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अहम् मात्र प्रेम के व्यक्तिपरक मनोभावों के बारे में है, प्रमुख रूप से राजाओं के पराक्रम तथा गौरव एवं अच्छाई और बुराई के बारे में है ।
Aham deals purely with the subjective emotions of the lover, and puram with all kinds of emotions, mainly the valour and glory of kings, and about good and evil.
संगम शास्त्रीय में 18 कृतियां (प्रेम के आठ संग्रह और दस लम्बी कविताएं) अभिव्यक्ति की अपनी प्रत्यक्षता के लिए भली-भांति जानी जाती हैं ।
The Sangam classics, consisting of 18 works (eight anthologies of lyrics and ten long poems), are well known for their directness of expression.
इन्हें 473 कवियों ने लिखा था जिनमें से 30 महिलाएं थीं, जिनमें एक प्रसिद्ध कवयित्री अवय्यर थीं ।
These were written by 473 poets, among whom 30 were women, the famous poetess Avvaiyar being one of them.
102 कविताओं के रचनाकारों की जानकारी नहीं है ।
In the case of 102 poems, the authors are unknown.
इनमें से अधिकांश संग्रह तीसरी शताब्दी र्इसा पूर्व के थे ।
Most of these anthologies are of the 3rd century B.C.
इस अवधि के दौरान, तमिल की प्रारम्भिक कविताओं को समझने के लिए एक व्याकरण तोलकाप्पियम लिखा गया था ।
During this time, a Tamil grammar Tolkappiyam, was written, to understand early Tamil poetry.
तोलकाप्पियम पांच भूदृश्यांकनों या प्यार की किस्मों को इंगित करता है और उनकी प्रतीकात्मक परम्पराओं की रूपरेखा प्रस्तुत करता है ।
Tolkappiyam indicates five landscapes or types of love, and outlines their symbolic conventions.
आलोचक कहते है कि संगम साहित्य तमिल प्रतिभा का प्रारम्भिक साक्ष्य मात्र नहीं है ।
Critics say that Sangam literature is not just the earliest evidence of the Tamil genius.
तमिल भाषियों ने अपने साहित्यिक प्रयास के सभी 2000 वर्षों में कुछ खास नहीं लिखा है ।
The Tamils, in all their 2000 years of literary effort, wrote nothing better.
तिरुवल्लुवर द्वारा प्रसिद्ध तिरुककुलर, जिसकी रचना छठी शताब्दी र्इसवी सन् में हुई थी, जो किसी को उत्‍तम जीवन व्यतीत करने की दिशा में नियमों की एक नियम-पुस्तिका है ।
The famous Thirukkural by Thiruvalluvar, in the 6th century A.D., serves as a manual of precepts to guide one to noble living.
यह जीवन के प्रति एक पंथनिरपेक्ष, नैतिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है.
It expounds a secular, moral and practical attitude towards life.
द्वि महाकाव्य शिलाप्पतिकारम् (पायल की कहानी) जिसके लेखक इलांगों-अडिगल हैं, और चत्तानार द्वारा रचित मणिमेखलइ (मणिमेखलइ की कहानी) 200-300 ईसवी सन् में किसी समय लिखे गए थे और ये इस युग में तमिल समाज का सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हैं.
The twin epics, Silappadhikaram (the story of the anklet), written by Ilango-Adigal, and Manimekalai (the story of Manimekalai) by Chattanar, were written sometimes in A.D. 200-300 and give vivid accounts of Tamil society during that period.
ये मूल्यवान भण्डारगृह हैं और मान-सम्मान तथा महत्ता से परिपूर्ण महाकाव्य है जो जीवन के मूलभूत सद्गुणों पर बल देते हैं ।
These are valuable storehouses and epics of dignity and sublimity, laying stress on the cardinal virtues of life.
मणिमेखलइ में बौद्ध सिद्धांत की व्यापक रूप से व्याख्या की गई है ।
In Manimekalai there is an elaborate exposition of the doctrines of Buddhism.
