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---|---|---|---|
Bail Application_2008_202101-04-2021407 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र के समर्थन में प्रार्थी, अभियुक्त <नाम> <नाम> शर्माका शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है कि जिसमें यह वर्णित है कि अभियुक्तगण का यह प्रथमअग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र है, अन्य कोई अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र किसी अन्य न्यायालय यामाननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। ",
"अभियोजन कथानक सक्षेंप में इस प्रकार है कि वादी <नाम> <नाम> के द्वाराथाना खेरागढ <नाम> <नाम> तहरीर इस आशय की दी गईं कि-दिनांक 20.07.214 को समयकरीब 09.00 बजे वादी के मकान के सामने विपक्षी द्वारा करीब 50 मीटर की दूरी परसमरसेविल का वोरिंग <नाम> रहा था। वादी ने <नाम> किया कि यहयू <नाम> उसके हैंडपम्प कावोरिग हैं इसी बात से क्षुब्थ होकर विपक्षी राजवीर, गोकुल, <नाम> एक साथ वादी के घर परआ धमके, वादी के ऊपर गोकुल द्वारा लोहे की सरिया से प्रहार किया, लेकिन बीच में वादीके पिता <नाम> <नाम> उक्त सरिया को पकडा, सरिया छूट जाने <नाम> पुनः सरिया से प्रहारवादी के पिता रोशल <नाम> <नाम> ही <नाम> दिया। जिससे सिर फट गया। सिर में काफी घाव होगया। शोरगुल सुनकर मौहल्ले वाले आ गये। इतने में उक्त विपक्षी फरार हो गये। वादी नेअपने पिता को <नाम> हास्पीटल में भेज दिया। दौरान उपचार उनकी अस्पताल में मृत्यु होगई । ",
"उक्त तहरीर के आधार <नाम> अभियुक्तगण राजवीर, गोकुल व <नाम> के विरूद्धमु0अ0सं० 194 / 2014 धारा-304 भा०दं0सं० थाना खेरागढ <नाम> <नाम> मुकदमा पंजीकृतहुआ। विवेचना के उपरान्त अभियुक्त <नाम> उर्फ जनका के विरूद्ध <नाम> 304 भा०द0सं0 मेंआरोपपत्र प्रेषित किया गया। ",
"साक्ष्य आने <नाम> <नाम> 319 द0प्र0सं0 के अर्न्तगत दिनांक 12.02.2024 को Bail Application/3524/2021 -Rajveer Vs. UP State —2— अभियुक्तगण राजवीर, गोकुल व <नाम> को <नाम> उर्फ जनका के विचारण में तलबकिया गया। ",
"प्रार्थी / अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया हैकि अभियुक्तगण को झूठा फंसाया गया है, उन्होने कोई अपराध कारित नहीं किया है, वेनिर्दोष हैं। यह भी तर्क किया गया कि अभियुक्तगण के नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्जहुई। विवेचना में अभियुक्तगण के विरूद्ध साक्ष्य <नाम> पाते हुए आरोपपत्र प्रेषित नहीं कियागया। अभियुक्तगण के विरूद्ध किसी भी प्रकार का कोई साक्ष्य नहीं है। <नाम> ही अपराध मेंसंलिप्तता है। अभियुक्तगण द्वारा किसी प्रकार की चोट कारित नहीं की गई है। अभियुक्तगण को पुलिस गिरफ्तार करना चाहती है, वे अग्रिम जमानत देने को तैयार हैं। अतः: प्रार्थी / अभियुक्तगण द्वारा अग्रिम जमानत <नाम> मुक्त किये जाने की <नाम> की गई। ",
"विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने अग्रिम जमानतप्रार्थनापत्र का विरोध करते हुये कथन किया है कि अभियुक्तगण को इस मामले की पूर्णजानकारी है और न्यायालय में विचारण <नाम> आरोप पत्र दाखिल किया गया, तदोपरान्तसाक्ष्य आने <नाम> अभियुक्तगण को <नाम> 319 द0प्र0सं० के अर्न्तगत विचारण <नाम> तलबकिया गया है। अभियुक्तगण विचारण में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। अग्रिम जमानत काकोई आधार नहीं है। अतः अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र को निरस्त किये जाने की याचनाकी गई । "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थी / अभियुक्तगण के विद्धान अधिवक्ता व विद्धान सहायक जिलाशासकीय अधिवक्ता फौजदारी व वादी के विद्धान अधिवक्ता को सुना तथा उपलब्धप्रपत्रों का अवलोकन किया। ",
"पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के नाम प्रथम सूचनारिपोर्ट पंजीकृत कराई गई। विवेचना के उपरान्त अभियुक्त <नाम> उर्फ जनका केविरूद्ध <नाम> 304 भा०द0सं0 के अर्न्तगत आरोपपत्र प्रेषित किया गया। विचारण के दौरानसाक्ष्य <नाम> कराये जाने के पश्चात अभियोजन की ओर से <नाम> 319 द0प्र०स0 केअर्न्तगत प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किये जाने <नाम> प्रार्थी / अभियुक्तगण को विचारण <नाम> तलबकिया गया है। ",
"दं0प्रणससं) की <नाम> 438 में सत्र न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालयको अग्रिम जमानत प्रदान किए जाने की शक्तियों से सशक्त किया गया है, यदिप्रार्थी,/ अभियुक्त को यह <नाम> करने का <नाम> है कि अजमानतीय अपराध को कारितकरने के अपराध में उसे गिरफतार <नाम> लिया जायेगा और झूठे मामले में आलिप्त कियाजा रहा है। इन परिस्थितियों में प्रार्थी,/ अभियुक्त अग्रिम जमानत का आवेदन पत्र प्रस्तुतकर सकता है। अग्रिम जमानत आवेदन पत्र गिरफतार किए जाने की आशंका की <नाम> मेंप्रस्तुत किया जाता है। यह शक्ति असाधारण <नाम> की है और अपवादिक <नाम> में हीन्यायालय द्वारा प्रयुक्त किया <नाम> चाहिए। वर्तमान मामले में पुलिस प्रपत्रों व अन्यसामग्री के अवलोकन से यह स्पष्ट प्रकट हो रहा है कि प्रार्थी / अभियुक्तगण <नाम> धारा304 का अभियोग लगाया गया है। पत्रावली <नाम> उपलब्ध पुलिस प्रपत्र, साक्ष्य व अन्यसामग्री के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि अभियुक्त <नाम> उर्फ जनका को धारा304 भाएदं0सं० का प्रथम दृष्टया आरोप पाते हुए आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कियाहै। विचारण के दौरान साक्ष्य आने <नाम> प्रार्थी / अभियुक्तगण को <नाम> 319 द0प्रठ॑ंस0 केतहत दिनांक 12.02.2021 को न्यायालय द्वारा विचारण <नाम> तलब किया गया है इसकेबावजूद वह न्यायालय में नियमित <नाम> से उपस्थित <नाम> होकर उनके द्वारा यह अग्रिमजमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"प्रार्थी / अभियुकतगण मामले में नामजद है और वादी के पिता <नाम> सरिया Bail Application/3524/2021 -Rajveer Vs. UP State —3— से प्रहार किये जाने और उससे वादी के पिता का सिर फटने एवं दौरान उपचार उनकीमृत्यु होने का आरोप है। प्रार्थी / अभियुक्तगण विचारण में भी उपस्थित नहीं हो रहे हैं। प्रार्थी / अभियुक्तगण द्वारा किया गया अपराध गम्भीर <नाम> का है। प्रथम सूचना रिपोर्टके सम्यक परिशीलन से प्रकट होता है कि प्रार्थी / अभियुक्तगण के विरूद्ध वादी व उसकेपिता <नाम> सरिया से प्रहार करने एवं दौरान उपचार वादी के पिता की मृत्यु होने काअभियोग है। प्रथम दृष्टया यह समाधान होने का कोई आधार नहीं है कि रिपोर्टअसद्भावी <नाम> से दर्ज कराई गई हो। प्रथम सूचना रिपोर्ट से यह भी प्रकट नहीं होता हैकि प्रार्थी / अभियुक्तगण को केवल परेशान करने अथवा अपमानित करने के उद्देश्य सेसूचना दर्ज कराई गई हो। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_1081_202111-02-20212541 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस जमानत प्रार्थना पत्र के साथ आवेदक / अभियुक्त क द्वारास्वयं का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा <नाम> कुमारअवर अभियन्ता 33/11 के.वी.उपकन्द्र, जिला <नाम> द्वारा थाना जगदीशपुरा,आगरा <नाम> इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी कि - दिनांक13.05.2018,// 14.05.2018 की <नाम> के बीच टीम के अन्य सदस्यों के साथचैकिंग किये जाने <नाम> अभियुक्ता <नाम> सरोज को अवैध <नाम> से विद्युत काउपयोग <नाम> चोरी करते हुए पाया गया। इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कीगयी । ",
"्रार्थी/अभियुक्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क रख गया हैकि प्रार्थी/अभियुक्ता ने कोई अपराध नहीं किया है, उसे इस कस में झूंठाफॅसाया गया है। प््रार्थी/अभियुक्त के द्वारा विद्युत विभाग का शमनशुल्क / बकाया जमा <नाम> <नाम> गया है। प्रार्थी/ अभियुक्ता न्यायिक अभिरक्षा मेंहै। अत: जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाय। "
],
"judge-opinion": [
" (2)उभय पक्षों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्को को सुना तथापत्रावली का अवलोकन किया। ",
"विद्युत विभाग क विद्वान अधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि्रार्शी/ अभियुक्त के द्वारा शमन शुल्क जमा कराया जा चुका है, आपत्ति नहींहै। प्रार्थी / अभियुक्त की ओर से विद्युत विभाग की रसीद संख्या-ए772706 / 28 दिनांकित 01.06.2018 अंकन 4000/- रूपये दाखिल की गयीहै। इस संबंध में कार्यालय अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड, कमलानगर, जिला <नाम> के द्वारा थानाध्यक्ष जगदीशपुरा, जनपद <नाम> को एकपत्र इस आशय का प्रेषित किया गया है कि उपभोक्ता द्वारा अपना शमनशुल्क जमा <नाम> <नाम> है। अतः शमन के आधार <नाम> पंजीकृत अपराध कोसमाप्त करने का कष्ट करें। इस पत्र <नाम> विद्युत विभाग के विद्वानअधिवक्ता द्वारा सब्मिट का पृष्ठांकन किया गया है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_4316_201913-08-2019681 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमामत प्रार्थना पत्र प्रार्थी/अभियुक्त के <नाम> व पैरोकाररजनीकान्त के शपथ पत्र से समर्थित है । ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादिया मुकदमाकविता द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की दर्ज करायी गयीकि वह व उसकी बहन डौली, दोनों आज दिनाक 28.07.2019 को समयकरीब 03:00 बजे <नाम> पुष्पांजलि बाजार गए थे। एक लड़का तोताराम गो काहै, उसने उसे पीछे से बुरी नीयत से पकड़ लिया व उसकी बहन डौली ककपड़े फाड़ दिए व मारपीट की। शोच मचाने <नाम> वह भाग गया। उसकी उम्र22 वर्ष है तथा उसकी बहन की उम्र 20 वर्ष है। इस संबंध में प्राथमिकीअंकित की गयी। ",
"विद्वान अपर जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी श्रीसत्यप्रकाश धाकड द्वारा जमानत का विरोध करते हुए कथन किया गया किप्रार्थी / अभियुक्त द्वारा वादिनी व पीड़िता के साथ मारपीट, छेड़छाड़ की गयी है तथा पीड़िता के कपड़े फाड़े गए हैं। उपरोक्त आधघारों <नाम> जसानत प्रार्थनापत्र निरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थी / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> <नाम> सिंहकुशवाह एवं विद्वान अपर जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी श्रीसत्यप्रकाश धाकड़ को सुना गया तथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यकपरिशीलन किया गया। (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0कषेत्र)/अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 4316/2019रविकान्त उर्फ तोताराम बनाम राज्यप्रार्थी / अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोई अपराध नहींकिया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनाक 29.07.2019 से जिला कारागार मेंनिरूद्ध है। प्रार्थी व पीड़ितागढ़ एक ही जगह के रहने वाले हैं। प्रार्थी वादिनीके परिवार से कहा-सुनी हो गयी थी जिसके <नाम> वादिनी के परिवारीजनने देख लेने की धमकी दी थी। प्रार्थी दिनाक 28.07.2019 को नगला बूढी मेंपरिकमा देने वाले लोगों के लिए भण्डारे का इन्तजाम <नाम> रहा था। प्रार्थी नेकढ़ाई रास्ते में रख दी थी, उसी समय उक्त प्रकरण की वादिनी व पीड़िताका निकलना हुआ और कढ़ाई पीड़िता के पैर से लग गयी। इस बात परवादिनी व पीड़िता ने प्रार्थी के साथ मारपीट की और फोन करके पुलिस कोबुला लिया और इस प्रकरण में झूठा फंसा दिया। प्रकरण में कोई गवाहदर्शित नहीं किया गया है। प्रार्थी पूर्व सजा याफूता नहीं है। प्रार्थी का यहप्रथम जमानत प्र्रार्थना पत्र है, इसके अतिरिक्त अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्रअन्य किसी भी न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। उपरोक्त आधारों परप्रार्थी / अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> की गयी है। ",
