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तहँहुँ सती संकरहि बिबाहीं । कथा प्रसिद्ध सकल जग माहीं ॥3॥ भावार्थःपहले ये दक्ष के घर जाकर जन्मी थीं, तब इनका सती नाम था, बहुत सुंदर शरीर पाया था। वहाँ भी सती शंकरजी से ही ब्याही गई थीं। यह कथा सारे जगत में प्रसिद्ध है ॥ 3 ॥
एक बार आवत सिव संगा। देखेउ रघुकुल कमल पतंगा॥
भयउ मोहु सिव कहा न कीन्हा । भ्रम बस बेषु सीय कर लीन्हा ॥ 4 ॥ भावार्थः-एक बार इन्होंने शिवजी के साथ आते हुए (राह में) रघुकुल रूपी कमल के सूर्य श्री रामचन्द्रजी को देखा, तब इन्हें मोह हो गया और इन्होंने शिवजी का कहना न मानकर भ्रमवश सीताजी का वेष धारण कर लिया॥4॥
छन्द : * सिय बेषु सतीं जो कीन्ह तेहिं अपराध संकर परिहरीं । हर बिरहँ जाइ बहोरि पितु कें जग्य जोगानल जरीं ॥ अब जनमि तुम्हरे भवन निज पति लागि दारुन तपु किया । अस जानि संसय तजहु गिरिजा सर्बदा संकरप्रिया ॥ भावार्थः-सतीजी ने जो सीता का वेष धारण किया, उसी अपराध के कारण शंकरजी ने उनको त्याग दिया। फिर शिवजी के वियोग में ये अपने पिता के यज्ञ में जाकर वहीं योगाग्नि से भस्म हो गईं। अब इन्होंने तुम्हारे घर जन्म लेकर अपने पति के लिए कठिन तप किया है ऐसानई दिल्लीः बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) अमेरिकी पॉप गायक निक जोनस के साथ शादी रचाने जा रही हैं। प्रियंका की शादी की डेट्स अब तक सामने नहीं आई हैं, लेकिन तैयारियां जोरों पर हैं। हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने परिवार और दोस्तों के साथ न्यूयॉर्क में ब्राइडल शावर एन्जॉय किया। मौके पर आइवरी मारचेसा की सफेद गाउन ड्रेस में प्रियंका बेहद खूबसूरत दिख रही थीं। वह सिल्वर रंग के बैलून्स के बगल में खड़ी दिखाई दीं, जिस पर लिखा था, 'ब्राइड' (दुल्हन)। प्रियंका ने व्हाइट स्ट्रेपलेस मारचेसा ड्रेस पहनी थी। उनका ये ड्रेस काफी सिंपल और खूबसूरत था। लेकिन अगर आप प्रियंका के आउटफिट की कीमत के बारे में जानेंगे तो चौंक जाएंगे।
पार्टी मुबिना रेटोन्सी और अंजुला अचारिया ने रखा था, जिसमें केली रिपा, लुपिता न्योनगो और प्रियंका की होने वाली भाभी डेनियल जोनस अपनी बेटी के साथ शामिल हुईं। (कंगना रनौत ने एयरपोर्ट लुक पर खर्च कर दिए लाखों रुपए, इतने में आ जाती शानदार कार )
प्रियंका चोपड़ा ने व्हाइट गाउन के साथ डायमंड ज्वैरी पहनी हुई थी। इसके साथ ही लुई वितो (Louis Vuitton) ब्रांड की सैंडल और जीमीचू(Jimmychoo) ब्रांड का कल्च लिया हुआ था।
अब बात करें ड्रेस की तो यह Marchesa ब्रांड के Spring/Summer 2018 कलेक्शन में से है। जिसकी कीमत 5995 डॉलर यानि 4,39,583 रुपए बताई जा रही है। आपको भी इस कीमत को सुनकर झटका लगा होगा, लेकिन अब आप जरा उनकी सैंडल की कीमत भी जान लीजिए। (दोस्तों के साथ प्री वेडिंग पार्टी करती नजर आईं प्रियंका चोपड़ा, व्हाइट गाउन पहनकर लग रहीं थीं परी )
खूबसूरत सी सैंडल की कीमत 725 डॉलर यानि 53,160 रुपए है।
वहीं छोटे से क्लच की कीमत की बात करें तो वह $995 यानी की करीब 73 हजार रुपए की है।
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट को दुनिया के सबसे बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। विकेट के पीछे गिलक्रिस्ट की चीते समान फूर्ति और मुश्किल कैच को भी लपकने का उनका साहस देखते ही बनता था। इसके साथ ही लिमिटेड ओवरों के खेल में उनकी पहचान एक खरतनाक विस्फोटक ओपनर बल्लेबाज की भी थी।
गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलियाई टीम को बल्लेबाजी के दौरान हमेशा ही एक ताबड़तोड़ शुरुआत दिलाते थे। उन्होंने अपने करियर में सबसे यादगार और बेहतरीन पारियों में से एक साल 2007 विश्व कप के फाइनल मुकाबले में खेली थी। श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप फाइनल में गिलक्रिस्ट ने 104 गेंदों में 149 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। गिलक्रिस्ट के करियर का यह सबसे बेहतरीन पारियों में से एक माना जाता है।
एडम गिलक्रिस्ट 96 टेस्ट और 287 वनडे मैच में ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व किया है। टेस्ट में उन्होंने 47. 6 की औसत से 5,570 रन बनाए जबकि वनडे में गिलक्रिस्ट ने 35. 9 की औसत से कुल 9,619 रन बनाए हैं।