यदि तमिल ब्राह्मणीय और बौद्ध ज्ञान पर विजय को उद्घाटित करता है तो कन्नड़ अपने प्राचीन चरण में जैन आधिपत्य को दर्शाता है ।
If Tamil reveals a triumph of Brahmanic and Buddhist knowledge, Kannada shows Jain ascendency in its ancient phase.
मलयालम ने संस्कृत भाषा के एक संबद्ध खजाने का अपने-आप में विलय कर लिया ।
Malayalam absorbed a rich treasure contained in the Sanskrit language.
नन्नतय्य (1100 ईसवी सन्) तेलुगु के पहले कवि थे ।
Nannaya (A.D.1100) was the first Telugu poet.
प्राचीन समय में तमिल और तेलुगु भाषाएं दूर-दूर तक फैली थीं ।
In ancient times, Tamil and Telugu spread to distant places.
यदि किसी को प्राचीन तमिल साहित्य की एक अन्य प्रभावशाली विशेषता का अभिनिर्धारण करना है तो स्पष्टत: वैष्णव (विष्णु के बारे में ) भक्ति (समर्पण) साहित्य की पसन्द होगी ।
If one were to identify another striking feature of ancient Tamil literature, the obvious choice would be Vaishnava (pertaining to Vishnu) bhakti (devotional) literature.
भारतीय साहित्य में यह पता लगाने की दिशा में प्रयास किया गया है कि मनुष्य ईश्वरत्व को किस प्रकार से प्राप्त कर सकता है ।
In Indian literature the effort has been to find out how a man can achieve divinity.
वीरपूजा की एक प्रवृत्ति का राज मानवता के प्रति प्यार और सम्मान है ।
The secret behind a tendency for hero worship is love and regard for humanity.
वैष्णव भक्ति के काव्य में भगवान हमारी पीड़ाओं तथा अशान्ति, हमारी प्रसन्नता एवं समृद्धि को सांझा करने के लिए मनुष्य के रूप में इस धरती पर अवतरित होते हैं ।
In Vaishnava bhakti poetry, God descends on this earth as a human being, to share with us our suffereing and turmoil, our happiness and prosperity.
वैष्णव भक्ति का साहित्य एक अखिल भारतीय घटना- चक्र था जो छठी और सातवीं शताब्दी ईसवी सन् में दक्षिण भारत के तमिलभाषी क्षेत्र में भक्तिमय गीत लिखने वाले बारह ( एक भगवान में तल्लीन) अलवार सन्तं- कवियों के साथ प्रारम्भ हुआ था ।
Vaishanava bhakti literature was an all-India phenomenon, which started in the 6th-7th century A.D. in the Tamil-speaking region of South India, with twelve Alvar (one immersed in God) saint-poets, who wrote devotional songs.
इन्होंने हिन्दू मत का पुनरुद्धार किया और बौद्ध तथा जैन विस्तार पर इनकी कुछ विशेषताओं को आत्मसात करते हुए रोक लगाई ।
They revitalized Hinduism and checked the spread of Buddhism and Jainism, while absorbing some of their features.
अंडाल नाम की एक कवयित्री सहित अलवार कवियों का धर्म प्यार (भक्ति) के माध्यम से उपासना करना था और इस उपासना के उल्लास में वे सैकडों गीत गाया करते है जिनमें मनोभाव की गहराई तथा अभिव्यक्ति का परमानन्द दोनों शामिल थे ।
The religion of Alvar poets, which included a woman peot, Andal, was devotion to God through love (bhakti), and in the ecstasy of such devotions they sang hundreds of songs which embodied both depth of feeling and felicity of expressions.
हिंदू भगवान शिव की स्तुति में भक्ति गीत (शिव और विष्णु की पूजा हिंदुओं के शैव और वैष्णव संप्रदायों में व्यापक विभाजन का आधार बनती है) भी तमिल संत कवि नयनार (नेता, गुरु) द्वारा 6 वीं -8 वीं शताब्दी में लिखे गए थे।
Devotional songs in praise of the Hindu god Shiva (the worship of Shiva and Vishnu forms the basis of the broad division of Hindus into Shaiva and Vaishnava sects) were also written by Tamil saint poet Nayanar (leader, master) in the 6th-8th Century A.D.
