अपने माता पिता की तीन संतानो में ये अकेले पुत्र थे। इनके पिता जार्ज कारर शा को शराब की बुरी लत थी किन्तु इस बात का इनकी माँ ने इनपे असर नही होने दिया और इनके शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया , इनकी शुरुआती शिक्षा मिस कैरोलिन हिल नामक महिला से प्राप्त हुई और इनकी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद इनकी रुचि शाहित्य के क्षेत्र में बढती गई और इसीलिये इन्हे इंग्लैंड आना पड़ा जहाँ आकर इन्होने अपनी साहित्यिक रुचि को निखारा।। साहित्यिक रचनाये आर्म्स एंड द मैन इनके प्रसिध्द नाटको मे एक है इसके अतिरिक्त इनका पहला नोवेल इम्माटुरिटी नाम से काफी प्रचलित हुआ। राजनीतिक जीवन इन्होने 1879 में जेटिकल सोसाइटी से अपने रो जोड़ लिया जहाँ से इनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत मानी जाती है।। सन्दर्भ इन्हें भी देखें शा वर्णमाला (Shavian alphabet) बाहरी कड़ियाँ जॉर्ज बर्नार्ड शा के रोचक किस्से जार्ज बर्नार्ड शा का नाटक आर्म एंड द मैन यहाँ से खरीदा जा सकता है हॉलीवुड मे एक सुंदरी ने बर्नार्ड शॉ से कहा कि उन्हें उससे विवाह कर लेना चाहिए। उनकी संतान पिता से बुद्धी और माँ से सुन्दरता ग्रहण कर सकती है बर्नार्ड शॉ ने कहा कि हादसा यु भी हो सकता है कि संतान उनकी तरह बदशक्ल और सितारे की तारह मुर्ख हो दार्शनिक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE
गीतांजली शर्मा
गीतांजलि शर्मा (जन्म: 3 सितंबर 1984) भारतीय लोक नृत्य प्रतिपादक और कथक नृत्यांगना हैं। वह उमा डोगरा की शिष्या हैं। उमा जयपुर घराने के कथक उस्ताद पं॰ दुर्गा लाल की सबसे वरिष्ठ शिष्या थी। गीतांजलि 18 से अधिक वर्षों से भारत और विदेशों में नृत्य कर रही हैं। वह राष्ट्रीय युवा पुरस्कार (2010), संगीत नाटक अकादमी (2011) के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार, यश भारती पुरस्कार (2015) और कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। शुरूआती जीवन गीतांजलि का जन्म 3 सितंबर 1984 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में निर्मल आचार्य और डॉ॰ पी॰ आर॰ शर्मा के यहाँ हुआ। उनके परिवार के किसी भी व्यक्ति की कलात्मक पृष्ठभूमि नहीं थी। उन्हें परिवार से बहुत मार्गदर्शन और समर्थन नहीं मिला। अपने करियर के शुरुआती चरण में उन्होंने बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के स्कूल स्तर पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उनका पहला विदेश प्रदर्शन सिंगापुर में हुआ था। बाद में, उन्होंने चीन, मैक्सिको, लंदन, अमेरिका और कई अन्य देशों में प्रदर्शन किया। करियर गीतांजलि शर्मा ने बहुत ही कम उम्र में अपने नृत्य करियर की शुरुआत की। वह खुद स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शन करके बृज लोक नर्तक के रूप में स्थापित हुई। 2008 में, उन्होंने कथक केंद्र, नई दिल्ली में राजेंद्र गंगानी के मार्गदर्शन में कथक सीखना शुरू किया। बाद में वह 2010 में उमा डोगरा से प्रशिक्षण लेने लगीं। उन्होंने प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से अपनी प्रभाकर डिग्री पूरी की। वह मथुरा, उत्तर प्रदेश की पहली प्रशिक्षित कथक कलाकार हैं। उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा और कई अन्य प्रसिद्ध कलाकारों के साथ कथक प्रस्तुतियाँ दी हैं। 18 दिसंबर 2017 को गीतांजलि को स्वच्छ भारत अभियान के लिए मथुरा-वृंदावन के ब्रांड एंबेसडर बनाया गया जो भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक अभियान है। सन्दर्भ 1984 में जन्मे लोग जीवित लोग दिल्ली के लोग
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अग्रसेन की बावली
