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इस प्रक्रिया ने स्‍वर संबंधी अलग-अलग पद्धतियां दी जिनके भीतर रहते हुए उन दिनों के सभी ज्ञात लय को समूहबद्ध किया जा सकता है या फिर इनका विकास किया जा सकता है ।
The process gave different tonal orders within which could be grouped or from which could be evolved, all known classical melodies of those days.
यह स्थिति कई शताब्दियों तक बनी रही ।
This condition remained for many centuries.
लगभग तेरहवीं शताब्‍दी ईसवी सन् में शारंगदेव जिनके पूर्वज कश्‍मीर से थे- दक्षिण भारत में बस गए और अपने अतयन्‍त महत्‍त्‍वपूर्ण संगीत रत्‍नाकर की रचना की ।
In approximately the 13th century A.D. Sarangadeva - whose forefathers hailed from Kashmir - settled in South India and wrote his monumental Sangeeta Ratankara.
इन्‍होंने मूर्छना और ग्राम जैसे तकनीकी शब्‍दों का वर्णन भी किया ।
He also described technical terms such as gramas and moorcchanas.
मानक सरगमें अब भी वही थीं ।
The standard scales were still the same.
जबकि भरत दो सहायक स्‍वरों का उल्‍लेख करते हैं, मध्‍यकालीन युग में इनकी संख्‍या तथा परिभाषा बहुत भिन्‍न थी ।
Whereas Bharata mentions two auxiliary svaras, the number and definition of these were very different in medieval times.
प्राय: रूपात्‍मक संगीत कहलाने वाली समूची योजना अब हमें काफी अपरिचित प्रतीत होती है.
The whole scheme, what is often called the modal music, seems so strange to us now.
लेकिन इस तथ्‍य पर कदापि संदेह नहीं किया जा सकता कि यह अत्‍यधिक उन्‍नत और वैज्ञानिक थी ।
But there is no doubting the fact that it was a very highly advanced and a scientific one.
लगभग ग्‍यारहवीं शताब्‍दी से, मध्‍य और पश्चिम एशिया के संगीत ने हमारी संगीत की परम्‍परा को प्रभावित करना प्रारम्‍भ कर दिया था ।
From about the 11th century, music from Central and West Asia began to influence our music tradition.
धीरे-धीरे इस प्रभाव की जड़ गहरी होती चली गई और कई परिवर्तन हुए ।
Gradually this influence took a deeper root and many changes took place.
इनमें से एक महत्‍त्‍वपूर्ण परिवर्तन था- ग्राम और मूर्छना का लुप्‍त होना ।
Of these, an important one is the disappearance of gramas and moorcchanas.
लगभग पन्‍द्रहवीं शताब्‍दी के आसपास, परिवर्तन की यह प्रक्रिया सुस्‍पष्‍ट हो गयी थी, ग्राम पद्धति अप्रचलित हो गई थी ।
Sometime around about the 15th century, this process of change became manifest, the grama system became obsolete.
मेल या थाट की संकल्‍पना ने इसका स्‍थान से लिया था ।
The concept of mela or thata takes its place.
इसमें मात्र एक मानक सरगम है ।
In this there is only one standard scale.
सभी ज्ञात स्‍वर एक सामान्‍य स्‍वर ‘सा’ तक जाते हैं ।
All known notes are referred to a common note Sa.
लगभग अठारहवीं शताब्‍दी तक, यहां तक कि हिन्‍दुस्‍तानी संगीत के मानक या शुद्ध स्‍वर भिन्‍न हो गए थे ।
By about the 18th century even the standard or shuddha svara in Hindustani music becomes different.
अठारहवीं शताब्‍दी से स्‍वीकृत, वर्तमान स्‍वर है :
The following is the current one, accepted from the 18th century:
सा रे ग म प ध नि
Sa re ga ma pa dha ni
यह आधुनिक राग बिलावल का मेल आरोह है ।
This is the mela aaroh of the modern raga Bilaval.
इन सात शुद्ध स्‍वरों या स्‍वरों के अतिरिक्‍त, पांच रूप भेद हैं जिसमें कुल सभी बारह स्‍वर मिल कर सप्‍तक बनाते हैं ।
Besides these seven shuddha notes or svaras there are five variants, making in all twelve notes to a saptak.
