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पुलिस प्राधिकारियों से उनको मासिक समेकित रिपोर्ट और एफआईआर द्वारा प्रेषित जाली नोटों की प्राप्ति सूचना प्राप्त की जाये । यदि पुलिस को नकली बैंक नोट बीमाकृत डाक द्वारा भेजे गए हैं तो उनकी प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से ली जाये और उन्हें रिकार्ड में रखा जाए । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति सूचना प्राप्त करने के लिए उचित अनुवर्ती कार्रवाई आवश्यक है । यदि मासिक समेकित रिपोर्टों को प्राप्त करने/ एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की अनिच्छा के कारण कार्यालयों / बैंक शाखाओं को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो उसका निपटान जाली बैंकनोटों की जांच से संबंधित मामलों की समन्वय हेतु नामित पुलिस प्राधिकरण के नोडल अधिकारी की सलाह से किया जाये । नोडल पुलिस स्टेशन की सूची भारतीय रिजर्व बैंक के संबन्धित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं ।
जाली नोटों के परिचालन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की आसानी से पहचान करने के क्रम में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे बैंकिंग हॉल / क्षेत्र तथा काउंटर को सीसीटीवी की निगरानी तथा रिकॉर्डिंग में रखें तथा रिकॉर्डिंग को संरक्षित रखें ।
बैंकों को ऐसी पहचान के स्वरुप/प्रवृत्तियों पर निगरानी रखनी चाहिए और संदिग्ध स्वरुप/प्रवृत्तियों को तत्काल भारतीय रिजर्व बैंक/पुलिस प्राधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए।
जाली नोटों की पहचान और उक्त की सूचना पुलिस, आरबीआई आदि को देने में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और उससे संबंधित समस्याओं पर विभिन्न राज्य स्तरीय समितियाँ अर्थात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी), करेंसी प्रबंधन पर स्थायी समिति (एससीसीएम) राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति (एसएलएससी), आदि की बैठकों में नियमित रूप से विचार - विमर्श किया जाए ।
बैंक-शाखाओं/कोषागारों में पकड़े गए जाली भारतीय बैंक नोटों के आंकड़े, नीचे दिये गये पैरा- 10 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालय को प्रेषित की जानेवाली मासिक विवरणियों में शामिल किये जायें।
भारतीय दंड संहिता में "जाली बनाना" की परिभाषा में विदेशी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी करेंसी नोट भी शामिल हैं। पुलिस और सरकारी एजेंसियों से अभिमत /राय देने हेतु प्राप्त संदिग्ध विदेशी करेंसी नोटों के मामलों में, उन्हें यह सूचित किया जाये कि वे उक्त नोटों को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की इंटरपोल विंग के पास उनसे पूर्व परामर्श के बाद भेज दें।
बैंकों को अपना नकद प्रबंधन कुछ इस तरह पुनर्निर्धारित करना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ₹ 100 और उससे अधिक मूल्य वर्ग की नकद प्राप्तियों को उन नोटों की मशीन प्रसंस्करण द्वारा प्रामाणिकता की जांच के बिना पुनः संचलन में नहीं डाला जाए। ये अनुदेश दैनिक नकद प्राप्ति के परिमाण को ध्यान में लिए बगैर सभी शाखाओं पर लागू होंगे। इस अनुदेश के किसी भी गैर अनुपालन को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों का उल्लंघन माना जाएगा।
एटीएम मशीनों से जाली नोटों की प्राप्ति संबंधित शिकायतों का निपटान करने और जाली नोटों के संचलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से यह अत्यावश्यक है कि एटीएम मशीनों में नोटों को भरने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपायों/ नियंत्रणों को लागू किया जाये । एटीएम मशीनों के माध्यम से जाली नोटों का वितरण, संबंधित बैंक द्वारा जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया एक प्रयास माना जायेगा ।
मुद्रा तिजोरी विप्रेषणों /शेषों में जाली नोटों का पाये जाने को भी संबंधित मुद्रा तिजोरी द्वारा जान -बूझकर जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया प्रयास माना जायेगा जिसके परिणामस्वरूप पुलिस प्राधिकरण द्वारा विशेष तहकीकात और अन्य कार्रवाई जैसे संबंधित मुद्रा तिजोरी के प्रचालनों को स्थगित करना, की जा सकती है ।
निम्नलिखित परिस्थितियों में जाली नोटों के अनुमानित मूल्य की मात्रा तक हानि की वसूली के अलावा, जाली नोटों के अनुमानित मूल्य का 100% दंड लगाया जाएगा :
20 जून 2012 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.2298/02.10.002/2011-12 के अनुसार व्हाइट लेबल एटीएम मे लोड की गई नकदी की गुणवत्ता तथा उसकी असलियत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रायोजक बैंक की होगी। 30 दिसंबर, 2016 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.1621/02.10.002/2016-17 के अनुसार रिटेल आउटलेट से नकदी प्राप्त की जाती है तो व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर एटीएम द्वारा वितरित किए गए मुद्रा नोटों की गुणवत्ता तथा प्रामाणिकता के लिए स्वयं ही पूर्णतः उत्तरदायी होगा ।
प्रत्येक बैंक जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करें और उसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और पुलिस प्राधिकरण को दें । पैरा 5 में यथाउल्लिखित, जाली नोट के पहचान की रिपोर्टिंग के मामले, नोडल बैंक अधिकारी के माध्यम से आने चाहिए। नोडल बैंक अधिकारी जाली नोट पाये जाने से संबंधित सभी कार्यकलापों के लिए एक संपर्क अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा।
जाली नोटों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को बैंक की सभी शाखाओं में प्रचारित करना । इन अनुदेशों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जाली नोटों की पहचान से संबंधित आंकड़े को समेकित करना और भारतीय रिज़र्व बैंक, एफआईयू - आईएनडी तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को प्रेषित करना । पुलिस प्राधिकरण और निर्दिष्ट नोडल अधिकारी के साथ जाली नोटों के मामलों से संबंधित अनुवर्ती कार्रवाई करना।