इसके भावात्मक भक्ति के काव्य के रूप में महत्त्व के अतिरिक्त, यह तमिल की शास्त्रीय सभ्यता की दुनिया में हमारा मार्गदर्शन करता है और तमिलों की जातीय-राष्ट्रीय जानकारी के बारे में हमें समग्र रूप से समझाता है ।
Its importance as poetry of emotional bhakti, it guides us into the world of classical Tamil civilization and explains to us the ethnic-national consciousness of the Tamils as a whole.
मध्यकालीन युग में भक्ति साहित्य लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अखिल- भारतीय चेतना के रूप में फला-फूला ।
The flowering of bhakti literature as a pan-Indian consciousness took place in almost all the Indian languages during medieval times.
मध्यकालीन साहित्य
Medieval Literature
1000 ईसवी सन् के आस-पास प्राकृत में स्‍थानीय भिन्‍नताएं अधिकाधिक स्‍पष्‍ट होती चली गईं जिन्‍हें बाद में अपभ्रंश कहा जाने लगा था और इसके परिणामस्‍वरूप आधुनिक भारतीय भाषाओं ने आकार लिया तथा इनका जन्‍म हुआ ।
Around 1000 A.D. local differences in Prakrit grew more and more pronounced, which later came to be known as Apabhramsa, and this led to the modern Indian languages taking shape and being born.
इन भाषाओं के क्षेत्रीय, भाषाई तथा जातीय वातावरण द्वारा अनुकूलन के परिणामस्‍वरूप इन्‍होंने भाषा संबंधी भिन्‍न विशेषताएं धारण कर लीं ।
These languages, conditioned by the regional, linguistic and ethnic environment, assumed different linguistic characteristics.
संविधान में मान्‍यता-प्राप्‍त आधुनिक भारतीय भाषाएं जैसे कोंकणी, मराठी, सिंधी, गुजराती (पश्चिमी) मणिपुरी, बांग्‍ला, ओड़ि‍या और असमी (पूर्वी); तमिल,तेलुगु, मलयालम, कन्‍नड़ (दक्षिणी); और हिन्‍दी, उर्दू, कश्‍मीरी, डोगरी, पंजाबी, मैथिली, नेपाली और संस्‍कृत (उत्‍तरी) शामिल हैं ।
Constitutionally recognised modern Indian languages and Konkani, Marathi, Sindhi, Gujarati (Western); Manipuri, Bengali, Oriya and Assamese (Eastern); Tamil, Telugu, Malayalam and Kannada (Southern) and Hindi, Urdu, Kashmiri, Dogri, Punjabi, Maithali, Nepali and Sanskrit (Northern).
संविधान ने दो जनजातीय भाषाओं-बोडो और संथाली को भी मान्‍यता प्रदान की है ।
Two tribal languages, Bodo and Santhali are also recognised by the Constitution.
इन 22 भाषाओं में तमिल प्राचीनतम आधुनिक भारतीय भाषा है जिसने अपनी भाषाई विशेषता को बनाए रखा है और लगभग 2000 वर्षों में इसमें थोड़ा-सा ही परिवर्तन हुआ है ।
Out of these 22 languages, Tamil is the oldest modern Indian language maintaining its linguistic character with little change for about 2000 years.
उर्दू आधुनिक भारतीय भाषाओं में सबसे युवा है तथा इसने अपना आकार चौदहवीं शताब्‍दी ईसवी सन् में लिया था और अपनी लिपि एक अरबी-फारसी मौलिकता से ली लेकिन अपनी शब्‍दावली फारसी और हिन्‍दी जैसे भारतीय-आर्य स्रोतों से भी ली थी ।
Urdu is the youngest of the modern Indian languages, taking its shape in the 14th century A.D., deriving its script from an Arabic-Persian origin, but vocabulary from Indo-Aryan sources, i.e. Persian and Hindi.
संस्‍कृत जो कि प्राचीनतम शास्‍त्रीय भाषा है, अभी काफी कुछ प्रयोग में है और भारत के संविधान ने इसे इसीलिए आधुनिक भारतीय भाषाओं की सूची में शामिल किया है ।
Sanskrit, though the oldest classical language, is still very much in use, and hence is included in the list of modern Indian languages by the Constitution of India.
