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बाजार खुला छोड़ने की वस्तु नहीं है नियंत्रण की वस्तु है।
मुझे पुराने सेनापतियों के साथ
मुरली देवडा ने कहा, ‘हम कल वाि मी के साथ बठक करेंगे आर इस पर विचार करेंगे कि घाटे की भरपाइ कसे की जाए।
परन्तु हम जैसे ही तंतु प्रकाशिकी के बारे में थोड़ी गहराई से दिलचस्पी लेते हैं तो ‘
केवल रेल का सफर था और वह भी पचास मील का।
सभी रचनाएं अच्छी लगीं।
लोक सेवा गांरटी अधिनियम शासन की बेहद महत्वपूर्ण योजना है।
मुस्कुराकर बोले : ‘‘ इसी में तो मजा है।
किसी देश में किसी टेक्नालॉजी के खिलाफ आंदोलन करने से कुछ दूसरी कारोबारी ताकतों का भला अगर होता है तो वे दूसरी ताकतें इसके लिए किसी गैरसरकारी संगठन के मार्फत कुछ पैसा क्यों नहीं भेज सकतीं ?
बीज प्रेम अरु नेह का, निरहंकारी बोय।
जब तक दूर दूर तक दूसरा समूह नहीं हो तब तक समूह के लोग आजादी का जीवन महसूस करते रहे होंगे।
न किसी अस् पताल में भर्ती
बखिया उधेड़ देती है
इस पोस्ट के मर्म पर सबसे पहले हमने ही आचरण करना शुरू कर दिया है .
वह मानव के दुःखों और अपमानों को सहकर अन्धता और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर
हिमांशु जी … नमस्कार आपसे इतनी ज़ल्दी उम्मीद नहीं थी की आप इतना पेचीदा गणित समझ जायेंगे … अब आप मेरे कमेन्ट को लौटाने की बाबत ही सोचना फ़िलहाल … .
इस रंग का एक अन्य लाभ यह है कि यह घंटे और पूरी तरह से गैर दहनशील भीतर बिना गंध है, कोई बात नहीं क्या तापमान.
कब मुझको ठुकराओगे तुम
साखी के अंक में उनकी पाँच कविताओं का संकलन स्वागत योग्य है| जब मैंने पहली कविता पढ़ना प्रारम्भ किया तो लगा कि अपने ही गाँव में बैठा हूँ, आस पड़ोस की कहानी सुन देख रहा हूँ, अपनी माता को मुझे विदा करते हुए और अंचरा के कोर से आँखें पोंछते देख रहा हूँ| गाँव से शहर की ओर पलायन करते लोगों के साथ परिवार मनोविज्ञान का जीवंत चित्रण देखने को मिलता है| बाद की दोनों कविताओं में अम्मा की व्यथा और बंटवारे का दुःख मन को झकझोर गया किन्तु साथ ही लगा कि तीनों कविताओं की पृष्ठभूमि और परिवेश एक से हैं और व्यथा भी| जौहर जी की रचनाओं में इतनी विविधता है कि उनकी पाँच रचनाएँ पाँच रंगों की रंगोली प्रस्तुत कर सकती हैं| हमारे नपुंसक दौर के वर्णन में जिस ओज का परिचय जौहर जी ने दिया है, वह उनके ही नहीं इस दौर की हर संवेदनशील मन की सोच है| इस कविता में जिन शब्दों का चयन किया गया है वे शब्द उस आक्रोश को व्यक्त करने में सफल रहे हैं.
यदि वेतन आयोग की रिपोर्ट को देखा जाए तो सेना के जवानों को भत्ता ज्यादा मिलता है और बीएसएफ के जवानों को कम।
एक विशेष अभियान के तहत जब एक मेल स्ट्रिपर से बात की तो काफी दिलचस्प बात सामने आयीं हैं , एक मेल स्ट्रिपर को एक बार में 10,000 से 30,000 मिलता है .
मैं इनके सुझाव से सहमत हूँ .
उनकी आत्मकथा में इस मानसिकता के कई मर्मस्पर्शी आख्यान हैं .
ऐसा नहीं है कि पहले यह गीत नहीं देखा था .
लेकिन जब दूसरा कमेंट देखा , तो मुझसे नहीं रहा गया।
इससे ज्यादा क्या कहूं।
दिल ओर दिमाग की वही बरसो पुरानी लड़ाई !!! उस मोड़ पर संभलना मुश्किल है .....
यह प्राय: आम घरों में उपलब्ध एसी वोल्टेज से चलता है और अलग-अलग उपकरणों की आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग वोल्टेज एवं धारा प्रदान करते हैं।
हिचकी का कारण होता है अचानक डायफ्राम में ऐंठन आना।
ब्राजील में भी गरीब मां-बाप अपना कर्ज चुकाने के लिये बच्चों को बेच देते हैं।
राजीव नयन बहुगुणा
55 वर्षीय रड ने बुधवार को नेतृत्व को लेकर हुए चुनाव में नाटकीय तरीके से वापसी की जिसमें देश की पहली महिला प्रधानमंत्री गिलार्ड बंद कमरे में हुए मतदान में अपदस्थ कर दी गई और उन्होंने राजनीति सन्यास लेने की घोषणा की।
पहले आंटी - टेढी भाषा में तो अब सीधे संबोधित कर इक - दूजे को नसीहत - चेतावनी देने लगे हैं ।
संयुक्त राष्ट्र मिशन के एक प्रवक्ता जो कंट्रेरस के मुताबिक़ सफ़ेद सेना मचार के सीधे आदेशों को नहीं मान रही है.
मजे की बात है कि अब दूसरी पार्टी भी जिसने बाद में एग्रीमेंट कराया वह भी बैनाम कराने में आना कानी कर रही है।
( Q.A. )
कोई न मिले तो दसबजकर दस मिनट वाला सटा लो।
बिज़नेस डेस्क एनएनआई पांच राज्यों में शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र इस बार आम बजट देर से पेश किए जाने की संभावना है।
कुछ विद्वानों का मत है कि चीनी विधिसंहिता हमुराबी से भी पूर्व की है।
उन्होंने आते ही पूछा कि आप लोग कौन हो और थाने में क्यों आए हो ?
एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को इससे बहुत फायदा मिल सकता है।
जितनी जल्दी खतम हो, अच्छा।
पाठ टेलीफोन संगतता (
डरो बाबा
खाने के लाले पड़ गए हैं।
vandana gupta December 18 , 2010
२८. १२. २००९
कुछ पुरानी बातें खुलने लगी और फिर एक के बाद एक पुरानी बाते खुलती गयी।