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कपिल शर्मा VS सुनील ग्रोवरः क्या बंद हो जाएगा द कपिल शर्मा शो? | लगता है कि कपिल शर्मा के सितारे अचानक ही गर्दिश में आ गए हैं. मेलबोर्न से मुंबई की फ्लाइट में अपने सहकलाकार सुनील ग्रोवर से कपिल की बदसलूकी के बाद कुछ भी उनके अनुकूल नहीं हो रहा है. कपिल ने ध्यान भटकाने के लिए अपनी पत्नी गिन्नी चतरथ को इंट्रोड्यूस कराया, वह काम न आया तो उन्होंने फेसबुक पर सुनील से अपनी लड़ाई को फैमिली मैटर बताया, ट्विटर पर उन्होंने सुनील से माफी भी मांगी पर बदले में उन्हें लोगों की इज्जत करने की सलाह मिल गई. अब सुनील ग्रोवर के साथ-साथ अली असगर, चंदन प्रभाकर, सुगंधा मिश्रा ने शो का बायकॉट कर दिया है, नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीतिक कारणों से शो छोड़ना पड़ रहा है ऐसे में कपिल की टीम में उनके साथ केवल कीकू शारदा रह गए हैं. अब खबर आ रही है कि सोनी टीवी उनके द कपिल शर्मा शो का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकती है, यदि ऐसा हुआ तो यह शो जल्द ही ऑफ एयर हो सकता है.
चैनल से जुड़े एक सूत्र ने डीएनए को बताया, "उनका कॉन्ट्रैक्ट अप्रैल में खत्म हो रहा है और कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल के लिए सोनी टीवी कपिल को 107 करोड़ रुपये देने वाली थी. अब ऐसा होना मुश्किल लग रहा है.” शो के मेकर्स को इस बात का भी डर है कि कपिल और सुनील के बीच हुए विवाद के बाद शो की टीआरपी और घट सकती है.
कपिल शर्मा के शो में रिंकू भाभी और डॉ मशहूर गुलाटी का किरदार निभाते हैं सुनील ग्रोवर. द कपिल शर्मा शो में शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन जैसे सितारे अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए आ चुके हैं. शो से जुड़े सूत्र ने डीएनए से कहा कि इस लड़ाई के बाद अब सितारे भी शो में आने से मना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह शो चैनल का सबसे चर्चित शो है, लेकिन लड़ाई के बाद टीआरपी में गिरावट के डर से निर्माताओं को कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं. यहां तक कि सितारे भी एपिसोड्स के लिए आने से इनकार करने लगे हैं."
खबरों के मुताबिक सुनील ग्रोवर ने शो में वापस नहीं लौटने का फैसला कर लिया है. पिछले सोमवार को सुनील का सपोर्ट करते हुए अली असगर, चंदन प्रभाकर और सुगंधा मिश्रा ने शो का बायकॉट किया था. इसके बाद सोनी से जुड़े एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि बुधवार को होने वाला शूट भी कैंसल कर दिया गया. कहा जा रहा है कि शो के कलाकार शूटिंग पर नहीं पहुंचे थे और बॉलीवुड सितारों ने भी शो पर आने से इनकार कर दिया.
टीम के कालाकरों के नहीं आने पर कपिल ने ली थी अपने पूराने कॉमेडियन दोस्तों की मदद.टिप्पणियां
इस बीच, द कपिल शर्मा शो के एक एपिसोड का हिस्सा बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव कपिल की टीम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि शो से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव शो के कॉमेडियन स्पेशल एपिसोड का हिस्सा थे. राजू श्रीवास्तव ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें अभी तक शो में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है, यदि ऑफर मिलता भी है तो वह सुनील ग्रोवर या किसी को भी रिप्लेस नहीं करेंगे.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था.
चैनल से जुड़े एक सूत्र ने डीएनए को बताया, "उनका कॉन्ट्रैक्ट अप्रैल में खत्म हो रहा है और कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल के लिए सोनी टीवी कपिल को 107 करोड़ रुपये देने वाली थी. अब ऐसा होना मुश्किल लग रहा है.” शो के मेकर्स को इस बात का भी डर है कि कपिल और सुनील के बीच हुए विवाद के बाद शो की टीआरपी और घट सकती है.
कपिल शर्मा के शो में रिंकू भाभी और डॉ मशहूर गुलाटी का किरदार निभाते हैं सुनील ग्रोवर. द कपिल शर्मा शो में शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन जैसे सितारे अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए आ चुके हैं. शो से जुड़े सूत्र ने डीएनए से कहा कि इस लड़ाई के बाद अब सितारे भी शो में आने से मना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह शो चैनल का सबसे चर्चित शो है, लेकिन लड़ाई के बाद टीआरपी में गिरावट के डर से निर्माताओं को कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं. यहां तक कि सितारे भी एपिसोड्स के लिए आने से इनकार करने लगे हैं."
खबरों के मुताबिक सुनील ग्रोवर ने शो में वापस नहीं लौटने का फैसला कर लिया है. पिछले सोमवार को सुनील का सपोर्ट करते हुए अली असगर, चंदन प्रभाकर और सुगंधा मिश्रा ने शो का बायकॉट किया था. इसके बाद सोनी से जुड़े एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि बुधवार को होने वाला शूट भी कैंसल कर दिया गया. कहा जा रहा है कि शो के कलाकार शूटिंग पर नहीं पहुंचे थे और बॉलीवुड सितारों ने भी शो पर आने से इनकार कर दिया.
टीम के कालाकरों के नहीं आने पर कपिल ने ली थी अपने पूराने कॉमेडियन दोस्तों की मदद.टिप्पणियां
इस बीच, द कपिल शर्मा शो के एक एपिसोड का हिस्सा बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव कपिल की टीम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि शो से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव शो के कॉमेडियन स्पेशल एपिसोड का हिस्सा थे. राजू श्रीवास्तव ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें अभी तक शो में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है, यदि ऑफर मिलता भी है तो वह सुनील ग्रोवर या किसी को भी रिप्लेस नहीं करेंगे.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था.
द कपिल शर्मा शो में शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन जैसे सितारे अपनी फिल्मों के प्रचार के लिए आ चुके हैं. शो से जुड़े सूत्र ने डीएनए से कहा कि इस लड़ाई के बाद अब सितारे भी शो में आने से मना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह शो चैनल का सबसे चर्चित शो है, लेकिन लड़ाई के बाद टीआरपी में गिरावट के डर से निर्माताओं को कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं. यहां तक कि सितारे भी एपिसोड्स के लिए आने से इनकार करने लगे हैं."
खबरों के मुताबिक सुनील ग्रोवर ने शो में वापस नहीं लौटने का फैसला कर लिया है. पिछले सोमवार को सुनील का सपोर्ट करते हुए अली असगर, चंदन प्रभाकर और सुगंधा मिश्रा ने शो का बायकॉट किया था. इसके बाद सोनी से जुड़े एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि बुधवार को होने वाला शूट भी कैंसल कर दिया गया. कहा जा रहा है कि शो के कलाकार शूटिंग पर नहीं पहुंचे थे और बॉलीवुड सितारों ने भी शो पर आने से इनकार कर दिया.
टीम के कालाकरों के नहीं आने पर कपिल ने ली थी अपने पूराने कॉमेडियन दोस्तों की मदद.टिप्पणियां
इस बीच, द कपिल शर्मा शो के एक एपिसोड का हिस्सा बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव कपिल की टीम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि शो से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव शो के कॉमेडियन स्पेशल एपिसोड का हिस्सा थे. राजू श्रीवास्तव ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें अभी तक शो में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है, यदि ऑफर मिलता भी है तो वह सुनील ग्रोवर या किसी को भी रिप्लेस नहीं करेंगे.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था.
खबरों के मुताबिक सुनील ग्रोवर ने शो में वापस नहीं लौटने का फैसला कर लिया है. पिछले सोमवार को सुनील का सपोर्ट करते हुए अली असगर, चंदन प्रभाकर और सुगंधा मिश्रा ने शो का बायकॉट किया था. इसके बाद सोनी से जुड़े एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि बुधवार को होने वाला शूट भी कैंसल कर दिया गया. कहा जा रहा है कि शो के कलाकार शूटिंग पर नहीं पहुंचे थे और बॉलीवुड सितारों ने भी शो पर आने से इनकार कर दिया.
टीम के कालाकरों के नहीं आने पर कपिल ने ली थी अपने पूराने कॉमेडियन दोस्तों की मदद.टिप्पणियां
इस बीच, द कपिल शर्मा शो के एक एपिसोड का हिस्सा बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव कपिल की टीम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि शो से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव शो के कॉमेडियन स्पेशल एपिसोड का हिस्सा थे. राजू श्रीवास्तव ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें अभी तक शो में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है, यदि ऑफर मिलता भी है तो वह सुनील ग्रोवर या किसी को भी रिप्लेस नहीं करेंगे.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था.
इस बीच, द कपिल शर्मा शो के एक एपिसोड का हिस्सा बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव कपिल की टीम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि शो से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राजू श्रीवास्तव शो के कॉमेडियन स्पेशल एपिसोड का हिस्सा थे. राजू श्रीवास्तव ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें अभी तक शो में शामिल होने का ऑफर नहीं मिला है, यदि ऑफर मिलता भी है तो वह सुनील ग्रोवर या किसी को भी रिप्लेस नहीं करेंगे.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था.
शो में सुनील ग्रोवर रिंकू भाभी और डॉक्टर मशहूर गुलाटी की भूमिकाओं में नजर आते हैं. इससे पहले सुनील ने एक बार कपिल का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल छोड़ दिया था, इसके बाद वह स्टार प्लस पर अपना शो मैड इन इंडिया लेकर आए थे, हालांकि वह शो सफल नहीं हुआ और उसके ऑफ एयर होने के बाद सुनील ने कपिल के शो में वापसी कर ली थी. खबरों के मुताबिक फ्लाइट में हुई लड़ाई में कपिल शर्मा ने इसी मुद्दे को लेकर सुनील को काफी भला बुरा कहा था और उन पर जूता भी फेंका था. |
राजघाट पावर प्लांट में कचरे से पैदा होगी बिजली, एमसीडी ने भी जताई सहमति | दिल्ली में कोयले से बिजली पैदा करने वाले राजघाट प्लांट को कचरा प्रबंधन प्लांट में तब्दील करने पर विचार किया जा रहा है. तीनों एमसीडी ने इस पर सहमति जताई है. इस पर आगे विचार किया जाएगा. दरअसल, दिल्ली में लगभग 10 हज़ार टन कूड़ा रोज़ निकलता है.
दिल्ली में 1,000 टन प्रतिदिन गोबर निकलता है. उसे भी प्रोसेस करने की जरुरत है, ताकि वो नालियों में न जाए. 600 टन गार भी प्रोसेस होने की जरुरत है.टिप्पणियां
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि कमेटी कमिटी ने निश्चय किया है कि गाजीपुर, सरिता विहार भलस्वा का दौरा किया जाएगा, ताकि दिल्ली में निर्माण से जुड़े जो भी रास्ते हैं, उसे प्रोसेस किया जा सके.
NHAI ने भी कुछ वेस्ट को लेकर सड़क निर्माण की बात कही है. एमसीडी से कूड़ा लेकर एक प्लांट को बिजली बनाने का काम दिया जाएगा, जिसे दिल्ली सरकार खरीदेगी.
दिल्ली में 1,000 टन प्रतिदिन गोबर निकलता है. उसे भी प्रोसेस करने की जरुरत है, ताकि वो नालियों में न जाए. 600 टन गार भी प्रोसेस होने की जरुरत है.टिप्पणियां
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि कमेटी कमिटी ने निश्चय किया है कि गाजीपुर, सरिता विहार भलस्वा का दौरा किया जाएगा, ताकि दिल्ली में निर्माण से जुड़े जो भी रास्ते हैं, उसे प्रोसेस किया जा सके.
NHAI ने भी कुछ वेस्ट को लेकर सड़क निर्माण की बात कही है. एमसीडी से कूड़ा लेकर एक प्लांट को बिजली बनाने का काम दिया जाएगा, जिसे दिल्ली सरकार खरीदेगी.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि कमेटी कमिटी ने निश्चय किया है कि गाजीपुर, सरिता विहार भलस्वा का दौरा किया जाएगा, ताकि दिल्ली में निर्माण से जुड़े जो भी रास्ते हैं, उसे प्रोसेस किया जा सके.
NHAI ने भी कुछ वेस्ट को लेकर सड़क निर्माण की बात कही है. एमसीडी से कूड़ा लेकर एक प्लांट को बिजली बनाने का काम दिया जाएगा, जिसे दिल्ली सरकार खरीदेगी.
NHAI ने भी कुछ वेस्ट को लेकर सड़क निर्माण की बात कही है. एमसीडी से कूड़ा लेकर एक प्लांट को बिजली बनाने का काम दिया जाएगा, जिसे दिल्ली सरकार खरीदेगी. |
Delhi-NCR की खराब हो रही है आबोहवा, पड़ोसी राज्यों में जल रहे पराली | दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई इलाकों में बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में रही और 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास के पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण रहे. बता दें, दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (299) भी ‘बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गया है. यह मंगलवार को शाम चार बजे तक 270 था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 17 केंद्रों में समग्र एक्यूआई की ‘बहुत खराब' श्रेणी दर्ज की गई. एक्यूआई मुंडका में 368, द्वारका सेक्टर 8 में 362, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 355, आनंद विहार में 328, वजीरपुर में 323, रोहिणी में 323, बवाना में 320, अशोक विहार में 319, नेहरू नगर में 319 और जहांगीरपुरी में 318 रहा.
इनके अलावा अलीपुर (314), नरेला (312), विवेक विहार (311), सिरी फोर्ट (309), सीआरआरआई- मथुरा रोड (304), ओखला फेज 2 (303) और आईटीओ (302) में भी बहुत खराब वायु गुणवत्ता रही. पड़ोसी इलाकों गाजियाबाद (337), लोनी देहात (335), नोएडा (318) और ग्रेटर नोएडा (308) में भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई. एक्यूआई 0 से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा' होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक', 101 से 200 के बीच ‘मध्यम', 201 से 300 के बीच ‘खराब', 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर' समझा जाता है.
केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने मंगलवार को पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाएं ‘बढ़ती' देखी थी और पूर्वानुमान जताया था कि दिल्ली की पीएम 2.5 सांद्रता में पराली जलाए जाने की भागीदारी बुधवार को करीब छह प्रतिशत रहेगी. दिल्ली सरकार ने नासा से मिली तस्वीरें और आंकड़े भी साझा किए थे, जिसमें दिल्ली के आस-पास के इलाकों में बड़े स्तर पर पराली जलती दिखाई गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर ‘सफर' के आंकड़ों तक पहुंच मुहैया कराने का आग्रह किया है, ताकि प्रशासन वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय कर सके. इससे पहले, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कहा था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब वायु गुणवत्ता के मुख्य कारण हैं. |
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव : मतदाताओं के स्मार्टफोन तक की जानकारी है बीजेपी के पास, कांग्रेस 'सत्ता विरोधी लहर' के भरोसे | वोटरों की तादाद देखते हुए हॉफ पेज प्रभारियों का आंकड़ा 30 लाख से ज्यादा पहुंच सकता है जिसके चयन के लिये पार्टी ने मशक्कत शुरू कर दी है. पन्ना प्रभारी की तैनाती करना मूल रूप से वरिष्ठ भाजपा नेता कुशाभाऊ ठाकरे का विचार था. 1998 में ये रणनीति मध्यप्रदेश में लागू की गई थी. उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में और हाल में कर्नाटक में इसे कामयाबी से आजमाया गया.. सत्ता भले हाथ में आकर चली गई लेकिन विधायक बढ़ गये. |
महेशपुर विधानसभा सीट : हमेशा नया विधायक भेजती रही है विधानसभा में | झारखंड के संथाल क्षेत्र की महेशपुर विधानसभा सीट (Maheshpur Assembly Seat) की 100 फीसदी आबादी ग्रामीण है. 54.23 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) के मतदाताओं वाली महेशपुर सीट पर 2.94 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) के भी हैं. केंद्रीय निर्वाचन आयोग, यानी Election Commission of India (ECI) द्वारा घोषित किए गए झारखंड विधानसभा चुनाव कार्यक्रम (Jharkhand Election 2019) के अनुसार इस सीट पर पांचवें और अंतिम चरण में 20 दिसंबर, 2019 को मतदान (Jharkhand Election Date) करवाया जाएगा, तथा मतगणना (Maheshpur Election Results) 23 दिसंबर, 2019 को होगी.
पिछली बार वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के स्टीफन मरांडी ने जीत हासिल की थी, जिन्हें 32.2 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इस सीट, यानी महेशपुर सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव (Maheshpur Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का उम्मीदवार दूसरे, झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का प्रत्याशी तीसरे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) का उम्मीदवार चौथे तथा कांग्रेस का प्रत्याशी पांचवें स्थान पर रहे थे. पिछले चुनाव में इस सीट के मतदाताओं में से 2,527, यानी 1.6 फीसदी ने NOTA, यानी 'इनमें से कोई नहीं' का विकल्प चुना था.
उससे पहले, वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर झारखंड विकास मोर्चा (JVM) के मिस्त्री सोरेन ने जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः भारतीय जनता पार्टी (BJP), तृणमूल कांग्रेस (TMC), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) और निर्दलीय प्रत्याशी रहे थे. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सुफल मरांडी ने जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः भारतीय जनता पार्टी (BJP), ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) और JHDP के उम्मीदवार रहे थे |
जज पर दाखिल होगी चार्जशीट, राष्ट्रपति की मंजूरी | पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज और उत्तराखंड हाई कोर्ट की जज निर्मल यादव के खिलाफ़ चार्जशीट दायर करने की अर्जी को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। सीबीआई ने जस्टिस निर्मल यादव के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर करने की इजाज़त मांगी थी। यह मामला अगस्त 2008 का है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की एक जज निर्मलजीत कौर के घर पर 15 लाख रुपये कैश पहुंचे। निमर्लजीत कौर ने इसके ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत की। जांच करने पर पता चला कि ये पैसे जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजे गए थे। ये पैसे रिश्वत के तौर पर भेजे जाने का आरोप है। जस्टिस निर्मल यादव इस वक्त उत्तराखंड हाई कोर्ट की जज हैं। |
केजरीवाल के आरोपों से अंबानी बंधुओं का इनकार | अंबानी बंधुओं ने अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया कि उन लोगों ने जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में काला धन जमा कर रखा है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनका वहां कोई खाता है।
आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. ने कहा कि न तो आरआईएल और न ही मुकेश का दुनिया में कहीं भी कोई ‘अवैध’ खाता है या था।टिप्पणियां
कंपनी ने कहा कि सामान्य व्यवसाय के तहत आरआईएल की अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियां एचएसबीसी सहित कई वैश्विक बैंकों के साथ काम करती हैं। ये खाते पूरी तरह से नियमों के अनुरूप हैं और भारत तथा उचित स्थानों पर उनके बारे में पूरी सूचना का खुलासा किया गया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘आईएसी द्वारा हमारे खिलाफ लगातार निराधार आरोप लगाया जाना निहित स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है।’ केजरीवाल द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से साफ इनकार करते हुए अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने एक अलग बयान में कहा, ‘अनिल डी अंबानी का जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में कोई खाता नहीं है।’ रिलांयस समूह ने बयान में कहा कि यह अफसोसजनक है कि आईएसी द्वारा निहित स्वार्थ से ऐसे निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं।
आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. ने कहा कि न तो आरआईएल और न ही मुकेश का दुनिया में कहीं भी कोई ‘अवैध’ खाता है या था।टिप्पणियां
कंपनी ने कहा कि सामान्य व्यवसाय के तहत आरआईएल की अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियां एचएसबीसी सहित कई वैश्विक बैंकों के साथ काम करती हैं। ये खाते पूरी तरह से नियमों के अनुरूप हैं और भारत तथा उचित स्थानों पर उनके बारे में पूरी सूचना का खुलासा किया गया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘आईएसी द्वारा हमारे खिलाफ लगातार निराधार आरोप लगाया जाना निहित स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है।’ केजरीवाल द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से साफ इनकार करते हुए अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने एक अलग बयान में कहा, ‘अनिल डी अंबानी का जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में कोई खाता नहीं है।’ रिलांयस समूह ने बयान में कहा कि यह अफसोसजनक है कि आईएसी द्वारा निहित स्वार्थ से ऐसे निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं।
कंपनी ने कहा कि सामान्य व्यवसाय के तहत आरआईएल की अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियां एचएसबीसी सहित कई वैश्विक बैंकों के साथ काम करती हैं। ये खाते पूरी तरह से नियमों के अनुरूप हैं और भारत तथा उचित स्थानों पर उनके बारे में पूरी सूचना का खुलासा किया गया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘आईएसी द्वारा हमारे खिलाफ लगातार निराधार आरोप लगाया जाना निहित स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है।’ केजरीवाल द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से साफ इनकार करते हुए अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने एक अलग बयान में कहा, ‘अनिल डी अंबानी का जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में कोई खाता नहीं है।’ रिलांयस समूह ने बयान में कहा कि यह अफसोसजनक है कि आईएसी द्वारा निहित स्वार्थ से ऐसे निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘आईएसी द्वारा हमारे खिलाफ लगातार निराधार आरोप लगाया जाना निहित स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है।’ केजरीवाल द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से साफ इनकार करते हुए अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने एक अलग बयान में कहा, ‘अनिल डी अंबानी का जिनेवा में एचएसबीसी बैंक में कोई खाता नहीं है।’ रिलांयस समूह ने बयान में कहा कि यह अफसोसजनक है कि आईएसी द्वारा निहित स्वार्थ से ऐसे निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। |
चीन में विश्व का सबसे शक्तिशाली विद्युत केबल शुरू | चीन के पश्चिमोत्तर इलाके में 660 किलोवाट की क्षमता वाले एक दिशा में विद्युत का संचार करने वाले तंत्र ने सोमवार से एक प्रांत को बिजली की आपूर्ति करनी शुरू कर दी। विद्युत का संचार इस रूप में करने वाले इस तंत्र को विश्व की पहली प्रणाली बताया जा रहा है। समाचार एजेंसी 'सिन्हुआ' के मुताबिक यह संचार तंत्र बिजली की आपूर्ति चीन के पश्चिमोत्तर स्वायत्त क्षेत्र निंगझिआ हुई से पूर्वी प्रांत शेडोंग को कर रहा है। समाचार एजेंसी के मुताबिक 1.58 अरब डॉलर की लागत वाली यह परियोजना चीन के पश्चिम-पूर्व क्षेत्रों के लिए विद्युत संचार कार्यक्रम का हिस्सा है। इस प्रणाली के केबल की क्षमता 1333 किलोमीटर की दूरी से 40 लाख किलोवाट विद्युत का संचार करने की है। यह केबल पांच राज्यों से होकर गुजर रही है। ज्ञात हो कि चीन के कोयला संसाधन प्रमुख रूप से पश्चिम और उत्तर इलाकों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों के लिए पश्चिम-पूर्व विद्युत संचार कार्यक्रम वर्ष 2000 में शुरू किया गया। |
अमेरिकी मीट : पूनिया ने रजत पदक पर कब्जा किया | भारत की महिला चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया ने सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए आल्टियस ट्रैक क्रू थ्रोडाउन मीट में रजत पदक जीत लिया है।
पूनिया ने शुक्रवार को 63.67 मीटर चक्का फेंक अपने वर्ष 2011 के सर्वश्रेष्ठ 62.25 मीटर में सुधार किया।टिप्पणियां
अमेरिका की स्टेफनी ट्राफ्टॉन ने 67.74 मीटर चक्का फेंक कर पहला स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। स्टेफनी वर्ष 2008 बीजिंग ओलम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता हैं।
गिया लेविस-स्मौलवुड ने 62.88 मीटर चक्का फेंक तीसरा स्थान हासिल किया।
पूनिया ने शुक्रवार को 63.67 मीटर चक्का फेंक अपने वर्ष 2011 के सर्वश्रेष्ठ 62.25 मीटर में सुधार किया।टिप्पणियां
अमेरिका की स्टेफनी ट्राफ्टॉन ने 67.74 मीटर चक्का फेंक कर पहला स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। स्टेफनी वर्ष 2008 बीजिंग ओलम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता हैं।
गिया लेविस-स्मौलवुड ने 62.88 मीटर चक्का फेंक तीसरा स्थान हासिल किया।
अमेरिका की स्टेफनी ट्राफ्टॉन ने 67.74 मीटर चक्का फेंक कर पहला स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। स्टेफनी वर्ष 2008 बीजिंग ओलम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता हैं।
गिया लेविस-स्मौलवुड ने 62.88 मीटर चक्का फेंक तीसरा स्थान हासिल किया।
गिया लेविस-स्मौलवुड ने 62.88 मीटर चक्का फेंक तीसरा स्थान हासिल किया। |
ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं के बीच सेंसेक्स 150 से अधिक अंक उछला, निफ्टी 9,400 के पार | कारोबारी सप्ताह के पहले दिन शेयर बाजारों में तेजी पर कारोबार हो रहा है. ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं के बीच सेंसेक्स जहां 150 से अधिक अंक उछल गया, जबकि निफ्टी 9400 के स्तर के पार कारोबार करता देखा गया. सेंसेक्स और निफ्टी में 0.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 118 अंकों की तेजी के साथ 30306 के स्तर पर कारोबार करता देखा जा रहा है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स निफ्टी 37 अंक तेजी के साथ 9438 के स्तर पर कारोबार करता देखा जा रहा है.
सेंसेक्स सुबह 10.04 बजे 104.42 अंकों की बढ़त के साथ 30,292.57 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 32.20 अंकों की मजबूती के साथ 9,433.10 पर कारोबार करते देखे गए. बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 99.22 अंकों की बढ़त के साथ 30,287.37 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 32.65 अंकों की बढ़त के साथ 9,433.55 पर खुला.टिप्पणियां
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी देखी जा रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी तक चढ़ा जबकि निफ्टी का मिडकैप 100 इंडेक्स करीब 0.5 फीसदी चढ़ा.
दरअसल बाजारों पर अप्रैल माह में महंगाई में कमी आने के बाद केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर जोश देखा जा रहा है. बता दें कि दालों और सब्जियों सहित खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई. मार्च में यह 3.89 प्रतिशत के स्तर पर थी. मार्च, 2017 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति संशोधित होकर 3.89 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि इससे पहले यह 3.81 प्रतिशत दर्ज की गई थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले अप्रैल में 5.47 प्रतिशत थी. दालों और उत्पादों की कीमतों में अप्रैल में 15.94 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आई. वहीं सब्जियों के दाम 8.59 प्रतिशत घटे. मार्च में दालों के दाम 12.42 प्रतिशत और सब्जियों के 7.24 प्रतिशत घटे थे.
सेंसेक्स सुबह 10.04 बजे 104.42 अंकों की बढ़त के साथ 30,292.57 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 32.20 अंकों की मजबूती के साथ 9,433.10 पर कारोबार करते देखे गए. बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 99.22 अंकों की बढ़त के साथ 30,287.37 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 32.65 अंकों की बढ़त के साथ 9,433.55 पर खुला.टिप्पणियां
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी देखी जा रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी तक चढ़ा जबकि निफ्टी का मिडकैप 100 इंडेक्स करीब 0.5 फीसदी चढ़ा.
दरअसल बाजारों पर अप्रैल माह में महंगाई में कमी आने के बाद केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर जोश देखा जा रहा है. बता दें कि दालों और सब्जियों सहित खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई. मार्च में यह 3.89 प्रतिशत के स्तर पर थी. मार्च, 2017 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति संशोधित होकर 3.89 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि इससे पहले यह 3.81 प्रतिशत दर्ज की गई थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले अप्रैल में 5.47 प्रतिशत थी. दालों और उत्पादों की कीमतों में अप्रैल में 15.94 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आई. वहीं सब्जियों के दाम 8.59 प्रतिशत घटे. मार्च में दालों के दाम 12.42 प्रतिशत और सब्जियों के 7.24 प्रतिशत घटे थे.
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी देखी जा रही है. बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.6 फीसदी तक चढ़ा जबकि निफ्टी का मिडकैप 100 इंडेक्स करीब 0.5 फीसदी चढ़ा.
दरअसल बाजारों पर अप्रैल माह में महंगाई में कमी आने के बाद केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर जोश देखा जा रहा है. बता दें कि दालों और सब्जियों सहित खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई. मार्च में यह 3.89 प्रतिशत के स्तर पर थी. मार्च, 2017 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति संशोधित होकर 3.89 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि इससे पहले यह 3.81 प्रतिशत दर्ज की गई थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले अप्रैल में 5.47 प्रतिशत थी. दालों और उत्पादों की कीमतों में अप्रैल में 15.94 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आई. वहीं सब्जियों के दाम 8.59 प्रतिशत घटे. मार्च में दालों के दाम 12.42 प्रतिशत और सब्जियों के 7.24 प्रतिशत घटे थे.