इसके अलावा गिलक्रिस्ट के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड भी है जिसकी हमेशा चर्चा होती है। दरअसल गिलक्रिस्ट में अपने करियर में सिर्फ विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी के लिए जानें गए हैं लेकिन उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग में गेंदबाजी भी की है और उन्होंने विकेट भी चटकाए हैं।
यह वाक्या साल 2013 के आईपीएल में मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच हुए मैच की है। पंजाब की टीम इस साल लीग से लगभग बाहर हो चुकी थी और वह सिर्फ अपने बचे हुए औपचारिक मैच खेल रही थी।
मुंबई के खिलाफ मुकाबले में पंजाब की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था और टीम जीत की दहलीज पर खड़ी थी। मुंबई की टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 51 रन चाहिए थे जो कि असंभव था। ऐसे में उस समय पंजाब की ओर से खेलने वाले गिलक्रिस्ट ने आखिरी ओवर करने की इच्छा जाहिर की और उन्हें गेंद थमाया गया।
गिलक्रिस्ट का यह आखिरी आईपीएल भी था। वहीं मुंबई के लिए हरभजन सिंह बल्लेबाजी के लिए क्रिज पर मौजूद थे। गिलक्रिस्ट ने शौकिया तौर पर गेंदबाजी में हाथ जमाने की कोशिश लेकिन उन्हें पहली ही गेंद पर हरभजन का विकेट मिल गया।
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इसी घटना को हरभजन सिंह ने गौरव कपूर के साथ एक इंटरव्यू में याद कर कहा कि यह मेरे लिए काफ हैरान करने वाला था।
उन्होंने कहा, "उस मैच में एडम गिलक्रिस्ट मेरे खिलाफ गेंदबाजी करने आए थे। मैंने सोच कि इनके ओवर में कुछ रन बना कर हार के अंतर को कम किया जा सकता है। मेरे दिमाग में था कि मैं पहली ही गेंद पर 6 रन मारने की कोशिश करूंगा। मैंने फील्ड देखी और अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया। गिलक्रिस्ट ने पहली गेंद फेंकी और मैं फाइनल लेग पर लपका गया। मेरे लिए यह काफी शर्मिंदगी भरा पल था। "
हरभजन ने कहा, "मैं उस खिलाड़ी की गेंद पर आउट हुआ जिसने नेट्स में भी कभी गेंदबाजी नहीं की थी लेकिन मेरी वजह से वह खुश हुआ। मैंने भी टेस्ट क्रिकेट में उसे कई बार आउट किया है, तो उस समय मैंने सोचा चलो कोई नहीं तुमने भी मुझे आउट कर लिया मुझे खुश हो जाओ। "
उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, "मैंने गिलक्रिस्ट को टेस्ट में कुल 11 बार आउट किया है और गिलक्रिस्ट ने सिर्फ मुझे एक बार आउट कर उन सभी 11 बार आउट होने के बदले जश्न मना लिया। वह हर तरह से जश्न मना रहा था। मुझे आउट करने के बाद वह गंगनम डास कर रहा था। मुझे एक बार आउट करने के बाद शायद वह मुझे 11 दफे याद किया होगा। "
वाद-विद्या-खण्ड १६३
"जेसि पि अत्थि भाया यत्तव्वा ते वि श्रम्ह वि स प्रत्थि । किन्तु प्रकत्ता न भवइ वेययइ जैग सुहदुक्खं ॥ ७५ ॥" (२) उपालम्भ - दूसरे के मत को दूषित करना उपालम्भ है । जैसे चार्वाक को कहना कि यदि आत्मा नहीं है, तो 'आत्मा नहीं है' ऐसा तुम्हारा कुविज्ञान भी संभव नहीं है । अर्थात् तुम्हारे इस कुविज्ञान को स्वीकार करके भी हम कह सकते हैं, कि उससे आत्माभाव सिद्ध नहीं । क्योंकि 'आत्मा है' ऐसा ज्ञान हो या 'आत्मा नहीं है' ऐसा कुविज्ञान हो ये दोनों कोई चेतन जीव के अस्तित्व के बिना संभव नहीं, क्योंकि अचेतन घट में न ज्ञान है न कुविज्ञान - दशवं० नि० ७६-७७ ।
उपालम्भ का दार्शनिकों में सामान्य अर्थ तो यह किया जाता है कि दूसरे के पक्ष में दूपण का उद्भावन करना, २५ किन्तु चरक ने वाद पदों में भी उपालम्भ को स्वतन्त्र रूप से गिनाया है और कहा है कि "उपालम्भो नाम हेतोपवचनम् ।" (५६.) अर्थात् चरक के अनुसार हेत्वाभासों का उद्भावन उपालम्भ है । न्यायसूत्र का हेत्वाभासरूप निग्रहस्थान ( ५.२.२५) ही चरक का उपालम्भ है । स्वयं चरक ने भी अहेतु ( ५७ ) नामक एक स्वतन्त्र वादपद रखा है । अहेतु का उद्भावन ही उपालम्भ है । तर्कशास्त्र ( पृ० ४० ) और उपायहृदय में भी ( पृ० १४) हेत्वाभास का वर्णन आया है। विशेषता यह है कि उपायहृदय में हेत्वाभास का अर्थ विस्तृत है । छल और जाति का भी समावेश हेत्वाभास में स्पष्ट रूप से किया है ।
(३) पृच्छा - प्रश्न करने को पृच्छा कहते हैं- अर्थात् उत्तरोत्तर प्रश्न करके परमत को असिद्ध और स्वमत को सिद्ध करना पृच्छा है, जैसे चार्वाक से प्रश्न करके जीवसिद्धि करना ।
प्रश्न - आत्मा क्यों नहीं है ? उत्तर- क्योंकि परोक्ष है ।
प्रश्न - यदि परोक्ष होने से नहीं तो तुम्हारा आत्मनिषेधक कुविज्ञान भी दूसरों को परोक्ष है, अतएव नहीं है । तब जोवनिषेध कैसे होगा ?