इस तरह से संकलित जानकारी को बैंको के केंद्रीय सर्तकता अधिकारी से साझा करना तथा उन्हें काउंटरों पर स्वीकृत /जारी किये गये जाली नोटों से संबंधित मामलों की रिपोर्ट देना ।
ऐसी मुद्रा तिजोरियों; जहाँ पर दोषपूर्ण/जाली नोट आदि का पता लगा है, की आवधिक आकस्मिक जाँच करना ।
सभी मुद्रा तिजोरियों/ बैक आफिस में उपयुक्त क्षमता वाली नोट सॉर्टिग मशीनों के प्रचालन को सुनिश्चित करना और जाली नोटों के पता लगाने पर सावधानी पूर्वक निगरानी करना और उक्त का उचित रूप से रिकार्ड रखना । यह सुनिश्चित करना कि केवल छांटे गये और मशीनों से जांचे गये नोट ही एटीएम मशीनों में डाले जायें/ काउंटरों से जारी किये जायें और नोटों के प्रसंस्करण तथा पारगमन के समय आकस्मिक जांच सहित पर्याप्त सुरक्षा उपायों की व्यवस्था ।
जाली नोट सतर्कता कक्ष उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए तिमाही आधार पर, संबंधित तिमाही की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर, मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, अमर भवन, चौथी मंजिल, सर पी.एम.रोड, फोर्ट, मुंबई - 400001 तथा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग जिसके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत जाली नोट सतर्कता कक्ष कार्यरत हैं, को वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करें । उपर्युक्त रिपोर्ट ई-मेल द्वारा भेजी जाये। हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोट सतर्कता कक्षों के पते को अद्यतन करने के उद्देश्य से बैंक प्रत्येक वर्ष में, 1 जुलाई को अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबंध V) में ई- मेल से पते आदि आरबीआई को प्रस्तुत करें । हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोटों की पहचान सुगम बनाने के लिए सभी बैंक शाखाओं /निर्दिष्ट बैक आफिसों को, अल्ट्रा-वायलेट लैम्प / अन्य उपयुक्त नोट सॉर्टिंग / पहचान वाली मशीनों से सुसज्जित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सभी मुद्रा तिजोरी शाखाओं में सत्यापन, प्रसंस्करण और छँटनी करने वाली मशीनों की व्यवस्था होनी चाहिये और मशीनों का इष्टतम स्तर तक उपयोग होना चाहिये । इन मशीनों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2010 में निर्धारित "नोट सत्यापन और फिटनेस सार्टिंग मानदंडो" के अनुरूप होना आवश्यक हैं ।
बैंक, पहचान किये गये जाली नोटों सहित नोट छँटनी मशीनों के माध्यम से प्रसंस्कृत नोटों का दैनिक रिकार्ड रखेंगे ।
बैंकों को जनता के उपयोग हेतु, काउंटर पर नोट गिनने वाली कम से कम एक मशीन (जिसमें दोनों तरफ संख्या प्रदर्शित करने की सुविधा हो), लगाने पर भी विचार करना चाहिए ।
बैंक की सभी शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों के आंकड़े मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में सूचित करना आवश्यक है । माह के दौरान बैंक शाखाओं में पता लगाये गये जाली नोटों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण (अनुबंध VI) संकलित किया जाए और संबंधित रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को इस प्रकार प्रेषित किया जाये कि वह आगामी माह की 7 तारीख तक उन्हें प्राप्त हो जाये ।
धनशोधन निवारण नियम, 2005 के नियम 3 के तहत, बैंकों के प्रधान अधिकारियों को भी ऐसे नकदी लेन देन, जहां जाली नोटों को असली नोटों के रूप में प्रयोग में लाया गया है, की सूचना, सात कार्यदिवस के अंदर, निदेशक, एफआईयू आईएनडी, वित्तीय खुफिया ईकाई-भारत, 6वीं मंजिल, होटल सम्राट, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021 को, FINnet पोर्टल पर सूचना अपलोड करके करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, एफआईसीएन की पहचान के आंकड़े नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की बेबसाईट के वेब आधारित सॉफ्टवेयर पर भी अपलोड किए जाएँ।
माह के दौरान किसी जाली नोट की पहचान नहीं किये जाने की स्थिति में 'निरंक' विवरणी भेजी जाये ।
पुलिस प्राधिकरण / न्यायालयों से पुनः प्राप्त सभी जाली नोटों को बैंक की अभिरक्षा में सावधानीपूर्वक परिरक्षित किया जाये और संबंधित शाखा द्वारा उक्त का रिकार्ड रखा जाये। बैंक के जाली नोट सतर्कता कक्ष को भी ऐसे जाली नोटों का शाखावार समेकित रिकार्ड रखना होगा ।
इन जाली नोटों का सत्यापन संबंधित शाखा के प्रभारी अधिकारी द्वारा छमाही (31 मार्च और 30 सितंबर) आधार पर किया जाना चाहिये । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति की तिथि से इन जाली नोटों का तीन वर्ष की अवधि के लिए परिरक्षण किया जाना चाहिये।
इसके पश्चात पूर्ण ब्योरे के साथ इन जाली नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजा जाये ।
जाली नोट जो न्यायालय में मुकदमेबाजी के अधीन हैं उन्हें न्यायालय निर्णय के बाद संबंधित शाखा के पास तीन वर्ष तक रखा जाए ।
यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि बैंकों और कोषागारों / उप- कोषागारों में नकदी व्यवहार करनेवाला स्टाफ, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से पूरी तरह परिचित हो ।
जाली नोट की पहचान के संबंध में बैंक -शाखा के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अनुबंध - VII में दर्शाये गये बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँ तथा डिज़ाइन सभी बैंकों / कोषागारों को इस निर्देश के साथ भेजे गये हैं कि वे इन्हें आम जनता की जानकारी के लिए प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें । शाखाओं के स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोटों के पोस्टरों की आपूर्ति की गयी है। रू. 2000/-, रू.500/-, रू. 200/- तथा रू. 50/- के नए डिजाईन के बैंक नोट की सुरक्षा विशेषताओं का विवरण https://www.paisaboltahai.rbi.org.in/ लिंक पर उपलब्ध है।
अन्य बैंक नोटों का विवरण भी उपरोक्त लिंक के "अपने नोट को जानिए" के तहत उपलब्ध है।
प्राप्ति के समय ही, जाली नोटों का पता लगाने में स्टाफ सदस्यों को सक्षम बनाने हेतु, नियंत्रक कार्यालयों /प्रशिक्षण केंद्रों को बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहियें । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नकदी का लेन-देन करनेवाले सभी बैंक कर्मी, वास्तविक भारतीय बैंक नोटों की विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक भी, संकाय सहायता और प्रशिक्षण सामग्री प्रदान करेगा।
औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में रविवार को आठ लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, संक्रमितों में एक महिला व सात पुरुष शामिल है। इन सभी के बीते शनिवार को सैंपल लिए गए थे जिनकी रिपोर्ट रविवार शाम आई जिसमें इनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई। प्रशासन ने कुछेक संक्रमितों को उपचार के लिए कोविड केयर सेंटर व कुछेक को होम आइसोलेशन में भेज दिया है। इसके अलावा संक्रमितों की कांटैक्ट टे्रसिंग शुरू करते हुए उनके निवास स्थान व कार्यस्थल को एहतियातन सेनटाइज करवा दिया है। जानकारी के मुताबिक रविवार को बीबीएन में कोरोना के आठ नए मामले सामने आए है । बद्दी स्थित डाइंग उद्योग के क्वारंटाइन सेंटर में क्वारंटाइन 18 वर्षीय युवक की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बरोटीवाला के कुजांहल निवासी 22 व 30 वर्षीय पुरुष, बद्दी के भुड्ड निवासी 24 वर्षीय पुरुष व बद्दी के मढ़ावाला निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना संक्रमित पाए गए है।
इसके अलावा बद्दी के गुल्लरवाला निवासी 42 वर्षीय पुरुष, बद्दी स्थित बीबीएनडीए कालोनी में 30 वर्षीय पुरुष के अलावा नालागढ़ की हिमुडा कालोनी में रह रही 55 वर्षीय महिला की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एसडीएम नालागढ़ महेंद्र पाल गुर्जर ने बताया कि संक्रमितों को उपचार के लिए कोविड केयर सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया है जबकि उनके संपर्क में आए लोगों की टे्रसिंग की जा रही है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया कि वे इस समय होने वाले जुकाम, खांसी, बुखार तथा सांस संबंधी तकलीफ को हल्के में न ले। उन्होंने कोविड से बचाब के लिए सामाजिक दूरी, मास्क पहनना तथा हाथों की स्वच्छता जैसे सभी महत्त्वपूर्ण नियमों के अलावा सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का भी प्राथमिकता से पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि खांसी, जुकाम, बुखार, सांस की तकलीफ तथा गले संबंधी किसी भी समस्या के आरंभ में ही व्यक्ति स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर अपनी स्वास्थ्य जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा तनाव सहित किसी भी अन्य बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को और भी ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।
तारीखे गुंजरात
क्षेत्र में था तो यह अतिम युद्ध है अन्यथा वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बिना युद्ध किये चला जाय। जनत आशियानी ने आदेश दिया कि, "लाशी के बीच में ढूंढा जाय, सम्भवत कोई व्यक्ति जीवित मिल जाय जिससे इस बात की जांच की जा सके।" एक व्यक्ति जीवित मिला। उससे पूछा गया कि, "क्या एमादुलमुल्य स्वयं युद्ध के समय था ?" उसने कहा कि, "हाँ ।" खुदावन्द खा ने निवेदन किया कि, "यह अतिम युद्ध था । अब किसा में शाही सेना से युद्ध करने का सामर्थ्य नही ।"
हुमायूँ का माडू की ओर प्रस्थान
क्योंकि अहमदाबाद अस्करी मीज़ को प्रदान हो चुका था अत उसने निवेदन किया कि, "यदि हज़रत जहाँबानी सीधे अहमदाबाद में प्रविष्ट हो जायेंगे तो नगर नष्ट-भ्रष्ट हो जायेगा।" इस कारण उन्होंने अस्वरी मर्ज़ा को अहमदाबाद जाने की अनुमति दे दी और स्वय अहमदाबाद के बाहर बतवा होते हुए सरखीज में पडाव किया। तीसरे दिन दरबार के विश्वासपात्री सहित (२९) उन्होने अहमदाबाद की सैर की यादगार नासिर मोर्ज़ा को पटन नामक वस्वा प्रदान कर दिया, कासिम हुसेन खा का भरौंच और हिन्दू वेग को ५-६ हजार अश्वारोहियो सहित वुमन हेतु नियुक्त कर दिया कि जहाँ कहीं कोई विद्रोह हो वह सहायता हेतु पहुँच जाये और दानुओ को नष्ट करने का प्रयत्न करे । वे स्वय सूरत, जूनागढ तथा बन्दरदीव की ओर रवाना हुए। मार्ग के मध्य से लौटकर चाम्पानीर तथा अहमदाबाद को अपने वायी ओर करते हुए बुरहानपुर को पार किया । वहाँ से मन्दू पहुँचे।
मुगुलो को गुजरात में पराजय
जब इस प्रकार ३-४ मास व्यतीत हो गये तो सुल्तान के अमीरी में से खाने जहाँ शोराजी ने नौसारी में एक दृढ स्थान बनाकर सेना एकत्र करना प्रारम्भ कर दिया। वहां से निकल कर उसने कासिम हुसेन खा के सम्बन्ध अब्दुल्लाह साऊजवेव से युद्ध किया और उसे नौसारी से निकाल दिया । सैयिद इस्हाक न पहुँच कर खम्वायत पर अधिकार जमा लिया और वे दोनो ओर सेनाए एकत्र करने लगे । रूमी ना, जिसके अधिकार में मूरत नामक बन्दरगाह था, खाने जहाँ से मिल गया और समुद्र के मार्ग से युद्ध हेतु भरौच के विरुद्ध जहाज भेजे । खाने जहाँ खुशकी वे मार्ग से चला । कासिम हुसेन खा मुवावला न कर सका और भरोंच से भागवर चाम्पानीर पहुँच गया। उन लोगोने भरौंच पर अधिकार जमा लिया और सैयिद लाद जियू ने, जो बरोदा के आमपास था, उस नगर को जो दौलताबाद पहलाता है, अपने अधिकार में कर लिया। दरियाँ खा तथा मुहाफिजुल मुल्य रायसेन वे विले में थे । यहाँ से वे पटन की ओर रवाना हुए। अस्करी मोर्जा ने यादगार मोर्जा के पास आदमी भेजे विक्योकि गुजराती लोग पटन के समीप पहुँच गये है अत यह उचित होगा कि तुम अहमदाबाद की ओर रवाना हा ताकि हम लोग मिलकर युद्ध करें । यादगार नासिर मोर्जा ने उत्तर लिखा कि, "मै तुमसे महायता नहीं चाहता। मुझमें इतनी शक्ति है कि मै इनसे युद्ध पर मवें । यदि मै अहमदाबाद आता हूँ तो पटन हाथ से निकल जायगा। मुझसे अहमदाबाद आने का आग्रह न करो।" मीज अस्करी ने उसके बुलाने पर जोर दिया और आग्रह किया कि, "यदि तू न आयेगा तो पादशाह का विरोधी समझा जायेगा।" वह विवश होकर पटन का छोडनर अहमदाबाद पहुँचा। जब भरोच, सम्वायत, पटन तथा वरीदा गुजरातियों के हाथ (३०) में आ गये तो उन्होंने सभी स्थानों से मुल्तान बहादुर के पास बन्दर दीव में पत्र भेजे कि,
मुगुल कालीन भारत - हुमायं