1000 से 1800 ईसवी सन् के बीच मध्‍यकालीन भारतीय साहित्‍य का सर्वाधिक शक्तिशाली रुझान भक्ति काव्‍य है जिसका देश की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं पर आधिपत्‍य है ।
The most powerful trend of medieval Indian literature between 1000 and 1800 A.D. is devotional (bhakti) poetry which dominates almost all the major languages of the country.
यूरोप के अंधकारमय मध्‍यकाल से भिन्‍न, भारत के मध्‍यकाल ने असाधारण गुणवत्‍ता से परिपूर्ण भक्ति साहित्‍य ने एक अति समृद्ध परम्‍परा को जन्‍म दिया जो भारत के इतिहास के एक अंधकारमय युग की अंधविश्‍वासी धारणाओं का खण्‍डन करती है ।
Unlike the dark middle ages of Europe, India’s middle ages brought about a very rich tradition of devotional literature of remarkable merit which dispels the superstitious assumption of a dark period of India’s history.
भक्ति साहित्‍य मध्‍यकालीन युग की सर्वाधिक महत्‍त्‍वपूर्ण घटना है ।
Bhakti literature is the most important development of the medieval period.
यह प्रेम से भरा काव्‍य है.
It is love poetry.
जिसमें भक्‍त अपने ईश्‍वर, कृष्‍ण या राम के प्रति प्रेम की अभिव्‍यक्ति करता है, जो महान भगवान विष्‍णु के दो प्रमुख अवतार हैं ।
Love for one’s Lord, Krishna or Rama, the two main incarnations of the great God Vishnu.
इस प्‍यार को पति और पत्‍नी के बीच, अथवा प्रेमियों के बीच अथवा नौकर और मालिक के बीच अथवा माता-पिता और सन्‍तान के बीच के प्‍यार के रूप में चित्रित किया गया है ।
This love is depicted as love between husband and wife, or between lovers, or between servant and master, or between parents and child.
यह ईश्‍वरत्‍व को व्‍यक्तिगत बनाना है जिसका अर्थ है : आपके भीतर के ईश्‍वर का वास्‍तव में बोध होना, साथ ही जीवन में सौहार्द का होना जो मात्र प्‍यार ही ला सकता है ।
This is personalisation of the godhood, which means a truthful perception of God residing in you, and also harmony in life which only love can bring.
सांसारिक प्रेम काम है और ईश्‍वरीय प्रेम (रहस्‍यमय काम) है ।
Worldly love is Kama (Eros) and divine love is Prema (mystic Eros).
भक्ति में प्रबल संकेत उल्‍लास तथा ईश्‍वर की समग्र पहचान है ।
The dominating note in bhakti is ecstasy and total identity with God.
यह धर्म के प्रति एक काव्‍यात्‍मक दृष्टिकोण है और काव्‍य के प्रति एक तापस्विक दृष्टिकोण है ।
It is a poetic approach to religion and an ascetic approach to poetry.
यह संयोजनों का काव्‍य है- सांसारिकों का ईश्‍वर से संयोजन और परिणामस्‍वरूप प्‍यार के पंथनिरपेक्ष काव्‍य के पुराने रूप का सभी भाषाओं में एक नया अर्थ निकलने लगा ।
It is poetry of connections – connecting the worldly with the divine, and as a result, the old form of secular love poetry began to have a new meaning in all languages.
भक्ति काव्‍य में उन्‍नति के परिणामस्‍वरूप क्षेत्रीय भाषाओं ने भी उन्‍नति की ।
The rise of bhakti poetry gave rise to regional languages (Bhasa).
भाषा की संकल्‍पना ने संस्‍कृ‍त की सर्वोत्‍कृष्‍ट परम्‍परा को नष्‍ट कर दिया और जनसाधारण की अधिक स्‍वीकार्य भाषा को स्‍वीकार कर लिया ।
The conception of bhakti did away with the elite tradition of Sanskrit and accepted the more acceptable language of the common man.
कबीर कहते हैं कि संस्‍कृत एक निश्‍चल कूप के जल के समान है, भाषा बहते पानी की तरह होती है ।
Kabir says that Sanskrit is like water of a well stagnant, Bhasa like flowing water.