भ्याय सूत्र १.२.१ ।
१६४ आगम युग का जैन-दर्शन
इस प्रश्न में ही आत्मसिद्धि निहित है और चार्वाक के उत्तर को स्वीकार करके ही प्रश्न किया गया है ।
इस पृच्छा की तुलना चरकगत अनुयोग से करना चाहिए । अनुयोग को चरक ने प्रश्न और प्रश्नैकदेश कहा है - चरक विमान० ८.५२
उपायहृदय में दूपण गिनाते हुए प्रश्नवाहुल्यमुत्तराल्पता तथा प्रश्नाल्पतोत्तरबाहुल्य ऐसे दो दूषण भी बताए हैं। इस पृच्छा की तुलना उन दो दूपणों से की जा सकती है। प्रश्नवाहुल्यमुत्तराल्पता का स्पप्टीकरण इस प्रकार है"आत्मा नित्योऽनेन्द्रिय करवाद यथाकाशोऽनंद्रियानित्य इति भवतः थाना । अथ यदनेन्द्रियकं तन्नावश्यं नित्यम् । तत्कथं सिद्धम्" उपाय० पू० २८
प्रश्नाल्पतोत्तरवाहुल्य का स्वरूप ऐसा है -
"आत्मा नित्योऽनंन्त्रियकत्यादिति भवत्स्थापना । अनैन्द्रियकस्य द्वविध्यम् । यथा परमाणवोऽनुपलभ्या अनित्याः । श्राकाशस्त्विन्द्रियानुपलभ्यो नित्यश्च । कथं भवतोच्यते यदनुपलभ्यत्वान्नित्य इति ।" उपाय०१० २८
उपायहृदय ने प्रश्न के अज्ञान को भी एक स्वतन्त्र निग्रहस्थान माना है और प्रश्न का वैविध्य प्रतिपादित किया है"ननु प्रश्नाः कतिविधाः ? उच्यते । त्रिविधाः । यथा वचनसम, अर्थसमः, हेतुस मश्च । यदि वादिनस्तेस्त्रिभिः प्रश्नोत्तराणि न फुर्वन्ति तद्विभ्रान्तम् ।" ५०१८ । (४) निश्रावचन- अन्य के बहाने से अन्य को उपदेश देना निश्रा वचन है। उपदेश तो देना स्वशिष्य को किन्तु अपेक्षा यह रखना कि उससे दूसरा प्रतिबुद्ध हो जाए। जैसे अपने शिष्य को कहना कि जो लोग जीव का अस्तित्व नहीं मानते, उनके मत में दानाआदि का फल भी नहीं घटेगा। तब यह सुनकर बीच में ही चार्वाक कहता है कि ठीक तो है, फल न मिले तो नहीं सही । उसको उत्तर देना कि तब संसार में जीवों की विचित्रता कैसे घटेगी ? यह निश्रावचन है दशवं० नि० गा० ८०
(३) आहरणतद्दोष
( १ ) श्रधर्मयुक्तः - प्रवचन के हितार्थ सावद्यकर्म करना अधर्मयुक्त होने से आहरणतद्दोप है । जैसे प्रतिवादी पोट्टशाल परिव्राजक ने वाद में हार+
कर जब विद्यावल से रोहगुप्त मुनि के विनाशार्थ विच्छुओं का सर्जन किया, तब रोहगुप्त ने विच्छुओं के विनाशार्थ मयूरों का सर्जन किया, जो अधर्मकार्य है। फिर भी प्रवचन के रक्षार्थ ऐसा करने को रोहगुप्त वाध्य थे - दशवै० नि० मा० ८१ चूर्णी ।
( २ ) प्रतिलोम - 'शाठ्यं कुर्यात्, शठं प्रति' का अवलंवन करना प्रतिलोम है। जैसे रोहगुप्त ने पोट्टशाल परिव्राजक को हराने के लिए किया। परिव्राजक ने जानकर ही जैन पक्ष स्थापित किया, तव प्रतिवादी जैन मुनि रोहगुप्त ने उसको हराने के लिए ही जैन सिद्धान्त के प्रतिकूल वैराशिक पक्ष लेकर उसका पराजय किया । उसका यह कार्य अपसिद्धान्त के प्रचार में सहायक होने से आहरणतद्दोपकोटि में है २ ।