सा रे रे ग ग म म प ध ध नि नि
Sa re re ga ga ma ma pa dha dha ni ni
नि:संदेह, बेहतर रूपभेद है: ये श्रुतियां हैं ।
There are, of course, finer variations: these are the shrutis.
अत: इन्‍हें स्‍वर के बजाए 12 स्‍वर संबंधी क्षेत्र कहना बेहतर होगा ।
It is better, therefore, to call these 12 tonal regions rather than notes.
सभी ज्ञात राग इस बारह स्‍वरों की सरगम में समूहबद्ध हैं ।
All known ragas are grouped within this twelve tone scale.
सत्‍तरहवीं शताब्‍दी के एक कर्नाटक संगीत विज्ञानी वेंकटमुखी ने इन बारह स्‍वरों से तैयार किए गए 72 मेलों की एक पद्धति बनाई ।
Indeed, it was a Carnatic musicologist - Venkatmukhi of the 17th century, who gave a system of 72 melas formed out of these twelve tones.
बाद में, बीसवीं शताब्‍दी में पंडित भातखण्‍डे ने हिन्‍दुस्‍तानी रागों का वर्गीकरण करने के लिए 72 में से 10 को चुना ।
Later on, in the 20th century, Pt. Bhatkhande, chose 10 out of the 72 to classify Hindustani ragas.
अभी तक हमने (स्‍वरग्राम) सरगमों की चर्चा की है: ग्राम, मूर्छना और मेल ।
So far we have been speaking of scales: the grama, moorcchana and mela.
यह स्‍पष्‍ट ही है कि इन संकल्‍पनाओं का विकास रागों के जन्‍म के पश्‍चात हुआ था ।
These are obviously concepts developed after melodies were born.
कोई भी लोक गायक एक ग्राम या एक मेल के बारे में नहीं सोचता ।
No folk singer thinks of a grama or a mela.
जनजातीय और लोक गीत पहले के और बिना किसी सचेत व्‍याकरण के आज भी विद्यमान हैं ।
The tribal and folk songs existed and still exist without a conscious grammar.
संगीत विज्ञानी ने बाद में रागों का सरगम या स्‍वरग्राम में वर्गीकरण किया था ।
It is the musicologist who later classifies melodies or ragas into scales.
अब हम अपना ध्‍यान रागात्‍मक संरचनाओं पर देंगे ।
We shall now turn our attention to the melodic structures.
प्रथम संहिताबद्ध राग के लिए हमें पुन: वेदों का सहारा लेना होगा ।
Again it is to the Vedas that we must turn for the first codified melody.
भरत के नाट्य शास्‍त्र में जाति नामक रागात्‍मक रूपों का वर्णन मिलता है ।
In the Natya Shastra of Bharata are found descriptions of melodic forms called jati.
हमें यह जानकारी नहीं है कि इन्‍हें किस प्रकार से गाया या बजाया जाता था ।
How they were sung or played, we have no idea.
लेकिन नाट्यशास्‍त्र और उत्‍तरवर्ती टीकाओं से कुछ मुख्‍य बिन्‍दु लिए जा सकते हैं ।
But some salient points can be called from Natya Shastra and later commentaries.
इन जातियों में से प्रत्‍येक को किसी में मूर्छना या अन्‍य में डाला जा सकता है ।
Every one of these jatis could be put in some moorcchana or the other.
ग्रह (प्रारम्भिक स्‍वर) न्‍यास (वह स्‍वर जिस पर एक वाक्‍यांश रुकता है), स्‍वरों के राग-निम्‍न तारत्‍व से उच्‍च तारत्‍व जैसी विशेषताएं इन्‍हें विशिष्‍ट बनाती हैं ।
They were distinguished by characteristics like the graha (starting note) nyasa (note on which a phrase stops), the range of notes - from low pitch to high - and so on.
कई विद्वानों की राय यह है कि राग की संकल्‍पना, जो हमारे संगीत के लिए मूलभूत है, का जन्‍म और विकास जाति से हुआ था ।
Many scholars are of the opinion that the concept of raga which is so basic to our music, was born and developed out of jati.