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामलेमें घटना दिनाक 28.07.2019 की समय 15:00 बजे की है। प्रार्थी <नाम> वादियाव पीडिता के साथ मारपीट करने ततथा पीडिता के पकडे फाङने का आरोपहै । प्रार्थी को दिनाक 29.07.2019 को पुलिस पार्टी द्वारा मुखबिर की सूचनापर गिरफूतार किया गया है। सम्पूर्ण केस डायरी के अवलोकन से यह दर्शितनहीं होता है कि पीड़िता द्वारा तथाकथित फटे हुए कपड़े विवेचक को प्राप्तकराए गए हों। केस डायरी <नाम> उपलब्ध वादिया व पीडिता की चिकित्सीयपरीक्षण आख्या के अनुसार उनकें चिकित्सीय परीक्षण दिनाक 28.07.2019 कोकमशः 06:00 पी0एम0 व 06:15 पी0एम0 <नाम> किए गए हैं। उक्त चिकित्सीय (3)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दणप्र0क्षेत्र) /अपर सन्न न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-0३, आररा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 4316, 2019रविकान्त उर्फ तोताराम बनाम राज्यपरीक्षण आख्याओं के अनुसार वादिया व पीड़िता के शरीर <नाम> चोट का कोईनिशान नहीं पाया गया है। प्रार्थी लगभग 15 <नाम> से जिला कारागार मेंनिरूद्ध है। अभियोजन की ओर से प्रार्थी का कोई अपराधिक इतिहास प्रस्तुतनहीं किया गया है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_6636_201913-12-2019559 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी/ अभियुक्त के चाचा व पैरोकारसुन्दर के शपथ पत्र से समर्थित है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमाअरून <नाम> द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की दर्ज करायीगयी कि दिनाक 31.10.2019 को वह मय हमराहियान वाहन चैकिंग में मामूरथे कि उसी दौरान एक मोटरसाईंकिल <नाम> आते तीन व्यक्तियों को गिरफूतारकिया गया। नाम पता पूछते हुए जामा तलाशी ली गयी तो एक ने अपनानाम <नाम> बताया। जामा तलाशी में पहनी पैण्ट से एक अदद तमंचा, दोजिन्दा कारतूस, एक मोबाइल व 2200/~ रूपए नगद बरामद हुए । दूसरे नेअपना नाम सोनू बताया। इसकी जामा तलाशी में 1200/- रूपए व एकमोबाइल बरामद हुआ। तीसरे व्यक्ति ने अपना नाम <नाम> बताया। इसकीजामा तलाशी में एक मोबाइल व 200/- रूपए नगद बरामद हुए। इन तीनोंके कब्जे से एक मोटरसाईकिल बरामद हुई । अभियुक्तयण को जुर्म से अवगत्तकराते हुए हिरासत पुलिस में लिया गया। फर्द मौके <नाम> तैयार की गयी। (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेत्र) /अपर सनत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोई अपराध नहींकिया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनांक 01.11.2019 से जिला कारागार मेंनिरूद्ध है। प्रार्थी दिनाक 30.10.2018 को अपने खेत <नाम> <नाम> <नाम> रहा थातभी खेत के पास ही स्थित खेत <नाम> जो पुलिस का मुखबिर है, से पानीको लेकर कहा सुनी हो गयी। दिनाक 31.10.2019 को थाना डौकी कीपुलिस प्रार्थी को दोपहर 01:00 बजे घर से उठाकर ले गयी और इस केस मेंफंसा दिया। जो भी बरामदगी दिखायी गयी है, वह झूठी है। प्रथम सूचना रिपोर्ट विलम्ब से दर्ज करायी गयी है। <नाम> का कोई स्वतन्त्र <नाम> महींहै। प्रार्थी का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। अभियुक्त का यह प्रथमजमानत प्रार्थना पत्र है अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्र अन्य किसी न्यायालयअथवा माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित नहीं है। उपरोक्त आधारों परप्रार्थी / अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> की गयी है। विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> द्वारा जसानत का विरोधकरते हुए कथन किया गया कि अभियुक्त की गिरफूतारी के दौरान उससेअवैध <नाम> से एक तमंचा, दो जिन्दा कारतूस तथा लूट का <नाम> व मोटरसाईकिल बरामद की गयी है। उपरोक्त आघारों <नाम> जमानत प्रार्थना पत्रनिरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 6636/2019अशोक <नाम> बनाम राज्य्रार्थी/अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> एम0एस0कुशवाह एवं विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> को सुनागया तथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया। ",
"अभियोजन प्रपत्रं के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामले मेंघटना दिनाक 31.10.2019 की है। प्रार्थी <नाम> उसकी गिरफूतारी के दौरान उसके कब्जे एक तमंचा, दो जिन्दा कारतूस व एक मोटरसाईकिल अवैध रूपसे बरामद होने का आरोप लगाया गया है। प्रश्नगत मोटरसाईकिल को किसीअपराध से सम्बद्ध नहीं किया गया है। प्रार्थी लगभग डेढ़ माह से जिलाकारागार में निरूद्ध है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_1581_202030-07-2020735 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"समर्थन में सुलेमान का शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"अभियोजन कथानक संक्षेप में इस प्रकार हैं कि वादी मुकदमा आशूअली द्वारा दिनांक 14.07.2020 को थाना लोहमण्डी <नाम> इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्टदर्ज करायी गयी कि उसने अपना रिक्शा दिनांक 09.07.2020 को समय करीब 9.30 बजेशाम को अपने घर के बाहर खड़ा किया था, जब वह अगले <नाम> सुबह टूटा तो <नाम> किउसके ई-रिक्शा की बेटरी बोक्स के ताले हटे थे और उससे बैटरी गायब थी, उसने काफीखोजबीन की, किन्तु कहीं से कुछ पता नहीं चल सका। उसकी बैटरी रिक्शा की बैटरियाँकोई अज्ञात चोर चुरा <नाम> ले गया। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र/ शपथपत्र में कहा गया कि्रार्थी/अभियुक्त को उक्त मुकदमे में झूठा फंसाया गया है, प्रार्थी/ अभियुक्त से कोईनाजायज वस्तु बरामद नहीं है, पुलिस द्वारा फर्जी कार्यवाही दिखायी गयी है, <नाम> काकोई <नाम> नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त का पूर्व में कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। ्रार्थी/ अभियुक्त किसी न्यायालय से सजायाफ्ता नहीं है। प्रार्थी / अभियुक्त का जमानत्रार्थनापत्र अवर न्यायालय से निरस्त हो चुका है। प्रार्थी/अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा मेंनिरूद्ध है। इन्हीं आधारों <नाम> जमानत स्वीकार किये जाने की <नाम> की गयी। ",
"अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थनापत्र <नाम> कहा गया किअभियुक्त द्वारा कोई अपराध नहीं किया गया है, उसको इस मामले में पुलिस द्वारा झूठाफंसाया गया है। अभियुक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद नहीं है, प्रथम सूचना रिपोर्टविलम्ब से दर्ज करायी गयी है। पुलिस द्वारा अभियुक्त के पास से बैटरी की फर्जीबरामदगी दिखायी गयी है, बरामदगी का कोई स्वतन्त्र <नाम> नहीं है। इन्हीं आधारो <नाम> Bail Application/5239/2020 —-Suman ® Chachu Vs. UP State2जमानत दिये जाने की <नाम> की गयी। ",
"अभियोजन की ओर से विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारीद्वारा जमानत प्रार्थनापत्र का विरोध करते हुए कहा गया कि अभियुक्त द्वारा बैटरी चोरी कीगयी तथा उससे बैटरी बरामद हुई है। अपराध गम्भीर <नाम> का है। यह कहते हुएजमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता व विद्वान सहायक जिला शासकीयअधिवक्ता, फौजदारी को जमानत प्रार्थनापत्रों <नाम> सुना तथा प्रपत्रों का अवलोकन किया। ",
"प्रथम सूचना रिपोर्ट अज्ञात अभियुक्त के विरूद्ध दर्ज करायी गयी है। अभियुक्त को बैटरी बरामद होने के आधार <नाम> इस प्रकरण में शामिल किया गया है। अभियोजन द्वारा अभियुक्त से बैटरी की बरामदगी होना कहा गया है, बरामदगी का कोईस्वतन्त्र <नाम> नहीं दर्शाया गया है। अभियुक्त किसी बरामदगी से इंकार करता है और इसप्रकरण में झूठा फसाना <नाम> है। अभियुक्त दिनांक 16.07.2020 से न्यायिक अभिरक्षा मेंहै। थाने से प्रेषित रिपोर्ट में अभियुक्त का कोई पूर्व अपराधिक इतिहास नहीं दर्शाया गयाहै। मामला मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा विचारणीय है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_2533_202108-04-2021106 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"अभियोजन कथानक के अनुसार दिनांक 21.05.2019 को उप निरीक्षक मोहम्मद नदीम पुलिस दल के साथ, मुखबिर की सूचना <नाम> बसई खुर्द में टपलू ढाबे के कोने मेंबने घर <नाम> गये तो जाली के अन्दर झांककर <नाम> कि दो व्यक्ति बाल्टियों में कुछसफेद वस्तु डाल रहे थे तथा दो व्यक्ति अपमिञ्रित शराब को प्लास्टिक की पन्नियों मेंभर रहे थे। दो महिलायें पन्नी उठाकर खरीदने वाले को <नाम> रही थीं। पन्नी भरने वालाव्यक्ति ग्राहकों से पैसे लेकर अपने पास रखे थेले में डाल रहा था। कच्ची शराब कीतीव्र गन्ध आ रही थी। तब आवश्यक <नाम> प्रयोग <नाम> मौके <नाम> एक व्यक्ति तथा दोमहिलाओं को पकड़ लिया तथा <नाम> व्यक्ति छत के रास्ते से बिकी की गयी शराबके रूपये लेकर भाग गये। पकड़े गये व्यक्तियों से नाम पता पूछते हुए जामातलाशी ली गयी तो एक ने अपना नाम <नाम> <नाम> पुत्र स्व0 रमेशचन्द्र, बताया जिसके सामने रखीदो बाल्टियों में करीब 15-15 लीटर अपमिश्रित शराब बरामद की गयी। पकड़ी गयी Bail Application/4418/2021 -Pramod Kumar Vs. UP State 2दोनों महिलाओं ने अपने नाम सैगो पत्नी <नाम> तथा मनजीता पत्मी विनोदबताया,जिनकी जामातलाशी से कमश: 650 एवं 350 रूपये बरामद किये गये। भागे गयेव्यक्तियों के बारे में पूछा गया तो बताया <नाम> <नाम> द्वारा बताया गया कि उनमेंउसका <नाम> <नाम> पुत्र रमेशचन्द्र तथा दूसरा <नाम> <नाम> पुत्र रमेशचन्द्र एवं दोपड़ौसी <नाम> उफ बच्चा पुत्र <नाम> एवं <नाम> उफ॑ अमूल पुत्र <नाम> <नाम> थे। सब लोगमिलकर अपमिश्रित शराब बनाकर बेचते हैं। मौके <नाम> <नाम> को सर्व मुहर किया गयातथा फर्द बरामदगी तैयार की गयी । ",
"फर्द बरामदगी के आधार <नाम> थाना ताजगंज <नाम> <नाम> मु0अ०सं0 495/ 2019अर्न्तयत <नाम> 272,273 भा०द॑0सं० व 60 आबकारी अधिनियम अभियुक्तगण कृष्णकुमार, उफ <नाम> सैगो, मनजीता, <नाम> <नाम> <नाम> उर्फ बच्चा तथा <नाम> उर्फअमू के विरूद्ध अभियोग दर्ज किया गया। ",
"अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र में अभियुक्त द्वारा स्वयं को निर्दोष बताते हुए झूंठाफंसाये जाने का कथन किया गया है। यह कथन भी किया गया है कि अभियुक्तगरीब है तथा मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। मौहल्ले केलोगों की पार्टीबंदी एवं रंजिश के <नाम> पुलिस द्वारा झूठा फंसाया गया है। मौके परकच्ची शराब को खरीदते हुए अथवा बेचते हुए कोई व्यक्ति नहीं पाया गया है। घटनाका कोई चश्मदीद <नाम> नहीं है। सम्बन्धित थाना पुलिस झूठे मुकदमे लगाकर औरकेसों में फंसा सकती है तथा उसे गिरफूतार <नाम> सकती है। अतः अभियुक्त की ओरसे प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए थाना प्रभारी को आदेशितकरने की प्रार्थना की गयी है। "
],
"judge-opinion": [
"अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारीतथा अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा अभिलेखों का परिशीलन किया। ",
"अभियुक्त <नाम> <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित है। केस डायरी में विवेचकद्वारा संकलित साक्ष्य के अनुसार अभियुक्त <नाम> द्वारा अपने <नाम> <नाम> <नाम> उर्फकान्हा एवं <नाम> तथा पत्नी <नाम> सैगो आदि के साथ मिलकर घर में कच्चीअपमिश्रित शराब बनाकर विकय की जा रही थी तथा अभियुक्त <नाम> मौके से भागगया। प्रकरण में अपमिश्रित अवैध शराब एवं विकय से प्राप्त रूपये, अभियुक्त प्रमोदकुमार के घर से <नाम> अभियुक्तगण से बरामद हुए हैं। विवेचना के उपरान्त सहअभियुक्तगण <नाम> <नाम> उर्फ <नाम> सैगो, मंजीता एवं <नाम> उर्फ चड्डा केविरूद्ध <नाम> 272,273 भा.द.सः व 60 आबकारी अधिनियम के अन्तर्गत आरोप पत्र प्रेषितकिया जा चुका है तथा अभियुक्तगण <नाम> <नाम> एवं <नाम> उर्फ अमू के विरूद्धविवेचना प्रचलित है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_4673_201903-09-20194857 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी / अभियुक्त की पत्नी पेरौकार श्रीमतीअनु <नाम> के शपथ पत्र से समर्थित है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा उपनिरीक्षक <नाम> <नाम> द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की दर्जकरायी गयी कि दिनोक 25.07.2019 को वह मय हमराहियान थाना <नाम> मेंरोकथाम जुर्म जरायम आदि में मामूर थे कि उसी दौरान एक व्यक्ति को शकहोने <नाम> पकड़ा गया। पकड़े गए व्यक्ति ने बताया कि उसके पास हीरोइन हैतो उससे कहा गया कि आप अपनी तलाशी किसी राजपत्रित <नाम> यामजिस्ट्रेट के समक्ष चलकर <नाम> सकते हैं तो उसने पुलिस द्वारा ही जामातलाशी लिए जोन की सहमति व्यक्त की। पकड़े गए व्यक्ति से नाम पतापूछते हुए जामा तलाशी ली गयी तो उसने अपना नाम <नाम> <नाम> उफअक्कू <नाम> बताया तथा बताया कि उसकी जामा तलाशी से <नाम> पन्नी में38 पुडिया पीले रंग का पाउडर बरामद हुआ जिसे उसने हीरोइन बतायाजिसका कुल वजन 18 ग्राम 220 <नाम> ग्राम पाया गया। अभियुक्त को जुर्मसे अवयत कराते हुए हिरासत पुलिस में लिया गया। फर्द मौके <नाम> तैयार कीगयी । (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेन्न)/अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-०३, आगरा। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोई अपराध नहींकिया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनांक 26.07.2019 से जिला कारागार मेंनिरूद्ध है। प्रार्थी को दिनाक 25.07.2019 को <नाम> 11:00 बजे खाना खातेसमय उसके घर से उठाया गया है। प्रार्थी से कोई बरामदगी महीं है। बरादमगी का कोई स्वतन्त्र <नाम> दर्शित नहीं किया गया है। प्रार्थी का यहप्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है। अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्र अन्य किसीन्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। उपरोक्तआधारों <नाम> प्रार्थी / अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> कीगयी है। ",