"हम लोगो ने पादशाह के प्रताप से इतने थानों को मुगलों से छीन लिया है। समस्त मुगुल अहमदाबाद में एकत्र होगये है। यदि विजयी पताकाएँ प्रस्थान करें तो हम थोडे से परिश्रम से अहमदाबाद से भी उन्हें निकाल देंगे।" सुल्तान बहादुर, जोकि इस अवसर की खोज में था, इसको बहुत बडी देन समझकर तत्काल अहमदाबाद की थोर रवाना हो गया। चारों ओर से सेनायें एकत्र होने लगी । वह सरखोज पहुँचा । उसको सेना में नित्य प्रतिवृद्धि होने लगी । अस्करी मीर्जा, यादगार नासिर मोर्जा, कासिम हुसेन सा एव हिन्दूबेग ने, अहमदाबाद के किले से निकलकर असावल की ओर, जो कि सरखीज के समक्ष है, सुल्तान बहादुर के मुकाबले में पडाव कर दिया । ३-४ दिन उपरान्त वे अकारण तथा विना युद्ध किय हुए घाम्पानीर की ओर चल खडे हुए । सुल्तान ने पीछा किया । संयिद मुबारक तथा उलुग खा को हिरावल नियुक्त किया । मीर्जाओ की सेनाओं के पोछे के भाग मे नासिर मोर्जा था। उसने पलटकर महमूदाबाद में युद्ध किया । यादगार (नासिर ) मोर्ज़ा घायल हो गया। वह पुन लौटकर मोर्चाआ के पास पहुँचा। क्यों कि वर्षा ऋतु आ गई थीअत सुल्तान ने महमूदाबाद के महलों में पडाव किया । मोर्जा लोग वडी तेजी से यात्रा कर रहे थे । नाले तया नदियों में बाढ आ गई थी। कोलियो तथा वासियों ने प्रत्येक दिशा से लूटमार प्रारम्भ वर दी थी। पाडे तथा खेमें वर्षा की अधिकता के कारण नष्ट हो गये और कुछ जल में डूब गये । सक्षेप में, वे अत्यधिक कठिनाई झेलते एव बडी अव्यवस्थित दशा में एमादुलमुल्क के ताल व पास, जो चाम्पानीर के किले के नीचे है, पहुँचे । उनके पास बहुत कम संख्या में में थे। यादगार नासिर मोर्ज़ा ने फकोर के खेमे में पड़ाव किया । तरदी बॅग खा किले के नीचे उतरा और वह प्रत्येक मोजां की सेवा में उपस्थित हुआ और प्रत्येक को घोड़े भजे तथा आतिथ्य किया। दूसरे दिन मोर्जा लोग एकत्र हुए और उन्होंने हिन्दू बेग से परामर्श किया कि हम जनत आशियानी को क्या मुह दिखायेंगे । मन्दू ६-७ दिन को यात्रा की दूरी पर है अत यह उचित होगा कि किले के ऊपर (३१) जाखजाना है उसे तरदो बग से ले लें और तैयारी करके पुन सुल्तान से युद्ध करें ।" मीर्जाओ म से प्रत्येक ने अपने वकील तरदी बंग खा के पास भेजे और कहलाया कि, "क्योकि सेना की दशा बड़ी ख़राब हो गई है अत यह आवश्यक है कि हम लश्कर को आश्रय प्रदान करें और पुन सुल्तान बहादुर पर आक्रमण करे । किले के ऊपर अत्यधिक खजाना है। थोडा सा हमें भेज दो ताकि तैयारी करके वापस हो ।" तरदो बेग ने स्वीकार न किया और उत्तर भेजा कि, "मै विना आदेश के नहीं दे सकता।" इसी बीच में सुल्तान बहादुर महमूदाबाद से आगे बढकर महेन्द्री नदी के तट पर, जो चाम्पानीर से १५ कुरोह पर है, पहुँच गया। दूसरे दिन तरदी बेग खा किले से नीचे उतर कर मोर्खाओं को सेवा में जा रहा था कि उसका एक विश्वासपात्र जो कि मोर्जाओ के पास से आ रहा था, मार्ग में मिल गया। उसने उसके कान में कहा कि, "मोर्ज़ाओं ने तुझे वन्दी बनानवी योजना बना ली है।" तरदी बेगखा के हृदय में आया कि बिना पता लगाये हुए वापस हाना तथा किले के ऊपर पहुँच जाना उचित नही । वहु फकोर के घर में उतर पडा और लोगो को इस आदाय से भेजा कि वे पता लगाकर आयें । अन्त में जब उसे विश्वास हो गया कि यह सत्य है तो वह लौटवर किले के ऊपर पहुँचा और उसने मदेश भेजा कि, "आप लोग यहाँ से मन्द्र चले जायें।"
१ लेखक ।
क्योंकि मोजओ को दशा बडी शोचनीय हो गई थी अत उन्होंने मिलकर निश्चय किया कि अस्करी मोर्जा वादशाह वर्न और हिन्दू वेग उसका वकील । अन्य मोर्ज़ाओ के नाम पर बहुत वडी-वडी विलायते रक्खी गईं । उन्होंने प्रतिज्ञा की तथा वचनबद्ध हुए विन्तु तरदी वेग इस बात का आग्रह करता रहा कि वे शीघ्र मन्द्र चले जाये और इसी उद्देश्य से उसने मोर्ज़ाओ को सेना पर तोप चलाई। वे लोग ५-६ दिन उपरान्त इस आशय से रवाना हो गये कि घाट करजी से होते हुए आगरे चले जायें और उसे अधिकार में कर ले। सुल्तान बहादुर को ज्ञात हुआ कि मोर्ज़ा लोग चल दिये तो वह भी महेन्द्री नदी से आग बढा । जब तरदी बेग ने सुना कि मुल्तान किले को ओर आ रहा है तो वह जितना खजाना ले जा सकता था उसे लदवाकर किले से नीचे उतरा और पाल के मार्ग से जिधर से ६ दिन में मन्दू पहुँचा जा सकता है, जात आशियानी को सेवा में रवाना हो गया। सुल्तान बहादुर चाम्पानीर पहुँचा। मौलाना महमूद लारी तथा (३२) अन्य मुगुली को, जो रह गये थे, उनकी श्रेणी के अनुसार आश्रय प्रदान किया तथा सरोपा, घोडे एव खर्च देकर उन्हें वहाँ से चले जाने की अनुमति दे दी। जितना खज़ाना शेप रह गया था उसे अपने अधिकार में वर लिया। कुछ लोगो का यह विश्वास है कि कुछ स्थानो का खजाना अब भी उसी प्रकार सुरक्षित है।
हुमायं का आगरा पहुँचना
तरदो वेग खा ने जन्नत आशियानो को मीर्जाओं की योजना तथा जो कुछ उन्होंने निश्चय किया था, उसको सूचना दी। वे तत्वाल मन्दू से रवाना होकर हिन्दुस्तान पहुँचे ताकि मीजओ के पहुँचने एवं उनके विद्रोह करने के पूर्व वे आगरे पहुँच जाय और वहाँ उपद्रव की अग्नि को न भडक्ने दें। सयोग से करजी नामक घाट पर मोर्जाओ की जनत आशियानी से भेट हो गई। वे उनकी सेवा में उपस्थित हुए और कोई भी सफलता न प्राप्त करके आगरे की ओर उनके साथ-साथ रवाना हुए।
मुहम्मद जमान द्वारा गुजरात पर अधिकार जमाने का प्रयत्न
(३६) मुहम्मद ज़मान मोर्ज़ा को सुल्तान बहादुर ने मुगुलो के प्रभुत्व के समय इस आशय से हिन्दुस्तान भेज दिया था कि वह समस्त राज्य में विघ्न डाले। वह लाहौर तक पहुँचवर बहुत बडे उपद्रव का कारण बना । जब जनत आशियानी आगरे लौट गये तो वह पुन अहमदाबाद पहुँचा विन्तु इसी बोच में उसे सुल्तान बहादुर की हत्या के समाचार प्राप्त हुए । वह मार्ग से शीघ्रातिशोघ्र इस आशय मे बन्दरदीव पहुँचा कि फिरगियो से सुल्तान बहादुर के खून का बदला ले। वह इस भेस में सुल्तान बहादुर को माता के समक्ष उपस्थित हुआ। वह काले वस्त्र धारण किये हुए था और उसको सेना के उच्च पदाधिकारी भी वाले वस्त्र पहिने हुए थे। सुल्तान बहादुर की माता ने तीन सौ सरोग मुहम्मद जमान मोर्जा हेतु भेजे और उसे उस नीले वस्त्र से निकाल कर विदा घर दिया। वह दीव को ओर रवाना हुआ। खजाना उसके पीछे-पीछे था । जब खजाना पहुँच गया तो उसने सब पर अधिकार कर लिया। उसका उद्देश्य यही था कि खजाना अधिकार में
१ सुल्तान बहादुर की मृत्यु के विवरण का अनुवाद नहीं किया गया ।
मुगुल कालीन भारत - हुमायं