दरअसल बाजारों पर अप्रैल माह में महंगाई में कमी आने के बाद केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को लेकर जोश देखा जा रहा है. बता दें कि दालों और सब्जियों सहित खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई. मार्च में यह 3.89 प्रतिशत के स्तर पर थी. मार्च, 2017 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति संशोधित होकर 3.89 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि इससे पहले यह 3.81 प्रतिशत दर्ज की गई थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले अप्रैल में 5.47 प्रतिशत थी. दालों और उत्पादों की कीमतों में अप्रैल में 15.94 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आई. वहीं सब्जियों के दाम 8.59 प्रतिशत घटे. मार्च में दालों के दाम 12.42 प्रतिशत और सब्जियों के 7.24 प्रतिशत घटे थे. |
दिल्ली पुलिस ने योग दिवस के मद्देनजर यातायात परामर्श जारी किया | नई दिल्ली जिले के पुलिस उपायुक्त विजय सिंह ने बताया कि योग कार्यक्रम के समापन तक राजपथ पर विजय चौक से राजपथ / रफीमार्ग क्रॉसिंग तक यातायात की इजाजत नहीं होगी।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि 14 जून से राजपथ पर राजपथ / रफी मार्ग क्रॉसिंग से लेकर राजपथ/हेक्सागॉन क्रॉसिंग तक वाहनों का प्रवेश वर्जित हो सकता है। जनपथ और मानसिंह रोड क्रॉसिंग पर केवल सड़क पार यातायात की अनुमति हो सकती है। राजपथ / रफीमार्ग क्रॉसिंग पर 19 जून से अपराह्न 1 बजे से किसी यातायात की अनुमति नहीं होगी।
राजपथ / जनपथ क्रॉसिंग और राजपथ / मानसिंह रोड क्रॉसिंग पर 20 जून रात 9 बजे से अगले दिन योग के समापन होने तक किसी क्रॉस यातायात की इजाजत नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि 14 जून से राजपथ पर राजपथ / रफी मार्ग क्रॉसिंग से लेकर राजपथ/हेक्सागॉन क्रॉसिंग तक वाहनों का प्रवेश वर्जित हो सकता है। जनपथ और मानसिंह रोड क्रॉसिंग पर केवल सड़क पार यातायात की अनुमति हो सकती है। राजपथ / रफीमार्ग क्रॉसिंग पर 19 जून से अपराह्न 1 बजे से किसी यातायात की अनुमति नहीं होगी।
राजपथ / जनपथ क्रॉसिंग और राजपथ / मानसिंह रोड क्रॉसिंग पर 20 जून रात 9 बजे से अगले दिन योग के समापन होने तक किसी क्रॉस यातायात की इजाजत नहीं होगी।
राजपथ / जनपथ क्रॉसिंग और राजपथ / मानसिंह रोड क्रॉसिंग पर 20 जून रात 9 बजे से अगले दिन योग के समापन होने तक किसी क्रॉस यातायात की इजाजत नहीं होगी। |
अनमोल के दो दोस्त न्यायिक हिरासत में भेजे गए | प्रवासी भारतीय छात्र अनमोल सरना के दो दोस्तों को एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को 30 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। एक ड्रग पार्टी के बाद अनमोल की मौत हो गई थी। उसके दोस्त मादक पदार्थ का सेवन करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
महानगर दंडाधिकारी दीपक वासन ने शिवंक गंभीर (20) और माधव (20) को तिहाड़ जेल भेज दिया। पुलिस ने अदालत को बताया कि अब उसे पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। दो दिनों की पुलिस हिरासत के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था।टिप्पणियां
अदालत ने मामले के चार अन्य आरोपियों प्रनिल शाह, रयथम गिरहोत्रा, सुरेंदर बाली और नरेश मिश्रा को भी 30 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
न्यूयार्क के अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर चुका सरना आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाला था। 13 सितंबर को कालकाजी स्थित साउथ पार्क अपार्टमेंट अपने एक दोस्त के घर पर आयोजित ड्रग पार्टी के बाद उसकी मौत हो गई।
महानगर दंडाधिकारी दीपक वासन ने शिवंक गंभीर (20) और माधव (20) को तिहाड़ जेल भेज दिया। पुलिस ने अदालत को बताया कि अब उसे पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। दो दिनों की पुलिस हिरासत के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था।टिप्पणियां
अदालत ने मामले के चार अन्य आरोपियों प्रनिल शाह, रयथम गिरहोत्रा, सुरेंदर बाली और नरेश मिश्रा को भी 30 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
न्यूयार्क के अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर चुका सरना आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाला था। 13 सितंबर को कालकाजी स्थित साउथ पार्क अपार्टमेंट अपने एक दोस्त के घर पर आयोजित ड्रग पार्टी के बाद उसकी मौत हो गई।
अदालत ने मामले के चार अन्य आरोपियों प्रनिल शाह, रयथम गिरहोत्रा, सुरेंदर बाली और नरेश मिश्रा को भी 30 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
न्यूयार्क के अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर चुका सरना आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाला था। 13 सितंबर को कालकाजी स्थित साउथ पार्क अपार्टमेंट अपने एक दोस्त के घर पर आयोजित ड्रग पार्टी के बाद उसकी मौत हो गई।
न्यूयार्क के अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर चुका सरना आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाला था। 13 सितंबर को कालकाजी स्थित साउथ पार्क अपार्टमेंट अपने एक दोस्त के घर पर आयोजित ड्रग पार्टी के बाद उसकी मौत हो गई। |
अगर कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाया तो फिर से हो सकता है कैंसर | अरबाना शैंपैन स्थित इलिनोइस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता अन्ना ई. आर्थर ने बताया कि कार्बोहाइड्रेट खाने वाले मरीजों और अन्य मरीजों में कैंसर के प्रकार और कैंसर के चरण में अंतर पाया गया. हालांकि उपचार के बाद कम मात्रा में वसा और अनाज, आलू जैसे स्टार्च वाले भोजन खाने वाले मरीजों में बीमारी की पुनरावृत्ति और मौत का खतरे कम हो सकता है.Video: इररेग्युलर पीरियड्स को न करें नजरअंदाजInput: IANS
Video: इररेग्युलर पीरियड्स को न करें नजरअंदाजInput: IANS |
संतोषजनक नहीं है हमारा प्रदर्शन : भाजपा | पांच राज्यों की 800 से अधिक सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को छह सीट ही मिलने से निराश भाजपा ने शुक्रवार को माना कि उसका प्रदर्शन कतई संतोषजनक नहीं है। असम में सरकार बनाने के पार्टी के दावे की हवा निकलने पर उसने कहा कि वहां असम गण परिषद् से समझौता नहीं होने का पार्टी को खामियाजा उठाना पड़ा है। चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए भाजपा संसदीय बोर्ड की शाम को बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, भाजपा का विचार है कि हर राज्य के चुनाव परिणामों के अलग-अलग कारक हैं। पश्चिम बंगाल में 34 साल के वाम शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हावी रही जबकि तमिलनाडु में भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद ने परिणामों को प्रभावित किया। उन्होंने स्वीकार किया कि असम में अकेले चुनाव लड़ने का भाजपा का फैसला गलत साबित हुआ। जेटली ने कहा, भाजपा को इस बात का खेद है कि असम में विपक्ष की एकता की कमी का कांग्रेस को फायदा उठाने का मौका मिल गया। राज्य में 2006 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 10 सीट मिली थीं जो इस बार घट कर पांच रह गई। उन्होंने कहा कि इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन कतई संतोषजनक नहीं है। भाजपा के खराब प्रदर्शन के बावजूद जेटली ने पश्चिम बंगाल और केरल में वाम मोर्चे की हार के लिए उसका मज़ाक बनाते हुए कहा, देर से ही सही मगर मार्क्सवादी विचारधारा का विश्व पैमाने पर शुरू हुआ पतन भारत में भी पंहुच ही गया। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी की उस चुटकी पर कड़ी आपत्ति जताई जिसमें वित्त मंत्री ने कहा है कि अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहाने वाली भाजपा पांच राज्यों की 800 से अधिक सीटों के लिए हुए चुनाव में केवल छह सीट ही जीत पाई। जेटली ने कहा कि यही बात कुछ महीने पहले बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में कही जा सकती है। |
करण जौहर के बच्चों से मिलने पहुंचे आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव | करण जौहर हाल ही में अपने जुड़वा बच्चों, यश और रूही, को मुंबई के सूर्या अस्पताल से अपने घर लेकर आए हैं. ऐसे में करण के इन नन्हें-मुन्नों से मिलने के लिए कई बॉलीवुड सितारे पहुंच रहे हैं. 29 मार्च को अपने बच्चों को जैसे ही घर लेकर पहुंचे, तो सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरुण धवन उनसे मिलने पहुंच गए. अब शनिवार को एक्टर आमिर खान अपनी पत्नी किरण राव के साथ करण जौहर के घर उनसे मिलने पहुंचे हैं. 44 साल के करण ने कई मौकों पर पिता बनने की अपने इच्छा सामने रखी थी. करण हाल ही में सरोगेसी के माध्यम से पिता बने हैं. उन्होंने अपने बच्चों के नाम अपने पिता यश जौहर और मां हीरू जौहर के नाम के अक्षर को पलट कर रखा है. आमिर के अलावा करण के घर पर आलिया भट्ट और शाहिद कपूर भी उनके बच्चों से मिलने पहुंचे हैं.
शुक्रवार को करण जौहर ने अपने बच्चों की नर्सरी के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं. करण के बच्चों के लिए यह नर्सरी उनके करीबी दोस्त शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान ने डिजाइन की है.
@gaurikhan designs my baby nursery with so much love and care!! Love you gauri! It's the most beautiful space....A post shared by Karan Johar (@karanjohar) on Mar 30, 2017 at 9:58pm PDT The detailing of the baby nursery....designed with love and care by @gaurikhanA post shared by Karan Johar (@karanjohar) on Mar 30, 2017 at 9:59pm PDT
मीडिया में आई खबरों के अनुसार करण जौहर के बच्चों से मिलने काफी कम संख्या में ही लोग आएंगे और यह खुद करण ने तय किया है. दरअसल करण के यह बच्चे प्रीमेच्योर हुए हैं और उन्हें शुरुआत के महीनों में इंफेक्शन का खतरा है. ऐसे में बच्चों से मिलने बहुत नियमित गेस्ट ही आ सकते हैं.
बता दें कि करण जौहर ने अपने पिता बनने की यह खबर खुद सोशल मीडिया के माध्यम से दी थी. करण ने कहा था कि वह बहुत डर गए थे जब उन्हें पता चला कि उनके बच्चों को थोड़ी स्वास्थ्य परेशानियां हैं. खबरों के अनुसार 'घर पर आने वाले किसी भी मेहमान को कम से कम एक महीने तक बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा. बच्चों के लिए प्रोटेक्शन नेट के साथ खास झूले तैयार किए गए हैं और उनका ख्याल रखने के लिए एक नर्स भी नियुक्त की गई है. करण की मां हीरू जौहर भी बच्चों की खास ख्याल रख रही हैं.' googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); });
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The detailing of the baby nursery....designed with love and care by @gaurikhan
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बता दें कि करण जौहर ने अपने पिता बनने की यह खबर खुद सोशल मीडिया के माध्यम से दी थी. करण ने कहा था कि वह बहुत डर गए थे जब उन्हें पता चला कि उनके बच्चों को थोड़ी स्वास्थ्य परेशानियां हैं. खबरों के अनुसार 'घर पर आने वाले किसी भी मेहमान को कम से कम एक महीने तक बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा. बच्चों के लिए प्रोटेक्शन नेट के साथ खास झूले तैयार किए गए हैं और उनका ख्याल रखने के लिए एक नर्स भी नियुक्त की गई है. करण की मां हीरू जौहर भी बच्चों की खास ख्याल रख रही हैं.' |
सलमान खान की फिल्म के डायरेक्टर बोले- 'टाइगर जिंदा है' में है अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक्शन | Desert , sunset and Tiger @TigerZindaHaipic.twitter.com/DelEh6haa1
A post shared by Katrina Kaif (@katrinakaif) on May 16, 2017 at 12:13am PDT
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
पहली तिमाही में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि: प्रणब | वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 26.43 प्रतिशत की जबर्दस्त वृद्धि हुई है और यह गति आगे भी बने रहने की उम्मीद है। मुखर्जी तमिलनाडु क्षेत्र के आयकर एवं सीमाशुल्क तथा उत्पाद शुल्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। चालू वित्तवर्ष में अभी तक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के संग्रहण में हुई प्रगति की सराहना करते हुए मुखर्जी ने अधिकारियों से कर वसूली पर अधिक जोर देने को कहा। सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अप्रत्यक्ष कर के मामले में चालू वित्तवर्ष के पहले तीन महीनों में सीमाशुल्क में 27.6 प्रतिशत, केंद्रीय उत्पादक शुल्क में 33 प्रतिशत और सेवाकर में 33.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विज्ञप्ति में कहा गया है, सीमाशुल्क में हुई किसी भी कटौती के कारण सीमाशुल्क संग्रहण में आने वाली कमी की भरपाई सेवाकर में होने वाली तीव्र वृद्धि से कर ली जाएगी। विज्ञप्ति में मुखर्जी के हवाले से कहा गया है कि चालू वित्तवर्ष के लिए बजट में निर्धारित राजस्व वसूली लक्ष्यों को हासिल करने के हर संभव उपाय किए जाने चाहिए और इसके साथ ही उन्होंने दोनों बोर्डों के अधिकारियों को बजट लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक राजस्व वसूली के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने को कहा है। उन्होंने कहा कि तिमाही के दौरान बेहतर कर वसूली के साथ-साथ विभाग ने इस अवधि के दौरान 2,65,000 टैक्स रिफंड के मामलों का निपटारा भी किया। |
समाचार पत्रों में आज- फिर बाहर आया चारा घोटले का जिन्न तो, केजरीवाल ने कहा- सच की होगी जीत | इनके अलावा आईपीएस चारु निगम के साथ भाजपा विधायक का दुर्व्यवहार, जस्टिस करनन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को सजा सुनाना और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा आवास ऋण के ब्याज की दरें घटाना जैसी खबरों ने पहले पन्ने पर जगह पाई है. |
दिल्ली के मंत्री दिहाड़ी मजदूर की बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे | दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में दाखिला सुनिश्चित करने वाली 19 साल की लड़की की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे. यह लड़की दिहाड़ी मजदूर की बेटी है और उसने नीट की परीक्षा पास की है. दिल्ली सरकार की 'जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना' के तहत निशुल्क कोचिंग पाकर कॉलेज में दाखिला सुनिश्चित करने वाली शशि पहली महिला हैं. गौतम ने कहा, 'मुझे इतना अच्छा कभी नहीं लगा. मेरे दो बेटे हैं. अब मेरी एक बेटी भी है. मैं शशि की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाऊंगा.'
कल एक परिवार ने दिल्ली के एक बच्चे विजय की पूरी पढ़ाई का जिम्मा उठाया, मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी द्वारा दिल्लीवासियों को अपील करने पर मुझे भी प्रेरणा मिली। मैंने शशि की एमबीबीएस की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है और ये खबर साझा करते हुए बेहद खुशी हो रही है। pic.twitter.com/KxkccunMDV
उन्होंने कहा, 'शशि जैसे विद्यार्थियों ने मुश्किल परीक्षा पास की और प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में दाखिला सुनिश्चित किया. निश्चित तौर पर वे अपनी जिदंगी में काफी कुछ हासिल करेंगे. पैसों की कमी उनकी शिक्षा की राह में रोड़ा नहीं बननी चाहिए.' शशि के पिता 47 वर्षीय अखिलेश कुमार गौड़ ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. वह दीवार पर प्लास्टर से 400 रुपये रोज़ कमाते हैं. उनकी मां कभी भी स्कूल नहीं गईं.
रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि दिल्ली में रहने वाले एक शख्स ने आईआईटी-दिल्ली में सीट सुनिश्चित करने वाले विजय कुमार की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया है। कुमार ने भी निशुल्क कोचिंग योजना का लाभ उठाया था. |
संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस | भाजपा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बात रखने के लिए संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस दिया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कई सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रश्नकाल स्थगित कर देश में वर्तमान परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस दिया है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज उन सदस्यों में शामिल थी जिन्होंने प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस दिया। जबकि राज्यसभा में इसी प्रकार का नोटिस सांसद प्रकाश जावड़ेकर समेत अन्य सदस्यों ने दिया।गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों में राणनीति तय करने के लिए आज सुबह राजग नेताओं की बैठक हुई। |
अमेरिका में नस्लीय हिंसा का शिकार हुए श्रीनिवास कुचिभोटला का शव आज लाया जाएगा हैदराबाद | अमेरिका में नस्लीय हिंसा का शिकार हुए श्रीनिवास कुचिभोटला का शव सोमवार रात को हैदराबाद लाया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने कुचिभोटला के शव को भारत लाने के प्रबंध किए हैं.
गौरतलब है कि 22 फरवरी को कंसास शहर में पूर्व नौसैनिक एडम डब्ल्यू.परिंटन ने एक बार में दो भारतीयों पर गोली चला दी थी, जिसमें कुचिभोटला की मौत हो गई थी, जबकि आलोक मदासानी गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इन दोनों भारतीयों के बचाव में आगे आए एक अमेरिकी नागरिक को भी गोली लगी थी.
कुचिभोटला का शव एयर इंडिया के विमान से हैदराबाद हवाईअड्डे पहुंच सकता है. कुचिभोटला की पत्नी सुनयना डुमाला, उनके भाई, भाभी और अन्य संबंधी भी साथ होंगे. परिवार के सदस्यों के मुताबिक, कुचिभोटला का अंतिम संस्कार जुबली हिल्स में मंगलवार को किया जाएगा.
कुचिभोटला की मौत पर उनके संबंधी, दोस्त और विभिन्न पार्टियों के नेता परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके घर गए. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू और बंदारू दत्तात्रेय उनके परिवार के सदस्यों को सांत्वना देने के लिए रविवार को उनके घर पहुंचे थे. |
सिंहस्थ : अव्यवस्था से नाराज परी अखाड़ा प्रमुख ने जिंदा समाधि की घोषणा | उल्लेखनीय है कि भवंता ने इससे पहले आमरण अनशन भी किया था, तब प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था, मगर वह पूरा नहीं किया गया। इसके विरोध में ही परी अखाड़ा प्रमुख मंगलवार को 10 फुट गहरे गड्ढे में जिंदा समाधि लेने जा रही हैं।टिप्पणियां
अव्यवस्थाओं के विरोध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही सुविधाएं न सुधरने पर दूसरा शाही स्नान न करने का एलान कर चुका था। इसके बाद सोमवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन पहुंचे और वह साधु-संतों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अव्यवस्थाओं के विरोध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही सुविधाएं न सुधरने पर दूसरा शाही स्नान न करने का एलान कर चुका था। इसके बाद सोमवार शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन पहुंचे और वह साधु-संतों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं।(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) |
7वां वेतन आयोग : सैलरी बढ़ने को तर्कबुद्धि और तथ्यबुद्धि से देखिए... | जब भी सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ने की बात होती है, उन्हें हिक़ारत की निगाह से देखा जाने लगता है। जैसे सरकार काम न करने वालों का कोई समूह हो। सुझाव दिया जाने लगता है कि इनकी संख्या सीमित हो और वेतन कम बढ़े। आलसी, जाहिल से लेकर मक्कार तक की छवि बनाई जाती है और इस सबके बीच वेतन बढ़ाने की घोषणा किसी अर्थक्रांति के आगमन के रूप में भी की जाने लगती है। कर्मचारी तमाम विश्लेषणों के अगले पैरे में सुस्त पड़ती भारत की महान अर्थव्यवस्था में जान लेने वाले एजेंट बन जाते हैं।
आज भी यही हो रहा है, पहले भी यही हो रहा था। एक तरफ सरकारी नौकरी के लिए सारा देश मरा जा रहा है। दूसरी तरफ उन्हीं सरकारी नौकरों के वेतन बढ़ने पर भी देश को मरने के लिए कहा जा रहा है। क्या सरकारी नौकरों को बोतल में बंद कर दिया जाए और कह दिया जाए कि तुम बिना हवा के जी सकते हो, क्योंकि तुम जनता के दिए टैक्स पर बोझ हो। यह बात वैसी है कि सरकारी नौकरी में सिर्फ कामचोरों की जमात पलती है, लेकिन भाई 'टेल मी, ऑनेस्टली', कॉरपोरेट के आंगन में कामचोर डेस्कटॉप के पीछे नहीं छिपे होते हैं...?
अगर नौकरशाही चोरों, कामचोरों की जमात है, तो इस देश के तमाम मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि डियर, आप कैसे कह रहे हैं कि आपकी सरकार काम करती है। इस बात को कहने के लिए ही आप करोड़ों रुपये विज्ञापनबाज़ी में क्यों फूंक रहे हैं। आपके साथ कोई तो काम करता होगा, तभी तो नतीजे आते हैं। अगर कोई काम नहीं कर रहा, तो यह आप देखिए कि क्यों ऐसा है। बाहर आकर बताइे कि तमाम मंत्रालयों के चपरासी से लेकर अफसर तक समय पर आते हैं और काम करते हैं। इसका दावा तो आप लोग ही करते हैं न। तो क्यों नहीं भोंपू लेकर बताते हैं कि नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा आठ घंटे से ज़्यादा काम करता है। पुलिस से लेकर कई महकमे के लोग 14-15 घंटे काम करते हैं।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
आज भी यही हो रहा है, पहले भी यही हो रहा था। एक तरफ सरकारी नौकरी के लिए सारा देश मरा जा रहा है। दूसरी तरफ उन्हीं सरकारी नौकरों के वेतन बढ़ने पर भी देश को मरने के लिए कहा जा रहा है। क्या सरकारी नौकरों को बोतल में बंद कर दिया जाए और कह दिया जाए कि तुम बिना हवा के जी सकते हो, क्योंकि तुम जनता के दिए टैक्स पर बोझ हो। यह बात वैसी है कि सरकारी नौकरी में सिर्फ कामचोरों की जमात पलती है, लेकिन भाई 'टेल मी, ऑनेस्टली', कॉरपोरेट के आंगन में कामचोर डेस्कटॉप के पीछे नहीं छिपे होते हैं...?
अगर नौकरशाही चोरों, कामचोरों की जमात है, तो इस देश के तमाम मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि डियर, आप कैसे कह रहे हैं कि आपकी सरकार काम करती है। इस बात को कहने के लिए ही आप करोड़ों रुपये विज्ञापनबाज़ी में क्यों फूंक रहे हैं। आपके साथ कोई तो काम करता होगा, तभी तो नतीजे आते हैं। अगर कोई काम नहीं कर रहा, तो यह आप देखिए कि क्यों ऐसा है। बाहर आकर बताइे कि तमाम मंत्रालयों के चपरासी से लेकर अफसर तक समय पर आते हैं और काम करते हैं। इसका दावा तो आप लोग ही करते हैं न। तो क्यों नहीं भोंपू लेकर बताते हैं कि नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा आठ घंटे से ज़्यादा काम करता है। पुलिस से लेकर कई महकमे के लोग 14-15 घंटे काम करते हैं।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
अगर नौकरशाही चोरों, कामचोरों की जमात है, तो इस देश के तमाम मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि डियर, आप कैसे कह रहे हैं कि आपकी सरकार काम करती है। इस बात को कहने के लिए ही आप करोड़ों रुपये विज्ञापनबाज़ी में क्यों फूंक रहे हैं। आपके साथ कोई तो काम करता होगा, तभी तो नतीजे आते हैं। अगर कोई काम नहीं कर रहा, तो यह आप देखिए कि क्यों ऐसा है। बाहर आकर बताइे कि तमाम मंत्रालयों के चपरासी से लेकर अफसर तक समय पर आते हैं और काम करते हैं। इसका दावा तो आप लोग ही करते हैं न। तो क्यों नहीं भोंपू लेकर बताते हैं कि नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा आठ घंटे से ज़्यादा काम करता है। पुलिस से लेकर कई महकमे के लोग 14-15 घंटे काम करते हैं।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
सरकार से बाहर के लोग सरकार की साइज़ को लेकर बहुत चिन्तित रहते हैं। वे इतना ही भारी बोझ हैं तो डियर सबको हटा दो। सिर्फ पीएमओ में पीएम रख दो और सीएमओ में सीएम, सबका काम हो जाएगा। जनता का दिया सारा टैक्स बच जाएगा। पिछले 20 साल से यह बकवास सुन रहा हूं। कितनी नौकरियां सरकार निकाल रही है, पहले यह बताइए। क्या यह तथ्य नहीं है कि सरकारी नौकरियों की संख्या घटी है। इसका असर काम पर पड़ता होगा कि नहीं। तमाम सरकारी विभागों में लोग ठेके पर रखे जा रहे हैं। ठेके के टीचर तमाम राज्यों में लाठी खा रहे हैं। क्या इनका भी वेतन बढ़ रहा है...? नौकरियां घटाने के बाद कर्मचारियों और अफ़सरों पर कितना दबाव बढ़ा है, क्या हम जानते हैं...?
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
इसके साथ-साथ वित्त विश्लेषक लिखने लगता है कि प्राइवेट सेक्टर में नर्स को जो मिलता है, उससे ज़्यादा सरकार अपनी नर्स को दे रही है। जनाब शिक्षित विश्लेषक, पता तो कीजिए कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की नौकरी की क्या शर्तें हैं। उन्हें क्यों कम वेतन दिया जा रहा है। उनकी कितनी हालत ख़राब है। अगर आप कम वेतन के समर्थक हैं तो अपनी सैलरी भी चौथाई कर दीजिए और बाकी को कहिए कि राष्ट्रवाद से पेट भर जाता है, सैलरी की क्या ज़रूरत है। कारपोरेट में सही है कि सैलरी ज्यादा है, लेकिन क्या सभी को लाखों रुपये पगार के मिल रहे हैं...? नौकरी नहीं देंगे, तो भाई, बेरोज़गारी प्रमोट होगी कि नहीं। सरकार का दायित्व बनता है कि सुरक्षित नौकरी दे और अपने नागरिकों का बोझ उठाए। उसे इसमें दिक्कत है तो बोझ को छोड़े और जाए।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
नौकरशाही में कोई काम नहीं कर रहा है, तो यह सिस्टम की समस्या है। इसका सैलरी से क्या लेना-देना। उसके ऊपर बैठा नेता है, जो डीएम तक से पैसे वसूल कर लाने के लिए कहता है। जो लूट के हर तंत्र में शामिल है और आज भी हर राज्य में शामिल है। नहीं तो आप पिछले चार चुनावों में हुए खर्चे का अनुमान लगाकर देखिए। इनके पास कहां से इतना पैसा आ रहा है, वह भी सिर्फ फूंकने के लिए। ज़ाहिर है, एक हिस्सा तंत्र को कामचोर बनाता है, ताकि लूट कर राजनीति में फूंक सके। मगर एक हिस्सा काम भी तो करता है। हमारी चोर राजनीति इस सिस्टम को सड़ाकर रखती है, भ्रष्ट लोगों को शह देती है और उकसाकर रखती है। इसका संबंध उसके वेतन से नहीं है।टिप्पणियां
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
रहा सवाल कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वेतन बढ़ाने की बात है तो सरकारी कर्मचारियों का वेतन ही क्यों बढ़ाया जा रहा है। एक लाख करोड़ से ज़्यादा किसानों के कर्ज़े माफ हो सकते थे। उनके अनाजों के दाम बढ़ाए जा सकते थे। किसान के हाथ में पैसा आएगा तो क्या भारत की महान अर्थव्यवस्था अंगड़ाई लेने से इंकार कर देगी...? ये विश्लेषक चाहते क्या हैं...? सरकार सरकारी कर्मचारी की सैलरी न बढ़ाए, किसानों और छात्रों के कर्ज़ माफ न करे, खरीद मूल्य न बढ़ाए तो उस पैसे का क्या करे सरकार...? पांच लाख करोड़ की ऋण छूट दी तो है उद्योगपतियों को। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो जनता के पैसे से चलने वाले सरकारी बैंकों के लाखों करोड़ क्यों पचा जाता है। कॉरपोरेट इतना ही कार्यकुशल है तो क्यों सरकार से मदद मांगता है। अर्थव्यवस्था को दौड़ाकर दिखा दे न।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी।
इसलिए इस वेतन वृद्धि को तर्क और तथ्य बुद्धि से देखिए। धारणाओं के कुचक्र से कोई लाभ नहीं है। प्राइवेट हो या सरकारी, हर तरह की नौकरियों में काम करने की औसत उम्र कम हो रही है, सुरक्षा घट रही है। इसका नागरिकों के सामाजिक जीवन से लेकर सेहत तक पर बुरा असर पड़ता है। लोग तनाव में ही दिखते हैं। उपभोग करने वाला वर्ग योग से तैयार नहीं होगा। काम करने के अवसर और उचित मज़दूरी से ही उसकी क्षमता बढ़ेगी। |
कान के रेड कारपेट पर काले गाउन में खूब जंचीं ऐश्वर्या | मशहूर अदाकारा ऐश्वर्या राय बच्चन कान फिल्म महोत्सव के रेड कारपेट पर एक खास काले गाउन में नजर आईं। इस परिधान में वह बिल्कुल छरहरी और आकर्षक नजर आ रही थीं।टिप्पणियां
समारोह में 11वीं बार शामिल होने वाली 39-वर्षीय अभिनेत्री ने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था और थोड़े-बहुत आभूषण पहन रखे थे। हालांकि 18 महीने की बेटी आराध्या के साथ समारोह में भाग लेने आईं ऐश्वर्या ने अपनी बच्ची को कैमरे की नजरों से दूर रखा। वह केरी मुलीगन-जस्टिन टिम्बरलेक अभिनीत फिल्म 'इनसाइड लेवयन डेविस' के प्रीमियर में भाग लेने के लिए अकेले ही गईं।
बाद में, शाम को पाश्चात्य परिधान के जगह पर ऐश्वर्या ने सब्यसाची द्वारा डिजाइन की गई काले रंग की एक खूबसूरत साड़ी पहनकर भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। हिन्दी सिनेमा 'बॉम्बे टॉकीज' के प्रदर्शन के दौरान ऐश्वर्या ने अपने बालों को बांध रखा था और कढ़ाई की हुई साड़ी पर उन्होंने सोने के आभूषण पहन रखे थे।
समारोह में 11वीं बार शामिल होने वाली 39-वर्षीय अभिनेत्री ने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था और थोड़े-बहुत आभूषण पहन रखे थे। हालांकि 18 महीने की बेटी आराध्या के साथ समारोह में भाग लेने आईं ऐश्वर्या ने अपनी बच्ची को कैमरे की नजरों से दूर रखा। वह केरी मुलीगन-जस्टिन टिम्बरलेक अभिनीत फिल्म 'इनसाइड लेवयन डेविस' के प्रीमियर में भाग लेने के लिए अकेले ही गईं।
बाद में, शाम को पाश्चात्य परिधान के जगह पर ऐश्वर्या ने सब्यसाची द्वारा डिजाइन की गई काले रंग की एक खूबसूरत साड़ी पहनकर भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। हिन्दी सिनेमा 'बॉम्बे टॉकीज' के प्रदर्शन के दौरान ऐश्वर्या ने अपने बालों को बांध रखा था और कढ़ाई की हुई साड़ी पर उन्होंने सोने के आभूषण पहन रखे थे।
बाद में, शाम को पाश्चात्य परिधान के जगह पर ऐश्वर्या ने सब्यसाची द्वारा डिजाइन की गई काले रंग की एक खूबसूरत साड़ी पहनकर भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। हिन्दी सिनेमा 'बॉम्बे टॉकीज' के प्रदर्शन के दौरान ऐश्वर्या ने अपने बालों को बांध रखा था और कढ़ाई की हुई साड़ी पर उन्होंने सोने के आभूषण पहन रखे थे। |
AIIMS MBBS 2018: इस तरह डाउनलोड करें एडमिट कार्ड | गौरतलब है कि AIIMS एंट्रेंस एग्जाम देशभर में 171 शहरों में करवाया जाएगा. एंट्रेंस एग्जाम AIIMS के दिल्ली, पटना, भोपाल, जोधपुर, भुबनेश्वर, ऋषिकेश, रायपुर, गुंटूर (आंध्र प्रदेश) और नागपुर (महाराष्ट्र) समेत नौ इंस्टिट्यूट्स में एडमिशन के लिए आयोजित किया जा रहा है. इन सभी इंस्टिट्यूट्स में करीब 807 MBBS सीटें हैं. |
लड़की भगाने के आरोप में कोड़ों की पिटाई से एक युवक की मौत | उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के आंवला थाना क्षेत्र में सोमवार को एक पूर्व ग्राम प्रधान ने लड़की भगाने में कथित सहयोग के आरोप में दो युवकों की पेड़ में बांधकर कोड़ों से पिटाई कराई जिससे एक युवक की मौत हो गई और दूसरा अधमरा होकर अस्पताल में भर्ती है।
वरिष्ठ जिला पुलिस अधीक्षक डॉ एस गुप्ता ने बताया है कि आंवला थाने के बझेड़ा गांव के पूर्व प्रधान प्रीतपाल और उसके बेटों ने कुछ दिन पहले भाग गई उनकी लड़की को भगाने के आरोप में 18 वर्षीय रजनीश तथा 13 वर्षीय सत्येन्द्र को पकड़वाकर पेड़ से बंधवा दिया और दोनों की कोड़ों से पिटाई कराई।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि रजनीश के परिजनों को जब इस बात की जानकारी हुई तो वे दोनों युवकों को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने रजनीश को मृत घोषित कर दिया और बेहोशी की हालत में सत्येन्द्र को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
गुप्ता ने बताया है कि इस संबंध में प्रीतपाल और उसके बेटों सहित चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करके विधिक कार्यवाही की जा रही है।
वरिष्ठ जिला पुलिस अधीक्षक डॉ एस गुप्ता ने बताया है कि आंवला थाने के बझेड़ा गांव के पूर्व प्रधान प्रीतपाल और उसके बेटों ने कुछ दिन पहले भाग गई उनकी लड़की को भगाने के आरोप में 18 वर्षीय रजनीश तथा 13 वर्षीय सत्येन्द्र को पकड़वाकर पेड़ से बंधवा दिया और दोनों की कोड़ों से पिटाई कराई।टिप्पणियां
उन्होंने बताया कि रजनीश के परिजनों को जब इस बात की जानकारी हुई तो वे दोनों युवकों को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने रजनीश को मृत घोषित कर दिया और बेहोशी की हालत में सत्येन्द्र को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
गुप्ता ने बताया है कि इस संबंध में प्रीतपाल और उसके बेटों सहित चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करके विधिक कार्यवाही की जा रही है।
उन्होंने बताया कि रजनीश के परिजनों को जब इस बात की जानकारी हुई तो वे दोनों युवकों को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने रजनीश को मृत घोषित कर दिया और बेहोशी की हालत में सत्येन्द्र को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
गुप्ता ने बताया है कि इस संबंध में प्रीतपाल और उसके बेटों सहित चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करके विधिक कार्यवाही की जा रही है।
गुप्ता ने बताया है कि इस संबंध में प्रीतपाल और उसके बेटों सहित चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करके विधिक कार्यवाही की जा रही है। |
Sridevi: श्रीदेवी के पैतृक गांव शिवाकासी में भी शोक की लहर, मुंबई में अनिल कपूर के घर पर उमड़ा बॉलीवुड | Visuals from #Sridevi's native place in Virudhunagar's Sivakasi #TamilNadupic.twitter.com/CwwQyJAsl5
रजनीकांत.