राग के बारे में मतंग का वृहद्देशी नामक एक प्रमुख ग्रंथ है ।
The major work dealing with the raga is the Brihaddesi of Matanga.
यह ग्रंथ लगभग छठी शताब्‍दी ईसवीं सन् का है ।
The work is dated around the 6th century, A.D.
इस समय तक एक रागात्‍मक योजना के रूप में राग का विचार सुस्‍पष्‍ट और सुपरिभाषित हो गया था ।
By this time, the idea of the raga as a melodic scheme had become clear and well defined.
मतंग भारत के दक्षिणी क्षेत्र, सटीक रूप से कर्नाटक से थे ।
Matanga was from the southern areas of India, to be specific he was from Carnatic.
इससे यह पता चलता है कि इस युग तक भारतीय संगीत का व्‍याकरण समूचे देश में लगभग एक ही था ।
This shows that up to this era, at least, the grammar of Indian music was more or less one throughout the country.
दूसरे, उन्‍होंने देशी संगीत के बारे में लिखा है ।
Secondly, what he deals with is desi music.
इसीलिए उन्‍होंने अपने ग्रंथ का नाम वृहद्देशी रखा था.
That is why he had titled the work Brihaddesi.
मेडिइवॅल इंडियन लिटरेचर (4 खंडों में)
Medieval Indian Literature (in 4 volumes)
यह परियोजना प्रधान संपादक प्रो. के. अय्यप्प पणिक्कर की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
1100-1800 AD Four volumes of Medieval Indian Literature related to Tak have been published.
दूसरे खंड में गुजराती, हिन्दी, कश्मीरी तथा कोंकणी, भाषाओं से संचयन हैं।
The second section contains collections from Gujarati, Hindi, Kashmiri and Konkani languages.
तीसरे खंड में मैथिली, मलयाळम्, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओ़डिया तथा पंजाबी भाषाओं से संचयन हैं।
The third section contains collections from Maithili, Malayalam, Manipuri, Marathi, Nepali, Oriya and Punjabi languages.
चौथे खंड में राजस्थानी, संस्कृत, सिन्धी, तमिऴ, तेलुगु और उर्दू भाषाओं से संचयन संकलित हैं।
In the fourth section, collections are compiled from Rajasthani, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu and Urdu languages.
प्राचीन भारतीय साहित्य
Ancient Indian Literature
तीन खंड प्रकाशित करने का प्रस्ताव
Proposed to publish three volumes
1100 ई. तक के प्रारंभिक काल को समाहित करता है
Covers the early period upto A.D. 1100
लगभग ७०० पृष्ठों वाले प्रत्येक खंड में लगभग ३००० वर्ष की अवधि शामिल होगी
Each volume consisting of around 700 pages would cover a period of around 3000 years
वैदिक, शास्त्रीय संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तमिल और कन्नड़ साहित्य के ऐतिहासिक सर्वेक्षण
Historical surveys of Vedic, Classical Sanskrit, Pali, Prakrit, Apabhramsa, Tamil and Kannada literatures
मुख्य संपादक प्रारंभ में, एच.पी. मल्लेदेवरु; उनके निधन के बाद एच.एम. नायक ने संक्षिप्त अवधि के लिए मुख्य संपादक का पद संभाला; वर्तमान में टी.आर.एस. शर्मा
Chief Editor initially, H.P. Malledevaru; after his demise H.M. Nayak held the Chief Editorship for a brief period; presently, T.R.S. Sharma
प्रकाशन इस साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है
Publication likely to be completed by end of this year
भारतीय साहित्य का विश्वकोश
Encyclopaedia of Indian Literature
साहित्य अकादमी का एक प्रमुख उपक्रम
A major venture of Sahitya Akademi
भारत की बीस डब्ल्यू ओ भाषाओं को शामिल करता है
Covers twenty wo languages of India
अपनी तरह का पहला
The first of its kind
भारतीय साहित्य की वृद्धि और विकास का एक व्यापक विचार देता है
Gives a comprehensive idea of the growth and development of Indian literature
संबंधित सलाहकार बोर्डों द्वारा सारणीबद्ध लेखकों, पुस्तकों और सामान्य विषयों पर प्रविष्टियाँ और एक संचालन समिति द्वारा अंतिम रूप दिया गया
Entries on authors, books and general topics tabulated by the concerned Advisory Boards and finalised by a Steering Committee
देश भर के सैकड़ों लेखकों का विभिन्न विषयों पर योगदान
Contributions on various topics from hundreds of writers across the country
छह वॉल्यूम सेट
Six volume set
प्रत्येक खंड लगभग एक हजार पृष्ठों में चलता है
Each volume runs into approximately a thousand pages
वर्तमान में, विश्वकोश के संशोधित संस्करण पर काम प्रोफेसर अयप्पा पनिकर के संपादकीय मार्गदर्शन में किया गया है।
Presently, the work on the Revised Edition of the Encyclopaedia has been taken up under the editorial guidance of Prof. Ayyappa Paniker.