चरक ने वाक्य दोपों को गिनाते हुए एक विरुद्ध भी गिनाया है । उसकी व्याख्या करते हुए कहा है-"विरुद्ध नाम यद् दृष्टान्त सिद्धान्तसमयविरुद्धम् ।" वही ५४ । इस व्याख्या को देखते हुए प्रतिलोम की तुलना 'विरुद्धवाक्य दोष' से की जा सकती है। न्यायसूत्रसंमत अपसिद्धान्त और प्रतिलोम में फर्क यह है कि अपसिद्धान्त तब होता है, जब शुरू में वादो अपने एक सिद्धान्त को प्रतिज्ञा करता है और बाद में उसकी अवहेलना करके उससे विरुद्ध वस्तु को स्वीकार कर कथा करता है - "सिद्धान्तमभ्युपेत्या नियमात् कथाप्रसंगोपसिद्धान्तः ।" न्याय सू० ५.२.२४ । किन्तु प्रतिलोम में वादी किसी एक संप्रदाय या सिद्धान्त को वस्तुतः मानते हुए भी वाद-कथा प्रसंग में अपनी प्रतिभा के वल से प्रतिवादी को हराने की दृष्टि से ही स्वसंमत सिद्धान्त के विरोधी सिद्धान्त की स्थापना कर देता है। प्रतिलोम में यह आवश्यक नहीं कि वह शुरू में अपने सिद्धान्त की प्रतिज्ञा करे । किन्तु प्रतिवादी के मंतव्य से विरुद्ध मंतव्य को सिद्ध कर देता है । वैतण्डिक और प्रतिलोमिक में अंतर यह है, कि वैतण्डिक का कोई पक्ष नहीं होता अर्थात् किसी दर्शन की मान्यता से वह वद्ध नहीं होता। किन्तु प्रातिलोमिक वह है, जो किसी दर्शन से तो बद्ध होता है। किन्तु वाद-कथा में
श्रागम युग का जैन-दर्शन
प्रतिवादी यदि उसी के पक्ष को स्वीकार कर वाद का प्रारम्भ करता है तो उसे हराने के लिए ही स्वसिद्धान्त के विरुद्ध भी वह दलील करता है, और प्रतिवादी को निगृहीत करता है ।
( ३ ) श्रात्मोपनीत - ऐसा उपन्यास करना जिससे स्व का या स्वमत का ही घात हो । जैसे कहना कि एकेन्द्रिय सजीव हैं, क्योंकि उनका श्वासोच्छ्वास स्पष्ट दिखता है - दशवै० नि० चू० गा० ८३ ।
यह तो स्पष्टतथा असिद्ध हेत्वाभास है । किन्तु चूर्णीकार ने इसका स्पष्टीकरण घट में व्यतिरेकव्याप्ति दिखाकर किया है, जिसका फल घट की तरह एकेन्द्रियों का भी निर्जीव सिद्ध हो जाना है, क्योंकि जैसे घट मे श्वासोच्छ्वास व्यक्त नहीं वैसे एकेन्द्रिय में भी नहीं । "जहा" को वि भणेज्जा- एगेन्द्रिया सजीवा, कम्हा जेण तेस फुडो उत्सासनिस्सासो दीसइ । दिट्ठतो घडो । जहा घडस्त निज्जोवत्तणेल उस्तासनिस्तासो नत्थि । ताण उस्सासनिस्सासो फुडो दोसइ तम्हा एते सज्जीवा । एवमादीहि विरुद्ध न भासितव्य ।"
(४) दुरुपनोत- ऐसी बात करना जिससे स्वधर्म की निन्दा हो, यह दुरुपनीत है। इसका उदाहरण एक बौद्ध भिक्षु के कथन में है ।
यथा-"कन्याऽऽचार्याधना ते ननु शफरवधे जालमनासि मत्स्यान, ते मे मद्योपवंशान पियसि ननु पुतो वेश्यया यासि वेश्याम् ।. कृत्वारोणां गलॅडहि क्व नु तथ रिपयो येषु सन्धि छिनधि, चौरस्त्वं धूतहेतोः कितव इति कथं येन दासोसुतोऽस्मि ।'
निं० गा० ८३-हारि० टीका । दोप से तुलनीय है। उनका कहना है कि स्वसमयविरुद्ध नहीं बोलना चाहिए । वौद्धदर्शन मोक्षशास्त्रिक समय है, चरक के अनुसार मोक्षशास्त्रिक समय है कि -- मोक्षशास्त्रिकसमयः सर्वभूतेष्वहसेति" वही ५४ । अतएव बौद्ध भिक्षु का हिंसा का समर्थन स्वसमय विरुद्ध होने से वाक्य-दोष है ।
उपायहृदय में विरुद्ध दो प्रकार का है दृष्टान्तविरुद्ध और युक्तिविरुद्ध - पृ० १७ । उपायहृदय के मत से जो जिसका धर्म हो, उससे