सातवीं शताब्‍दी के एक शैव तमिल लेखक माणिक्‍कवाचकर को कविताओं की अपनी पुस्‍तक तिरुवाचकम् में ऐसा ही कुछ कहना है ।
A seventh century Shaiva Tamil writer Manikkarvachakar has something similar to say about in his book of poetry Thiruvachakam.
भक्ति ने शताब्दियों पुरानी जाति प्रथा पर भी हमला किया है और स्‍वयं को मानवता की आराधना के प्रति अर्पित किया है क्‍योंकि भक्ति का नारा यह है कि हर मनुष्‍य में भगवान है ।
Bhakti also attacked the age-old caste system and devoted itself to the worship of humanity, because the catch-word of bhakti is that God is there in every human being.
यह आन्‍दोलन वास्‍तव में गौण था क्‍योंकि इसके अधिकांश कवि तथाकथित ‘निचली’ जातियों से थे । भक्ति ब्रह्मविज्ञान से अलग है और किसी भी प्रकार के अवधारणात्‍मक पाण्डित्‍य के विरुद्ध है ।
The movement was in essence subaltern, as most of its poets belonged to the so-called ‘lower’ castes. Bhakti is antitheology and against any kind of conceptual erudition.
तमिल में प्राचीन भक्ति काव्‍य की उस शक्ति को गति प्रदान की गई जिसे एक अखिल- भारतीय विकसित रूप समझा जा रहा था ।
The power of ancient bhakti poetry in Tamil set in motion what might well be considered a pan-Indian efflorescence.
तमिल के पश्‍चात्, दसवीं शताब्‍दी में पम्‍पा के महान राजदरबारी काव्‍यों की कन्‍नड़ में रचना की गई थी ।
After Tamil, Pampa’s great court epics were composed in Kannada in the 10th century.
कन्‍नड़ में भक्ति साहित्‍य, कृष्‍ण, राम और शिव सम्‍प्रदायों के विभिन्‍न सन्‍तों के वचन काफी प्रसिद्ध हैं ।
Devotional literature in Kannada, the Vachanas (sayings) of the various saints of the Krishna, Rama and Shiva cults, is well known.
बसवण्‍णा कन्‍नड़ के एक प्रसिद्ध कवि थे, शिव के उपासक थे और एक महान समाज सुधारक थे ।
Basavanna was a famous Kannada poet, a Shiva devotee and a great social reformer.
अल्‍लमा प्रभु (कन्‍नड़) ने धर्म के नाम पर महान काव्‍य का सृजन किया ।
Allama Prabhu (Kannada) wrote great poetry under the garb of religion.
कालक्रमिक, कन्‍नड़ की घनिष्‍ठ उत्‍तराधिकारिणी मराठी, भक्ति की अगली भाषा बनी ।
Chronologically, Marathi, the close successor of Kannada, became the next venue for bhakti.
ज्ञानेश्‍वर (1275 ईसवीं सन्) मराठी के प्रथम और अग्रवर्ती कवि थे ।
Gyaneswar (1275 A.D.) is the first and foremost bhakti poet in Marathi.
उनकी किशोर-अवस्‍था (21 वर्ष की आयु में मृत्‍यु हो गई थी ) विट्ठल (विष्‍णु) भक्ति के संबंध में अपने कविसुलभ योगदान के लिए प्रसिद्ध हो गए थे ।
In his teens (he died at the age of 21) he became famous for his poetic contribution to bhakti for Vithal (Vishnu).
एकनाथ ने अपने लघु कविसुलभ वर्णनात्‍मक तथा भक्तिमय अभंग (एक साहित्यिक रूप) लिखे थे, और इनके पश्‍चात् तुकाराम (1608-1649 ईसवी सन्) के गीतों ने समूचे महाराष्‍ट्र को मंत्रमुग्‍ध कर दिया था ।
Eknath wrote his short poetic narratives and devotional abhangas (a literary form), and after him it was Tukarram (1608-1649 A.D.) whose songs cast a spell all over Maharasthra.
