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इन सारी सहायताओं और वादों का एक मतलब यह निकलता है कि विदेशी मदद पर पाकिस्तान की निर्भरता बढ़ती जा रही है
यह बात इस हकीकत के मद्देनजर आश्चर्यजनक नहीं लगती कि पाकिस्तान का टैक्स-टु-जीडीपी रेश्यो नौफीसदी से नीचे आ चुका है जोकि दुनिया की 22 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है
आर्थिक प्रबंधन का यह नजरिया नैतिक रूप से नुकसानदायक है
यह हमें विदेशी मदद पर निर्भर बनाए रखता है ताकि यह देश रसातल में न चला जाए
आज की तारीख में पाकिस्तान की गिनती एशिया की सबसे खराब परफॉर्मेंस वाली अर्थव्यवस्थाओं में होती है
इसकी जीडीपी ग्रोथ रेट 3फीसदी है जो बांग्लादेश के मुकाबले आधी और पड़ोसी भारत की जीडीपी की एकतिहाई है
ऐसे में एक संभावना यह बनती है कि विदेशी पैसे की यह ताजातरीन आमद पाकिस्तान को गहरे आर्थिक संकट से उबारने में मददगार साबित हो
अतीत में जब भी बड़ी मात्रा में विदेशी मदद मिली है, पाकिस्तान ने उसका अच्छा इस्तेमाल किया है
ऐसा 60केदशक में अयूबखान के शासनकाल में हुआ था, फिर 80केदशक में जनरलजियाउलहक के शासन के दौरान और 2000केदशक में भी, जब जनरलपरवेजमुशर्रफ इस मुल्क को चला रहे थे
सैन्य शासन के इन तीन दौरों में देश खुद को बड़ी तेजी से अमेरिका के साथ जोड़ने में कामयाब रहा था
इसकी कुछ वजहें भी थीं 60केदशक में जब एशिया में साम्यवाद अपने उभार पर था तो अमेरिका चाहता था कि पाकिस्तान उसके खेमे में रहे
80केदशक में अफगानिस्तान से सोवियतसंघ को बाहर खदेड़ने के लिए उसे पाकिस्तान की जरूरत थी, जबकि 9/11 के आतंकी हमले के बाद वहां से तालिबान को उखाड़ फंेकने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान का साथ चाहिए था
यह पहला मौका है जब अमेरिका पाकिस्तान की एक लोकतांत्रिक सरकार को बड़ी मात्रा में मदद मुहैया करा रहा है
सवाल यह है कि अमेरिका से इस साझेदारी के बल पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था क्या उतार-चढ़ाव वाली उन स्थितियों से छुटकारा पा सकेगी जिसमें वह पिछली आधीसदी से उलझी हुई है? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेशी पैसे की मोहताज न रहे, इसके लिए देश को कुछ आधारभूत आर्थिक फेरबदल करने होंगे
अगर ऐसी रीस्ट्रक्चरिंग एक लोकतांत्रिक सरकार करती है, तो संभव है कि ऐसे आर्थिक सुधार लंबे समय तक टिके रह जाएं
लेकिन दूसरी तरफ, इसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि सत्ता की बागडोर दोबारा सैन्य शासकों के हाथों में चली जाने के बाद भी ऐसी वाजिब नीतियां अमल में लाई जाती रहेंगी
इस समय जिन भी देशों के साथ पाकिस्तान के आर्थिक रिश्ते हैं, उनकी सरकारों को चाहिए कि वे पाकिस्तान के नेताओं को कम से कम इन दो मोर्चों पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दें-एक, व्यापार और दो, भारत से संबंध सुधार
पारंपरिक रूप से पाकिस्तान का व्यापार भारत पर बहुतज्यादा निर्भर रहता आया है
1949 से पहले पाकिस्तानी निर्यात का तकरीबन 60फीसदी हिस्सा भारत में खप रहा था और भारत से होने वाला आयात पाकिस्तान के कुल आयात का 70फीसदी था, लेकिन फिलहाल पाकिस्तान के कुल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 5फीसदी से भी कम है