शाहरुख खान.
माधुरी दीक्षित.
बोनी कपूर के बेटे और अभिनेता अर्जुन कपूर.
बोनी कपूर की बेटी अंशुला कपूर.
संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर.
करण जौहर.
फरहान अख्तर की मां हनी ईरानी.
मोहित मारवाह पत्नी अंतरा के साथ.
जेनेलिया डिसूजा.
सारा अली खान.
ईशान खट्टर. |
गोवा चुनाव 2017 : भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी, बाकी 4 सीटों पर भी घोषणा जल्द | गोवा में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी दूसरी सूची सोमवार को जारी कर दी. इसमें सात उम्मीदवारों के नाम हैं. भाजपा की केंद्रीय निर्वाचन समिति ने रविवार को बैठक के दौरान पार्टी के उम्मीदवारों के नामों को मंजूरी दी. बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने की. बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह तथा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे.
समिति ने घोषणा की है कि मायेम विधानसभा सीट से प्रवीण जांत्ये, पोरिएम से विश्वजीत के.राणे, वालपोई से सत्यविजय एस.नाईक, पोंदा से सुनील एन.देसाई, करटोरिम से आर्थर डिसिल्वा, वेलिम से विनय तारी तथा कानाकोना से विजय ए.पई उम्मीदवार होंगे.
भाजपा ने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची 12 जनवरी को जारी की थी, जिनमें 18 मौजूदा विधायकों के नाम थे. टिप्पणियां
गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं. भाजपा 36 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. बाकी चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा वह जल्द कर सकती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
समिति ने घोषणा की है कि मायेम विधानसभा सीट से प्रवीण जांत्ये, पोरिएम से विश्वजीत के.राणे, वालपोई से सत्यविजय एस.नाईक, पोंदा से सुनील एन.देसाई, करटोरिम से आर्थर डिसिल्वा, वेलिम से विनय तारी तथा कानाकोना से विजय ए.पई उम्मीदवार होंगे.
भाजपा ने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची 12 जनवरी को जारी की थी, जिनमें 18 मौजूदा विधायकों के नाम थे. टिप्पणियां
गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं. भाजपा 36 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. बाकी चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा वह जल्द कर सकती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भाजपा ने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची 12 जनवरी को जारी की थी, जिनमें 18 मौजूदा विधायकों के नाम थे. टिप्पणियां
गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं. भाजपा 36 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. बाकी चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा वह जल्द कर सकती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं. भाजपा 36 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. बाकी चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा वह जल्द कर सकती है.(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
घर से PM आवास हेलिकॉप्टर से जाते हैं इमरान खान, लोगों ने कहा- सोच रहा हूं, कार बेचकर हेलिकॉप्टर खरीद लूं | Welcome To #NayaPakistan
Helicopter Service
Rs 55/Km
Company Owner : #FawadChaudhryhttps://t.co/gzmwPpvv5j
#helicopter
So now helicopter is cheaper then careem and uber then govt should start helicopter service for all peoples so they can save more money
Think I Should Sell My Car And Buy The Helicopter 🤔
Kam ez kam khrcha kam hu jye ga #helicopter |
लाल निशान में खुले शेयर बाजार | देश के शेयर बाजार के शुरुआती कारोबार में शुक्रवार को गिरावट दर्ज की गई है. प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.32 बजे 8.47 अंकों की मामूली कमजोरी के साथ 32,233.46 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 6.15 अंकों की मामूली कमजोरी के साथ 10,080.45 पर कारोबार करते देखे गए.टिप्पणियां
यह भी पढ़ें: एचपी इंडिया करेगी डिजिटल टीम का विस्तार
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 34.3 अंकों की कमजोरी के साथ 32,207.63 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 24.25 अंकों की कमजोरी के साथ 10,062.35 पर खुला.
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बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 34.3 अंकों की कमजोरी के साथ 32,207.63 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 24.25 अंकों की कमजोरी के साथ 10,062.35 पर खुला. |
पीएम मोदी ने उठाया ईरान का मुद्दा, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- हमें कोई जल्दबाजी नहीं है | जापान के ओसाका में G-20 शिखर सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत हुई. दोनों नेताओं के बीच बातचीत के प्रमुख मुद्दे ईरान, 5जी, द्विपक्षीय संबंध, रक्षा और व्यापार रहे. आपको बता दें कि ओसाका आने से पहले ट्रंप ने अमेरिकी उत्पादों पर भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर नाखुशी जाहिर की थी. इससे पहले मोदी, ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच मुलाकात हुई थी. इन तीनों के बीच लगभग 20 मिनट तक बातचीत हुई थी. इस मौके पर ट्रंप ने पीएम मोदी को लोकसभा चुनावों में जीत के लिए बधाई भी दी. डोनाल्ड ट्रंप के साथ चर्चा की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हम आपके साथ ईरान, 5जी, द्विपक्षीय संबंध और रक्षा संबंध पर बात करना चाहते हैं. वहीं ट्रंप ने भी कहा, हम लोग सबसे अच्छे दोस्त बन गए हैं. मैं विश्वास दिलाता हूं कि हम कई मुद्दों एक साथ मिलकर काम करेंगे उनमें सेना भी शामिल है.
#WATCH US President Donald Trump at bilateral meeting with PM Narendra Modi in Osaka, Japan: We have become great friends & our countries have never been closer. I can say that with surety. We'll work together in many ways including military, we'll be discussing trade today pic.twitter.com/SjvenXi4df
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बातचीत के दौरान ही ट्रंप ने पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, आपने सबको साथ लाने का बड़ा काम किया है. मुझे याद है कि जब आपने पहली बार कार्यभार संभाला था तो कई समूह थे और एक दूसरे से लड़ रहे थे लेकिन अब वह साथ हैं.
वहीं इस बातचीत में सबसे बड़ा मुद्दा ईरान था क्योंकि भारत इस देश से बड़ा हिस्सा तेल का खरीदता है. लेकिन अमेरिका के साथ ईरान के रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. अमेरिका ने सभी देशों को ईरान से तेल न खरीदने की हिदायत दी है. इसका खराब असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है क्योंकि बाकी तेल उत्पादक देशों से कच्चा तेल खरीदना भारत के लिए महंगा पड़ता है. पीएम मोदी की ओर से ईरान का मुद्दा उठाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी ओर से संदेश वही है जो बीते तीन दिन से दिया जा रहा है. हमारे पास काफी समय है,कोई जल्दबाजी नहीं है. समय का कोई भी दबाव नहीं है. वे (ईरान) समय ले सकते हैं. मुझे उम्मीद है कि आखिरी तक कुछ न कुछ हल निकलेगा. अगर ऐसा होता है तो अच्छा होगा, अगर नहीं होगा तो आप खुद ही सुनेंगे.
US President Trump on Iran: The message is the same as last 3 days. We've a lot of time, no rush. They can take their time. There is absolutely no time pressure. I think in the end hopefully it's going to work out. If it works out, great, if it doesn't, you'll be hearing about it pic.twitter.com/tOUj5jPK1C |
राफेल डील : केंद्र के जवाब पर याचिकाकर्ताओं का हलफनामा, CAG की रिपोर्ट में खामियां, जानकारी छिपाई गई | राफेल डील (Rafale deal) में रिव्यू पीटिशन दाखिल करने वाले याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जिस सीएजी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया उसमें कई खामियां हैं. सीबीआई ने कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद मामले की जांच नहीं की. सीएजी रिपोर्ट में बैंक गारंटी वेब ऑफ को लेकर कोई जिक्र नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सरकार ने जानकारी छुपाई और कई जगह गलत बयानी कर मनमुताबिक फैसला लिया. उन्होंने कहा कि राफेल सौदे (Rafale deal) में समझौते का मसौदा तैयार करने में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के सुझाए आदर्श नियमों की अनदेखी की गई.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस अनदेखी पर सरकार ने कोई वाजिब वजह भी नहीं बताई. न ही कानूनी आधार बताए गए जिनसे पता चले कि सौदा फाइनल करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया तर्कसंगत, व्यवहारिक और पारदर्शी थी. आपको बता दें कि इससे पहले14 दिसंबर 2018 को अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने माना था कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का कोई कारण नहीं बनता और कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.यह भी कहा कि इस बात का कोई पुख्ता सुबूत नहीं है कि मामले में किसी निजी संस्था को फायदा पहुंचाया गया. |
20 दिसंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.7 प्रतिशत बढ़ा | अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्तवर्ष में 20 दिसंबर तक 13.7 प्रतिशत बढ़कर 4.12 लाख करोड़ रुपये हो गया। सरकार ने 2013-14 में प्रत्यक्ष कर संग्रह से 6.68 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। यह 2012-13 के 5.65 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक है।
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि 2012-13 में 20 दिसंबर तक 3.63 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे। शुद्ध संग्रह में से दिसंबर तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 8.8 प्रतिशत बढ़कर 2,02,626 करोड़ रुपये रहा। कंपनी कर संग्रह 20 दिसंबर तक 10.2 प्रतिशत बढ़कर 2,60,752 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 2,36,580 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनियों से अग्रिम कर संग्रह आलोच्य अवधि में इससे पूर्व वित्तवर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 8.4 प्रतिशत बढ़कर 1,76,935 करोड़ रुपये रहा। व्यक्तिगत आयकर संग्रह चालू वित्तवर्ष में 20.5 प्रतिशत बढ़कर 1,47,987 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पूर्व वित्तवर्ष की इसी अवधि में 1,22,818 करोड़ रुपये था।
प्रतिभूति सौदा कर (एसटीटी) आलोच्य अवधि में 3,427 करोड़ रुपये रहा। वहीं संपत्ति कर संग्रह चालू वित्तवर्ष में 20 दिसंबर तक 752 करोड़ रुपये रहा। |
दिल्ली : वसंत कुंज में बदमाशों ने पुलिस कर्मी को गोली मारी | जहां यह वारदात हुई वहां पर तीन गैस एजेंसियां हैं. एजेंसी में काम कर रहे लोगों का शक है कि वे अपराधी यहां लूट की इरादे से इधर आए होंगे. |
VIDEO: PM मोदी ने अपने हाथों से बुजुर्ग आदिवासी महिला को पहनाईं चप्पलें | PM @narendramodi shows yet again why he is a 'Pradhan Sevak' in the true sense! #PMInBastarpic.twitter.com/YHi4qMDvfR |
NDTV Exclusive: यह है बालाकोट IAF एयर स्ट्राइक की अनदेखी तस्वीर | पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए मोहम्मद के आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप पर भारतीय वायुसेना के हवाई हमले का एक फोटो NDTV की नजर में आया है. यह मोनोक्रोम हाईरिजोल्यूशन फोटो है. यह जैश आतंकियों के उस हॉस्टल का फोटो है जिस पर हमले का जिम्मा भारतीय वायुसेना को मिला था.
गत 26 फरवरी को किए गए बालाकोट हमले की प्रकाशित सभी तस्वीरों में से यह फोटो सबसे अधिक स्पष्ट है. तस्वीर में दिखाई दे रहे घर की छत ढलान वाली है जैसी कि आम तौर पर पहाड़ी इलाकों में होती है. इसमें से एक ढलान वाली छत पर तीन निशान साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं जिन्हें 'होल्स' कहा जा रहा है. इस तरह के प्रत्येक छेद का व्यास एक मीटर है. सेटेलाइट इमेज के प्रिंटआउट में यह साफ तौर पर दर्शाया गया है. यह विवरण डोजियर में शामिल किया गया है, जिसे कि हिंदुस्तान टाइम्स ने बालाकोट हमले का असर बताया है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने कहा है कि, 'रिपोर्ट के अनुसार टारगेटों के बीच वह गेस्ट हाउस, जिसमें कैंप, मरकज या हॉस्टल के दौरे के दौरान आम तौर पर मौलाना मसूद अजहर, उसका भाई अब्दुल रऊफ अजहर और जैश-ए-मोहम्मद के दिग्गज कर्ताधर्ता रुकते थे ध्वस्त कर दिया गया.'
हॉस्टल जैश के लंबे-चौड़े इलाके के उत्तरी हिस्से में स्थित है जिसकी चौड़ाई 40 फीट है. इसका विवरण 'गूगल अर्थ प्रो' में अंकित है. इसकी लंबाई करीब 35 फीट प्रतीत होती है.
हॉस्टल के एक हिस्से की सैटेलाइट इमेज भारतीय वायुसेना के हमले के छह दिन बाद 4 मार्च को रॉयटर्स ने जारी की. रॉयटर्स द्वारा सौंपी गई सैटेलाइट इमेज में स्पष्ट रूप से मिट्टी का एक धब्बा देखा जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि हॉस्टल के अलावा, दो अन्य इमारतों को भी निशाना बनाया गया. 'एक (बम) प्रशिक्षकों और सीनियर हॉस्टल के लिए, और एक (बम) गेस्ट हाउस के लिए.''
यह दोनों इमारतें मैदान के दक्षिण में स्थित हैं और पेड़ों की आड़ में हैं. जारी की गईं एयर स्ट्राइक के पहले और स्ट्राइक के बाद में जारी कि गए फोटोग्राफों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं. हालांकि, वायु सेना का कहना है कि उनके पास सैटेलाइट फोटो हैं जो स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि इन इमारतों पर हमला किया गया है.
सैटेलाइट इमेजरी विशेषज्ञों ने पहले की रिपोर्टों में कहा था कि बालाकोट कैंप में सबसे बड़ी संरचना में बम के हमले के निशान दिखाई दे रहे थे. इस संरचना को "हॉल" बताया गया था. अब यह स्पष्ट नहीं है कि हॉल पर हमला किसी अन्य हथियार से किया गया था या दिखाया गया नुकसान 3 स्पाइस 2000 बम के विस्फोट का परिणाम है.
सभी मामलों में इस्तेमाल की गई वैपन एक इजरायली-डिज़ाइन किया गया स्मार्ट मुनीशन है, जिसे स्पाइस 2000 कहा जाता है. यह एक लंबी दूरी का ग्लाइड बम का हमला था जिसमें टारगेट के लिए सैटेलाइट से गाइडेंस लिया जाता है.
हमले के दौरान आसपास के इलाके में क्षति को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए इस हथियार से तय लक्ष्य के आसपास के तीन मीटर क्षेत्र में ही इसका असर होता है. IAF ने स्पाइस 2000 के एक पेनेट्रेटर वैरिएंट का इस्तेमाल किया, जो कि छतों और फर्श को भेद डालता है और तय की गई गहराई पर जाकर विस्फोट करता है.
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एक टारगेट (हॉस्टल) पर तीन वैपन गिराए गए, जो कि हिट करने वाले पॉइंट के 1.5 से 3 मीटर के भीतर थे. अन्य दो वैपनों ने बिना किसी त्रुटि के अपने टारगेट को सटीक रूप से मारा. भारतीय वायुसेना के इस मिशन में मिराज 2000 विमानों में छह वैपनों को हमले के लिए शामिल गया था. पांच बम गिराए गए और सभी पांचों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों को भेदा.
सैटेलाइट इमेजरी को हासिल करना भारतीय वायु सेना के लिए समस्या रहा है, NDTV को पता चला है कि सबसे अच्छी इमेज एक मित्र राष्ट्र से हासिलस हो सकीं. 26 फरवरी की सुबह भारतीय वायुसेना के हमले के बाद के कुछ घंटों के दौरान बालाकोट में टारगेट के पास बादलों की मौजूदगी के कारण सैटेलाइट से सरकार को हालात का पता नहीं चल सका था.
यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार कभी भी हमले की तस्वीरें जारी करेगी या नहीं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सुरक्षा विशेषज्ञों ने जैश के प्रशिक्षण कैंप पर IAF के हमले की सफलता पर सवाल उठाए हैं. वे कहते हैं कि व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फुटेज महत्वपूर्ण क्षति नहीं दिखाते हैं और यह भी साफ तौर पर सामने नहीं आ सका है कि कोई संरचना ध्वस्त हुई है. मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉनप्रोलिफरेशन प्रोजेक्ट के निदेशक जेफरी लेविस कहते हैं, "उच्च-रिज़ोल्यूशन की इमेज बम से हुई क्षति का कोई सबूत नहीं दिखाती हैं."
भारतीय वायु सेना इसका मुखरता से प्रतिकार करती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को स्पाइस 2000 के काम करने का तरीका बताया है और कहा है कि हथियार जरूरी नहीं कि सभी इमारतों को नीचे गिराएं. ''यह एक सीमित कमरे के भीतर दबाव के साथ विस्फोट से सभी सॉफ्ट स्किन टारगेट को मारता है. एक उन्नत फ़्यूज़ का विकल्प होता है जो फ्लोरों की गिनती भी कर सकता है.'' बालाकोट के मामले में, विस्फोट से पहले दो मंजिला इमारत को भेदने के लिए कम से कम एक स्पाइस 2000 स्मार्ट बम को सेट किया गया था.
यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार बालाकोट हमले की सैटेलाइट इमेजें जारी करेगी या उसका खत्म किए गए आतंकवादियों की संख्या पर और सबूत देने का इरादा है. हालांकि, यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि तस्वीरें कोई बड़ा धमाका नहीं दिखाती हैं. हालांकि, बालाकोट में आतंकी ठिकाने के भीतर चयनित लक्ष्यों पर सटीक हमले के स्पष्ट सबूत हैं. |
सेंसेक्स 42 अंकों की गिरावट के साथ बंद | देश के शेयर बाजारों में सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 42.29 अंकों की गिरावट के साथ 20,334.27 पर और निफ्टी 9.75 अंकों की गिरावट के साथ 6,053.45 पर बंद हुआ।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 52.60 अंकों की तेजी के साथ 20,429.16 पर खुला और 42.29 अंकों या 0.21 फीसदी की गिरावट के साथ 20,334.27 पर बंद हुआ। दिन भर के कारोबार में सेंसेक्स ने 20,434.50 के ऊपरी और 20,312.21 के निचले स्तर को छुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 9.60 अंकों की तेजी के साथ 6,072.80 पर खुला और 9.75 अंकों या 0.16 फीसदी की गिरावट के साथ 6,053.45 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 6,083.05 के ऊपरी और 6,046.40 के निचले स्तर को छुआ।
बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में हालांकि तेजी दर्ज की गई। मिडकैप सूचकांक 3.10 अंकों की तेजी के साथ 6,339.94 पर और स्मॉलकैप 11.12 अंकों की तेजी के साथ 6,339.88 पर बंद हुआ।
बीएसई के 12 में से छह सेक्टरों में तेजी दर्ज की गई। उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (1.53 फीसदी), रियल्टी (1.15 फीसदी), तेल एवं गैस (0.67 फीसदी), पूंजीगत वस्तुएं (0.60 फीसदी) और स्वास्थ्य सेवाएं (0.56 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।
बीएसई के प्रौद्योगिकी (0.84 फीसदी), बैंकिंग (0.53 फीसदी), धातु (0.51 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (0.42 फीसदी) और बिजली (0.23 फीसदी) सेक्टरों में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई। |
18 साल के मतदाताओं के नाम रवीश कुमार का एक खुला खत | सन 2000 में पैदा हुए युवाओं को इस साल मतदान का अधिकार मिलने जा रहा है. आप जब पैदा हुए तब दुनिया भर में इक्कीसवीं सदी का स्वागत हो रहा था. आप जब मतदान देने लायक हो रहे हैं, तब इस सदी के 18 साल बीत चुके हैं. दुनिया भर में इक्कीसवीं सदी ने कोई ख़ास कमाल तो नहीं किया है. समस्याएं वहीं की वहीं हैं. उन्हें दूर करने के नाम पर अनाप-शनाप समाधानों की बड़े स्तर पर पैकेजिंग की जा रही है.
21वीं सदी ने लोकतंत्र के सामने फिर से वही चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जिनसे लड़ते-लड़ते 20वीं सदी बीत गई. लोकतंत्र में अधिकारों के विस्तार के नाम पर आम आदमी पर तरह-तरह से नियंत्रण कायम करने का तरीका खोज लिया गया है. आधार उन्हीं में से एक है. 21वीं सदी ने निजता, एकांत पर भयंकर हमला किया है. भारत सहित दुनिया भर में आम लोगों तक पहुंचने वाली सूचनाओं के माध्यमों पर सत्ता का नियंत्रण बढ़ गया है. 21वीं सदी में तरह-तरह के तानाशाह पैदा हो रहे हैं, जो काल्पनिक लक्ष्यों के नाम पर बेवकूफ बना रहे हैं.
मुझे पता है कि आप अभी स्कूल से निकले हैं, कॉलेज में गए हैं. इस दौरान आपका अच्छा ख़ासा वक्त स्कूल से लेकर कोचिंग में गुज़र गया है. मॉल से लेकर पब में भी गुज़रा है. खेल के मैदानों में भी गुज़रा है. इस उम्र में यही सब होता है. आप ख़ुद को ढूंढ रहे होते हैं और घर परिवार में लोग किसी और तरफ धकेल रहे होते हैं. यही होता है जब आप मतदाता बनकर मैदान में आते हैं. हर कोई आपको अपनी तरफ मोड़ने में लगा रहेगा.
आपको इस बार मतदाता बनना है. यह मत सोचिए कि 18 साल के हो गए और मतदाता बन गए. इस तरह का मतदाता किसी काम का नहीं होता है. वो सिर्फ धूर्त नेताओं के इस्तेमाल के काम आता है. आपको बताया जाएगा कि मतदान ही महान काम है, जबकि मतदान अंतिम और साधारण काम है.
मतदान से पहले बहुत से काम हैं जो आपको मतदान केंद्र पर पहुंचने से पहले करने चाहिए. ये कोई नहीं बताएगा. चुनाव आयोग भी आपको बटन दबाना ही बताएगा, यह नहीं बताएगा कि मतदाता कैसे बना जाता है, उसके लिए क्या-क्या किया जाता है. उसके लिए आप मात्र एक नंबर हैं. मतदान के लिए बटन दबा देंगे तो आयोग इसी में खुश हो जाएगा कि बड़ा भारी काम हो गया. 65 से बढ़कर 67 फीसदी मतदान हो गया.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
21वीं सदी ने लोकतंत्र के सामने फिर से वही चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जिनसे लड़ते-लड़ते 20वीं सदी बीत गई. लोकतंत्र में अधिकारों के विस्तार के नाम पर आम आदमी पर तरह-तरह से नियंत्रण कायम करने का तरीका खोज लिया गया है. आधार उन्हीं में से एक है. 21वीं सदी ने निजता, एकांत पर भयंकर हमला किया है. भारत सहित दुनिया भर में आम लोगों तक पहुंचने वाली सूचनाओं के माध्यमों पर सत्ता का नियंत्रण बढ़ गया है. 21वीं सदी में तरह-तरह के तानाशाह पैदा हो रहे हैं, जो काल्पनिक लक्ष्यों के नाम पर बेवकूफ बना रहे हैं.
मुझे पता है कि आप अभी स्कूल से निकले हैं, कॉलेज में गए हैं. इस दौरान आपका अच्छा ख़ासा वक्त स्कूल से लेकर कोचिंग में गुज़र गया है. मॉल से लेकर पब में भी गुज़रा है. खेल के मैदानों में भी गुज़रा है. इस उम्र में यही सब होता है. आप ख़ुद को ढूंढ रहे होते हैं और घर परिवार में लोग किसी और तरफ धकेल रहे होते हैं. यही होता है जब आप मतदाता बनकर मैदान में आते हैं. हर कोई आपको अपनी तरफ मोड़ने में लगा रहेगा.
आपको इस बार मतदाता बनना है. यह मत सोचिए कि 18 साल के हो गए और मतदाता बन गए. इस तरह का मतदाता किसी काम का नहीं होता है. वो सिर्फ धूर्त नेताओं के इस्तेमाल के काम आता है. आपको बताया जाएगा कि मतदान ही महान काम है, जबकि मतदान अंतिम और साधारण काम है.
मतदान से पहले बहुत से काम हैं जो आपको मतदान केंद्र पर पहुंचने से पहले करने चाहिए. ये कोई नहीं बताएगा. चुनाव आयोग भी आपको बटन दबाना ही बताएगा, यह नहीं बताएगा कि मतदाता कैसे बना जाता है, उसके लिए क्या-क्या किया जाता है. उसके लिए आप मात्र एक नंबर हैं. मतदान के लिए बटन दबा देंगे तो आयोग इसी में खुश हो जाएगा कि बड़ा भारी काम हो गया. 65 से बढ़कर 67 फीसदी मतदान हो गया.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मुझे पता है कि आप अभी स्कूल से निकले हैं, कॉलेज में गए हैं. इस दौरान आपका अच्छा ख़ासा वक्त स्कूल से लेकर कोचिंग में गुज़र गया है. मॉल से लेकर पब में भी गुज़रा है. खेल के मैदानों में भी गुज़रा है. इस उम्र में यही सब होता है. आप ख़ुद को ढूंढ रहे होते हैं और घर परिवार में लोग किसी और तरफ धकेल रहे होते हैं. यही होता है जब आप मतदाता बनकर मैदान में आते हैं. हर कोई आपको अपनी तरफ मोड़ने में लगा रहेगा.
आपको इस बार मतदाता बनना है. यह मत सोचिए कि 18 साल के हो गए और मतदाता बन गए. इस तरह का मतदाता किसी काम का नहीं होता है. वो सिर्फ धूर्त नेताओं के इस्तेमाल के काम आता है. आपको बताया जाएगा कि मतदान ही महान काम है, जबकि मतदान अंतिम और साधारण काम है.
मतदान से पहले बहुत से काम हैं जो आपको मतदान केंद्र पर पहुंचने से पहले करने चाहिए. ये कोई नहीं बताएगा. चुनाव आयोग भी आपको बटन दबाना ही बताएगा, यह नहीं बताएगा कि मतदाता कैसे बना जाता है, उसके लिए क्या-क्या किया जाता है. उसके लिए आप मात्र एक नंबर हैं. मतदान के लिए बटन दबा देंगे तो आयोग इसी में खुश हो जाएगा कि बड़ा भारी काम हो गया. 65 से बढ़कर 67 फीसदी मतदान हो गया.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
आपको इस बार मतदाता बनना है. यह मत सोचिए कि 18 साल के हो गए और मतदाता बन गए. इस तरह का मतदाता किसी काम का नहीं होता है. वो सिर्फ धूर्त नेताओं के इस्तेमाल के काम आता है. आपको बताया जाएगा कि मतदान ही महान काम है, जबकि मतदान अंतिम और साधारण काम है.