और इसके बाद बारहवीं शताब्‍दी में गुजराती आई ।
And then it is Gujarati in the 12th century.
गुजराती के नरसिंह मेहता और प्रेमानन्‍द जैसे कवियों का वैष्‍णव कवियों की विशिष्‍ट मण्‍डली में प्रमुख स्‍थान है ।
Gujarati poets like Narsi Mehta and Premananda occupy a prominent place in the galaxy of the Vaishnava poets.
इसके पश्‍चात् अनुक्रम इस प्रकार से है : कश्‍मीरी, बांग्ला, असमी, मणिपुरी, ओड़ि‍या, मैथिली, ब्रज, अवधी (अन्तिम तीन भाषाएं छत्र भाषा हिन्‍दी के अधीन आती हैं ) और भारत की अन्‍य भाषाएं ।
Afterwards, the sequential order is as follows: Kashmiri, Bengali, Assamese, Manipuri, Oriya, Maithili, Braj, Avadhi (the last three languages come under the umbrella language, Hindi) and other languages of India.
बांग्ला कवि चण्‍डीदास का इनकी कविताओं में सुबोधगम्‍यता और माधुर्य के लिए एक महान प्रतिभाशाली व्‍यक्ति के रूप में अभिनन्‍दन किया जाता है, इसी प्रकार, मैथिली में विद्यापति ने एक नई कविसुलभ भाषा का सृजन किया ।
Chandidas, a Bengali poet, is acclaimed as a great genius for the lucidity and sweetness of his poems. Similarly, Vidyapati in Maithili created a new poetic language.
कश्‍मीर की एक कवयित्री लालद्यद ने रहस्‍यमत भक्ति को एक नया आयाम प्रदान किया ।
Lal Ded, a Kashmiri Muslim poetess, gave a new dimension to mystical bhakti.
उपराष्ट्रपति ने कृषि को एक ऐसे पेशे के रूप में वर्णित किया जो न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि पवित्र भी है।
The Vice President described agriculture as a profession that is not just important but sacrosanct.
श्री नायडू ने कृषि को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि कृषि हमेशा से हमारी संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग रही है।
Referring to agriculture as the backbone of rural economy, Shri Naidu said that agriculture has always been an integral part of our culture and civilization.
"उन्होंने कहा, ""हमारी 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है""।"
“More than 50 per cent of our population is still dependent on agriculture for their livelihood”, he added.
"उपराष्ट्रपति ने कहा ""किसानों की आय बढ़ाने के लिए, हमें उत्पादकता में सुधार करने, कुशलता से संसाधनों का उपयोग करने, फसल की तीव्रता बढ़ाने और अत्यधिक मूल्य वाली फसलों में विविधता लाने के लिए प्रयास करना चाहिए।"""
The Vice President said “to augment farmers income, we must strive to improve productivity, efficiently use resources, increase cropping intensity and diversify to highly value crops”.
उन्होंने जोर दिया कि सभी हितधारकों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि किसानों को पारिश्रमिक मूल्य प्राप्त हो।
He emphasized that every effort must be made by all the stakeholders to ensure that the farmers receive remunerative prices.
उन्होंने बेहतर भंडारण और प्रसंस्करण, कृषि आदानों के प्रावधान, वित्तपोषण और उत्पादन की बिक्री के लिए कुशल विपणन तंत्र के माध्यम से यह किया जा सकता है, उन्होंने सुझाव दिया।
This could be done through better storage and processing, provisioning of farm inputs, financing and efficient marketing mechanisms for sale of output, he suggested.
महामारी के दौरान अदम्य भावना और समर्पण प्रदर्शित करने के लिए किसानों की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसने चल रहे कोविद -19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है।
Praising the farmers for displaying indomitable spirit and dedication during the pandemic, Shri Naidu noted that agriculture is one sector that has performed well despite the challenges posed by the ongoing Covid-19 pandemic.