वरले । यह प्रसिद्ध है वि सात सौ सोने से भरे हुए सन्दूक थे । उसने हब्शी तथा तु दासी को, जो खजाने को रक्षा हेतु नियुक्त थे, सबही को प्रोत्साहन दिया। मुगुल लोग उदाहरणार्थ गजन्फर बेग तथा अन्य लोग सब के सब मुहम्मद जमान मोर्जा की सेवा में उपस्थित हुए। उसके पास १०-१२ हजार उत्तम अश्वारोही एकत्र हो गय । खजाने की धन-सम्पत्ति सबवाबांट दी गई। क्योंकि वहु विलासप्रिय व्यक्ति था अत वन्दरदीव के आसपास भोगविलास में व्यस्त हो गया । नाना प्रकार के भोजन तथा पेय एकत्र किये जाते और वह उनसे लाभान्वित होता । उसके हृदय में आया कि गुजरात की सल्तनत पर अधिकार जमा ले। यदि वह उस अवसर से लाभ उठाकर शोघ्रातिशीघ्र अहमदाबाद चला जाता और राजधानी पर अधिकार जमा लेता तो गुजरात वे राज्य पर भी अधिकार जमा लेता किन्तु भग, अफीम, मंदिरा में ग्रस्त रहने के कारण उसने फिरगिया वो हजारी, लाखो तथा करोडा इस आशय से घूम में दे दिये कि वेत्रवार के दिन उसके नाम का सुखा पड़वाने को अनुमति दे । इतने अधिक जाने तथा सेना के बावजूद वह कोई भी सफलता ने प्राप्त वर सका। यदि वह ऐसी सेना को लेकर शोघ्रातिशोध अहमदाबाद चला जाता तो गुजरात वाले (३७) तैयार न हो सकते थे और सल्तनत उसे प्राप्त हो जाती विन्तु यह भाग्य की बात है जिसे भी प्राप्त हो जाय
जब ( गुजरात के) अमीरी को, जो अहमदाबाद में थे, यह समाचार प्राप्त हुए कि उसने बन्दरदीव में अपने नाम का खुबा पढवा दिया है और खजाने तथा सेना पर अधिकार जमा लिया है तो उन्होंने निश्चय किया वि जन वह अहमदावाद की आर रवाना हो तो वे नगर को खाली वर दे और प्रत्येक किसी न किमी दिशा को चला जाय एवं विश्वस्त लोग मुहम्मद जमान मोर्जा से भेंट करें। इसी बीच में एमादुलमुल्ल, जिसने प्रारम्भ में अस्करी भीर्जा से युद्ध किया था, दरवार में उपस्थित हुआ और इरितयार सा तथा अफजल वेग से, जो कि सुल्तान के प्रतिष्ठित वकील थे, कहा कि, "आप लोग राज्य का हित विस बात में समझते है ?" जब उसने उन लोगो के साहम मे क्मी देगी तो कहा कि, "आप लोग वकील है, मैं दास हूँ। जिस प्रकार में सुल्तान का दाम या उसी प्रकार आप लोगो का दाम बनने के लिए कटिवद्ध हूँ । इस दरिद्र मुगुल वे समक्ष सिर झुकाना एवं उसे सल्तनत प्रदान करना मर्यादा के विरुद्ध है। गुजरात के सुल्तानी के दासो में से मं जोवित हूँ। आप लोग मुहम्मद जमान मीर्जा के समक्ष, जा कि हमार पादशाह का सेवक था, अपने सिर भूमि पर रक्खें, यह वडी लज्जा की बात है।" इन लोगों ने उत्तर दिया कि, "मलिक् तू जानता है कि गुजरातियों को क्या दशा हो गई है ? उनमें कोई साहस नहीं रहा है। वे निरन्तर कष्टों का सामना करते रह है। हमारा सुल्तान शहीद हो गया है। खजाने मुहम्मद जमान वे हाथ में पहुँच चुके हूँ। अब क्या हो सकता है ? इतने गुजराती वहाँ से प्राप्त हो सकते हैं जो १०-१२ १०- १२ हजार मुगुलो का, जो कि मुफ्त के खजाने से समृद्ध हो गये है, मुचावला कर सकें ? " उमने उत्तर दिया "कि आप लोग साहस से काम ले । अहमदाबाद नगर में रहे। मुझे नियुक्त करके से पूर्ण अधिकार प्रदान कर दें और राज्य के उत्तराधिकारी की ओर से वकालत का खिलअत एव सरोपा मुझे प्रदान कर दे। मैं पादशाही कूरको अभिवादन करके प्रस्थान करूंगा। यदि मै मुहम्मद जमान मोर्जा बोदड न दे सकूँगा तो में अपने आप को गुजरात के वादशाही का नमकहराम समभूंगा । मुझे विश्वास है कि यदि में उससे युद्ध कर सका तो उसे बन्दी बना लाऊँगा। यदि वह गुजरात के बाहर चला गया तो विना युद्ध किये ही हमारा उद्देश्य पूरा हो जायेगा ।" इन वकीलो ने उसके
साहस एवं पौरुष को देखकर उसको यह शर्तें स्वीकार कर ली कि वह सेना को जो (३८) जागोर प्रदान करेगा वह मान्य होगी। उस समय उसके पास ९ अश्वारोही थे । यह नगर से निकलकर नदी के उस पार उस्मानपुर में ठहरा । जागीर प्रदान करने तथा लश्कर एक्त्र करने की घोषणा करने सेना एकत्र करने में व्यस्त हो गया। जो कोई तीन घोडे ले आता और चेहरे लिखवाता तो उसे एक लाख तन्के जागीर में दे दिये जाते। यहाँ तक कि एक मास में लगभग ४० हज़ार अश्वारा ही तैयार हो गये ।
मुहम्मद जमान मोर्खा का पलायन
जब एमादुलमुल्क ने अपनी सेना की सख्या ४० हजार से अधिक वर लो तो मुहम्मद जमान के विरुद्ध रवाना हुआ । उसका विचार था कि वह भी उसका मुकाबला करेगा। वह अपने स्थान से न हिला । एमादुलमुल्व का साहस और भी बढ़ गया । वह शोघ्रातिशीघ्र उनके विरुद्ध पहुँचा। गुहम्मद जमान ने खाईं खोद कर अरावा तैयार कर लिया। हुसामुद्दीन मोरक वल्द मीर खलीफा ने, जो वि मुहम्मद जमान मोर्चा का वकील तथा सिपहसालार था, निक्ल कर थोडा बहुत युद्ध किया किन्तु फिर पुन अरावे में प्रविष्ट हो गया। गुजरात की सेना ने अवरोध कर लिया। तीसरे दिन (३९) वे पक्तियाँ मुव्यवस्थित करके अरावी तथा खाई के विरुद्ध रवाना हुए। मुहम्मद जमान खजाना लेकर पोछे से बाह्र निवल गया । मोर हुसामुद्दीन मीरक गुजरात की सेना के साथ युद्ध में व्यस्त था और मुहम्मद जमान कुशलतापूर्वक निकल कर सिंध की ओर रवाना हो गया। एमादुलमुल्क ने विजय प्राप्त कर ली । मोरव, मुहम्मद ज़मान के पास पहुँच गया।
मुहम्मद ज़मान कुछ समय तक सिंघ में रहा । अन्ततोगत्वा वह जन्नत आशयको सेवा मे पहुँचा और निष्ठावान् सेवका में सम्मिलित हो गया। वह शेरशाह से युद्ध के समय मारा गया । कुछ लोगो का मत है कि वह नदी में डूब गया किन्तु कुछ लोगों का मत है कि उसकी युद्ध में हत्या हो गई।KANPUR:
यूपी बोर्ड का मूल्यांकन सिस्टम पहले ही दिन 'धड़ाम' हो गया। सिटी के सभी मूल्यांकन सेंटर्स पर एक भी कॉपी चेक नहीं की गई। हालांकि मूल्यांकन केंद्रों पर टीचर्स आए और अलग से बनाए गए एक रजिस्टर पर साइन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चलते बने। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुरू जी ने कॉपी नहीं चेक की तो फिर साइन करने के क्या मायने हैं? सरयू नारायण बाल विद्यालय में क्0 डीएचई (डिप्टी हेड एग्जामनर) और क्9फ् परीक्षकों ने आज मूल्यांकन का काम संभाला। मूल्यांकन केंद्र के पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट डीआईओएस और बोर्ड को भेजी है, उसमें मूल्यांकन का काम पूरी तरह से ठप दिखाया गया है। शिक्षक नेताओं ने मूल्यांकन केंद्रों पर जाकर कॉपी न चेक करने की मुनादी पीटी। शिक्षक संघ की डिमांड है कि पुराना बकाया दिया जाए और साथ ही साथ सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर कॉपी चेक करने का भुगतान किया जाए।