उसका आचरण यदि विरुद्ध हो, तो वह युक्तिविरुद्ध है । जैसे कोई ब्राह्मण क्षत्रिय धर्म का पालन करे और मृगयादि की शिक्षा ले तो वह युक्तिविरुद्ध है । युक्तिविरुद्ध की इस व्याख्या को देखते हुए दुरुपनीत की तुलना उससे की जा सकती है ।
(४) उपन्यास
तद्वस्तूपन्यास - प्रतिपक्षी की वस्तु का ही उपन्यास करना अर्थात् प्रतिपक्षी के हो उपन्यस्त हेतु को उपन्यस्त करके दोष दिखाना तद्वस्तूपन्यास है । जैसे- किसी ने ( वैशेषिक ने) कहा कि जीव नित्य है, क्योंकि अमूर्त है । तब उसी अमृर्तत्व को उपन्यस्त करके दोष देना कि कर्म तो अमूर्त होते हुए भी अनित्य हैं - दशवं० नि० चू० ८४ ।
आचार्य हरिभद्र ने इसकी तुलना साधर्म्यसभा जाति से की है । किन्तु इसका अधिक साम्य प्रतिदृष्टान्तसमा जाति से है- "क्रियावानात्मा क्रियाहेतुगुणयोगात् लोष्टवदित्युक्त प्रतिदृष्टान्त उपादीयते क्रियाहेतुगुणयुक्त आकाशं निष्क्रियं दृष्टमिति ।"
साधर्म्यसमा और प्रतिदृष्टान्तसमा में भेद यह है, कि साधर्म्य समा में अन्यदृष्टान्त और अन्य हेतुकृत साधर्म्य को लेकर उत्तर दिया जाता है, जब कि प्रतिदृष्टान्तसमा में हेतु तो वादिप्रोक्त ही रहता है केवल दृष्टान्त ही बदल दिया जाता है । तद्वस्तूपन्यास में भी यही अभिप्रेत है । अतएव उसकी तुलना प्रतिदृष्टान्त के साथ ही करना चाहिए ।
वस्तुत. देखो तो भङ्गयन्तर से हेतु की अनैकान्तिकताका उद्भा-, वन करना हो तद्वस्तूपन्यास और प्रतिदृष्टान्तसमा जाति का प्रयोजन है। उपायहृदयगत प्रतिदृष्टान्तसम दूषण ( पृ० ३० ) और तर्कशास्त्रगत प्रतिदृष्टान्त खण्डन से यह तुलनीय है - पृ० २६ ।
(२) तदन्यवस्तूपन्यास - उपन्यस्त वस्तु से अन्य में भी प्रतिवादी की बात का उपसंहार कर पराभूत करना तदन्यवस्तूपन्यास है - जैसे
२८ "युक्तिविरुद्धो यथा, ब्राह्मणस्य क्षत्रधर्मानुपालनम् मृगयादिशिक्षा च क्षत्रियस्य ध्यानसमापत्तिरित युक्तिविरुद्धः । एवम्भूतौ धर्मों प्रज्ञा प्रबुद्ध्यैव सत्यं मन्यते ।". उपाय० पू० १७१
१९८ भागम युग का जैन दर्शन
जीव अन्य है, शरीर अन्य है । तो दोनों अन्यशब्दवाच्य होने से एक ऐसा यदि प्रतिवादी कहे तो उसके उत्तर में कहना कि परमाणु अन्य है, द्विप्रदेशी अन्य है, तो दोनों अन्य शब्द वाच्य होने से एक मानना चाहिएयह तदन्यवस्तूपन्यास है - दशव ० नि० गा० ८४
यह स्पष्ट रूप से प्रसंगापादन है । पूर्वोक्त व्यंसंक और लूपक हेतु से क्रमशः पूर्व पक्ष और उत्तर पक्ष की तुलना करना चाहिए ।
( ३ ) प्रतिनिभोपन्यास - वादी के 'मेरे वचन में दोप नहीं हो सकता' ऐसे साभिमान कथन के उत्तर में प्रतिवादी भी यदि वैसा ही कहे तो वह प्रतिनिभोपन्यास है। जैसे किसी ने कहा कि 'जीव सत् है' तब उसको कहना कि 'घट भी सत् है, तो वह भी जीव हो जाएगा। इसका लौकिक उदाहरण नियुक्तिकार ने एक संन्यासी का दिया है। उसका दावा था कि मुझे कोई अश्रुत बात सुना दे तो उसको में सुवर्णपात्र दूंगा। घूर्त होने से अश्रुत बात को भी श्रुत बता देता था । तब एक पुरुष ने उत्तर दिया कि तेरे पिता से मेरे पिता एक लाख मांगते हैं। यदि श्रुत है तो एक लाख दो, अश्रुत है तो सुवर्णपात्र दो। इस तरह किसी को उभयपाशारज्जुन्याय से उत्तर देना प्रतिनिभोपन्यास है - दशव० नि