"विद्वान अपर जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी श्रीसत्यप्रकाश धाकड़ द्वारा जमानत का विरोध करते हुए कथन किया गया किअभियुक्त को पुलिस पार्टी द्वारा गिरफूतार किया गय है तथा उसके कब्जे सेनाजायज <नाम> से हीरोइन पाउडर बरामद किया गया है। उपरोक्त आधारों परजमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 4673 2019ार्गव _ बनामअनुज <नाम> उर्फ अक्क भाराव बनाम राज्य्रार्थी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> सुब्रत <नाम> एवंविद्वान अपर जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी <नाम> सत्यप्रकाश धाकड कोसुना गया तथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया। ",
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामलेमें घटना दिनोक 26.07.2019 की समय 08:15 बजे की है। प्रार्थी परगिरफूतारी के दौरान उसके कब्जे से नाजायज <नाम> से हीरोइन पाउडरबरामद होने का आरोप लगाया गया है। केस डायरी के अनुसार प्रार्थी कोपुलिस पार्टी द्वारा दिनाक 26.07.2019 को गिरफ्तार किया <नाम> तथा उसकेकब्जे से 18 ग्राम 290 मिलीग्राम हीरोइन पाउडर बरामद किया <नाम> दर्शितकिया गया है। अभियोजन की ओर से उक्त तथाकथित हीरोइन पाउडर केसंबंध में किसी <नाम> विज्ञान प्रयोगशाला की कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयीहै । प्रार्थी लगभग 40 <नाम> से जिला कारागार में निरूद्ध है। (3)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0कषेत्र) /अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-३, आररा। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_2503_202025-09-20202431 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र के समर्थन में अभियुक्त के पैरोकार रविकान्त यादवपुत्र नेत्रपाल <नाम> जो कि प््रार्थी/अभियुक्त का सगा <नाम> है, ने शपथपत्र प्रस्तुतकिया है, जिसमें वर्णित है कि प्रार्थी/अभियुक्त को उपरोक्त मुकदमे में रंजिशवश झूंठाफंसाया गया है, जबकि प््रार्थी/अभियुक्त ने कोई अपराध नहीं किया है। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त का यह द्वितीय वारंट जमानत प्रार्थनापत्र है, इसके अलावा अन्य कोई जमानत प्रार्थनापत्र किसी न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायाल, इलाहाबाद मेंविचाराधीन नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त की दिनांक 16.05.2019 को तबीयत खराब होगयी थी, जिस <नाम> उसने अपने अधिवक्ता को सूचित <नाम> <नाम> था, परन्तु अन्यन्यायालय में व्यस्त होने के <नाम> प््रार्थी/अभियुक्त का हाजिरी माफी प्रार्थनापत्रप्रस्तुत करना भूल गये, जिस <नाम> माननीय न्यायालय ने प्रार्थी/ अभियुक्त के विरूद्धगैर जमानती वारंट दिनांक 16.05.2019 को जारी <नाम> दिये, फिर उसको अग्रिम Bail Application/7202/2020 -Ashok Vs. UP State 2तिथियों की जानकारी नहीं हो पायी, क्योंकि वह अपने घर के पालन-पोषण <नाम> कामकरने के लिए <नाम> जिले से बाहर चला गया था। फिर सम्पूर्ण <नाम> में कोविड-19महामारी से लॉकडाउन होने के <नाम> न्यायालय बंद हो जाने से वह अपने विरूद्धजारी गैर जमानती वारंट को निरस्त नहीं <नाम> पाया। लॉकडाउन समाप्त होने के बादजब न्यायालय खुली तब प्रार्थी/अभियुक्त ने स्वयं ही माननीय न्यायालय के समक्षदिनांक 21.07.2020 को आत्मसमर्पण किया, तब से प्रार्थी / अभियुक्त जिला कारागारआगरा में निरूद्ध है । प्रार्थी/अभियुक्त ने जानबूझकर कोई गलती नहीं की है तथागलतीवश उसके विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी हो गये है। प्रार्थी/ अभियुक्तमाननीय न्यायालय के समक्ष नियत तिथियों <नाम> उपस्थित होता रहेगा तथा गैर हाजिरनहीं होगा। अतः जमानत प्रार्थनापत्र स्वीकार किया जाये। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त <नाम> के विद्वान अधिवक्ता ने <नाम> प्रस्तुत किया हैकि प्रार्थी / अभियुक्त <नाम> इस मामले में पूर्व से माननीय न्यायालय के आदेशानुसारजमानत <नाम> था। प्रार्थी/अभियुक्त की दिनांक 16.05.2019 को तबीयत खराब हो गयीथी, जिसके बारे में उसने अपने अधिवक्ता को सूचित भी किया लेकिन विद्वानअधिवक्ता अन्य न्यायालय में व्यस्त होने के <नाम> प्रार्थी / अभियुक्त का हाजिरी माफी्रार्थनापत्र प्रस्तुत करना भूल गये, जिस <नाम> माननीय न्यायालय ने प्रार्थी / अभियुक्तके विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी <नाम> दिये। उसके <नाम> प्रार्थी/अभियुक्त को अग्रिमतिथियों की जानकारी नहीं हो पायी तथा वह अपने परिवार के पालन-पोषण <नाम> कामकरने के लिए <नाम> जिले से बाहर चला गया था, उसके पश्चात् सम्पूर्ण <नाम> मेंकोविड-19 महामारी से लॉकडाउन होने के <नाम> न्यायालय बंद हो गये, जिस कारणवह अपने विरूद्ध जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त नहीं <नाम> पाया। ्रार्थी/ अभियुक्त द्वारा न्यायालय में किये गये आत्म <नाम> के आधार <नाम> दिनांक21.07.2020 से जिला कारागार, <नाम> में निरूद्ध है। अतः उसे न्यायहित में जमानतपर <नाम> किया जाये। ",
"विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की ओर सेजमानत प्रार्थनापत्र का विरोध करते हुए यह <नाम> प्रस्तुत किया गया है किप्रार्थी / अभियुक्त इस मामले में जानबूझकर गैर हाजिर हुई है, जिस <नाम> उसकेविरूद्ध एन0बी0डब्ल्यू० की कार्यवाही प्रचालित थी। प्रार्थी/अभियुक्त की वजह से इसमामले में विचारण की कार्यवाही में देरी हुई है तथा प्रार्थी/ अभियुक्त द्वारा पूर्व मेंप्रदत्त की गयी जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। उसे पुन: जमानत पररिहा किये जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं है। अतः जमानत प्र्रार्थनापत्र निरस्तकिया जाये। "
],
"judge-opinion": [
" Bail Application/7202/2020 -Ashok Vs. UP State 3्रार्थी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं विद्वान सहायक जिलाशासकीय अधिवक्ता (फौ0) को जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> सुना तथा पत्रावली काअवलोकन किया। ",
"पत्रावली के अवलोकन से प्रकट होता है कि प्रार्थी/अभियुक्त अशोकइस मामले में पूर्व से माननीय न्यायालय के निर्देशानुसार जमानत <नाम> था, लेकिन बीचमें उसके गैर हाजिर हो जाने के <नाम> उसके विरूद्ध न्यायालय द्वारा गैर जमानतीवारंट के आदेश पारित <नाम> दिये गये। <नाम> गैर जमानती वारण्ट के आधार पर्रार्थी/ अभियुक्त जिला कारागार में निरूद्ध है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_1882_202123-03-2021669 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"आवेदन पत्र के समर्थन मेंअभियुक्त के पिता नौशाद <नाम> का शपथ पत्र संलग्न किया गया है। ",
"आवेदक / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता व अभियोजन की तरफ सेउपस्थित विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> के तर्को को सुन लिया है और केसडायरी तथा प्रपत्रों का अवलोकन <नाम> लिया है। ",
"अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा अब्दुल सलाम द्वाराथाने में इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट <नाम> करायी कि दिनांक 29.10.2020को समय करीब सुबह 10:00 बजे उसकी बेटी नसरीन अपनी मौसकी की लडकीशबाना उर्फ शायबा के साथ लेडी लॉयल एस0०एन0 दवा लेने के लिए गयी थी। शबाना उर्फ शायवा अन्दर डॉ० <नाम> के पास चली गयी शबाना उर्फ शायबा वापसआ तो बाहर नसरीन नहीं थी बहुत खोजबीन की कहीं पता नहीं चला तमाम लोगोंसे भी पूछा तो किसी ने बताया कि एक लडकी एक लडके के साथ सडक <नाम> जल्दीजल्दी जा रही थी पता करने <नाम> पता चला कि मुहल्ले का ही शाहरूख पुत्र नौसाद प्रार्थी की पुत्री नसरीन को बहला फुसलाकर कहीं भगाकर ले गया है। आवेदक / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा <नाम> प्रस्तुत किया गया किवादी मुकदमा ने असत्य आरोप लगाया है तथा झूठा फंसा <नाम> गया है। उसने कोई अपराधनहीं किया है। वह निर्दोष है। विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि विवेचक को दिये गयेबयान में अपहूता द्वारा स्वयं की मर्जी से शाहरूख के साथ <नाम> कहा है। इस मामले में अपहूता को भगा ले जाने का कोई <नाम> नहीं है। अपहूता ने विवेचक को दिये गये बयान मेंअपने को वयस्क बताया है। विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि वह पर्याप्त जमानतें देने केलिए तैयार है। विद्वान अधिवक्ता ने इन्हीं आधारों <नाम> आवेदक / अभियुक्त को जमानत पररिहा किए जाने का अनुरोध किया गया है। इसके विपरीत अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता ने जमानत प्रार्थना पत्रका विरोध करते हुए कहा गया है कि अपहृता माध्यमिक स्कूल में पढी हुई है और उसकाप्रधानाचार्य द्वारा अपहृता को अवयस्क आयु 17 वर्ष का बताया है। विद्वान सहायक शासकीयअधिवक्ता ने आवेदक / अभियुक्ता का अपराधिक इतिहास भी बताया है और कहा हैऽ किउसके विरूद्व मुअ0सं0 564/2019 <नाम> 354,506 भा0दं0सं0 व 7/8 पॉक्सो अधिनियमपंजीकृत है। विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने आवेदक /अभियक्त के कृत्य कोगंभीर बताया है और जमानत आवेदन पत्र को निरस्त किए जाने का अनुरोध किया है। "
],
"judge-opinion": [
"पत्रावली <नाम> उपलब्ध अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है कि अपहुताद्वारा विवेचक को दिये गये <नाम> 161दं0प्रoसं0 के बयान में यह स्पष्ट कथन किया गयास है कि उसने अभियुक्त शाहरूख को स्वयं फोन करके लेडी लॉयल बुलाया था और वह अपनीइच्छा से शाहरूख के साथ चली गयी थी। शाहरूख ने उसे बहला फुसलाकर नहीं भगायाथा। अपहूता का <नाम> 164द0प्रश्सं0 का बयान लेखबद्ट कियास गया है जिसमें उसने स्पष्ट कहा है कि उसकी आयु 18 वर्ष है और वह लेडी लॉयल हॉस्पीटल से शाहरूख के साथअपनी मर्जी से गयी थी। उसके उपर कोई दबाव नहीं था। आवेदक / अभियुक्त इस मामलेमें दिनांक 02.11.2020 से न्यायिक अभिरक्षा में है। अपहृता की बरामदगी हो चुकी है। आरोपपत्र भी न्यायालय में दाखिल किया जा चुका है। आवेदक / अभियुक्त मु0अ0सं0 564 / 2019 में पूर्व से जमानत <नाम> है। इन तथ्य एवं परिस्थितियों में गवाहों को बहलाने फुसलाने याधमकाने का अब कोई अवसर नही रह गया है। इस मामले का निकट भविष्य में विचारणसमाप्त होने की कोई <नाम> नहीं है। प््रार्थी/अभियुक्त विचारण के दौरान अपनीउपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त जमानत देने <नाम> तत्पर हैं। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_472_202027-02-2020466 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस प्रार्थना पत्र को प्रथम जमानत प्रार्थना पत्रबताया गया है तथा इसके साथ <नाम> <नाम> का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादी मुकदमा बेगपाल सिंहप्रभारी निरीक्षक थाना फतेहपुर सीकरी, जिला <नाम> ने दिनांक 17.04.2019 को 22-11 बजेथाना <नाम> जुबानी प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की <नाम> करायी कि गैंग लीडर महेन्द्रसिंह व गैंग के सकिय सदस्य हाकिम <नाम> <नाम> व <नाम> ने एक संगठित गिरोह बना रखाहै, जिसका गैंगलीडर महेन्द्र <नाम> स्वयं है। गैंगलीडर अपने सकिय सदस्यों के साथ मिलकरहत्या करने जैसे जघन्य अपराध कारित <नाम> अवैध धन अर्जित करता है, इनके आपराधिककृत्यों से <नाम> में भय व आतंक व्याप्त है। इनके भय व आतंक के <नाम> कोई भी व्यक्तिइनके विरूद्ध गवाही देने एवं मुकदमा पंजीकृत कराने के लिये तैयार नहीं होता है। इनकेविरूद्ध थाना <नाम> विभिन्न मुकदमे पंजीकृत हैं। इनके विरूद्ध <नाम> 2/3 उप्र०गिरोहबन्द एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृतकराया गया है। ",