मतदान से पहले बहुत से काम हैं जो आपको मतदान केंद्र पर पहुंचने से पहले करने चाहिए. ये कोई नहीं बताएगा. चुनाव आयोग भी आपको बटन दबाना ही बताएगा, यह नहीं बताएगा कि मतदाता कैसे बना जाता है, उसके लिए क्या-क्या किया जाता है. उसके लिए आप मात्र एक नंबर हैं. मतदान के लिए बटन दबा देंगे तो आयोग इसी में खुश हो जाएगा कि बड़ा भारी काम हो गया. 65 से बढ़कर 67 फीसदी मतदान हो गया.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मतदान से पहले बहुत से काम हैं जो आपको मतदान केंद्र पर पहुंचने से पहले करने चाहिए. ये कोई नहीं बताएगा. चुनाव आयोग भी आपको बटन दबाना ही बताएगा, यह नहीं बताएगा कि मतदाता कैसे बना जाता है, उसके लिए क्या-क्या किया जाता है. उसके लिए आप मात्र एक नंबर हैं. मतदान के लिए बटन दबा देंगे तो आयोग इसी में खुश हो जाएगा कि बड़ा भारी काम हो गया. 65 से बढ़कर 67 फीसदी मतदान हो गया.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
आपके वोट के लिए नेता वही करेगा जो आपसे पहले 18 साल के हुए मतदाताओं के साथ किया है. मतलब उसी तरह से झूठ बोलेगा और ख़ुद को किसी सिनेमाई नायक की तरह पेश करेगा. वह अफवाहों और मिथकों का ऐसा जाल रचेगा कि आप पहले ही दिन उसमें फंस जाएंगे. आपसे पहले भी लोग फंस चुके हैं और आज तक फंसे हुए हैं. जिस तरह आप अपने करियर के बारे में फैसला करते हैं, उसके लिए तैयारी करते हैं, वैसा ही आपको मतदाता बनने के लिए करना चाहिए.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मतदाता बनना प्रतिशत में गिना जाना नहीं होता है. अच्छा मतदाता वह होता है जो वोट देने से पहले काफी मेहनत करता है. तर्कों का इस्तेमाल करता है, तरह-तरह की पहचान के नाम पर भड़काई गई भावुकता में नहीं बहता है. अलग-अलग पहचान या भावुक मुद्दों के ज़रिए नेता आप तक पहुंचने की कोशिश करेगा. खुद जात पात की राजनीति करेगा और आपको जात पात की राजनीति न करने पर लेक्चर देगा. उसकी अपनी कोई नैतिकता नहीं होगी मगर वो बात-बात में नैतिक शिक्षा देगा. ऐसे नेताओं से बचिए जो नीति की बात कम करे और नेता-नेता ज़्यादा करे.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
सबसे पहले आप देखिए कि आपका 18 साल होने के दौरान संस्थाओं को लेकर क्या अनुभव रहा है. कोर्ट, पुलिस, मंत्री, पत्रकार और सरकारी अफसर के बारे में आप क्या कुछ देखते सुनते हुए बड़े हुए हैं. मुमकिन है ऐसा कुछ भी न हुआ है या ऐसा होने का वक्त ही न मिला हो. आप 18 साल के हो चुके युवाओं के बंडल मात्र नहीं हैं. धूर्त नेता आपको गठरी की तरह समेटने का प्रयास करेगा लेकिन आप ख़ुद को गठरी से बाहर निकालिए.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
किसी भी सरकार का मूल्यांकन आप इस आधार पर कीजिए कि मीडिया कितना स्वतंत्र है. मीडिया सरकार से कितना सवाल करता है और सवाल करने वालों को कितनी जगह देता है. वैकल्पिक आवाज़ों और विरोध के स्वर को कितनी जगह मिलती है और गुणगान को कितनी. आप यह काम अख़बार पढ़ते समय और न्यूज़ चैनल देखते समय ज़रूर करें.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
ध्यान रहे, अख़बार ख़रीदने से अख़बार पढ़ना नहीं आ जाता है. बहुत सावधानी से अख़बारों की चालाकी पकड़ते हुए आपको ख़बरों की तह तक पहुंचना होगा. यही काम आप टीवी के साथ करें. हिसाब करें कि वह क्या दिखा रहा है और क्या नहीं दिखा रहा है. क्या नहीं दिखा रहा है जब आप इसकी गिनती करेंगे तो पता चलेगा कि न्यूज़ चैनल किस तरह लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं. किसी एक अख़बार या एक चैनल से ही सूचना न लें. तरह तरह के माध्यमों का इस्तमाल करें और सूचनाओं की प्रस्तुति को लेकर अपना विश्लेषण ख़ुद करें.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
आप यह भी देखिए कि उन माध्यमों में क्या किसानों या सरकारी संस्थानों से पीड़ित तबकों को जगह देता है? अभी हाल ही में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन हुआ था, कई मीडिया संस्थानों ने उनकी ख़बर ही नहीं छापी. देश भर के लाखों युवा सरकारी भर्ती बोर्ड से परेशान हैं. मीडिया उनकी परेशानी को कभी पहले पन्ने पर नहीं छापता है. आपकी भी नहीं छापेगा. आपको मूर्ख बनाने के लिए आपके 18 साल होने का जश्न ज़रूर मनाएगा.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मतदाता अपने लिए भी वोट करता है और समाज के दूसरे तबके के लिए भी. अगर सरकार और मीडिया किसान या किसी कमज़ोर तबके की आवाज़ को ग़ैर ज़रूरी समझते हैं, चुप करा देते हैं और आप चुप रह जाते हैं तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा. यही मीडिया आपकी आवाज़ को जगह नहीं देगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे. लोकतंत्र में ज़रूरी है कि सबकी आवाज़ उठे और सबकी बात सुनी जाए. अगर कोई सरकार कमज़ोर तबके की परवाह नहीं सुनती है तो आप उसे कैसे अपना मत दे सकते हैं.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
राजनीति में धर्म के इस्तेमाल से बचें. आजकल बड़ा नेता चालाक हो गया है. खुद अच्छी बातें करेगा और बाकी दूसरे नेताओं और आईटी सेल के ज़रिए धार्मिक विवाद फैलाने वाले विवाद को फैलाएगा या किसी के विवाद को घसीट कर नफ़रत फैलाएगा. हर दौर में नेताओं ने यही किया है ताकि आप मूल सवाल करने की जगह भावनाओं में बह जाएं. आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
नीतियों के बारे में फैसला करने के लिए सिर्फ मीडिया पर आश्रित न रहें. कभी-कभार वक्त निकालकर किसी सरकारी संस्थान जैसे अस्पताल, थाना, नगरपालिका वगैरह जाकर देख आएं. किसी सरकारी योजना का ख़ुद मूल्यांकन करना भी अच्छा रहेगा. यूं समझिए कि आप आईआईटी के इम्तिहान की तैयारी कर रहे हैं. आप सिर्फ धारणा के आधार पर टिक मार्क नहीं लगा सकते. तुक्का लगाने वाले ज़्यादातर फेल होते हैं. आज की राजनीति इसी मॉडल पर आधारित है कि आप धारणाओं और पहचान के आधार पर बटन दबा दें.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मीडिया से लेकर हर कोई बताएगा कि आपका काम नेता चुनना है. प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री. एक मतदाता का काम प्रधानमंत्री चुनना नहीं है. चुनाव लोकसभा के गठन का होता है. चुनाव आयोग अपनी अधिसूचना में कहीं नहीं लिखता है कि सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है. वह यही कह कर अधिसूचना जारी करता है कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि आप स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधि चुनें. सदन में जो जीत कर जाएगा वो अपने बीच से नेता चुन लेगा. यह एक मुश्किल प्रयोग है मगर इसे आपको तो करना नहीं है. आपको तो सिर्फ अच्छे उम्मीदवार को वोट देना है.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
आप नए मतदाता हैं. आपसे उम्मीद की जाती है कि आप राजनीति में कुछ नया करेंगे. मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कभी मतदान न करें. सोच समझ कर, प्रोपेगैंडा और पैसे के खेल को समझते हुए वोट देने का फैसला करें. नीतियों पर ज़्यादा चर्चा करें. उनके बारे में ज़्यादा सूचना जमा करें.टिप्पणियां
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
मीडिया का अपने हित में इस्तेमाल अपने लिए करें न कि मीडिया को आपका इस्तेमाल करने दें. आप सभी युवा हैं. देश को लेकर कंफ्यूज़ होने की ज़रूरत नहीं है. भारत एक अच्छा देश है, जिसकी राजनीति पर बुरे लोगों का कब्ज़ा हो गया है. इनका और कब्ज़ा न हो जाए इसके लिए ज़रूरी है कि सोच समझ कर और सही सूचनाओं का संग्रह करने के बाद मतदान करें. कोई नज़र नहीं आता है तो नोटा का बटन दबा दें. अपने वोट को किसी दल के यहां बंधक न रखें. मुझे उम्मीद है आप एक अच्छे और पहले के मतदाताओं से भी बेहतर मतदाता साबित होंगे.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार.
बस एक बात ध्यान रहे. वोटर आईकार्ड बन जाने से कोई वोटर नहीं हो जाता है. वोटर का काम उम्मीदवार चुनना है न कि सरकार. |
कोरेगांव-भीमा मामले में गौतम नवलखा को राहत, गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि 4 हफ्ते के लिए बढ़ी | सुप्रीम कोर्ट ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में मानव अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से प्राप्त अंतरिम सुरक्षा की अवधि मंगलवार को चार सप्ताह के लिये बढ़ा दी. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने गौतम नवलखा से कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिये वह संबंधित अदालत में जाएं. महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब नवलखा को और अंतरिम सुरक्षा दिये जाने का विरोध किया तो पीठ ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की थी.
गौतम नवलखा ने 31 दिसंबर, 2017 को ऐलगार परिषद के बाद कोरेगांव-भीमा में हुई हिंसा की घटना के सिलसिले में जनवरी, 2018 में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के 13 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है. |
INDvsAUS : जीत के बाद भी खुश नहीं दिखे कोहली, पूछने पर बताई ये है वजह | भारतीय कप्तान विराट कोहली जीत के बाद उतने खुश नजर नहीं आए. हालांकि कोहली की टीम ने ऑस्ट्रेलिया के हौसले पस्त करते हुए विपरीत परिस्थितियों में जीत दर्ज की. पहला टेस्ट मैच गंवाने के बाद शानदार वापसी की लेकिन कोहली के चेहरे पर उतनी खुशी देखने को नहीं मिली. पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब मौजूदा टीम विदेशी सत्र में जीतेगी तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट और चौड़ी होगी.
यह पूछने पर कि पिछले 13 में से 10 टेस्ट जीतने के बावजूद वह खुश क्यों नहीं दिख रहे, कोहली ने कहा, "इससे यह समझना चाहिये कि यह किसी चीज का अंत नहीं है. अपनी उपलब्धि पर अति उत्साहित होने की जरूरत नहीं है. हम नंबर वन रैंकिंग पाकर खुश हैं लेकिन हमारी असल चुनौती अब शुरू होती है. यदि हम विदेशी सत्र में भी जीत सके तो प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट और चौड़ी हो जाएगी."
उन्होंने कहा कि इस श्रृंखला का सबसे बड़ा हासिल भविष्य के लिये टीम तैयार करना रहा. उन्होंने कहा, "यह फख्र का पल है. हमने पूरे सत्र में अच्छा खेला और भविष्य के लिये अच्छी टीम तैयार करना जरूरी था जो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सके. हमने पूरे सत्र में यही किया." कोहली ने सहयोगी स्टाफ की तारीफ करते हुए कहा, "सभी को श्रेय जाता है. सहयोगी स्टाफ को श्रेय नहीं मिलता लेकिन उनका योगदान 40 प्रतिशत है क्योंकि वे खिलाड़ियों पर काफी मेहनत करते हैं. यह टीम प्रयास है और इसमें सभी शामिल हैं." टिप्पणियां
उन्होंने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी की तारीफ करते हुए कहा कि यह उसका ही सुझाव था कि पांच गेंदबाजों को लेकर उतरा जाए. उन्होंने कहा, "मैने मैच से पहले अजिंक्य से बात की और कहा कि तुम्हे तय करना है कि चार गेंदबाज चाहिए या पांच. उसने तुरंत कहा कि पांच गेंदबाजों की जरूरत है."
कोहली ने कहा, "पांचवें गेंदबाज पर अनिल भाई, अजिंक्य और मैने बात की. कुलदीप यादव एक्स फैक्टर था क्योंकि आस्ट्रेलिया ने उसे नहीं खेला था. मुझे लगता है कि अजिंक्य और अनिल भाई का फैसला शानदार था." बाहर बैठकर मैच देखना कठिन था लेकिन कोहली ने खुशी जताई कि उनकी गैर मौजूदगी में टीम ने मिलकर जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने कहा, "कल बाहर से जश्न मनाते हुए मैने चार बार कंधे को झटका दिया . मैं चेंज रूम में बैठक नहीं पा रहा था. बुरा लग रहा था. मुझे याद नहीं कि मैने लगातार कितने टेस्ट खेले हैं . मेरे पास हालांकि कोई विकल्प नहीं था क्योंकि 50 प्रतिशत फिटनेस के साथ खेलना सही नहीं होता."
यह पूछने पर कि पिछले 13 में से 10 टेस्ट जीतने के बावजूद वह खुश क्यों नहीं दिख रहे, कोहली ने कहा, "इससे यह समझना चाहिये कि यह किसी चीज का अंत नहीं है. अपनी उपलब्धि पर अति उत्साहित होने की जरूरत नहीं है. हम नंबर वन रैंकिंग पाकर खुश हैं लेकिन हमारी असल चुनौती अब शुरू होती है. यदि हम विदेशी सत्र में भी जीत सके तो प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट और चौड़ी हो जाएगी."
उन्होंने कहा कि इस श्रृंखला का सबसे बड़ा हासिल भविष्य के लिये टीम तैयार करना रहा. उन्होंने कहा, "यह फख्र का पल है. हमने पूरे सत्र में अच्छा खेला और भविष्य के लिये अच्छी टीम तैयार करना जरूरी था जो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सके. हमने पूरे सत्र में यही किया." कोहली ने सहयोगी स्टाफ की तारीफ करते हुए कहा, "सभी को श्रेय जाता है. सहयोगी स्टाफ को श्रेय नहीं मिलता लेकिन उनका योगदान 40 प्रतिशत है क्योंकि वे खिलाड़ियों पर काफी मेहनत करते हैं. यह टीम प्रयास है और इसमें सभी शामिल हैं." टिप्पणियां
उन्होंने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी की तारीफ करते हुए कहा कि यह उसका ही सुझाव था कि पांच गेंदबाजों को लेकर उतरा जाए. उन्होंने कहा, "मैने मैच से पहले अजिंक्य से बात की और कहा कि तुम्हे तय करना है कि चार गेंदबाज चाहिए या पांच. उसने तुरंत कहा कि पांच गेंदबाजों की जरूरत है."
कोहली ने कहा, "पांचवें गेंदबाज पर अनिल भाई, अजिंक्य और मैने बात की. कुलदीप यादव एक्स फैक्टर था क्योंकि आस्ट्रेलिया ने उसे नहीं खेला था. मुझे लगता है कि अजिंक्य और अनिल भाई का फैसला शानदार था." बाहर बैठकर मैच देखना कठिन था लेकिन कोहली ने खुशी जताई कि उनकी गैर मौजूदगी में टीम ने मिलकर जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने कहा, "कल बाहर से जश्न मनाते हुए मैने चार बार कंधे को झटका दिया . मैं चेंज रूम में बैठक नहीं पा रहा था. बुरा लग रहा था. मुझे याद नहीं कि मैने लगातार कितने टेस्ट खेले हैं . मेरे पास हालांकि कोई विकल्प नहीं था क्योंकि 50 प्रतिशत फिटनेस के साथ खेलना सही नहीं होता."
उन्होंने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी की तारीफ करते हुए कहा कि यह उसका ही सुझाव था कि पांच गेंदबाजों को लेकर उतरा जाए. उन्होंने कहा, "मैने मैच से पहले अजिंक्य से बात की और कहा कि तुम्हे तय करना है कि चार गेंदबाज चाहिए या पांच. उसने तुरंत कहा कि पांच गेंदबाजों की जरूरत है."
कोहली ने कहा, "पांचवें गेंदबाज पर अनिल भाई, अजिंक्य और मैने बात की. कुलदीप यादव एक्स फैक्टर था क्योंकि आस्ट्रेलिया ने उसे नहीं खेला था. मुझे लगता है कि अजिंक्य और अनिल भाई का फैसला शानदार था." बाहर बैठकर मैच देखना कठिन था लेकिन कोहली ने खुशी जताई कि उनकी गैर मौजूदगी में टीम ने मिलकर जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने कहा, "कल बाहर से जश्न मनाते हुए मैने चार बार कंधे को झटका दिया . मैं चेंज रूम में बैठक नहीं पा रहा था. बुरा लग रहा था. मुझे याद नहीं कि मैने लगातार कितने टेस्ट खेले हैं . मेरे पास हालांकि कोई विकल्प नहीं था क्योंकि 50 प्रतिशत फिटनेस के साथ खेलना सही नहीं होता."
कोहली ने कहा, "पांचवें गेंदबाज पर अनिल भाई, अजिंक्य और मैने बात की. कुलदीप यादव एक्स फैक्टर था क्योंकि आस्ट्रेलिया ने उसे नहीं खेला था. मुझे लगता है कि अजिंक्य और अनिल भाई का फैसला शानदार था." बाहर बैठकर मैच देखना कठिन था लेकिन कोहली ने खुशी जताई कि उनकी गैर मौजूदगी में टीम ने मिलकर जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने कहा, "कल बाहर से जश्न मनाते हुए मैने चार बार कंधे को झटका दिया . मैं चेंज रूम में बैठक नहीं पा रहा था. बुरा लग रहा था. मुझे याद नहीं कि मैने लगातार कितने टेस्ट खेले हैं . मेरे पास हालांकि कोई विकल्प नहीं था क्योंकि 50 प्रतिशत फिटनेस के साथ खेलना सही नहीं होता." |
गरीबी दूर करने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में विकास जरूरी : मुख्यमंत्री | झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि राज्य से गरीबी को खत्म करने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में विकास आवश्यक है तथा राज्य के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना जरूरी है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को गुमला में कातर्कि उरांव की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि पढ़ने की अभिलाषा रखने वाली बच्चियों की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है.टिप्पणियां
उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई में किसी भी प्रकार की परेशानी आती है तो सरकार पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार है. दास ने कहा कि आने वाले समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जायेगी. विद्याथर्यिों की पठन-पाठन की सुविधा के लिए विद्युतिकरण पूरे गांव एवं स्कूलों में 2018 तक पूरा करने का सरकार का लक्ष्य है. सभी जगहों पर बिजली या सोलर द्वारा विद्युत सप्लाई हेतु कार्य किया जा रहा है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई में किसी भी प्रकार की परेशानी आती है तो सरकार पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार है. दास ने कहा कि आने वाले समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जायेगी. विद्याथर्यिों की पठन-पाठन की सुविधा के लिए विद्युतिकरण पूरे गांव एवं स्कूलों में 2018 तक पूरा करने का सरकार का लक्ष्य है. सभी जगहों पर बिजली या सोलर द्वारा विद्युत सप्लाई हेतु कार्य किया जा रहा है. (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
अब सुनिए महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक का एंथम 'हर गली में धोनी है', 16 शहरों में हुआ है शूट | भारतीय वनडे और टी20 टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक लिविंग लेजेंड हैं. उनके प्रशंसक देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं. उनके संघर्ष की कहानी अद्वितीय और हर किसी को प्रेरित करने वाली है जो अभी से दर्शकों के बीच कौतुहल का विषय बन चुकी है. अब हर किसी को बेसब्री से 'एम.एस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी' के रिलीज का इंतजार है.
इसे देखते हुए फिल्म के मेकर्स दर्शकों के लिए फिल्म का एंथम 'हर गली में धोनी है' रिलीज करने जा रहे हैं. इस एंथम को देश के 16 शहरों में शूट किया गया है. जो दर्शकों को करीब 104 स्थानों पर लेकर जाएगा. मेकर्स ने इसे फिल्म की स्टारकास्ट के साथ शूट करने के बजाए धोनी के प्रशंसकों के साथ शूट करने का ज्यादा तवज्जो दिया है. यह एंथम फिल्म का हिस्सा नहीं होगा लेकिन इस एंथम में धोनी की खेल भावना को केंद्र में रखा गया है.
गौरतलब है कि धोनी के जीवन पर केंद्रित फिल्म 'एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' का ट्रेलर मार्च में लांच हुआ था. ट्रेलर की शुरुआत खड़गपुर स्टेशन से हुई है जहां धोनी ने एक टिकट कलक्टर के तौर पर कुछ समय तक नौकरी की थी. दूसरे शॉट में फ़िल्म में धोनी का किरदार निभा रहे सुशांत सिंह राजपूत टीटीई के काले कपड़ों में दिखाई देते हैं. उसके बाद भारतीय टीम के 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने के ऐलान के साथ 48 सेकेंड का ट्रेलर ख़त्म होता है. टिप्पणियां
फिल्म में धोनी की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई है. नीरज पांडे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भूमिका चावला भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. वर्ष 2003 में सलमान खान के साथ फिल्म 'तेरे नाम' में काम करके सुर्खियों में आईं भूमिका ने फिल्म में महेंद्र सिंह धोनी की बहन की भूमिका निभाई है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसे देखते हुए फिल्म के मेकर्स दर्शकों के लिए फिल्म का एंथम 'हर गली में धोनी है' रिलीज करने जा रहे हैं. इस एंथम को देश के 16 शहरों में शूट किया गया है. जो दर्शकों को करीब 104 स्थानों पर लेकर जाएगा. मेकर्स ने इसे फिल्म की स्टारकास्ट के साथ शूट करने के बजाए धोनी के प्रशंसकों के साथ शूट करने का ज्यादा तवज्जो दिया है. यह एंथम फिल्म का हिस्सा नहीं होगा लेकिन इस एंथम में धोनी की खेल भावना को केंद्र में रखा गया है.
गौरतलब है कि धोनी के जीवन पर केंद्रित फिल्म 'एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' का ट्रेलर मार्च में लांच हुआ था. ट्रेलर की शुरुआत खड़गपुर स्टेशन से हुई है जहां धोनी ने एक टिकट कलक्टर के तौर पर कुछ समय तक नौकरी की थी. दूसरे शॉट में फ़िल्म में धोनी का किरदार निभा रहे सुशांत सिंह राजपूत टीटीई के काले कपड़ों में दिखाई देते हैं. उसके बाद भारतीय टीम के 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने के ऐलान के साथ 48 सेकेंड का ट्रेलर ख़त्म होता है. टिप्पणियां
फिल्म में धोनी की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई है. नीरज पांडे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भूमिका चावला भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. वर्ष 2003 में सलमान खान के साथ फिल्म 'तेरे नाम' में काम करके सुर्खियों में आईं भूमिका ने फिल्म में महेंद्र सिंह धोनी की बहन की भूमिका निभाई है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गौरतलब है कि धोनी के जीवन पर केंद्रित फिल्म 'एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' का ट्रेलर मार्च में लांच हुआ था. ट्रेलर की शुरुआत खड़गपुर स्टेशन से हुई है जहां धोनी ने एक टिकट कलक्टर के तौर पर कुछ समय तक नौकरी की थी. दूसरे शॉट में फ़िल्म में धोनी का किरदार निभा रहे सुशांत सिंह राजपूत टीटीई के काले कपड़ों में दिखाई देते हैं. उसके बाद भारतीय टीम के 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने के ऐलान के साथ 48 सेकेंड का ट्रेलर ख़त्म होता है. टिप्पणियां
फिल्म में धोनी की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई है. नीरज पांडे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भूमिका चावला भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. वर्ष 2003 में सलमान खान के साथ फिल्म 'तेरे नाम' में काम करके सुर्खियों में आईं भूमिका ने फिल्म में महेंद्र सिंह धोनी की बहन की भूमिका निभाई है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फिल्म में धोनी की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई है. नीरज पांडे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भूमिका चावला भी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. वर्ष 2003 में सलमान खान के साथ फिल्म 'तेरे नाम' में काम करके सुर्खियों में आईं भूमिका ने फिल्म में महेंद्र सिंह धोनी की बहन की भूमिका निभाई है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
यूपी : दो लड़कियों को ‘सामूहिक बलात्कार’ के बाद फांसी पर लटकाया | उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुई एक लोमहषर्क वारदात में दो बहनों को कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद फांसी पर लटका दिया गया। घटना से आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाकर पूरे थाने को निलम्बित करने की मांग करते हुए रास्ता जाम किया।
इस मामले में एक आरोपी सिपाही को निलम्बित कर दिया गया है।
प्रभारी जिलाधिकारी उदयराज सिंह ने बताया कि उसहैत थाना क्षेत्र के कटरा गांव में दलित जाति की 14 तथा 15 साल की लड़कियां रात शौच करने के लिए गांव के बाहर गई थीं। दोनों चचेरी बहनों के घर न लौटने पर परिजनों ने रातभर उनकी तलाश की। आज सुबह एक बाग में आम के पेड़ की एक ही डाली पर फांसी से दोनों लड़कियों के शव लटके पाए गए।
उन्होंने बताया कि इस मामले में कटरा चौकी में तैनात सिपाही सर्वेश यादव समेत चार लोगों पर बलात्कार के बाद हत्या का आरोप लगाया गया है। उनमें से पप्पू नामक अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है और आरोपी सिपाही को निलम्बित कर दिया गया है। वह तथा दो अन्य आरोपी अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने उसहैत-लिलवां मार्ग पर रास्ता जाम कर दिया। उनकी मांग थी कि उसहैत थाने के सभी पुलिसकर्मियों को निलम्बित किया जाए और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद मौके पर आएं, लेकिन अधिकारियों के समझाने-बुझाने और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को शव ले जाने दिए।
मृत लड़कियों के परिजनों का आरोप है कि आरोपियों ने दोनों लड़कियों को सामूहिक बलात्कार के बाद फांसी पर लटका दिया। उनका कहना है कि वे लड़कियों के गुम होने की शिकायत लेकर कटरा चौकी पहुंचे थे। वहां तैनात सिपाही सर्वेश यादव ने पहले तो कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन फिर उसने पप्पू और बृजेश नामक आरोपियों को पकड़ा, मगर थोड़ी ही देर बाद दोनों को छोड़ दिया। बाद में उसी ने बताया कि दोनों लड़कियां बाग में फांसी से लटकी हुई हैं। पुलिस अधीक्षक (नगर) मानसिंह चौहान ने बलात्कार की संभावना से इनकार नहीं किया, लेकिन कहा कि इस बारे में पुख्ता तौर पर कोई बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही कही जा सकती है। उन्होंने बताया कि जाम खुलवा दिया गया है। परिजनों की तहरीर पर कार्रवाई की जाएगी। |
आलिया भट्ट और उनकी मम्मी पर बॉलीवुड एक्ट्रेस ने किया बड़ा हमला, Tweet हो गया वायरल | कलंक (Kalank) फिल्म के प्रमोशन में जुटी आलिया (Alia Bhatt) की अदाकारी और डांस की चारों तरफ तारीफ हो रही है. लेकिन बॉलीवुड (Bollywood) की एक एक्ट्रेस उन्हें सवालों के कटघरे में खड़ा कर रही हैं. न सिर्फ आलिया (Alia Bhatt) को बल्कि उनकी मां सोनी राजदान (Soni Rajdan) को लेकर भी निशाने पर ले रही हैं. ये अदाकारा हैं हे बेबी, 36 चाइना टाउन जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं पायल रोहतगी (Payal Rohatgi). पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) इन दिनों ट्विटर पर खासी आक्रामक हैं और लगातार राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर आवाज उठा रही हैं. इसी कड़ी में उन्होंने ट्विटर कलंक (Kalank) फिल्म न देखने की अपील की हैं. पायल (Payal Rohatgi) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि कलंक की मुख्य एक्ट्रेस सोनी राजदान (Soni Rajdan) की बेटी हैं. जिसने जुनैद की मॉब लिंचिग (Mob Lynching) की झूठी खबरें फैलाई थी. पायल ने कहा कि याद रखें की यह फिल्म लव जिहाद (Love Jihad) के मुद्दे को प्रसारित करने के लिए बनाई हैं. पायल (Payal Rohatgi) ने लिखा कि याद रखें की मां और बेटी, दोनों ब्रिटिश नागरिक हैं जिन्होंने हम पर राज किया था और अब भारत के मासूमों को गुमराह करना चाहती हैं.
#Kalank main actress is daughter of #SoniRazdan who wants to spread false stories of Junaid MobLynching. Remember that this movie promotes #lovejihad. Remember that both mother-daughter duo are British citizens (who ruled us) & want to mislead innocent Indians. #SundayMorning
बता दें कि आलिया भट्ट (Alia Bhatt) की मां सोनी राजदान (Soni Rajdan) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर जुनैद खान (Junaid Khan) की फोटो शेयर की थी. जिसमें लिखा था कि मैं जुनैद खान हूं, मुस्लिम लड़का उम्र 15 साल है. मुझे मुस्लिम होने की वजह से ट्रेन में भीड़ द्वारा मार दिया गया था. वोट करते समय मुझे याद रखें. इसके बाद सोनी राजदान (Soni Rajdan) को सोशल मीडिया यूजर्स जमकर ट्रोल किया था. इस ट्वीट को लेकर ही पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) ने आलिया और उनकी मां सोनी राजदान (Soni Rajdan) को निशाने पर लिया है. पायल और कई यूजर्स का कहना है कि यह फर्जी खबर है.
pic.twitter.com/G4AO87aRuf
ऐसा पहली बार नहीं है जब राष्ट्रवाद के मसले पर पायल (Payal Rohatgi) ने किसी को निशाने पर लिया हो. उनके ट्वीटर अकाउंट पर नजर डालकर अंदाया लगाया जा सकता है कि वह किस तरह खुद को ट्रोल करने वाले लोगों से सीधे मुकाबला करती हैं. गौर हो कि पायल रोहतगी (Payal Rohatgi) साल 2001 में मिस इंडिया टूरिज्म और सुपरमॉडल टूरिज्म विश्व का खिताब जीत चुकी हैं. पायल ने 2004 में फिल्म प्लान के जरिए बॉलीवुड में कदम रखा था. पायल 2004 से लेकर 2007 तक फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहीं. उन्होंने प्लान, रक्त, तौबा-तौबा, मिस्टर 100 पर्सेंट, 36 चाइना टाउन, ढोल और बेबी जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. |
IND vs WI ODI: विराट कोहली ने फिर जड़ा शतक, सचिन तेंदुलकर के इस रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा, Records | IND vs WI 1st ODI: चीते की तरह दौड़कर धोनी ने लिया ऐसा कैच, वायरल हुआ VIDEO
- 36th ODI century in 204 innings for Virat Kohli
- Sachin Tendulkar reached his 36th century in 311 innings (in Nov 2003)#IndvWI#IndvsWI |
रिकॉर्डतोड़ गर्मी के बाद अब सर्दी की बारी, जम्मू में ठंड ने तोड़ा 71 साल का रिकॉर्ड | जम्मू में साल 1945 के बाद सोमवार को अब तक का सबसे सर्द दिन रहा। यहां न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से बमुश्किल आधा डिग्री ऊपर दर्ज किया गया। जम्मू शहर में पिछले एक सप्ताह से लोग कड़ाके की सर्दी से जूझ रहे हैं। सोमवार को भी घना कोहरा रहा। सर्द हवाएं जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं।
जम्मू एवं कश्मीर के मौसम विभाग के निदेशक सोनम लोटस ने कहा कि जम्मू में 27 जनवरी तक मौसम सर्द रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, 'जम्मू शहर में 27 जनवरी तक धुंध और सर्द हवाएं जारी रहेंगी।'
घने कोहरे की वजह से जम्मू शहर आने-जाने वाली ट्रेनें रद्द कर दी गईं और कुछ के समय में फेरबदल किया गया है। विजिब्लिटी कम होने की वजह से हवाई यातायात भी स्थगित है।टिप्पणियां
जम्मू शहर में सोमवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री दर्ज किया गया। कटरा में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री, बटोत में 1.9 डिग्री, बनिहाल में 0.1 डिग्री और उधमपुर में 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, भदरवाह में न्यूनतम तापमान शून्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 3.3 डिग्री, पहलगाम में शून्य से 5.9 डिग्री और गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.7 डिग्री और करगिल कस्बे में शून्य से 15.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
जम्मू एवं कश्मीर के मौसम विभाग के निदेशक सोनम लोटस ने कहा कि जम्मू में 27 जनवरी तक मौसम सर्द रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, 'जम्मू शहर में 27 जनवरी तक धुंध और सर्द हवाएं जारी रहेंगी।'
घने कोहरे की वजह से जम्मू शहर आने-जाने वाली ट्रेनें रद्द कर दी गईं और कुछ के समय में फेरबदल किया गया है। विजिब्लिटी कम होने की वजह से हवाई यातायात भी स्थगित है।टिप्पणियां
जम्मू शहर में सोमवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री दर्ज किया गया। कटरा में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री, बटोत में 1.9 डिग्री, बनिहाल में 0.1 डिग्री और उधमपुर में 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, भदरवाह में न्यूनतम तापमान शून्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 3.3 डिग्री, पहलगाम में शून्य से 5.9 डिग्री और गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.7 डिग्री और करगिल कस्बे में शून्य से 15.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
घने कोहरे की वजह से जम्मू शहर आने-जाने वाली ट्रेनें रद्द कर दी गईं और कुछ के समय में फेरबदल किया गया है। विजिब्लिटी कम होने की वजह से हवाई यातायात भी स्थगित है।टिप्पणियां
जम्मू शहर में सोमवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री दर्ज किया गया। कटरा में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री, बटोत में 1.9 डिग्री, बनिहाल में 0.1 डिग्री और उधमपुर में 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, भदरवाह में न्यूनतम तापमान शून्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 3.3 डिग्री, पहलगाम में शून्य से 5.9 डिग्री और गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.7 डिग्री और करगिल कस्बे में शून्य से 15.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
जम्मू शहर में सोमवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री दर्ज किया गया। कटरा में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री, बटोत में 1.9 डिग्री, बनिहाल में 0.1 डिग्री और उधमपुर में 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, भदरवाह में न्यूनतम तापमान शून्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 3.3 डिग्री, पहलगाम में शून्य से 5.9 डिग्री और गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.7 डिग्री और करगिल कस्बे में शून्य से 15.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
श्रीनगर में रात का तापमान शून्य से 3.3 डिग्री, पहलगाम में शून्य से 5.9 डिग्री और गुलमर्ग में शून्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। लद्दाख क्षेत्र के लेह कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.7 डिग्री और करगिल कस्बे में शून्य से 15.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। |
क्या आर्यों ने ही बसाया था हड़प्पा सभ्यता को? इतिहासकारों के भिन्न मत | भारत में आर्य बाहर से आए या फिर स्वदेशी थे, इस बात पर वर्षों से जारी चर्चा के बीच भारत के कई इतिहासकार मानते हैं कि भारत में आर्यों का आगमन 1500 ईसा पूर्व मध्य एशिया से हुआ।
प्रसिद्ध इतिहासकार रामशरण शर्मा ने अपनी पुस्तक 'प्राचीन भारत का इतिहास' में लिखा है कि आर्य हिंद-यूरोपीय परिवार की भाषाएं बोलते थे, जो अपने परिवर्तित रूपों में आज भी समूचे यूरोप और ईरान में तथा भारतीय उपमहादेश के अधिकतर भागों में बोली जाती हैं। लगभग 1600 ईसा पूर्व के कस्साइट अभिलेखों में तथा सीरिया में मिले अभिलेखों में आर्य नामों का उल्लेख है। उनसे पश्चिम एशिया में आर्य भाषा-भाषियों की उपस्थिति का पता चलता है।
राष्ट्रीय संग्रहालय के पुरातत्ववेत्ता और प्रकाशन विभाग के प्रभारी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि आर्य मूलत: भारतीय हैं। वे हड़प्पा सभ्यता को आर्यों की पूर्ववर्ती सभ्यता मानते हैं।
सिंह ने बताया कि आर्य संस्कृति का इतिहास लेखन औपनिवेशिक सोच के आधार पर हुआ है। अंग्रेजी इतिहासकारों ने एक खास वर्ग को बाहरी बताकर समाज को बांटने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक इतिहासकारों ने हड़प्पा के बहुत कम स्थलों की खोज के आधार पर निष्कर्ष निकाला था कि हड़प्पा सभ्यता और आर्य सभ्यता अलग-अलग है। अब जबकि 2700 से अधिक हड़प्पाई स्थलों की खोज हो चुकी है, तो इसके आधार पर कहा जा सकता है कि हड़प्पा सभ्यता आर्यों की ही सभ्यता थी। सिंह ने अपनी पुस्तक 'ग्लोरी दैट वाज हड़प्पन सिविलाइजेशन' में इन सभी स्थलों की विस्तृत सूची दी है।
सिंह ने इसके पीछे तर्क दिया कि हड़प्पा सभ्यता के लोथल से अग्निकुंड के साक्ष्य मिले हैं। अर्थात हड़प्पा सभ्यता में अग्नि को विशेष महत्व प्राप्त था। वहीं आर्यों में भी अग्नि को विशेष महत्व प्राप्त था। सिंह ने बताया कि अगर भाषाई आधार को छोड़ दिया जाए तो इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि आर्य मध्य एशिया से आये। केवल भाषा के आधार पर तो हम यह भी कह सकते हैं कि यूरोपीय लोगों का मूल स्थान भारत ही था और वे यहीं से यूरोप गए क्योंकि हमारे यहां प्राचीन काल में उन्नत नौकायन के साक्ष्य मिले हैं।
उन्होंने बताया कि हड़प्पा के स्थलों से मिले घोड़े के साक्ष्य के आधार पर भी कहा जा सकता है कि आर्यों ने ही हड़प्पा को बसाया था। |
सीएम केजरीवाल ने पीएम से कहा- 'टाइटलर सिख दंगों के मामले में दखल दे रहे हैं' | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दखल दे रहे हैं और सीबीआई उनको बचा रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की एक अदालत ने 24 दिसंबर, 2014 को टाइटलर को मिली क्लीन चिट खारिज कर दी थी और सीबीआई की आलोचना की थी।टिप्पणियां
केजरीवाल ने कहा कि आदेश पर गौर करने के बाद पता चलता है कि प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट करने वाली यह प्रमुख जांच एजेंसी उचित जांच करने में नाकाम रही है और मुख्य आरोपी के खिलाफ जल्दबाजी में मामले बंद करने की रिपोर्ट दाखिल कर दी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उन्होंने कहा कि दिल्ली की एक अदालत ने 24 दिसंबर, 2014 को टाइटलर को मिली क्लीन चिट खारिज कर दी थी और सीबीआई की आलोचना की थी।टिप्पणियां
केजरीवाल ने कहा कि आदेश पर गौर करने के बाद पता चलता है कि प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट करने वाली यह प्रमुख जांच एजेंसी उचित जांच करने में नाकाम रही है और मुख्य आरोपी के खिलाफ जल्दबाजी में मामले बंद करने की रिपोर्ट दाखिल कर दी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
केजरीवाल ने कहा कि आदेश पर गौर करने के बाद पता चलता है कि प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट करने वाली यह प्रमुख जांच एजेंसी उचित जांच करने में नाकाम रही है और मुख्य आरोपी के खिलाफ जल्दबाजी में मामले बंद करने की रिपोर्ट दाखिल कर दी। (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) |
'उड़ता पंजाब' विवाद पर एकजुट फिल्मकार, पूछा - 'क्या भारत को सऊदी अरब बनाना चाहते हैं?' | मुकेश भट्ट, महेश भट्ट, सतीश कौशिक, इम्तिआज अली के अलावा कई और फिल्मी हस्तियां इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने इस कार्यक्रम का संचालन किया। |
एक जैसी हो CIC और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया : सुप्रीम कोर्ट | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्रीय सूचना आयोग (CIC)और राज्य सूचना आयोगों (SIC) की रिक्तियां भरने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि पदों के खाली होने से दो महीने पहले ही उन्हें भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए. न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति एस.ए.नजीर की बेंच ने कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त, उच्च पदाधिकारी हैं और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति जैसी ही होनी चाहिए. कोर्ट ने सीआईसी और राज्य सूचना आयोगों की रिक्तियों पर भी संज्ञान लिया और छह महीने के भीतर उन्हें भरने का निर्देश दिया. सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि सीआईसी में सूचना आयुक्तों के तौर पर नियुक्तियों के लिए केन्द्र नौकरशाहों के अलावा अन्य क्षेत्रों के प्रमुख लोगों के नाम पर भी विचार करे.