यह स्थिति विश्व व्यापार के कथित ग्रैविटी मॉडल के उलट है, जिसके हिसाब से अमेरिका के बजाय पाकिस्तान के सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर चीन और भारत होने चाहिए
बेहतर होगा कि पाकिस्तान अमेरिका के टेक्सटाइल मार्केट में अपनी स्थिति सुधारने पर ऊर्जा नष्ट न करे
इस सेक्टर में उसे बांग्लादेश और कंबोडिया जैसी कम मजदूरी पर टिकी अर्थव्यवस्थाएं कड़ी चुनौती दे सकती हैं
इसके बजाय उसको अपना ध्यान नॉलेजबेस्डइंडस्ट्री के विस्तार पर केंद्रित करना चाहिए
हमारे विदेशी मददगारों को जिस दूसरे मोर्चे पर काम करने का आग्रह पाकिस्तान से करना चाहिए, वह यह कि करप्शन पर काबू पाने से ज्यादा ध्यान वह गवर्नेंस पर दे
सैन्य शासन के लंबे दौरों में पाकिस्तान की नीतियां बुरीतरह केंद्रीकृत हो गईं
इसके प्रांतों को और अधिक शक्तियां देना जरूरी हो गया है
दानदाता देश पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था में ऐसे सुधारों पर जोर देने को कहें, जिनसे यह विदेशी मदद के लोभ से बच सके लेकिन ऐसे सार्थक नतीजे पाना तभी संभव है जब लोकतंत्र इस देश में फल-फूल रहा हो
संसद हमले में दोषी मोहम्मदअफज़ल अपने मामले में जल्द ही कोई फैसला चाहता है
अफज़ल चाहता है कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्णआडवाणी अगले प्रधानमंत्री बन जाएं ताकि उस पर जल्द कोई फैसला हो
अफज़ल का कहना है कि वही हैं जो उसके मामले में तुरंत कोई फैसला लेंगे, वर्तमान सरकार उसके मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है
अफज़ल का कहना है, मुझे नहीं लगता कि यूपीए सरकार किसी नतीजे पर कभी पहुँच पाएगी
कांग्रेस पार्टी डबल गेम खेल रही है ’
तिहाड़जेल में दिए इंटरव्यू में अफज़ल ने कहा, मैं सचमुच चाहता हूं कि आडवाणी भारत के अगले प्रधानमंत्री हो क्योंकि वही हैं जो फैसला ले सकते हैं और मेरी फांसी हो सकती है
मेरी पीड़ा तो खत्म होगी और रोज की परेशानी खत्म होगी ’
गौरतलब है कि आडवाणी ने अफज़ल की फांसी में हो रही देरी की आलोचना कर चुके हैं
नवंबर2006 में आडवाणी ने कहा था, मुझे इस देरी की वजह समझ नहीं आती
उन्होंने मेरी सुरक्षा बढ़ा दी है
लेकिन जो काम तुरंत किया जाना चाहिए वह है अदालत के आदेश को पूरा करना ’
2004 में सुप्रीम कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद इस पहले इंटरव्यू में अफज़ल ने कहा कि मौत की सजा ने उसे भ्रामक स्थिति में डाल दिया है
उसने भी राष्ट्रपति को 40 अन्य लोगों के साथ क्षमादान की याचिका भेजी है
अफज़ल ने कहा, जेल में जिंदगी नर्क बन गई है मैंने 2महीने पहले सरकार से अपनी सजा पर तुरंत फैसला लेने की अपील की थी
मैं मुर्दा बनकर जीना नहीं चाहता
उसने कहा, मैंने यह भी आग्रह किया है कि जबतक वे फैसला लेते हैं मुझे कश्मीर की किसी जेल में शिफ्ट कर दिया जाए
अफज़ल ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीतसिंह के साथ सुहानुभूति जताते हुए का कहा कि मुझमें और सरबजीत में कोई समानता नहीं है
उसने कहा, प्लीज मेरी तुलना सरबजीत से न करें
दोनों मसले अलग हैं
मेरी सुहानुभूति उनके साथ है पर मेरी लड़ाई कश्मीर विवाद पर है
मैं अब क्षमादान भी नहीं मांग रहा हूं और सरकार मेरे बारे में जो भी फैसला लेगी तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी
पिछले महीने केंद्रीय गृहमंत्री शिवराजपाटिल ने कहा था कि जो अफज़ल की फांसी की माँग कर रहे हैं वे सरबजीत सिंह की माफी की माँग नहीं कर सकते
उनकी इस टिप्पणी पर काफी हंगामा मचा था
अफज़ल जो अफज़लगुरु के नाम से भी जाना जाता है, दिसंबर 2001 में संसद पर हमले का दोषी करार दिया गया था
इस हमले में 6 सुरक्षाकर्मियों और एक आम आदमी की मौत हुई थी
अफज़ल ने कहा, मैं अपने 8 साल के बेटे गालिब के लिए तड़पता हूं
जेल में उससे मिलना आसान नहीं हैं क्योंकि जब मुझसे मिलने आते हैं तो इंटेलिजेंस के अफसर मेरे परिवार और मेरी बीवी को परेशान करते हैं ’
जेल में अफज़ल मौलानाअब्दुलकलामआजाद की स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित किताब इंडियाविंसफ्रीडम ’ पढ़ रहा है
मणिरत्नम की फिल्म 'रावण' विवादों में घिरती चली जा रही है
रावण से जुड़ी ताजा खबर यह है कि फिल्म में दिखाए गए सबसे खतरनाक स्टंट को अभिषेकबच्चन ने नहीं किया है जबकि इसका पूरा क्रेडिट वे ही बटोर रहे हैं
दरअसल इस स्टंट को किया है बेंगलुरु के एक डाइविंगचैम्पियन एम. एस. बलराम ने
अभिषेकबच्चन कई इंटरव्यूज़ में इस स्टंट का जिक्र करते हुए इसे खुद ही अंजाम देने का दावा कर चुके हैं
जबकि, बेंगलुरु के एक डाइविंगचैम्पियन एम. एस. बलराम ने यह दावा किया है कि फिल्म के इस सबसे मुश्किल और खतरनाक स्टंट को उन्होंने अंजाम दिया है
बता दें कि बलराम नैशनलडाइविंग चैम्पियन रह चुके हैं
फिल्म के इस स्टंट सीन में अभिषेक बच्चन एक पहाड़ की चोटी से नदी में छलांग लगाते हैं
कर्नाटक के होगेनाक्कल में फिल्माए गए इस स्टंट को करने के लिए 80फीट की ऊंचाई से नदी में कूदना था
यह सीन फिल्म के शुरुआती सीन्स में से है
बलराम का कहना है कि उन्होंने यह स्टंट रिकॉर्ड बनाने के लिए किया था और अब जबकि यह सीन हिट भी हो गया है और इसे भुनाया जा रहा है तो इसमें कहीं बलराम का नाम नहीं है
जबकि, बार बार फिल्म के इस सीन को करने का दावा अभिषेकबच्चन कई बार कर चुके हैं
वे अक्सर इटरव्यूज में यह कहते पाए गए हैं कि किस तरह उन्होंने इस मुश्किल और खतरनाक स्टंट को अंजाम दिया
रावण की पब्लिसिटी के लिए अभिषेक ने इस स्टंट को खूब भुनाया लेकिन बलराम का नाम कहीं नहीं दिखा
बलराम का कहना है कि हालांकि वह मणिरत्नम और अभिषेक का सम्मान करते हैं लेकिन इस तरह के दावे गलत हैं
बता दें कि अभिषेक ने एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू के दौरान कहा था कि मणिरत्नम के मना करने के बावजूद उन्होंने इस स्टंट को अंजाम दिया
यह इंटरव्यू कई जगह पब्लिश भी हुआ था
बॉक्स ऑफिस पर अभिषेक-ऐश्वर्या की बहुचर्चित फिल्म 'रावण' की नाकामी के लिए बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभबच्चन ने परोक्ष रूप से मणिरत्नम को जिम्मेदार ठहराया है
उन्होंने कहा कि फिल्म की बेहद खराब एडिटिंग की गई है
ट्विटर पर एक फॉलोअर जितेशपिल्लई को रिट्वीट में अमिताभ ने कहा कि फिल्म की बेहद खराब एडिटिंग की गई है
उन्होंने अभिषेक की ऐक्टिंग का बचाव करते हुए कहा कि खराब एडिटिंग की वजह से ही फिल्म में 'बीरा' का कैरेक्टर अक्सर कुछ कन्फ्यूज्ड सा नजर आता है
असाधारण शख्सियतें हमें हमेशा आकर्षित करती हैं, भले ही हम उन्हें नायक कहें या खलनायक