अग्रसेन की बावली, एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल हैं जो नई दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास स्थित है।इस बावड़ी में सीढ़ीनुमा कुएं में करीब 105 सीढ़ीयां हैं। 14वीं शताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने इसे बनाया था। सन 2012 में भारतीय डाक अग्रसेन की बावड़ी पर डाक टिकट जारी किया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत भारत सरकार द्वारा संरक्षित हैं। इस बावड़ी का निर्माण लाल बलुए पत्थर से हुआ है। अनगढ़ तथा गढ़े हुए पत्थर से निर्मित यह दिल्ली की बेहतरीन बावलियों में से एक है।</ref> क़रीब 60 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची इस बावली के बारे में विश्वास है कि महाभारत काल में इसका निर्माण कराया गया था। यह दिल्ली की उन गिनी चुनी बावड़ीयों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं। जंतर मंतर के निकट, हेली रोड पर यह बावड़ी मौजूद है। यहाँ पर नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली के लोग कभी तैराकी सीखने के लिए आते थे। बावड़ी की स्थापत्य शैली उत्तरकालीन तुग़लक़ तथा लोदी काल (13वी-16वी ईस्वी) से मेल खाती है। लाल बलुए पत्थर से बनी इस बावड़ी की वास्तु संबंधी विशेषताएँ तुग़लक़ और लोदी काल की तरफ़ संकेत कर रहे हैं, लेकिन कहा जाता है कि इस प्राचीन बावली को अग्रहरि एवं अग्रवाल समाज के पूर्वज उग्रसेन ने बनवाया था। इमारत की मुख्य विशेषता है कि यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है। पश्चिम की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक मस्जिद है। यह एक ठोस ऊँचे चबूतरे पर किनारों की भूमिगत दालानों से युक्त है। इसके स्थापत्य में ‘व्हेल मछली की पीठ के समान’ छत, ‘चैत्य आकृति’ की नक़्क़ाशी युक्त चार खम्बों का संयुक्त स्तम्भ, चाप स्कन्ध में प्रयुक्त पदक अलंकरण इसको विशिष्टता प्रदान करता है। अग्रसेन की बावली दिल्ली का एक लोकप्रिय ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। बॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्म पीके के कुछ सीन यहां फिल्माए गए थे। इन्हें भी देखें रानी की वाव, यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित की गई विश्व की प्रथम बावड़ी सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ अग्रसेन की बावली अग्रसेन की बावली, टाइम्स ऑफ़ इंडिया दिल्ली के दर्शनीय स्थल बावड़ी
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0
तारकासुर
तारकासुर, वज्रांग नामक दैत्य का पुत्र और असुरों का अधिपति था। पुराणों से ज्ञात होता है कि देवताओं को जीतने के लिये उसे घोर तपस्या की। महादेव ने उसे यह वरदान दिया कि असुरों का राजा होगा तथा शिवपुत्र के अतिरिक्त अन्य कोई उसे मार नही सकेगा। परिणामस्वरूप वह अत्यन्त दुर्दान्त हो गया और देवतागण उसकी सेवा के लिये विवश हो गए। देवताओं ने भी ब्रह्मा की शरण ली। उन्होने उन्हें यह बताया कि तारकासुर का अन्त शिव के पुत्र से ही हो सकेगा। देवताओं ने कामदेव और रति के सहारे पार्वती के माध्यम से शिव को वैवाहिक जीवन के प्रति आकृष्ट करने का प्रयत्न किया। शिव ने क्रुद्ध होकर काम को जला डाला। किन्तु पार्वती ने आशा नहीं छोड़ी और रूपसम्मोहन के उपाय को व्यर्थ मानती हुई तपस्या में निरत होकर शिवप्राप्ति का उपाय शुरू कर दिया। शिव प्रसन्न हुए, पार्वती का पाणिग्रहण किया और उनसे आरकाकार्तिकेय (स्कन्द) की उत्पत्ति हुई। स्कन्द को देवताओं ने अपना सेनापति बनाया और देवासुर संग्राम में उनके द्वारा तारकासुर का संहार हुआ। उसकी पत्नी का नाम शंबुकी था तथा उसके तीन पुत्र जिनके नाम तारकाक्ष, कमलाक्ष, और विदयुनमली था। सन्दर्भ ग्रन्थ मत्सयापुराण, १४५-१५९; शिवपुराण, भाग १ अध्याय ९ तथा आगे, ब्रह्मापुराण, ७१ वाँ अध्याय, स्कंदपुराण, माहेश्वरखंड। इन्हें भी देखें त्रिपुरासुर पौराणिक पात्र
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मुद्रा बैंक