भारतीय साहित्य का इतिहास
Histrory of Indian Literature
साहित्य अकादेमी ने बहु-खंडों में 'भारतीय साहित्य का इतिहास' तैयार करने के लिए एक परियोजना शुरू की है जिसका उद्देश्य सामाजिक-राजनीतिक कारकों को समझना है जो हर उम्र और हर समाज के लिए साहित्यिक सिद्धांतों का निर्माण करते हैं, और इस प्रकार हमारे प्रत्येक की विशिष्टता की पहचान और 'क्षेत्रीय' साहित्य और उनके अंतर्संबंध करते हैं। '
Sahitya Akademi has launched a project for the preparation of a 'History of Indian Literature' in multi-volumes meant to understand the socio-political factors that create literary canons for every age and every society, and thus to identify the uniqueness of each of our 'regional' literature and their interconnections.
इस परियोजना में ऋग्वैदिक काल से लेकर आज तक की भारतीय साहित्यिक गतिविधियों पर प्रकाश डालने का प्रस्ताव है।
The project proposes to throw light on Indian literary activity since the Rig Vedic days to the present day.
प्रोफेसर शिशिर कुमार दास के नेतृत्व में विद्वानों की एक टीम द्वारा संकलित 1800-1910 ईस्वी और 1911-1956 ईस्वी की अवधि को कवर करने वाले दो भाग प्रकाशित किए गए हैं।
Two parts covering the period 1800-1910 A.D. and 1911-1956 A.D., compiled by a team of scholars headed by Prof. Sisir Kumar Das have been published.
यह तुलनात्मक साहित्य के अध्ययन के तहत शुरू की गई एक योजना है।
This is a scheme introduced under the study of Comparative Literature.
नवीनतम रिलीज़
LATEST RELEASES
भारतीय लेखकों में से कौन कौन है
Whos's who of Indian Writers
अंत-शताब्दी संस्करण (दो खंडों में)
End-Century Edition (In Two Volumes)
हूज़ हू ऑफ़ इंडियन राइटर्स का यह अंत-शताब्दी संस्करण, साहित्यिक इतिहास के लेखकों, प्रकाशकों, पाठकों और छात्रों के लिए संदर्भ का एक अमूल्य काम है।
This end-century edition of the Who's Who of Indian Writers, is an invaluable work of reference for writers, publishers, readers and students of literary history.
इस दो खंड संस्करण में प्रतिष्ठित और कम ज्ञात लेखकों की जीवनी और ग्रंथ सूची के विवरण के साथ 22 भाषाओं से 8000 से अधिक प्रविष्टियां एक विशाल बहुभाषी राष्ट्र के साहित्यिक परिदृश्य का एक प्रामाणिक, व्यापक सर्वेक्षण प्रदान करती हैं।
Over 8000 entries from 22 languages with biographical and bibliographical details of distinguished and less known writers in this two volume edition provide an authentic, comprehensive survey of the literary landscape of a vast multilingual nation.
१९५४ में अपनी स्थापना के तुरंत बाद साहित्य अकादेमी द्वारा शुरू की गई प्रमुख परियोजनाओं में से एक, भारतीय लेखकों के एक व्यापक हूज़ हू का संकलन एक ही स्थान पर साहित्य के क्षेत्र में लेखकों के बारे में सभी मान्यता प्राप्त लेखकों के बारे में जीवनी और ग्रंथ सूची संबंधी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भारतीय भाषाओं, अंग्रेजी भाषा समेत था।
One of the major projects undertaken by the Sahitya Akademi soon after its inception in 1954, the compilation of a comprehensive Who's Who of Indian Writers was meant to furnish in one place both biographical and bibliographical information about writers in the field of literature in all the recognised Indian languages, including English.