वास्तव में, खरीफ की खेती का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 59 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस बड़े कवरेज को बीज, उर्वरक और ऋण जैसे कि लॉकडाउन के दौरान भी दिया गया।
In fact, the area under kharif cultivation has increased by around 59 lakh hectares as compared to last year, he said and attributed this larger coverage to timely inputs by the government like seeds, fertilizers and credit even during the lockdown.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए और पूरे देश के लिए समान बाजार का सिद्धांत ई-एनएएम की अवधारणा के पीछे था और हमें इसका विस्तार करना चाहिए।
The Vice President said that the farmers must be allowed to sell their produce anywhere in the country and the principle of common market for the entire country was behind the conception of e-NAM and we must expand it, he added.
श्री. वेंकैया नायडू ने किसानों को सस्ती ऋण उपलब्ध कराने के साथ-साथ कोल्ड स्टोरेज, गोदामों जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचे के निर्माण के महत्व को भी दोहराया।
Shri. Venkiah Naidu also reiterated the importance of creating adequate infrastructure like cold storages, godowns as well as providing affordable credit to farmers.
यह देखते हुए कि किसानों की सहायता के लिए समय की आवश्यकता है, उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए कई पहल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की सराहना की, मानसून की अनिश्चितता और कृषि में अनिश्चितता को देखते हुए।
Observing that the need of the hour is to provide a helping hand to farmers, he appreciated the Central and State governments for taking many initiatives for the welfare of farmers, given the vagaries of the monsoon and uncertainties in agriculture.
यह देखते हुए कि भारत सरकार ने हाल के वर्षों में कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, श्री नायडू ने टिप्पणी की कि एक बदलाव है और किसानों की आय को दोगुना करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
Observing that the Government of India has taken a number of steps to revitalize agriculture in the recent years, Shri Naidu remarked that there has been a paradigm shift and the focus has been on doubling the farmers’ income.
प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-केसान) के कार्यान्वयन का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि यह एक वरदान है और इससे भारत के 72 प्रतिशत से अधिक किसानों को लाभ होगा।
Citing the implementation of Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi (PM-KISAN), he said it is a boon and will benefit more than 72 percent of India’s farmers.
उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कि सी आरआईएसपीआर-कैस 9 जीन एडिटिंग टूल के लाभों को स्वीकार करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे पौधों को जैविक और अजैविक तनावों के प्रति सहिष्णु बनाकर और उनके पोषण मूल्य और उपज में सुधार करके कृषि को बदलने की अपार क्षमता रखते हैं।
Enumerating the benefits of emerging technologies such as CRISPR-Cas9 gene editing tool, the Vice President said they hold immense potential to transform agriculture by making plants tolerant to biotic and abiotic stresses and improving their nutritional value and yield.
आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए टीएएनयू की सराहना करते हुए, वह चाहते थे कि यह विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान को और तेज करे।
Appreciating TANU for adopting modern technologies, he wanted it to further intensify the research in various areas.
यह देखते हुए कि कृषि के आधुनिकीकरण और व्यावसायीकरण के लिए कृषि यंत्रीकरण महत्वपूर्ण है, उपराष्ट्रपति ने आवश्यकता-आधारित मशीनरी विकसित करने का आह्वान किया।
Observing that agricultural mechanization is crucial for modernization and commercialization of agriculture, the Vice President called for developing need-based machinery.
"उन्होंने कहा, ""बेहतर उपकरणों के इस्तेमाल से उत्पादकता में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी और 20 फीसदी तक खेती की लागत कम हो सकती है।"""
“Use of improved implements has the potential to increase productivity up to 30 per cent and reduce the cost of cultivation up to 20 per cent”, he added.
श्री नायडू ने जल प्रबंधन, कृषि और संबद्ध गतिविधियों में तमिलनाडु के प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए नई उच्च उपज वाली किस्मों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के मामले में राज्य अनुकरणीय रहा है।
Shri Naidu lauded the performance of Tamil Nadu in water management, agriculture and allied activities and said that the state has been exemplary in terms of adoption of new high yielding varieties and technologies to increase production.
उन्होंने टीएएनयू के उत्तीर्ण स्नातकों से प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले सतत कृषि विकास की अपील की, जिससे किसानों को बेहतर आय का एहसास हो सके और हमारे देश के लाखों लोगों को खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
He appealed to the passing out graduates of TANU to spearhead technology-led sustainable agricultural development, enable farmers to realize better incomes and ensure food and nutritional security to the teeming millions of our country.