यह उपन्यास सामान्यच्छल है। इसकी तुलना लूपक हेतु से भी की जा सकती है ।
अविशेषसमा जाति के साथ भी इसकी तुलना की जा सकती है, यद्यपि दोनों में थोड़ा भेद अवश्य है ।
(४) हेतूपन्यास - किसी के प्रश्न के उत्तर में हेतु बता देना हेतूपन्यास है। जैसे किसी ने पूछा- आत्मा चक्षुरादि इन्दियग्राह्य क्यों नहीं ? तो उत्तर देना कि वह अतीन्द्रिय है- दशवं० नि० गा० ८५ ।
चरक ने हेतु के विषय में प्रश्न को अनुयोग कहा है और भद्रवाहु ने प्रश्न के उत्तर में हेतु के उपन्यास को हेतुपन्यास कहा है यह हेतूपन्यांस और अनुयोग में भेद है ।कंगना रनौत ने दिलाई 50 के दशक के हिंदी सिनेमा की याद. (फोटो साभारः kanganaranaut/Instagram)
कंगना रनौत (Kangana Ranaut) इन दिनों अपने प्रोडक्शन हाउस की फिल्म 'टीकू वेड्स शेरू' (Tiku Weds Sheru) की शूटिंग में बिजी हैं. कंगना अपनी इस फिल्म में एक अलग ही अंदाज में नजर आने वाली हैं. एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपनी अपकमिंग फिल्म से जुड़ी हुई जानकारी साझा की है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddique) और अवनीत कौर (Avneet Kaur) के साथ कंगना ने शूटिंग शुरू कर दी है. 'मणिकर्णिका' एक्ट्रेस ने बीटीएस (BTS) स्टिल शेयर कर 50 के दशक की याद दिला दी है.
कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर दो तस्वीरें शेयर की हैं, पहले में ऊंचाई पर कैमरा ऑपरेट करती नजर आ रही हैं. वहीं दूसरी तस्वीर में कैमरे को निहार रही हैं. ये कोई आम कैमरा नहीं है बल्कि हिंदी सिनेमा के मशहूर फिल्मकार बिमल रॉय का कैमरा है. कंगना ने अपनी फोटोज के साथ लिखा 'यह कोई साधारण दिन नहीं है, टीकू वेड्स शेरू के सेट पर. इंडियन सिनेमा के 1950 के स्वर्णिम काल का मुझे एक नायाब रत्न Newall camera मिला और यह महान निर्देशक श्री बिमल रॉय जी का है...मैं अपनी दूसरी फीचर फिल्म इमरजेंसी का डायरेक्शन करने के लिए तैयार हूं तो यह मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं है.... कितना खूबसूरत दिन है...बिमल रॉय जी की फैमिली का धन्यवाद कि उन्होंने मुझे फिल्म के लिए ये कीमती रत्न दिया है. . इसे अरेंज करने के लिए शुक्रिया'.
इसके अलावा कंगना रनौत ने एक और पोस्ट शेयर किया है,जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ नजर आ रही हैं. ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में पुराने जमाने की फिल्मों की याद दिला रही है.
कंगना रनौत के प्रोडक्शन हाउस मणिकर्णिका के बैनर तले बन रही इस फिल्म डायरेक्शन साई कबीर कर रहे हैं. 'टीकू वेड्स शेरू' अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया जाएगा.
इसके अलावा कंगना रनौत एक्शन थ्रिलर फिल्म 'धाकड़' में नजर आएंगी. इस फिल्म को 8 अप्रैल 2022 में रिलीज किया जाएगा. वहीं 'तेजस' में एयरफोर्स पायलट के रुप में नजर आएंगी. कंगना अपनी हर फिल्म में एक अलग ही अंदाज में दर्शकों के सामने आने वाली हैं.