"आवेदकगण /अभियुक्तगण की ओर से दिये गये जमानत प्रार्थना पत्र के साथसंलग्न शपथ पत्र में अभियोजन कथानक का जिक करते हुये कहा गया है किआवेदकगण /अभियुक्तगण ने कोई अपराध नहीं किया है। आवेदकगण/ अभियुक्तगण काकोई गिरोह नहीं है और ना ही वे किसी गिरोह का सदस्य है, उनका समाज में कोईभय एवं आतंक व्याप्त नहीं है। गैंगचार्ट में उन <नाम> जो मामला दर्शाया गयाहै, वह पारिवारिक रंजिश में झूंठा दर्शाया गया है। आवेदकगण /अभियुक्तगण कारागार में निरूद्ध है। अतःउनको जमानत <नाम> <नाम> किया जाय । ",
"राज्य की ओर से उपस्थित विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत प्रार्थना पत्र काविरोध करते हुए कहा गया है कि अभियुक्तगण आदतन अपराधी है। अभियुक्तगण कासंगठित गैंग है, जिसका अभियुक्त महेन्द्र <नाम> गैंग लीडर है तथा अभियुक्तगण हाकिम <नाम> 2 व <नाम> सकिय सदस्य हैं। अभियुक्तगण के विरूद्ध जिला मजिस्ट्रेट: <नाम> से अनुमोदितगैंग चार्ट दाखिल है, जिसमें उनके विरूद्ध अ.सं. 665/18 धारा-147, 148, 149, 302, 307,504 भा.द.स. का मुकदमा लंबित है। अभियुक्तगण का अपराध गम्भीर <नाम> का है। अतःजमानत निरस्त किये जाने कौ प्रार्थना की गयी है। "
],
"judge-opinion": [
"मैने जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता तथा विद्वानलोक अभियोजनक को सुना गया तथा पत्रावली व केस डायरी, गैंगचार्ट आदि का सम्यकपरिशीलन किया। गैंग चार्ट के अनुसार, अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में कुल एक उपरोक्तमामला दर्शाया गया है, जिसमें अभियुक्तगण के विरूद्ध हत्या का प्रयास एवं हत्या करने काअभिकथन है। उत्तर प्रदेश गिरोह बंद व समाज विरोधी क्रियाकलाप(निवारण) अधिनियम 1986की <नाम> 19(4) में प्रावधान है कि उक्त अपराध के अंतर्गत यदि अभियुक्त अभिरक्षा में है,तो उसे तब <नाम> जमानत <नाम> नहीं छोड़ा जायेगा, जब <नाम> कि-(क) लोक अभियोजक को ऐसे छोड़े जाने के आवेदन का विरोध करने का अवसरनहीं <नाम> जाता और(ख) जहाँ लोक अभियोजक आवेदन का विरोध करता है, वहाँ न्यायालय का समाधान होजाये कि यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार है कि यह ऐसे अपराध का <नाम> नहीं हैऔर यह कि जमानत <नाम> रहते समय उसके द्वारा कोई अपराध करने की <नाम> नहीं है। आवेदकगण /अभियुक्तगण <नाम> जिस मुकदमे के आधार <नाम> गैंगस्टर एक्ट कीकार्यवाही की गयी है, उसमें आवेदकगण/अभियुक्तगण की जमानत होने के संबंध मेंजमानत प्रार्थना पत्र के साथ दाखिल शपथ पत्र में कोई कथन नहीं किया गया है। आवेदकगण / अभियुक्तगण के द्वारा अपने अन्य साथी के साथ मिलकर हत्या किये जाने काआरोप है। आवेदक / अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में दर्शाये गये मुकदमों की संख्या,उनकी <नाम> एवं उक्त अधिनियम की <नाम> 19(4) में वर्णित प्रावधान को दृष्टिगत रखतेहुये न्यायालय का यह समाधान नहीं है कि अभियुक्तगण उक्त अपराध का <नाम> नहीं है और जमानत <नाम> रहते हुये उसके अपराध करने की सम्भावना नहीं है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_1408_202105-03-20211451 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"आवेदन पत्र केसमर्थन में अभियुक्त की मां मुन्नीदेवी का शपथ पत्र संलग्न किया गया हूै। ",
"अभियोजन कथानक के अनुसार उप निरीक्षक <नाम> <नाम> दिनांक01.02.2021 को मय हमराही थाना हाजा से देखरेख, <नाम> व्यवस्था चैकिंग संदिग्धवाहन वांछित अपराधी मामूर होकर गुरूद्वारा ओवर ब्रिज <नाम> आये तथा बैरियर लगाकरआने जाने वाले वाहनों की चैकिंग करने लगे तभी मुखबिर ने थाना आकर सूचना दीकि दो बाइक चोर एक चोरी की मोटरसाइकिल <नाम> किसी घटना को अंजाम देने कीफिराक में बाईपुर तिराहा <नाम> ट्रांसफार्मर के पास खडे हैं। यदि जल्दी की जाए तोपकड़े जा सकते हैं। मुखबिर के बताने <नाम> बाईपुर तिराहे <नाम> पहुँचे । मुखबिर खास नेदूर से इशारा करके बताया कि <नाम> जो दो व्यक्ति हीरो स्पेलेंडर मोटरसाइकिल परखड़े हुए हैं ये वही हैं। मुखबिर द्वारा बताये गये व्यक्तियों की तरफ चले तो दोनों @)व्यक्तियों ने मोटरसाइकिल को स्टार्ट <नाम> भागने का प्रयास किया। आवश्यक बलप्रयोग <नाम> पकड लिया तो एक ने अपना नाम <नाम> पुत्र लक्ष्मीनारायन कुशवाह बतायाजिसकी पहने पेंट की दाहिनी जेब से पांच पांच सौ के दो नोट कुल 1,000/-रूपयेके अलावा तथा दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम <नाम> पुत्र राधेश्याम बताया जिसकी जामातलाशी से पहने पेंट की पीछे की जेब से कुल 1,000/-रूपये बरामद हुए। पकडे गयेव्यक्तियों के कब्जे से मोटरसाकिल हीरो स्पलैंण्डर <नाम> नम्बर का निरीक्षण किया तोबताया <नाम> करीब चारमहीने पहले हम दोनों ने पल्सर मोटरसाइकिल से <नाम> कुंजकमला नगर से एक व्यक्ति से गले की चेन लूटी थी। चैन लूटते समय चेन टूट गयीतथा चैन का टुकडा हमें मिला उस चैन के टुकडे को 4,000/-रूपये में बेच <नाम> है। आवेदक / अभियुक्त क विद्वान अधिवक्ता द्वारा <नाम> प्रस्तुत किया गया कि्रार्थी/ अभियुक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित नहीं है। उसे झूठा फंसाया गया है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। शिनाख्त नहीं करायी गयी है। इन्हीं आधारों परजमानत दिये जाने का अनुरोध किया गया है। अभियोजन की ओर से विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता,दाण्डिक द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा गया है कि वादीमुकदमा ने चैन छीनने की प्राथमिकी दर्ज करायी थी। छीनी गयी चैन के एक टुकडेको 4,000/-रूपये में विकृय किए जाने का आरोप आवेदक/ अभियुक्त <नाम> है। विद्वानसहायक अभियोजन <नाम> ने आवेदक/ अभियुक्त द्वारा किया गया कृत्य अत्यन्तगंभीर बताया है इन्हीं आधारों <नाम> जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने की <नाम> कीगयी । मैंने आवेदक / अभियुक्त की तरफ से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता तथाअभियोजन की तरफ से उपस्थित सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी कोसुन लिया है तथा पत्रावली <नाम> उपलब्ध समस्त सामग्री का अनुशीलन <नाम> लिया है। "
],
"judge-opinion": [
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से प्रकट होता है कि आवेदक / अभियुक्तप्राथमिकी में नामित नहीं है उसकी कोई शिनाख्त नहीं करायी गयी है। उसके पास सेचैन की कोई बरामदगी नहीं है। उसके पास से 1,000/-रूपये बरामद होना दर्शायागया है। आवेदक / अभियुक्त दिनांक 01.02.2021 से जिला कारागार <नाम> में निरूद्वहै। आवेदक / अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। मामले की निकट भविष्यमें विचारण समाप्त होने की कोई <नाम> नहीं है। प्रार्थी /अभियुक्त विचारण केदौरान अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त जमानत देने <नाम> तत्पर हैं। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_1569_202007-09-20202880 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र के समर्थन में अभियुक्त के <नाम> सोनू <नाम> की ओर सेशपथपत्र प्रस्तुत <नाम> कथन किया गया है कि अभियुक्त का यह प्रथम जमानत प््रार्थनापत्र है,इसके अतिरिक्त अन्य कोई जमानत प्रार्थनापत्र किसी न्यायालय में लम्बित नहीं है। ",
"आवेदक /अभियुक्त का जमानत प््रार्थनापत्र में कथन है कि अभियुक्त को झूंठाफंसाया गया है, उसने कोई अपराध कारित नहीं किया है। अभियुक्त का घटना से कोईसम्बन्ध नहीं है। अभियुक्त से कोई बरामदगी नहीं है। घटना का कोई स्वतंत्र <नाम> नहीं है। अभियुक्त का आपराधिक इतिहास नहीं है। अभियुक्त दिनांक 16.07.2020 से जिला कारागार मेंनिरुद्ध है। अतः अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किया जाय। ",
"विद्वान अभियोजन <नाम> द्वारा जमानत प्रार्थनापत्र का विरोध करते हुये कहागया है कि अभियुक्त के पास से लूट की मोटरसाइकिलें बरामद हुयी हैं। अतः जमानतप्रार्थनापत्र निरस्त किया जाये। ",
"अभियोजन कथानक के अनुसार वादी <नाम> <नाम> उपनिरीक्षक थानाशमशाबाद द्वारा थाना शमशाबाद <नाम> इस आशय की तहरीर दी गयी कि दिनांक 16.07.2020 को वह मय हमराही रपट नं0 10 समय 10.13 बजे रवाना होकर भनपुरा तिराहे <नाम> 2थे कि मुखविर ने सूचना दी कि कुछ बदमाश चोरी की मोटरसाइकिल सहित इसी भनपुरा तिराहे की तरफ आने वाले हैं जिनक पास अवैध असलाह भी हैं। इस सूचना परविशवास करके बैरियर लगाकर चैकिंग करना शुरू <नाम> दिया। कुछ देर <नाम> दो मोटरसाइकिल आती हुयी दिखायी दिये। मुखविर ने इशारा करके बताया कि यही तीनोंबदमाश हैं। एक वारगी दविश देकर एक मोटरसाइकिल <नाम> एक व्यक्ति व दूसरी मोटरसाइकिल <नाम> दो व्यक्तियों को पकड़ लिया। नाम पता पूछते हुये जामा तलाशी ली ययी तो पहले ने अपना नाम घनश्याम बताया जिसके कब्जे से मोटरसाइकिल स्पलेंण्डर रंगकाला जिसकी प्लेट <नाम> नं0 यू0पी080-सी.एक्स-5230 <नाम> है, बरामद हुयी। जामातलाशी से पहने पेन्ट की बांयी फॅट से एक तमंचा 315बोर, व एक कारतूस बरामद हुआ । ",
"दूसरी मोटरसाइकिल के चालक ने अपना नाम <नाम> बताया जिसके पहने पेन्ट कीबांयी फॅट में घुरसा हुआ एक तमंचा 315 बोर व एक अदद कारतूस बरामद हुआ। मोटरसाइकिल <नाम> पीछे बैठे व्यक्ति ने अपना नाम <नाम> उफ भूरा बताया। उक्त दोनों व्यक्तियों के कब्जे से मोटरसाइकिल स्पलैंण्डर रंग काला व <नाम> जिसकी न॑0 प्लेट <नाम> यू0पी080-एफ.डी.-1244 आकित है, बरामद हुयी। बरामद तमंचा, कारतूस व मोटर साइकिलों के सम्बन्ध में कागजात तलब किये गये तो नहीं दिखा सके। अभियुक्तगण कीनिशादेही <नाम> लहर पट्टी लहर की पुलिया के नीचे से तीन मोटरसाइकिलें बरामद हुयीं,जिनके वह कागजात नहीं दिखा सके। वादी की उक्त तहरीर के आधार <नाम> थाना शमशाबाद <नाम> मु0अछसं0 146,/2020 अन्तर्गत <नाम> 41/102 सी.आर.पी.सी. व 414,411, 420, 468, 471 भा०दं0सं0 व 15 द0प्रOक्षे0 अधिनियम पंजीकृत इुआ। "
],
"judge-opinion": [
"अभियुक्त के विद्वान् अधिवक्ता तथा विद्वान् अभियोजन <नाम> के तर्क सुनेतथा केसडायरी का अवलोकन किया । ",
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि आवेदक वसहअभियुक्तगण के कब्जे से दो अदद मोटरसाइकिलों की बरामदगी हुयी है। इसकेअलावा आवेदकगण की निशानदेही <नाम> तीन अन्य मोटरसाइकिलें बरामद हुयी हैं। अभियुक्तगण से बरामद मोटरसाइकिलों का किसी अपराध से सम्बन्ध नहीं हो सका है। इसके अलावा अभियुक्त की निशानदेही <नाम> एक बरामद मोटरसाइकिल के चोरी होने सेसम्बन्धित अ0सं0 145, 2020 अन्तर्गत <नाम> 380 भा०दं0सं0 थाना शमशाबाद के सम्बन्धमें आवेदक / अभियुक्त के जमानत प्रार्थनापत्र को अपर सनत्र न्यायाधीश, कोर्ट सं0 15,आगरा द्वारा दिनांक 13.08.2020 को स्वीकार किया जा चुका है। बरामदगी का कोईस्वतंत्र <नाम> नहीं है। आवेदक / अभियुक्त दिनांक 16.07.2020 से जिला कारागार मेंनिरुद्ध हैं। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_151_202024-01-20201847 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी/ अभियुक्त के <नाम> व पैरोकार रविके शपथ पत्र से समर्थित है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा नरेन्द्रकुमार द्वारा थाना मलपुरा जिला <नाम> <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशयकी दर्ज करायी गयी कि दिनोक 09.12.2018 को वह व उसकी पत्नी पिंकीमोटरसाईकिल से एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए अपने गोवश्यामों से फतेहपुर सीकरी सौनेठी जा रहे थे कि करीब 92:00 बजे दक्षिणीबाईपास <नाम> नगला <नाम> पुत्र के पास पीछे से अपाचे मोटर साईकिल से तीनलड़के आए और उसकी मोटर साईकिल रूकवाकर उस <नाम> व उसकी पत्नीपर तमंचा तान <नाम> और उसकी पत्नी के पहले हुए जेवर लर, कन्दोनी, लूटकर ले गए जिसकी सूचना उसने 100 नम्बर <नाम> दी। इस संबंध में प्राथमिकीदर्ज की गयी । ",