"उन्होंने कहा, ""आपका शोध समाज के लिए प्रासंगिक होना चाहिए और जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य समस्याओं तक मानव जाति के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"""
“Your research must be relevant to society and focus on finding solutions to various problems faced by mankind from climate change to health issues”, he told them.
इस समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल, श्री बनवारी लाल पुरोहित, तमिलनाडु के उच्च शिक्षा और कृषि मंत्री, श्री के.पी. अंबलगन और टीएनएयू के कुलपति, प्रो.एन. कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
The event was also attended by the Governor of Tamil Nadu, Shri. Banwari Lal Purohit, Tamil Nadu Minister for Higher Education and Agriculture, Shri K.P. Anbalagan and TNAU Vice-Chancellor, Prof. N. Kumar, among other dignitaries.
निम्नलिखित भाषण का पूरा पाठ है-
Following is the full text of the speech-
यह मुझे इस प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय के 41 वें दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए बहुत खुशी देता है जो कृषि अनुसंधान और शिक्षा में इसके योगदान के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है।
It gives me a great pleasure to take part in the 41st Convocation of this renowned Agricultural University which is widely admired for its contribution to agricultural research and education.
मैं उन सभी स्नातक छात्रों को बधाई देता हूं जो इस उत्कृष्ट संस्थान से विभिन्न डिग्री, पुरस्कार और अंतर प्राप्त कर रहे हैं।
I congratulate all the graduating students who are receiving various degrees, awards and distinctions from this outstanding institution.
सभी शिक्षकों और अभिभावकों को छात्रों को सलाह देने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ सशक्त बनाने और उनमें सही दृष्टिकोण और मूल्यों को विकसित करने के लिए मेरी बधाई!
My compliments to all the teachers and parents for mentoring the students and empowering them with quality education and inculcating the right attitude and values in them!
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस संस्था के पूर्व छात्र प्रसिद्ध अनुसंधान संगठनों, नीति निर्माण निकायों और नागरिक सेवाओं में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।
I am happy to note that the alumni of this institution are holding important positions in renowned research organizations, policy making bodies and civil services.
कृषि हमेशा हमारी अर्थव्यवस्था का ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता का भी अभिन्न अंग रही है।
Agriculture has always been an integral part of, not only our economy, but also of our culture and civilization.
इसलिए, मेरे प्यारे दोस्तों, आपने एक पेशा चुना है, जो न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि पवित्र भी है।
Hence, my dear friends, you have chosen a profession, which is not only important but also sacrosanct.
एक मामले के रूप में, कृषि मेरे दिल के बहुत करीब है और मैं चावल की खेती के लिए जाना जाता है।
As a matter-of-fact, agriculture is very close to my heart andI hail from a predominantly agrarian region known for rice cultivation.
हमारी 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, यह क्षेत्र हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
With more than 50 per cent of our population still dependent on agriculture for their livelihood, this sector is the backbone of our rural economy.
इसलिए, लाखों लोगों को भोजन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कृषि जलवायु को लचीला, लाभदायक और उत्पादक बनाना समय की आवश्यकता है।
Therefore, the need of the hour is to make agriculture climate-resilient, profitable and productive, while ensuring food and nutritional security to millions of people.
मेरे प्रिय छात्रों, अब हम एक महामारी के बीच हैं, जिसने गतिविधि के हर क्षेत्र को बाधित कर दिया है और भारत और दुनिया के बाकी हिस्सों को अभूतपूर्व तरीके से प्रभावित किया है।
My dear students, we are now in the midst of a pandemic that has disrupted every sphere of activity and impacted India and rest of the world in an unprecedented way.
जबकि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था को अनुबंधित किया गया है, मुझे विश्वास है कि यह 2021 में एक प्रभावशाली वृद्धि दर के साथ वापस आएगा और सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था की स्थिति को फिर से हासिल करेगा।
While the Indian economy is projected to contract this year, I am confident that it will bounce back with an impressive growth rate in 2021 and regain the position of the fastest growing emerging economy.