जर्मन तानाशाह हिटलर आजकल फैशन में है भारत समेत दुनिया के कई देशों में इन दिनों उसे खूब पढ़ा जा रहा है
3: एक वेबसाइट द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार युवाओं के बीच हिटलर की आत्मकथा 'माइनकाम्फ' अचानक लोकप्रिय हो गई है
अमेरिका में पिछले साल इसकी 35हजार कॉपियां बिकीं जबकि तुर्की में साल 2007 के बाद से अबतक इसकी एकलाख प्रतियां बिक चुकी हैं
भारत में हिटलर की आत्मकथा को प्रकाशित और वितरित करने वाली कंपनी का दावा है कि पिछले दससालों में उसने इसकी एकलाख से भी ज्यादा कॉपियां बेची हैं
वैसे भारतीय युवाओं में लेनिन की किताबों की मांग भी बढ़ी है, लेकिन हिटलर की डिमांड कुछ ज्यादा ही है
पिछले दिनों बॉलिवुड के एक डायरेक्टर ने तो उस पर एक फिल्म बनाने की भी घोषणा कर दी
इतिहास की मुख्यधारा ने हिटलर को मानवजाति का दुश्मन करार दिया, लेकिन इसके बावजूद उसके व्यक्तित्व को लेकर जिज्ञासा लगातार बनी रही है
कलाकारों ने उसे बार-बार रचा लेकिन कोई भी उसके बारे में इतिहासकारों के नजरिए से दूर नहीं गया
चार्लीचैप्लिन ने अपनी फिल्म 'ग्रेटडिक्टेटर' में उसका उपहास किया और उसके भीतर के विद्रूप को सामने लाने की कोशिश की
और भी कई फिल्मों में हिटलर की पराजय का चित्रण है, जिनमें वह अंततः खलनायक के रूप में ही सामने आता है
लेकिन आज का युवा, हिटलर को नए सिरे से खोजने लगा है
वह इतिहासकारों की दृष्टि से दूर जाकर उसे देख रहा है
गौर करने की बात है कि नई पीढ़ी हिटलर पर लिखी किताबों को नहीं, उसकी आत्मकथा को पढ़ रही है
यह एक तरह से हिटलर के मन-मिजाज को टटोलने का प्रयास है
एक विचार यह है कि जब अव्यवस्था बढ़ जाती है और जनतांत्रिक नेतृत्व समस्याओं का समाधान करने में विफल होने लगता है, तब आम आदमी किसी तानाशाह की ओर भी उम्मीद से देखने लग जाता है
ऐसी ही परिस्थितियों ने हिटलर के लिए जमीन तैयार की थी
तो क्या यह माना जाए कि मौजूदा राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था से हताश युवा एक वैकल्पिक ताकत या सिस्टम की तलाश में इतिहास में दौड़ लगा रहा है और उसके आहत मन को एक तानाशाह के जीवन संघर्ष से संबल मिल रहा है? फिलहाल इस बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता
वैसे हाल की अनेक घटनाओं ने लोगों के इतिहासबोध को झकझोरा है
इस्राइल ने जिस तरह की आक्रामकता दिखाई है, उससे यहूदियों के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा है और कई देशों में यह मान्यता व्यक्त की जाने लगी है कि यहूदियों के खिलाफ हिटलर के हिंसक अभियानों की बात पूरी तरह सच नहीं है
यहूदियों ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया है
इस तरह के विचारों ने भी हिटलर को फिर से जानने-समझने के प्रति उत्सुकता जगाई है
कश्मीर की सुंदर वादियों में अमन और विकास की उम्मीद लगाए युवकों में अब नशाखोरी एक बड़ी समस्या बनकर उभरती दिखाई दे रही है
नशाखोरी को अपनी समस्याएं दूर करने के तरीके के तौर पर, मानसिक सुकून पाने के विकल्प के तौर पर या खुद को शांत दिखाने के लिए युवक इस विकृति के जाल में फंसते चले जा रहे हैं
घाटी में पिछले साल इस समस्या में 35से40फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है