कोर्ट ने कहा कि सरकार सिर्फ सरकारी अधिकारियों को ही सूचना आयुक्त नहीं बना सकती. गुड गवर्नेंस के लिए पारदर्शिता का होना जरूरी है. सीआईसी का स्टेटस सीईसी की तरह होना चाहिए. जोकि सरकार के नियंत्रण से बाहर होना चाहिए. सर्च कमेटी के लिए शार्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के का एक पैमाना होना चाहिए. जहां अधिकारियों को शॉर्ट लिस्ट किया जाए और फिर उनकी सूची को सार्वजनिक किया जाए. इससे पहले 13 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शी तरीका अपनाया जाना चाहिए. जस्टिस एके सीकरी की पीठ ने कहा कि आखिरकार ये सब पारदर्शिता के लिए ही किया जा रहा है. सरकार को चयनित उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर डालनी चाहिए. साथ ही केंद्र सुनिश्चित करे कि कानून के तहत नियम और शर्तें पूरी की गई हैं. पीठ ने कहा इनका विज्ञापन भी जारी करना चाहिए.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर भी सवाल उठाए थे. पीठ ने पूछा था कि कितने आरटीआई आवेदन दायर किए गए और कितने लंबित हैं. कितने समय से ये लंबित हैं ये 3 हफ्तों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट याचिकाकर्ता अंजली भारद्वाज ने केंद्र सरकार पर आरटीआई को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता नहीं बरत रही है. |
गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार ने 28 घंटे में जुटाए 28 लाख रुपये | बिहार की बेगूसराय (Begusarai) लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुक़ाबला देखने को मिलेगा. पूरे देश की नजर इस सीट पर टिक गई है. एक ओर बीजेपी के गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) हैं तो दूसरी तरफ जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई (CPI) उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) हैं. RJD ने बेगूसराय से तनवीर हसन को उम्मीदवार बनाया है. कन्हैया ये लड़ाई लड़ने के लिए लोगों से वोट के साथ नोट भी मांग रहे हैं. पिछले 28 घंटे में कन्हैया ने 28 लाख रुपये जुटाए हैं.
गौरतलब है कि कन्हैया ने लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) के लिए ऑनलाइन 70 लाख का फंड जुटाने को अपने चुनावी अभियान के साथ-साथ एक समानांतर अभियान शुरू किया है. रविवार को जब कन्हैया की उम्मीदवारी की घोषणा की गई थी तभी सीपीआई के नेताओं ने साफ कर दिया था कि चूंकि मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उम्मीदवार गिरिराज सिंह के साथ है, इसलिए साधन-संसाधन में तो उनका मुकाबला नहीं किया जा सकता. इसके लिए लोगों से आर्थिक सपोर्ट के साथ-साथ वोट मांगने का अभियान शुरू किया जाएगा.
गिरिराज सिंह की नाराजगी पर अमित शाह का ये ट्वीट दे रहा हर सवाल का जवाब
उस समय लगा था कि शायद यह अभियान बेगूसराय संसदीय क्षेत्र में ही हो, लेकिन बाद में कन्हैया (Kanhaiya Kumar) ने एक वीडियो जारी किया और ऑनलाइन फंड जुटाने का अभियान शुरू किया गया. हालांकि बिहार के चुनाव में 'नोट के साथ वोट' इससे पूर्व भी कई नेताओं ने आजमाया है. प्रसिद्ध समाजवादी मधु लिमये हों या जॉर्ज फर्नांन्डिस, इन्हें लोगों ने वोट दिया और नोट भी दिए.
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट पर बीजेपी को 39.72 फीसदी वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रही राजद को 34.31 फीसदी वोट प्राप्त हुए. कन्हैया कुमार की पार्टी सीपीआई के उम्मीदवार को 17.87 फीसदी वोट मिले थे. अगर मतदाताओं की बात करें तो बेगूसराय में क़रीब पौने 5 लाख भूमिहार मतदाता हैं जो बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते हैं. वहीं 2.5 लाख मुसलमान मतदाता हैं. गिरिराज सिंह और कन्हैया कुमार दोनों ही भूमिहार हैं जबकि आरजेडी ने मुस्लिम उम्मीदवार तनवीर हसन को टिकट दिया है. यहां यादव मतदताओं की भी बड़ी संख्या है. |
अक्टूबर-नवंबर में भारत आकर तीन टेस्ट, पांच वन-डे खेलेगी वेस्टइंडीज़ टीम | वेस्टइंडीज़ की क्रिकेट टीम इसी वर्ष अक्टूबर-नवंबर में भारत का दौरा करेगी, जिसमें वह टीम इंडिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैच, पांच एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच तथा एक ट्वेन्टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलेगी।
भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपनी घोषणा में बताया कि 43-दिवसीय दौरे में पहले वन-डे इंटरनेशनल मैच खेले जाएंगे, और पहला मैच 8 अक्टूबर को कोच्चि में होगा। शृंखला का दूसरा एक-दिवसीय मैच 11 अक्टूबर को विशाखापट्टनम में खेला जाएगा, जबकि तीसरा एक-दिवसीय 14 अक्टूबर को कटक में होगा।
शृंखला का चौथा वन-डे मैच 17 अक्टूबर को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में आयोजित होगा, तथा अंतिम एक-दिवसीय मैच 20 अक्टूबर को धर्मशाला में खेला जाएगा। धर्मशाला में होने वाले अंतिम वन-डे मैच के अलावा सीमित ओवरों के शेष सभी मैचों के दिन-रात्रि का होने की संभावना है।
दौरे का एकमात्र टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच 22 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में खेला जाएगा, और उसके बाद आठ दिन के विश्राम के बाद वेस्ट इंडीज़ की टीम मेजबान भारत के विरुद्ध 30 अक्टूबर से हैदराबाद में पहला टेस्ट मैच खेलेगी। शृंखला का दूसरा टेस्ट मैच 7 से 11 नवंबर के बीच बेंगलुरु में आयोजित होगा, तथा दौरे का समापन 15 से 19 नवंबर के बीच अहमदाबाद में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच से होगा।
अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई से पहले टेस्ट मैच से पूर्व किसी अभ्यास मैच का आग्रह किया है या नहीं, जिससे उनकी टीम टेस्ट क्रिकेट के लिए लय में आ सके। |
लोकसभा के पहले सत्र की तारीख तय करने के लिए मोदी मंत्रिमंडल की बैठक आज | 16वीं लोकसभा के पहले सत्र की तारीख तय करने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई है। बैठक में यह तय किया जाएगा कि संसद का अगला सत्र कब से शुरू किया जाए। अनुमान लगाया जा रहा है कि संसद का सत्र जून के पहले हफ्ते से शुरू हो सकता है।
वहीं मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक हुई। इस बैठक में काले धन को लेकर एक अहम फैसला किया गया। वादे के मुताबिक मोदी सरकार ने इस मामले में एसआईटी बनाने का ऐलान कर दिया है।
नवगठित लोकसभा का पहला सत्र जून के पहले सप्ताह में आहूत होने की संभावना है और आज कैबिनेट की बैठक में इसकी तारीखों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। नए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कैबिनेट की पहली बैठक के बाद कहा कि प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के पहले दिन ही पूरे जोश से काम शुरू कर दिया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, बुधवार को दूसरी बैठक है, जिसमें संसद के बजट सत्र सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
सत्र के अगले महीने के पहले सप्ताह में आहूत होने की संभावना है, जिसमें लोकसभाध्यक्ष का चुनाव होगा और नए सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी। उसके बाद एक अंतराल के बाद दूसरे चरण में आम बजट और रेल बजट पेश होगा।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने फरवरी में 2014-15 के लिए अंतरिम बजट पेश किया था, जिसमें इस महीने के अंत तक के खर्च का प्रावधान किया गया था। |
रॉयल्टी भुगतान के मामले में यशराज फिल्मस के चेयरमैन आदित्य चोपड़ा को ईडी का समन | (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
दिल्ली पहुंचे इतालवी नौसैनिक, इटली ने की जल्द न्याय की मांग | दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले में आरोपी नौसैनिकों शुक्रवार की शाम भारत लौट आए हैं। इससे पहले भारत की सरकार ने इटली की सरकार को आश्वासन दिया था कि दोनों को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि दोनों ही नौसैनिकों को अब गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा दोनों इटली के दूतावास में रह सकते हैं और हफ्ते में एक बार नजदीक के पुलिस स्टेशन पर जाना होगा।
बता दें कि दोनों देशों के बीच समझौता है कि कोई भी सजायाफ्ता अपने देश की जेल में सजा काट सकता है। आज दोनों नौसैनिक विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे। भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें पैरोल की दी गई मियाद आज खत्म हो रही थी। सरकार ने यह साफ कर दिया था कि यदि दोनों नौसैनिक तय मियाद के भीतर वापस आ जाते हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
इटली के विदेश उपमंत्री स्तीफन डी मिसतूरा ने शुक्रवार की शाम इतालवी राजदूत दानयेल मांचिनी के साथ विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद से मुलाकात की।
मिस्तुरा ने कहा कि मरीन की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द एक विशेष अदालत स्थापित की जानी चाहिए। हमें न्याय और स्पष्टता चाहिए। मिस्तुरा ने कहा कि यदि विशेष अदालत की कार्यवाही जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढंग से हो तो हम इसमें हिस्सा लेने की स्थिति पर अडिग हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौसैनिकों की वापसी पर कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बरकरार रही।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
बता दें कि दोनों देशों के बीच समझौता है कि कोई भी सजायाफ्ता अपने देश की जेल में सजा काट सकता है। आज दोनों नौसैनिक विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे। भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें पैरोल की दी गई मियाद आज खत्म हो रही थी। सरकार ने यह साफ कर दिया था कि यदि दोनों नौसैनिक तय मियाद के भीतर वापस आ जाते हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
इटली के विदेश उपमंत्री स्तीफन डी मिसतूरा ने शुक्रवार की शाम इतालवी राजदूत दानयेल मांचिनी के साथ विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद से मुलाकात की।
मिस्तुरा ने कहा कि मरीन की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द एक विशेष अदालत स्थापित की जानी चाहिए। हमें न्याय और स्पष्टता चाहिए। मिस्तुरा ने कहा कि यदि विशेष अदालत की कार्यवाही जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढंग से हो तो हम इसमें हिस्सा लेने की स्थिति पर अडिग हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौसैनिकों की वापसी पर कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बरकरार रही।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
इटली के विदेश उपमंत्री स्तीफन डी मिसतूरा ने शुक्रवार की शाम इतालवी राजदूत दानयेल मांचिनी के साथ विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद से मुलाकात की।
मिस्तुरा ने कहा कि मरीन की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द एक विशेष अदालत स्थापित की जानी चाहिए। हमें न्याय और स्पष्टता चाहिए। मिस्तुरा ने कहा कि यदि विशेष अदालत की कार्यवाही जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढंग से हो तो हम इसमें हिस्सा लेने की स्थिति पर अडिग हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौसैनिकों की वापसी पर कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बरकरार रही।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
मिस्तुरा ने कहा कि मरीन की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द एक विशेष अदालत स्थापित की जानी चाहिए। हमें न्याय और स्पष्टता चाहिए। मिस्तुरा ने कहा कि यदि विशेष अदालत की कार्यवाही जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढंग से हो तो हम इसमें हिस्सा लेने की स्थिति पर अडिग हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौसैनिकों की वापसी पर कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बरकरार रही।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौसैनिकों की वापसी पर कहा था कि उन्हें खुशी है कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बरकरार रही।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप का सामना कर रहे इटली के दो नौसैनिक अदालती कार्यवाही का सामना करने के लिए शुक्रवार की शाम भारत लौट आए। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "इतालवी नौसैनिक भारत पहुंच गए हैं।"
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
इस महीने के शुरू में इटली ने अपने दोनों आरोपी नौसैनिकों मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने को वापस भेजने से मना कर दिया था। इटली सरकार के इस कदम के बाद भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की आलोचना की।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
आरोपी नौसैनिक तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
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सर्वोच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को दोनों आरोपी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनाव में वोट देने के लिए स्वदेश लौटने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वे चार सप्ताह के भीतर भारत लौट आएंगे।टिप्पणियां
इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
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इटली ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को नहीं भेज रहा है जिस लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया।
इस मामले में अदालत को आरोपियों के लौट आने का भरोसा देने वाले इटली के राजदूत डेनिएल मैन्सिनी को सर्वोच्च न्यायालय ने भारत छोड़ने पर पाबंदी लगा दी।
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नरसिंह के साथ नाइंसाफी नहीं कर सकते, सुशील की मांग को मानने का सवाल नहीं : कुश्ती संघ | हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक सुशील कुमार और नरसिंह यादव मामले पर भारतीय कुश्ती संघ में मीटिंग हुई। सुशील इस मीटिंग में अपने ट्रायल्स की मांग को लेकर कायम रहे जबकि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सेक्रेटरी और मुख्य कोच ने सुशील को ये समझाने की कोशिश की कि अगर उनकी मांग मान ली गई तो नरसिंह के साथ नाइंसाफ़ी हो सकती है।
कुश्ती संघ को इस बारे में 23 तारीख़ को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश करना है, जबकि इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने फ़ैसला तो नहीं सुनाया लेकिन कई इशारे किये जिससे साफ़ था कि सुशील के लिए ट्रायल्स की संभावना ना के बराबर है। ऐसे में मौजूदा हालात में सुशील का रियो जाना मुमकिन नहीं दिखता।
पत्रकारों से पूछे जाने पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने ये भी कहा कि सुशील को नेशनल कैंप में ट्रेनिंग की इजाज़त नहीं दी जा सकती। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मीटिंग में सुशील के सामने ये सवाल रखा कि अगर वो उनकी जगह होते तो क्या करते। टिप्पणियां
इस मीटिंग में सुशील के साथ उनके कोच सतपाल सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रख दिया है।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं।
कुश्ती संघ को इस बारे में 23 तारीख़ को हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश करना है, जबकि इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने फ़ैसला तो नहीं सुनाया लेकिन कई इशारे किये जिससे साफ़ था कि सुशील के लिए ट्रायल्स की संभावना ना के बराबर है। ऐसे में मौजूदा हालात में सुशील का रियो जाना मुमकिन नहीं दिखता।
पत्रकारों से पूछे जाने पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने ये भी कहा कि सुशील को नेशनल कैंप में ट्रेनिंग की इजाज़त नहीं दी जा सकती। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मीटिंग में सुशील के सामने ये सवाल रखा कि अगर वो उनकी जगह होते तो क्या करते। टिप्पणियां
इस मीटिंग में सुशील के साथ उनके कोच सतपाल सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रख दिया है।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने फ़ैसला तो नहीं सुनाया लेकिन कई इशारे किये जिससे साफ़ था कि सुशील के लिए ट्रायल्स की संभावना ना के बराबर है। ऐसे में मौजूदा हालात में सुशील का रियो जाना मुमकिन नहीं दिखता।
पत्रकारों से पूछे जाने पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने ये भी कहा कि सुशील को नेशनल कैंप में ट्रेनिंग की इजाज़त नहीं दी जा सकती। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मीटिंग में सुशील के सामने ये सवाल रखा कि अगर वो उनकी जगह होते तो क्या करते। टिप्पणियां
इस मीटिंग में सुशील के साथ उनके कोच सतपाल सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रख दिया है।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं।
पत्रकारों से पूछे जाने पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने ये भी कहा कि सुशील को नेशनल कैंप में ट्रेनिंग की इजाज़त नहीं दी जा सकती। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मीटिंग में सुशील के सामने ये सवाल रखा कि अगर वो उनकी जगह होते तो क्या करते। टिप्पणियां
इस मीटिंग में सुशील के साथ उनके कोच सतपाल सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रख दिया है।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं।
इस मीटिंग में सुशील के साथ उनके कोच सतपाल सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर आकर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रख दिया है।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं।
इस मसले का फ़ैसला अदालत इस महीने के आख़िर में सुनाएगी। तब तक कुश्ती कैंप में थोड़ी हलचल ज़रूर रहेगी। लेकिन कुश्ती संघ का इशारा समझा जाए तो सुशील के रियो के दरवाज़े बंद ही नज़र आते हैं। |
उत्तर प्रदेश के शामली में जाली पैन और आधार बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार | कैराना थाने के थाना प्रभारी (एसएचओ) भागवत सिंह ने बताया कि एक कार, एक लैपटॉप, एक कैमरा और बड़ी संख्या में जाली आधार और पैन कार्ड आरोपी के पास से जब्त किया. थाना प्रभारी ने बताया कि जावेद के दो साथी चकमा देकर भाग निकलने में कामयाब रहे और उनकी तलाश की जा रही है. सिंह ने बताया कि आरोपी से पूछताछ की जा रही है. (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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विस्फोटकों से भरी कार में धमाका होंने से कांग्रेस नेता की मौके पर ही हुई मौत | (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
मध्य प्रदेश : जबलपुर में 24 साल की युवती ने छठी मंजिल से कूदकर खुदकुशी की | उन्होंने बताया कि उसके शव के पास से एक टूटा हुआ मोबाइल और कुछ दूरी पर सिम बरामद हुई है. अभी आत्महत्या का कारण स्पस्ष्ट नहीं हो पाया है. |
सलमान खान की इस फैन ने पांव से बनाई भाईजान की तस्वीर, Video देख आप भी रह जाएंगे हैरान | बॉलीवुड के भाईजान यानी सलमान खान (Salman Khan) हर बार किसी ऐसे टैलेंट को सामने लाते हैं, जो बाकी दुनिया की नजरों से छुपा होता है. ऐसा ही एक टैलेंट भाईजान (Salman Khan) दोबारा अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सबके सामने लेकर आए हैं. दरअसल, सलमान खान (Salman Khan) ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट से एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें दिव्यांग लड़की ने अपने पांव से सलमान खान (Salman Khan) की खूबसूरत पेंटिंग बनाई है. इस वीडियो को पोस्ट करते हुए सलमान खान ने न सिर्फ उस लड़की का टैलेंट सबके सामने पेश किया, बल्कि उसकी प्रतिभा को भी खूब सराहा.
God bless... can't reciprocate the love but prayers and much love !!!
A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Jul 16, 2019 at 1:16pm PDT
इस वीडियो को पोस्ट करते हुए सलमान खान (Salman Khan) ने लिखा, 'भगवान भला करें, इनके प्यार का बदला तो नहीं उतार सकते हैं, लेकिन इनके लिए प्रार्थना जरूर कर सकते हैं.' सलमान खान के सोशल मीडिया एकाउंट से पोस्ट हुए वीडियो को देखकर लगता है कि उनके फैंस उन्हें कितना चाहते हैं, और भाईजान भी अपने फैंस के प्यार को सराहने से पीछे नहीं हटते हैं.
Don't thakao paani bachao
A post shared by Salman Khan (@beingsalmankhan) on Jul 14, 2019 at 5:33am PDT
बता दें कि सलमान खान (Salman Khan) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. इस वीडियो से पहले उन्होंने एक फनी वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें वह बॉटल कैप चैलेंज पूरा करते नजर आ रहे थे. इस वीडियो में सलमान खान ने अपनी फूंक से ही बोतल का ढक्कन खोल दिया था.
सलमान खान (Salman Khan) अपनी 'भारत' जैसी शानदार फिल्म के बाद अब 'दबंग 3 (Dabangg 3)' की तैयारी में लग गए हैं. इस फिल्म में सलमान खान (Salman Khan) के साथ सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) मु्ख्य भूमिका में नजर आ रही हैं. इनके अलावा फिल्म में अरबाज खान, सुदीप, माही गिल, टिन्नू आनंद और निकितिन धीर नजर आएंगे. सलमान खान की यह फिल्म 20 दिसंबर, 2019 को रिलीज हो सकती है. |
पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर 'बांग्ला' करने का एक और प्रस्ताव | पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की महत्वपूर्ण वजह यह है कि सभी राज्यों की जहां भी बैठक होती है वहां पश्चिम बंगाल को वर्णमाला क्रम के हिसाब से अंतिम में जगह मिलती है.
(इनपुट भाषा से) |
पद्मश्री मिलने के बाद नहीं मिल रहा काम, चींटे के अंडे खाने को मजबूर किसान, बकरी के बाड़े में लटकाया अवॉर्ड | आपका आने वाल कल कैसा होगा ये कोई नहीं बता सकता. हो सकता है कि आज आप टॉप पर हों, लेकिन कल जमीन पर पड़े हों. ऐसा ही कुछ आदिवासी किसान दैतारी नायक (Daitari Nayak) के साथ हुआ है. आपको याद दिला दें ओडिशा के क्योंझर जिले के खनिज संपन्न तालबैतरणी गांव के रहने वाले 75 वर्षीय दैतारी वह शख्स हैं जिन्होंने सिंचाई के लिए 2010 से 2013 के बीच अकेले ही गोनासिका का पहाड़ खोदकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी. इस नहर से अब 100 एकड़ जमीन की सिंचाई होती है. उनके इस काम के लिए उन्हें इसी साल पद्मश्री (Padma Shri) से नवाजा गया था.
हालांकि अवॉर्ड जीतना उनकी जिंदगी के किसी काम नहीं आया बल्कि उनकी हालत और खराब हो गई. हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नायक को काम मिलना बंद हो गया क्योंकि लोगों को लगता है कि इतने बड़े अवॉर्ड ने उन्हें बड़ा आदमी बना दिया है. अब किसान की माली हालत इतनी खराब हो गई है कि उनका परिवार जिंदा रहने के लिए चींटी के अंडे खाने को मजबूर है.
अपने हालात के बारे में बात करते हुए दैतारी नायक ने कहा, "पद्मश्री अवॉर्ड ने किसी तरह मेरद मदद नहीं की. पहले मैं दिहाड़ी मजदूरी करता था. मुझे अब लोग कोई काम नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह मेरे सम्मान के खिलाफ है. अब हम चींटी के अंडे खाकर गुजारा कर रहे हैं."
पैसों के लिए तेंदू पत्ते और आम पापड़ बेचने वाले नायक अब अपना अवॉर्ड वापस लौटा देना चाहते हैं क्योंकि अब उनके लिए उसकी कोई अहमियत नहीं है.
उनके मुताबिक, "अब मैं अपना घर चलाने के लिए तेंदू पत्ता और आम पापड़ बेच रहा हूं. मेरे लिए अवॉर्ड ने सारी अहमियत खो दी है. मैं अवॉर्ड वापस लौटाना चाहता हूं ताकि मुझे कोई काम मिल सके."
उन्हें कुछ साल पहले राज्य सरकार की बीजू पक्का घर योजना के तहत इंदिरा आवास योजना का एक घर दिया गया था, लेकिन वह भी पूरी तरह से झूठा साबित हुआ. परिणामस्वरूप नायक अभी भी अपने पुराने घर में ही रह रहे हैं. उन्हें 700 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन मिलती है.
अपने पिता को किए गए दूसरे वादों के बारे में बात करते हुए उनके बेटे आलेख कहते हैं, "अधिकारियों ने हमसे वादा किया था कि पथरीली नहर को कंक्रीट का बनाया जाएगा. मेरे पिता भी इस बात से मायूस हैं कि वह लोगों को पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा पा रहे हैं."
हालात से दुखी नायक ने अपने अवॉर्ड को बकरी के गले में टांग दिया है. क्योंझार जिले के कलेक्टर आशीष ठाकरे का कहना है कि वो नायक की शिकायत को सुनेंगे और उन्हें अवॉर्ड वापस नहीं करने के लिए मनाएंगे.
उम्मीद है कि जल्द ही दैतारी नायक की शिकायतों का निपटान होगा और फिर से उनकी किस्मत चमक उठेगी. |
कांग्रेस ने उत्तराखंड की राज्यसभा सीट जीती | कांग्रेस ने उत्तराखंड से खाली हुई राज्यसभा की एक सीट को जीत लिया है। इस सीट के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र सिंह महारा ने बीजेपी के अनिल गोयल को हराया। 70 सदस्यों वाली विधानसभा में महारा को 39 वोट मिले जबकि गोयल को 31 बीजेपी विधायकों के ही वोट मिले।
कांग्रेस की इस जीत के बाद राज्य में पार्टी से जुड़ी गुटबाजी की ख्बरों पर एक तरह से विराम लग गया है। जानकार इसे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की तीसरी जीत के तौर पर देख रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिल कर विधान सभा के स्पीकर का पद को भी अपने खाते में कर चुकी है।
कांग्रेस की इस जीत के बाद राज्य में पार्टी से जुड़ी गुटबाजी की ख्बरों पर एक तरह से विराम लग गया है। जानकार इसे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की तीसरी जीत के तौर पर देख रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिल कर विधान सभा के स्पीकर का पद को भी अपने खाते में कर चुकी है। |
सांसद छोटेलाल ने की PM मोदी से सीएम योगी की शिकायत, पढ़ें क्या है पूरा मामला | शिकायत 2- दूसरा मामला प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद का है. अक्टूबर 2017 में मेरे भाई (क्षेत्र पंचायत नौगढ़ का प्रमुख) के खिलाफ समाजवादी पार्टी की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर वोटिंग के दौरान असलहों से लैस अपराधी तत्व के लोगो ने मेरे पर रिवॉल्वर तान दी, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर धमकी दी गाली दी उस समय अधिकारी भी मौजूद थे लेकिन उन्होंने कोई करवाई नही की. हमारे पार्टी के लोग और पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. |
विप्रो ने कामकाज के मूल्यांकन के बाद करीब 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला | देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी विप्रो ने कर्मचारियों के कामकाज की सालाना समीक्षा के बाद अपने सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
सूत्रों के अनुसार, विप्रो ने करीब 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. कुछ चर्चाओं में यह संख्या 2,000 तक बताई जा रही है. दिसंबर 2016 के अंत तक कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख से अधिक थी.टिप्पणियां
संपर्क करने पर विप्रो ने कहा कि अपने कारोबार लक्ष्यों का अपने कार्यबल के साथ समायोजन करने के लिए वह नियमित आधार पर कर्मचारियों के कामकाज का मूल्यांकन करती रहती है. यह कंपनी की रणनीति प्राथमिकताओं और ग्राहक की जरूरत के अनुसार किया जाता है.