इस संदर्भ कार्य का पहला संस्करण 1961 में प्रकाशित हुआ है, उसके बाद 1983 में एक पूरक खंड (1990) के साथ प्रकाशित हुआ है।
The first edition of this reference work has published in 1961, followed by subsequent edition published in 1983 with a supplementary volume (1990).
उपयोग में आसानी के लिए, प्रविष्टियों को वर्णानुक्रम में उपनाम या स्वयं लेखकों द्वारा पसंद किए गए नाम के हिस्से में व्यवस्थित किया जाता है।
For ease of use, the entries are arranged alphabetically by surname or part of the name preferred by the writers themselves.
लेखकों के स्थान और पहचान की सुविधा के लिए बड़ी संख्या में क्रॉस-रेफरेंस प्रदान किए जाते हैं।
A large number of cross- references are provided to facilitate the location and identification of the writers.
आधुनिक भारतीय नाटक
Modern Indian Drama
साहित्य अकादमी की ओर से एक विशेष सहस्त्राब्दी प्रकाशन
A Special Millennial Publication from the Sahitya Akademi
सी.पी. देशपांडे द्वारा संपादित।
Edited by C.P. Deshpande.
यह आधुनिक भारतीय नाटक का पहला व्यापक संकलन है।
This is the first comprehensive anthology of modern Indian drama.
विभिन्न भारतीय भाषाओं के 15 आधुनिक नाटक यहां एक साथ लाए गए हैं जो समकालीन भारतीय नाटककारों की विषयगत और औपचारिक सीमा और सरोकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
15 modern plays in different Indian languages brought together here represent the thematic and formal range and concerns of contemporary Indian playwrights.
नाटकों में श्रीरंगा द्वारा जनमेजय, विजय तेंदुलकर द्वारा गिद्ध, मोहन राकेश द्वारा आषाढ़ में एक दिन, बादल सरकार द्वारा इवम इंद्रजीत, गिरीश कर्नाड द्वारा हयावदाना, केएन पणिक्कर द्वारा द लोन टस्कर, चंद्रशेखर कंबर द्वारा सिरी संपिगे, सूर्यास्त से लेकर सुरेंद्र वर्मा द्वारा सूर्योदय, इंदिरा पार्थसारथी द्वारा औरंगजेब, सतीश अलेकर द्वारा महापुर, मारीच, अरुण मुखर्जी द्वारा द लीजेंड, उत्पल दत्त द्वारा हंटिंग द सन, दत्ता भगत द्वारा व्हर्लपूल, महाश्वेता देवी द्वारा 1084 की माँ और गोविंद पुरुषोत्तम देशपांडे द्वारा सड़कें।
The plays are Listen, Janamejaya by Sriranga, The Vultures by Vijay Tendulkar, One Day in Ashadha by Mohan Rakesh, Evam Indrajit by Badal Sircar, Hayavadana by Girish Karnad, The Lone Tusker by K. N. Panikkar, Siri Sampige by Chandrasekhar Kambar, From Sunset to Sunrise by Surendra Verma, Aurangzeb by Indira Parthasarathi, Mahapoor by Satish Alekar, Mareech, The Legend by Arun Mukherjee, Hunting the Sun by Utpal Dutt, Whirlpool by Datta Bhagat, Mother of 1084 by Mahasweta Devi and Roads by Govind Purushottam Deshpande.
पुस्तक का सामान्य परिचय सी.पी. देशपांडे, खुद एक प्रसिद्ध मराठी नाटककार और सिद्धांतकार और चार वर्गों के लिए विशेष परिचय, प्रत्येक में कुछ विशिष्ट विशेषताओं के साथ नाटक होते हैं।
The book has a general introduction by C.P. Deshpande, himself a well-known Marathi playwright and theorist and special introductions to the four sections, each carrying plays with certain specific features.