"विद्वान अभियोजन <नाम> द्वारा जमानत का विरोध करते हुएकथन किया गया कि अभियुक्त घटना में संलिप्त रहा तथा उसके द्वारासह-अभियुक्तगण के साथ मिलकर वादी मुकदमा की पत्नी के जेवरातों की लूट की गयी है। उपरोक्त आधारों <नाम> जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जानेकी <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"्रार्थी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> <नाम> कुमारकुशवाह एवं विद्वान अभियोजन <नाम> को सुना गया तथा अभियोजनप्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया। (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेत्र)/अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 151, 2020दिवाकर बनाम राज्यप्रार्थी / अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोई अपराध नहींकिया है, वह निर्दोष है। प्रथम सूचना रिपोर्ट अज्ञात में दर्ज करायी गयी है। प्रार्थीगण से कोई बरामदगी नहीं है। प्रार्थी मौके से गिरफूतार नहीं हुआ है। प्रार्थी दिनांक 04.01.2020 को अपने <नाम> से <नाम> आया था, वहीं से गेटसंख्या-1 से सादा वर्दी में पुलिस वाले उठाकर ले गए और जेल भेज दिया। प्रार्थी से कोई बरामदगी नहीं है। प्रार्थी को मुख्य अभियुक्तगण <नाम> उर्फबेदी व <नाम> के इकबालिया कथन के आधार <नाम> अभियुक्त बनाया गया है। शिनाख्त कार्यवाही नहीं करायी गयी है। प्रार्थी दिनाक 05.01.2020 से जिलाकारागार में निरूद्ध है। प्रार्थी का यह प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है, अन्य कोईजमानत प्रार्थना पत्र किसी भी न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय मेंविचाराधीन नहीं है। उपरोक्त आधारों <नाम> प्रार्थी / अभियुक्त को जमानत पररिहा किए जाने की <नाम> की गयी है। ",
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामलेमें घटना दिनोक 09.12.2018 की 14:00 बजे की है। प्रार्थी <नाम> प्रश्नगत मामलेमें रेकी करने का आरोप लगाया गया है। प्रार्थी प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामितनहीं है। प्रार्थी को सह-अभियुक्तगण <नाम> उर्फ वेदी व <नाम> के कथन केआधार <नाम> मामले में अभियुक्त बनाया गया है जिन्होंने प्रार्थी की <नाम> लूटकरने के लिए रेकी करने की बतायी गयी है। प्रार्थी से इस मामले से संबंधितकोई बरामदगी दर्शित नहीं की गयी है। केस डायरी के अवलोकन से यहदर्शित होता है कि प्रार्थी को दिनाक 05.01.2020 को गिरफूतार किया गयाहै । प्रार्थी लगभग 20 <नाम> से जिला कारागार में निरूद्ध है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_6188_201914-11-20191774 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी / अभियुक्त के <नाम> <नाम> <नाम> केशपथ पत्र से समर्थित है । ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमाइलयास अंसारी द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की पंजीकृतकरायी गयी कि वह व उसके गॉव का भतीजा रहमत अंसारी दिनाक05.10.2019 को समय करीब 09:30 बजे <नाम> को अग्रसेन मील <नाम> सेट्रक संख्या- जे0एच0 11 / डब्लू0 2922 में 14400 टीन सरसों का तेल और200 कार्टून बोतल पैक सरसों का तेल लोडकर झारखण्ड जिला गिरिडिह जा रहा था। सेंया फलाईओवर रेलवे लाइन किनारे समय करीब रात 11:30 बजेआ रहा था इतने में पीछे से सफेद रंग की बोलेरों गाड़ी में सवार 5-6अज्ञात ने ओवरटेक <नाम> ट्रक को रोक लिया और उसके ट्रक में लोट <नाम> सहित लूट लिया तथा उन दोनों को बोलेरो में डाल <नाम> रात रात भर घुमाते रहे और उसे गाँव नयाबांस के जंगलों में सुबह छोड़कर भाग गए। उसका मोबाइल व उसके कंडक्टर का मोबाइल भी बदमाश छीन ले गए । (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (द0प्रकक्षेत्र) »अपर सत्र न्यायाथीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। ",
"प्रार्थ / अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी / अभियुक्त को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोईअपराध नहीं किया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनाक 17.40.2019 से जिलाकारागार में निरूद्ध है। प्रार्थी प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद नहीं है और नही मौके से गिरफतार हुआ है। प्रार्थी की निशानदेही <नाम> कोई बरामदगी भीनहीं है। गिरफतारी का कोई जनसाक्षी नहीं है। <नाम> बरामदगी का कोईजनता का <नाम> नहीं है। प्रार्थी का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। यहप्रार्थी का प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है, अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्र किसीभी न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। उपरोक्त आधारों <नाम> प्रार्थी / अभियुक्तको जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> की गयी है। ",
"विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> द्वाराजमानत का विरोध करते हुए कथन किया गया कि प्रार्थी / अभियुक्त उक्तअपराध में संलिप्त रहा है। अभियुक्त से बरामदगी भी है। उपरोक्त oremपर जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 6188 / 2019भीकम <नाम> कुशवाह उर्फ भीका बनाम राज्यप्रार्थ / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> अरून कुमारसिंह एवं विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> को सुना गयातथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया। ",
"अभियोजन प्रपत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामलेमें घटना दिनाक 05.10.2019 की समय 21:30 से 23:30 बजे के मध्य की है। ",
"प्रार्थी <नाम> अन्य के साथ मिलकर वादी व उसके साथी को बन्धक बनाकर उसका ट्रक व उसमें लदे <नाम> को लूटने व उक्त ट्रक व <नाम> उससे बरामदहोने का आरोप लगाया गया है। प्रार्थी का नाम दौराने विवेचना सह-अभियुक्त हरिओम के बयान के आधार <नाम> <नाम> में आया है। केस डायरी केअवलोकन से यह दर्शित होता है कि प्रार्थी को दिनोक 17.10.2019 को पुलिसपार्टी द्वारा गिरफ्तार किया गया है तथा उसकी निशानदेही <नाम> प्रश्नगतअपराध से संबंधित लूटे गए <नाम> के 180 खाली टीन तथा उक्त 180 टीनोंके तेल को बेचने से प्राप्त रूपए मु0. 2,09,250,“- रूपए बरामद किए गएहैं। प्रार्थी द्वारा अपने कथन में उक्त लूट का <नाम> लेने व उसे कय किए (3)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (द0प्रएक्षेत्र) /अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 6188 / 2019भीकम <नाम> कुशवाह उर्फ भीका बनाम राज्यजाने का कथन किया गया है। प्रार्थी को झूठा फंसाए जाने का कोई कारणदर्शित नहीं होता है। सह-अभियुकत हरिओम, बिजेन्द्र उर्फ पप्पू. <नाम> आदिकी जमानत पूर्व में इस न्यायालय द्वारा निरस्त की जा चुकी है। अभियोजनकी ओर से प्रार्थी द्वारा मामले में सकिय <नाम> अदा किया <नाम> दर्शितकिया गया है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_1187_202005-08-2020569 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी/अभियुक्त के <नाम> व पैरोकारभूरीसिंह के शपथ पत्र से समर्थित है। अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा हरीसिंह द्वारादिनांक 10.02.2020 को समय 22:51 बजे थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट यहकथन करते हुए दर्ज करायी गयी कि वह दिनांक 03.02.2020 को समयलगभग 19:40 बजे उसका परिवार अपने ससुर <नाम> <नाम> <नाम> के संजयपैलेस स्थित एस0बी0आई कार्यालय से सेवानिवृत्ति की कार्यवाही के विदाईसमारोह में सम्मिलित होकर निकट भगवान टॉकीज <नाम> वाला के सामनेभोजन करने के लिए बाहर खडे होकर बात <नाम> रहे थे तभी दो अज्ञातबदमाशों ने जो कि बाइक <नाम> आये थे उनमें से एक बाईक <नाम> से उतर कररोड के किनारे खडी उसकी सलेज रेनू के हाथ से पीच व सफेद रंग के बैगको छीनकर भाग गये जिसमें लगभग 20,000/-रूपये नकद एवं एक स्मार्टमोबाइल फोन और घर की चाबियां सहित अन्य सामान था। मोबाइल में दोसिमकार्ड थे। वह व्यक्ति जिसने <नाम> छीना उसने व्हाइट रंग की जैकेट पहनरखी थी। ",
"वादी मुकदमा हरीसिंह की लिखित तहरीर के आधार <नाम> थाना न्यूआगरा <नाम> मु0अ0सं0 99/2020 अंतर्गत <नाम> ३92, भा0दं0सं0 पंजीकृत किया (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेत्न) /अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 1187 2020प्रेमसिंह बनाम राज्यगया। दौरान विवेचना अभियुक्त के पास से बरामदगी के आधार <नाम> <नाम> 411भा0दं0सं0 की बढोतरी की गयी। विवेचना प्रचलित है। ",
"प्रार्थी / अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी/ अभियुक्त को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोईअपराध नहीं किया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनाक 24.06.2020 से जिला कारागार में निरूद्ध है। उससे मुकदमे से सम्बन्धित कोई भी वस्तु बरामद नहींहुआ है। प्रार्थी/अभियुक्त के ही रूपये को उक्त अपराध से सम्बन्धित करदिया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से दर्ज करायी गयी है जिसका कोईस्पष्टीकरण नहीं <नाम> गया है। प्रार्थी का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। प्रार्थी का यह प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है, अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्रकिसी अन्य न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। उपरोक्त आधारों परप्रार्थी / अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> की गयी है। ",
"विद्वान अभियोजन <नाम> द्वारा जमानत का विरोध करते हुएकथन किया गया कि अभियुक्त द्वारा वादी मुकदमा की सलेज से <नाम> कीलूट की गयी है जिसमें 20,000/-नकद व एक स्मार्टफोन व घर की चाबियांसहित अन्य सामान था की लूट की गयी है। प्रार्थी /अभियुक्त से उक्त लूट के 4,000/-रूपये की बरामदगी हुई है। उपरोक्त आधारों <नाम> जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं विद्वान अभियोजनअधिकारी को सुना गया तथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन कियागया। ",
"पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि घटना दिनांक03.02.2020 समय 19:40 बजे क सम्बन्ध में दिनांक 10.2.2020 कोप्रथम सूचना रिपोर्ट अंतर्गत <नाम> 392 भा0दं0सं0 अज्ञात के विरूद्व दर्जकरायी गयी है। घटना के लगभग साढे <नाम> माह बाद्रार्शी/ अभियुक्त की गिरफतारी होने <नाम> स्वयं अभियुक्तगण के बयानके आधार <नाम> प्रार्थी/अभियुक्त को प्रकरण में नामजद किया गया है (3)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेत्र) /अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पन्न संख्या : 1187, 2020प्रेमसिंह बनाम राज्यतथा उसकी निशानदेही <नाम> मु0 4,000//-रूपया की बरामदगी दर्शायीगयी है। कोई कार्यवाही शिनाख्त नहीं की गयी है। प्रार्थी दिनांक24.06.2020 से जिला कारागार <नाम> में निरूद्व है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_6106_201924-10-20192491 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस प्रार्थना पत्र को प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र बताया गया है तथा इसके साथ महेन्द्र <नाम> पुत्र चिरोजीलाल का शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादी मुकदमा एस.एच.ओ. सूरज <नाम> थाना इरादतनगर जिला <नाम> द्वारा दिनांक 13.10.19 को समय 22.15 बजे जुबानी प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की <नाम> करायी कि अभियुक्तगण <नाम> <नाम> <नाम> <नाम> <नाम> उफ श्रीकेश, लोकेन्द्र उर्फ लुक्का, गब्बर, जोगेन्द्र, सोनू उफ जयवीर <नाम> व देवा उर्फ देवेन्द्र के द्व ररा एक सुसंगठित गिरोह बना लिया गया है, जो अपने साथियों के साथ मिलकर फिरौती, अपहरण, डकैती, <नाम> से मारने की नीयत से फायर करने जैसे जघन्य अपराध करते हैं और समाज विरोधी <नाम> कलाप में संलिप्त रहते है । ",
"अभियुक्त द्वारा भा.द.वि. के अध्याय 16, व 17 में वर्णित दण्डनीय अपराध कारितकिया गया है। ",