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मुंबई। फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल ने कोरोना महामारी के कम होते मामलों के बीच आज से काम पर वापसी कर ली है। अर्जुन रामपाल इन दिनों हगंरी की राजधानी बुडापेस्ट में हैं और वहां उन्होंने अपनी आगामी फिल्म 'धाकड़' की शूटिंग आज से शुरू कर दी है। इसकी जानकारी खुद अर्जुन रामपाल ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए दी है। अर्जुन रामपाल ने लिखा,'सेट पर वापसी, काम पर वापसी। मैं खुद को धन्य और कृतज्ञता से भरा हुआ महसूस कर रहा हूं। '
फिल्म धाकड़ एक एक्शन-थ्रिलर फिल्म होगी। इस फिल्म में कंगना लीड रोल में नजर आयेंगी। लंबे समय से सुर्खियों में बनी हुई इस फिल्म में अर्जुन रामपाल विलेन रुद्रवीर के किरदार में नजर आएंगे। फिल्म में दिव्या दत्ता भी अहम भूमिका में नजर आयेंगी। कंगना रनौत एजेंट की भूमिका में एक्शन अवतार में नजर आयेंगी। फिल्म का निर्देशन रजनीश घई कर रहे हैं और निर्माता सोहेल मकलई हैं।
पाकिस्तान में उनका जन्म हुआ था, लेकिन वह 80 के दशक के बाद से कनाडा चले गए थे। फतह पाकिस्तान की सेना और कट्टरपंथियों के कड़े आलोचक रहे हैं।
भले ही वो पाकिस्तान में जन्मे लेकिन उनके दिल में हमेशा रहा भारत। पाकिस्तानी लेखक तारेक फतह कैंसर से आज अपनी जंग हार गए हैं। आज 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों से वह अस्पताल में भर्ती थे। पाकिस्तान में उनका जन्म हुआ था, लेकिन वह 80 के दशक के बाद से कनाडा चले गए थे। फतह पाकिस्तान की सेना और कट्टरपंथियों के कड़े आलोचक रहे हैं।
1 ) तारेक फतह को पाकिस्तान के कट्टरपंथी जितना नफरत करते थे, उससे ज्यादा उन्हें भारत में प्यार मिलता था। तारेक फतह समलैंगिक अधिकारों के समर्थक थे। इसके अलावा उनका मानना था कि धर्म और देश को एक दूसरे से अलग रहना चाहिए। वह शरिया कानून की जगह प्रोग्रेसिव इस्लाम की बात करते थे।
2 ) तारेक फतह खुद को एक भारतीय बताते थे जो पाकिस्तान में पैदा हुआ है। वह पाकिस्तान की धार्मिक और राजनीतिक आलोचना करते थे। वह कई बार भारत के बंटवारे को भी गलत बताते रहे हैं।
3 ) तारेक फतह को उनके विचार के कारण कई बार जान की धमकी भी मिलती रही है। 2017 में उन्होंने टोरंटो सन में लिखे अपने एक लेख में कहा था कि एक कार्यक्रम में उन पर हमला हुआ था। उनके साथ मारपीट की गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि बिना सिक्योरिटी के मुझे कही भी जाने पर खतरा है। उन्होंने कहा कि मेरा सिर कलम करने की धमकी दी गई है।
4 ) तारेक फतह का जन्म 20 नवंबर 1949 में कराची में हुआ था। उनके पिता मुंबई (तब बॉम्बे) से पलायन करके पाकिस्तान गए थे। कराची यूनिवर्सिटी से फतह ने बायोकेमेस्ट्री की पढ़ाई की, लेकिन अंततः वह पत्रकारिता के क्षेत्र में उतर गए।
5 ) 1960-70 के दशक के बीच वह एक वामपंथी छात्र नेता थे। कई रिपोर्ट्स का कहना है कि उन पर देशद्रोह का आरोप भी लगा था और पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने उन्हें पत्रकारिता से रोक दिया था। 1987 में कनाडा जाने से पहले वह सऊदी अरब में भी रहे।
6 ) तारेक फतह अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते रहे हैं। आप की अदालत कार्यक्रम में उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए अयोध्या के राम मंदिर का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि भारत ही दुनिया को रास्ता दिखाता रहा है। अगर भारत है तो दुनिया है। भारत खत्म तो दुनिया खत्म।
7 ) तारेक फतह के परिवार की अगर बात करें तो उनकी पत्नी का नाम नरगिस तपाल है। दोनों की दो बेटिया हैं, जिनका नाम नताशा फतह और नाजिया फतह है। नताशा फतह कनाडा की एक पत्रकार और टीवी एंकर हैं। नताशा ने अपने पिता के निधन पर एक ट्वीट में उन्हें 'भारत का बेटा' बताया।
इस्लामाबादः पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सरकार समर्थित एक विधेयक पारित किया है जो सजायाफ्ता भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार देगा। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी सामने आई है।
'डॉन' समाचार-पत्र ने खबर दी कि नेशनल असेंबली ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (समीक्षा एवं पुनर्विचार) विधेयक, 2020 को बृहस्पतिवार को पारित किया जिसका लक्ष्य कथित भारतीय जासूस जाधव को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले के अनुरूप राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराना है।
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, 51 वर्षीय जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रुख किया था।
द हेग स्थित आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की "प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार" करना चाहिए और बिना किसी देरी के भारत को जाधव के लिए राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने देने का भी अवसर देना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान को, जाधव को दी गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था।