मध्यकालीन भारतीय साहित्य खंड IV
Medieval Indian Literature Volume IV
के. अयप्पा पनिकर (सं.)
K. Ayyappa Paniker (ed.)
मध्यकालीन भारतीय साहित्य के इस चौथे और अंतिम खंड में अत्यधिक पठनीय अंग्रेजी अनुवादों में राजस्थानी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू के चयन हैं।
This fourth and final volume of Medieval Indian Literature carries selections from Rajasthani, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu and Urdu in highly readable English translations.
मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य अपने लोकगीतों और लोककथाओं के साथ और मीराबाई और अन्य लोगों की आत्मा-उत्तेजक भक्ति कविता, जालहाना, बिल्हाना और कल्हण के कार्यों के साथ संस्कृत और बाद में स्तोत्र कविता (भजन) और महाकाव्य कहानियों की रीटेलिंग, सिंधी अपने समृद्ध सूफी के साथ शाह अब्दुल लतीफ, अब्दुल करीम, दलपत और अन्य के लेखन और तमिल अपनी अनूठी वैष्णव और शैव कविता के साथ, तेलुगु अपने दिग्गजों जैसे नन्नया, तुक्काना, अनामाचार्य और त्यागराजू और उर्दू के साथ अमीर खुसरू, मीर, गुलाम हसन और अन्य के महान योगदान के साथ। भारत में मध्यकालीन साहित्य की दूरदर्शी आदर्शवाद, दार्शनिक शक्ति और काव्य श्रेणी को एक साथ प्रकट करते हैं।
Medieval Rajasthani literature with its folksongs and folktales and the soul-stirring devotional poetry of Mirabai and others, Sanskrit with the works of Jalhana, Bilhana and Kalhana and the later stotra poetry (hymns) and retellings of the epic tales, Sindhi with its rich Sufi writings of Shah Abdul Latif, Abdul Karim, Dalpat and others and Tamil with its unique Vaishnava and Shaiva poetry, Telugu with its stalwarts like Nannaya, Tukkana, Anamacharya and Tyagaraju and Urdu with the great contributions of Amir Khusru, Mir, Ghulam Hasan and others together reveal the visionary idealism, philosophical strength and the poetic range of the Medieval literature in India.
खंड I, II और III भी उपलब्ध हैं
Volumes I, II and III also available
पत्थर की बाहों में भी एक बच्चा
A Child Even In Arms of Stone
सीताकांत महापात्र द्वारा संकलित
Compiled by Sitakant Mahapatra
यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों के कवियों द्वारा बचपन पर कविताओं का एक अनूठा संग्रह है।
This is a unique collection of poems on childhood by poets from different parts of the world.
कवियों में डेनिस ब्रूटस, पो-चू-आई, नाजिम हिकमेट, डीएच लॉरेंस, सु तुंग-पीओ, वॉल्ट व्हिटमैन, डब्ल्यूबी येट्स, विलियम वर्ड्सवर्थ, इजेट साराजलिक, रिल्के, विल्फ्रेड ओवेन, ली-पो, सिल्विया प्लाथ, लोर्का और नेरुदा के अलावा कबीर, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभाष मुखोपाध्याय, शक्ति चट्टोपाध्याय, नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती, बलराज कोमल, एके रामानुजन, जयंत महापात्र और भारत के आदिवासी कविताओं का एक समूह जैसे प्रमुख भारतीय कवियों शामिल हैं।
The poets include Dennis Brutus, Po-Chu-I, Nazim Hikmet, D. H. Lawrence, Su Tung-P'O, Walt Whitman, W. B. Yeats, William Wordsworth, Izet Sarajlic, Rilke, Wilfred Owen, Li-Po, Sylvia Plath, Lorca and Neruda besides major Indian poets like Kabir, Rabindranath Tagore, Subhas Mukhopadhyayay, Sakti Chattopadhyaya, Nirendranath Chakravarti, Balraj Komal, A. K. Ramanujan, Jayanta Mahapatra and a bunch of tribal poems from India.
बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए भी एक दुर्लभ इलाज।
A rare treat for children as well as adults.
एक मुट्ठी सूरज और अन्य कविताएँ
A Handful of Sun and Others Poems