इस मूल्यांकन के बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है, जिनकी संख्या हर साल बदलती रहती है.
सूत्रों के अनुसार, विप्रो ने करीब 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. कुछ चर्चाओं में यह संख्या 2,000 तक बताई जा रही है. दिसंबर 2016 के अंत तक कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख से अधिक थी.टिप्पणियां
संपर्क करने पर विप्रो ने कहा कि अपने कारोबार लक्ष्यों का अपने कार्यबल के साथ समायोजन करने के लिए वह नियमित आधार पर कर्मचारियों के कामकाज का मूल्यांकन करती रहती है. यह कंपनी की रणनीति प्राथमिकताओं और ग्राहक की जरूरत के अनुसार किया जाता है.
इस मूल्यांकन के बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है, जिनकी संख्या हर साल बदलती रहती है.
संपर्क करने पर विप्रो ने कहा कि अपने कारोबार लक्ष्यों का अपने कार्यबल के साथ समायोजन करने के लिए वह नियमित आधार पर कर्मचारियों के कामकाज का मूल्यांकन करती रहती है. यह कंपनी की रणनीति प्राथमिकताओं और ग्राहक की जरूरत के अनुसार किया जाता है.
इस मूल्यांकन के बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है, जिनकी संख्या हर साल बदलती रहती है.
इस मूल्यांकन के बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है, जिनकी संख्या हर साल बदलती रहती है. |
कनार्टक में सेल्स टैक्स उपायुक्त के घर छापे में मिलीं 7000 साड़ियां... | कर्नाटक के हुबली में एंटी करपशन ब्यूरो (एसीबी) के छापे में साड़ियों का जखीरा बरामद हुआ है. एसीबी के अधिकारियों ने हुबली के विश्वेश्वर नगर में सेल्स टैक्स के उपायुक्त करियप्पा करनेल के घर छापा मारा तो साड़ियों की संख्या देखकर दंग रह गए.
तकरीबन 7000 गाड़ियां उनके घर से बरामद की गई हैं. एसीबी को सेल्स टैक्स के उपायुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी जिसके बाद छापे की कार्रवाई की गई. फिलहाल इस बात की जांच जारी है कि इतनी बड़ी संख्या में साड़ियां उपायुक्त के घर पर क्यों रखी हैं.
तकरीबन 7000 गाड़ियां उनके घर से बरामद की गई हैं. एसीबी को सेल्स टैक्स के उपायुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी जिसके बाद छापे की कार्रवाई की गई. फिलहाल इस बात की जांच जारी है कि इतनी बड़ी संख्या में साड़ियां उपायुक्त के घर पर क्यों रखी हैं. |
करीना कपूर ने बताया अपने कॉन्फिडेंस का राज, कहा- मैं अपनी शर्तों पर जिंदगी जीती हूं... | बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर (Kareena Kapoor) इन दिनों अपने फिल्मों के साथ-साथ रियलिटी शो में खूब धमाल मचा रही हैं. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने अपने आत्मविश्वास को लेकर खुलासा किया है. करीना कपूर ने कहा उनका खुद पर विश्वास ही उनकी सबसे अच्छी खासियत है और यही उन्हें कॉन्फिडेंस देता है कि वो अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी सकें. हाल ही में करीना कपूर ने 'लैक्मे फैशन वीक (Lakme Fashion Week)' के ग्रेंड फिनाले में रैंप पर वॉक किया. इस शो की थीम थी, 'फ्री यॉर लिप्स (Free Your Lips)', जिसका मतलब है अभिव्यक्ति की आजादी.
इंटरव्यू में करीना कपूर (Kareena Kapoor) ने थीम को लेकर कहा, 'मेरे लिए थीम है, कि औरत अपने मन से चीजें चुन सकें, अपने मन मुताबिक कपड़े पहन सके और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने की स्वतंत्रता मिले सके. मेरे दिमाग में जो पहली चीज आती है वो है आजादी.' करीना ने आगे कहा, 'मेरी सबसे मजबूत खासियत यह है कि मैं खुद पर और अपने कॉन्फिडेंस पर विश्वास करती हूं. मैं अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती हूं और मुझे लगता है कि यही मेरी सबसे खास क्वालिटी है.'
वहीं अगर वर्क फ्रंट की बात करें तो एक्ट्रेस करीना कपूर (Kareena Kapoor) जल्द ही फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' और 'गुड न्यूज' के जरिए पर्दे पर धमाल मचाने वाली हैं. जहां एक तरफ 'अंग्रेजी मीडियम' में वह बॉलीवुड एक्टर इरफान खान के साथ नजर आएंगी तो वहीं 'गुड न्यूज' में करीना कपूर दिग्गज एक्टर अक्षय कुमार के साथ मुख्य भूमिका निभाएंगी. |
खरीददारी करने के लिए बठिंडा से दिल्ली आए दो युवकों को बच्चा चोर समझकर पीटा | दोनों युवकों की पहचान 22 साल के समरजीत सिंह और 26 साल के करण के रूप में हुई है. दोनों मजदूरी करते हैं. वे ट्रेन से दिल्ली में गैस चूल्हा व अन्य सामान खरीदने के लिए आए थे. दोनों शुक्रवार की सुबह खरीदारी करने के लिए फराश खाना इलाके में आए थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने उन्हें बच्चा चोर समझकर घेर लिया. यही नहीं कुछ हुड़दंगी लोग दोनों से मारपीट भी करने लगे.
इलाके में काफी भीड़ जमा हो गई. हालांकि दोनों युवक पब्लिक से हाथ जोड़कर बेगुनाह होने की गुहार लगाते रहे. लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं था. इसके बाद पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को शांत किया और दोनों युवकों को थाने ले आई. पुलिस जांच में पता चला कि दोनों बेगुनाह हैं और उन्हें सिर्फ बच्चा चोर समझकर लोगों ने पकड़ लिया. दोनों के पास आधार कार्ड भी थे, जिससे उनके बठिंडा का होने की बात पुख्ता हो गई. इसकी तस्दीक भी करा ली गई.
इसके अलावा पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभी तक कोई भी ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कहता कि उसने दोनों को किसी बच्चे को चुराकर ले जाते हुए देखा. कोई बच्चा भी नहीं मिला है जो उन पर आरोप लगाता. तफ्तीश के बाद पुलिस ने देर शाम दोनों को थाने से छोड़ दिया. |
भारत निवेश पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा है : चिदंबरम | वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भारत की ओर से निवेश पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात को आज खारिज करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के दरवाजे क्रमिक तरीके से अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खुल रहे हैं।
चिदंबरम ने एक लोकप्रिय कार्यक्रम चार्ली रोज शो में एक साक्षात्कार के दौरान कहा, मुझे लगता है कि सही नजरिये से देखने का तरीका यह है कि हम प्रतिबंध नहीं लगा रहे हैं। हम धीरे-धीरे अपनी अर्थव्यवस्था खोल रहे हैं। हम 1991 में कहां थे और अब 2013 में हम कहां हैं?
इन 22 वर्षों के अंतराल में हमने भारत की लगभग 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खोल दी है। उन्होंने कहा, अब भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो अंतराष्ट्रीय बाजार के लिए बंद हैं या प्रतिबंधित हैं। उन्हें भी खोल दिया जाएगा, लेकिन जिन क्षेत्रों को खोला जा रहा है वे काफी बड़े हैं। वे सभी क्षेत्र विनिर्माण से संबंधित हैं।
इस्पात, बिजली, सड़कें, हवाईअड्डे और बंदरगाहें - ये सभी क्षेत्र खुले हुए हैं। इन क्षेत्रों में निवेशकों के लिए काफी अवसर हैं। 1991 के बाद से उदारीकरण के 22 वर्षों में 90 प्रतिशत अर्थव्यस्था को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खोल दिए जाने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यदि भारत लगातार सात वर्षों तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करता है तो वह ‘बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था’ बन सकता है।
चिदंबरम ने कहा, देखिये, सबसे खराब वर्ष में हमारी बचत दर 30 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर के 36 प्रतिशत के बराबर थी। हमारी संभावित विकास दर करीब आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जिस तरह चीन ने 10 फीसदी की दर से 10 वर्ष तक विकास किया यदि हम भी उसी तरह सात, आठ या 10 वर्ष तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करना जारी रखते हैं तो हम एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चिदंबरम इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन में हैं। उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक और जी-24 से संबंधित द्विपक्षीय और समूह बैठकों की शृंखला में भाग लिया।टिप्पणियां
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
चिदंबरम ने एक लोकप्रिय कार्यक्रम चार्ली रोज शो में एक साक्षात्कार के दौरान कहा, मुझे लगता है कि सही नजरिये से देखने का तरीका यह है कि हम प्रतिबंध नहीं लगा रहे हैं। हम धीरे-धीरे अपनी अर्थव्यवस्था खोल रहे हैं। हम 1991 में कहां थे और अब 2013 में हम कहां हैं?
इन 22 वर्षों के अंतराल में हमने भारत की लगभग 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खोल दी है। उन्होंने कहा, अब भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो अंतराष्ट्रीय बाजार के लिए बंद हैं या प्रतिबंधित हैं। उन्हें भी खोल दिया जाएगा, लेकिन जिन क्षेत्रों को खोला जा रहा है वे काफी बड़े हैं। वे सभी क्षेत्र विनिर्माण से संबंधित हैं।
इस्पात, बिजली, सड़कें, हवाईअड्डे और बंदरगाहें - ये सभी क्षेत्र खुले हुए हैं। इन क्षेत्रों में निवेशकों के लिए काफी अवसर हैं। 1991 के बाद से उदारीकरण के 22 वर्षों में 90 प्रतिशत अर्थव्यस्था को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खोल दिए जाने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यदि भारत लगातार सात वर्षों तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करता है तो वह ‘बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था’ बन सकता है।
चिदंबरम ने कहा, देखिये, सबसे खराब वर्ष में हमारी बचत दर 30 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर के 36 प्रतिशत के बराबर थी। हमारी संभावित विकास दर करीब आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जिस तरह चीन ने 10 फीसदी की दर से 10 वर्ष तक विकास किया यदि हम भी उसी तरह सात, आठ या 10 वर्ष तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करना जारी रखते हैं तो हम एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चिदंबरम इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन में हैं। उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक और जी-24 से संबंधित द्विपक्षीय और समूह बैठकों की शृंखला में भाग लिया।टिप्पणियां
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
इन 22 वर्षों के अंतराल में हमने भारत की लगभग 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खोल दी है। उन्होंने कहा, अब भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो अंतराष्ट्रीय बाजार के लिए बंद हैं या प्रतिबंधित हैं। उन्हें भी खोल दिया जाएगा, लेकिन जिन क्षेत्रों को खोला जा रहा है वे काफी बड़े हैं। वे सभी क्षेत्र विनिर्माण से संबंधित हैं।
इस्पात, बिजली, सड़कें, हवाईअड्डे और बंदरगाहें - ये सभी क्षेत्र खुले हुए हैं। इन क्षेत्रों में निवेशकों के लिए काफी अवसर हैं। 1991 के बाद से उदारीकरण के 22 वर्षों में 90 प्रतिशत अर्थव्यस्था को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खोल दिए जाने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यदि भारत लगातार सात वर्षों तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करता है तो वह ‘बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था’ बन सकता है।
चिदंबरम ने कहा, देखिये, सबसे खराब वर्ष में हमारी बचत दर 30 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर के 36 प्रतिशत के बराबर थी। हमारी संभावित विकास दर करीब आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जिस तरह चीन ने 10 फीसदी की दर से 10 वर्ष तक विकास किया यदि हम भी उसी तरह सात, आठ या 10 वर्ष तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करना जारी रखते हैं तो हम एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चिदंबरम इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन में हैं। उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक और जी-24 से संबंधित द्विपक्षीय और समूह बैठकों की शृंखला में भाग लिया।टिप्पणियां
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
इस्पात, बिजली, सड़कें, हवाईअड्डे और बंदरगाहें - ये सभी क्षेत्र खुले हुए हैं। इन क्षेत्रों में निवेशकों के लिए काफी अवसर हैं। 1991 के बाद से उदारीकरण के 22 वर्षों में 90 प्रतिशत अर्थव्यस्था को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए खोल दिए जाने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यदि भारत लगातार सात वर्षों तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करता है तो वह ‘बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था’ बन सकता है।
चिदंबरम ने कहा, देखिये, सबसे खराब वर्ष में हमारी बचत दर 30 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर के 36 प्रतिशत के बराबर थी। हमारी संभावित विकास दर करीब आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जिस तरह चीन ने 10 फीसदी की दर से 10 वर्ष तक विकास किया यदि हम भी उसी तरह सात, आठ या 10 वर्ष तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करना जारी रखते हैं तो हम एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चिदंबरम इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन में हैं। उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक और जी-24 से संबंधित द्विपक्षीय और समूह बैठकों की शृंखला में भाग लिया।टिप्पणियां
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
चिदंबरम ने कहा, देखिये, सबसे खराब वर्ष में हमारी बचत दर 30 प्रतिशत थी, लेकिन सर्वश्रेष्ठ वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर के 36 प्रतिशत के बराबर थी। हमारी संभावित विकास दर करीब आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जिस तरह चीन ने 10 फीसदी की दर से 10 वर्ष तक विकास किया यदि हम भी उसी तरह सात, आठ या 10 वर्ष तक आठ प्रतिशत की दर से विकास करना जारी रखते हैं तो हम एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। चिदंबरम इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन में हैं। उन्होंने आईएमएफ, विश्व बैंक और जी-24 से संबंधित द्विपक्षीय और समूह बैठकों की शृंखला में भाग लिया।टिप्पणियां
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
भारत में सरकार के साथ संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहित नहीं करने की बात पर चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नई दिल्ली में अधिकतर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, निवेशक यदि निजी साझीदार का चुनाव करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। वास्तव में हम उसे सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। चार्ली रोज ने कहा, भारत के बारे में यह तर्क दिया जाता है कि वहां शासन में कमियां है और राजनीति में सुधार की जरूरत है। मुझे लगता है कि ऐसा शायद गोल्डमैन साक्स के जिम ओ नील ने कहा था। आपको लगता है कि यह सही है? आप बता सकते हैं कि वह क्या कह रहे हैं? चिदंबरम ने इसके जवाब में कहा कि यह सच है, लेकिन आपको यह बता दूं कि यह हर देश के लिए सच है। हर देश में कामकाज का तरीका बेहतर हो सकता है। |
आसाराम बापू के खिलाफ लुट आउट नोटिस की तैयारी में पुलिस | नाबालिग लड़की पर यौन हमले के आरोपों में घिरे आसाराम की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सूत्रों की मानें तो जोधपुर पुलिस उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस लाने की तैयारी में है।
माना जा रहा है कि आज पुलिस आसाराम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर सकती है। इसके पहले राजस्थान पुलिस ने पहले ही उन्हें समन भेज कर चार दिन के अंदर पेश होने का आदेश दिया है।
पुलिस ने इस केस में आसाराम के साथ उनके दो सहयोगियों को भी समन भेजा है। इन सभी को 30 अगस्त के पहले जांच अधिकारी के सामने पेश होना है।टिप्पणियां
उधर, अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद खुद आसाराम पहली बार अपनी सफाई देते नजर आए। इंदौर के अपने आश्रम में प्रवचन के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया।
आसाराम ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत तबाह करने की कोशिश की जा रही है।
माना जा रहा है कि आज पुलिस आसाराम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर सकती है। इसके पहले राजस्थान पुलिस ने पहले ही उन्हें समन भेज कर चार दिन के अंदर पेश होने का आदेश दिया है।
पुलिस ने इस केस में आसाराम के साथ उनके दो सहयोगियों को भी समन भेजा है। इन सभी को 30 अगस्त के पहले जांच अधिकारी के सामने पेश होना है।टिप्पणियां
उधर, अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद खुद आसाराम पहली बार अपनी सफाई देते नजर आए। इंदौर के अपने आश्रम में प्रवचन के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया।
आसाराम ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत तबाह करने की कोशिश की जा रही है।
पुलिस ने इस केस में आसाराम के साथ उनके दो सहयोगियों को भी समन भेजा है। इन सभी को 30 अगस्त के पहले जांच अधिकारी के सामने पेश होना है।टिप्पणियां
उधर, अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद खुद आसाराम पहली बार अपनी सफाई देते नजर आए। इंदौर के अपने आश्रम में प्रवचन के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया।
आसाराम ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत तबाह करने की कोशिश की जा रही है।
उधर, अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद खुद आसाराम पहली बार अपनी सफाई देते नजर आए। इंदौर के अपने आश्रम में प्रवचन के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया।
आसाराम ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत तबाह करने की कोशिश की जा रही है।
आसाराम ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत तबाह करने की कोशिश की जा रही है। |
बेटों के साथ डिज्नीलैंड में ऋतिक रोशन ने की खूब मस्ती | बॉलीवुड स्टार ऋतिक रोशन ने अपने दो बेटों रेहान और रिदान के साथ डिज्नीलैंड में जमकर मस्ती की। अपने बेटों के साथ मस्ती भरे इस दिन की तस्वीर ऋतिक ने ट्विटर पर साझा की। तीनों ने जीन्स और टीशर्ट पहन रखी थीं। इसके साथ इन लोगों ने बेसबॉल कैप भी पहनी हुई थीं।
ऋतिक ने तस्वीर के साथ पोस्ट में लिखा, अनजाने रास्ते पर सफर करते हुए आपको कुछ समय रुकना चाहिए और एक तस्वीर लेनी चाहिए। 'कृष 3' के स्टार अभिनेता और उनकी पत्नी सुजैन ने बीते दिसंबर में अलग होने और 17 वर्ष पुराने संबंध को खत्म करने का फैसला किया था। |
'Nude Party' के पोस्टर ने गोवा में मचाया बवाल, लिखा मिला- 'विदेशी लड़कियां भी आएंगी' | सोशल मीडिया पर दो पोस्टर वायरल हो रहे हैं, जिसमें 'न्यूड पार्टी' का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. इसमें उत्तरी गोवा के मोरजिम समुद्र तट के पास 'असीमित सेक्स' का वादा किया जा रहा है. यह भी कहा जा रहा कि विदेशी और भारतीय महिलाएं इसमें शामिल होंगी. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोमवार को गोवा पुलिस की क्राइम ब्रांच को सोशल मीडिया में वायरल हो रहे पोस्टरों की जांच के आदेश दिए.
नाम नहीं बताने की शर्त पर क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा, "अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, पर हम मामले की जांच कर रहे हैं. पोस्टर पर कोई तिथि अंकित नहीं है. उसमें केवल एक संपर्क नंबर है. हम उस व्यक्ति को ट्रैक कर रहे हैं जिसका फोन नंबर है."
अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं दिखे कि हो सकता है कि यह पोस्टर सोशल मीडिया पर मजाक में डाले गए हों. पोस्टर में दिए गए नंबर पर कॉल करने पर फोन स्विच ऑफ बता रहा है. |
दिल्ली पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक लाख का इनामी बदमाश गिरफ्तार और दूसरा घायल | दिल्ली के अलीपुर इलाके के बुराड़ी गांव में पुलिस और बदमाशों के बीच फायरिंग हुई है. कई राउंड गोलियां चलने के बाद पुलिस ने एक बदमाश को गिरफ्तार किया है जबकि कि एक को गोली लगी है. दोनों के नाम सलमान और नाजिम बताए जा रहे हैं. इन पर एक-एक लाख का इनाम घोषित है. आपको बता दें कि गुरुवार को ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शामी आहूजा और तानिश नाम के दो बदमाशों को पकड़ा है. बताया जा रहा है कि इन बदमाशों को पकड़ने गई दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम पर उल्टा बदमाशों ने ही हमला कर दिया. क्राइम ब्रांच की टीम ने काफी दूर तक पीछा कर दो बदमाशों को पकड़ लिया. इसी दौरान दो बदमाश पुलिस पार्टी पर हमला कर भाग गए. पकड़े गए बदमाशों के पास से हथियार और कारतूस बरामद किये गए है. शामी पर स्नैचिंग और लूटपाट के 68 मुकदमें दर्ज है. जबकि तानिश पर 25 आपराधिक मामले चल रहे हैं. फिलहाल पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है और मामले की बारीकी से जांच कर रही है.
दिल्ली पुलिस पर एक बार फिर एक शख्स को हिरासत में पीट-पीट कर जान से मारने का आरोप लगा है. मामला उत्तरी पूर्वी दिल्ली के थाना नंद नगरी का है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक गुरुवार की सुबह 7 बजे एक गुप्त सूचना के आधार पर 2 पुलिस वालों ने नईम और गोविंदा नाम के शख्स को अवैध शराब की तस्करी के आरोप में हिरासत में लिया गया. करीब शाम को 9 बजे गोविंद की तबीयत खराब होने लगी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस गोविंदा को GTB अस्पताल लेकर गई. जहां डॉक्टर्स ने गोविंदा को मृत घोषित कर दिया. पुलिस के मुताबिक गोविंदा से कोई मारपीट नही की गई. फिलहाल पुलिस मामले में न्यायिक जांच की बात कही रही है मृतक गोविंदा की रिश्तेदार रेशम का आरोप है कि पुलिस ने थाने में गोविंदा के साथ मारपीट की जिसके कारण उसकी मौत हो गयी. मृतक की रिश्तेदार रेशमा ने ये भी आरोप लगाया है कि गोविंदा को छुड़ाने की एवज में पैसे भी दिए.फिलहाल इस मामले में 1 हेड कांस्टेबल और 2 कांस्टेबलों को सस्पेंड कर दिया गया है. पुलिस का कहना है कि गोविंद को हिरासत में लेने के बाद इन लोगों ने ठीक से पेपर वर्क नहीं किया था, मामले की मजिस्ट्रेट जांच भी हो रही है. |
इस वीडियो में अजीबोगरीब हरकत करते देखे गए अक्षय, रितेश और अभिषेक | Boys will be boys as usual making a lot of noise Make way 4 #Housefull3 on 3rd June,2016 @juniorbachchan@Riteishdpic.twitter.com/sdw3LMS8gX |
पाकिस्तानी नेता ने पत्रकारों के सवालों का ऐसे दिया जवाब, सुनकर रोक नहीं पाएंगे हंसी, देखें VIDEO | How to face tough questions from #journalistspic.twitter.com/D1HnC2pt0M |
VIDEO: पाकिस्तान के 'परमाणु बटन' को लेकर PM मोदी ने ली चुटकी- हमने न्यूक्लियर बम दिवाली के लिए रखे हैं? | राजस्थान के बाड़मेर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान की धमकियों से डरने की नीति को छोड़ दिया. वर्ना आए दिन बोलते रहते थे, हमारे पास न्यूक्लियर बटन (Nuke Button) है...हमारे पास न्यूक्लियर है बटन...तो हमारे पास क्या है भाई...क्या हमने इसे दिवाली के लिए रखा है? पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, 'भारत ने पाकिस्तान की धमकी से डरने की नीति को छोड़ दिया, ये ठीक हुआ ना? आप भी यही चाहते हैं ना? हमने आतंकियों के मन में डर पैदा किया, ये ठीक किया ना? हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी, उसे कटोरा लेकर घूमने के लिए मजबूर कर दिया, ठीक किया ना?
#WATCH Prime Minister Narendra Modi in Barmer, Rajasthan: India has stopped the policy of getting scared of Pakistan's threats. Every other day they used to say "We've nuclear button, we've nuclear button".....What do we have then? Have we kept it for Diwali? pic.twitter.com/cgSLoO8nma
पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान को मिली खुली छूट के कारण हमारे देश में आतंकी हमले भी तो बहुत आम थे. आतंक के सरपरस्तों को सबक सिखाने के लिए, उन्हें उनके घर में घुसकर मारा. उन्होंने कहा- यहां अनेक पूर्व सैनिक हैं, जिन्होंने 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया था. तब हमारे सैनिकों के शौर्य के कारण पाकिस्तान का एक बड़ा हिस्सा हमारे कब्जे में था, 90 हज़ार पाक सैनिक हमारे पास थे, लेकिन उसके बाद शिमला में क्या हुआ? दुनियाभर से जो दबाव भारत पर पड़ा उसको तब की सरकार झेल नहीं पाई. 90 हज़ार सैनिक भी वापस कर दिए और सारी ज़मीन भी.
#WATCH PM Modi in Barmer, Rajasthan: In 1971 due to bravery of our soldiers a big part of Pak came in our possession, 90,000 Pakistani soldiers were in our custody but what did we do in Shimla? Govt squandered everything that our jawans had won.....what if Modi was there then? pic.twitter.com/zo1SJ8KDl2
पीएम ने कहा कि वो सुनहरा मौका था, जम्मू कश्मीर की समस्या को हल करने का, घुसपैठ की समस्या को हल करने का, लेकिन कांग्रेस ने मौका गंवा दिया. परिणाम पूरा भारत आज तक भुगत रहा है. उन्होंने कहा, आज की स्थिति देखिए साथियों, भारत ने बिना युद्ध के पाकिस्तान की सीमा के भीतर घुसकर आतंकियों को ढेर किया. पाकिस्तान पूरी दुनिया में रो रहा है. पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है. ये होती है दमदार सरकार.
पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान जिस तरह पूरी मजबूती से हमेशा इस चौकीदार के साथ खड़ा रहा है, वो एक बड़ी वजह है, कि मैं देशहित में बड़े और कड़े फैसले ले पाया. वो काम कर पाया, जिसका इंतजार आपको, देश के लोगों को बरसों से था. वो फैसले ले पाया, जो कांग्रेस की सरकारों ने दशकों से लटका कर रखे हुए थे. किसानों को लागत का डेढ़ गुणा MSP देने की बरसों पुरानी मांग को पूरा करने का काम आपके इस चौकीदार ने ही किया. GST पर दशकों से कांग्रेस माथापच्ची कर रही थी, उसको भी चौकीदार की सरकार ने लागू किया.
पीएम मोदी ने कहा कि कालेधन और भ्रष्टाचार पर प्रहार के लिए नोटबंदी और बेनामी संपत्ति कानून लागू करने जैसे कड़े फैसले भी आपके इस चौकीदार ने ही लिए. बाड़मेर की रिफाइनरी को कांग्रेस ने लटकाकर, उलझाकर रखा था. इस क्षेत्र का भाग्य बदलने वाली इस रिफाइनरी के लिए इस चौकीदार की सरकार ने काम शुरू करवाया. सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को 10% आरक्षण की मांग दशकों से चल रही थी. समाज को बांटने में लगी कांग्रेस ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया, जबकि बिना किसी शोर-शराबे के, बिना किसी का हक छीने, चौकीदार की सरकार ने ये फैसला भी लागू करवाया.
उन्होंने कहा कि मां भारती में आस्था रखने वाली संतानों के लिए नागरिकता संशोधन कानून पास करवाने का प्रयास भी आपके इस चौकीदार ने किया. देश के लिए मर-मिटने वाले वीर बेटे-बेटियों के लिए हम जितना करें, वो कम ही है, लेकिन कांग्रेस और उसके साथियों के लिए सेना के वीर जवानों के लिए सोच कुछ और है. कांग्रेस जिसे समर्थन देकर कर्नाटक में सरकार चलवा रही है, जिसे कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया है, उन्होंने सैनिकों के बारे में क्या कहा है? कांग्रेस के साथी मुख्यमंत्री ने कहा है कि सेना में तो वो युवा भर्ती होते हैं, जो भूखे होते हैं, जिन्हें 2 वक्त का खाना कहीं नहीं मिलता. कांग्रेस ने 2009 में वादा किया था कि सेना के आधुनिकीकरण के लिए हथियार, लड़ाकू विमान, समंदर पर चलने वाले जहाज, समंदर से आसमान तक का सुरक्षा घेरा मज़बूत करेंगे, लेकिन हुआ क्या? दशकों से चला आ रहा राफेल विमान का सौदा, ठप हो गया. कांग्रेस मलाई खाने की कोशिश करती ही रह गई.
उन्होंने कहा कि इस दौरान पुराने पड़े मिग विमान गिरते गए, हमारे बहादुर पायलटों की जानें जाती रहीं, वायुसेना की ताकत घटती रही. स्थिति ये थी कि सेना के पास आधुनिक तोप नहीं थी, पर्याप्त गोला बारूद नहीं था, बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं थी, पर्याप्त नाइट विजन डिवाइस नहीं थे, आधुनिक राइफलें तक नहीं थीं. पिछली सरकार में लाखों करोड़ के दूसरे घोटालों के साथ कांग्रेस ने एक और घोटाला किया- हेलिकॉप्टर घोटाला. मिशेल मामा के साथ मिलकर, कांग्रेस ने ईमानदार करदाताओं की कमाई लूट ली.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने दशकों बाद सेना को आधुनिक तोप दी. हमने कांग्रेस के सारे दलालों को दूर भगाते हुए राफेल लड़ाकू विमान के लिए सीधे फ्रांस सरकार से सौदा किया. ये जहाज कुछ महीनों में ही भारत के आसमान में होगा. जिस तेजस विमान को कांग्रेस ने बेसहारा छोड़ दिया था, उसे बनाने की प्रक्रिया को हमने नए सिरे से तेज़ किया. अब दुनिया की सबसे आधुनिक राइफल्स का निर्माण भारत में ही हो रहा है. जिस बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए कांग्रेस ने बरसों तक हमारे सैनिकों को तरसाया था, वो बुलेट प्रूफ जैकेट अब भारत में ही बनाकर सैनिकों को दी जा रही है. इतना ही नहीं हमारी सरकार के दौरान ही भारत दुनिया की उन शक्तियों में शामिल हुआ जिनके पास जल, थल, नभ, तीनों जगहों से न्यूक्लियर हमला करने की क्षमता है. हाल में, तो एक बहुत बड़ा काम किया गया है. अंतरिक्ष में भी हमारे संसाधनों को बचाने की क्षमता हमने हासिल की है.
उन्होंने कहा कि 2022 में जब देश आज़ादी के 75 वर्ष मनाएगा, तब तक हम विकास के 75 सिद्धियों की तरफ कदम बढाएंगे. 2022 तक किसानों को अपनी आय दोगुनी करने के लिए सक्षम करेंगे. 2022 तक हर गरीब-बेघर के पास अपना पक्का घर होगा. 2022 तक कोई भी अंधेरे में नहीं रहेगा. 2022 तक हर परिवार के पास गैस का कनेक्शन होगा. |
बैंकों में क्लर्क की नौकरी के लिये अब नहीं होंगे इंटरव्यू, लेकिन... | ऐसे मामलों में जहां मंत्रालय या विभाग नियुक्ति प्रक्रिया में इंटरव्यू जारी रखना चाहता है, इस बारे में संबद्ध मंत्री से मंजूरी लेकर विस्तृत प्रस्ताव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेजेगा।
मंत्रालयों से इस संदर्भ में सात जनवरी तक रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
मंत्रालयों से इस संदर्भ में सात जनवरी तक रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। |
जया प्रदा ने आजम खान पर कसा तंज, कहा- मैं तो आपको भाई मानती थी लेकिन आप तो.... | उत्तर प्रदेश के रामपुर से बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा ने समाजवादी पार्टी उम्मीदवार आजम खान पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि एक रैली के दौरान कहा कि मैं तो आजम खान को अपना भाई मानती थी लेकिन वह मुझे बहन बुलाने के साथ मेरे बीमार होने की भी कामना करते रहे. जया प्रदा ने आगे कहा कि क्या आपका भाई आपको नाचने वाली के तौर पर देख सकता है. यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ने चाहती थी. बता दें कि जया प्रदा ने 2004 और 2009 चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्हें 2010 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और अमर सिंह के संपर्क में रहने की वहज से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. ध्यान हो कि आजम खान ने कुछ समय पहले जया प्रदा को एक नाचने वाली बताया था.