"आम <नाम> में <नाम> भय व आतंक व्याप्त है। इनके विरूद्ध <नाम> का कोई व्यक्ति गवाही देने को तैयार नही होता। इनके विरूद्ध थाना <नाम> विभिन्न मुकदमे पंजीकृत हैं। इनके विरूद्धधारा 2/3 उप्र०गिरोह बन्द एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के अंतर्गतअभियोग पंजीकूत कराया गया हूै। ",
"अभियुक्त की ओर से दिये गये जमानत प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न शपथ पत्र में तथा प्रस्तुत तकं में कहा गया है कि प्रार्थी/ अभियुक्त ने कोई अपराध कारित नही किया है। उसे झूँठा फंसाया गया है। गैगचार्ट में दर्शित मुकदमों में उसकी जमानत हो चुकी है। उसका कोईसंगठित गिरोह नही है <नाम> ही वह किसी गिरोह का लीडर है और <नाम> ही किसी गिरोह का सदस्यहै। उसका <नाम> में कोई भय व आतंक व्याप्त नही है। <नाम> ही व अवैध <नाम> से धन अर्जित करताहै। वह उक्त अध्याय में वर्णित अपराधों का आदी नही है। उसका यह प्रथम जमानत प्रार्थनापत्र हैअन्य कोई जमानत प्रार्थनापत्र किसी न्यायालय में लम्बित नही है। वह दिनॉक- 14.05.19 से जिला कारागार में निरूद्ध है। अतः उसे जमानत <नाम> <नाम> किया जाये। ",
"राज्य की ओर से उपस्थित विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोधकरते हुए कहा है कि अभियुक्त आदतन अपराधी है। अभियुक्त का संगठित गैंग है, जिसका वह सक्रिय सदस्य है। अभियुक्त के विरूद्ध जिला मजिस्ट्रेट: <नाम> से अनुमोदित गैंग चार्ट दाखिल है,जिसमें उसके विरूद्ध(1) अ.सं. 41/19 धारा-364ए, 395, 412, 120बी भा.द.सं. थाना-इरादतनगर जिला आगरा। ",
"(2) अ.सं. 50/19 धारा-307/34 भा.द.सं. थाना-इरादतनगर जिला <नाम> । के मुकदमे लंबित हैं। अभियुक्त का अपराध गम्भीर <नाम> का है। अतः जमानत निरस्त किये जानेकी प्रार्थना की गयी है। "
],
"judge-opinion": [
"मैने जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता तथा विद्वान लोक अभियोजक को सुना तथा पत्रावली व केस डायरी, गैंगचार्ट आदि का सम्यक परिशीलन किया। गैंग चार्ट के अनुसार, अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में कुल दो उपरोक्त मामले दर्शाये गये हैं, जिनमें अभियुक्त के विरूद्ध गैंग बनाकर फिरौती, अपहरण, डकैती, <नाम> से मारने की नीयत से फायर करने जेसे जघन्य अपराध करने का अभिकथन है। उत्तर प्रदेश गिरोह बंद व समाज विरोधी क्रियाकलाप(निवारण) अधिनियम 1986 कीधारा 19(4) में प्रावधान है कि उक्त अपराध के अंतर्गत यदि अभियुक्त अभिरक्षा में है, तो उसे तबतक जमानत <नाम> नहीं छोड़ा जायेगा, जब <नाम> कि- (क) लोक अभियोजक को ऐसे छोड़े जाने के आवेदन का विरोध करने का अवसर नहीं दियाजाता और (ख) जहॉ लोक अभियोजक आवेदन का विरोध करता है, वहाँ न्यायालय का समाधान हो जाये कि यह विशवास करने का युक्तियुक्त आधार है कि यह ऐसे अपराध का <नाम> नहीं है और यह कि जमानत <नाम> रहते समय उसके द्वारा कोई अपराध करने की <नाम> नहीं है। ",
"अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में दर्शाये गये मुकदमों की संख्या, उनकी <नाम> एवंअभियुक्त द्वारा गैग बनाकर फिरौती, अपहरण, डकैती, <नाम> से मारने की नीयत सेफायर करने जैसे जघन्य अपराध करने से संबंधित अपराध के तथ्य व उक्त अधिनियम की <नाम> 19(4) में वर्णित प्रावधान को दृष्टिगत रखते हुये न्यायालय का यह समाधान नहीं है कि अभियुक्त उक्त अपराध का <नाम> नहीं है और जमानत <नाम> रहते हुये उसके अपराध करने कीसम्भावना नहीं है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_870_202118-02-20212201 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र के समर्थन में प्रार्थी / अभियुक्त के पैरोकार दिनेशबाबू ने शपथपत्र प्रस्तुत <नाम> कथन किया है कि प्रार्थ /अभियुक्त का यह प्रथमजमानत प्रार्थनापत्र है, इसके अलावा अन्य कोई प्रार्थनापत्र किसी भी न्यायालय यामाननीय उच्च न्यायालय में <नाम> तो लगाया गया है और <नाम> ही विचाराधीन है। संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादी <नाम> <नाम> द्वारादिनांक 09.11.2020 को थाना जैतपुर <नाम> तहरीर इस आशय की दी गई कि आजदिनांक 09.11.2020 समय करीब 6.15 बजे मैं अपनी दुकान बढ़ाकर अपने <नाम> नवीनके साथ <नाम> लेकर पैदल-2 अपने घर जा रहा था कि अचानक तीन-चार अज्ञातबदमाशों ने मेरा <नाम> छीनने का प्रयास किया, मैं अपने बचाव में <नाम> इलैक्ट्रानिक्सकी दुकान में घुस गया, तभी काफी भीड़-भाड़ इकट्ठी हो गयी वह अज्ञात बदमाशभागते हुए हवाई फायरिंग करते हुए भाग गये। भागते हुए मैनें एक दो बदमाशों केचेहरों को पहचाना है, <नाम> है जिन्हें मैं सामने आने <नाम> पहचान सकता हूँ। रिपोर्टलिखकर कानूनी कार्यवाही करने की <नाम> की गयी। 2वादी की उक्त तहरीर के आधार <नाम> थाना जैतपुर, <नाम> <नाम> ३-4अज्ञात बदमाशों के विरूद्ध मुकदमा अपराध संख्या 93 / 2020, <नाम> 393 भा0दं0सं0 मेंरिपोर्ट दर्ज की गयी। ",
"प्रार्थी / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया है किप्रार्थी / अभियुक्त को इस मामले में रंजिशवश झूंठा फंसाया गया है, उसने कोईआपराध कारित नहीं किया है। मामले का <नाम> का कोई स्वतंत्र <नाम> नहीं है। प्रार्थी,, अभियुक्त से कोई बरामदगी भी नहीं है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में भीप्रार्थी /, अभियुक्त का कोई नाम नहीं है, प्रथम सूचना रिपोर्ट अज्ञात में दर्ज करायीगयी है। प्रार्थी ,/ अभियुक्त को सह-अभियुक्त से पूर्व में हुए मनमुटाव के <नाम> नामलिये जाने <नाम> घर से गिरफ्तार किया गया है। वादी के दो बदमाशों के पहचान लेनेके कथन के बावजूद प्रार्थी / अभियुक्त की कोई शिनाख्त वादी से नहीं करायी गयीहै। प्रार्थी को उक्त मामले से संबंधित अन्य मामलों में भी संलिप्त किया गया है। अग्रेतर यह बताया गया कि उसपर अन्य मु0अ0सं0 244 धारा-392,411भा0द0सं0 एवंमु0अ0सं0० 249 / 20 एवं 93,20 में रिमाण्ड लेकर संलिप्त किया गया है, जिसमेंप्रार्थी /, अभियुक्त के विरूद्ध दर्ज अधिकतर मामलों में जमानत स्वीकृत हो चुकी है। प्रार्थी / अभियुक्त उचित एवं विश्वसनीय जमानत दाखिल करने को तैयार है। प्रार्थी /, अभियुक्त दिनांक 06.01.2021 से जिला कारागार में निरूद्ध हैं। अतः उसेजमानत <नाम> <नाम> किया जाये। ",
"विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दाण्डिक द्वारा जमानतप्रार्थनापत्र का विरोध करते हुए तर्क प्रस्तुत किया है कि प्रार्थी / अभियुक्त के द्वाराकिया गया आपराधिक कृत्य गम्भीर <नाम> का है। थाने की आख्या मेंप्रार्थी / अभियुक्त का आपराधिक इतिहास प्रस्तुत किया गया है, अतः उसका जमानतप्रार्थनापत्र निरस्त फरमाया जाये। "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थी,/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं विद्वान सहायक जिलाशासकीय अधिवक्ता फौजदारी को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् परिशीलनकिया गया। ",
"सुनने व पत्रावली के अवलोकन से प्रकट होता है कि इस मामले कीप्रथम सूचना रिपोर्ट अज्ञात में दर्ज करवायी गयी थी। प्रार्थी ,/ अभियुक्त को मौके सेगिरफ्तार नहीं किया गया। थाने की आख्ता में प्रार्थी / अभियुक्त के किसी मामले मेंपूर्व सजायाफ््ता होने का कोई कथन नहीं है। प्रार्थी / अभियुक्त दिनांक 06.01.2021 से जिला कारागार में निरूद्ध है। घटना का कोई स्वतंत्र <नाम> भी नहीं दर्शाया गयाहै। प्रार्थी / अभियुक्त को अन्य मामले में गिरफ्तार <नाम> की गयी पूँछताछ के दौरान 3स्वयँ स्वीकारोक्ति के आधार <नाम> अन्य मामले में संलिप्त किया गया है, जिनमेंअधिकांश मामलों में जमानत स्वीकार की जा चुकी है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_2413_202124-03-2021629 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस जमानत प्रार्थना पत्र के साथआवेदक /» अभियुक्त के द्वारा स्वयं का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"प्रार्थी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क रख गया है किप्रार्थी / अभियुक्त ने कोई अपराध नहीं किया है, उसे इस केस में Aol GR TATहै। प्रार्थी / अभियुक्त के द्वारा विद्युत विभाग का शमन शुल्क जमा <नाम> <नाम> गया है। प्रार्थी / अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है। अतः जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार कियाजाय। "
],
"judge-opinion": [
"अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं विद्युत विभाग की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। ",
"विद्युत विभाग के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि प्रार्थी / अभियुक्त के द्वारा शमन शुल्क जमा कराया जा चुका है, आपत्ति नहीं है। ",
"प्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से विद्युत विभाग में जमा कराये गये शमन शुल्करसीद एवं विद्युत विभाग द्वारा शमन शुल्क जमा होने के संबंध में जारी पत्र की <नाम> दाखिल की गयी है। इस पत्र <नाम> विद्युत विभाग के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सब्मिट कापृष्ठांकन किया गया है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_3693_201906-07-20192477 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थिया/अभियुक्ता क पैरोकार अर्जुनसिंह के शपथ पत्र से समर्थित है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा फतेहसिंह द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की पंजीकृत करायी गयी कि उसका पुत्र <नाम> उम्र करीब 32 वर्ष जो परचून की दुकान करता है,दिनाक 20.04.2019 को अपने बेटे <नाम> के साथ समय करीब 7-8 बजे शामदुकान बंद करके अपनी मोटरसाईकिल से घर के लिए गया था जो अब तकघर नही पहुँचा है। उसकी मोटरसाईकिल छक्की और शेर बीच में सड़क परपड़ी <नाम> है। इस संबंध में प्राथमिकी <नाम> की गयी । ",
"प्रार्थिया/ अभियुक्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यहकहा गया है कि प्रार्थिया/ अभियुक्ता को मामले में झूंठा फंसाया गया है, (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0कषेत्र)/अपर सत्र न्यायाधीश, व्यायालय संख्या-03, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 3693 2019श्रीमती रामदुलारी बनाम राज्यउसने कोई अपराध नहीं किया है, वह निर्दोष है। इसी मुकदमा अपराध संख्यामें प्रार्थिया का जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> 364ए, 395, 412 भारतीय दण्डसंहिता में न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जा चुका है। पूर्व जमानत प्रार्थनापत्र में भूलवश <नाम> 120बी भारतीय दण्ड <नाम> लिखने से रह गयी थी। प्रार्थिया का इस <नाम> में यह प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है, इसके अलावाअन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्र किसी न्यायालय अथवा माननीय उच्चन्यायालय में विचाराधीन नहीं है। प्रार्थिया का कोई अपराधिक इतिहास नहींहै। प्रार्थिया दिनाक 14.05.2019 से जिला कारागार, <नाम> में निरूद्ध है। उपरोक्त आघारों <नाम> प्रार्थी / अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने कीयाचना की गयी है। ",
"विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> द्वाराजमानत का विरोध करते हुए कथन किया गया कि प्रार्थिया/ अभियुक्त की प्रश्नगत मामले में संलिप्तता रही है। उपरोक्त आघधारों <नाम> जमानत प्रार्थना पत्रनिरस्त किए जाने की <नाम> की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थिया/ अभियुक्ता के विद्वान अधिवक्ता <नाम> <नाम> कुमारचौधरी एवं विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> को सुनागया तथा अभियोजन प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया। ",