जीआईसी चुन्नीगंज के मूल्यांकन प्रभारी आर पी राजपूत ने बताया कि आज किसी भी डीएचई या परीक्षक ने काम नहीं किया। कोठार डीएचई का वेट करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। जो परीक्षक आए उन्होंने अलग से रजिस्टर बनाकर उसमें साइन किए और चलते बने। आखिरकार इस रजिस्टर का क्या वजूद है। क्योंकि जब तक डीएचई अटेंडेंस वेरीफाई नहीं करेगा, तब तक कौन मानेगा कि आपने काम काज संभाल लिया। हकीकत यह है कि सभी परीक्षक कॉलेज से रिलीव हो चुके हैं, लेकिन सोमवार की उपस्थिति कहां दिखाई जाएगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन टीचर्स की एक दिन की अटेंडेंस का क्या होगा।
जीआईसी प्रिंसिपल आर पी राजपूत ने बताया कि जीआईसी से बोर्ड की कापियां दूसरे जिलों में भेजने के लिए डीआईओएस ने प्रवीन कुमार और संजीव कक्कड़ की ड्यूटी लगाई। इन टीचर्स को आदेश रिसीव करा दिया गया, ख्8 मार्च की शाम 8 बजे से लेकर रात क् बजे तक इनका इंतजार किया गया, लेकिन यह टीचर्स नहीं आए। लेट नाइट दूसरी व्यवस्था करके कापियां भेजी गईं। इन टीचर्स को कोठार और पत्राचारी मूल्यांकन केंद्र में बनाया गया। जिसके आदेश प्राप्त कर लिए, लेकिन उन्होंने भी काम नहीं संभाला। इसकी जानकारी डीआईओएस को दे दी गई है।
सरयू नारायण बाल विद्यालय इंटर कॉलेज आजाद नगर के मू्ल्यांकन इंचार्ज हरिश्चन्द्र दीक्षित ने बताया कि मेरठ मंडल से एक बंडल अरबी का आया है, जिसका परीक्षक भी बोर्ड ने नियुक्ति नहीं किया है। हालांकि इस बंडल में सिर्फ एक कॉपी आई है। जिसको लेकर परेशानी बढ़ गई है। इस सेंटर में ख्भ् जिलों की 7ख् कापियां कश्मीरी भाषा की आई हैं। इसके अलावा क्8 जिलों की ख्भ् कापियां तमिल भाषा की आई हैं। इन कापियों का मूल्यांकन भी बड़ी समस्या है। सोमवार को कॉलेज में क्0 डीएचई और क्9फ् परीक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
बोर्ड मूल्यांकन में फर्स्ट टाइम जीआईसी के प्रिंसिपल ऑब्जर्वर बनाए गए हैं। सरयू नारायण बाल विद्यालय में मनीषा सिंह, जीआईसी चुन्नीगंज में तिलक सिंह राजपूत, भारती विद्यालय में गौतम प्रसाद, हरजेन्दर नगर इंटर कॉलेज में किरन सचान को मूल्यांकन का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इन सभी पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट डीआईओएस को दी है, उसमें साफ लिखा है कि एक भी कॉपी पूरे दिन में नहीं चेक की गई।
'पूरे स्टेट में सोमवार को मूल्यांकन नहीं हुआ है। हायर ऑफिसर को इसकी जानकारी नहीं है। परीक्षा से संबंधित जो पेमेंट नहीं हुए हैं उसकी वजह से सभी शिक्षक संघ ने मूल्यांकन का बहिष्कार किया है। डायरेक्टर से बात की जा रही है। रात तक कुछ न कुछ हल निकल आएगा. '
अबरपति व्यापारियों को महीने में लाखों-करोड़ों रुपए की सैलरी लेने वाले लोगों के रूप में जाना जाता है। हालांकि शायद आप यह जानकर चौंक जाएं की एक भारतीय अरबपति व्यापारी ऐसा भी जो वित्त वर्ष 2019 में महज एक रुपए अपनी सैलरी के रूप में घर लेकर गया। वो है सन फार्मास्युटिकल के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप शांघवी, जिन्होंने 2018-19 के दौरान अपने मेहनताने में 99 फीसदी की कटौती की। उन्होंने अपने अधिकांश वेतन को त्यागने का फैसला लिया और सैलरी के रूप में महज एक रुपए घर लेकर गए।
यहां नोट करने वाली है कि जब दवाई बनाने वाली कंपनी ने 27 फीसदी की शुद्ध मुनाफा कमाया, तब उन्होंने अपने वेतन में कटौती की, जबकि वित्त वर्ष 2018 में सांघवी की सैलरी 3 करोड़ रुपए घोषित की गई थी। फोर्ब्स के मुताबिक सांघवी और उनके परिवार कुल संपत्ति 10 मार्च, 2018 तक 12. 6 अरब डॉलर आंकी गई। सांघवी के बहनोई सुधीर वालिया ने भी इस दौरान महज एक रुपए का मेहनताना लिया।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि 31 मार्च, 2019 तक समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में सांघवी ने 2. 62 लाख रुपए की अतिरिक्त सेवाएं लीं। रिपोर्ट के मुताबिक सन फार्मा में उनके शेयर (9. 6 फीसदी) थे जिनकी कीमत 31 मार्च, 2018 और 31 मार्च, 2019 के बीच क्रमशः 11,411-11,039 करोड़ रुपए के बीच रही। 31 जुलाई को जब कंपनी में उनकी हिस्सेदारी का आंकलन किया गया तो यह 9,830 करोड़ रुपए बैठी।
यहां ध्यान देने की बात है कि सन फार्मा दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और भारत की सबसे अग्रणी कंपनी है जो जैनरिक दवाईंया बनाती है। वित्त वर्ष 2018 में कंपनी ने 3. 6 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त किया। सांघवी ने सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री शुरू करने के लिए 1983 में अपने पिता से महज 200 डॉलर उधार लिए और देखते ही देखते इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया। कंपनी 150 देशों में अपने उत्पाद सप्लाई करती है और इसके 50,000 के करीब कर्मचारी है। हाल के सालों में सांघवी ने निजी तौर नवीकरणीय ऊर्जा, तेल और तेल के कारोबार में निवेश किया।
उल्लेखनीय है कि शायद बहुत से लोगों को यह बात ना मालूम हो कि सांघवी अमीरी में साल 2015 में भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी से भी आगे निकल गए थे। उस वक्त सन फार्मा की संपत्ति उस वक्त 19 अरब डॉलर थी। हालांकि पिछले कुछ सालों में सन फार्मा वैल्यूएशन में गिरावट के कारण शांघवी को अपनी संपत्ति में 60 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ।
सन फार्मा की मार्केट में साल 2015-18 के बीच चालीस फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई क्योंकि अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कंपनी के हलोल प्लांट में उत्पादन में खामियों के चलते चेतावनी जारी की। फोर्ब्स के मुताबिक कंपनी साल 2016 में 16. 7 अरब डॉलर की संपत्ति थी जो 2019 में घटकर 7. 6 अरब डॉलर हो गई।
इन चारों अवस्थाओं में द्रव्यों के परिणाम में उत्पन्न विषयों का, अर्थात् पर्यायों वा ज्ञान नहीं होता, किन्तु 'केवल' ज्ञान का गभी द्रव्य तथा उनके पर्याय विषय हूँ । मति तथा श्रुत के द्वारा ' तथा 'अपी' सभी द्रव्य जाने जा सकते है, किन्तु 'मी' उनके सभी पर्यायों का ज्ञान नहीं हो सकता।'