विधेयक पारित होने के बाद, कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि अगर उन्होंने विधेयक पारित नहीं किया होता तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद चला जाता और आईसीजे में पाकिस्तान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर देता। नसीम ने कहा कि विधेयक आईसीजे के फैसले के मद्देनजर पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक पारित कर उन्होंने दुनिया को साबित कर दिया कि पाकिस्तान एक "जिम्मेदार राष्ट्र" है।
नेशनल असेंबली ने चुनाव (सुधार) विधेयक समेत 20 अन्य विधेयक भी पारित किए।
विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया और तीन बार कोरम (कार्यवाही के दौरान उपस्थित सदस्यों की तय से कम संख्या) की कमी की ओर इशारा किया लेकिन हर बार सदन के अध्यक्ष ने सदन में पर्याप्त संख्या घोषित की और काम-काज जारी रखा जिससे विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया।
विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और नारेबाजी की।
सरकार के कदम की आलोचना करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सांसद एहसान इकबाल ने कहा कि इस कदम ने जाधव को राहत देने के लिए विधेयक को भारी विधायी एजेंडा में शामिल किया। इकबाल ने कहा कि यह व्यक्ति विशेष विधेयक था और जाधव का नाम विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में शामिल था। उन्होंने कहा कि जब देश का कानून उच्च न्यायालयों को सैन्य अदालतों द्वारा सुनाई गई सजा की समीक्षा का प्रावधान करता है तो इस विधेयक को लाने की क्या जरूरत थी।
जाधव के मामले में आईसीजे के फैसले के तुरंत बाद पिछले साल मई में सरकार ने अध्यादेश लाकर कानून को पहले ही अमल में ला दिया था।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने सदन अध्यक्ष से सदस्यों को विधेयक का अध्ययन करने के लिए कुछ वक्त देने को कहा। उन्होंने, पहले अध्यादेश के माध्यम से विधेयक लाने और फिर विधेयक पारित कर जाधव को राहत देने के लिए सरकार की आलोचना की।
कानून मंत्री नसीम ने कहा कि वह विपक्ष का आचरण देख कर स्तब्ध रह गए और ऐसा लगता है कि विपक्ष ने आईसीजे का फैसला नहीं पढ़ा। उनके अनुसार, आईसीजे ने साफ कहा है कि पाकिस्तान जाधव को, फैसले की समीक्षा का उनका अधिकार देने के लिए एक प्रभावी कानून बनाए।
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देवर द्वारा भाभी की जघन्य हत्या जालौन के नदीगांव थाना क्षेत्र के ग्राम कुराचौली की है. इस गांव के रहने वाले सतीश शर्मा की 35 वर्षीय पत्नी पूजा की उसके छोटे भाई नीतू शर्मा ने गला रेतकर हत्या कर दी.
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है. जहां एक युवक ने अपनी भाभी की गला रेतकर हत्या कर दी. साथ ही उसकी शिनाख्त मिटाने के लिये खेत में ले जाकर जला दिया. मगर किसानों के देख लेने पर वह भाभी को अधजला छोड़कर भाग गया. आरोपी युवक ने इस वारदात को अंजाम एक तरफा प्रेम में दिया है, जो भाभी से एक तरफा प्रेम करता था. मगर भाभी ने प्रेम को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद युवक ने जघन्य वारदात को अंजाम दिया. जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. जहां पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया. साथ ही आरोपी युवक की तलाश करते हुए गांव के बाहर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
देवर द्वारा भाभी की जघन्य हत्या जालौन के नदीगांव थाना क्षेत्र के ग्राम कुराचौली की है. इस गांव के रहने वाले सतीश शर्मा की 35 वर्षीय पत्नी पूजा की उसके छोटे भाई नीतू शर्मा ने गला रेतकर हत्या कर दी. उसके शव को खेत में ले जाकर शिनाख्त मिटाने के लिए जला दिया. मगर खेत पर काम कर रहे किसानों और मजदूरों ने आग को देखा वह आग की तरफ पहुंचे, जिन्हें आता देख नीतू मौके से भाग गया.
जब किसान घटना स्थल पर पहुंचे तो वो लोग महिला के शव को जलता देखा. उसकी आग को बुझाया और तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. जहां महिला के अधजले शव को देख उसकी शिनाख्त करने के बाद पत्नी सतीश शर्मा को सूचना दी. जानकारी पर पहुंचे मृतिका के पति ने बताया कि वह अपनी पत्नी दो बेटियों के साथ पानी-पूरी का काम बाहर करता था, मगर कुछ दिन पहले ही वह वापिस गांव आया था.
वहीं, इस घटना के बारे में मृतिका के पति सतीश ने बताया कि उसका छोटा भाई नीतू अपनी भाभी के साथ अवैध संबंध बनाने का प्रयास कर रहा था. कई बार इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था. पत्नी ने इसका विरोध किया तभी उसकी गला रेत कर हत्या कर दी. साथ ही शव को जलाकर शिनाख्त मिटाने का प्रयास किया.
वहीं, इस मामले में जालौन के पुलिस अधीक्षक रवि कुमार ने बताया कि आरोपी अविनाश उर्फ नीतू शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है. अवैध संबंध बनाने के लिए आरोपी जबरन दवा डाल रहा था. महिला द्वारा इसका विरोध किया, जिसके बाद उसकी गला रेतकर हत्या कर दी गई. साथ ही शव को जला दिया है, फिलहाल आरोपी को जेल भेज दिया है. हत्या में प्रयुक्त उपकरण भी बरामद कर लिए गए हैं.