जया प्रदा ने कहा कि मैंने मुलायमसिंह जी से भी बात की थी. मैंने उन्हें बताया था कि किस तरह से मेरी छवि को खराब करने की कोशिश जा रही है. लेकिन किसी भी नेता ने मेरी मदद नहीं की.यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ना चाहती थी. जया प्रदा ने 2014 में यूपी के बिजनौर से चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी के नाईपाल सिंह से हार गई थीं.
कुछ दिन पहले एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए वह भावुक हो गई थीं. उन्होंने कहा था कि मुझे रामपुर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मैंने रामपुर और सक्रिय राजनीति इसलिए छोड़ा था क्योंकि वह मेरे ऊपर तेजाब से हमला करने की कोशिश कर रहे थे.
जया प्रदा ने आगे कहा कि उन्हें पहली बार इस बात का एहसास हुआ है कि वह अब बीजेपी ऐसी पार्टी के साथ हैं जहां वह सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब पहले की तरह रोना नहीं चाहती. मुझे भी जीने का अधिकार है, और मैं ऐसा करूंगा और आपकी सेना भी करूंगी. जया प्रदा ने कहा कि मुझे बहुत गर्व है कि मैंने बीजेपी की सदस्या ली, यह एक ऐसी पार्टी है जहां महिलाओं की इज्जत और उन्हें सुरक्षा का भाव कराया जाता है. ध्यान हो कि रामपुर में इस महीने की 23 तारीख को मतदान होने हैं. |
शाहरुख खान से फैन ने पूछा 'दशहरे पर Ra-One की सीडी क्यों नहीं जला देते' तो किंग खान का यूं आया जवाब | शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) यूं तो इस समय फिल्मों से दूर हैं हालांकि सोशल मीडिया के जरिए वह अपने फैन्स से अकसर जुड़ते रहते हैं. आज शाहरुख खान ने अपने फैन्स के ढेर सारे मजेदार सवालों के जवाब दिए हैं. दरअसल, शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने अपने फैन्स से जुड़ने के लिए एक ट्वीट के जरिए कहा, 'बहुत समय हो गया है, अगर आप लोग यहां है तो हम #AskSRK करते हैं.' अपने इस सेशन के दौरान शाहरुख खान ने अपने सभी फैन्स के सवालों के जवाब दिए. हालांकि जब एक फैन ने उनसे फिल्म 'रा-वन (Ra-One)' की सीडी जलाने के लिए कहा, तो इस पर बॉलीवुड बादशाह ने बेहद ही मजेदार कमेंट किया.
Arre kitna jale pe namak chidhoge!! https://t.co/KOUdo7h4zI
Maine bhi suna hai. Tumhein kuch aur khabar mile toh dena... https://t.co/m7y5sEVk39
शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने यूजर के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, 'सर आज दशहरा है तो Ra-One की सीडी क्यों नहीं जला देते आप?' इस पर SRK ने कमेंट करते हुए कहा, 'अरे कितना जले पर नमक छिड़कोगे.' शाहरुख खान के इस ट्वीट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं. शाहरुख खान से फैन्स ने कभी उनकी फिल्म को लेकर सवाल किए तो किसी ने उनकी पसंदीदा कॉफी के बारे में पूछ लिया.
Black coffee https://t.co/DnP6YqefUi
Of course!! My command over the language is so good!! https://t.co/Gi7oLgiwhv
शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने अपने सभी फैन्स को बहुत ही मजेदार तरीके से जवाब दिए. बता दें, भारत में केवल एक घंटे के भीतर ही #AskSRK ट्रेंड कर रहा है. वहीं फिल्मों की बात करें तो फिलहाल शाहरुख खान फिल्मों से गायब हैं, हालांकि जल्द ही उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान वापसी करने का ऐलान भी किया है. |
दिल्ली में 13 साल की अनाथ बच्ची से वीभत्स रेप, मरने के लिए रेलवे ट्रैक के पास फेंका | (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है) |
पहली भारतीय Playboy Model ने खुद को दिया 87 लाख का गिफ्ट, खरीदते ही यूं खुशी से उछलने लगीं | A post shared by Sherlyn Chopra (@sherlynchopra) on May 10, 2018 at 1:59am PDT
A post shared by Sherlyn Chopra (@sherlynchopra) on May 10, 2018 at 1:14am PDT
A post shared by Sherlyn Chopra (@sherlynchopra) on May 10, 2018 at 7:37pm PDT |
अगुस्ता वेस्टलैंड सौदा : मामले की जांच को लेकर सीबीआई और ईडी में रेस | जहां संसद में अगुस्ता वेस्टलैंड सौदे को लेकर राजनीति हो रही है वहीं सीबीआई और ईडी में भी रेस चल रही है कि कौन कितनी जल्दी यह जांच पूरी करता है।
शुक्रवार को पूर्व एयर चीफ एसपी त्यागी और उनके भाइयों से पूछताछ चलती रही। सीबीआई ने पूर्व एयर चीफ के तीनों भाइयों - संजीव, राजीव और संदीप को अपने साथ बिठाया तो एन्फ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट ने एसपी त्यागी से सवाल-जवाब किए।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक संजीव त्यागी ने माना है कि उसके हेशके और गेरोसा से वित्तीय संबंध थे। ईडी के सामने एसपी त्यागी ने मंजूर किया कि वे चार कम्पनियों के डायरेक्टर रहे। सीबीआई के सामने दिए गए बयान कोर्ट में स्वीकार्य नहीं हैं लेकिन ईडी के सामने दिए गए बयान को अदालत मंजूर करती है इसीलिए दोनो एजेंसियों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी हुई है।टिप्पणियां
सीबीआई ने गौतम खेतान से भी पूछताछ की जिससे पहले ईडी पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई का कहना है कि खेतान अभी कई बातें खुलकर नहीं बता रहा है जैसा उसने ईडी को बताया है।
उधर ईडी ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर दस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे मांगे हैं। यह वे अफसर हैं जो अगुस्ता सौदे के वक्त अहम ओहदों पर थे। कुछ अब भी संवैधानिक पदों पर हैं। ईडी ने इनकम टैक्स और फायनेंशियल इंटेलिजेन्स यूनिट से भी जानकारी मांगी है। साथ ही ईडी का कहना है कि अब तक वह 60 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन इनमें से किसको वह गवाह बनएगी या आरोपी फिलहाल यह कहना मुश्किल है।
शुक्रवार को पूर्व एयर चीफ एसपी त्यागी और उनके भाइयों से पूछताछ चलती रही। सीबीआई ने पूर्व एयर चीफ के तीनों भाइयों - संजीव, राजीव और संदीप को अपने साथ बिठाया तो एन्फ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट ने एसपी त्यागी से सवाल-जवाब किए।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक संजीव त्यागी ने माना है कि उसके हेशके और गेरोसा से वित्तीय संबंध थे। ईडी के सामने एसपी त्यागी ने मंजूर किया कि वे चार कम्पनियों के डायरेक्टर रहे। सीबीआई के सामने दिए गए बयान कोर्ट में स्वीकार्य नहीं हैं लेकिन ईडी के सामने दिए गए बयान को अदालत मंजूर करती है इसीलिए दोनो एजेंसियों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी हुई है।टिप्पणियां
सीबीआई ने गौतम खेतान से भी पूछताछ की जिससे पहले ईडी पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई का कहना है कि खेतान अभी कई बातें खुलकर नहीं बता रहा है जैसा उसने ईडी को बताया है।
उधर ईडी ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर दस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे मांगे हैं। यह वे अफसर हैं जो अगुस्ता सौदे के वक्त अहम ओहदों पर थे। कुछ अब भी संवैधानिक पदों पर हैं। ईडी ने इनकम टैक्स और फायनेंशियल इंटेलिजेन्स यूनिट से भी जानकारी मांगी है। साथ ही ईडी का कहना है कि अब तक वह 60 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन इनमें से किसको वह गवाह बनएगी या आरोपी फिलहाल यह कहना मुश्किल है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक संजीव त्यागी ने माना है कि उसके हेशके और गेरोसा से वित्तीय संबंध थे। ईडी के सामने एसपी त्यागी ने मंजूर किया कि वे चार कम्पनियों के डायरेक्टर रहे। सीबीआई के सामने दिए गए बयान कोर्ट में स्वीकार्य नहीं हैं लेकिन ईडी के सामने दिए गए बयान को अदालत मंजूर करती है इसीलिए दोनो एजेंसियों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी हुई है।टिप्पणियां
सीबीआई ने गौतम खेतान से भी पूछताछ की जिससे पहले ईडी पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई का कहना है कि खेतान अभी कई बातें खुलकर नहीं बता रहा है जैसा उसने ईडी को बताया है।
उधर ईडी ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर दस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे मांगे हैं। यह वे अफसर हैं जो अगुस्ता सौदे के वक्त अहम ओहदों पर थे। कुछ अब भी संवैधानिक पदों पर हैं। ईडी ने इनकम टैक्स और फायनेंशियल इंटेलिजेन्स यूनिट से भी जानकारी मांगी है। साथ ही ईडी का कहना है कि अब तक वह 60 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन इनमें से किसको वह गवाह बनएगी या आरोपी फिलहाल यह कहना मुश्किल है।
सीबीआई ने गौतम खेतान से भी पूछताछ की जिससे पहले ईडी पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई का कहना है कि खेतान अभी कई बातें खुलकर नहीं बता रहा है जैसा उसने ईडी को बताया है।
उधर ईडी ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर दस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे मांगे हैं। यह वे अफसर हैं जो अगुस्ता सौदे के वक्त अहम ओहदों पर थे। कुछ अब भी संवैधानिक पदों पर हैं। ईडी ने इनकम टैक्स और फायनेंशियल इंटेलिजेन्स यूनिट से भी जानकारी मांगी है। साथ ही ईडी का कहना है कि अब तक वह 60 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन इनमें से किसको वह गवाह बनएगी या आरोपी फिलहाल यह कहना मुश्किल है।
उधर ईडी ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर दस अफसरों की संपत्ति के ब्योरे मांगे हैं। यह वे अफसर हैं जो अगुस्ता सौदे के वक्त अहम ओहदों पर थे। कुछ अब भी संवैधानिक पदों पर हैं। ईडी ने इनकम टैक्स और फायनेंशियल इंटेलिजेन्स यूनिट से भी जानकारी मांगी है। साथ ही ईडी का कहना है कि अब तक वह 60 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन इनमें से किसको वह गवाह बनएगी या आरोपी फिलहाल यह कहना मुश्किल है। |
दिल्ली : प्रेमिका की हत्या करके प्रेमी ने खाया जहर | दिल्ली के रोज गार्डन में एक लड़की की हत्या करके प्रेमी ने जहर खा लिया। अंबेडकर नगर की रहने वाली अलीशा उर्फ निक्की और पड़ोसी सलीम एक-दूसरे से प्यार करते थे लेकिन जब अलीशा ने सलीम पर शादी का दबाव बनाया तो सलीम उसे रोज गार्डन घुमाने ले गया फिर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या करने के बाद सलीम ने भी जहर खा लिया था और अंबेडकर नगर थाने जाकर अलीशा की हत्या की बात बताई। पुलिस ने लाश को कब्जे में ले लिया और जांच कर रही है। |
सोने-चांदी की कीमतों में लगातार तीसरे हफ्ते रही तेजी | आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली के बीच विदेशों में मजबूती के रुख के कारण लगातार तीसरे सप्ताह सोने, चांदी की कीमतों में तेजी कायम रही।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में मजबूती के रुख तथा चालू शादी विवाह के सीजन की मांग को पूरा करने के लिए आभूषण एवं फुटकर विक्रेताओं की लिवाली बढ़ने के कारण सोना और चांदी दोनों की कीमतों में तेजी रही।
सप्ताह के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत 1,104.50 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई को छूने के बाद अंत में 0.5 प्रतिशत की तेजी दर्शाती 1,098 डॉलर प्रति औंस हो गई।
इस बीच, सरकार ने वैश्विक कीमतों के रुख के अनुरूप सोने के आयात शुल्क मूल्य को बढ़ाकर 354 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी पर आयात शुल्क मूल्य को 457 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया।
चालू माह के पहले पखवाड़े के दौरान सोने का आयात शुल्क मूल्य 345 डॉलर प्रति 10 ग्राम था और चांदी पर यह 452 डॉलर प्रति किग्रा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में मजबूती के रुख तथा चालू शादी विवाह के सीजन की मांग को पूरा करने के लिए आभूषण एवं फुटकर विक्रेताओं की लिवाली बढ़ने के कारण सोना और चांदी दोनों की कीमतों में तेजी रही।
सप्ताह के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत 1,104.50 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई को छूने के बाद अंत में 0.5 प्रतिशत की तेजी दर्शाती 1,098 डॉलर प्रति औंस हो गई।
इस बीच, सरकार ने वैश्विक कीमतों के रुख के अनुरूप सोने के आयात शुल्क मूल्य को बढ़ाकर 354 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी पर आयात शुल्क मूल्य को 457 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया।
चालू माह के पहले पखवाड़े के दौरान सोने का आयात शुल्क मूल्य 345 डॉलर प्रति 10 ग्राम था और चांदी पर यह 452 डॉलर प्रति किग्रा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
सप्ताह के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत 1,104.50 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई को छूने के बाद अंत में 0.5 प्रतिशत की तेजी दर्शाती 1,098 डॉलर प्रति औंस हो गई।
इस बीच, सरकार ने वैश्विक कीमतों के रुख के अनुरूप सोने के आयात शुल्क मूल्य को बढ़ाकर 354 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी पर आयात शुल्क मूल्य को 457 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया।
चालू माह के पहले पखवाड़े के दौरान सोने का आयात शुल्क मूल्य 345 डॉलर प्रति 10 ग्राम था और चांदी पर यह 452 डॉलर प्रति किग्रा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
इस बीच, सरकार ने वैश्विक कीमतों के रुख के अनुरूप सोने के आयात शुल्क मूल्य को बढ़ाकर 354 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी पर आयात शुल्क मूल्य को 457 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया।
चालू माह के पहले पखवाड़े के दौरान सोने का आयात शुल्क मूल्य 345 डॉलर प्रति 10 ग्राम था और चांदी पर यह 452 डॉलर प्रति किग्रा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
चालू माह के पहले पखवाड़े के दौरान सोने का आयात शुल्क मूल्य 345 डॉलर प्रति 10 ग्राम था और चांदी पर यह 452 डॉलर प्रति किग्रा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत की कमजोर शुरुआत हुई और कमजोर मांग के कारण इसकी कीमत 26,350 रुपये और 26,200 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चले गई।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
हालांकि बाद में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की शादी विवाह के मौसम की लिवाली से इसमें तेजी लौटी और इनकी कीमतें क्रमश: 26,900 रुपये और 26,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के दो माह के उच्चतम स्तर को छूने के बाद अंत में 60.60 रुपये की तेजी प्रदर्शित करते क्रमश: 26,610 रुपये और 26,460 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुईं।टिप्पणियां
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
हालांकि, गिन्नी की कीमत 22,400 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बनी रही। लिवाली और बिकवाली के झोंकों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में चांदी तैयार के भाव सप्ताहांत में 295 रुपये की तेजी के साथ 34,310 रुपये प्रति किग्रा और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 34,225 रुपये प्रति किग्रा पर बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।
दूसरी ओर चांदी सिक्कों के भाव लिवाल 49,000 रुपये और बिकवाल 50,000 रुपये प्रति सैंकड़ा पर स्थिरता का रुख लिए बंद हुए। |
AAP महिला कार्यकर्ता के परिजनों के साथ विजेंद्र गुप्ता ने राजनाथ से की मुलाकात | दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने पिछले सप्ताह कथित तौर पर आत्महत्या करने वाली AAP कार्यकर्ता के पति और पुत्री के साथ शुक्रवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।
दिल्ली बीजेपी की एक विज्ञप्ति में राजनाथ सिंह को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'यह एक गंभीर मामला है और गहन तथा व्यापक जांच की जरूरत है। महिला और उसके परिवार के सदस्यों के साथ न्याय किया जाएगा।'टिप्पणियां
28 वर्षीय AAP कार्यकर्ता ने पश्चिम दिल्ली के नरेला स्थित आवास में जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था और 19 जुलाई को एलएनजेपी अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दिल्ली बीजेपी की एक विज्ञप्ति में राजनाथ सिंह को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'यह एक गंभीर मामला है और गहन तथा व्यापक जांच की जरूरत है। महिला और उसके परिवार के सदस्यों के साथ न्याय किया जाएगा।'टिप्पणियां
28 वर्षीय AAP कार्यकर्ता ने पश्चिम दिल्ली के नरेला स्थित आवास में जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था और 19 जुलाई को एलएनजेपी अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
28 वर्षीय AAP कार्यकर्ता ने पश्चिम दिल्ली के नरेला स्थित आवास में जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था और 19 जुलाई को एलएनजेपी अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। (हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
डिजिटल इंडिया : हिंदी, उर्दू सहित छह भाषाओं में नि:शुल्क डोमेन नाम | हिंदी व उर्दू सहित छह भारतीय भाषाओं में वेबसाइट का 'डॉट भारत' एक्सटेंशन वाला डोमेन नाम अब नि:शुल्क पंजीबद्ध कराया जा सकता है. हालांकि इन भाषाओं में ईमेल आईडी व पोर्टल बनाने के लिए शुल्क देना होगा. भारतीय आईटी स्टार्टअप दाता समूह ने यह पहल की है. कंपनी अपनी इकाई एक्सजेन प्लस के जरिए ईमेल सेवाएं उपलब्ध कराएगी.
दाता ग्रुप के संस्थापक व सीईओ अजय दाता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि नि:शुल्क डोमेन नाम पंजीकरण की सुविधा हिंदी व उर्दू के साथ साथ तमिल, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी व मराठी में उपलब्ध होगी. कंपनी ने 'डाट भारत' एक्सटेंशन में डोमेन बुकिंग बुधवार को शुरू की लेकिन यह देवनागरी में होगा.
उन्होंने कहा कि यह पहल हिंदी दिवस के अवसर पर शुरू की गई है. इसके लिए 'हमारी वेबसाइट जीओडीआईएल डाट इन पर डाट भारत एक्सटेंशन में डोमेन नाम नि:शुल्क लिए जा सकते हैं. वहीं भारतीय लिपियों में इमेल आईडी के लिए शुल्क देना होगा.' यह सेवा शुरू करने वाली यह पहली कंपनी है. टिप्पणियां
दाता ने कहा कि कंपनी की इस पहल का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में कंटेट को बढ़ावा देना है जो कि केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्य्रकम के अनुरूप है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दाता ग्रुप के संस्थापक व सीईओ अजय दाता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि नि:शुल्क डोमेन नाम पंजीकरण की सुविधा हिंदी व उर्दू के साथ साथ तमिल, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी व मराठी में उपलब्ध होगी. कंपनी ने 'डाट भारत' एक्सटेंशन में डोमेन बुकिंग बुधवार को शुरू की लेकिन यह देवनागरी में होगा.
उन्होंने कहा कि यह पहल हिंदी दिवस के अवसर पर शुरू की गई है. इसके लिए 'हमारी वेबसाइट जीओडीआईएल डाट इन पर डाट भारत एक्सटेंशन में डोमेन नाम नि:शुल्क लिए जा सकते हैं. वहीं भारतीय लिपियों में इमेल आईडी के लिए शुल्क देना होगा.' यह सेवा शुरू करने वाली यह पहली कंपनी है. टिप्पणियां
दाता ने कहा कि कंपनी की इस पहल का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में कंटेट को बढ़ावा देना है जो कि केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्य्रकम के अनुरूप है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि यह पहल हिंदी दिवस के अवसर पर शुरू की गई है. इसके लिए 'हमारी वेबसाइट जीओडीआईएल डाट इन पर डाट भारत एक्सटेंशन में डोमेन नाम नि:शुल्क लिए जा सकते हैं. वहीं भारतीय लिपियों में इमेल आईडी के लिए शुल्क देना होगा.' यह सेवा शुरू करने वाली यह पहली कंपनी है. टिप्पणियां
दाता ने कहा कि कंपनी की इस पहल का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में कंटेट को बढ़ावा देना है जो कि केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्य्रकम के अनुरूप है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दाता ने कहा कि कंपनी की इस पहल का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में कंटेट को बढ़ावा देना है जो कि केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्य्रकम के अनुरूप है.(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
भारत माता की जय : फडणवीस ने कहा - नारा न लगाने वाले को देश में रहने का अधिकार नहीं | फडणवीस संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। नागपुर में उनके घर धरमपेठ से संघ मुख्यालय तकरीबन 10 किलोमीटर है। लोगों को लगता है कि यह नजदीकी उन्हें सत्ता के शीर्ष पर लाई है। ऐसे में मोहन भागवत के बयान पर जो सियासी बवंडर उठा है उसके जवाब में देवेन्द्र फडणवीस का कवच आर्श्चयजनक तो कतई नहीं है। हालांकि इस मुद्दे पर अब उन्होंने सफाई देकर मामले को शांत करने की कोशिश की है। |
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज तिहाड़ जेल में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मिलेंगे | पार्टी नेताओं के अनुसार, चिदंबरम का वजन बीते तीन महीने में 10 किलो से ज्यादा कम हो गया है. वह कई बीमारियों से भी पीड़ित हैं. चिदंबरम द्वारा आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिए जाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) व प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच कर रहे हैं. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहने के दौरान एफआईपीबी की यह मंजूरी दी.
चिदंबरम को सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया और फिर 5 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उन्हें बाद में आईएनएक्स मीडिया मामले में धनशोधन के संबंध में ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया. |
कैटरीना के साथ कौन काम नहीं करना चाहता : आयुष्मान, सिद्धार्थ | अभिनेता आयुष्मान खुराना और सिद्धार्थ मल्होत्रा अभिनेत्री कैटरीना कैफ के साथ काम करने की ख्वाहिश रखते हैं। कैटरीना ने मंगलवार को अपना 29वां जन्मदिन मनाया।
'शिप ऑफ थीसस' के विशेष प्रदर्शन के मौके पर आयुष्मान ने कहा, कैटरीना के साथ काम कौन नहीं करना चाहता! वह अद्भुत हैं। वह अच्छी कलाकार हैं और खूबसूरत भी हैं।
इन दिनों कैटरीना आमिर खान के साथ 'धूम 3' व ऋतिक रोशन के साथ 'बैंग बैंग' की शूटिंग में व्यस्त हैं।टिप्पणियां
सिद्धार्थ ने कहा, कैटरीना बहुत आकर्षक हैं। उम्मीद करता हूं कि भविष्य में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा।
आयुष्मान की अब तक दो फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' आ चुकी हैं जबकि सिद्धार्थ ने अब तक सिर्फ 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में अभिनय किया है।
'शिप ऑफ थीसस' के विशेष प्रदर्शन के मौके पर आयुष्मान ने कहा, कैटरीना के साथ काम कौन नहीं करना चाहता! वह अद्भुत हैं। वह अच्छी कलाकार हैं और खूबसूरत भी हैं।
इन दिनों कैटरीना आमिर खान के साथ 'धूम 3' व ऋतिक रोशन के साथ 'बैंग बैंग' की शूटिंग में व्यस्त हैं।टिप्पणियां
सिद्धार्थ ने कहा, कैटरीना बहुत आकर्षक हैं। उम्मीद करता हूं कि भविष्य में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा।
आयुष्मान की अब तक दो फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' आ चुकी हैं जबकि सिद्धार्थ ने अब तक सिर्फ 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में अभिनय किया है।
इन दिनों कैटरीना आमिर खान के साथ 'धूम 3' व ऋतिक रोशन के साथ 'बैंग बैंग' की शूटिंग में व्यस्त हैं।टिप्पणियां
सिद्धार्थ ने कहा, कैटरीना बहुत आकर्षक हैं। उम्मीद करता हूं कि भविष्य में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा।
आयुष्मान की अब तक दो फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' आ चुकी हैं जबकि सिद्धार्थ ने अब तक सिर्फ 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में अभिनय किया है।
सिद्धार्थ ने कहा, कैटरीना बहुत आकर्षक हैं। उम्मीद करता हूं कि भविष्य में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिलेगा।
आयुष्मान की अब तक दो फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' आ चुकी हैं जबकि सिद्धार्थ ने अब तक सिर्फ 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में अभिनय किया है।
आयुष्मान की अब तक दो फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' आ चुकी हैं जबकि सिद्धार्थ ने अब तक सिर्फ 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में अभिनय किया है। |
कालका मेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी | रेल मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले दिनेश त्रिवेदी ने रेल सुरक्षा को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा है और कालका मेल हादसे में मारे गए प्रत्येक यात्री के एक परिजन को नौकरी देने की घोषणा की है। वह अपनी पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के निर्देशों पर सीधे दुर्घटनास्थल के लिए रवाना हो गए। त्रिवेदी ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा, हालात बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। दुर्घटना हुई है सभी जानते हैं। इसलिए मैं राष्ट्रपति भवन से रेल भवन या अपने घर नहीं जा रहा। उन्होंने कहा, मैं सीधे दुर्घटनास्थल पर जा रहा हूं। मेरी नेता ममता बनर्जी ने भी मुझे निर्देश दिया है कि यह पहला काम है जो हमें करना है। उत्तर प्रदेश में फतेहपुर के पास रविवार को हुए ट्रेन हादसे में 69 लोगों की मौत हो चुकी है। त्रिवेदी ने कहा, प्रत्येक मृतक के एक परिजन को नौकरी दी जाएगी। वह गुरूवार को असम के रांगिया भी जाएंगे जहां रविवार को एक विस्फोट के बाद गुवाहाटी-पुरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। |
नगालैंड में बिगड़े हालात थोड़े काबू में आए, असम राइफल्स की तैनाती की गई | नगालैंड में स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में पिछले कुछ दिनों से चल रहा प्रदर्शन गुरुवार को हिंसक हो गया है. उग्र प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोहिमा में नगर निगम और डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर समेत कई सरकारी दफ़्तरों में आग लगा दी. कुछ मंत्रियों के रिश्तेदारों के घरों को भी निशाना बनाए जाने की ख़बर है. कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. राज्य में बिगड़ते हालात को देखते हुए असम राइफ़ल्स की 5 टुकड़ियों की तैनाती की गई है और सेना को तैयार रहने के लिए कहा गया है. मोबाइल इंटरनेट को बैन कर दिया गया है और कुछ इलाक़ों में धारा 144 लगा दी गई है. कोहिमा और दीमापुर अभी भी बंद है.
आज हालात थोड़े काबू में आए हैं लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. मंगलवार को दीमापुर और लोंगलेंग ज़िलों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में दो लोगों की मौत के बाद प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं. साथ ही फ़ायरिंग में शामिल सभी पुलिसवालों के तत्काल निलंबन और मारे गए दोनों लोगों को नगा शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि फ़ायरिंग के लिए ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों और दीमापुर के पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया गया है.
इस पर बात करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "नगालैंड के डीजीपी एलएल दंगेल ने पैरमिलिट्री, यानी सुरक्षा टुकड़ियों की मांग की थी, लेकिन चुनाव होने के कारण सब व्यस्त हैं इसीलिए असम राइफल्स को तैनात किया जा रहा है." वैसे तो असम राइफल्स की नगालैंड में मौजूदगी रहती है क्योंकि वहां आईजी नॉर्थ बैठते हैं लेकिन मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी थी.
मंत्रालय के मुताबिक नगालैंड के डीजीपी ने जो रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है उसके मुताबिक वहां हालात खराब हो रहे हैं. किरेन रिजीजू ने असम राइफल्स के डीजीपी शोकीन चौहान से बात भी की. उन्होंने बताया कि "राज्य के मुख्यमंत्री को भी खतरा हो रहा है इसलिए खास निर्देश उनके घर की सुरक्षा को लेकर दिए गए हैं." नगालैंड के मुख्यमंत्री के ठिकानों को दीमापुर में भी टारगेट किया गया है.टिप्पणियां
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी ) ने युवकों की मौत को लेकर सीएम टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट से गुरुवार चार बजे तक इस्तीफा मांगा था. एनटीएसी ने गवर्नर पीबी आचार्य को एक मेमोरेंडम में कहा कि चीफ मिनिस्टर और उनकी कैबिनेट ने अर्बन लोकल बॉडीज के इलेक्शन टालने की मांग के खिलाफ जाने का फैसला किया, इसकी वजह से हिंसा के हालात बने.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे.
आज हालात थोड़े काबू में आए हैं लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. मंगलवार को दीमापुर और लोंगलेंग ज़िलों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में दो लोगों की मौत के बाद प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं. साथ ही फ़ायरिंग में शामिल सभी पुलिसवालों के तत्काल निलंबन और मारे गए दोनों लोगों को नगा शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि फ़ायरिंग के लिए ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों और दीमापुर के पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया गया है.
इस पर बात करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "नगालैंड के डीजीपी एलएल दंगेल ने पैरमिलिट्री, यानी सुरक्षा टुकड़ियों की मांग की थी, लेकिन चुनाव होने के कारण सब व्यस्त हैं इसीलिए असम राइफल्स को तैनात किया जा रहा है." वैसे तो असम राइफल्स की नगालैंड में मौजूदगी रहती है क्योंकि वहां आईजी नॉर्थ बैठते हैं लेकिन मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी थी.
मंत्रालय के मुताबिक नगालैंड के डीजीपी ने जो रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है उसके मुताबिक वहां हालात खराब हो रहे हैं. किरेन रिजीजू ने असम राइफल्स के डीजीपी शोकीन चौहान से बात भी की. उन्होंने बताया कि "राज्य के मुख्यमंत्री को भी खतरा हो रहा है इसलिए खास निर्देश उनके घर की सुरक्षा को लेकर दिए गए हैं." नगालैंड के मुख्यमंत्री के ठिकानों को दीमापुर में भी टारगेट किया गया है.टिप्पणियां
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी ) ने युवकों की मौत को लेकर सीएम टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट से गुरुवार चार बजे तक इस्तीफा मांगा था. एनटीएसी ने गवर्नर पीबी आचार्य को एक मेमोरेंडम में कहा कि चीफ मिनिस्टर और उनकी कैबिनेट ने अर्बन लोकल बॉडीज के इलेक्शन टालने की मांग के खिलाफ जाने का फैसला किया, इसकी वजह से हिंसा के हालात बने.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे.
इस पर बात करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "नगालैंड के डीजीपी एलएल दंगेल ने पैरमिलिट्री, यानी सुरक्षा टुकड़ियों की मांग की थी, लेकिन चुनाव होने के कारण सब व्यस्त हैं इसीलिए असम राइफल्स को तैनात किया जा रहा है." वैसे तो असम राइफल्स की नगालैंड में मौजूदगी रहती है क्योंकि वहां आईजी नॉर्थ बैठते हैं लेकिन मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी थी.
मंत्रालय के मुताबिक नगालैंड के डीजीपी ने जो रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है उसके मुताबिक वहां हालात खराब हो रहे हैं. किरेन रिजीजू ने असम राइफल्स के डीजीपी शोकीन चौहान से बात भी की. उन्होंने बताया कि "राज्य के मुख्यमंत्री को भी खतरा हो रहा है इसलिए खास निर्देश उनके घर की सुरक्षा को लेकर दिए गए हैं." नगालैंड के मुख्यमंत्री के ठिकानों को दीमापुर में भी टारगेट किया गया है.टिप्पणियां
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी ) ने युवकों की मौत को लेकर सीएम टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट से गुरुवार चार बजे तक इस्तीफा मांगा था. एनटीएसी ने गवर्नर पीबी आचार्य को एक मेमोरेंडम में कहा कि चीफ मिनिस्टर और उनकी कैबिनेट ने अर्बन लोकल बॉडीज के इलेक्शन टालने की मांग के खिलाफ जाने का फैसला किया, इसकी वजह से हिंसा के हालात बने.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे.