२ --- परोक्ष प्रमाण
जैनों के मत में दूसरा प्रमाण है - 'परोक्ष' । 'हेतु' के द्वारा 'साध्यं' वस्तु के ज्ञान को 'परोक्ष' तथा उस ज्ञान की प्रक्रिया को 'अनुमान' कहते है । 'स्वायं' तया 'परार्थ' के भेद से 'अनुमान' दो प्रकार का है। अनेक दृष्टान्तों अनुमान प्रमाण को देख कर अपने मन में अपने को समभाने के लिए किये गये अनुमान को 'स्वार्थानुमान' कहते हैं। जैसे, अनेक स्थानों में घूम को वह्नि के साथ अनेक वार देख कर देखने वाला मन में निश्चय करता है कि-'जहाँ जहाँ धूम है वहाँ आग है' । इमी नियत रूप में हेतु और आग इन दोनों के एक साथ रहने को 'व्याप्ति' कहते है। बाद को कही जाते हुए एक पर्वत में घूम को देखकर उसे पूर्व में 'व्याप्ति' के द्वारा निश्चित धूम तथा वह्नि के सम्बन्ध का स्मरण होता है और पुनः उस व्याप्ति- विशिष्ट धूम को पर्वत में देखकर वह निर्णय करता है कि पर्वत में वह्नि है । यही 'स्वार्यानुमान' है । इस प्रक्रिया में 'पर्वत' 'पक्ष' है । पर्वत में रहने वाला धूम 'पक्षधर्म' है। धूमत्व से विशिष्ट धूम का पर्वत-रूपी पक्ष में रहना 'पक्षधर्मता' कहा जाता है। इस प्रकार अनुमान में 'व्याप्ति' और 'पक्षधर्मता' ये दोनों आवश्यक है ।
पञ्चावयय परार्थानुमान - जब यही बात दूसरों को समझाने के लिए लायी जाती है तो उसे 'परार्यानुमान' कहते हैं। इसमें जिन पाँच वाक्यों के द्वारा निर्णय किया जाता है, उन वाक्यों को अनुमान के 'अवयव' कहते हैं। जैसे---
( १ ) प्रतिज्ञा-पर्वत में वह्नि है,
(२) हेतु क्योकि ( पर्वत में) धूम है,
(३) दृष्टान्त - जहाँ घूम है वहां वह्नि है (व्याप्ति), जैसे-रमोई घर में, (४) उपनय - जो धूम बिना वह्नि के नहीं रहता, वह ( अर्थात् व्याप्तिविशिष्ट घूम) पर्वत में है,
१ तत्त्वार्थसूत्र, १-२७-३० ।देश में कोरोना टीकाकरण (वैक्सीनेशन) अभियान की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि, वैक्सीन को लेकर अभी लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. दिल्ली में वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत धीमी रही, जिसे लेकर 'आजतक' ने कुछ हेल्थकेयर वर्कर्स से बातचीत की. जिसमें सामने आया कि वैक्सीनेशन ड्राइव की धीमी शुरुआत की एक वज़ह हेल्थकेयर वर्कर्स के मन में वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवाल और डर है. कुछ को पिछले दिनों वैक्सीन लगवाने के लिए बुलाया गया लेकिन वो वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते.
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के एडमिन विभाग में काम करने वाले हेल्थकेयर वर्कर नाहीद अशर को वैक्सीन लगवाने के लिए को-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म में रजिस्ट्रेशन के मुताबिक कॉल आया था. लेकिन नाहीद ने वैक्सीन नहीं लगवाने के फैसला किया. नाहीद ने वैक्सीन न लगवाने की वजह बताते हुए कहा कि वो वैक्सीनेशन ड्राइव से पहले वैक्सीन लगवाने को तैयार थे, लेकिन अलग-अलग राज्यों से आई वैक्सीन की नेगेटिव ख़बरों की वजह से डर गए.
नाहीद ने कहा, "इस वैक्सीन के कहीं न कहीं साइड इफेक्ट होंगे, वो ज़रूरी नहीं की सभी को हो. अगर मेरे साथ कोई गड़बड़ी हो जाती है तो मेरे परिवार को दिक्कत झेलनी पड़ेगी. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद वैक्सीन तब लगवाऊंगा, जब वैक्सीन के अच्छे रिजल्ट आएंगे. "
वहीं, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की हेल्थकेयर वर्कर मोना का कहना है कि वैक्सीन लगवाने को लेकर उनके मन में कई सवाल हैं. मोना ने कहा, "मैंने काफी लोगों से सुना है कि जिन्हें इंफेक्शन या चोट है वो वैक्सीन न लगवाएं. मेरा सवाल यही है कि अगर किसी की बॉडी में स्पाइन इंजरी है तो क्या ऐसी बॉडी वैक्सीन के लिए सेफ है? मुझे इस बात का बहुत डर था कि भविष्य में मेरी बॉडी में किसी तरह का इंफेक्शन तो नहीं पनप जाएगा. " हालांकि हेल्थकेयर वर्कर मोना का मानना है कि कॉउंसलिंग से मिले जवाबो के बाद वो वैक्सीन लगवाएंगी.
उधर, हेल्थकेयर वर्कर्स की लिस्ट में शामिल 25 साल के युवा सुशांत कुमार को भी वैक्सीन को लेकर काफी शंकाए हैं. सुशांत ने कहा, "वैक्सीन को लेकर मन में डर है कि कहीं साइड इफेक्ट न हो जाये. वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, लेकिन इसके बारे में सोच रहे हैं क्योंकि वैक्सीन को लेकर मन में डर है. मन में सवाल है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भविष्य में कोई दिक्कत तो नहीं होगी. "
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में वैक्सीन लगवाने के लिए रजिस्टर हो चुके विनय प्रकाश कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. विनय प्रकाश ने मन में उमड़ रहे सवालों के बारे बताते हुए कहा, "सरकार का लिखित में कंसेंट देना चाहिए कि वैक्सीन 100% सेफ है. जबकि वैक्सीन लगवाने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स कंसेंट दे रहे हैं कि हम वैक्सीन अपनी मर्जी से लगवा रहे हैं. ऐसा करने से वैक्सीन लगवाने वालों का मनोबल बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेशन लगवाएंगे. लोगों में डर है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग मर सकते हैं. ऐसे में सरकार को वैक्सीन के सेफ होने का कंसेंट देना चाहिए. " हालांकि विनय प्रकाश का मानना है कि वैक्सीन देश हित के लिए लगवाना ज़रूरी है.
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की एक लैब में कार्यरत एक और हेल्थ केयर वर्कर गणेशदत्त जोशी को वैक्सीन लगवाने को लेकर एक अलग तरह की शंका है. जोशी का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी खास ड्रग से एलर्जी होती है तो ऐसी स्थिति में सरकार को एक ऐसी लिस्ट जारी करना चाहिए. लिस्ट में किसी भी ड्रग से एलर्जी वालों को वैक्सीन नहीं लगवानी है या फिर वैक्सीनेशन साइट पर वैक्सीन लगवाने से पहले एक डॉक्टर का काउंटर होना चाहिए, जहां अपने सवाल पूछ सकें. दरअसल, मैं वैक्सीन लगवाने गया था लेकिन वहां जब मैंने बताया कि मुझे पेरासिटामोल से एलर्जी है तो डॉक्टर को पता ही नहीं था कि मुझे वैक्सीन लगाना चाहिए या नहीं, इसलिए मैंने वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया.