"अभियोजन प्रपत्रं के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि इसीमुकदमा अपराध संख्या में <नाम> 3640, 395, 412 भारतीय दण्ड <नाम> में ्रार्थिया की जमानत न्यायालय द्वारा दिनाक 26.06.2019 को स्वीकार की जाचुकी है। प्रार्थिया की ओर से कथन किया गया है कि उक्त जमानत प्रार्थनापत्र में भूलवश <नाम> 120बी भारतीय दण्ड <नाम> लिखने से रह गयी थी। चूँकि प्रार्थिया की गम्भीर धाराओं में जमानत इस न्यायालय द्वारा पूर्व मेंस्वीकार की जा चुकी है, अतः ऐसी स्थिति में प्रार्थिया की जमानत धारा120बी भारतीय दण्ड <नाम> में भी स्वीकार किए जाने <नाम> है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_4684_201912-09-20194493 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र प्रार्थी / अभियुक्त के चाचा जुगनू के शपथपत्र से समर्थित है। अभियोजन कथानक के अनुसार संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैंकि वादी मुकदमा <नाम> <नाम> द्वारा थाने <नाम> प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशयकी दर्ज करायी गयी कि उसके मकान के नीचे <नाम> <नाम> अपने परिवार केसाथ किराए <नाम> रहता है। दिनाक 29.04.2019 को समय करीब 03:15 एछएम0 <नाम> कुछ अज्ञात बदमाश बाहर दरवाजे का ताला तोड़कर किराएदार के कमरेमें घुस <नाम> कुछ नगदी व जेवरात चोरी <नाम> लिए। उसके <नाम> उपर उसकेमकान में आए और 22,000/ ~ रूपए नगद, 1 हार, 4 चूड़ी, 7 अंगूठी व 1 चेन अलमारी तोड़कर निकाल ली। जागने <नाम> उसके लड़के की पत्नी <नाम> को धमकाते हुए तमंचा लगाकर डराते हुए चले गए। इस संबंध में प्राथमिकीदर्ज की गयी । (2)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्र0क्षेत्र) /अपर सनत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-03, आगरा। ",
"्रार्थी/ अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहागया है कि प्रार्थी को मामले में झूंठा फंसाया गया है, उसने कोई अपराध नहींकिया है, वह निर्दोष है। प्रार्थी दिनांक 18.08.2019 से जिला कारागार मेंनिरूद्ध है। प्रार्थी को इकबालिया बयान के आधार <नाम> मामले में अभियुक्तबनाया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट विलम्ब से अज्ञात में दर्ज करायी गयी है । प्रार्थी से प्रस्तुत प्रकरण से संबंधित कोई बरासदगी नहीं है। जो बरासदगीदिखायी गयी है वह फर्जी है। प्रार्थी का कोई पूर्व अपराधिक इतिहास नहीं ह। गिरफूतारी व बरामदगी का कोई स्वतन्त्र <नाम> नहीं है। प्रार्थी का यह प्रथमजमानत प्रार्थना पत्र है, अन्य कोई जमानत प्रार्थना पत्र किसी अन्य न्यायालयअथवा माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन नहीं है। उपरोक्त आधघारों पर्रार्शी/ अभियुक्त को जमानत <नाम> <नाम> किए जाने की <नाम> की गयी है। ",
"विद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> द्वाराजमानत का विरोध करते हुए कथन किया गया कि अभियुक्त घटना मेंसम्मिलित रहा है और उसक द्वारा सह-अभियुक्तगण के साथ मिलकर वादीमुकदमा के घर में चोरी की गयी है। सह-अभियुक्तगण <नाम> <नाम> उवैश,बन्टी उर्फ नासिर व इरफान की जमानत पूर्व में न्यायालय द्वारा निरस्त की जा चुकी है। उपरोक्त आधारों <नाम> जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने कीयाचना की गयी। "
],
"judge-opinion": [
"जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 4684/2019इमरान उर्फ एक किलो बनाम राज्य्रार्शी/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता <नाम> शरन <नाम> एवंविद्वान वरिष्ठ अभियोजन <नाम> <नाम> वंशराज <नाम> को सुना गया तथापत्रावली का सम्यक परिशीलन किया गया। ",
"पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मामले में घटनादिनांक 29.04.2019 की समय 03:15 बजे की बतायी गयी है। प्रार्थी कोदिनाक 18.08.2019 को पुलिस पार्टी द्वारा गिरफूतार किया <नाम> तथा उसककब्जे से कुल 5,000/- रूपए बरामद किया <नाम> दर्शित किया गया है। ",
"उक्त 5,000/- रूपए में से मुछ 4,000/- रूपए प्रस्तुत प्रकरण से संबंधित होना कहा गया है। प्रार्थी / अभियुक्त द्वारा अपने बयान में प्रश्नगत अपराध मेंसम्मिलित होने की संस्वीकृति की गयी है। सह-अभियुक्तगण <नाम> <नाम> (3)न्यायालय विशेष न्यायाधीश (दएप्रणकषेत्न) /अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या-०३, आगरा। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या : 4684, 2019इमरान उफ एक किलो बनाम राज्यउवैश, बन्टी उफ नासिर व इरफान की जमानत इस न्यायालय द्वारा पूर्व मेंनिरस्त की जा चुकी है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_3132_201911-06-20193168 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"समर्थन में स्वयं काशपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"प्रार्थी / अभियुक्त आज <नाम> न्यायालय के आदेश से अंतरिम जमानत परथा तथा उसने आज न्यायालय में आत्मसमर्पण किया हैंअभियोजन कथानक के अनुसार संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि वादीमुकदमा देवेन्द्र <नाम> द्वारा प्रार्थना पत्र अंतर्गत <नाम> 156(3) द0प्र0सं0 यह कथन करतेहुए प्रस्तुत किया गया कि वेह अनुसूचित जाति का जाटव है। उसने <नाम> शर्मासे एक प्लॉट श्रीराधेश्याम कॉलोनी, निकट नगला <नाम> मौजा नरायच तहसीलएत्मादपुर जिला <नाम> का खरीदने के लिए तीन लाख रूपये में सौदा तय किया था। पूर्व से <नाम> पहचान होने के <नाम> शिवकुमार <नाम> के समक्ष राजीवशर्मा को 25हजार रूपये नकद पेशगी बैनामा व एक चेक संख्या 388161 दिनांकित 05.02.2016मु0 2,75,000/-रूपये का दिनांक 10.02.2016 को दिया। बैनामा अगले <नाम> दिनांक11.02.2016 को होना तय हुआ था। अगले <नाम> <नाम> <नाम> ने बैनामा करने सेइन्कार <नाम> <नाम> तब वादी ने अपना चैक मु0 2,75,000/-रूपये तथा 25 हजाररूपये नकद की मांग की। वह टालमटोल करने लगा, वापस नहीं किये। वादी नेसंबंधित बैंक को तुरन्त प्रार्थना पत्र देकर भुगतान रूकवा दिया। दिनांक 08.04.2016को चैक मांगने के लिए <नाम> <नाम> के आफिस धर्मकांटा <नाम> गया तो <नाम> <नाम> एवं 2दो अज्ञात व्यक्तियों ने उसके साथ मारपीट करते हुए भद्दी-भद्दी देकरसार्वजनिक <नाम> से अपमानित करते हुए चमार डेढ़ कहा और कहा कि <नाम> तो चैकमिलेगा और <नाम> ही रूपये। दुबारा मांगने आया तो <नाम> से मार देंगे। ",
"प्रार्थी / अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह <नाम> प्रस्तुतकिया गया है कि उसे झूंठा फंसाया गया है। उसके द्वारा इस प्रकार का कोईअपराध कारित नहीं किया गया है। यह भी <नाम> प्रस्तुत किया गया कि पैसा केलेनदेन के संबंध मे प्रार्थनापत्र में ही कहा गया है। अभियुक्त द्वारा कोई धमकी वजातिसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया। यह भी <नाम> प्रस्तुत किया गया किअभियुक्त की ओर से <नाम> 138 परकाम्य लिखत अधिनियम के अंतर्गत दिनाक05.03.2016 को परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जिसके <नाम> यह प्रार्थना पत्रदिया गया है। ",
"विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फो0) द्वारा जमानतप्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कथन किया गया कि अभियुक्त द्वारा पैसा लेलिया गया और बैनामा नहीं किया गया तथा वादी को गालीगलौज करजातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया व <नाम> से मारने की धमकी दी गयी। ",
"उसे जमानत <नाम> छोड़ने का कोई आधार नहीं है। "
],
"judge-opinion": [
"मैंने विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौ0) एवंप्रार्थी / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा केस डायरी व पत्रावली कापरिशीलन किया। ",
"प्रथम सूचना रिपोर्ट के सम्यक परिशीलन से स्पष्ट होता है किविपक्षी के मध्य प्लॉट कय किये जाने के संबंध में पैसा देने व चैक द्वारा भुगतानकरने के संबंध में विवाद है। इसके संबंध में <नाम> 138 परकाम्य लिखत अधिनियमके अंतर्गत कार्यवाही की गयी है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_3186_201925-06-20192866 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस आवेदनपत्र के साथ अभियुक्त की सास अनीसा का शपथपत्रसंलग्न किया गया है। "
],
"judge-opinion": [
"मैंने आवेदक अभियुक्त की तरफ से उपस्थित विद्वानअधिवक्ता एवं अभियोजन की तरफ से उपस्थित विद्वान सहायक जिलाशासकीय अधिवक्ता फौजदारी के तर्को को सुन लिया है तथा पत्रावलीपर उपलब्ध थाने की आख्या, पुलिस प्रपत्र एवं अन्य सामग्री का सम्यकपरिशीलन <नाम> लिया है। इस मामले के संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 06.06.19 कोमुकदमा वादी उप निरीक्षक <नाम> <नाम> मय पुलिस कर्मियों के थानाजगदीशपुरा से रवाना होकर बोदला चौकी <नाम> में शान्ती व्यवस्थादेखरेख व संदिग्ध व्यक्ति व वाहन तलाश वाछित अपराधी गश्त में मामूरथे तो उन्हें जरिये मुखबिर सूचना <नाम> कि जिन व्यक्तियों की वे तलाशकर रहे है वह एक <नाम> व्हीलर बिचपुरी से बोदला की तरफ आ रहे है। जिसपर अवधपुरी तिराहे <नाम> आकर बिचपुरी की तरफ से आने वालेटैम्पो का इंतजार करने लगे तथी एक <नाम> व्हीलर आता दिखायी <नाम> जो बिचपुरी की तरफ से आ रहा था। मुखबिर ने इशारा किया कि इसीश्री व्हीलर में चोर बैठे है और उनके पास चोरी का सामान है। टैम्पोनजदीक आने <नाम> रूकने का इशारा किया तो वह पीछे की तरफ मोड़कर भागने का प्रयास करने लगा तो एक बारगी <नाम> मौके दिये दविशदेकर औसतन <नाम> प्रयोग करके उसमें बैठे दो व्यक्तियो को समय 23.20बजे पकड़ लिया। जमा तलाशी <नाम> शरीफ के कब्जे से पैन्ट की दाहिनीजैब में से दो कान के टाप्स पीली धातु व चैन मय पैण्डल के वजनीकरीब 9 ग्राम पीली धातु, कोधनी उल्टा पल्ला वजनी करीब 450 ग्रामसफेद धातु जिसमें घुघरू व ठप्पे से लगे है बरामद हुये। ",
"आवेदक अभियुक्त की ओर से कथन किया गया है कि उसे उक्तअपराध में झूठा फसाया गया है, उसने कोई अपराध नहीं किया है। उससे कोई बरामदगी नहीं हुयी है। आवेदक दिनांक 06.06.19 को ईदका त्यौहार होने के <नाम> अपनी पत्नी व बच्चो को अपने ऑटो सेघूमने जा रहा था तथी दो पुलिस कर्मी जबरन उसके ऑटो में बैठ गयेऔर कहा कि जगदीशपुरा में छोड़ दो। जगदीशपुरा में छोड़ने केउपरान्त जैसे ही पैसे मांगे तो उसके ऑटो को जबरन थाने में बद करदिया तथा आवेदक की पत्नी के पहने हुये जेवरात को उतरवा लियाऔर झूठी बरामदगी दर्शाते हुये कई मुकदमे लगा दिये। आवेदकअभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और ना ही कोई मामलाकिसी भी न्यायालय में विचाराधीन है। उसे मामले में झूठा संलिप्त करदिया गया है। आवेदक अभियुक्त दिनांक 07.06.19 से जिला कारागारमें निरूद्ध है। विद्वान अधिवक्ता ने इन्हीं तर्कों <नाम> आवेदक अभियुक्तको जमानत <नाम> <नाम> किये जाने का अनुरोध किया है। ",
"अभियोजन की ओर से विद्वान सहायक जिला शासकीयअधिवक्ता ने आवेदनपत्र का मौखिक विरोध करते हुये कहा है किअभियुक्त के विरूद्ध कथित अपराध गम्भीर <नाम> का है, उसके कब्जे सेचोरी किया हुआ जेवरात बरामद हुआ है। आवेदक अभियुक्त के विरूद्धकई मामले दर्ज है। आवेदक अभियुक्त का मामला जमानत <नाम> नहींहै। अतएव जमानत आवेदनपत्र खारिज किये जाने का निवेदन कियागया है। ",
"पत्रावली <नाम> उपलब्ध पुलिस प्रपत्रों व अन्य सामग्री के अवलोकनसे यह प्रकट होता है कि आवेदक अभियुक्त से कथित बरामद <नाम> कोकिसी चोरी की घटना से सम्बद्ध नहीं किया गया है। आवेदक अभियुक्तकी शिनाख्त भी नहीं करायी गयी है और ना ही बरामद <नाम> के सम्बन्धमें कोई शिनाख्त हुयी है। आवेदक अभियुक्त के विरूद्ध मु0अ0सं0346/19, 251/19, 267/19, 153/19 व 1168/19 एक हीबरामदगी से सम्बन्धित है। अभियोजन की ओर से बरामद <नाम> को चोरीका बताया गया है परन्तु <नाम> <नाम> बरामद <नाम> की कोई शिनाख्त नहींकरायी गयी है और ना ही किसी मामल से सम्बद्ध किया गया है। आवेदक अभियुक्त दिनांक 07.06.19 से न्यायिक अभिरक्षा में है। इसमामले में अभियोजन की ओर से कोई चोरी की प्राथमिकी भी प्रस्तुत नहींकी गयी है। आवेदक अभियुक्त के विरूद्ध उक्त आरोपित अपराधप्रथम वर्गीय मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। आवेदक अभियुक्त विचारण के दौरान अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिये पर्याप्त जमानतेदेने के लिये तत्पर है। वर्तमान मामले का निकट भविष्य में विचारण होनेकी कोई सम्भावना नहीं है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_6153_201925-10-20192430 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस प्रार्थना पत्र कोप्रथम जमानत प्रार्थना पत्र बताया गया है तथा इसके साथ धरमवीर पुत्र रामप्रसाद का शपथ पत्रप्रस्तुत किया गया है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादी मुकदमा प्रभारी निरीक्षक <नाम> <नाम> <नाम> थाना सिकन्दरा जिला <नाम> द्वारा दिनांक 23.08.19को समय 18.22 बजे जुबानीप्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की <नाम> करायी कि अभियुकतगण <नाम> प्रांशु, भूरा उर्फ हरविन्दर <नाम> उर्फ <नाम> पुष्पेन्द्र उर्फ <नाम> <नाम> महेन्द्र, व हेमसिंह के द्वारा एक सुसंगठित गिरोहबना लिया गया है, जो अपने साथियों के साथ मिलकर डकैती, जैसे जघन्य अपराध करते हैं और समाज विरोधी किया कलाप में संलिप्त रहते है। ",