मंत्रालय के मुताबिक नगालैंड के डीजीपी ने जो रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है उसके मुताबिक वहां हालात खराब हो रहे हैं. किरेन रिजीजू ने असम राइफल्स के डीजीपी शोकीन चौहान से बात भी की. उन्होंने बताया कि "राज्य के मुख्यमंत्री को भी खतरा हो रहा है इसलिए खास निर्देश उनके घर की सुरक्षा को लेकर दिए गए हैं." नगालैंड के मुख्यमंत्री के ठिकानों को दीमापुर में भी टारगेट किया गया है.टिप्पणियां
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी ) ने युवकों की मौत को लेकर सीएम टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट से गुरुवार चार बजे तक इस्तीफा मांगा था. एनटीएसी ने गवर्नर पीबी आचार्य को एक मेमोरेंडम में कहा कि चीफ मिनिस्टर और उनकी कैबिनेट ने अर्बन लोकल बॉडीज के इलेक्शन टालने की मांग के खिलाफ जाने का फैसला किया, इसकी वजह से हिंसा के हालात बने.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे.
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी (एनटीएसी ) ने युवकों की मौत को लेकर सीएम टीआर जेलियांग और उनकी कैबिनेट से गुरुवार चार बजे तक इस्तीफा मांगा था. एनटीएसी ने गवर्नर पीबी आचार्य को एक मेमोरेंडम में कहा कि चीफ मिनिस्टर और उनकी कैबिनेट ने अर्बन लोकल बॉडीज के इलेक्शन टालने की मांग के खिलाफ जाने का फैसला किया, इसकी वजह से हिंसा के हालात बने.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे.
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं. इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है. एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी. एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे. |
Pran ऐसे थे विलेन, जिनसे स्क्रीन ही नहीं बाहर भी लोग खाते थे खौफ, Maths में नहीं था कोई तोड़, 10 बातें | बॉलीवुड के सबसे खतरनाक विलन में से एक प्राण (pran) की आज 99वीं जयंती मनाई जा रही है. सबसे चहेते विलेन प्राण (Pran) का जन्म 12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारां में हुआ था. उनका पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंदर (Pran Krishna Sikandar) था, लेकिन वो प्राण नाम से ही खूब मशहूर हुए. हिंदी फिल्मों में प्राण एक मुख्य प्रमुख चरित्र एक्टर थे, जो अपनी जबरदस्त खलनायक की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते थे. प्राण (Pran) ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कई यादगार और हिट फिल्में दीं. एक कलाकार के रूप में प्राण ने जो छाप छोड़ी उसे लोग आज भी याद करते हैं. उनका देहांत 12 जुलाई 2013 को मुंबई में हुआ था. कई बार फिल्मफेयर पुरस्कार तथा बंगाली फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स जीतने वाले प्राण (pran) ने हिन्दी सिनेमा में 1940 से 1990 के दशक तक दमदार खलनायक और नायक का अभिनय किया. उन्होंने प्रारम्भ में 1940 से 1947 तक नायक के रूप में फिल्मों में अभिनय किया. इसके अलावा खलनायक की भूमिका में अभिनय 1942 से 1991 तक जारी रखा उन्होंने 1948 से 2007 तक सहायक अभिनेता की तर्ज पर भी काम किया. उनके पिता सिविल इंजीनियर थे और एक सरकारी ठेकेदार थे. परिवार संपन्न था. पिता को काम की वजह से जगह घूमना पड़ता था तो प्राण (pran) की पढ़ाई भी कई जगहों पर हुई. खास यह कि प्राण मैथमेटिक्स में गजब के थे.
1. प्राण (pran) ने 350 से अधिक फ़िल्मों में काम किया, उन्होंने खानदान, पिलपिली साहेब और हलाकू (1956) जैसी फिल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी. उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती, जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, आंसू बन गये फूल, जॉनी मेरा नाम, विक्टोरिया नम्बर 203, बे-ईमान, जंजीर, डॉन और दुनिया फिल्मों में माना जाता है.
2. प्राण (pran) को 'जिद्दी' से लोकप्रियता मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर देखने की कभी जरूरत नहीं पड़ी. प्राण साहब अपनी अदाकारी के लिए मशहूर हुए. खासकर उनके बरखुरदार कहने के तरीके को खासा पसंद किया गया.
3. प्राण (pran) से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया यह है कि वे अक्सर शिमला जाते थे और वह भी रामलीला के दिनों में. प्राण वहां की एक रामलीला में सीता का रोल निभाते थे और दिलचस्प यह कि इस रामलीला में मदन पुरी राम का रोल निभाते थे.
4. पेशे से फोटोग्राफर प्राण (pran) की मुलाकात एक दिन एक फिल्म प्रोड्यूसर से हुई. बस इस तरह उन्हें अपनी पहली फिल्म 'यमला जट (1940)' मिली. ये पंजाबी फिल्म थी.
5. प्राण (pran) अविभाजित भारत में लाहौर में एक्टिंग करते थे और फिर मुंबई आ गए. उर्दू के जाने-माने लेखक सआदत हसन मंटो और एक्टर श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे.
6. प्राण (pran) ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किये. उन्होंने 1967, 1969 और 1972 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार और 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड जीता.
7. प्राण (pran) को साल 2000 में स्टारडस्ट द्वारा 'मिलेनियम के खलनायक' द्वारा पुरस्कृत किया गया. 2001 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिये 2013 में दादा साहब फाल्के सम्मान से नवाजा गया.
8. साल 2010 में प्राण (pran) को सीएनएन की सर्वश्रेष्ठ 25 सर्वकालिक एशियाई अभिनेताओं में चुना गया था.
9. प्राण (Pran) को उनके नाम ‘राम और श्याम' के खलनायक की ऐसी तस्वीर रही है, जिससे लोगों ने परदे के बाहर भी घृणा शुरु कर दी थी, वहीं उनके नाम 'उपकार' के मंगल चाचा की भूमिका भी है, जिसे दर्शकों का बेइन्तहा प्यार और सम्मान मिला
10. महान कलाकार प्राण (Pran) ने 12 जुलाई 2013 को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में अन्तिम सांस ली. गौर करने वाली बात यह रही कि उनके जन्म और निधन की तारीख सेम रही. |
चीन के सरकारी अखबार ने दलाई लामा को बताया एक 'क्रूर शासक' | चीन के एक सरकारी अखबार ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को 'निर्वासन में रहने वाला एक क्रूर शासक' बताया है। समाचारपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' में मंगलवार को 'रियल तिब्बत कान्ट बी कन्सील्ड बाई दलाईस लाइज' शीर्षक से एक संपादकीय में कहा गया है कि यह साल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ का प्रतीक है।टिप्पणियां
संपादकीय में लिखा गया है, 'इन बीते वर्षों में जनता की समझ में दो तिब्बत हैं। एक असल तिब्बत है। दूसरा दलाई लामा के गुट और पश्चिमी समझ द्वारा प्रचारित एक काल्पनिक तिब्बत है, जो अक्सर आलोचना करते हैं कि तिब्बत जैसा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के राज में हुआ करता था, वैसा नहीं है।'
चीन की मीडिया अक्सर दलाई लामा को खरी-खोटी सुनाती है। समाचारपत्र ने अपने संपादकीय में कहा कि 'काल्पनिक तिब्बत का वजूद नहीं है, लेकिन पश्चिमी मीडिया और दलाई लामा की शह पर इस तिब्बत का अंतरराष्ट्रीय समझ में एक निश्चित प्रभाव है' और यह 'आधुनिक दुनिया में सबसे लंबा चलने वाला झूठ है।'
संपादकीय में लिखा गया है, 'इन बीते वर्षों में जनता की समझ में दो तिब्बत हैं। एक असल तिब्बत है। दूसरा दलाई लामा के गुट और पश्चिमी समझ द्वारा प्रचारित एक काल्पनिक तिब्बत है, जो अक्सर आलोचना करते हैं कि तिब्बत जैसा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के राज में हुआ करता था, वैसा नहीं है।'
चीन की मीडिया अक्सर दलाई लामा को खरी-खोटी सुनाती है। समाचारपत्र ने अपने संपादकीय में कहा कि 'काल्पनिक तिब्बत का वजूद नहीं है, लेकिन पश्चिमी मीडिया और दलाई लामा की शह पर इस तिब्बत का अंतरराष्ट्रीय समझ में एक निश्चित प्रभाव है' और यह 'आधुनिक दुनिया में सबसे लंबा चलने वाला झूठ है।'
चीन की मीडिया अक्सर दलाई लामा को खरी-खोटी सुनाती है। समाचारपत्र ने अपने संपादकीय में कहा कि 'काल्पनिक तिब्बत का वजूद नहीं है, लेकिन पश्चिमी मीडिया और दलाई लामा की शह पर इस तिब्बत का अंतरराष्ट्रीय समझ में एक निश्चित प्रभाव है' और यह 'आधुनिक दुनिया में सबसे लंबा चलने वाला झूठ है।' |
मेरठ के मदरसे में बच्ची से रेप, पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार, यूपी में बीते दस दिनों में बच्चियों से दरिंदगी की दसवीं घटना | उत्तर प्रदेश में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला मेरठ के एक मदरसे का है. यहां पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने ही बच्ची से रेप किया और बाद में मौके से फरार हो गया. बच्ची कि शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. और आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया. बीते कुछ दिनों में यूपी में बच्चियों के साथ रेप की यह कोई पहली घटना नहीं है. दर्ज मामलों की बात करें तो बीते दस दिनों में बच्चियों से दरिंदगी की यह 10वीं वारदता है. इस तरह का पहला मामला 30 मई को टप्पल सामने आया था. जहां ढाई साल की बच्ची से रेप के बाद उसे मार दिया गया, इसके बाद चार जून को मेरठ में नौ साल की बच्ची से पहले रेप और बाद में उसकी हत्या कर दी गई, पांच जून को बाराबंकी में एक पड़ोसी आठ साल की बच्ची से रेप किया, वहीं सात जून को बरेली में एक आठ साल की बच्ची रेप की घटना सामने आई, इसी तरह आठ जून को वाराणसी में दस साल की बच्ची से रेप की शिकायत दर्ज कराई गई, इसी तरह आठ जून को हमीरपुर में 11 साल के बच्ची से रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई, आठ जून को ही जालौन में सात साल की बच्ची से रेप की घटना हुई. यूपी में हो रही एक के बाद एक घटनाओं ने राज्य में कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है.
Meerut: A madrasa teacher has been arrested for allegedly raping a 12-year-old girl in Kheri Kalan village. pic.twitter.com/huvWFFOp9N
गौरतलब है कि अलीगढ़ के टप्पल इलाके में बच्ची के साथ हुई हत्या मामले में पुलिस ने कई बड़े खुलासे किए थे. पुलिस के मुताबिक बच्ची की हत्या उसके पड़ोसियों ने की थी. दरअसल बच्ची के दादा के साथ उधार के पैसों को लेकर आरोपियों का विवाद चल रहा था. अलीगढ़ पुलिस के मुताबिक, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ है कि बच्ची का रेप नहीं हुआ था. उसके हाथ और पैर टूट गए थे. बच्ची के परिवार ने आरोप लगाया था कि बच्ची की आंख निकाली गई थी पर ऐसा नहीं हुआ था. लेकिन बच्ची के परिवार को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि उसका शरीर बुरी तरह से नष्ट किया गया था.' पुलिस का कहना था कि आरोपियों ने बच्ची की हत्या बदले की भावना से की थी. पुलिस के मुताबिक जाहिद ने मृत बच्ची के दादा से 50 हजार रुपए का लोन लिया था, और उस पर 10 हजार रुपए अभी भी बकाया था. इसी मसले पर दोनों के बीच बच्ची की किडनैपिंग से 2 दिन पहले लड़ाई भी हुई थी. बच्ची के घर वालों के मुताबिक जाहिद अपने अपमान का बदला लेना चाहता था.'
पुलिस ने कहा था कि हम इस मामले की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत करेंगे और इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजेंगे.' बता दें कि एक ढाई साल की बच्ची की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और फिर क्षत-विक्षत शव को कूड़े में फेंक दिया गया था. इतनी घिनौनी और भयावह वारदात के पीछे की वजह महज 10,000 रुपये है. तीन दिन बाद घर के पास के कूड़ाघर में बच्ची का शव मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक बच्ची की हत्या गला घोटकर की गई. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था.
मामला दो समुदायों से जुड़ा होने की वजह से मौके पर बड़े पैमाने पर पुलिस बल को तैनात किया गया था. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरि ने गुरुवार को बताया था कि गत 31 मई को टप्पल से लापता हुई तीन साल की बच्ची का क्षत-विक्षत शव गत दो जून को उसके घर के पास एक कूड़े के ढेर में दबा पाया गया था. बच्ची के पिता की शिकायत पर जाहिद और एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था.
उनसे पूछताछ में पता चला है कि दोनों आरोपियों का बच्ची के पिता से धन के लेन-देन को लेकर झगड़ा हुआ था. कुलहरि ने बताया था कि बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची से रेप की बात सामने नहीं आई है. उसकी गला दबाकर हत्या की गयी है. उन्होंने कहा था कि वारदात की गम्भीरता को देखते हुए दोनों अभियुक्त पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाए जाने की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है. मामले की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई कराये जाने की भी प्रक्रिया शुरू की गयी है. कुलहरि ने बताया था कि मामला दो समुदायों से जुड़ा होने की वजह से कल पैदा हुए तनाव के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है. |
भ्रष्टाचार करने वालों को नहीं बख्शेगी सरकार : पीएम नरेंद्र मोदी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार करने वालों के साथ कोई मुरव्वत नहीं करने वाली है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 45 वरिष्ठ अधिकारियों को 'सरकारी कामकाज और जन-सेवा में असंतोषजनक प्रदर्शन' के कारण या तो हटा दिया है या उनकी पेंशन काट ली गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रणालीगत और नीति-नियंत्रित शासन चलाने पर ध्यान दे रही और राजकाज का ऐसा ढांचा चाहती है जो 'संवेदनशील, परदर्शी और जवाबदेह' हो।टिप्पणियां
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रणालीगत और नीति-नियंत्रित शासन चलाने पर ध्यान दे रही और राजकाज का ऐसा ढांचा चाहती है जो 'संवेदनशील, परदर्शी और जवाबदेह' हो।टिप्पणियां
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
पीएम मोदी यहां सीबीआई द्वारा संपतियों की वसूली पर छठे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में गरीब और उपेक्षित लोगों के जीवन में सुधार के लिए चिंतित सरकारों के समक्ष भ्रष्टाचार एक 'प्रमुख चुनौती' है। पीएम ने कहा, 'भारत में हम इस समय राष्ट्र निर्माण के एक महत्वपूर्ण दौर में हैं। हमारा उद्देश्य भारत को समृद्ध बनाना है। हम एक ऐसा भारत चाहते है जहां का हर किसान समर्थ हों, मजदूर संतुष्ट हों, महिलाएं अधिकार-संपन्न हो और युवा आत्म-निर्भर हों।'
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही ब्लैक मनी पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीएम ने व्यवस्था में पारदर्शिता को ज़रूरी बताया और कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर भ्रष्टाचार रोका जाना जरूरी है। |
इंडोनेशिया में भूकंप, जानमाल का नुकसान नहीं | इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में आज 5.6 तीव्रता का भूकंप आया, लेकिन इससे जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। स्थानीय भू-भौतिकी एजेंसी ने यह जानकारी दी। स्थानीय समयानुसार सुबह 11 बजकर करीब 19 मिनट पर बेंगकुलु शहर से 175 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में आए भूकंप का केंद्र 30 किमी की गहराई पर था। राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के अधिकारी बायु प्रनाता ने कहा, अब तक हमें भूकंप से जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है। |
न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज टॉम लाथम ने कहा - भारत बल्लेबाजी के लिए सबसे मुश्किल स्थान | न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज टॉम लाथम ने भारत को बल्लेबाजी के लिए सबसे मुश्किल स्थान मानते हुए गुरुवार को कहा कि उन्हें तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में हार से बचने के लिए परपंरा के अनुरूप बल्लेबाजी करना और अपनी गलतियों में जल्द से जल्द सुधार करना होगा.
लाथम ने कहा, "यहां पारी की शुरूआत करना बहुत मुश्किल है. वास्तव में कुछ नहीं बदला है. आपको वे सभी चीजें करने की जरूरत है जो वर्षों से चली आ रही हैं. हमें यहां की परिस्थितियों से जल्द से जल्द सामंजस्य बिठाना होगा." बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कल से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम पहले टेस्ट मैच में बहुत पिछड़ रहे थे. यदि हम बल्ले और गेंद से ऐसा करने में सफल रहते हैं तो हमारे पास अच्छा मौका होगा."
गेंदबाजी करते समय भी यह नियम लागू होता है ओर लाथम ने कहा कि वे जल्दी सफलताएं हासिल करना चाहेंगे.
उन्होंने कहा, "इस तरह के विकेटों पर शुरूआत करना सबसे मुश्किल काम है. यदि हम पहली 10-20 गेंदों पर नए बल्लेबाज को दबाव में ला देते हैं तो फिर हमारे पास अच्छा मौका रहेगा. हमें लंबे समय तक ऐसा करना होगा."
लाथम ने कहा कि गर्मी और उमस भरी परिस्थितियों के कारण क्रीज पर टिके रहना और मुश्किल काम हो गया है. उन्होंने कहा, "आप जितने लंबे समय तक बल्लेबाजी करोगे उतनी मुश्किल होगी. आपको खुद को पानी की कमी से बचाना होगा. पिछली बार हमारे 12वें खिलाड़ी ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई और वह हमेशा ड्रिंक्स पहुंचाता रहा."
न्यूजीलैंड ने कानपुर टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 318 रन पर आउट कर दिया था लेकिन बाद में वह 68 रन से पिछड़ गया. भारत ने इसका फायदा उठाकर पहला मैच 197 रन से जीता. लाथम ने कहा, "हमने पहले दो दिन अच्छा प्रदर्शन किया. तीसरे दिन शायद हमारा पलड़ा भारी थी लेकिन हमने मौका गंवा दिया. हम लंबे समय तक अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पाए और भारत ने इसका अच्छी तरह से फायदा उठाया."
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लाथम ने कहा, "यहां पारी की शुरूआत करना बहुत मुश्किल है. वास्तव में कुछ नहीं बदला है. आपको वे सभी चीजें करने की जरूरत है जो वर्षों से चली आ रही हैं. हमें यहां की परिस्थितियों से जल्द से जल्द सामंजस्य बिठाना होगा." बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कल से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम पहले टेस्ट मैच में बहुत पिछड़ रहे थे. यदि हम बल्ले और गेंद से ऐसा करने में सफल रहते हैं तो हमारे पास अच्छा मौका होगा."
गेंदबाजी करते समय भी यह नियम लागू होता है ओर लाथम ने कहा कि वे जल्दी सफलताएं हासिल करना चाहेंगे.
उन्होंने कहा, "इस तरह के विकेटों पर शुरूआत करना सबसे मुश्किल काम है. यदि हम पहली 10-20 गेंदों पर नए बल्लेबाज को दबाव में ला देते हैं तो फिर हमारे पास अच्छा मौका रहेगा. हमें लंबे समय तक ऐसा करना होगा."
लाथम ने कहा कि गर्मी और उमस भरी परिस्थितियों के कारण क्रीज पर टिके रहना और मुश्किल काम हो गया है. उन्होंने कहा, "आप जितने लंबे समय तक बल्लेबाजी करोगे उतनी मुश्किल होगी. आपको खुद को पानी की कमी से बचाना होगा. पिछली बार हमारे 12वें खिलाड़ी ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई और वह हमेशा ड्रिंक्स पहुंचाता रहा."
न्यूजीलैंड ने कानपुर टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 318 रन पर आउट कर दिया था लेकिन बाद में वह 68 रन से पिछड़ गया. भारत ने इसका फायदा उठाकर पहला मैच 197 रन से जीता. लाथम ने कहा, "हमने पहले दो दिन अच्छा प्रदर्शन किया. तीसरे दिन शायद हमारा पलड़ा भारी थी लेकिन हमने मौका गंवा दिया. हम लंबे समय तक अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पाए और भारत ने इसका अच्छी तरह से फायदा उठाया."
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गेंदबाजी करते समय भी यह नियम लागू होता है ओर लाथम ने कहा कि वे जल्दी सफलताएं हासिल करना चाहेंगे.
उन्होंने कहा, "इस तरह के विकेटों पर शुरूआत करना सबसे मुश्किल काम है. यदि हम पहली 10-20 गेंदों पर नए बल्लेबाज को दबाव में ला देते हैं तो फिर हमारे पास अच्छा मौका रहेगा. हमें लंबे समय तक ऐसा करना होगा."
लाथम ने कहा कि गर्मी और उमस भरी परिस्थितियों के कारण क्रीज पर टिके रहना और मुश्किल काम हो गया है. उन्होंने कहा, "आप जितने लंबे समय तक बल्लेबाजी करोगे उतनी मुश्किल होगी. आपको खुद को पानी की कमी से बचाना होगा. पिछली बार हमारे 12वें खिलाड़ी ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई और वह हमेशा ड्रिंक्स पहुंचाता रहा."
न्यूजीलैंड ने कानपुर टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 318 रन पर आउट कर दिया था लेकिन बाद में वह 68 रन से पिछड़ गया. भारत ने इसका फायदा उठाकर पहला मैच 197 रन से जीता. लाथम ने कहा, "हमने पहले दो दिन अच्छा प्रदर्शन किया. तीसरे दिन शायद हमारा पलड़ा भारी थी लेकिन हमने मौका गंवा दिया. हम लंबे समय तक अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पाए और भारत ने इसका अच्छी तरह से फायदा उठाया."
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लाथम ने कहा कि गर्मी और उमस भरी परिस्थितियों के कारण क्रीज पर टिके रहना और मुश्किल काम हो गया है. उन्होंने कहा, "आप जितने लंबे समय तक बल्लेबाजी करोगे उतनी मुश्किल होगी. आपको खुद को पानी की कमी से बचाना होगा. पिछली बार हमारे 12वें खिलाड़ी ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई और वह हमेशा ड्रिंक्स पहुंचाता रहा."
न्यूजीलैंड ने कानपुर टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 318 रन पर आउट कर दिया था लेकिन बाद में वह 68 रन से पिछड़ गया. भारत ने इसका फायदा उठाकर पहला मैच 197 रन से जीता. लाथम ने कहा, "हमने पहले दो दिन अच्छा प्रदर्शन किया. तीसरे दिन शायद हमारा पलड़ा भारी थी लेकिन हमने मौका गंवा दिया. हम लंबे समय तक अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पाए और भारत ने इसका अच्छी तरह से फायदा उठाया."
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यूजीलैंड ने कानपुर टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 318 रन पर आउट कर दिया था लेकिन बाद में वह 68 रन से पिछड़ गया. भारत ने इसका फायदा उठाकर पहला मैच 197 रन से जीता. लाथम ने कहा, "हमने पहले दो दिन अच्छा प्रदर्शन किया. तीसरे दिन शायद हमारा पलड़ा भारी थी लेकिन हमने मौका गंवा दिया. हम लंबे समय तक अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पाए और भारत ने इसका अच्छी तरह से फायदा उठाया."
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस सलामी बल्लेबाज को दोनों पारियों में रविचंद्रन अश्विन ने आउट किया. इस ऑफ स्पिनर ने मैच में दस विकेट लिए. लाथम ने कहा, "वह विश्वस्तरीय गेंदबाज है और पिछले मैच में उसने यह दिखाया. उसके पास नैसर्गिक विविधता है. उम्मीद है कि इस बार हम उसकी गेंदों को जल्दी समझने में कामयाब रहेंगे."
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मार्टिन गुप्टिल अभी फार्म में नहीं चल रहे हैं लेकिन लाथम ने अपने सीनियर जोड़ीदार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "वह मनमुताबिक रन नहीं बना पा रहे हैं. नेट्स पर हमने अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. पहली पारी में उन्होंने काफी अच्छी कोशिश की थी. हम सभी टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं."टिप्पणियां
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह निर्णय समीक्षा प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, इस पर लाथम ने कहा, "हम पहले स्वदेश में इसका उपयोग कर चुके हैं. यह अच्छी प्रणाली है. इससे गलत फैसलों से बचा जा सकता है. कई महत्वपूर्ण फैसले सही हो जाते हैं. निश्चित तौर पर स्वदेश में हम इसका लुत्फ उठाते हैं."(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) |
दीया मिर्जा पर लगा जुर्माना | अभिनेत्री दीया मिर्जा पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना किया गया। वह दो लाख रुपये कीमत की अघोषित वस्तुओं के साथ बैंकाक से आ रही थीं। दीया रात करीब दो बजे थाई एयरवेज की उड़ान के जरिए बैंकाक से यहां हवाई अड्डे पर उतरीं। एक वरिष्ठ सीमा शुल्क अधिकारी ने बताया कि जब दीया मिर्जा को रोका गया और सामान दिखाने को कहा गया, तो वह उस समय ग्रीन चैनल (उन यात्रियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है जिनके पास घोषित करने के लिए कर चुकाने योग्य कोई सामान नहीं होता) से गुजर रही थीं।टिप्पणियां
अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि उनके पास महंगे पर्स और कास्मेटिक्स जैसी दो लाख रुपये मूल्य की अघोषित वस्तुएं थीं। यह कर चोरी के बराबर है। उन्होंने बताया कि मिर्जा से एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना देने को कहा गया। राशि का भुगतान किए जाने के बाद उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी गई।
30 वर्षीय मॉडल एवं अदाकारा ने दावा किया कि उन्हें कर चुकाने योग्य सामान के बारे में सीमा शुल्क नियमों की जानकारी नहीं थी और उनका कर चोरी का इरादा नहीं था। पिछले साल बिपाशा बसु मिनीषा लांबा और कई अन्य फिल्म एवं टेलीविजन हस्तियां भी अघोषित वस्तुएं ले जाती पकड़ी गई थीं।
अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि उनके पास महंगे पर्स और कास्मेटिक्स जैसी दो लाख रुपये मूल्य की अघोषित वस्तुएं थीं। यह कर चोरी के बराबर है। उन्होंने बताया कि मिर्जा से एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना देने को कहा गया। राशि का भुगतान किए जाने के बाद उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी गई।
30 वर्षीय मॉडल एवं अदाकारा ने दावा किया कि उन्हें कर चुकाने योग्य सामान के बारे में सीमा शुल्क नियमों की जानकारी नहीं थी और उनका कर चोरी का इरादा नहीं था। पिछले साल बिपाशा बसु मिनीषा लांबा और कई अन्य फिल्म एवं टेलीविजन हस्तियां भी अघोषित वस्तुएं ले जाती पकड़ी गई थीं।
30 वर्षीय मॉडल एवं अदाकारा ने दावा किया कि उन्हें कर चुकाने योग्य सामान के बारे में सीमा शुल्क नियमों की जानकारी नहीं थी और उनका कर चोरी का इरादा नहीं था। पिछले साल बिपाशा बसु मिनीषा लांबा और कई अन्य फिल्म एवं टेलीविजन हस्तियां भी अघोषित वस्तुएं ले जाती पकड़ी गई थीं। |
पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को दी बधाई, कहा- आपके साथ काम करने को लेकर आशावान | डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 45 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है. माना जा रहा है कि ट्रंप की पारी के साथ भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा. भारत सरकार इसको लेकर आशावान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी.
Congratulations @realDonaldTrump on assuming office as US President. Best wishes in leading USA to greater achievements in the coming years.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2017
मोदी ने कहा कि वे द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को लेकर आशावान हैं.
Strength of the India-USA strategic partnership lies in our shared values and common interests.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2017टिप्पणियां
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के तत्काल बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालने पर आपको बधाई. आपको शुभकामनाएं कि आप आने वाले वर्षों में अमेरिका को पहले से बड़ी उपलब्धियों की ओर ले जाएं.’’
Looking forward to working with President @realDonaldTrump to further deepen India-US ties & realise the full potential of our cooperation.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2017 googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); });
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को आशावान हूं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे साझा मूल्यों और साझा हितों में निहित है.
Congratulations @realDonaldTrump on assuming office as US President. Best wishes in leading USA to greater achievements in the coming years.
मोदी ने कहा कि वे द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को लेकर आशावान हैं.
Strength of the India-USA strategic partnership lies in our shared values and common interests.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2017टिप्पणियां
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के तत्काल बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालने पर आपको बधाई. आपको शुभकामनाएं कि आप आने वाले वर्षों में अमेरिका को पहले से बड़ी उपलब्धियों की ओर ले जाएं.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को आशावान हूं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे साझा मूल्यों और साझा हितों में निहित है.
Strength of the India-USA strategic partnership lies in our shared values and common interests.
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के तत्काल बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालने पर आपको बधाई. आपको शुभकामनाएं कि आप आने वाले वर्षों में अमेरिका को पहले से बड़ी उपलब्धियों की ओर ले जाएं.’’
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— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2017 googletag.cmd.push(function() { googletag.display('adslotNativeVideo'); });
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को आशावान हूं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे साझा मूल्यों और साझा हितों में निहित है.
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उन्होंने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और सहयोग की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को आशावान हूं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी हमारे साझा मूल्यों और साझा हितों में निहित है. |
बाल सुधार गृहों की हालत पर हाईकोर्ट नाराज | दिल्ली के सरकारी बाल सुधार गृहों में जो हालात हैं वो किसी इमरजेंसी जैसे ही हैं। इन पर काबू पाने के लिए फौरन कदम उठाने की जरूरत है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग को कड़ी फटकार लगाई और 24 घंटे के भीतर रणनीति बनाने के आदेश दिए।
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को भी इसके लिए डीसीपी स्तर के अफसर की तैनाती के निर्देश दिए हैं। बाल-सुधार गृहों में हो रही हिंसा और नाबालिगों के फरार होने की घटनाओं पर संज्ञान लेने के मामले में हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की।
चीफ जस्टिस एनवी रमन और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने पिछले चार महीनों में हिंसा की चार घटनाओं पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि इस दौरान 60 नाबालिग भी सुधारगृहों से फरार हुए। दो दिन पहले भी हिंसा की घटना हुई।
ऐसे में साफ है कि यह सरकारी तंत्र की विफलता है। हाईकोर्ट इस मामले में एक सरकारी अफसर और एक पुलिस अधिकारी पर जवाबदेही तय करेगा।
हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि सुधारगृहों में कई नाबालिग ऐसे हैं जो इस तरह की हिंसा करते हैं और वह सरकारी कर्मचारियों को भी निशाना बना लेते हैं। यहां तक कि सुधार गृहों में ड्रग्स भी पहुंच जाती है।
हिंसा के दौरान नाबालिगों को देखते हुए दिल्ली पुलिस भी भीतर जाने से मना कर देती है, जबकि सुधारगृहों की निगरानी के लिए ज्वुलाइन जस्टिस बोर्ड कमेटी और कई संगठन भी काम कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने इस मुददे पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को 24 घंटे के भीतर रणनीति बनानी चाहिए। इसके लिए स्टेंडर्ड ऑपरेटिव प्रॉसिजर तय करना चाहिए। इसके अलावा दिल्ली पुलिस में भी डीसीपी स्तर के एक अधिकारी को लॉ एंड आर्डर के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए।
साथ ही इन सुधार गृहों में सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात हों। |