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के ही असिस्टेंट परचेस ऑफिसर विपिन कुमार ने वैक्सीन के सेफ्टी डेटा को लेकर अपनी शंका ज़ाहिर की है. विपिन ने कहा, "मीडिया रिपोर्ट्स में वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में बताया जा रहा है कि लोगों को उल्टी हो रही है या फीवर आ रहा है. कोरोना की वजह से लोगों की इम्युनिटी पहले ही डाउन है, तो मन में सवाल है कि क्या वैक्सीन लगवाना सेफ है? वैक्सीन लगने के बाद मौत की अफवाहों से ज्यादा डर बढ़ गया है. हालांकि, वैक्सीन कोरोना से बचाव के लिए ही है लेकिन सेफ्टी डेटा जनता के बीच नहीं रखा जा रहा है कि वैक्सीन 100% सेफ है.
निजी संवाददाता-नारकंडा-जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सोमवार को सीजन का पहला हिमपात होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। कई दशकों बाद नवंबर माह में दीपावली पर्व के दौरान बर्फबारी होने से जहां किसान बागबान खुश हंै। वहीं पर इतनी जल्द बर्फ गिरने से हैरान भी है। सोमवार सुबह स्नो सिटी नारकंडा बर्फ की सफेद चादर में लिपटी नजर आई। नारकंडा की हाटु पीक और मतियाना की कमलोड़ी पीक पर लगभग आधा फुट बर्फ और नारकंडा मतियाना में एनएच पांच पर दो ईंच बर्फ दर्ज की गई। मौसम के बदले मिजाज से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। निचले इलाकों में जहां बारिश हुई, वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीजन का पहला हिमपात हुआ है।
मौसम के बदले मिजाज ने लोगो को गर्म कपडे़ पहनने पर मजबूर कर लिया है। नारकंडा में समय रहते हिमपात होने से स्की स्लोप धोमड़ी में भी इस बार जल्द ही स्कींग शुरू होने की आस है। पर्यटक नगरी नारकंडा में पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ने वाली है। नारकंडा में इस सर्दी का यह पहला हिमपात है। हालांकि इस हिमपात से यातायात पर कोई असर नही पड़ा है। वहीं नंवबर माह में हुइ बारिश और बर्फबारी से क्षेत्र के बागबान और किसान गदगद हुए हैं। कई माह से बारिश न होने से बागबान निराश थे। मौसम न बरसने से सेब के पौधों में कैकर रोग का भी खतरा पैदा हो रहा था। वहीं बगीचों में भी सूखे के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा था, ऐसे में यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो लंबे समय से खुश्क पड़ी धरा पर हुइ बारिश और बर्फबारी संजीवनी का काम करेगी और आने वाली सर्दियों के लिए भी अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है।
लखीमपुर खीरी घटना के वायरल हो रहे वीडियो को लेकर पत्रकार अभिसार शर्मा और अमीश देवगन भी एक दूसरे को जवाब देते नजर आए।
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा और चार किसान सहित 8 लोगों की मौत की घटना सुर्खियों में हैं। अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्ष इस पूरे मामले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में है। सरकार पर दोषियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी पक्ष-विपक्ष को लेकर कई बातें कही जा रही हैं।
इस बीच मंगलवार को एक वीडियो सामने आया, जिसे लखीमपुर खीरी घटना का बताया जा रहा है। कांग्रेस समेत कई और विपक्षी पार्टियों और नेताओं ने इस वीडियो को ट्वीट किया है और सरकार से कार्रवाई की मांग की जा रही है।
इस वीडियो में दो एसयूवी कार लोगों को कुचलते हुए आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि आशीष मिश्रा के लोगों की थी जो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लाने के लिए जा रही थीं। इस मामले में सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
इस पूरे वीडियो पर सोशल मीडिया में खूब गहमागहमी रही। इस बीच टीवी पत्रकार रहे अभिसार शर्मा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'हिम्मत दिखाओ अमीश। ये वीडियो अपने चैनल पर दिखाओ। सिर्फ एक बार। '
इस पर नेटवर्क -18 से जुड़े अमीश देवगन ने लिखा, 'इस में हिम्मत की नहीं पत्रकारिता की धर्म की ज़रूरत है जो तुम्हारे agenda में फ़िट नहीं है। हर वीडियो चल रहा। '
गौरतलब है कि पूरा मामला रविवार का है जब यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लखीमपुर खीरी में रविवार को एक कार्यक्रम में आना था। किसान यहां कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने डिप्टी सीएम के दौरे का भी विरोध किया। इसी दौरान अशीष मिश्रा और उसके समर्थकों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ियां चढ़ा दीं।
घटना तिकोनिया कोतवाली क्षेत्र के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई। बनबीरपुर खीरी से सांसद अजय कुमार मिश्रा का पैतृक गांव भी है। गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना के बाद गुस्साए किसानों ने दो एसयूवी गाड़ियों में आग लगा दी। इस पूरे मामले में अब तक कुल 8 लोगों के मारे जाने की खबर है। इसमें चार किसान भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस घटना की जांच कराई जाएगी। इसके अलावा, राज्य सरकार ने घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में 45-45 लाख रुपये की भी घोषणा की।
दक्षिणी फ्रेंच शहर के एविग्नन इलाके में विस्फोट के दौरान 8 लोग घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि घटना मस्जिद से सामने हुई है। सूत्रो के मुताबिक इस घटना को आतंकवादी हमले की साजिश बताई जा रही है। इस घटना के बाद 2 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया।
इस घटना की पहली जानकारी ला प्रोवेन्स नामक अखबार ने दी। बताया जा रहा है कि घटना 10 बजकर 30 मिनट पर हुई। सूत्रों के मुताबिक हमले के वक्त हमलावर मुंह को ढंके हुए थे।
बता दें कि हाल ही में पेरिस के क्षेत्र करेटील में एक व्यक्ति ने मस्जिद के पास भीड़ पर वाहन चढ़ाने की कोशिश की और एक व्यक्ति को कुचल कर घायल कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और कार कब्जे में ले ली थी। इसके बाद यह हमला किया गया है।
यूपी के हमीरपुर में एक अनाेखा मामला सामने अाया है। यहां एक युवक ने काम धंधा ना मिलने पर अवैध असलहा बनाने के कारखाना डाल दिया। इसके बाद वह उनकी सप्लाई भी करने लगा। इसके बाद जाे कुछ भी हुअा वाे फिल्मी सीन सा था।
हमीरपुर में रविवार को ललपुरा पुलिस ने स्वासा मोड़ के निकट देवी मंदिर के पास छापामार कर असलहा बनाने के अवैध कारखाने का भंडाफोड़ किया है। मौके से भारी मात्रा में अवैध असलहे और उपकरण बरामद किए गए हैं। फैक्ट्री संचालक को गिरफ्तार कर लिया है।
अपर पुलिस अधीक्षक एलएस यादव ने रविवार को बताया कि ललपुरा थाने के इंस्पेक्टर राजीव कुमार मिश्रा की संयुक्त टीम ने मुखबिर की सूचना पर स्वासा मोड़ के पास शेरा माता मंदिर के पीछे छापामारी की तो अवैध असलहे की फैक्ट्री चलाते वीर सिंह पुत्र किशोरी खंगार निवासी नहदौरा को दबोच लिया गया। मौके से 315 बोर की दो देशी राइफल, 315 बोर के तीन तमंचे, अधबना तमंचा व भारी मात्रा में देशी तमंचा तथा राइफल बनाने के उपकरण बरामद किए गए हैं।