मुद्रा बैंक भारत में ८ अप्रैल २०१५ को आरम्भ हुआ। यह मुख्य रूप से सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों के वित्तपोषण पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। मुद्रा बैंक का मतलब है 'माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स एण्ड रिफाइनेंस एजेंसी' (MUDRA)। मुद्रा बैंक का उद्देश्य युवा, शिक्षित और प्रशिक्षित उद्यमियों को मदद देकर मुख्यधारा में लाना है। इसकी स्थापना SIDBI के अधीन की गई हैं। मुद्रा बैंक के माध्यम से साधारण लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, दलितों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को वित्तीय समर्थन और ऋणों के माध्यम से उच्चाधिकारी लोन उपलब्ध कराने का मुख्य उद्देश्य होता है। मुद्रा बैंक तीन श्रेणियों में विभाजित होता है - शिशु, तरुण और किशोर। शिशु श्रेणी में छोटे उद्यमियों को 50,000 रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है। तरुण श्रेणी में ऋण की राशि 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक होती है। और किशोर श्रेणी में ऋण की राशि 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक होती है। मुद्रा बैंक का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करके उन्हें स्वयं का व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और उनके जीवन की गुणवत्ता बेyहतर हो सके। मुद्रा बैंक के माध्यम से लोन लेने के लिए आवेदकों को न्यूनतम दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाएँ पूरी करनी होती हैं। इस तरह, मुद्रा बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और ग्रामीण उद्यमियों को वित्तीय समर्थन प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का सक्रिय साधक है। विशेषताएँ इस योजना के तहत छोटे उद्यमियों को कम ब्याज दर पर 50 हजार से 10 लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा। केंद्र सरकार इस योजना पर 20 हजार करोड़ रुपये लगाएग। साथ ही इसके लिए 3000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी रखी गई है। मुद्रा बैंक छोटे फाइनेंस संस्थानों (माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशन) को री-फाइनेंस करेगा ताकि वे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत छोटे उद्यमियों को कर्ज दे सकें। मुद्रा बैंक के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों को प्राथमिकता पर कर्ज दिए जाएंगे। इसकी पहुंच का दायरा बढ़ाने के लिए डाक विभाग के विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा। मुद्रा बैंक देश भर के 5.77 करोड़ छोटी व्यापार इकाइयों की मदद करेगा। इन्हें अभी बैंक से कर्ज लेने में बहुत मुश्किल होती है। इस व्यवस्था के तहत तीन तरह के कर्ज दिए जाएंगे : शिशु, किशोर और तरुण। व्यापार शुरू करने वाले को 'शिशु' श्रेणी का ऋण दिया जाएगा। 'किशोर' श्रेणी के तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा। वहीं 'तरुण' श्रेणी के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा। श्रेणियाँ इस योजना के तहत ऋण राशि हेतु तीन श्रेणियाँ बनाई गयी है। 1. शिशु (50,000) 2. किशोर (5,00000) 3. तरुण (10,00000) इन्हें भी देखें खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग स्मॉल व्यावसाय कुटीर उद्योग भारतीय बैंक
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https://hi.wikipedia.org/wiki/2014%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A4%BE
2014 में हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला
भारत के प्रधान मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के उद्घाटन समारोह से तीन दिन पहले, 23 मई 2014 को हेरात, अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया था। हमला अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर 23 मई 2014 को लगभग 3:15 बजे चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया था। हमलावर मशीन गन, रॉकेट चालित ग्रेनेड, हथगोले और आत्मघाती जैकेट से लैस थे। उन्होंने पास के एक घर से गोलीबारी शुरू कर दी। लंबी गोलीबारी के दौरान सभी हमलावर मारे गए, जिनमें से दो भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और अन्य अफगान सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए। वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों में से कोई भी घायल नहीं हुआ। आईटीबीपी के 23 