"अभियुक्त द्वारा भा.द.वि. के अध्याय 17 में वर्णित दण्डनीय अपराध कारित किया गयाहै। ",
"आम <नाम> में <नाम> भय व आतंक व्याप्त है। इनके विरूद्ध <नाम> का कोई व्यक्ति गवाही देने को तैयार नही होता। इनके विरूद्ध थाना <नाम> विभिन्न मुकदमे पंजीकृत हैं। इनके विरूद्धधारा 2/3 उ0प्र0गिरोह बन्द एवं समाज विरोधी कियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के अंतर्गतअभियोग पंजीकृत कराया गया है। ",
"अभियुक्त की ओर से दिये गये जमानत प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न शपथ पत्र मेंतथा प्रस्तुत तर्क में कहा गया है कि प्रार्थ / अभियुक्त को झूँठा फंसाया गया है। उसने कोईअपराध कारित नही किया है। वह <नाम> तो घटनास्थल से पकड़ा गया है और <नाम> ही उससे घटना से सम्बन्धित कोई वस्तु ही बरामद हुई है। उसे घर से पकड़कर गुडवर्क दिखाने @ fay gor eeकर <नाम> है। उसका <नाम> तो कोई संगठित गिरोह है और <नाम> ही वह किसी संगठित गिरोह कासदस्य है। वह <नाम> अभियुकतगण को <नाम> तो जानता है और <नाम> ही उनसे कोई सम्बन्ध है। उसने नतो किसी व्यक्ति को गवाही देने से रोका गया और <नाम> ही किसी को उसके विरूद्ध मुकदमा लिखानेसे रोका गया। वह आज <नाम> किसी मुकदमें में सजायाफता नहीं है और <नाम> ही उसका कोई आपराधिक इतिहास &। dé ward परिवार का व्यक्ति है। अभियुक्त दिनॉक 02.09.2019 से जिला कारागार <नाम> में निरूद्ध है। अतः उसे जमानत <नाम> <नाम> किया जाये। ",
"राज्य की ओर से उपस्थित विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोधकरते हुए कहा है कि अभियुक्त आदतन अपराधी है। अभियुक्त का संगठित गैंग है, जिसका वह सकिय सदस्य है। अभियुक्त के विरूद्ध जिला मजिस्ट्रेट, <नाम> से अनुमोदित गैंग चार्ट दाखिल है,जिसमें उसके विरूद्ध(1) अ.सं. 346 /19 धारा-427, 395, 412/34 भा.द.सं. थाना-सिकन्दरा जिला आगरा। 1 मुकदमा लंबित हैं। अभियुक्त का अपराध गम्भीर <नाम> का है। अतः जमानत निरस्त किये जानेकी प्रार्थना की गयी है। "
],
"judge-opinion": [
"मैने जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता तथा विद्वान लोक अभियोजक को सुना तथा पत्रावली व केस डायरी, गैंगचार्ट आदि का सम्यक परिशीलन किया। गैंग चार्ट के अनुसार, अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में कुल एक उपरोक्त मामलादर्शाया गया हैं, जिनमें अभियुक्त के विरूद्ध गैंग बनाकर डकैती, जैसे जघन्य अपराध करने काअभिकथन है । उत्तर प्रदेश गिरोह बंद व समाज विरोधी कियाकलाप(निवारण) अधिनियम 1986 कीधारा 19(4) में प्रावधान है कि उक्त अपराध के अंतर्गत यदि अभियुक्त अभिरक्षा में है, तो उसे तबतक जमानत <नाम> नहीं छोड़ा जायेगा, जब <नाम> कि- (क) लोक अभियोजक को ऐसे छोड़े जाने के आवेदन का विरोध करने का अवसर नहीं दियाजाता और (ख) जहाँ लोक अभियोजक आवेदन का विरोध करता है, वहाँ न्यायालय का समाधान हो जाये कि यह <नाम> करने का युक्तियुक्त आधार है कि यह ऐसे अपराध का <नाम> नहीं है और यह कि जमानत <नाम> रहते समय उसके द्वारा कोई अपराध करने की <नाम> नहीं है। ",
"अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में दर्शाये गये मुकदमों की संख्या, उनकी <नाम> एवंअभियुक्त द्वारा गैग बनाकर डकैती जैसे जघन्य अपराध करने से संबंधित अपराध केतथ्य व उक्त अधिनियम की <नाम> 49(4) में वर्णित प्रावधान को दृष्टिगत रखते हुये न्यायालयका यह समाधान नहीं है कि अभियुक्त उक्त अपराध का <नाम> नहीं है और जमानत <नाम> रहते हुये उसके अपराध करने की सम्भावना नहीं है। "
]
} | 0DENIED
|
Bail Application_1206_202123-02-20212025 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"जमानत प्रार्थना पत्र के समर्थन में अभियुक्त के पैरोकार किशन सिंहपुत्र लालाराम, निवासी-स्वामी, थाना सिकन्दरा, <नाम> जो कि प्रार्थ / अभियुक्त कासमधी है, ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें वर्णित है कि उक्त केस मेंप्रार्थी // अभियुक्त पूर्व से जमानत <नाम> था। मा0 न्यायालय ए0डी0जे0-20 के यहां सेपत्रावली में वारंट हो जाने <नाम> दिनांक 14.02.2021 को जेल भेज <नाम> गया है। उक्तकेस की पत्रावली माननीय न्यायालय ए0डी0जे0 20 में लम्बित है, जिसमें नियत तिथि19.02.2021 है। प्रार्थी / अभियुक्त उपरोक्त केस में कोविड-19 कोरोना काल के चलतेमाननीय न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका था। सह-अभियुकत नत्थीलाल आदि केवारंट दिनांक 15.02.2021 को माननीय न्यायालय ए0डी0जे0-20 द्वारा निरस्त <नाम> दियेगये हैं। प्रार्थी ,/ अभियुक्त ने जानबूझकर कोई गलती नहीं की है, वह माफी चाहता हैऔर भविष्य में माननीय न्यायालय में उपस्थित होता रहेगा। प्रार्थी / अभियुक्त वारंट परगिरफ्तार होने के <नाम> उसकी ओर से यह प्रथम जमानत प्रार्थनापत्र है, अन्य कोईजमानत प्रार्थनापत्र माननीय न्यायालय या मा0० उच्च न्यायालय इलाहाबाद या अन्य Bail Application/2413/2021 -Chob Singh Vs. UP State 2किसी न्यायालय में लम्बित नहीं है। प्रार्थी,, अभियुक्त अपनी जमानत देने को तैयारहै। अतः: जमानत प्रार्थनापत्र स्वीकार किया जाये। ",
"प्रार्थी / अभियुक्त चोब <नाम> के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया हैकि प्रार्थ ,, अभियुक्त चोब <नाम> इस मामले में पूर्व से जमानत <नाम> था। प्रार्थी,/, अभियुक्त कोविड-19 महामारी कोरोना काल के <नाम> माननीय न्यायालय मेंउपस्थित नहीं हो सका था। प्रार्थी / अभियुक्त के सह-अभियुक्त नत्थीलाल आदि केवारंट दिनांक 15.02.2021 को माननीय न्यायालय ए0डी0जे0-20 द्वारा निरस्तकर दिये गये हैं। प्रार्थी / अभियुक्त ने जानबूझअकर कोई गलती नहीं की है, वह माफीचाहता है और भविष्य में माननीय न्यायालय में समय से उपस्थित होता रहेगा। अतःउसे न्यायहित में जमानत <नाम> <नाम> किया जाये। ",
"विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की ओर सेजमानत प्रार्थनापत्र का विरोध करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया गया है किप्रार्थी / अभियुक्त इस मामले में जानबूझकर गैर हाजिर हुआ है, जिस <नाम> उसकेविरूद्ध एन0बी0डब्ल्यू0 की कार्यवाही प्रचालित थी। प्रार्थी / अभियुक्त की वजह से इसमामले में विचारण की कार्यवाही में देरी हुई है तथा प्रार्थी / अभियुक्त द्वारा पूर्व मेंप्रदत्त की गयी जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। प्रार्थी / अभियुक्त द्वाराअन्य सह-अभियुक्तगण के साथ मिलकर वादी मुकदमा व उसके परिजनों केसाथ घर के अन्दर घुसकर, एकराय होकर मारपीट करना, तोड़फोड़ करना व घर मेंरखे 12,000 //-रुपये निकाल लिये जाने का अभियोग है। उसे पुनः जमानत <नाम> रिहाकिये जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं है। अतः जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त कियाजाये। "
],
"judge-opinion": [
"प्रार्थी ,/ अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता एवं विद्वान सहायक जिलाशासकीय अधिवक्ता (फौ0) को जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> सुना तथा पत्रावली काअवलोकन किया। ",
"पत्रावली के अवलोकन से प्रकट होता है कि प्रार्थी ,/ अभियुक्त चोबसिंह इस मामले में पूर्व से माननीय न्यायालय के निर्देशानुसार जमानत <नाम> था, लेकिनबीच में उसके गैर हाजिर हो जाने के <नाम> उसके विरूद्ध न्यायालय द्वारा गैरजमानती वारंट के आदेश पारित <नाम> दिये गये। <नाम> गैर जमानती वारण्ट के आधारपर प्रार्थ / अभियुक्त जिला कारागार में निरूद्ध है। "
]
} | 1GRANTED
|
Bail Application_4364_202022-12-2020105 | agra | {
"facts-and-arguments": [
"इस प्रार्थना पत्र को प्रथम जमानत प्रार्थना पत्रबताया गया है तथा इसके साथ <नाम> <नाम> का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। ",
"संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि थाना प्रभारी कुलदीप कुमारदीक्षित के द्वारा द्वारा दिनाक 12.10.2020 को 19--30 बजे थाना बरहन <नाम> इस आशयकी रिपोर्ट दर्ज कराई गयी कि गैंग लीडर राधेलाल उर्फ <नाम> उर्फ फौजी का एकसंगठित गिरोह है,जिसके गैंग में ब्रहमादत्त, मनमोहन उर्फ गुल्लन, कुलदीप, वेदसिंह वराहुल उर्फ रामपत गैंग सदस्य हैं। उक्त सभी लोग आपस में मिलकर भौतिक वआर्थिक <नाम> प्राप्त करने के उद्देश्य से लूट एवं चोरी जैसे दण्डनीय अपराध कर,समाज विरोधी किया कलाप करते हैं तथा इनके भय और आतंक के <नाम> <नाम> काकोई भी व्यक्ति गवाही <नाम> तैयार नहीं होता है। इनके विरूद्ध थाना <नाम> विभिन्नमुकदमे पंजीकृत हैं। इनके विरूद्ध <नाम> 2/3 उ0प्रएगिरोह बन्द एवं समाज विरोधीकियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराया गया है। ",
"आवेदक / अभियुक्त की ओर से दिये गये जमानत प्रार्थना पत्र के साथसंलग्न शपथ पत्र में अभियोजन कथानक का जिक करते हुये कहा गया है किआवेदक »/ अभियुक्त ने कोई अपराध नहीं किया है। आवेदक / अभियुक्त को पुलिसने घर से पकड़कर झूंठी मुठभेड़ दिखाकर बन्द <नाम> <नाम> है। गैंगचार्ट में उस <नाम> जोमामले दर्शाये गये हैं, उनमें उसकी जमानत स्वीकार हो चुकी है। आवेदक /» अभियुक्तपूर्व सजायाफ्ता नहीं है। आवेदक / अभियुक्त दिनांक 21.07.2020 से कारागार मेंनिरूद्ध है। अतः: उसे जमानत <नाम> <नाम> किया जाय। ",
"राज्य की ओर से उपस्थित विद्वान लोक अभियोजक ने जमानत प्रार्थना पत्रका विरोध करते हुए कहा गया है कि अभियुक्त आदतन अपराधी है। अभियुक्त कासंगठित गैंग है, जिसका वह गैंग लीडर है। अभियुक्त के विरूद्ध जिला मजिस्ट्रेट,आगरा से अनुमोदित गैंग चार्ट दाखिल है, जिसमें उसके विरूद्ध 1. मु0अ0सं0106 / 2020 अर्न्तगत <नाम> 395,397,412 भा0दं0सं0० थाना बरहन,आगरा 2. मु0अ0सं0138 / 2020 अर्न्तगत <नाम> 307 भाठदं0सं0० व 12 द0प्र0क्षेत्र अधि.थाना बरहन, आगरा3. मु0अ0सं0 122 /2020 अर्न्तगत <नाम> 380,411 भा0दं0सं० थाना बरहन,आगरा केमुकदमे लंबित हैं। अभियुक्त का अपराध गम्भीर <नाम> का है। अत: जमानत निरस्तकिये जाने की प्रार्थना की गयी है। "
],
"judge-opinion": [
" मैने जमानत प्रार्थना पत्र <नाम> अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता तथा विद्वानलोक अभियोजक को सुना गया तथा पत्रावली व कंस डायरी, गैंगचार्ट आदि कासम्यक परिशीलन किया। ",
"गैंग चार्ट के अनुसार, अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में कुल तीनउपरोक्त मामले दर्शाये गये हैं, जिनमें अभियुक्त के विरूद्ध डकैती, <नाम> से मारने काप्रयास, चोरी करने का अभिकथन है। ",
"उत्तर प्रदेश गिरोह बंद व समाज विरोधी कियाकलाप(निवारण) अधिनियम1986 की <नाम> 19(4) में प्रावधान है कि उक्त अपराध के अंतर्गत यदि अभियुक्तअभिरक्षा में है, तो उसे तब <नाम> जमानत <नाम> नहीं छोड़ा जायेगा, जब <नाम> कि-(क)लोक अभियोजक को ऐसे छोड़े जाने के आवेदन का विरोध करने का अवसर नहींदिया जाता और (ख) जहा लोक अभियोजक आवेदन का विरोध करता है, वहाँन्यायालय का समाधान हो जाये कि यह <नाम> करने का युक्क्तियुक्त आधार हैकि यह ऐसे अपराध का <नाम> नहीं है और यह कि जमानत <नाम> रहते समयउसके द्वारा कोई अपराध करने की <नाम> नहीं है। ",
"जहाँ <नाम> गैंगचार्ट में दर्शाये गये मामलों में अभियुक्त की जमानत स्वीकारहोने का प्रश्न है, <नाम> वह उक्त सभी मामलों में दोषमुक्त नहीं हुआ है, उसकी केवलजमानत स्वीकार हुई है। आवेदक / अभियुक्त <नाम> अपने साथियों के साथ मिलकरचोरी, डकैती व <नाम> से मारने का प्रयास करने जैसे आरोप हैं। पूर्व में इस न्यायालयद्वारा इस मामले के <नाम> अभियुक्त मनमोहन उर्फ गुल्लन का जमानत प्रार्थनापत्र संख्या-3505 // 2020 दिनांक 05.11.2020 को निरस्त किया जा चुका है। ",
"आवेदक /» अभियुक्त के विरूद्ध गैंग चार्ट में दर्शाये गये मुकदमों की संख्या,उनकी <नाम> एवं अभियुक्त के कब्जे से चोरी से संबंधित बरामदगी के तथ्य व vatअधिनियम की <नाम> 19(4) में वर्णित प्रावधान को दृष्टिगत रखते हुये न्यायालयका यह समाधान नहीं है कि अभियुक्त उक्त अपराध का <नाम> नहीं है और जमानतपर रहते हुये उसके अपराध करने की सम्भावना नहीं है। "
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