जवानों का एक दस्ता वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा कर रहा था. मध्य हेरात में स्थित वाणिज्य दूतावास को व्यापक सुरक्षा प्राप्त है, जिसकी तुलना केवल शहर में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से की जा सकती है। इसमें सुरक्षा की कम से कम तीन परतें हैं, और आगंतुकों को इस तक पहुंचने के लिए 200 मीटर पैदल चलना होगा क्योंकि इसकी ओर जाने वाली सड़क पर बैरिकेड लगा हुआ है। किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। विश्लेषण 25 मई को, अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारतीय मीडिया को सूचित किया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस से जुड़ा पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा हमले के लिए जिम्मेदार था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी इस आकलन से सहमत हैं. जून में, अमेरिकी विदेश विभाग ने अपना आकलन पेश किया कि हमलों के लिए लश्कर जिम्मेदार था और उसने लश्कर को एक आतंकवादी संगठन के रूप में पुनः नामित किया। राष्ट्रपति मुशर्रफ द्वारा प्रतीकात्मक प्रतिबंध के बाद, एल-ई-टी ने अपना नाम बदलकर जमात उद दावा कर लिया और एक दानी संस्था के रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। अमेरिकी दक्षिण एशिया विश्लेषक ब्रूस रीडेल के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालते ही लश्कर ने भारतीय राजनयिकों को बंधक बनाने और उन्हें मौत की सजा देने की योजना बनाई थी। रीडेल के अनुसार, उनका लक्ष्य पाकिस्तान के अपने प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को बदनाम करना था, जो मोदी के उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले थे। इसका मतलब पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए शरीफ को बदला देना था। "द डिप्लोमैट" ने एक पाकिस्तानी सुरक्षा विशेषज्ञ की रिपोर्ट में कहा कि हमले का समय नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से संबंधित था। ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान में कुछ ताकतें भारतीय जनता पार्टी के नेता के साथ किसी भी तरह के मेलजोल को लेकर उत्तेजित थीं क्योंकि वे उन्हें एक दुश्मन के रूप में देखती थीं। प्रतिक्रियाएं : हमले के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और इसे "अफगानिस्तान, भारत और हमारे साझा हितों पर हमला" बताया. नरेंद्र मोदी ने हमले की निंदा की और अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत अमर सिन्हा को समर्थन का आश्वासन दिया. और के विदेश मंत्रालय ने भी हमले की निंदा की। यह भी देखें 2013 में जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बमबारी संदर्भ भारत के राजनयिक मिशन भारत के राजनयिक मिशनों पर हमले
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B2%20%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
मृदुल कीर्ति
मृदुल कीर्ति भारत में जन्म लेनेवाली हिन्दी, संस्कृत और बृजभाषा की विदुषी हैं जो ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में रहती हैं। इन्हें २०२३ में फ़िजी में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विश्व हिन्दी सम्मान से पुरस्कृत किया। प्रारंभिक जीवन कीर्ति ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से राजनीतिशास्त्र में पी० एच० डी० प्राप्त की। उन्हें उनके कई अनुवादों के लिए विश्व हिन्दी सम्मान से पूर्व उत्तरप्रदेश संस्कृत साहित्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया आ चुका है। अनुवाद अमृतनादोपनिषद (हिन्दी में) अद्वयतारकोपनिषद (हिन्दी में) नारदपरिव्राजकोपनिषद (हिन्दी में) सामवेद (हिन्दी और बृजभाषा) अष्टावक्र (हिन्दी और बृजभाषा) इन्हें भी देखें ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी सन्दर्भ ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र जीवित लोग अनुवादक संस्कृत विद्वान ब्रजभाषा 1951 में जन्मे लोग
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